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भाभी बोली चाय अब बताओ राकेश के साथ जो हुआ उसमे किसकी गलती थी , में बोला हम दोनो एक पेपर में अपने आंसर लिखेंगे जिससे हमारे आंसर अगर मैच हुए तो में कोई सजा नही मानने वाला , भाभी बोली ठीक है अब हम दोनो ने पेपर में अपने आंसर लिखे और रिजल्ट क्या हुआ वो अगले पार्ट में बताता हूं.
Part 8
भाभी और मैने, पर्ची में अपने आंसर लिखे, जब हमने पर्ची खोली, हम दोनो के आंसर सेम थे, हम दोनो ने ही, भाई के साथ बहन ने जो किया, उसका जिम्मेदार मां को बनाया था। क्यों के जब दोनो जुड़वा थे, तो मां को उनमे भेदभाव नही करना चाहिए था, और इसी वजह से बहन के मन में भाई के लिए गुस्सा पैदा हुआ, और जब उसे मौका मिला , उसमे अपना सारा गुस्सा भाई पर उतारा। वैसे आपका आंसर क्या था आप लोग कॉमेंट में बताओ।
भाभी बोली गुड च्वाइस, चलो अब एक सजा जो में जीती थी वो तो बनती है, तो मैं बोला भाभी आपने ही कहा था अगर आप ये जीती तो दो सजा वरना आज नो सजा, तो आज कोई सजा नही, और वैसे आज बहुत सारा दिन खत्म हो गया है, मुझे पढ़ाई करनी है अब।भाभी बोली ठीक है पढ़ाई करो, मैं कुछ देर आराम कर लूं पर तुम इतनी आसानी से आज के पेपर में जो फैल हुए थे उसकी सजा से भी बचने वाले नही हो तो उसकी सजा ये है के तुम आज।शाम को 5 बजे से 7 बजे तक छत पर पढ़ाई करोगे, अब भाभी बोली अब करो पढ़ाई, मैं चली आराम करने।
भाभी जाते जाते, मेरे लिए एक नई परेशानी खड़ी कर गई, आखिर भाभी की परेशानी क्या है , समझ नही आ रहा, अच्छा भला मैं पढ़ाई करने जा रहा था, टेंशन फ्री हो कर, पता नही ये छत पर 2 घंटा, बैठने का आइडिया कहा से आ गया, मुझे तो सोच कर ही पशीना निकल रहा है, मुझे तो, बालो की चोटी में भी छत पर, जाने में डर लग रहा है, के मैं छत पर ऐसे, लड़कियों वाली दो चोटी बनाकर, छत पर कैसे जा सकता हूं, किसी ने देख लिया तो क्या होगा, पर चलो एक बार को देख भी लिया, तो मैं बोल दूंगा के बाल बढ़ गए थे, तो बालो में तेल डालकर मसाज किया था ,तो कपड़े खराब न हो इसलिए, भाभी ने बालो की दो चोटी बना दी थी, पर इन हाथ भर कर चूड़ियों के लिए क्या कहूंगा। कुछ समझ नही आ रहा है
तभी मुझे ख्याल आया के आखिर कल के पेपर को तैयारी करूं कैसे क्यों के भाभी ने तो बताया ही नहीं के कल से सब्जेक्ट का पेपर लेंगी।मैने सोचा भाभी से ही पूछ लेता हूं और मैं भाभी के कमरे में नोक करके घुसा , भाभी अलमारी में कमरे सेट कर रही थी तभी भाभी की अलमारी से एक लड़के की फोटो गिर गई मैंने भाभी से पूछा ये कौन है
तो भाभी बोली ध्यान से देखो , मैने जब गौर से देखा तो मेरे मुंह से निकल गया क्या बात है भाभी ये तो आप हो ये कब की फोटो है और इसमें तो आप बाइक भी चला रही हो
भाभी बोलीं ज्यादा पुरानी नहीं है मेरे बोर्ड के पेपर की टाइम का है तब क्या मस्त लाइफ थी कोई रोक टोक नही कुछ भीं पहेंनो कुछ भीं करो कोई घर की टेंशन नहीं सच में आज भी बहुत याद आते है वो दिन। मैंने पूछा फिर ये टॉम बॉय से सती सावित्री कैसे बन गई इतना बड़ा चेंज कैसे आ गया
भाभी बोली इसी को शायद किस्मत कहते है रिजल्ट खराब आया तो रिस्तेदारो और पड़ोसियों के बहेलाबे में मां आ गई और पापा के कान भरने लगी पापा भी रोज रोज की किचकिच नही चाहते थे कॉलेज भेजने को मना कर दिया पहले पढ़ाई छूटी फिर बाइक बेच दी मेरी ये बोल कर के इसी की वजह से बिगड़ी हूं फिर कपड़ो पर पाबंदी लगाई के घर में लड़की की तरह रहा कर ये क्या फटी जींस पहेंन लेती हूं रोज रोज ही। मैने भाभी से पूछा अपने विरोध नहींकिया आपके साथ इतना गलत हों रहा था तो भाभी बोली बहुत विरोध किया रोज चीखना चिल्लन बहेश बाजी होती पर एक दिन पापा किसी वजह से बहुत परेशान थे और दिन मेरी किस्मत बहुत ही खराब चल रही थी मेरी एक सहेली को उसके ब्वॉयफ्रेंड से मिलना था तो मेरेंसाथ बर्थ डे मनाने बाहर गई है ये बोलना था मैं भी बहुत दिन घर से बाहर जाने वाली थी फिर से जींस शर्ट पहने थे बहुत खुश थी पर पर पड़ोस वालें आंटी को कहा हजम होना था मुझें देख कर मां से बोली अकेले कहा भेज रहीं जो अब इसके पास बाइक कहा है और आजकल ऑटो या बस बिलकुल सेफ नहीं है
में तो कहती हूं मेरे लड़के विनोद को साथ लेजा, विनोद एक दम चैपड सा था ना रंग न रूप अजीब सी गंदी बदबू आती थीं जैसे कभी नहाता ही न हो मैं बचपन से उसके साथ जाना तो दूर अगर वो कभी मेरी बाइक को छू भीं ले तो बिना बाइक धोए कभी नही चलाई होगी बस आंटी की ऐसी बात सुनकर जो मेरा मूड खराब हुआ इतने महीनो का गुस्सा जो मेरे अंदर दबा हुआ था फट पड़ा अगर उस दिन पापा न आए होते तो आंटी के साथ पता नही मैं क्या करती
पर उस दिन पापा भी गुस्से में थे काफी कुछ उनमें भी भरा था शायद आंटी और मम्मी ने जो भरभर कर मेरी बुराई की थी आज अपनी आंखो से भी देख लिया गुस्से में इतने आग बबूला हो गए की मुझे एक पल को तो ऐसा लगा आज मेरा आखिरी दिन आ गया है और अगर मैं लड़की न होती ना तो चमड़ी उधेड़ देते बेल्ट ही बेल्ट से।
पहेली बार अपने लड़की होने का फायदा मिला और जो इतने दिन घर में रही मेरे बाल ठीक ठाक तुम्हारी तरह बढ़ गए थें
पर गुस्सा तो शांत नही हुआ था तो मुझे ले जाकर घर के कमरे में बंद कर दिया बाहर से ताला लगा दिया और घर से बाहर चले गए क्या सोचा था बाहर जाऊंगी पार्टी करूंगी पर अब घर में कैद थी अब तक अनऑफिशियल पर आज सच में कैद थी गुस्से में तकिए में सिर डाल कर सो गई
शाम के 5 बजे मुझेंलोक किया था अगला दिन हो गया पर कोई आया ही नहीं खोलने पूरा एक दिन बीत गया था कुछ खाए हुए , सिर दर्द से फट रहा था और पेट भूख से तड़प रहा था कोई खाना नहीं तो चाय तो दे दो पर कोई नहीं आया
सुबह से शाम हो और शाम से रात और जब कोई उम्मीद न होना तो टाइम भी नही कटता है एक एक मिनिट भारी पड़ता है मैने भाभी का मन रखने के लिए बोल दिया में समझ सकता हूं के आप पर क्या बीती होगी तो भाभी बोली नही।समझ सकते हों क्यों के मुझे पूरे दस दिन के बाद कमरे से निकाला था बिना खाए भूखे पेट दस दिन बिना टीवी के बिना किसी को देखे एक ही कपड़े में पता है 10 दिन में कितनी बार तो मेरे कमरे का पावर कट कर दिया गया बिना लाइट।पंखे और खाने के 10 दिन काटना सिर्फ पानी।पीकर बस खुद को किसी भी हाल में जिंदा रखने की चाहत का तुम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हो
मेरा वजन आधे से भी कम हो गया आंखो के नीचे काले गढ्ढे पड़ गए थे कभी कभी तो चक्कर आ जाते थे क्या बेहोश हो जाती वो तो अच्छा हुआ जब मेरा पीरियड आ गया मेरे कपड़े खून से लाल हो गए सब कुछ गंदा होगा इसका अंदाजा भी नहीं लगा पाओगे जब मेरी मां मेरे कमरे के।पास से निकल रही थी उनकी पायल और चूड़ी की आवाज सुनकर मुझे पता नहीं क्या हुआ
और मैं दरवाजा पीटने लगी और अपनी गलती की माफी मांगी और जो वो बोलेगी वो ही करूंगी इसका वादा किया पर कोई फायदा नही हुआ और।वो जाने लगी तो मैंने रोते हुए कहा मेरे पीरियड आ गए है कपड़े गंदे हो गए है कम से कम पेड दे दो पर कोई फायदा नही हुआ और आज मैं टूट गई थी मैं आज पहेली बार रोई फूट फूट कर रोई रोते रोते मैं बेहोश हो गई
जब होश आया तो मां सामने थी गेट।खुला था।मुझे चद्दर उढ़ाया था उन्होंने मुझे पानी पिलाया और कपड़े दिए और नहाने को बोला मैं चुपचाप नहाने चली गई कपड़े चेंज किए खाना खाया पानी पिया मां बोली ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है तेरे पापा को बताए बिना किया है मैने उन्होंने साफ मना किया है गेट खोलने को तो अब मैं जा रही हूं गेट लोक करके अब नही पता कब खुलेगा ये गेट कुछ और चाहिए हो तो बता दे अभी मन तो कर रहा था के भाग जाऊं पर शरीर में जान तो होनी चाहिए न तो बस अपनी आंखो के सामने गेट बंद होते हुए फिर लोक लगते हुए देखती रही
पर अगली बार गेट जल्दी खुला मां थी कपड़े और खाना लाई थी और मेकअप बॉक्स लाई थी साथ में आइना भी। साथ में चाय भी गरम गरम और सिर दर्द की गोली और एक हाथ वाला पंखा और छोटा सा चार्जेबल लाइट बॉक्स । उस दिन समझ में आया के जिंदगी जीने के लिए कितने काम चिजो की जरूरत होती है।
गेट फिर से बंद हो गया पता नही कल।फिर से खुलेगा भी या नहीं।पर कुछ तो है अब मेरे पास।टाइम काटने के लिए।
अगले दिन गेट नही खुला इंतजार करते करते दिन कट गया भूख से बुरा हाल था पर अब समझ आ गया था के आज के खाने उसी समय।पूरा नही खाना है बचा बचा कर खाना है क्या पता कितने दिन बाद दुबारा खाना मिले
Part 12
अगले दिन फिर गेट खुला पर खाना नही था, कपड़े थे चाय थी ,कुछ ज्वैलरी थी, मां बोली नहाकर तैयार हो जा, मैं नहाकर आई तो बेड पर साड़ी ब्लाउज था, मां बोली पहेन्ना पड़ेगा, तेरे पापा ने तेरे कपड़ो की अलमारी को लॉक कर दिया है, मेरे पास यही है, और जिंदगी में पहेली बार ना चाहते हुए भी, मैं साड़ी पहन कर तैयार हुई, फिर मां ने मेरे बाल बनाए, मेकअप किया और मेरे मना करने पर, भी मेरे दोनो हाथ भर कर कांच की चूड़ियां पहेना दी।फिर मेरे कानो में हेवी झुमके डाल दिए, और पैरो में घुंघरू वाली पायल पहेनायी । और बोली आज तू लड़की लग रही है, किसी की नजर न लगे, फिर मुझे कमरे में गेट खुला छोड़कर, मेरे लिए खाना लेने के लिए चली गई,
मेरे मन में बार बार आ रहा था, के यही मौका है, भाग जाऊं पर ये साड़ी मेकअप ज्वैलरी में भागती कैसे, क्यों के एक कदम चलने में ही पायल इतना शोर मचा रही थी, साड़ी में भागना तो दूर चलना भी बहुत मुश्किल चीज है, मां ने साड़ी जल्दी खुले नही और पल्लू अपनी जगह पर रहे, इसलिए बहुत सारे पिन लगाए थे, तो साड़ी उतारना, अपने कल वाले कपड़े पहेंनना, दो मिनिट में पकड़ी जाती, तो भागने का प्लान कैंसल करना पड़ा, और ये क्या मां भागती हुई आई, और बिना कुछ बोले झट से मेरा गेट बंद किया, और लॉक लगा दिया खाना भी नही दिया।
पर कुछ देर में पापा के घर में घुसने की आवाज आई, तो मैं समझ गई के क्यां हुआ होगा, और अब मैं पागल बनी पापा के जाने, और मां के आने का वेट करने लगी, शाम को करीब 5 बजे गेट खुला, मां थी खाना लाई ,थी मैंने आज सोच लिया था, के मां को थैंक यू बोलूंगी, और अपनी हर गलती के लिए सॉरी बोल दूंगी, बस इस कैद से निकाल दो, पर सामने पड़ोस वाली आंटी और उनका लड़का चैपड कही का भी था, मैं गुस्से से लाल हो गई, अपनी हर परेशानी की जड़ मेरे सामने थे, मेरे कुछ कहने से पहले आंटी ने ही, मुझसे सॉरी बोल दिया, और उस चेपड ने भी अपने मां के बदले सॉरी बोला, मां भी सामने थी और मैं कोई ड्रामा नही चाहती थी, भूख आपको सब सिखा देती है, मैने हस्ते हुए कहा कोई बात नही, मेरी ही गलती थी, आप बड़े हो, आपसे ऐसे बात नही करनी चाहिए थी, और थोड़ा सा स्माइल भी कर दिया मैंने, पर अंदर तो आग लगी थी ,जिस दिन मौका मिला न, उस दिन इस चैपड के क्या हाल करूंगी, वो मुझे भी नही पता।
आंटी बोली मैं तुम्हारे पापा से बात करूंगी के, अब तुमने माफी मांग ली है मुझसे मेरे पैर छू कर, और फिर अपने पैर की और देखने लगी, और मां ने इशारा किया, उनके पैर छूने को तो मैं समझ गई, ये आंटी अब मुझे गुस्सा दिलाने की कोशिश कर रही है, और मेरी परेशानी बढ़ाना चाहती है, में हस्ते हुए उनके पैर छुए, और बोली हां बिल्कुल बच्चे तो गलती करते ही है, बड़ो के पैर छूने में कैसी शर्म है न । फिर आंटी बोली सही कहा मैं तुम्हारे पापा को जरूर बोल दूंगी, के तुम्हे ऐसे कैद में न रखे, पर हां कंट्रोल में जरूर रखे, क्यों के तुम भाग भी सकती हो, और हसने लगी, और फिर मुझे इस चैपड के साथ छोड़कर वहा से निकल गई । मैने उसे देखा और पूछा अब तुम्हे क्या हुआ, तो उसने मुझे एक चॉकलेट दी, और बोला मैं अंकल को समझाऊंगा और अपनी मां को भी तुम चिंता मत करो, पर क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी । मरता क्या न करता, मैने हस्ते हुए उसकी चॉकलेट ले ली, और उसके गालों को हाथ लगाकर बोली, हां बिल्कुल बनूंगी, अब आखिर मेरा कोई फ्रेंड बचा ही कौन है, तुम ही एक हो, जिससे उम्मीद रख सकती हूं । फिर मैने अपना हाथ बढ़ाया, और बोली फ्रेंड्स, उसने मुझसे हाथ मिलाया और बोला फ्रेंड्स। उसके जाने के बाद मां ने मेरा गेट लोक कर दिया, और मैंने सबसे पहले हाथ साबुन से दो बार धोए, चॉकलेट को टॉयलेट में फ्लेश किया। फिर मां जो खाना लाई थी, वो खाया और थोड़ा कल के लिए बचा लिया । फिर आराम से कल का वेट करने लगी क्यों के करने को कुछ था ही कहा।
अगले दिन गेट खुला कई दिन के बाद मां हस्ते हुए आई थी, और बोली आंटी के कहेंने पर, तेरे पापा मान गए, तेरा लॉक खोलने के लिए पर।बोले है के तुझे घर के सारे काम सीखने है, और करने है, सिर्फ साड़ी पहेनेगी, जींस टॉप तो भूल जा, सलवार कमीज भी नही पहनेगी, घर के बाहर जाना बंद, और ऊंची आवाज तो भूलकर भी नही, किसी से भी नही, और किसी से भी बहैश नही करनी है, जितना बोला जाए उतना काम चुपचाप करना है समझी। मैने बिना सोचे समझे झट से हां कर दी।मां बोली अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई है, क्यों के तेरे पर भरोसा करना बहुत मुश्किल है, अभी कही भाग गई तो , इसलिए वो मान नही रहे थे, तो पड़ोस वाली आंटी ने बोला के ऐसे कैसे भाग जायेगी, पर थोड़े दिन के लिए उसके हाथ पैर बांध कर रखो, जिस पर तेरे पापा मान गए है, तो तेरे पापा ने बोला है, अगर इस कमरे से बाहर निकलना है, तो तेरे दोनो पैरो में भैसो वाली सांकड़ होगी, और चाभी तेरे पापा के पास होगी, फिर मां ने वो चैन मेरे पैरो में बांध दी, और ताला लगा कर चाभी अपने पास रख ली,
पार्ट 13
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था, के ये सच में मेरे साथ हो रहा था, एक पढ़ी लिखी मॉडर्न लड़की के साथ, जो कल तक बाइक पर घूमती थी, हर दिन पार्टी करती थी, लड़की तो ठीक लड़के भी डरते थे मुझसे , ना चाहते हुए भी पर मेरे आंसू निकल गए, मां मेरे पैरो में लॉक लगा कर, कमरे से बाहर निकल गई,
, मेरे सामने गेट खुला हुआ था, पर मेरे पैर जैसे पत्थर हो गए थे, मैं एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई, और बिस्तर पर गिर पड़ी, और मेरे आंसू बहते ही जा रहे थे, पूरा दिन ऐसे ही कट गया रात आई और चली गई, अगला दिन भी आया और चला गया न मां आई न मैं गई, 3 दिन एक ही जगह मुर्दा की तरह पड़ी रही ,
