Disclaimer

यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक है। किसी से समानता संयोग होगी। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ ((जैसे स्तन वर्धक या हार्मोन परिवर्तन)न लें - यह जानलेवा हो सकता है।— अनीता (ब्लॉग एडमिन)

Husband wife role reversal एक नई सुबह

📝 Story Preview:

अनीता और रोहित की ज़िंदगी पहले बहुत सहज और सुंदर चल रही थी। रोहित एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था और अच्छी कमाई करता था। दोनों की दुनिया में प्यार था, समझदारी थी, और एक बेहतरीन तालमेल था।

लेकिन एक दिन, ऑफिस से लौटते समय रोहित का भयानक एक्सीडेंट हो गया। डॉक्टरों ने बताया कि रोहित कोमा में है और उसके पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय लग सकता है।

तीन महीने बाद जब रोहित को होश आया, तो उसे पता चला कि अब वो अपने हाथ-पैर नहीं हिला सकता। डॉक्टरों के अनुसार उसे ठीक होने में करीब दो साल लग सकते थे। परिवार मध्यमवर्गीय था, तो अस्पताल में लम्बे समय तक रखना संभव नहीं था। इसलिए अनीता ने उसे घर ले आने का निर्णय लिया।

अनीता ने नौकरी की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ली और रोहित की जगह उसी कंपनी में काम करना शुरू किया।

सुबह-सुबह अनीता रोहित को दवा देकर, खाना खिलाकर ऑफिस जाती, और रोहित घर पर अकेला रह जाता। कुछ ही महीनों में रोहित की हालत में हल्का सुधार हुआ — वो अब बोलने लगा था और थोड़ा-बहुत हाथ-पैर हिलाने की कोशिश भी कर पा रहा था।

एक दिन रोहित ने अनीता से इशारे में कहा,
“मेरे बाल बहुत लम्बे हो गए हैं... परेशान कर रहे हैं... कटवा दो ना।”

अनीता ऑफिस के लिए लेट हो रही थी, इसलिए उसने कहा,
“शाम को बात करते हैं… पक्का!”

पर तीन दिन बीत गए, और रोहित हर बार उम्मीद करता रहा।

बाल अब उसकी पीठ तक आ चुके थे, बार-बार मुँह में आ जाते थे, और उसे खुद कुछ करने में असमर्थता थी। पुराने कपड़े भी अब फिट नहीं आते थे — शरीर काफी कमजोर हो चुका था। वहीं अनीता की दिनचर्या इतनी व्यस्त थी कि वह चाहकर भी तुरंत समाधान नहीं निकाल पा रही थी।

एक दिन…

वीकेंड पर जब अनीता खाना देने आई, तो रोहित की आँखों में आँसू थे।

“क्या हुआ?” अनीता ने उसे गले लगाते हुए पूछा।

रोहित ने बहुत मुश्किल से कहा,
“ये बाल… ये ढीले कपड़े… मैं कुछ कर नहीं पाता…”

अनीता की आँखें भी भर आईं। वो रोहित को छोड़कर नाई के पास भी नहीं जा सकती थी, और न कोई घर आने को तैयार था।

उसी शाम, उसने रोहित के सिर में तेल की मालिश करनी शुरू की। बाल उलझे हुए थे, धीरे-धीरे सुलझाते-सुलझाते उसने सोचा — क्यों न इन्हें दो चोटियों में बाँध दूँ? इससे बाल भी कंट्रोल में रहेंगे और रोहित को राहत भी मिलेगी।

उसने सलीके से बालों को ब्रश किया, दो बराबर हिस्सों में बाँटा, चोटियाँ बनाई और रिबन से बाँध दिया।

आज रोहित शांति से सोया।

धीरे-धीरे बदलाव...