फिर मां आई और बोली ऐसे पड़े मत रहे चल खड़ी हो, और घर के काम कर, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बिस्तर से खड़ा किया, और मेरे कमरे से बाहर निकाल दिया, और कमरे में लॉक लगा दिया फिर मुझे झाड़ू पकड़ाया और बोली चुपचाप सारे घर में झाड़ू लगा, और उसके बाद पोछा लगाना है । में जब चलती तो पैरो में बंधी सांकड़ घसीटती, और आवाज करती, मैने खुद को समझाया के चाहें जो हो जाए, मैं जिंदा रहूंगी फिर मैने झाड़ू लिया, और धीमे धीमे झाड़ू लगाना शुरू किया, 3 दिन से कुछ खाया नही था, तो चक्कर आ रहे थे, बहुत मुश्किल से मैने झाड़ू खत्म किया घर का, और जैसे ही बैठने को हुई मां बोली, अरे घर में बंद रहकर सुनाई देना बंद हो गया क्या, पोछा भी तो बोला था ना, मैने जैसे तैसे खुद को संभाला और पोछा मारने के लिए बाल्टी उठाई, मां बोली पहले ये साड़ी बदल ले, नई साड़ी खराब करनी है क्या, और मुझे पुरानी 200 rs वाली साड़ी दी, जो की कही कही से फटी हुई थी, मैने मां को देखा तो बोली, घूर क्या रही है वैसे भी तो फटी जींस ही तो पहेंती थी, साड़ी में नखरे दिखा रही है, और फिर मुझे साड़ी पहिना दी, और जगह-जगह पिन लगा दिए, और इस बार साड़ी का पल्लू मेरे सिर पर डाल दिया, और बोली पल्लू सिर से हटना नही चाहिए समझी, बहुत मुश्किल से पोछा भी लगा दिया, पर किस्मत देखो उसी समय पड़ोस वाली आंटी आ धमकी, और मुझे ऐसे इग्नोर किया, जैसे मैं कोई नौकरानी हूं, साथ में चैपड भी था, उसने भी मुझे इग्नोर कर दिया, वैसे मेरी हालत ही ऐसी थी, पसीने में भीगी हुई, सिर पर पल्लू ,फटी साड़ी में 15 दिन से आधा पेट खाना खाया था, हाथ पैर कांप रहे थे, चक्कर आ रहा था, मन ही मन भगवान को शुक्र किया, इन दोनो मां बेटो ने मुझे पहेचना नही, पर आंटी को मेरी खुशी हजम कहा होती, मां को बोली अरे बहेंजी, नौकरानी रख ली क्या, अगर अच्छा काम करे तो हमारे घर भी भेज देना, 100 rs ज्यादा दे दूंगी, साथ में एक टाइम का खाना भी, हम नौकरों में भेदभाव नहीं करते । तभी मां बोली नौकरानी नही है, घर की ही है, तो आंटी बोली हमसे तो मिलवा दो, कौन है कही आते जाते मिल गई, तो पहेचान तो लूंगी, दो बाते सुख दुख की कर लूंगी। फिर खुद मेरे पास आई और मेरे सिर से पल्लू हटाया, और हस्ते हुए बोली अरे माफ करना बेटी, मैं तुम्हे पहेचान नही पाई, वो तुम्हे कभी साड़ी में देखा नही न । उनके चहेरे पर मुझे इस हालत में लाने की जीत की खुशी साफ दिख रही थी, पर समय तो मेरा बुरा था ना क्या कर सकती हूं। हस्ते हुए आंटी गई, मैंने इग्नोर मारा, मैं कोई और रिस्क नहीं चाहती थी, वैसे भी अब बचा क्या था ,घर में नौकरानी वाले ही हाल हो रखे थे, आंटी ने बोल दिया बस, पर किसी के न बोलने से सच बदल थोड़े जाता है,
फाइनली खाने को कुछ मिला, पेट में जान आई पर थक गई थी ,पूरे घर में पोछा लगाते हुए, आराम चाहिए था पर जाति कहा, आराम करने, अब तो मेरे कमरे में लॉक था, तो टीवी के सामने लगे सोफे पर, जहां पर पूरा दिन काटती थी, हिम्मत नही हो रही थी बैठने की, मां कही इसी बात पर कोई ताना न मार दे, और मां ने शायद मेरी आंखों में पढ़ लिया, और बोली खड़ी क्या है, मेरे पास आ, और में जब उनके पास गई, मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे के साइड में नीचे बिठा दिया, और बोली अपनी हालत देख, सोफे पर बैठ कर सोफे को गंदा करेगी क्या, कितनी गंदी साड़ी कर रखी है, और तुझे बोला था ना पल्लू सिर पर होना चाहिए, मुझे अचानक याद आया के आंटी ने हटाया था, मैंने बोला ही था के आंटी ने, तभी मां बोली क्यों तेरे हाथ टूटे है, दुबारा पल्लू डाल नही सकती थी, अच्छा तो तुझे शर्म आ रही होगी ना पल्लू डालने में।
पार्ट 14
थक गई थी ,पूरे घर में पोछा लगाते हुए, आराम चाहिए था पर जाति कहा, आराम करने, अब तो मेरे कमरे में लॉक था, तो टीवी के सामने लगे सोफे पर, जहां पर पूरा दिन काटती थी, हिम्मत नही हो रही थी बैठने की, मां कही इसी बात पर कोई ताना न मार दे, और मां ने शायद मेरी आंखों में पढ़ लिया, और बोली खड़ी क्या है, मेरे पास आ, और में जब उनके पास गई, मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे के साइड में नीचे बिठा दिया, और बोली अपनी हालत देख, सोफे पर बैठ कर सोफे को गंदा करेगी क्या, कितनी गंदी साड़ी कर रखी है, और तुझे बोला था ना पल्लू सिर पर होना चाहिए, मुझे अचानक याद आया के आंटी ने हटाया था, मैंने बोला ही था के आंटी ने, तभी मां बोली क्यों तेरे हाथ टूटे है, दुबारा पल्लू डाल नही सकती थी, अच्छा तो तुझे शर्म आ रही होगी ना पल्लू डालने में।
मुझे अब अपने गुस्से से काबू खत्म हों रहा था, मां ने ये बात नोट कर ली, और पता नही, कब वो मेरे सामने से मेरे पीठ के पीछे आई, और मेरे दोनो हाथ मेरी पीठ के पीछे पास ही पड़े एक डुप्पट्टे से बांध दिए, और बोली रस्सी जल गई पर बल नही गया, गुस्सा अभी भी नाक पर ही है, पर में देखती हूं कब तक, और फिर पता नही क्या चैन सी लाई, मेरे गले में पहिना दिया, और मुझे जैसे मैं कोई जानवर होऊं, ऐसे मुझे मेरे कमरे में लेकर गई, और घर की छत पर लगे हैंगर से मेरे गले की सांकड़ को बांध दिया, अब मैं चाह कर भी, ज्यादा दूर नहीं जा सकती, और न बैठ सकती थी, बस खड़े रहे सकती थी, हाथ अब भी पीछे ही बांधे हुए थे, मां मुझे ऐसे ही बांध कर कमरे से बाहर चली गई, और थोड़ी देर बाद एक और चैन लेकर आई, और मेरे हाथो को, मेरी पीठ के पीछे से मेरे गले की साकड़ से जोड़ कर लॉक कर दिया, और फिर मेरा हाथ का दुप्पटा खोल दिया, मेरे कमरे का गेट खुला ही था पर मैं बंधी हुई थी ।
ये सब जैसे कम हो पता नही कहा से चैपड मेरे कमरे में आ गया और मुझसे हाय बोला, और पूछा अरे ये क्या हाल बना रखा है तुमने मैं तो तुम्हारे लिए चॉकलेट लाया था, पर तुम्हारा मूड शायद चॉकलेट खाने का नही लग रहा है, वैसे एक बात पूछूं तुम्हारे घर में सब पागल है क्या, पहले तुम पागल थी, तो अंकल आंटी ठीक थे, फिर अंकल पागल हुए तो, तुम और आंटी ठीक थे, अब अंकल ठीक हुए तो आंटी पागल हो गई,
चलो मैं मां को मनाता हूं कुछ करे, पर मेरी एक शर्त है तुम्हे ये चॉकलेट खानी पड़ेगी, मुझे पता है लास्ट टाइम वाली तुमने खाई नही थी, पर इस बार रिक्वेस्ट नही है, सौदा है हां या ना का। मैने हां कहा उस गधे के हाथ से चॉकलेट खाना पड़ा ,और क्या कर सकती थी, किसी चमत्कार के होने के अलावा, पर कोई चमत्कार नहीं हुआ , लगभग 3 घंटे हो गए थे, ऐसे जानवरो की तरह बांधे हुए अब हाथ पैर कंधे का दर्द ,और सह पाना बहुत मुश्किल हो रहा था, चक्कर आ रहे थे, और बहुत रोकने की कोशिश की, पर उस चैपड के हाथ से चॉकलेट खाई थी, आत्मा पर बोझ था, और वोही हुआ जो नही होना था, बोमिट, पहले एक बार।फिर 2 बार और फिर बार बार, मेरा पूरा कमरा कपड़े पैर सब मेरी बॉमिट से गंदा हो गया था, बहुत कोशिश की पैर बचाने की पर कहा जाति, बंधी हुई थी जानवर की तरह संकड़ों से । मैने मां को आवाज लगाई पानी मांगने के लिए ,पर कोई रिस्पॉन्स नही, मैं अब बहुत डर गई थी, उल्टी के बाद कितनी कमजोरी होती है, ये तो पता है ना, मैं बहुत ज्यादा पैनिक हो गई थी, और पागलों की तरह चीख रही थी, और पता नही कब बेहोश हो गई, क्यों के मेरे गले में चैन से लॉक था, और जब मैं बचने की कोशिश कर रही थी, मेरा पैर फिसल गया था, और मेरे गले का लॉक टाइट हो गया था, हाथ बंधे थे तो ढीला भी नही कर पाई, और मुझे सांस लेने में दिक्कत हों रही थी, और मेरे आंखो के सामने अंधेरा हो गया ।
पार्ट 15
जब मुझे होश आया मेरे बॉटल चढ़ रही थी, सामने डॉक्टर था, और सबसे बड़ी बात में जिंदा थी, पर कब तक वो पता नही, मैने लंबी सांस ली, और खुद से प्रोमिस किया, मुझे जिंदा रहना है हर हाल में। ये जो मेरे साथ हुआ बहुत बुरा था, जिससे पापा और मां दोनो डर गए थे, अब मुझे टाइम से खाना मिल रहा था, कोई लॉक नही, आराम से फ्रूट्स मिल रहे थे खाने को, मुझे लगा सब ठीक हो गया, कुछ दिन तक बुखार रहा, फिर बुखार आना बंद हो गया, दबा बंद हो गई, फिर फ्रूट्स बंद हो गए, और आज मैं कई दिन के बाद फ्रेश फील कर रही थी ,और आराम से टीवी देख रही थी, तभी मेरी मनहूश आंटी आ गई, ऑर्डर देते हुए बोली जरा पानी लेकर आना, मैं किचन से पानी ले कर आई, तो देखा आंटी और मां टीवी के सामने बैठे कुछ घुचुर पुछुर कर रहे थे, और मुझे दिखते ही चुप हो गए, में पानी देकर अपने कमरे में जाने लगी, तो मां बोली कहा जा रही हो, थोड़ी देर हमारे साथ भी बैठो, फिर मैने देखा सोफे पर तो जगह ही नहीं है, मां समझ गई और बोली क्या हुआ, निचे नही बैठ सकती, क्या ससुराल में सास ससुर के सामने भी सोफे पर बैठ जाएगी, क्या जरा सी अकल नही है, चुप चाप बैठ जा यहां, और मैं नजर झुका कर बैठ गई, आंटी ने भी मेरा मन रखने को बोला ,कोई बात नही बेटा मेरे पास बैठ जा, और थोड़ा सा शरक भी गई, पर मुझे पता था अगर मैं बैठ गई तो, मां इसी का मुद्दा बना देगी, तो मैं बोली कोई बात नही अपना ही घर है, में नीचे ही ठीक हूं, और मैं पैर मोड़ कर नीचे बैठ गई, और टीवी देखने लगी, मां और आंटी अपनी बातो में लगी रही । फिर आंटी बोली, तुम्हारे बाल तो अब काफी लंबे हो गए है, इनका तुम ख्याल नही रखती शायद, बहुत ड्राय हो रहे है तेल नही डालती क्या लाओ मैं सिर में तेल डाल देती हूं तुम्हारे, और मुझे न चाहते हुए भी तेल की बॉटल लानी पड़ी, आंटी ने मेरे मस्त लेयर कट हेयर में, ढेर सारा तेल डाल फिर चंपी की, झूठ नही कहूंगी, चंपी बहुत अच्छी थी, इतने दिन का सिर में घुसा टेंशन, जैसे खत्म हो रहा था, और नसे खुल रही हों, ऐसा लग रहा था, मुझे तो पता ही नही चला, मैं कब सो गई जब उठी तो देखा मेरे बाल दो चोटी में, अच्छे से दो चोटी में ब्रेड करके फोल्ड करके बांधे हुए थे, और खुल ना जाए इसलिए रेड रिब्बन भी लगे हुए थे, थोड़ा अजीब तो लगा, पर फिर कुछ सोच कर मैंने बाल खोले नही, और पूरा दिन उसी तरह रही । अगले दिन शैंपू किया और बाल धोए तो बाल शाइनिंग थे, और अच्छे लग रहे थे, मां बोली अच्छे लग रहे है बाल तेरे । फिर बोली अब क्या रोज जींस ही पहेनेगी महारानी, और मुझे एक सलवार कमीज दी ,और बोली जा आंटी के पास जाकर उनसे बाल बनवा ले, फिर मैंने सलवार कमीज़ पहेनी, और आंटी के पास जाकर बाल बनाने की रिक्वेस्ट की, आंटी ने फिर आज मेरी वोही दो चोटी रिबन से बना दी, मन तो किया बोल दूं, कुछ आता नही क्या, मेरी पढ़ाई नही बंद कराई होती, तो कॉलेज जा रही होती ये छोटी स्कूल गर्ल बना कर रख दिया है, पागल कही की बेवकूफ कही की, पर मुंह से निकला थैंक्यू ।
और वो सुना होगा इंसान को अपने काम से काम रखना चाहिए, जिस चीज से लेना देना ना हो उसके बारे में बात नही करनी चाहिए, पर में अकल की अंधी कहा समझ पाती हूं, ये सब मैने आंटी से भूल से पूछ लिया, अरे आंटी इतने सारे मेहंदी के कोन क्यों , तो आंटी बोली अरे कुछ नही, कल वो एक रिश्तेदार की लड़की की मेहंदी थी, तो उसी ने दे दिए थे, मेरे हाथ में तो मेहंदी लगी हुई है, तो सोच हो रही थी क्या करूंगी इनका, चल अच्छा हुआ तूने पूछ लिया, ला तेरा हाथ ला, तेरे हाथ में लगा देती हूं, और मेरे हजार बार मना करने पर भी वो कहा मानेगी, मां को आवाज देकर बुला लिया, अब मां ने भी बोल दिया लगवा ले, आंटी इतने प्यार से बोल रही है तो, मैं भी आती हूं थोड़ी देर में पोछा लगा कर । शुक्र है मुझे पोछा लगाने को बोलकर, खुद मेहंदी लगवाने नही बैठ गई। में भी झट से मेहंदी लगवाने के लिए बैठ गई, सोचा था थोड़ा थोड़ा गोला लगवा लूंगी और सूखने के पहले हाथ धो लूंगी, पर आंटी तो अपनी महेंदी लगाने की सारी कला दिखा कर, मुझे इंप्रेस करके ही मानेगी, और लगभग दो घंटे में मेरे दोनो हाथ पर मेहंदी पूरी हुई, एक दोनो हाथ में एक एक तरफ की तो सुख भी गई थी, क्यों के आंटी ने पहले लेफ्ट हैंड में, फ्रंट साइड लगाई, फिर राइट हैंड के फ्रंट, पर लगाई तब तक लेफ्ट की सुख गई, और जब राइट की फ्रंट सुखी, तब तक लेफ्ट के बैक पर लगा दी, अब राइट की बैक लगाई, तब तक लेफ्ट की बैक भी सुख गई, और मुझे लगा था आंटी अब रुक जायेंगी, पर बोली जब तेरी मां आती है, ला तेरे पैरो में भी लगा देती हूं, और अगले दो घंटे में, मेरे दोनो पैरो में घुटने तक मेहंदी लग गई थी, हाथो में कंधे तक लगा चुकी थी, दोनो तरफ , वो तो पैरो के तलवे भी लगाने की बात कर रही थी, जब मैंने बार बार मना किया तो बोली तेरे होठ कितने फटे है, और मेरे होठों पर भी महेंदी लगा दी अब मैं कुछ बोल भी नही पा रही थी, सुकर है मां आ गई, वरना ये पागल औरत, तो मेरे साथ पता नही क्या करती, मां आ गई तो मैंने जाने का इशारा किया, तो मां बोली थोड़ी देर मेरे साथ भी बैठ ले, तब से इंतजार कर रही थी, के तु आए तो मैं फ्री हो कर बैठू यहा, पर यहां तो दुल्हन बनी बैठी हो, हाथ पैर में लगाए, और ये होठ पे क्यों लगवा ली, अब बैठी रहे मुंह बंद कर के। फिर मां और आंटी बात करते रहे, मां ने एक ही हाथ में थोड़ी सी मेहंदी लगवाई, और मुझे ताना मार दिया, क्या करूं बहनजी मुझे तो घर के काम भी करने है, में भी इसकी तरह लगवा लूंगी, तो काम कैसे होंगे, और मुझे आंटी के घर छोड़कर वापस चली गई, क्यों के पैर की और होंठ को अब तक सुखी नही थी।
किस्मत खराब चैपड भी आ गया, मुझे उसके घर देख कर खुश हो गया, आंटी उसके लिए पानी लेने गई, तो मेरे सामने बैठ गया और बोला, तुम हमेशा अजीबो गरीब हालत में ही मुझे क्यों मिलती हो, कभी कमरे में कैद , कभी चैन से बंधी हुई कैद, और अब मेंहदी में कैद, फिर कुछ सोच कर बोला, एक बात कहूं मेरा बड़ा मन था, एक दिन किसी लड़की के साथ ऐसा करने का, पर आज वो मौका आया है, और मेरे दोनो गालों को नकोटते हुए बोला, बूगी वूगी बूब शू मैने आंखो से गुस्से का इशारा भी किया, पर वो तो जो करना था करके भाग गया हस्ते हुए, और मैं पागल बनी बैठी रही जब आंटी आई तो।मेरी मेंहदी थोड़ी सूख गई तो मैं उनसे पूछ कर घर आ गई और अपने कमरे में लेट गई ।
पार्ट 16
जब सो कर उठी फिर होंठ, हाथ पैर से महेंदी छुटाई, सलवार कमीज गंदे हो गए थे, तो मां को दूसरी ड्रेस देने को बोला । पर इस बार मां सलवार की जगह साड़ी ले आई । मैने ना चाहते हुए भी साड़ी पहन ली, पर मां ने फिर से पल्लू सिर पर डाल दिया और बोली सर से गिराना नही है समझी । फिर मेरे दोनो हाथो में चूड़ियां पहनाने लगी और पैरो में पायल भी । मैने पूछना तो चाहा, के क्या आज ही बिदा कर दोगी क्या, पर कुछ बोली नहीं , अब मैं मां के साथ टीवी देख रही थी, तो मां बोली जा मेरे लिए और अपने लिए, चाय ले आ बना कर। में चाय बना रही थी तभी कुछ जानी पहेचानी, आवाज सुनाई दी मेरी स्कूल फ्रेंड्स थी, मैं खुशी से मिलने आई सबसे गले लगी.
पर सब मुझे बहुत अजीब ढंग से देख रही थी, जैसे कोई भूत देख लिया हो । मैने पूछा अरे क्या हुआ, ऐसे क्यों देख रहे हो सब मुझे। तो सब,बोली तू तो पूरीं तरह बदल गई, हमने सोचा था, तु फटे जींस और शर्ट में, शॉर्ट हाइलाइट हेयर में होगी, पर तु तो हाथ पैर में मेहंदी लगाए, हाथ भर के चूड़ियां पहेने, साड़ी में है, वो भी सिर पर नई बहू की तरह पल्लू लिए, और तू इतनी स्लिम कैसे हो गई, वजन कैसे घटाया तूने अपना, तु कब से साउथ दिल्ली गर्ल बन गई, तू तो खाती पीती हेल्थी सी थी ,यार तुझे हो क्या गया है, में इतनी देर से बोल रही हूं, और तू चुप चाप खड़ी है, इतनी शांत कैसे हो गई, तू पक्का मेरी फ्रेंड नही है ना, या उसकी कोई डुप्लीकेट है, सोचा था घर जाऊंगी तूने जो मेरे बर्थडे पर धोखा दिया, आने का बोल कर नही आई ,सारा प्लान खराब कर दिया, इस पर लडूंगी, पर तुझे देख कर तो लग रहा है, कही मैं तुझे कुछ बोलूंगी तो तू तो रोने लगेगी , और मेरी सारी फ्रेंड्स मुझ पर जोर जोर से हसने लगी। साली आज ही आना था क्या इनको, परसो आ जाती जब मस्त बीमारी के नाम पर लेटी थी, आज ही मां और आंटी ने पागलों वाला गेट अप दिया है, और ये टपक पड़ी कुछ समझ नहीं आ रहा, कैसे रिएक्ट करूं, अगर कही ज्यादा बोलने लगी, और मां फिर पागल हो गई, तो भूखे जानवरो की तरह बांध कर डाल देगी, और इनसे अगर ऐसे बिहेव किया तो ये साली पता नही, मेरे बारे में क्या फैला देगी सब जगह। में बोली अरे ऐसा कुछ नही है, तूने बहुत दिन बाद देखा ना मुझे, इसलिए ऐसा लग रहा है, तुम लोग बैठो मैं पानी लाती हूं, मैं सब के लिए पानी ले कर आई, ग्लास में प्लेट में रख कर, पायल की छम छम और चूड़ियों की छन छन की आवाज के बीच,सबको ग्लास दिया और सबसे ग्लास कलेक्ट करके बोलीं, रुको चाय रख देती हू बनने, और फिर किचन में चली गई, थोड़ी देर बाद चाय और नमकीन ले कर आई, सबने चाय पी, नमकीन खाई सब सरप्राइज्ड थे के, में इतनी अच्छी चाय बना कर लाई हूं, सबने मेरी मां से पूछा आंटी सच बताना किचन में कोई और भी है ना, जो इसकी मदद कर रहा है, चाय बनाने में प्लेट लगाने में । मां बोली खुद देख लो जा कर। और सब धीमे से किचन में आए, और मुझे अकेले देख कर बोले ,यार ये क्या हो गया है तुझे, किसी ने टोटका कर दिया है क्या, कुछ तो बोल हुआ क्या है, तू इतनी कैसे बदल गई तू, तुझे देख कर तो लगता था, के तेरे से शादी कौन करेगा, और अब लग रहा है तेरे से शादी कौन नही करेगा। मैं खुद को कंट्रोल किया, और बोली तुम लोग बाहर बैठो मैं आती हूं सब बताती हूं, फिर जब सबकी चाय हो गई, कप किचन में धो कर रखने के बाद, मैं उन्हे अपने साथ अपने कमरे में ले गई मां से पूछ कर । जब सब कमरे में आ गई मैंने दरवाजा बंद किया और फिर पूरे जोश से सबके गले लगी, और बोली, अब बता साली क्या बोल रही थी, निचे बहुत कूद रही थी । इतने दिन बाद टाइम मिला, मुझसे मिलने आने का देखने का के जिंदा हूं या मर गई हूं। फिर सबने मुझे घेर लिया और सिगरेट जलाने के लिए लाइटर मांगा, मैं बोली पागल हो क्या घर में खिड़की दिख रही है तुम्हे, पूरे घर में बदबू हो जायेगी, छत पर चलेंगे तब पी लेना तो।सब बोली पी लेना मतलब।तू नही पिएगी क्या , में बोली मैं भी पीऊंगी, फिर सब मेरे मेंहदी साड़ी चूड़ी पायल के बारे में पूछने लगे, और बोले कोई देखने आने वाला है क्या, और हम गलत टाइम पर आ गए क्या? तो में बोली नही ऐसा कुछ नही है , तो सब बोली मतलब, अब तू घर में ऐसे ही रहती है क्या, मैं बोली अरे नही, वो तो कॉइंसिडेंट से आज थोड़ा मां के कहेने पर, जस्ट फॉर चेंज पहन लिया, और जैसे ही मेरी फ्रेंड मेरा पल्लू सिर से हटाने गई, मैंने रोक दिया, पर वो कहा मानने वाली थी ,और मेरे मना करने पर भी, उसने पल्लू हटा दिया, मेरे बाल दो चोटी में बंधे हुए थे, और सब हसने लगे, अरे तेरे तो बाल इतने लंबे हो गए है ,के चोटी बन सके ,सही है पर साड़ी से मैच नही कर रहे । अब मेरी बारी थी, मैं बोली वोही तो कहे रही थी, के साड़ी का कोई प्लान नही था, वो तो बस ऐसे ही मां की जिद पर पहन ली थी, फिर सब इधर उधर सबके कॉलेज की कहानी चलती रही, पर सब बार बार मेरे बारे में जानने को कोशिश करती, और मैं गोल गोल घुमा देती, मुझे पता था के मां के कान यही लगे हुए है, और मेरा कुछ भी बोलना रिस्की है । फिर मैंने बात बदलने के लिए सबको बोला, चलो छत पर चलते है, और छत पर जाते समय, सीढ़ियों का गेट बंद कर दिया, अब मैं लंबी सांस ली, और जब सारी सिगरेट पी रही थी, मैं बार बार मना कर रही थी ,तो सबने मिलकर प्लान बनाया, और दो, ने मेरे हाथ पकड़े, और दो ने मेरा मुंह, और जबरदस्ती मेरे मुंह में सिगरेट लगा दी, और अब तो एक कश लो या डब्बा खत्म कर दूं, बदबू उतनी ही आनी है, अब चाहे जो।हो मैने खुद से कहा भाड़ में जाए दुनिया, अब पीने दो मैने एक साथ बैक टू बैक 4 सिगरेट पी ली, मजा आ गया था सच में, और फिर मेरी फ्रेंड ने एक स्प्रे निकला और मेरे मुंह में डाला, और खुद के मुंह में भी, मैजिक कोई बदबू नहीं थी, पर डर तो था, मैने उनके जाते समय एक डब्बी अपने पास रख ली, और स्प्रे भी, इससे जिंदगी तो नही कटेगी, पर जो कुछ दिन चल जाए।चाहे रोज एक एक कस भी लेकर जीना पड़े।
मैने सिगरेट कमरे में छुपा दी और कमरे में पल्लू ठीक किया, मां के पास जाकर बैठ गई। मां बोली हो गई सिगरेट मिल गई खुशी । पापा को आने दे शाम को बताती हूं तेरी करतूत । मैने बहुत रिक्वेस्ट से मना किया नही पी है। पर मां नही मानी और बोली अच्छा तो मैं झूठ बोल रही हूं है ना । और तू सच बोल रही है, तो एक काम करते है, तेरे कमरे की तलाशी ले लेते है, सच सामने आ जाएगा । में बोली मां मैं थोड़ा गुस्से और डर में बोली, के मेरा यकीन करो मैं सच बोल रही हूं पर मां कहा मानती । बार बार पूछ कर मेरा दिमाग खराब कर रही थी, और कब तक कंट्रोल करती, मैं गुस्से में फट गई, और चिल्ला कर बोली क्या चाहती हो, मां क्या करूं मैं, क्यों कर रही हो ये सब, मेरे फ्रेंड्स थे जो मुझसे डरते थे, आज मुझ पर हस रहे थे, मेरा मजाक उड़ा रहे थे, में क्यों ऐसे हो गई हूं, क्या हो गया है मुझे , मैने सब किया जो तुम्हे पसंद है के तुम खुश हो, पर तुम खुश ही नही हो , बोलते बोलते मेरे आंसू से आ गए , मेरे चीखने की आवाज से मनहूश आंटी भी आ गई, और बोली अरे क्या हुआ इतना शोर क्यों मचा रखा है, ये हर बार गलत टाइम ही क्यों आती है, मुझे लगा था मां को मेरी बात समझ आ रही है।पर अब इसने पूछ कर फिर मामला बिगाड़ दिया, अब बात सही गलत बड़े छोटे की हो गई, तो मां ने खुद को बड़ा करने के लिए बस इतना बोली के, इसने अपनी फ्रेंड्स के साथ सिगरेट पी है, और इसके कमरे में सिगरेट भी छुपाई है। मैं बस चाहती हूं के ये सच बोल दे, के इसने सिगरेट पी, और छुपाई है , में भी इस कमिनी आंटी के सामने गलत नही होना चाहती थी, तो बोली मैं कोई सिगरेट नहीं पी है, तो आंटी बोली तो कमरे की तलाशी ले लो, मैं डर गई, क्यों के तलाशी हुई, तो तो मेरा पकड़ा जाना तय है, में बोली नही, आप लोग मुझ पर ऐसे इल्जाम नही लगा सकते हो, में चुप हूं, तो कोई भी कुछ भी बोल रहा है, बात मेरे सम्मान की है, बताओ अगर तलाशी में कुछ नही निकला, तो आपका तो कुछ नही जायेगा, पर मेरी इज्जत और विश्वास का क्या, जो आप मेरा तोड़ोगे, तो मां बोली, ठीक है कोई बात नही, अगर बात ऐसी है तो एक काम करते है ,अगर सिगरेट मिल गई तो मैं तुझे फिर से सांकड़ से बांधूंगी, तेरे हाथ पैर और आंखे भी, क्यों के तु जैसे घूर कर देखती है, लगता है खा जायेगी, पर अगर कुछ नही मिला, तो मैं तुझे फिर से कॉलेज जाने दूंगी । पर में कहा कम थी मैने भी नहेले पर दहला मारा , नही जाना मुझे कॉलेज । अगर सिगरेट नही मिली तो आंटी को तुम ऐसे बांध कर एक महीने रखोगी, जैसे मुझे बांधने की बात कर रही हो, और जैसे आपको मेरी आंखे पसंद नही, वैसे ही मुझे इनकी आंखे नही पसंद। मेरी बात सुनकर आंटी डर गई, और मेरी मां से ही बोली रहने दो बहन, लेकिन अगर कभी अपनी आंखों से देखना तो जो चाहे करना बिना देखे इल्जाम लगाना गलत है, बच्चो के आत्मसम्मान की बात है। और फाइनली ये बला टली, ऐसा मुझे लगा पर कुछ देर के लिए ही सही, मैने चैन की सांस ली और भगवान का शुक्रिया किया ।
Part 17
पर अब मुझे जल्द से जल्द सिगरेट और स्प्रे से छुटकारा पाना था । आंटी हम दोनो में सुलह करा कर अपना पीछा छुड़ाकर गई। मां गुस्से में बोलीं, ये मत सोचना के तु बच गई है, मैने मां से कहा शक का कोई इलाज नहीं है मेरे पास, और अगर आपको मुझे जानवर की तरह बांध कर ही रखना है, तो एक काम करो जाओ सांकड़ ले आओ, और मेरे पैर हाथ बांध दो, में कुछ नही कहूंगी, और अगर तुम आंखे भी बांधना चाहती हो तो, बांध लो आंखे, ले आओ जाकर कपड़ा, अब वैसे भी कुछ बचा नही है मेरे पास । जानवर बना दिया है, मुझे न हस सकती हूं, ना रो सकती हूं, ना पढ़ाई कर सकती हूं, ना बोल सकती हूं । ना अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकती हूं । सब कुछ तो ले लिया है मेरा, बस जान बची है, जो की ऑलमोस्ट ले ही थी उस दिन और में रोने लगी, एक तो ये साला औरतों वाली आदत कहा से लगी है, समझ नही आता । हर बात में आंसू आ जा रहे है। में ऐसी छुईमुई लड़कियों का हमेशा मजाक उड़ाती थी, उन पर हस्ती थी, और आज मैं खुद वोही बन गई हुं, हर समय डर लग रहा है । कही कुछ बोल दिया, मां को बुरा न लग जाए , अपनी मर्जी के कपड़े न पहनें, मां को बुरा न लग जाए, कही बाहर भी नही जा सकती, हर चीज पूछ पूछ कर करो, क्या करूं मैं, कुछ समझ नही आ रहा था।
मुझे तो चक्कर आने लगे सोच सोच कर, मैं तो वही बैठ गई, और जोर से जोर से रोने लगी, जी भर कर जितना रो सकती ,सब कुछ आज आंसुओ में बहे गया, पर मां ने कुछ नही किया, बस खड़े खड़े मुझे रोते हुए देखती रही, में रोती रही वो खड़ी रही, एक शब्द नही बोली, हर आंसू के साथ मेरा गुस्सा मेरे अंदर की नफरत सारे भाव बहे रहे थे, और मैं एक भावनाविहीन खाली रिक्त स्थान, जिसके अंदर कुछ नही है, ना कुछ सपने ना उम्मीद न कुछ न पाना, और न कुछ खोना, बस आज मैं कुछ नही थी। जब मेरे आंसू बंद हुई में शांत हुई । मां मेरे लिए पानी लाई, और बोली अपने कमरे में जा वहा जाकर रो यहां नही। मुझे और भी काम है, में अपने कमरे में आई, मेरा मन कर रहा था मुझे और नही जीना है बस मार जाना है, में गुस्से में कमरे में गई और अपने आसपास चीजे ढूंढने लगी, पर थोड़ी देर में मां आई हाथ में सांकड़ थी, बोली मुझे पता है, तू क्या करने की सोच रही है, इसलिए ये करना जरूरी है, और तुझे लग रहा होगा में बहुत खराब हूं, पर मुझे तुझसे कोई सर्टिफिकेट नही चाहिए, के में कैसी हूं तो चुपचाप लेटी रहे, मां ने मेरे पैर के कोनो से चैन से बांध कर लॉक लगा दिया, हाथ भी बेड पोस्ट से बांध कर लॉक लगा दिया, और जाने लगी तो मैं बोली आंखे क्यों छोड़ दी, वो भी बांध दो, तुम्हे तो मेरी आंखों से वैसे भी प्रॉब्लम है, मां कुछ नही बोली बस मैने जहा पर सिगरेट और स्प्रे छुपाया था ,वहा से पैकेट निकाला, और अपने साथ लेकर चली गई । जाते समय गेट बंद किया, बाहर भी शायद लॉक लगा दिया । जाते हुए न पंखा चालू किया ना लाइट चालू की । दरवाजा बंद होते ही अंधेरा, अपने आप हो गया, और फिर मैं अकेली कमरे में थी, बिना लाइट पंखा, और तुरंत खुलने की कोई उम्मीद भी नही थी, क्या सोच कर सुबह उठी थी, लोग महेंदी लगवाने के बाद सोचते है के, सब शुभ होगा दोस्त भी इतने दिन बाद आए, थोड़ी देर की खुशी, और ऐसा गंदा दिन का अंत । अब नींद भी नही आयेगी चिल्लाना तो चाहती हूं, पर फिर से मेरा घमंड मुझे ऐसा करने नही दें रहा, क्या करूं ना तो लड़की की तरह छुईमुई बन पा रही हूं, ना सख्त लौंडे की तरह तूफान मचा पा रही हूं । क्या कन्फ्यूजन है यार ।
Part 18
लगभग दो घंटे बाद फाइनली गेट खुला, मां आई पानी पिलाया, लाइट चालू की, पंखा चालू किया, बुखार चेक किया, और बोली चाय पीनी है। मैने हां में इशारा किया। और बोली अब दिमाग शांत हुआ, या में जाऊं, मैं बोली खोल दो, साड़ी में बहुत गर्मी लग रही है, पूरा शरीर पसीने से भीग गया है, अगर खोलना नही है, तो कम से कम पंखा चालू रहेनें दो, तुम्हारी ही लड़की हूं कचरे से उठा कर नही लाई हो, थोड़ा तो इंसान की तरह मेरे साथ बिहेव करो। मां थोड़ी हसीं और बोली सिगरेट पीनी है । अब मुझे समझ नहीं आ रहा था के, हां बोलूं या ना। पता नही ये मीठी मीठी बात कर रही है , अभी मूड बदल गया तो, फिर कही ये चली गईं, तो एक एक सेकंड काटना, मुश्किल पड़ जायेगा। मैं बोली मैं सिगरेट नही पीना चाहती थी, सबने मेरे हाथ पकड़ लिए, और मुंह से लगा दी फिर ,जब एक कश मार लिया, तो मैने फिर बैक 2 बैक दो पी ली माफ कर दो, इतना बड़ा तो पाप नही है जितना रूला चुकी हो ।
वादा करती हूं, कोई पागल पंथी नही करूंगी, और मैं इतने आसानी से पीछा छोड़ने वाली नही हूं, मां हसीं और बोली पता है मुझे , और जैसे ही मुझे खोलने को हुई मनहूश आंटी आ धमकी, पता नही कहा से, और मां बोली तू एक मिनिट रुक जा, में आ कर खोलती हूं, और फटाफट कमरे से बाहर निकल गई, साथ में बाहर का गेट बंद किया, पर शूकर है पंखा और लाइट ऑन थे, और एक उम्मीद थी, के वो वापस आयेंगी, पर आपको पता है ,समय तब काटना ज्यादा मुश्किल हो जाता है, जब आपको कुछ होने की उम्मीद होती है, में बेशब्री से इंतजार कर रही थी, और ध्यान से सुनने की कोशिश कर रही थी, के आखिर है कौन और कब जायेंगी , आवाज से कुछ चार या पांच औरतों की आवाज थी, वो कुछ तो बोल रही थी, पर समझ कुछ नहीं आ रहा था,
घड़ी सामने घूम रही थी, अब बस यही थी मेरी दोस्त, जिसे देख देख कर ही टाइम काटना था, ये घड़ी भाई क्या चीज है, जैसे एक मां की तीन बेटियां हों, जो है तो साथ ही एक ही दिशा में चलती है, पर साथ नही चलती, पर जो सबसे तेज चलती है, जिसे लगता है के वो बहुत स्मार्ट है, और अकेले ही ,दुनिया जीत लेगी, पर उसे नही पता के वो जितना भाग रही है, उसे उतना ही ज्यादा भागना पड़ेगा, दिन तो अपने समय पर ही, बदलेगा और हर आने वाला दिन, कल से अलग होगा, खूबसूरत होगा, पर क्या अलग होगा, वो समय आने पर ही पता चलेगा, पर हर हाल में चलते रहना बहुत जरूरी है, रुकना नही हैं, कभी भी नही हार नही माननी है, जब बहुत दिन तक आप अंधेरे में रहते हैं तो आप की आंख एक खास कला को सीखती है अंधेरे में जीने की कला ।
अब मुझे सिस्टम से लड़ना नहीं है, बल्कि सिस्टम को समझने की जरूरत है। और वो ऐसे बार-बार बिस्तर पर ऐसे बांधे हुए जिंदगी काटने से नहीं होने वाला है। अब मैंने बाहर क्या हो रहा है और अभी क्या हो रहा है सोचने के बजाय, ये सब शुरू कहाँ से हुआ, ये सोचना जरूरी था। और एक-एक करके स्टेप-बाय-स्टेप प्लान बनाकर ही सॉल्व होगा। और उसके लिए खुद को और ज्यादा बेवकूफ दिखना जरूरी नहीं है। क्या क्या रिसोर्स है, सब सोचना पड़ेगा। और ये देखो, जैसे ही दिमाग थोड़ा सही जगह पहुंचने वाला था, मां आ गई। आंटी के साथ, यार, क्या करूं इस मनहूश का?