अब ये अनीता की आदत बन गई। हर रविवार वो रोहित के बाल धोती, सुलझाती, और प्यार से चोटी बनाती। रोहित अब बालों से परेशान नहीं होता था।

कपड़ों की परेशानी को भी अनीता ने हल किया। पुराने कपड़े ढीले थे, तो उसने अपने कुछ आरामदायक स्कर्ट्स और शॉर्ट्स निकालकर रोहित को पहनाए। रोहित को भी स्कर्ट पहनकर काफी आराम मिला — हवादार, हल्के और फिट।

धीरे-धीरे रोहित अब खुद से छोटी-मोटी चीजें करने लगा — जैसे चाय बनाना, अंडा उबालना, नाश्ता करना।

पर एक दिन…

जब अनीता ने फिर स्कर्ट दी, तो रोहित चिढ़ गया।

“क्या नाटक है ये? मुझे मेरे कपड़े चाहिए। मैं अब ठीक हो रहा हूँ।”

अनीता चुप रही, उसने स्कर्ट ली और रोहित को पैंट दे दी। लेकिन वो बहुत आहत हुई थी। बिना कुछ खाए ऑफिस चली गई।

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Police officer Wife handcuffed husband as punishment

📝 Story Preview:

कहानी शीर्षक: "हथकड़ी वाला प्यार"
(Romantic Police Couple Hindi Story)

अनिता और अमित एक बेहद प्यारा कपल थे। अनिता पुलिस विभाग में थीं और अक्सर अपने मजाकिया अंदाज़ में अमित को हाथकड़ी लगाने की धमकी देती रहती थीं। दोनों के बीच नोकझोंक का रिश्ता था, जिसमें प्यार की गहराई छिपी होती थी।

एक दिन अनिता एक कठिन केस को लेकर काफी परेशान थीं। उनके पास बार-बार ऊपर से कॉल आ रहे थे, जिससे उनका मूड और भी खराब हो रहा था। वहीं अमित को ऑफिस से दो दिन की छुट्टी मिली थी और वो चाह रहा था कि इस वक्त को रोमांटिक तरीके से अनिता के साथ बिताए। वो बार-बार कुछ न कुछ मज़ेदार बोलकर या शरारती हरकतें करके अनिता का मूड ठीक करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन अनिता आज बहुत चिढ़ी हुई थी, और उसका ध्यान कहीं और था।

थोड़ी देर सहने के बाद, अनिता ने एक फैसला लिया।

वो अमित के पास आई और गुस्से में बोली,
“मैं कब से तुम्हें समझा रही हूं, लेकिन तुम समझ ही नहीं रहे। अब जो मैं करने जा रही हूं, उसके लिए सिर्फ तुम ज़िम्मेदार हो। बिना बोले, बिना हिले यहीं खड़े रहो।”

अमित कुछ समझ पाता उससे पहले ही, अनिता ने उसके दोनों हाथ पीठ के पीछे किए और अपनी कमर से लगी हथकड़ी निकालकर उसके हाथों में कस दी। चाबी को अपनी जेब में डालते हुए, अनिता का फोन बजा—कॉल कमिश्नर साहब की थी। वो बात करते-करते अपने स्टडी रूम में चली गई और फिर लैपटॉप पर काम में लग गई।

काफी देर बाद जब अमित की तकलीफ़ बढ़ गई, वो किसी तरह स्टडी रूम में गया और बोला,
“अनिता... प्लीज़ खोल दो, हाथ दर्द कर रहे हैं…”

अनिता ने उसे नजरअंदाज किया। अमित ने फिर चिढ़ाने की कोशिश की, ताकि उसका ध्यान अपनी ओर खींच सके। लेकिन इससे अनिता और चिढ़ गई। उसने अमित का हाथ पकड़कर उसे बेडरूम में ले जाया और एक दूसरी हथकड़ी से उसके हाथों को खिड़की के ग्रिल से बांध दिया।

अब अमित वही बंधा रहा… जब तक अनिता चाहे।

अनिता ने चेतावनी दी,
“अगर एक शब्द भी निकाला तो मुँह भी बंद कर दूंगी।”

अमित को लगा कि ये मज़ाक है, वो उसे छेड़ने लगा। पर अनिता ने सीरियस होकर अलमारी से अपने धुले हुए मोज़े निकाले, उसमें अमित का रुमाल भरकर एक बॉल बनाई और अमित के मुँह में ठूंस दी। फिर टेप से पूरी तरह से उसका मुँह बंद कर दिया।

उसके बाद अनिता मुस्कुराई और बोली,
“अब मैं शांति से काम कर सकती हूँ।”
और फिर उसे वहीं बंद कर स्टडी रूम चली गई।

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