हमेशा नागिन मेरी लाइफ में फन फैलाकर जहर फैलाती रहती थी। मां बोली, आंटी तुझे देखना चाहती थीं, तो ले आई। और बोली, तुम दोनो बात करो, मैं बाकी सबको विदा करके आती हूं। मैने हंसते हुए उनसे कहा, हां, बिलकुल, क्यों नहीं। अब आंटी से कुछ छिपा थोड़ा है, अब तो मुझे रोज एक नए कांड में फसा देखने की आदत हो गई होगी। और मैने हंसते हुए बोला, तो आंटी भी हंसने लगी। बोली, हां, आदत तो हो गई हैं, रोज ये ही सोचने में कट रहा है के आज क्या करोगी, पर तुम कभी निराश भी नहीं करती, शाम होते होते कुछ न कुछ करके अपनी परेशानी बढ़ा ही लेती हो। फिर मैं बोली, अरे, आप खड़ी क्यों हो, बैठो न, मेरी हालत तो ऐसी है के चाहूं तो भी खिसक नहीं सकती और न अपनी जगह आपको दे सकती हूं। आप वो टेबल ले लो, पुरानी किताबें हैं कबाड़ी में डाल दो। अब तो कहा, किस्मत में पढ़ना-लिखना होगा।
पार्ट 19
वैसे, आपके साथ कौन था निचे काफी देर हो गई मां को? आंटी बोली, कोई नहीं, वो मेरी रिस्तेदार थीं, वोही जिसके यहाँ से ये मेहंदी के कोन आए थे, जो तू लगाए हुए है। वैसे अच्छी रची है मेहंदी, तेरे हाथों और पैरों में। होंठ बढ़िया पिंक लग रहे है ।
मैं बोली, हां, कहते तो आप सही रहे हो। मेरी सहेलियाँ आई थीं, सब कुछ भी रही थी के किस्से लगवाई महेंदी। बहुत अच्छी लगी है। मैने बताया आपके बारे में, बोल रही थी कि अपनी शादी में आपसे ही लगवाएगी। फिर आंटी बोली, क्या बात है, कुछ दबा वगैरह खाई है क्या? मैं बोली, क्या मतलब, नहीं तू मुझसे कभी कुछ बोलती नहीं है ना, हमेशा चिढ़ी हुई रहती है। आज ऐसे हंस-हंस कर बात कर रही है तो डाउट हो रहा है कुछ तो गड़बड़ है इसलिए पूछा। मैं बोली, क्या आंटी, तो आपको तो पता ही है मुझे पढ़ाई कितनी पसंद है। इसलिए तो कभी बाल नहीं बढ़ाए, के दिमाग में पढ़ाई में रहे, मेकअप से दूर रही, ज्वेलरी नहीं पहनी।
स्कूल तो क्या, जिला में टॉप किया, जिद करके बाइक ली, कभी किसी से फालतू बात नहीं की, क्योंकि कुछ बनना था, नौकरी करनी थी। और मुझे ये बोलकर कॉलेज एडमिशन रोक दिया कि मेरा पढ़ाई में ध्यान नहीं था, इसलिए मेरे नंबर कम आए, किसी ने पूछा तक नहीं कि क्यों काम आए हैं एग्जाम वाले दिन एक जाते हुए मैने देखा कि एक बच्चा का एक्सीडेंट हो गया है, खून बहे रहा है, उसे हॉस्पिटल ले गई। उस वजह से लेट हो गई थी, कम टाइम मिला। इसलिए पेपर पूरा नहीं हो पाया। और कम मार्क्स की बात कर रहे हैं, सब पूरे स्कूल में फोर्थ रैंक हैं, अगर एक घंटा मिल गया होता, स्टेट टॉपर होती। हमारे इलाके में किसी के मेरे जितने नंबर हो तो बता दो, मैं आज किसी बच्चे को पढ़ा दूं, गारंटी देती हूं फेल नहीं होगा। और मुझसे लोगो ने ज्यादा एक्सपेक्टेशन की। इसमें मेरी क्या गलती है? 92% पर मेरे साथ घर बाहर, रिश्तेदार, दोस्त, सबने कोई कमी नहीं की। ताने मारने में, क्या क्या नहीं कहा गया मेरे बारे में? मैंने कभी रिएक्ट नहीं किया। इसलिए मैं घमंडी दिखती हूं।
ग्रुप डिस्कशन में गोल्ड जीता है इसलिए बात और बहस करनी आती है। किसी को फिजूल न बोलने देने की आदत है। मुझे किसी की बात का बूरा नहीं लगा, पर मां-बाप ने मुझे ताने दिए, तो टूट गई थी। अकेली पड़ गई थी, सबके पास मोबाइल है, पर मैंने कभी नहीं लिया मोबाइल क्योंकि मुझे जरूरत ही नहीं है। सिर्फ बाइक खरीदी थी, वो भी स्कॉलरशिप और ट्यूशन पढ़ा कर। अपना पेट्रोल डालती थी, वो भी जब बेच दी। ये काहेकर के नंबर कम आए तो किसे बूरा नहीं लगेगा। फिर जब आपने ताना मारा, तो मेरा इतने दिनों का गुबार फुट पड़ा। और तब से अब तक कई बार माफी मांगने की कोशिश की, पर हर बार कुछ न कुछ ऐसा हो जाता। कभी को जाना पड़ता, या मुझे। आज जब आप महेंदी लगा रही थी, तब सोचा मेहंदी जब आप लगाओगी, तब धन्यवाद के साथ माफी भी मांग लूंगी। पर आपने मेरे होठों पर ही महेंदी लगा कर मुझे चुप करा दिया, तो कैसे बोलती। अब अच्छा है।
आप ही आ गई और मैं तो बंधी ही हुई हूं, कहीं जाने का सवाल नहीं उठता। और आप ने मुझे इतनी देर सुना, मुझे दिल का सारा बोझ निकल गया। आंटी मेरी बात सुनकर रो गई, और इतने दिनों की बार-बार रोने की आदत सही टाइम पर आंसू भी आ गए। और आंटी ने अपने दुप्पटे से मेरे आंसू पोंछे, और अपने भी मेरे सिर पर हाथ फिराया। और तभी मां आ गई। तो आंटी बिना कुछ बोले, रुहासी वहां से चली गई। उन्हें ऐसे रोते देख, मां को लगा मैंने फिर कोई बत्तमीज़ी की है। और मां आई थी। मुझे खोलने पर, उल्टा मेरी आंख भी बांध गई। हे भगवान, क्या जुल्म है? मनहूश आंटी पूरा बोल कर तो जाती। मां ने मेरी आंखों पर दुपट्टा बांधा, और बोली, नालायक, कब सुधरेगी? और अब मुझे तो कुछ दिख नहीं रहा था, बस सुनाई दे रहा था। के मां ने बटन बंद की है, मतलब लाइट और, शायद, पंखा भी में चिल्लाई। मां प्लीज, मैंने कुछ नहीं कहा है। उनसे मेरी बात तो सुनो, काम से मेरी आंखें खोल दो या पंखा ही चला दो, पर कोई फायदा नहीं। मां ने सब बंद कर दिया, और कमरे का गेट भी बंद करके बाहर से लॉक कर दिया। पता नहीं, मैं कहाँ बिस्तर से भागी जा रही हूं, पर मुझे पता था कि मां कहाँ गई है, और अब आगे क्या होने वाला है। क्यों कि मैंने जो आंटी को कहानी सुनाई थी, वो उसे मान गई थी। ये ही तो मेरा प्लान था, दुश्मन को अपना दोस्त बना लो। मैं मन ही मन खुश हो रही थी, ऐसा लगा जैसे कुछ मेरे ऊपर। गिरा, मैं डर के चिल्ला गई, शायद दो चूहे थे जो मेरे बेड पर दौड़ रहे थे। मैं डर कर चिल्लाने लगी, और, मेरे प्लान की, धज्जियां उड़ गई। में डर गई थी बहुत ज्यादा। अब मेरा एक-एक मिनट मुश्किल था, मां के आने तक।
Part20
जब किस्मत खराब चल रही हो तो आपके साथ कब क्या होगा ये अंदाजा लगाना कितना मुश्किल होता है वो मुझे आज ही पता, मां मुझे बांध कर गई थी तो मुझे लगा शायद थोड़ी देर आ जायेगी आंटी से बात करके , और फिर मैं धीमे धीमे आंटी और मां को अपनी मीठी मीठी बातो में फसा कर में अपनी पुरानी जिंदगी वापस ले लूंगी और एक बार मेरा कॉलेज दुबारा शुरू हुआ फिर कभी इनके हाथ नही आने वाली हूं ,

में कितनी खुश थी और खुद को बहुत चालक समझ रही थी और मन ही मन अलग बाते सोच थी के कैसे मां आंटी के पास गई होगी और आंटी मेरे बारे में जो मैने आंटी को बोला है सब रो रो कर बता रही होगी और मां को अपनी गलती का एहसास हो रहा होगा के उन्होंने कितना गलत किया है मेरे साथ और मेरे कॉलेज को बंद करा कर और अब मेरी बाइक बेचकर , और मुझे एक बिंदास और टेंशन फ्री लड़की से घर की डरी हुई छुईमुई लड़की बना कर,
और ये दोनो मिलकर मुझ पर कितना ज्यादा अत्याचार कर रही है , में मन ही मन खुश हो रही थी के अब जब मां मेरे पास आएंगी तो उनका चेहरा कैसा होगा ,
क्या वो रो रही होगी , क्या वो सॉरी बोलेगी, या क्या कहेंगी और फिर मैं सोच रही थी के आखिर में क्या कहूंगी उनको बदले में क्या मैं उन्हे तुरंत माफ कर दूंगी या थोड़ा सा भाव खाऊं नाटक करूं उन्हे एहसास दिलाऊं के मुझे कितना बुरा लग रहा था सब कुछ मैने कितनी मुश्किल से अब कुछ झेला है मुझे कितना रुलाया है है भगवान कितना कुछ दिमाग में चल रहा है मन में कितना कुछ चल रहा है अलग अलग बाते चल रही है सोच चल रही है लेकिन कुछ सुनाई भी नही दे रहा है और दिखाई भी नही दे रहा है ऐसे में हर किसी के मन होता है ना टीवी सीरियल की तरह साइड में खड़े होकर मां और आंटी की बाते कही कोने में खड़े हो कर सुन लूं और फिर उसी तरह से रिएक्ट करूं, पर मेरी किस्मत में ये सब करना कहा है मैने खुद को शांत किया और कोशिश की के कुछ तो सुनाई दे जाए आखिर ये दोनो औरते क्या बात कर रही है ,
पर कुछ सुनाई नही दे रहा था शायद आंटी अपने घर चली गई और मां भी उनके घर चली गई है इसलिए कुछ भी आवाज नही हो रही है बहुत कोशिश के बाद भी जब कुछ सुनाई दे रहा था तो थोड़ा सा हाथ पैर खोलने की कोशिश की शायद कुछ ढीला हो जाए पर कोई फायदा नही मां ने भी कोई कमी नही रखी थी अपनी ही लड़की को लोहे की चैन से कौन बांधता है और लॉक लगाता है हाथ पैर भी नही हिला सकती हूं पसीना निकल रहा है और नाक में जा रहा है मुंह में जा रहा है मां प्लीज जल्दी आ जाओ और नही झेला जा रहा है बहुत गर्मी लग रही है अब एक एक मिनट काटना मुश्किल हो रहा है भगवान ये टाइम भी इतना धीमे चल रहा है ये मनहूश आंटी पता नही क्या पट्टी पढ़ा रही है मां को कुछ समझ नही आ रहा है
मां भी लगता है बातो में भूल गई है के वो मुझे गर्मी में बिस्तर पर बांध कर आई है मेरी आंखे भी बांध कर गई है या दुप्पटा भी आंखो पर ऐसे बांधा है के जरा भी कुछ दिखाई नही दे रहा है क्या करूं में गर्मी अब जान ले रही है पूरी बॉडी पर पसीना हो रहा है सारे कपड़े गीले हो रहे है पसीने से मां जल्दी आ जाओ प्लीज अब नही झेल पा रही हूं में बहुत इचिंग हो रही है एक तो मां ने बांधा भी ऐसे है के एक पैर से दूसरे पैर को भी नही खुजला पा रही हूं दोनो पैरो को बेड के दोनो तरफ फैला कर बांधा है ना एक हाथ से दूसरे हाथ को खुजला पा रही हूं दोनो बेड के दोनो कोनो से बंधे हुए है यार बहुत खुजली हो रही है अब सच में एक मिनट भी नही काटा जा रहा है मुझसे ,
अब तो खुद पर ही गुस्सा आ रहा है क्या जरूरत थी हीरोइन बनने की अच्छी भली मां सिर्फ हाथ पैर बांध कर जा रही थी उन्हे उकसाने की के आंखे भी बांध कर जाए , आंखे खुली होती तो कम से कम घड़ी तो देख पाती पर अब तो वो भी नही कर पा रही हूं

इधर आंटी के घर पर आंटी और मां आराम से बैठ कर बाते कर रही है मां ने आंटी से उनके रोने का कारण पूछा तो आंटी ने कुछ बोला ही नही के मेरे और उनके बीच क्या बाते हुई और वो क्यों रो कर आई थी आंटी बोली कुछ नही बस आंखो में कुछ गिर गया था इसलिए मुंह धुलने के लिए जल्दी जल्दी अपने घर आ गई थी और मां बोली अरे बहन जी मुझे अपनी लड़की के बारे में पता है उसके साथ दस मिनट बैठ जाओ उसकी टोंट भरी बाते सुन कर किसी का भी ये हाल हो जायेगा आप चिंता मत करो में उसकी इस हरकत की सजा उसे जरूर दूंगी और आपसे माफी भी मंगवाऊंगी आप प्लीज नाराज मत हो ,फिर मां बोली अच्छा में चलती हूं तो आंटी बोली अरे बहेंजी आप बस दो मिनट रुको मैने चाय बनने रखी है में अभी ले कर आती हूं चाय पी कर जाना प्लीज और मां आराम से बैठ कर चाय का वेट कर रही है उधर मेरे लिए एक एक मिनट करना मुश्किल हो रहा है सोच सोच कर के और कितना टाइम लगेगा
दोनो औरतों ने चाय पी फिर बाते करने में इतने बिजी हो गए के मां भूल ही गई के उनकी एक लड़की भी है जिसे वो एक जानवर की तरह बिस्टार्ट से बांध कर आई है और आते समय पंखा भी बंद कर दिया है इतनी गर्मी में और उसकी हालत हर समय खराब हो रही है पर मां को क्या चाय बहुत जरूरी है इस मनहूश आंटी के हाथ से बाते भी जैसे दोनो आज ही सारी कर लेंगी आज ही दुनिया खत्म हो रही है ना तो कल के लिए कोई बात नही बचनी चाहिए
मुझे अचानक ऐसा लगा जैसे किसी ने हमारे घर का दरवाजा बहुत जल्दी में खोला पापा की आवाज थी वो मां को आवाज लगा रहे थे आवाज से लग रहा था जैसे बहुत गुस्से में थे और मां की तो आज सामत आ गई है कुछ तो गड़बड़ हुई हुआ क्यों के पापा जब ऐसे गुस्से में होते है तो घर में बहुत तांडव होता है पापा ने जब मां को नही देखा तो आंटी के घर से आवाज लगा कर उन्हे बुलाया मां भागती हुई घर में आई गुस्से में पापा ने घर के बर्तन इधर उधर पटक रहे थे मां भागती हुई आई मुझे बहुत ज्यादा तो नही पर जो सुनाई दिया वो ये था के जल्दी से पैकिंग कर हमे जाना होगा मां ने फटाफट पैकिंग की और पापा ने मां का हाथ पकड़ा और जो भी थोड़ी बहुत पैकिंग की थी उन्हे ले कर जाने लगे मां बोली के अनिता को तो ले लो पर पापा बोले कहा है तो मां बोली ऊपर मैने उसे आंटी से बदतमीजी करने के बजहसे चैन से बांध दिया था तो पापा बोले फिर पड़े रहने दे अभी टाइम नही है
और दोनो मुझे वैसे भी बांधा हुआ छोड़कर घर को ताला लगा कर पता नही इतनी जल्दी में कहा चले गए ऐसा तो कभी पहले नही हुआ था उनके घर में ताला लगाने की आवाज और फिर उनकी गाड़ी के जाने की आवाज सब थोड़ी देर में शांत हो गया और मेरे कुछ देर में खुल कर आजाद होने की उम्मीद मेरी खुशी मेरी प्लानिंग के मां ये कहेगी वो कहेंगी मैने क्या कहूंगी कैसे करूंगी सब पर पानी फिर गया और में पता नही कितने घंटे या दिन के लिए इस कमरे में अंधी बनी बंधी रहने वाली हूं बिना कुछ खाए पिए देखे हिले डुले एक ही पोज में लेटे रहना है कमर में हाथ पैर में दर्द पसीने की बदबू कितनी देर झेलनी है मुझे नही पता बस ये पता है के कही नही जाना है बस बंधे रहना है अब मां पड़ोस में गई थी तो शायद एक घंटा तो हो ही गया है मेरे बंधे हुए अब पापा और मां दोनो कही गए है इतनी जल्दी में तो 4 या 5 घंटा तो कही नही गया है ,
भगवान शायद मेरे सब्र की परीक्षा ले रहे थे मेरा गला सूखने लगा था पानी पीना था क्यों के लगातार पसीना बह रहा था मेरा इसलिए डिहाइड्रेट हो रही थी में पता नही किसकी नजर लगी थी मेरी जिंदगी को जो हर दिन पिछले दिन से बुरा ही हो रहा है और कोई उम्मीद भी नही दिख रही है के सब कुछ जल्दी से ठीक हो पाए
बचपन में मेरी दादी कहती थी के हाथ में मेहंदी हर किसी से नही लगवानी चाहिए अगर किसी मनहुश से मेहंदी लगवाली तो जिंदगी में परेशानी आनी तय है पर मैने कभी उनकी बात को सीरियस नही माना पर आज खुद झेल रही हूं जब से मनहूश आंटी से मेहंदी लगवाई है मेरी जिंदगी पर तो काला साया पड गया है दो मिनट चैन से नही रहे पाई हूं पता नही किस मनहूश घड़ी में मैने आंटी से मेहंदी लगवाई थी अब पता नही कितने दिन तक ऐसे ही बुरा टाइम चलने वाला है ,
में ये सब सोचते हुए पता नही कब सो गई और कितनी देर तक सोती रही मुझे नही पता है बस ये पता है के कई बार मेरी नींद टूटी पर फिर नींद आ गई पर अब भूख लग रही है पेट में चूहे दौड़ रहे है तभी मुझे लगा जैसे कोई मेरे घर के दरवाजे को तोड़ने की और ताला तोड़ने की कोशिश कर रहा है और बहुत ज्यादा शोर मच रहा है मेरे घर के बाहर , आंटी की भी हल्की हल्की आवाज सुनाई दे रही है ये साला चल क्या रहा है मेरे घर के बाहर में बहुत ध्यान से सुनने की कोशिश करने लगी तभी मुझे पुलिस की गाड़ियों की आवाज सुनाई दी फिर ऐसा लगा जैसे मेरे घर के बाहर बहुत सारी पुलिस की गाडियां हो , मैने सोचा साला कही कोई आतंकवादी हमला तो नही हो गया और वो अंतकवादी मेरे घर में तो नही घुस आए ,

मेरे इतना सोचते ही मेरी तो जान गले में आ गई , में बहुत खूबसूरत तो नही हूं पर इतनी भी बुरी नही दिखती उस पर ये मेहंदी साड़ी और इतनी अच्छी तरह से बंधी हुई हूं के आंखे बंधी हुई है पैर दोनो तरफ को फैले हुए है कोई ना चाहता हो मेरे साथ गलत करना फिर भी कर दे थैंक्स तो मेरी मां खुद अपनी लड़की को सजा सावरकर बिस्तर पर लिटा कर आंतकवादी को परोस दिया है भगवान अब मेरा क्या होगा में क्या करूं कौन से जन्म का बदला लिया है मां , पता नही कितने होगे एक दो या दस और मैने कुछ खाया भी नही है इतने दिन से ढंग से शरीर में वैसे भी जान नही है और ये आतंकवादी तो मैने सुना है बहुत बहेशी होते है इनका कोई भरोसा नही होता है ये तो लडको को नही छोड़ने वाले है मुझे तो क्या हो छोड़ेंगे आज मेरी इज्जत तो गई भगवान में तो आंटी से ही इतनी परेशान हूं उस मनहूश को नही झेल पा रही हूं अगर सच में मेरे घर में आतक वादी घुस आए तो मेरी इज्जत का क्या होगा और मुझे जिंदा छोड़ेंगे भी या कही निर्भया कांड जैसा कुछ किया तो क्या होगा मैने सुना है के ये लोग मिर्च बगैरह भी डाल देते है ओह शीट नही भगवान प्लीज बचा लो मैं इतनी गंदी बदनामी वाली मौत नही चाहती हूं में आंटी के घर नौकरानी बन कर रह लूंगी पर नही नही भगवान ये नही ऐसा मत करना में नही चाहती के मेरे मरने के बाद भी लोग मेरे बारे में गंदी गंदी बाते करे, मेरा डर के मारे बुरा हाल था कोई तो मेरे घर के दरवाजे को जोर से जोर पटक रहा था शायद तला खोलने की कोशिश कर रहा था और में डर कर पसीना पसीना हो रही थी मुझे नही पता है के दरवाजे पर कौन है क्या है क्यों है
पर वो चोर हो या पुलिस कोई भी होगा जो मेरे घर में घुसेगा और मुझे ऐसे बांधा हुआ देखेगा मेरी इज्जत का कचरा होना तो तय है अगर कही उसके साथ मीडिया या कोई कैमरा वाला हुआ तो कल में सब के मोबाइल पर टीवी पर यूट्यूब पर मजाक का विषय बन कर रहे जाऊंगी सब मेरे बारे में क्या क्या बोलेंगे अंतकवादी तो शायद एक बार गोली मार कर एक बार में मार डालेंगे पर अगर पुलिस और कैमरा अंदर आ गया तो फिर तो कही मुंह दिखाने लायक नही बचने वाली हूं घर से बाहर कैसे जाऊंगी कैसे कॉलेज जा पाऊंगी पढ़ाई कर पाऊंगी तभी मुझे लगा जैसे टेंशन के वजह से मेरी सांस फूलने लगी और टेंशन के वजह से में बेहोश हो गई सब शांत हो गया
पता नही कितने देर तक में बेहोश रही अब कोई आवाज नई आ रही थी गला सुख रहा था प्यास लग रही थी, पर मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे कमरे में कोई तो है मैने आवाज लगाए मां ये तुम हो क्या पापा तुम हो क्या में चीखी कौन है कौन हो तुम पर सामने से कोई आवाज नही आई उसने मेरे मुंह पर पानी की कुछ बूंदे डाली और में शांत हो गई उसने मेरे मुंह के पास पानी का ग्लास लगाया मैने सूंघ कर समझने की कोशिश की के आखिर ये क्या है फिर मैने धीमे से अपना मुंह खोला और वो जो भी था उसने मेरे मुंह से पानी का ग्लास लगा दिया और मैने भी चुप चाप पानी पी लिया अब कुछ अच्छा लग रहा था पर डर भी लग रहा था पता नही ये कौन है और क्या चाहता हो क्या ये पुलिस है या चोर या आतंकवादी
आखिर है कौन ये मुझे कुछ समझ नही आ रहा है फिर मेरे मुंह के पास बहुत ही स्वादिष्ट खाने की खुशबू आई और मैने मुंह खोल दिया उसने मुझे खाना खिलाया एक निवाला मैने डरते हुए खाना खाया , फिर दूसरा तीसरा और चौथा मुझे बहुत भूख लगी थी डर भी लग रहा था पर मैने सोचा अगर अब मरना और बेइज्जत होना ही है तो खा पी कर मरना ही सही होगा में पेट भर कर खाना खाया फिर उसने मुझे पानी पिलाया मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे कंधे पर सुई चुभने का दर्द हुआ फिर मुझे हल्का हल्का सा नशा होने लगा मैने कुछ बडबडा रही थी मैं उस अनजान को बोलना चाह रही थी के मुझे ना मारे मै मरना नही चाहती हूं और में मां बाप कहा है और वो कौन है पर वो दबा बहुत पावरफुल थी में तुरंत ही बेहोश हो गई ,
इस बार जब मुझे होश आया तो मुझे लगा जैसे मेरी आंखो पर बांधा हुआ दुप्पटा खुला हुआ है मैने तुरंत अपनी आंखे खोली पर मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा था मुझे लगा में शायद सपना देख रही हूं तभी मेरे आंख में किसी ने लाइट मारी मुझे बहुत हल्की सी रोशनी दिखाई दी पर कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था मुझे लगा शायद कमरे में लाइट नही जल रही है इसलिए में साथ ऐसा हो रहा है या बहुत देर से मेरी आंखे बंधी हुई है इसलिए मुझे ठीक से दिखाई नई दे रहा है मैने अपने हाथ से अपनी आंखे मसलने की कोशिश की पर हाथ अब भी लॉक थे बिस्तर के साथ चैन से तो बेकार था कोशिश करना मेरे आंख से पानी निकल आया तो वो जो भी था उसने मेरे आंख के पानी को रुमाल से पोछा और पहेली बार कुछ बोला ,
तुम ऐसे बंधे हुए थकती नही हो क्या ओह भगवान ये जानी पहेचनी आवाज थी ये चैपड था मेरे चेहरे पर खुशी आ गई और में जैसे खुशी से झूम उठी के है भगवान अब में यहां से आजाद हो जाऊंगी मैने अधिकार से कहा के तुम्हे शर्म नही आ रही मुझे ऐसे बंधे हुए देखने में अब बैठे बैठे सोच क्या रहे हो मेरे हाथ और पैर खोलो जल्दी पर वो कुछ बोला नही बस चुपचाप सुनता रहा
एक तो पता नही मेरी आंखो को क्या हुआ था मुझे कुछ दिखाई क्यों नही दे रहा था मैने उस से कहा के आखिर टाइम क्या हुआ है
तो वो बोला ज्यादा नही रात के 3 बज रहे है
में बोली क्या तुमने कमरे की लाइट बंद कर रखी है मुझे कुछ दिखाई क्यों नही दे रहा है
वो बोला हां कमरे की लाइट बंद है और में चाहु तो भी ऑन नही कर सकता हूं क्यों के अगर मैने ऐसा किया तो हम दोनो बहुत बड़ी मुसीबत में पड जाएंगे
में बोली अच्छा मेरे हाथ पैर तो खोल दो प्लीज पता नही मेरी आंखो को क्या हुआ है मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा है
तो चैपड बोला में नही कर सकता हूं
में बोली क्या नही कर सकते हो ऐसा भी मैने क्या बोल दिया है
तो चैपड बोला में तुम्हारे हाथ पैर नही खोल सकता हूं
तो मै बोली पर क्यों नही खोल सकते हो मेरा चेहरा उतर गया एक उम्मीद की किरण जली वो भी बंद होती दिख रही थी इसने आज तक मुझेकिसी चीज को मना किया वो भी मना कर रहा है अब क्या करूं और मेरे लिए ये अब एक एक मिनट करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है तभी मुझे याद आया के कल कौन आया था जिसने मुझे खाना खिलाया था और मुझे इंजेक्शन लगाया था तो मैने कहा प्लीज मेरी रिक्वेस्ट मन जाओ मुझे खोल दो मैने रोने की कोशिश भी की पर ये धोखेबाज आंसू कहा टाइम पर काम आते है नही निकले
तो चैपड हस्ते हुए बोला मुंह मत बनाओ और झूठे आंसू बहाने की कोशिश मत करो तुमसे नही हो पाएगा तुम जब अपनी मां के इतने सारे टॉर्चर से नही टूटी तो अब क्या टूटोगी
में बोली तो खोल क्यों नही देते फिर मुझे जब तुम मुझे इतना जानते हो या तुम्हे भी मजा आ रहा है मुझे ऐसे बंधे हुए देखने में जैसे तुम्हारी मां को आता है मुझे परेशान करने में कही तुम भी तो अपनी मां के कान नही भरते मुझे ऐसे परेशान करने के लिए और कही इस सब के पीछे तुम्हारा ही तो हाथ नई है ना सच सच बताओ अब चुप क्यों हो बोल क्यों नही रहे हो क्या हुआ अब शर्म आ रही है अपनी इस हरकत पर में बहुत गुस्से में थी इसलिए मेरे मन में जो कुछ आ रहा था मैं बकने लगी और वो चुपचाप सुनता रहा जब में बोलते बोलते बोलते बोलते रोने लगी और अपने अंदर की सारी भड़ास निकाल कर थक गई तब मुझे इस चैपड पर इस बात का गुस्सा आ रहा था के मेरे इतना कुछ बोलने पर इसके इसकी मां के दोनो की मां बहन करने के बाद भी ये कुछ बोल क्यों नही रहा है कही ये चला तो नही गया और में बेकार में ही बड़ बड़ कर रही हूं
फिर मैने कन्फर्म करने के लिए पूछा तुम यह हो या चले गए हो कितने बेशर्म इंसान हो कुछ तो बोलो के आखिर किस मिट्टी के बने हो में इतना कुछ तुम्हारे और तुम्हारी मां के बारे में बोल रही हूं तुम चुपचाप बैठे हो और सुन रहे हो
चैपड कुछ नही बोला बस इतना ही बोला के खाना खाना है या में जाऊं यहां से ,
मुझे समझ नही आया के क्या कहूं
अगर कही ये चला गया तो होशोहवास में भूखे रहना बहुत मुश्किल काम है तो में बोली खाना खाना है पर में खाऊंगी कैसे मेरे हाथ खोल दो चाहो तो दुबारा बांध देना
तो चैपड बोला अपना मुंह खोलो और मेरे मुंह में एक निवाला डाल दिया फिर दूसरा और मुझे भर पेट खाना खिलाया और फिर जब पेट भर गया तब बोला पिज्जा लाया था तुम्हारे लिए खाओगी
मेरे पेट में एक निवाले की भी जगह नही थी पर पिज्जा को कैसे मना करती फिर उसने मुझे एक स्लाइस खिलाआई फिर दूसरी और धीमे धीमे करके उसने मुझे पूरा एक पिज्जा खिला दिया फिर मुझे कोल्ड्रिंग पिलाई कितने दिन के बाद आज बाहर का खाना और कोल्ड्रिंग मिली थी सच में मजा ही आ गया था
मैने एक लास्ट ट्राई किया शायद वो मुझे खोल दे मैने उसे सॉरी बोलाऔर कहा के मेरे कमर हाथ पैर में बहुत दर्द है में झूठ नही बोल रही हूं प्लीज मेरी इतनी सी हेल्प कर दो मुझे खोल दो ,
तो चैपड बोला देखो तुम्हे मेरी बात अच्छी नही लगेगी लेकिन में कोशिश करता हूं में तुम्हे खोल नही पाऊंगा पर मैं समझ सकता हूं के तुम कितने दर्द में होगी एक ही पोज में के जगह बिना हिले डुले लेटे रहना अगर तुम चाहो तो में गीले कपड़े से तुम्हारा मुंह पूछ सकता हूं तुम्हे आराम मिलेगा इस गर्मी में पर उससे तुम्हारा मेकअप उतर जायेगा तो उसके लिए मुझे दोष ना देना
में बोली यहा जान पर बनी है तुम्हे मेकअप की पड़ी है फिर चैपड एक गीला कपड़ा लाया और मेरे मुंह पर हाथ हाथ पर सिर पर गीले कपड़े को फिराया बहुत अच्छा लग रहा था फिर वो
खुद बोला पता नही तुम इतनी गर्मी में यह कैसे पड़ी हुई हो मेरा तो दस मिनट काटना भी मुश्किल हो रहा है में सिर्फ पतली सी टीशर्ट और हाफ ट्रैक पेंट पहना है फिर भी गर्मी से परेशान हूं तुम ये साड़ी में ऐसे पूरा दिन गर्मी में रहती हो तुम्हारा क्या हाल हो रहा होगा में अंदाजा भी नही लगा सकता
तो में टोंट मरते हुए बोली ज्यादा मुश्किल नई है मुझे खोल दो मै तुम्हे अपनी साड़ी पहिना देती हूं मेरी जगह बांध देती हूं तुम्हे अंदाजा लग जायेगा
तो चैपड बोला किस मिट्टी की बनी हो तुम अभी भी मुझे टॉट मार रही हो मन तो कर रहा है के तुम्हे ऐसे ही छोड़ कर मरने के लिए छोड़ कर चला जाऊं पर क्या करूं ऐसा कर नही सकता हूं
में बोली क्या मतलब मरने के लिए छोड़ कर चला जाऊं से में कोई जिंदगी भर कोई यही नही पड़ी रहने वाली हूं मेरी मां मुझसे गुस्सा है आज नही कल मन ही जायेगी और मुझे खोल ही देगी मेरी कोई दुश्मन थोड़े हो गई है जो मुझे मरने देगी ,
चैपड बोला में तुम्हे कुछ नही कहूंगा और ना ही सच बता कर तुम्हारा हौसला तोडूंगा तो में चलता हूं कल इसी समय मिलूंगा
में बोली क्या मतलब है चलता हूं मुझे खोलो अभी के अभी तुम मुझे ऐसे बांधा हुआ छोड़ कर नही जा सकते हो
चैपड बोला क्यों ना जाऊं तुम्हे आज मेरी जरूरत है तो मीठी मीठी बाते कर रही हो हम ही पङोस मेरहेते है एक ही स्कूल में पढ़े एक ही कॉलेज में पढ़े तुम्हे मेरा असली नाम भी पता है में गारंटी देता हूं नही पता होगा,
में सोच में पद गई ये क्या बोल गया ये और मैने बहुत कोशिश की सोचने की पर कोई फायदा नही हुआ मैने कभी इसे अपने आसपास सोचा ही नही उसका होना ना होना मेरे लिए कोई मायना नही रखता था वो मेरे लिए कुछ नही था हां जब भी मुझे कुछ काम होता था तो मैं हमेशा मीठी मीठी बाते करके अपना काम करा लेती थी कभी थैंक्स बोलना भी मैने जरूरी नही समझा था
मेरी बोलती बंद हॉ गई
चैपड बोला क्या हुआ नही याद आ रहा ना छोड़ो ज्यादा मत सोचो नही याद आएगा मेरा नाम तुम्हे
मुझे बहुत शर्म आ रही थी में उससे कुछ नई बोल पाई
चैपड जाने लगा और बोला मुझे गलत मत समझन तुम्हारी मां ने तुम्हे दुप्पटे या रस्सी से नही बांधा है जिसे में खोल सकता हूं तुम्हारी मां ने तुम्हे लोहे की चैन से बांधा है और उस पर इतना मोटा ताला लगाया है जो मेरे हाथ से नही खुलने वाला है इसलिए में तुम्हे खोल नही पा रहा हूं तो प्लीज मेरी बात को गलत मत समझन
में बोली सॉरी में भूल गई थी के आखिर वो मेरी मां है कोई हल्का फुल्का काम कैसे करेगी पर क्या तुम मेरा एक काम कर सकते हो क्या पंखा चला सकते हो बहुत गर्मी है ये साड़ी बहुत हेवी है
चैपड बोला अगर तुम चाहो तो में तुम्हारी ये साड़ी उतार सकता हूं
में बोली तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये बकवास करने की
चैपड बोला अरे गुस्सा मत हो मेरा कहने का मतलब ये है के तुम्ने ब्लाउज यार पेटीकोट तो पहना ही हुआ है ये साड़ी है जायेगी तो थोड़ा आराम मिल जायेगा
में बोली अरे हां ये कर तो सकते हो पर क्या तुम मेरे लिए कर दोगे
चैपड बोला देखो तुम्हे बिना हाथ लगाए साड़ी तुम्हारी बॉडी से अलग नही कर पाऊंगा तो तुम सोच लो के क्या करना है
में बोली में क्या सोच सकती हूं गर्मी में जान जा रही है कमर में दर्द हो रहा है तुम एक काम करो निकाल दो मेरी साड़ी में कोई गांव की लड़की नही हूं हजारों बार ब्लाउज भी छोटे टॉप और शॉर्ट स्कर्ट पहन कर कॉलेज गई हूं तो आज कैसी शर्म है मुझे तुम पर ट्रस्ट है तुम मेरे साथ कुछ गलत नही करोगे वैसे भी अगर गलत करना चाहते तो तुम अब तक या अब भी कर ही सकते हो में कौन सा तुम्हे रोक पाती
चैपड धीमे धीमे मेरे और बढ़ने लगा
तभी मैने उसे कहा एक मिनट रुक जाओ प्लीज , मैने तुम्हे ये सब कहा है इसका मतलब नही है के में तुम्हे मौका दे रही हूं अपनी मां कसम खाओ के तुम मेरे बॉडी को साड़ी उतरते हुए उतना ही टच करोगे जितना जरूरी होगा मेरी मजबूरी का जरा भी फायदा नही उठाओगे,
चैपड बोला मैं कोई वायदा नही करने वाला हूं तुम्हारी मर्जी है ऐसे ही लेटे रहो गर्मी में में जा रहा हूं
मैं बोली अच्छा निकाल दो साड़ी कर लो अपनी मर्जी , फिर कुछ सोच कर बोली तुम्हे तुम्हारी मां की कसम है अगर तुमने साड़ी उतरने के अलावा कुछ गलत किया या मुझे गलत नजर से देखा
चैपड हसा और बोला क्या करूं में तुम्हारा तुमने कब मुझे तुम्हे गलत नजर से देखते हुआ देखा है पागल कही की मैं नही उतार रहा तुम्हारी साड़ी
में बोली प्लीज माफ कर दो प्लीज उतर दो में रिक्वेस्ट करती हूं सच में बहुत गर्मी है में आने दोनो बंधे हुए हाथ जोड़ती हूं जितने जुड़ सकते है उतने जोड़ती हूं प्लीज मेरी साड़ी उतार दो फिर मेरे मुंह से पता नही कैसे निकल गया पर एक शर्त पर पहले तुम अपने आंखो पर एक काला कपड़ा बांधो और मुझे बिलकुल भी नही देखोगे
चैपड बोला यार तुम पूरी पागल हो में वैसे भी तुम्हे नही देखूंगा और ना ही कुछ ऐसा वैसा करूंगा तुम खुद बार बार अपने मुंह से मुझे आइडिया दे रही हो अब चुप चाप लेटी रहो मुझे दुप्पटा ढूंढने दो तुम्हारा कोई जो में अपनी आंख पर बांध सकू
तुम्हारा दुपट्टा बांधने के अब मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा है अब अगर मेरा हाथ इधर उधर लगे तो मुझे मत कहेना
फिर मुझे चैपड का हाथ मेरे पलग पर महेसुस हुआ फिर उसका हाथ मेरे पेट पर पहुंचा अब वो ही बिना देखे मेहनत कर रहा था तो हाथ इधर उधर लग ही रहा था जो मेरे लिए ज्यादा मुश्किल हो रहा था झेलना मै बोली अच्छा खोल लो अपनी आंख में अपनी कसम वापस लेटी हूं
चैपड बोला नही अब तो मै नही खोलूंगा अपनी आंखे मजाक बना रखा है ये करो वो करो ऐसे करो वैसे करो
मैने बोली प्लीज मान जाओ अपनी आंखे खोल लो मेरी मजबूरी समझो तुम अगर एक लड़की होते तो तुम्हे समझ आता में डरी हुई हूं इसलिए मैने भूल से ऐसे बोल दिया या कसम दे दी प्लीज मेरी बात मन जाओ आंखे खोल लो
चैपड बोला ठीक है पर एक शर्त पर अब तुम बिलकुल भी मुंह नही खोलेगी एक शब्द भी नही में भी डरा हुआ हू में कोई शक्ति कपूर नही हूं जो रोज लड़कियों की साड़ी खेचता हो मेरे लिए भी पहेली बार है तो प्लीज चुप चाप रहेना और चीख चिल्लाकर मुझे डराना मत.
में बोली ठीक है नही चिल्लाऊंगी मजबूरी है मेरी काश तुम मेरी मजबूरी समझ पाते के मेरे अंदर क्या चल रहा है जिंदगी कहा से कहा आ गई है आज मुझे अपनी साड़ी उतरवानी पड़ रही है और में शर्मा भी नही सकती चीख भी नई सकती डर भी नई सकती वरना तुम नाराज हो जाओगे यार किस्मत है मेरी
चैपड बोला अरे मेरा वो मतलब नही था देखो मैने अपनी आंखे खोल ली है अब अगर तुम 2 मिनट बस चुप रहो फिर उसने मेरे साड़ी के पल्ले को निकलने के लिए मुझे कहा के में अपनी कमर ऊपर करूं
में जितना कर सकती थी मैने किया फिर उसने पल्लू बाहर निकाल दिया और फिर मेरे कमर में जो साड़ी का पल्लू डाला हुआ था उसे निकलने के लिए मुझे पेट अंदर करने को कहा में जितना कर सकती थी किया वैसे मेरा पेट अभी भरा हुआ था तो बहुत मुश्किल से ही अंदर कर पा रही थी उसने मेरे साड़ी फाइनली निकाल दी
अब मैं सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में लेटी हुई थी
चैपड : ठीक है तो में चलता हूं
एक मिनट रुक जाओ मेरे नाक पर और मेरे मुंह पर मेरे बाल आ रहे है क्या तुम मेरे बालो में रबर बैंड लगा दोगे प्लीज ये बहुत इरिटेटिंग है मेरे लिए वैसे तुम्हारे भी तो बाल लंबे ही है तुम सकते हो
चैपड कुछ बोला नई अपना हेयर बंद खोला और मेरे बालो में लगा दिया
में बोली एक काम और कर दो मेरे नाक पर बहुत तेज खुजली आ रही है प्लीज खुजला दो
चैपड ने अपने हाथ से हल्के हल्के मेरे नाक पर अपना हाथ फिराया थोड़ा सा आराम मिला फिर मै बोली मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा है पता नही क्यों तुम मुझे बहुत ही ज्यादा धुंधले दिख रहे हो ऐसा क्यों हो रहा है
चैपड कुछ नही बोला
में बोली क्या तुम मुझे वो कल वाला इंजेक्शन फिर से लगा सकते हो एटलेस्ट बेहोश रही तो तो दिन काट भी जायेगा पर जागते हुए इतनी गर्मी में दिन काटना कितना मुश्किल होगा तुम समझ रहे हो ना
चैपड बोला तुम्हे कैसे पता के कल में ही था
में बोली मैने इतनी देर से आंखो पर पट्टा बंधे हुए हूं अब मुझे अपने आसपास किछोटी छोटी आवाज भी सुनाई दे रही है और हल्की सी खुशबू भी मेरी नाक में आ रही है में तुम्हारी डिओ की खुशबू से जान गई के कल और आज तुम ही हो हां कल नही जान पाई थी पर आज जब तुम मेरी साड़ी उतार रहे थे तब मुझे वो ही खुशबू आ गई प्लीज झूठ मत बोलना और मुझे वो इंजेक्शन लगा दो
चैपड बोला ठीक हुआ पर तुम्हे डर नही लगता मुझसे कही मैने तुम्हारे साथ कुछ गलत किया जिसके लिए तुम अभी मुझे कसमें दे रही थी
मै बोली अगर तुम मेरी जगह पर होते ना तो तुम्हे इस बता का अंदाजा होता के मेरे अंदर क्या क्या चल रहा है और में कैसे ये सब झेल रही हूं अगर तुम होते या मेरे जगह कोई भी और होता ना अब तक मर चुका होता तो प्लीज अगर मेरी मदद कर सकते हो तो कर दो वरना तो दिन काटना ही है तुमने तो बोल दिया कल आओगे पूरी रात पूरा दिन ऐसे जंगली जानवर की तरह बंधे हुए मुझे रहना है बिना खाए बिना पिए बिना वाशरूम गए ऐसे बिना पूरे कपड़े पहिने कुछ पता भी है क्या मुश्किल है एक लड़की के लिए ये सब झेलना एक तो पता नही मेरी आंखो को क्या हो गया है मुझे कुछ दिखाई भी नही दे रहा है कभी सोचा है अगर कल कोई मेरे घर में आ गया मुझे ऐसे बिना साड़ी सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में देख कर क्या सोचेगा मेरे बारे में कैसे आंख मिला पाऊंगी उससे तो प्लीज मुझे वो इंजेक्शन लगाओ अगर मुझे यह से आजाद नही कर पा रहे हो तो
चैपड ने इंजेक्शन लगाया और मै धीमे धीमे बड़बड़वाने लगी मेरी आंखे बंद होने लगी और में थोड़ी देर में बेहोश हो गई
चैपड ने जाते हुए बस इतना बोला मेरा नाम अमित है आराम करो कल मिलते है
अगले दिन मेरी आंख जल्द खुल गई शायद इंजेक्शन का डोज कम था शायद , थोड़ा सा सिर में दर्द हो रहा था पर बहु अजीब बात थी मेरी आंख खुली होने पर भी मुझे कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था मुझे सब कुछ बहुत अजीब सा धुंधला दिख रहा था में बहुत डर गई के आखिर मेरी आंख को क्या हो गया है क्या में अंधी हो गई हूं मेरे साथ ये सब क्या हो रहा है क्या अब में कभी कॉलेज नही जा पाऊंगी और मैं ऐसे अपाहिज की तरह रहने वाली हूं कुछ समझ नही आ रहा क्या करूं में किसे कोशू घड़ी भी ब्लर है कुछ ठीक से दिखाई नई दे रहा है कितना बज रहा है मुझे बहुत डर लग रहा है सांसे भारी हो रही है क्या करूं में मेरे साथ इतना गलत क्यों हो रहा है
मेरी आम भी पता नही कहा है पाप भी गायब है क्या चाहते है ये दोनो आखिर कौन करता है ऐसे मेरा डर के मारे बुरा हल हो रहा था मेरे आंखो से आंसू निकल रहे थे में रो रही थी तभी मुझे जानी पहेचनी खुशबू आई पर में सावधान हो गई के कोई और भी हो सकता है और क्या करूं इन आंशुओ का कैसे पोछु हाथ बंधे हुए है तो ना चाहते हुए भी आज चैपड मुझे रोते हुए देखने वाला है
चैपड आया और मेरे आंसू पोछे और बोला अरे क्या हुआ रो क्यों रही हो और कब से होश में हो
में बोली मुझे कुछ दिखाई नई दे रहा है मुझे बहुत डर लगा रहा है मेरे मां पापा कहा है आखिर का क्या रहा है मुझे प्लीज बताओ उस दिन बहुत सारे पुलिस के गाड़ी का शोर हो रहा था और मुझे लग रहा था के जैसे कोई मेरे घर का दरवाजा तोड़ने की कोशिश कर रहा था सब चल क्या रहा है कुछ बताओ मुझे
चैपड : देखो में तुम्हे सब कुछ बता दूंगा लेकिन पहल कुछ खाओगी मुंह खोलो पानी पिलो
प्लीज मेरे हाथ पैर खोल दो ना कोई तो तरीका होगा मेरे पैर की उंगली में बहुत खुजली हो रही है और कल जो पिज्जा खाया था वो अब मेरे पेट में दर्द कर रहा है मुझे वाशरूम जाना है
चैपड: पर मेरे पास सच में चाभी नही है और मुझे नही पता के में ये लॉक कैसे खोलू और मैं तुम्हे ऐसे किसी लुहार के पास नही ले जा सकता और ना किसी को यहां पर तुम्हारे घर ला सकता हूं क्यों के तुम्हारे घर के बाहर पुलिस का पहेरा है 2 पुलिस वाले हर समय खड़े है और वो तुम्हारे पापा मां और तुम्हारी तलाश कर रहे है अगर उन्हे पता चल गया के तुम घर में ही है एक मिनट में दरवाजा तोड़ कर अंदर आ जाएंगे और तुम्हे कपड़े पहेनने का भी मौका नही देने वाले है और लेजाकर जेल में डाल देंगे
क्या ये क्या बोल रहे हो आखिर मैने क्या किया है मुझे क्यों जेल में डाल देंगे मैने क्या किया है या मेरे मां बाप ने क्या किया है जो उनके पीछे पुलिस पड़ी है
चैपड: कुछ खास नही , तुम्हारे पापा पर किसी लोकल नेता को जान से मारने का आरोप लगा है इसलिए तुम्हारे पाप और मां फरार है पुलिस उन्हे ढूंढ रहि है साथ ही साथ उस गुंडे के लड़के भी हर थोड़े बहुत देर में बाइक से चक्कर मरते रहते है इसलिए तुम अगर कही सुरक्षित हो तो जहा हो और जैसे हो वैसे ही हो
यार ऐसे बोल कर मुझे डराओ मत , सच बताओ ये सब तुम्हारी मां ने बोला है ना मुझे डराने के लिए , बोलो ना ये सब तुम झूठ बोल रहे हो
चैपड : नही ये सब सच है देखो अभी तुम एक मुसीबत की पोटरी हो जिसे कोई भी अपने साथ या अपने घर पर रखेगा वो अपने लिए पुलिस केस और गुंडों दोनो से पंगा लेगा और खुद का और घरवालों की जान की आफत बनायेगा
तो फिर तुम मेरे घर क्यों आ रहे हो छोड़ क्यों नही देते मुझे मेरे हाल पर क्या होगा भूखे प्यासी मर जाऊंगी यही ऐसे जानवरो के तरह यही तो होगा ना अगर मेरी किस्मत में यही लिखा है तो हो जाने दो
चैपड : अब ज्यादा इमोशनल मत हो जाओ बुरा टाइम है ये ही बीत जायेगा जैसे लास्ट 6 मंथ तुमने हिम्मत से काटे है ये भी कट जाएंगे
क्या मतलब मैं ऐसे ही यही बंधी रहूंगी और तुम कुछ नही करोगे मुझे यहां से छुड़ाने के लिए
चैपड: तुम ही कुछ बता दो में क्या करूं , तुम्हे अगर में अपने घर ले गया तो बताओ कहा रहोगी कैसे रहोगी और एक बात क्या तुम्हे पता है के तुम्हारी मां आखिर चाभी कहा रखती थी तुम्हारे लॉक की कुछ तो बताओ
मुझे कैसे पता होगा ये बताओ मुझे लॉक करके वो चाभी मुझे बताती थोड़े थी और मैं कोई जानवर थोड़े हूं जिसे वो जिंदगी भर बांध कर ही नही रखती थी अगर तुम्हारी मां ने मेरी चुगली ना की होती तो में आज एक आजाद जिंदगी जी रही होती
चैपड : बस अब बहुत हुआ , मेरे मां के बारे में कुछ भी बोलना में कुछ बोलता नही तो तुम कुछ भी बोल रही हो अब में ये सब नही सुनने वाला हूं तो अब से एक बात सुन लो मेरा नाम अमित है और में अपने मां के बारे में कुछ नही सुनने वाला हूं , तुम्हारी मां तो तुम्हे छोड़ कर भाग आई जाते समय भी तुम्हारे बारे में कुछ नही सोचा और तुम्हे यह लॉक कर के भाग गई तुम्हे शुक्र मनाना चाहिए के मेरी मां को तुम्हारी चिंता थी और उन्होंने ही मुझसे कहा के जाते समय उन्होंने देखा था के सिर्फ तुम्हारे मां और बाप गए थे तो पक्का तुम घर में ही होगी वो भी लॉक्ड क्यों के तुम्हारे मां ने तुम्हे बेड से बांध दिया था अगर मेरे मां को तुम्हारी चिंता नही होती तो तुम यही भूखी प्यासी मार जाति और किसी को पता भी नही चलता समझी तो दुबारा मेरे मां के बारे में कुछ मत बोलना
मुझे समझ ही नही आया के में क्या कहूं मजबूरी इंसान से क्या क्या करवाती है ये जिसकी शकल मुझे दो कौड़ी की नही लगी वो मुझे अपने हाथ से खाना खिला रहा है मुझे डांट रहा है और में सुन रही हूं और कुछ कर नही पा रही मैने कुछ सोचा और बोली आई एम सॉरी अमित , मुझे नही पता था और शायद ऐसे बंधे हुए रहकर में पागल ही हो गई हूं प्लीज नाराज मत हो में आगे से तुम्हारी मां के बारे में कुछ नही कहूंगी पर मेरा एक छोटा सा काम कर दो क्या तुम मुझे बेहोशी का इंजेक्शन लगाने के बदले मुझे जहर का इंजेक्शन लगा सकते हो ऐसे जिंदगी भर बेड से बंधे रह कर मरने से अच्छा है एक बार में मार जाना
चैपड: ओके ठीक है एक मिनट रुको लगा देता हूं
क्या क्या मतलब है तुम सच में मुझे जहर का इंजेक्शन लगाने वाले हो क्या तुम मुझे सच में मार डालोगे
चैपड : हां यही तो तुम चाहती हो ना
हां नही मतलब मेरा वो मतलब नही था में मरना नही चाहती पर ऐसे गर्मी में जीना भी नही चाहती रुको तुम कहा जा रहे हो अमित कुछ बोल क्यों नही रहे मुझे और टेंशन मत दो प्लीज गुस्सा मत हो में माफी मांगती हूं अगर मैने कुछ गलत कहा हो तो
अमित : क्या कहा तुमने अमित , फिर से मस्का बजी शुरू तुम कितनी चालक हो आज तुम्हे मेरे जरूरत पड़ी तो अमित बोलने लगी , सही है पर इन सब से कोई फायदा नही
अमित प्लीज मुझे छोड़ कर मत जाओ और में मरना नही चाहती मेरी हालत को समझो में ये सब बकवास नही करना चाहती पर पता नही कैसे मेरे मुंह से निकल जाता है
अमित: पता है मुझे डर मत में तुम्हे ऐसे छोड़ कर कही नही जाने वाला और अगर मैने ऐसा कुछ कर दिया तो तुम्हारी मनहूश आंटी यानी मेरी मां मुझे तुम्हारी तरह घर में लॉक कर देगी और में तुम्हारी तरह इतना स्ट्रॉन्ग नही हूं जो ये सब झेल पाऊं तो अब चुप रहो में चाभी ढूंढने की कोशिश करता हूं वैसे कुछ आइडिया दो कहा हो सकती है चाभी
कहे तो नही सकती पर एक बार मां के रूम में अलमारी है उसके लाकर में देख लो वो सारी चाभी वही रखती है पर इस बार मुश्किल है क्यों के वो जल्दी में थी और पूरे चांस है के चाभी उनके पास ही होगी तो मेहनत मत करो कुछ और सोचो
अमित: रुको सोचने दो देखो में तुम्हारे हाथ पैर के तले को तो नही खोल पाऊंगा पर मुझे लगता है के में कुछ तो कर सकता हूं क्या तुम्हारे घर में कही पाना पक्कड़ जैसा कुछ है में तुम्हारे बेड पर लगे बोल्ट को खोल ने की कोशिश करता हूं शायद कुछ काम बन जाए
हां वो मेरे बेड के नीचे पड़े बॉक्स में होगा
अमित: ये इतना टाइट है और जंग भी लगा हुआ है बहुत मुश्किल हो रही है खोलने में काश ये तुम्हारी जवान की तरह ही धारदार होता एक मिनट में आर पार
अब में ही टोंट मार रही हूं ना अभी में शुरू हो गई ना तो कोने में बैठ कर रोना भी नही आएगा तो चुपचाप जो काम कर रहे हो वो करो और प्लीज थोड़ा जल्दी करो अगर तुम मुझे इस बिस्तर सुसु करते हुए नई देखना चाहते हो तो में खुद को और कंट्रोल नही कर सकती मेरा पेट दर्द से फट रहा है प्लीज कुछ भी करो पर थोड़ा सा जल्दी करो
अमित: मुझ पर इतना प्रेशर मत बनाओ मेरी वैसे भी गर्मी में हालत खराब है और में बहुत कोशिश कर रहा हूं तो प्लीज थोड़ी देर चुप रहो और मुझे मेरा काम करने दो
ओके में एक दम चुप हूं पर मां बहुत दर्द हो रहा है प्लीज जल्दी करो मेरा पेट फट रहा है
अमित : यार क्या करूं में तुम ऐसे चीखोगी तो में अपना काम कैसे कर पाऊंगा और प्लीज थोड़ा सा शांत रहो अगर तुम्हारी आवाज किसी ने सुन ली तो मेरे लिए सही नही होगा लोग पता नही क्या सोचेंगे वैसे अगर तुम बिलकुल भी बर्दास्त नही कर पा रही तो एक काम करो तुम अगर सिर्फ सुसु करना चाहती हो तो कर लो में अपनी आंखे बंद कर लेता हूं
अमित तुम पागल हो गए हो में अपने बिस्तर से एक इंच भी हिल नही सकती हूं अगर मैने सुसु कर दी तो मुझे उसी सुसु वाले बिस्तर पर लेटना पड़ेगा गीले पेटीकोट और पैंटी में में मार जाऊंगी पर ये नही कर सकती हूं
अमित : तो तुम चुप चाप मुझे अपना काम करने दो और खुद बस कंट्रोल कर के लेटी रहो में कर रहा हूं और यश हो गया तुम्हारे हाथ वाला बेड का पोस्ट खुल गया है बस पैर का बचा है तुम अगर कुछ देर और कंट्रोल कर पाओ तो में वो भी कोशिश करता हूं
तुम्हे जो भी करना है वो करो बस मुझे जल्दी से वाशरूम जाना है , प्लीज मुझे एक कपड़ा दे दो में और कंट्रोल नही कर पा रही है मेरा पेट दर्द से फट जायेगा
अमित : गीला कपड़ा क्या करेगी ,ये लो दुप्पटा अपना , अरे ये तुम अपने मुंह में क्यों ठूस रही हो
तुम चुप चाप अपना काम करो मुझे मत देखो में क्या कर रही हूं क्यों के मुझे भी नही पता के मैं क्या कर रही हूं
अमित:और ये हो गया देखो तुम्हारे हाथ और पैर में से लॉक खोलना पॉसिबल नही है पर बेड से मैने तुम्हारे हाथ पैर निकाल दिए है लो मेरा हाथ पकड़ो और खड़े हो जाओ
में खड़ी हुई पर मुझे कुछ दिखाओ नही दे रहा है मेरी हेल्प करो वाशरूम जाने में
अमित: चलो ये रहा दरवाजा अंदर जाओ
में अंदर आ गई और हाथ के इशारों से मैने दरवाजा लॉक किया और जल्दी से मैने खुद को हल्का किया कपड़े पहिने फ्लैश किया और हाथ मुंह धोया आंख पर बार बार पानी डाला तो बहुत हल्का सा धुंधला सा दिखाई देना शुरू किया ऐसा लग रहा है जैसे में आंखो की किकी पर एक परत बन गई है काली सी जिसकी वजह से मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा आई
मैने पानी से साफ करने की कोशिश की पर कोई फायदा नही हुआ तो मैने हाथ के सहारे से दरवाजा खोल कर बाहर आई अमित ने मुझे सहारा दिया और बोला तुम्हे कुछ दिखाई दे रहा है क्या
नही मुझे कुछ भी साफ साफ दिखाई नही दे रहा है
अमित: अब तुम क्या चाहती हो तुम आजाद हो बिस्तर से क्या सोचा है कहा जाना है
तुम क्या पागल वागल हो मुझे दिखाई नही दे रहा है कुछ भी मेरे पीछे पुलिस और गुंडे दोनो लगे हुए है मां बाप गायब है जिनका कोई पता ठिकाना नही है मेरे हाथ और पैर में लोहे की चैन अब भी बंधी हुई है में सिर्फ बेड से खुली हूं कहा जाऊंगी और जाना भी चाहु तो कहा जाऊं और कैसे जाऊं मेरे तो किस्मत ही खराब चल रही है कुछ भी समझ नही आ रहा है क्या करूं कहा जाऊं
अमित : तुम परेशान मत हो पहल कुछ खा लो यहां बैठो, अब बैठी क्यों हो खा क्यों नही रही हो
अभी तो मैने तुम्हे बताया के मुझे कुछ भी दिखाई नई दे रहा है सब अंधेरा है में अपने हाथ से कैसे खाऊं मुझे अंधे पन का कोई आईडीया नही है अंधे बांध कर एक जगह पड़े रहना और अंधा हो कर सब करना बहुत अलग अलग बात है
अमित : ठीक है मुंह खोलो खिलाता हूं खाना ,
बस अबी नही खा सकती , पानी दो मुझे , बस अब नही पी सकती
अमित : अब क्या करे तो मै जाऊं फिर अब तो तुम आज हो अपनी मर्जी की मालकिन वैसे भी तुमहरा मतलब सॉल्व हो चुका है अब तुम्हे मुझसे क्या ही मतलब होना है
अपनी बकवास बंद करो मुझे यह से अपने साथ ले जाओ मुझे नही पता कहा ले जाओगे पर ले चलो
अमित : ठीक है में अपने घर ले चलता हूं पर मां के साथ एक ही घर में रहेलोगी उन्हे हर समय आंखो के सामने देख पाओगी
हां भगवान ने इसी लिए मुझे पहल ही अंधी बना दिया है शायद वो भी नही चाहते थे के में तुम्हारी मां को हर समय देखूं
अमित : पर के प्रोब्लम है तुम चलेगी कैसे मेरे साथ तुम्हे कुछ दिखाई नही दे रहा है तो
जिनकी आंखे नही होती तो क्या वो जीना छोड़ देते है , तुम मेरा हाथ पकड़ो और मुझे अपने साथ ले चलो समझे
अमित : पर तुमने कपड़े नही पहिने है मां ने अगर तुम्हे मेरे साथ ऐसे कपड़ो में देख लिया तो क्या सोचेगी
तुम्हे साड़ी पहेन्न आता है
अमित : मुझे साड़ी पहेनना क्यों आएगा
हां तो चुप चाप उधर मुंह करो और मेरी साड़ी मुझे दो में खुद पहन लेटी हूं बिना आंखो के जो कुछ हो पाएगा , बस अब खुश पता नही कैसी लग रहे होऊंगी ये उल्टी फूलती साड़ी लपेट तो ली है अब तो तुम्हारी मां को कोई परेशानी नही होगी ना
अमित: परेशानी तो तुम दोनो में जिंदगी भर की है वो तो रहेगी पर हा साड़ी के वजह से नही होगी चलो अब मेरे हाथ को काश कर पकड़ लो और चाहे कुछ भी हो जाए जरा सी भी आवाज मत करना
में तो नही करूंगी पर ये लोहे की चैन तो करेगी ही इनका क्या करूं
अमित : यार क्या करूं में रुको एक दुप्पटा तुम्हारी कमर में बांध देता हूं और उस में ये चैन बांध देता हूं जिससे ये जमीन पर नई लगेगी सॉरी तुम्हे थोड़ी सी परेशानि होगी अगर तुम कहो तो ही करूंगा
यार अब तक वैसे भी मेरे मर्जी से कुछ हो रहा है जो अब हुआ एक काम करो जो सही लगे वो करो पर मुझे यह से निकालो वैसे तो कभी मैने सोचा नही था के कभी ऐसा दिन भी आएगा के इस घर को छोड़ कर जाना पड़ेगा और अब पता नही कब मै अपने इस कमरे में आ पाऊंगी और मेरी बदकिस्मती देखो अन्तिम बार अपने कमरे को देख भी नही पा रही हूं
अमित: अब ज्यादा मत सोचो यह खड़े हो जाओ और मजे ये चैन को ठीक से तुम्हारी कमर से बांधने दो, तुम्हे दर्द तो नही हो रहा है
नही तुम जो कर रहे हो वो करो पर एक बात बताओ तुम्हारे घर में मेरे साइज के कपड़े है
अमित : मेरे घर में कैसे होंगे मेरे घर में कोई लड़की थोड़े है
तो में क्या पहेनुनी तुम्हारे घर जाकर ,
अमित : मुझे पता था तुम यही टोंट मरोगी इसोलिए तुम्हारी अलमारी में से मैने सारे कपड़े रख लिए है पर मुझे एक बात समझ नही आई
क्या समझ नही आई
अमित : तुम्हारे पास इतने सारे ब्लाउज क्या कर रहे है उसके अलावा ना साड़ी ना पेटीकोट कुछ भी नही है
ओह नही मां ने मेरे सारे कपड़े अपने कमरे में लॉक कर दिए थे और साड़ी भी सिर्फ ब्लाउज और ब्रा पैंटी छोड़ कर जिससे के मै किसी दिन घर छोड़ कर भाग ना जाऊं
अमित : चलो परेशान मत हो तुम मां की साड़ी और पेटीकोट पहन लेना अब चलते है
यार बहुत अजीब सा लग रहा है कमर में ये चैन का बजन काफी लग रहा है पर ठीक है जो किस्मत में है उसे कौन और कैसे मिटा सकता है
अमित : संभालकर चलो यहां सीढियां है एक एक कदम धीमे धीमे से बस एक लास्ट सीधी और बची है बस पहुंच गए तुम एक काम करो में तुम्हे अपने कमरे में ले चलता हूं तुम वहा आराम से सो जाओ अगर तुम चाहो तो ऐसी चला दूं
हां चला दो और फिर अमित मुझे ओढ़ा कर अपने कमरे से चला गया मुझे नींद ही नही आ रही थी ये सोच सोच कर के मुझे कुछ भी दिखाई नई दे रहा है कल जब आंटी को ये पता चलेगा पता नही वो कैसे रिएक्ट करेगी. थोड़ी देर में अमित मेरे लिए चाय बना कर लाया और बोला
अमित :: सो गई क्या मुझे पता है तुम्हे नींद नही आ रही होगी बहुत सारे क्वेश्चन मन में होंगे पर परेशान मत हो और ज्यादा सोचो मत तुम बस चाय पीओ तुम्हे बहुत पसंद है मुझे पता है
मैने चाय पी सच में बहुत अच्छी चाय थी और पता नही जैसे मुझे नशा सा होने लगा और में बेहोश होने लगी
अमित : तुम्हे नींद आ रही होगी इसमें मैने हल्की सी नींद की दबा मिला दी थी जिससे तुम चैन से सो सको पिछले बहुत कुछ झेला है तुमने एक अच्छी सी नींद तुम्हे हिल होने में मदद करेगी
सुबह जब आंख खुली तो मुझे सब कुछ तो नही दिखाई दे रहा था पर कल रात से बैटर था मुझे इतना दिखाई दे रहा था के सामने कौन है चेहरा एक दम साफ नही दिख रहा था पर सामने कौन है वो समझ आ रहा था और अभी मेरे सामने थी मेरी प्यारी मनहूश आंटी और अमित
आंटी : अरे बेटा क्या हाल बना रखा है तुमने लो चाय पिलो, अमित बता रहा था के तुम्हे दिखाई देना बंद हो गया है क्या ये सच है , हाय मेरी बच्ची जरा सी उमर में कितना कुछ झेलेगी
हां पर अब मुझे कुछ बैटर दिख रहा है शायद एक दो दिन में मेरी आंखे फिर से ठीक हो जाए बहुत दिन से आंखे बांध रखी थी ना मां ने और और हाथ पैर भी
आंटी : हां वो तो है जा नहा ले जाकर कुछ आराम मिलेगा और ये दबा खा ले पैन में आराम मिलेगा
में बोली नहाऊं कैसे मेरे पैरो में ये चैन बंधी हुई है तो बाकी सब तो उतर जायेगा पर हाथ से ब्रा और पैर से ये पैंटी कैसे उतारूं और ये ब्लाउज भी नही उतर सकती हूं
आंटी : अरे ये कौन सा ताला है एक मिनट रुक जा मेरे पास भी सेम ही टाइप का ताला है क्या पता उसकी चाभी लग जाए और फिर आंटी ने एक चाभी से ट्राई किया और ये क्या ताला एक मिनट में खुल गया
जैसे ही मेरे हाथ और पैर से लोहे की जंजीर अलग हुई मेरे तो खुशी का ठिकाना ही नही था में तो खुशी से नाच उठी मैने आगे बढ़ कर आंटी को गले लगा लिया
आंटी बोली गले लगाने से काम नही चलेगा पैर छूने पड़ेंगे अभी इसी समय
में बोली मनहुश अपनी हरकत से बाज नही आने वाली है पर मरता क्या नही करता और मैने आंटी के पैर छुए और आंटी ने आशिर्वाद भी दिया
आंटी : वैसे मेरा सपन था के काश तू मेरे घर में कुछ दिन आ कर रहे पर ये देख आज तू मेरे घर में है अब एक काम कर जाकर नहा ले और तू मेरे कमरे में रहेगी
में वोही खड़ी रही बिना कुछ बोले
आंटी बोली क्या हुआ नहाना नही है क्या
नही ऐसी बात नही है नहाना तो है पर एक प्रोब्लम है मेरे पास कपड़े नही है और जो कपड़े अमित लेकर आया है उसमें सिर्फ ब्लाउज है में अब साड़ी नही पहनने वाली हूं
आंटी कुछ बोलती उससे पहले अमित बोला हां कोई बात नही तुम मेरे कपड़े पहन लेना इस पर आंटी बोली हां क्यों नही वो तेरे कपड़े पहन लेगी और तू इसके पहन लेना बस यही बचा है करने को कोई किसी के कपड़े नही पहनेगा तुझे नहाना है तो नहा नही तो तेरी मर्जी पर पहेनने तो साड़ी ही पड़ेगी
और तू चुपचाप अपना काम कर और कॉलेज जा ज्यादा हमदर्द मत बन समझा
और तू महारानी यहां मेहमान बन कर नही आई है तेरे पीछे पुलिस और बदमाश दोनो पड़े है तो चुपचाप साड़ी पहन कर मुंह पर घूंघट करके घर के कोने में पड़े रहे जब तक तेरे मां बाप नही मिल जाते , हमारा अहसान मान जो हम तेरे लिए इतना सब कुछ कर भी रहे है तेरे खुद के रिश्तेदार इकभी नही आए है अब तक तुझे ढूंढने समझी तो अब जा और जाकर जल्दी नहा ले
आज तो 10 बजे उठी है पर कल से 5 बजे उठ कर नहा धोकर रेडी होना है आई बात समझ में और जब तक मेरे घर में है जब भी कभी मुझे देखेगी सुबह उठ कर सबसे पहले मेरे पैर छू कर आशीर्वाद लेगी उसके बाद कोई और काम करेगी नहाकर आयेगी कपड़े पहनकर पूजा करेगी और फिर मेरे पैर छू कर आशीर्वाद लेगी उसके बाद घर में झाड़ू लगाएगी फिर पोछा भी तू ही लगाएगी समझी और हर काम के बाद मेरे पैर छूना मत भूल ना मेरे सामने बेड पर बैठने के बारे में सोचना भी मत और सबसे जरूरी बात सोते समय मेरे पैर दबाएगी और रात में जमीन पर सोएगी घर में पल्लू सिर से हटना नही चाहिए आई समझ में
में क्या बोलती में तो एक जेल से निकल कर दूसरे उससे बड़े जेल में आ गई वहा तो सिर्फ मां को झेलना था जिसमे शायद थोड़ी बहुत दया थी मेरे लिए वो मुझे फिर भी एक लिमिट तक ही परेशान कर रही थी लगता है यहां तो ससुराल में आ गई और हिटलर सास मिल गई है जिसको मेरे हर काम को कंट्रोल करना है इन सॉर्ट मेरी तो लग गई
में बस यही बोल पाई जी आंटी
आंटी : आंटी मत बोलो बेटा मां कहो में भी तो तुम्हारी मां जैसी ही हूं
में बोली हां मां जैसी ही हो आप मेरी , मां जी
आंटी : ये हुई ना बात चलो अब जल्दी से जाओ और नहा कर पूजा करो में अभी आई
में वोही खड़ी रही बिना किसी हरकत के
आंटी : अब जाने का क्या लेगी जाति क्यों नही
मुझे कुछ दिखाई नई दे रहा ठीक से और मुझे आपके घर के बारे में भी ज्यादा नही पता के मुझे किस कमरे में जाना है अगर मां जी आपको बुरा ना लगे तो एक बार अपना घर दिखा सकती हो
आंटी बोली : अभी तो तू बोल रहे थी की तू अंधी है दिखाई नही दे रहा है और अब बोल रही है घर दिखाऊं कैसे देखेगी घर वैसे अंधी
में बोली मुझे थोड़ा बहुत दिख रहा है पूरा सब ब्लैक नही है में कोशिश करूंगी जितना मुझे दिख रहा है उससे आपके घर को समझने का वैसे भी मुझे कहा घूमना है आपके कमरे तक ही पहुंचा दो उसी में किसी कोने में पड़ी रहूंगी
आंटी बोली अच्छा ये बता मैने कौन सी रंग की साड़ी पहेनी है
मैने आंखो पर जोर दिया पर बहुत हल्का रेड सा दिखाई दिया पर में श्योर नही थी
आंटी ने फिर अपनी उंगली दिखाई और गिनने को बोली
मैने फिर से आंखो पर जोर दिया पर अंगुली ठीक से दिख नही रही थी बहुत कोशिश करके मैने बताया के शायद 3 उंगली है
आंटी बोली सही कहा 3 उंगली है मतलब दिखाई दे रहा है बस नाटक कर रही है साड़ी में सिर ना ढकना दी इसलिए पर ये चालाकी बहन जी पर चलाना मुझ पर नही समझी
चल अब मेरे पीछे पीछे आ और में उनकी बहुत ही धुंधली सी छबि के पीछे हाथो के सहारे से चलते हुए टकराते हुए उनके कमरे में पहुंची आंटी ने वाशरूम की और इशारा किया जो मुझे कुछ समझ नही आया आंटी को लग रहा था मैने झूठ बोल रही हूं के मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा है
उनके पैरो की पायल की आवाज से मुझे पता चल गया के वो कमरे से चली गई और फिर मैने हाथ के इशारे से जैसे तैसे करके वाशरूम ढूंढा , बाल्टी भरी सब कुछ धुंधला था बहुत मुश्किल हो रही थी हर काम में पर क्या कर सकती हूं मैने जैसे तैसे कर के नहाया जो भी पैंटी ब्रा लाई थी पहन लिया आंटी बेड पर ब्लाउज और पेटीकोट और साड़ी रख कर गई थी मैने कपड़े पहन लिए
आंटी मेरे सामने खड़ी थी पर कुछ बोल नही रही थी मुझे कुछ समझ नही आया के क्या चाहती है उनका चेहरा भी ब्लर था
आंटी बोली तुझे बोला था ना नहाकर आने के बाद क्या करना है
में बोली पूजा करने को बोला था उसके बाद आपके पैर छूने को बोला था
आंटी बोली याददस्त तो अच्छी है ये ले साड़ी में पिन लगाले
में आंटी से बोली आंटी मुझे सच में कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा है क्या आप मेरे साड़ी में पिन लगा सकते हो प्लीज
आंटी बोली हां लगा सकती हूं पर उसके लिए तुझे मेरे पैर छूना पड़ेंगे और घुटनो पर बैठ कर रिक्वेस्ट करनी होगी तो शायद में लगा दूं
आंटी आप मेरे मजबूरी का फायदा मत उठाओ अगर लगाना हो तो लगाओ पिन वरना में बिन पिन के साड़ी में रहे लूंगी कोई जरूरत नही है मुझे पिन की आप मुझे मंदिर बता दो मैने पूजा कर देती हूं वरना आप बोलो के आपकी बात नही मानी
आंटी मुझे अपने साथ पूजा रूम में ले गई मुझे दिया जलाने को कहा पर मुझे ठीक से दिखाई नही दे रहा था तो मै एक पूरी माचिस खत्म करने के बाद भी दिया नही जला पाई ना ही अगरबत्ती ,
आंटी ने मुझे गुस्से से खड़ा किया और बोली अरे मनहूश तुझे कुछ आता भी है एक दिया नही जला पा रही है बस जवान चलाना है हर चीज में ना बड़ा देखना है ना छोटा बस मुंह चलाना है चल खड़ी हो यह से मैं कर लूंगी पूजा चल यह से जा निकल पूजा के कमरे से
मुझे इतनी बेज्जती आज से कभी पहल नही महेसुस हुई जितनी अभी हो रहे थी पर क्या करती बेज्जती का घूंट पी कर आगे बढ़ गई और आंटी के कमरे में पहुंच गई थोड़ी देर बाद आंटी आई और मेरे सामने खड़ी हो गई मुझे पता है क्या चाहती है मैं लड़ाई आगे नही बढ़ाना चाहती थी तो उनके पैर छू लिए
आंटी ने मुझे कंधे से पकड़ कर खड़ा किया और बिना कुछ बोले मेरे साड़ी में पिन लगाए और मेरे सिर पर एक लंबा घूंघट डाल दिया और बोली
ये पल्लू सिर से हटना नही चाहिए घर में एक जबान लड़का है समझी और अमित को अगर नाम ले कर बुलाया है तो खाना पानी बंद कर दूंगी समझी तो अमित जब भी घर में हो तुझे इस कमरे से बाहर नही आना है घर के सारे काम अमित के जागने से पहले और अमित के कॉलेज जाने के बाद करेगी समझ में आई बात तेरी मोती बुद्धि में और अंतिम बात मैने कहा ना मै कोई आंटी नही हूं तो मां जी बोल एक दिन का टाइम दे रही हूं अगर कल से आंटी शब्द सुनाई दिया ना तो मालकिन बोलना पड़ेगा समझी बेटी की तरह रखना चाहती हूं उम्मीद है बेटी बन कर रहे पाओगी वरना नौकरानी बनाने में ज्यादा टाइम नही लगेगा
जी आंटी सॉरी मांजी में आपकी बात को याद रखूंगी , मां जी अगर आप गुस्सा ना हो तो एक बात कहूं
आंटी बोली पता है मुझे चाय चाहिए तुझे , नहाने के बाद तुझे चाय चाहिए होती है , लाती हूं थोड़ी देर में ,
मैने खुशी से कहा जी मां जी थैंक यू,
आंटी गई और में जहा खड़ी थी वोही बैठ गई , भगवान कितनी और परीक्षा लेनी बाकी है जिंदगी में ये तो मुझे लगता है घर में नौकरानी ही बना कर रहेगी पता नही इसके दिमाग में क्या चल रहा है खुद को समझ क्या रही है कौन इतने बड़े पल्लू में किसी पढ़ी लिखी लड़की को रखता है कुछ दिख ही नही रहा है दम घुट रहा है 1ओ मिनट में ही ऐसे ही पूरे दिन रहना तो जेल है मुझे तो सोच कर ही अजीब लग रहा है ,
थोड़े देर में आंटी चाय लाई और मेरे सामने रख दी और बोली पी ले मैने जैस तैसे चाय का ग्लास ढूंढ कर उस उतने बड़े घूंघट से चाय पी,
फिर आंटी मेरे पास आई और बोली अब मनहूश पूरा दिन चाय ही पीती रहेगी , और चाय पीकर कप धोकर कौन रखेगा
में बोली माजी मुझे किचन का रास्ता नही पता है माफ कर दो और अगर आपको कोई परेशानी ना हो तो क्या में ये घूंघट हटा सकती हूं मुझे सच में कुछ नही दिख रहाहै
आंटी हसी और बोली अरे कामचोर बहाना बनाना तो कोई तुझसे सीखे बस अब कुछ काम ना करना पड़े इसलिए हर चीज का बहाना घूंघट है हर काम के लिए घूंघट हटाना है चल मेरे साथ और मेरा हाथ पकड़ कर अपने साथ किचेन में ले गई और किचन के सिंक के पास लेजाकर बोली ये सारे बर्तन धूल कर रख में तब तक अमित को चाय दे कर आती हूं और फिर किचन से बाहर गई और मैने अपना पल्लू ऊपर किया जो थोड़ा बहुत दिख रहा था मेरे सामने थे देर सारे बारातनो को ढेर , मैने पल्लू ऊपर किया और बर्तन धुलना शुरू किया लगभग आधा घंटा लगा सारे बर्तन को धोने में
तब आंटी आई और बोली ये लड़का भी ना पता नई कब बड़ा होगा अभी भी बच्चो वाली जिद करता रहता है और महारानी तुम खड़ी क्यों हो सारे बर्तन धूल गए और फिर एक दो बर्तन को चेक किया अरु बोली ये क्या अब तुझे बर्तन धोना भी नही आता है क्या , सारे बर्तनों में साबुन लगा हुआ है ठीक से धो चिकनाई अब भी है
और मुझे फिर से बर्तन धोने पड़े क्या करती मना करू भी तो कैसे और किसे कौन मेरी सुनने वाला है अब की आंटी ने फिर से सारे बर्तन चेक किए और कुछ बर्तन मुझे वापस दिए और बोली दुबारा धुलने के लिए मैने उन्हे फिर से धो दिया और फिर मेरे से बोली तुझमें अकाल नही है क्या
तुझे अभी सुबह ही बताया था ना के मेरे सामने या मेरे बेटे के सामने बिना घूंघट नही आना है
घूंघट कब करेगी हर चीज बोलना पड़ेगा क्या
में बोली मुझे कुछ दिखाई नही दे रहा था इसलिए घूंघट ऊपर किया था और में सच बोल रही हूं मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा है फिर भी में जितना कर सकती हूं उतना काम कर रही हूं
अच्छा महारानी अब क्या करूं तो तुझे मिठाई खिलाऊं काम करने के लिए चल एक काम आर पूरे घर में झाड़ू लगा और मुझे एक झाड़ू दिया और बोली तब तक मै खाना बनाती हूं मैने जैस तैसे धुंधला धुंधला देखते हुए झाड़ू लगाया और थोड़ी देर बैठ गई तब तक आंटी फिर से आ गई
और मुझे बोली चल अब क्या पूरा दिन आराम ही करनाहै चल अब पोछा लगा और हां अमित का रूम एकदम चमका कर साफ करना समझी कोई बुक बगैरह मत गिरा देना या कोई कागज मत छूना
मेरे मन में तो आया के ये बाल्टी इस मनहूश के मुंह पर मारूं और यहां से भाग जाऊं में जिसकी शकल भी ना देखू आंख उठाकर ये मनहूश आंटी मुझे उस अमित के कमरे में पोछा लगाने को बोल रही है
आंटी बोली ओह मनहूश क्या दिन में सपने देख रही है चल जल्दी जल्दी हाथ चला समझी और खुद अमित के बिस्तर पर लेट गई और मुझे नौकरानी के तरह पूरा कमरा रगड़ रगड़ कर एक एक कोना साफ करवाया मुझे पूरे घर में पोछा और झाड़ू लगाने में जितना टाइम लगा उससे कही ज्यादा टाइम अमित के कमरे को पोछा लगाने में लगा
में पोछा लगा कर कमरे से बाहर जाने को हुई तभी आंटी बोली ये लड़का भी ना कब बड़ा होगा नहाकर कपड़े बाथरूम में ही छोड़ दिए एक काम कर जाकर उसके कपड़े धो दे मुझे लगा टीशर्ट या जींस होगा पर मेरे सामने थे अमित के अंडरवियर और बनियान , मुझे इतना गुस्सा आ रह था ना के में जाने क्या कर बैठू तभी आंटी की आवाज आई क्या करने लगी बाथरूम में सो गई क्या 2 कपड़े में क्या पूरा दिन लगाएगी महारानी
और मैने फटाफट साबुन लगाकर उसके अंडरवियर बनियान को धो दिया और बकेट में रख दिया ,फिर मैने अपना हाथ और मुंह धोया आंखो पर पानी डाला शायद मेरी आंखो की रोशनी आ जाए पर की फायदा नही .
दोपहर में हम दोनो ने साथ में खाना खाया और आंटी मुझे अपने साथ कमरे में ले गई और मुझे कमरे में छोड़ कर बोली तू रुक मै अभी आई
फिर अपने साथ एक लोहे की चैन ले कर आई और मेरे कुछ कहने से पहले मेरे दोनो पैर में एक एक लॉक लगाया और फिर एक चैन को बिस्तर के पाए से लॉककिया मतलब के अब में चाहकर भी वाशरूम भी नही जा सकती हूं जब तक ये मनहूश ना चाहे फिर आंटी बोली अरे तुझे तो अब आदत हो गई होगी ना ऐसे बंधे रहने की और हसने लगी
फिर मुझे वहा बेड से बांधा हुआ छोड़ कर थोड़ा सा आगे चाभी टांगने की खुटी पर चाभी टांग दी जहा तक मेरे हाथ ना पहुंच सके फिर बोली अरे आज कल भरोसा नही है ना कही तू भाग गई तो में बहन जी को क्या मुंह दिखाऊंगी और अभी कोई घर में आ गया तू भाग कर दरवाजा खोल कर खड़ी हो गई तो सावधानी तो रखनी पड़ेगी ना तेरा क्या है तू तो पुलिस या चोर के साथ हाथ हिलती चल देगी पर परेशानी तो मुझे और अमित को झेलनी पड़ेगी ना तेरी मदद करके
में क्या बोलती आंटी बोली चल अब थोड़ी देर मेरे पैर दबा दे सुबह से काम कर करके थक गई हूं ठीक से दबा अगर सही से दबाए तो अमित को बोल कर पिज्जा मंगवा लूंगी तुझे पसंद है ना
खुद तो मनहूश खर्राटे मार कर सो गई और मुझे नौकरानी की तरह अपनी सेवा में लगा दिया अगर आंखे ठीक होती तो पता चल जाता ये सो गई या नही इन आंखो से तो कुछ दिख भी नही रहा ठीक से ,
थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी मैने आंटी को जगाया उन्होंने जाकर देखा कोई सेल्स मन था साला गधा खुद तो चल गया अब मुझे इस मनहूश के सोने तक फिर से पैर दबाने पड़ेंगे.
दोपहर में अनिता आया डोर बेल बजने पर मैने फिर आंटी को जगाया खुद हिलते हुए चली गई मुझे वहा बांधा हुआ छोड़कर और जाते हुए अपने कमरे का दरवाजा बंद कर गई और मुझे बोल कर गई के घूंघट से बाहर मुंह दिखाई ना दे जाए
दोनो मां बेटे आराम से बाते कर रहे थे अमित छोटे बच्चे के तरह कॉलेज में क्या हुआ सब तोते की तरह रट रहा था अमित ने मेरे बारे में पूछा भी पर आंटी बोली वो महारानी तो सुबह से सो रही है बस चाय पीने के लिए उठी और एक बार खाने के लिए उसके बाद बिस्तर पर टांगे फैलाए पड़ी है मेरे तो कमर में दर्द हो गया जमीन पर लेट कर
मुझे इतना गुस्सा आ रहा था के ये मनहूश कभी सच क्यों नही बोलती है सब को झूठ बोलती है और इतनी कॉन्फिडेंस के साथ के कोई भी मन जाए.
अमित को खाना खिलाया फिर अमित अपने कमरे में जाकर सो गया और खुद आराम से टीवी देखती रही में यहां घूंघट में मुंह छुपाए पता नही किसके डर से कमरे में छिपी बैठी हूं शाम को खाना भी मुझे अपने कमरे में ही दिया अकेले बैठ कर खाना पड़ा खुद मां बेटे साथ में खाना खा रहे थे टीवी देख रहे थे है रहे थे बाते कर रहे थे मुझे भी बाते करनी है हसने है मेरे साथ क्या हो रहा है बताना है
बातो बातो में अमित ने मां से कहा के वो मेरे लिए आंख की दबा लाया है और उस दबा के ड्रॉप से मेरी आंखे एक दम ठीक हो जायेगी उसने डॉक्टर से कंसल्ट किया है बस 3 ड्रॉप दिन में 3 दिन बार एक ही दिन में मेरी आंखे एक दम ठीक हो जाएंगी
पर आंटी ने वो दबा मुझे नही दी मुझे लगा रात में अमित के सोने के बाद जब वो आयेगी तो मुझे सोने से पहले डालने को दे देगी पर ऐसा नही हुआ रात की सुबह हो गई में जल्दी उठी आंटी को उठाया नहाने जाने के लिए आंटी ने मेरे पैर खोल दिए में जल्दी से गई पर वो दबा जहा होनी थी वहा नही थी आंटी बोली क्या हुआ पूरे घर में क्या डोल रही हुआ क्या ढूंढ रही है में तुझे दबा नही दे सकती अगर तेरी आंखे ठीक हो गई तो तुझे बांध कर रखना मुश्किल हो जायेगा और हर समय तुझ पर नजर रखनी पड़ेगी इसलिए मैने संभाल कर रख दी है अमित में अकल है नहीं पर मुझमें तो है ना
मुझे रोना आ गया के ये औरत मुझे जान बूझकर अंधी बनाकर रखना चाहते है पर तभी मुझे याद आया के कमजोर नही पड़ना है मैने आंसू पोछे और बहुत कंट्रोल करके बस यही बोल पाई जी माजी और फिर हाथ से ढूंढ कर तौलिया और अपने इनर लेकर वाशरूम में चली गई दरवाजा बंद किया और जी भर कर रोई
लेकिन कहते है ना जहा चाह है वहा राह है जब में रो रही थी और आंखे पूछ रही थी मेरे आंसू या उनमें नमक से शायद मेरे आंखो पर लगी काली टेप जैसी कोई चीज मेरे आंख से निकल आई अब मुझे एक आंख में से सब कुछ दिख रहा था साफ साफ इसका मतलब था के जब में बेहोश थी तब अमित ने मेरी आंखो पर ये काली सी झिल्ली मेरे आंखो पर लगाई थी इसलिए मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था और जब मुझे इस घर में लाया तब मुझे चाय में मिलाकर जब मुझे बेहोश किया तब मेरी आंखो पर से पुरानी पट्टी जिसमे मुझे कुछ नही दिख रहा था हटाकर हल्का सी विजिबिलिटी वाली शीट लगादी जिससे अब मुझे बहुत ही हल्का हल्का दिखाई दे रहा है
तो ये दोनो मां बेटा की चाल है या कही ये भी हो सकता है के ये सिर्फ ये इस बुढ़िया की चाल हो और अमित को कुछ पता ना हो ये भी पॉसिबल है पर जब तक मुझे सच नही पता चलता के आखिर मेरे साथ ये लोग कर क्या रहे है तब तक इनकी इस चाल का मुझे कुछ पता नही है ऐसे मासूम बने रहना होगा
मैं नहाकर बाहर आई मैने तुरंत साड़ी पहन ली और मुंह ढांक लिया आंटी आज मुझे पूजा करने नही ले गई मैने झुक कर पैर छुए और बस खड़ी रही
आंटी बोली तुझे लग रहा होगा के में नही चाहती के तेरे आंख में दबा डालूं पर सच तो ये है के वो बहुत पैन फुल होगी में तुझे दर्द में नही देख सकती हूं पर तू अगर चाहती है तो में दबा डाल देतीहुं तू एक काम कर ये चाय पी ले और मैने जैसे ही चाय पी में थोड़ी ही देर में बेहोश हो गई
जब होश आया तो मेरे पैरो में एक चैन थी घुटनों के पास वो इस तरह से लॉक थी के में बहुत ही छोटा कदम उठा सकूं पैरो में एक भारी सी पायल थी जो बहुत ही ज्यादा आवाज करेगी मेरे चलने पर पर अच्छी बात ये थी के मेरी आंखे ठीक हो गई थी अब मुझे सब कुछ दिखाई दे रहा था
आंटी बोली अब कैसा लग रहा है मै बोली बस सिर दर्द हो रहा है अगर चाय मिल जाए बिना बेहोशी की दबा के तो अच्छा लगेगा
आंटी बोली हां अगर तेरे हाथ से मिल जाए तो और अच्छा लगेगा और हां याद रखना घूंघट हटना नही चाहिए और अब दिखाई ना देने का बहाना मत बनाना क्यों के अब से घर के सारे काम तुझे ही करने है और तू मुझे बुलायेगी मालकिन , खाना बन गया ना चल अब तू मेरे कमरे में जा अमित के जागने का टाइम हो गया मैने जैसे ही आंटी के कमरे में गई आंटी पीछे से आई और मेरे आंखो पर एक काली पट्टी बांध दी मेरे मुंह पर एक टेप लगा दिए और मेरे हाथ बिस्तर के साइड में बने रेलिंग से चैन से लॉक कर दिया और मेरे मुंह पर पल्लू डाल कर बोली बहुत थक गई होगी सो जाओ थोड़ी देर में अमित को कॉलेज भेज कर आती हूं
अमित के कॉलेज जाने के बाद आंटी मेरे कमरे में आई और बोली तुझे पता है तू मुझे कभी पसंद नही थी आज भी नही है और आगे भी नही होगी , मुझे पहले दिन से पता था के तु उस कमरे में अकेले लॉक्ड है तेरी मां ने मुझे बताया था के तुझे आंखो पर पट्टी बांधकर आई है चाभी भी मेरे पास थी और मैने ही तुझे वो इंजेक्शन लगाया था पहल दिन और फिर तेरी आंखो पर वो काली पट्टी लगाए थी जिससे तुझे कुछ दिखाई ना दे और जब तू मेरे घर आई अब भी मैने ही काम विजिबिलिटी वाली पट्टी लगाए थी क्यों के में तुझे अपने घर की नौकरानी बनाना चाहती तो तेरे मां बाप फरार थे इसलिए मुझे लगा था वो आज नही कल आ जाएंगे इसलिए तुझे मैने अब तक बेटी बनाकर रखा पर अब मुझे पक्की खबर मिली है के तेरे मां बाप को पुलिस से पहले लॉक गुंडों ने ढूंढ लिया है तो अब उनके लौट कर आने का कोई चांस ही नही है और यही मेरे लिए सबसे ज्यादा खुशी की बात है
अब तू मेरे अलावा किसी को नही पता है के तू कहा है और उन गुंडों के हाथ सिर वो दोनो लगे है या तू भी मिली है
तू सोच रही होगी के मैने तुझे ऐसे क्यों लॉक कीया है तो उसके पीछे एक बड़ा कारण है मेरा बेटा अमित अपने घर की नौकरानी को दिल दे चुका है और तुझे पता है वो नौकरानी कौन है वो तू है
अब से तू हमारे घर की सिर्फ नौकरानी है में पूरा ख्याल रखूंगी के तू लाख कोशिश करने के बाद भी इस कमरे से बाहर ना जा सके और अमित के सामने ना आ पाओ और आंटी हस्ते हुए मेरे गाल पर एक कस कर तमाचा मार कर कमरा लॉक करके चली गई ,,,
और में वहा बेबस बेसहर बिन मां बाप की लड़की हाथ पैर में लॉक और मुंह पर टेप लगा हुआ बिस्तर पर घूंघट में मुंह छुपाए रो रही हूं और चाहकर भी आंसू भी नही पोछ पा रही हूं में आखिर क्या करूं कुछ समझ नही आ रहा है
क्या करेगी ये चुड़ैल मेरे साथ क्या क्या झेलना पड़ेगा अब मुझे कितने और इंतिहान लोगे भगवान , एक एग्जाम में कुछ ही तो काम नंबर आए थे काश मेरे कुछ नंबर और आ जाते मेरी जिंदगी कुछ और ही होती में भी आराम से कॉलेज जा रही होती मेरे प्यारी बाइक पता नही किस के पास और किस हालत में होगी जब मेरी ये हालत है तो उस बेचारी का क्या हाल होगा कितना संभालकर रखा था एक खरोच तक नही आने दी थी कभी पेट्रोल काम नही होने दिए अपनी गाड़ी में और आज मैने खुद खाने के लिए दूसरो की मोहताज हूं पता नही ये पाप का परा अमित कॉलेज कब जायेगा फिर ये चुड़ैल आयेगी मेरे साथ क्या करेगी कही उसने मुझे थप्पड़ मारे तो या किसी और चीज से मरने लगी या मेरे फेस को नुकसान पहुंचाया तो क्या होगा मेरे मुझे बहुत टेंशन हो रही है भगवान कोई तो चमत्कार कर दो प्रभु