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आज ट्रैफिक काम था तो मैं सच में स्कूल टाइम पर पहुंच गया और मैं जल्दी से एक ऐसी सेफ जगह जा कर खड़ा हो गया जहा से मैं टीचर को आते देख सकूं और उसके मूड को जज कर सकू सभी टीचर एक एक करके आना शुरू हुआ प्रिंसिपल भी आ गए पर जिसका इंतजार था बस वो नही आ रही थी
मुझे समझ नही आ रहा था के आखिर ये कहा रहे गई सब ठीक तो है कही ऐसा तो नहीं है के वो आज आ ही ना रही हो छुट्टी ले ली हो मुझे लग रहा था के जैसे भगवान ने अब तक सब कुछ अच्छा कर कर के मेरे अरमानों को जगा दिया और लास्ट मिनट में मेरे अरमानों पर पानी फेर दिया है भगवान क्या क्या सपने मैंने देखे थे और ये टीचर का एब्सेंट होना मेरे सारे अरमानों पर पानी फेर रहा था प्रेयर की रिंग बज गई थी और टीचर कही दूर दूर तक नहीं दिख रही थी प्रेयर शुरू हो गई खत्म हो गई पर टीचर कही नही देखी
मेरा मन प्रेयर में बिलकुल भी नहीं लग रहा था मैं बस पूरी प्रेयर में यही मनाता रहा के टीचर किसी तरह से कोई चमत्कार हो और स्कूल आ जाए पर जैसे जैसे टाइम बीत रहा था मेरी उम्मीद भी टूट रही थी मैं कल रात भर सोया नही था बस यही सोच सोच कर के कल टीचर आएगी और मेरी बस एक विश को पूरी करेगी और पता नही कितने दिनों का जो हिसाब में दिमाग में लगा रहा था उसका आंसर मुझे मिल जायेगा पर शायद भगवान को बस ये मंजूर नहीं था और इस इच्छा को पूरा होने में अभी टाइम बाकी था
मेरी उम्मीद पूरी तरह से टूट चुकी थी प्रेयर खत्म हो गई और सब बच्चे अपनी अपनी क्लास में आ गए मैं भी आ गया और टेबल पर सिर रख कर बस अपने साथ हुए इस इतने बड़े धोखे का दुख मना रहा था तभी चमत्कार हुआ सारी क्लास खड़ी हो गई और मैं भी बिना ये देखे के कौन से टीचर आए है मैं भी खड़ा हो गया तभी मेरी नजर एक परछाई पर पड़ी जो की जानी मानी थी और तभी मेरे दिमाग की लाइट जली और मेरे अंदर से आवाज आई अबे गधे अमित ये तो तेरी क्लास टीचर है जिसके लिए तू इतना परेशान था ये तो वोही है और मैंने जल्दी से अपने झुके हुए सिर को ऊपर किया और देखा तो टीचर ही थी उसने आज मेरी फेवरेट काली साड़ी पहेनी थी और साड़ी से मैचिंग हाई हील्स भी पहिने थे मुझे उनके हील्स देख कर जो सबसे पहेली फीलिंग आई के ये मेरे लिए ही हील्स पहन कर आई है और आज ये मुझे जरूर पंखे से लटकाने के लिए ही आई है हील्स इसलिए पहने है के जिससे पिऊन को न बुलाना पड़े
मैं दिल से भगवान का शुक्रिया किया के भगवान तेरे दरबार में देरी तो है पर अंधेरी नही है तुम्हारे पास सबके लिए कुछ न कुछ प्लान जरूर होता है मैं कितना बड़ा पागल था और भगवान के प्लान पर डाउट कर रहा था भगवान प्लीज मुझे माफ कर देना
टीचर ने सबको बैठने को कहा और अपने अपने होम वर्क को दिखाने के लिए नोट बुक बाहर रख ने को कहा और बोली अगर किसी ने होमवर्क नही किया है तो खुद बाहर आ जाए लेकिन अगर उसने होमवर्क चेक किया और तब ये निकला के होम वर्क नही किया है तो उस बच्चे की खैर नहीं है और डरावना और अपनी जानी पहचानी खूंखार वाली हसी हस्ते हुए बोली आज वो उस बच्चे को पंखे से जरूर लटका देगी तो भलाई इसी में है के जिसने होमवर्क नही किया है वो चुपचाप खुद से बाहर आ जाए वैस रोज तो कोई न कोई बच्चा जरूर ही आ जाता था पर आज कोई भी बाहर नहीं आया पहले तो मेरा मन किया के मै खुद बाहर जाकर खड़ा हो जाऊं और चीख चीख कर सारी क्लास के सामने कहूं के हां मैंने होमवर्क नही किया है और मुझे लटका दो पंखे से मै तैयार हूं पंखे से लटकने को मैं बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं पंखे से उल्टा लटकने के लिए पर फिर टीचर की बात याद आई वो उसे ही लटकाएगी जो खुद नहीं बताएगा और होम वर्क चेक करते हुए पकड़ा जाएगा तो मैंने सोच लिया मैं कोई रिस्क नहीं लूंगा मेरे पास एक ही मौका है तो मैं वेट करूंगा के टीचर मेरे पास आए कॉपी मांगे और मैं उससे बोलूं के हां नहीं किया है होमवर्क जो करना है कर ले चाहे तो पंखे से लटका दे मुझे
टीचर ने एक एक बच्चे की कॉपी चेक करने लगी आज सबने होमवर्क किया था शायद टीचर के कल वाले रौद्र रूप से सब दर गए थे और आज तो बेकबेंचर ने भी होम वर्क कर लिया था कल वाली मार का असर साफ दिख रहा था अब कुछ ही बच्चे और बचे थे मेरा नंबर बस आने ही वाला था मैं बाहर से दुखी और अंदर से बहुत खुश था के वो समय बस आने वाला है और मैं अब पंखे से लटकाए जाना वाला हूं
और देर से सही पर मेरा नंबर आ गया है और जब टीचर ने ये बोला के मैंने होमवर्क नही किया है सारी क्लास में सन्नाटा छा गया जैसे सबने क्लास में भूत देख लिया हो किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था के मेरा होमवर्क भी बाकी रहे सकता है टीचर ने मुझसे कारण पूछा तो मेरे मुंह से निकल गया के मैंने होम वर्क किया था पर भूल से कॉपी रहे गई शायद और जब आपने पूछा था तो मुझे आइडिया नही था के मेरी कॉपी घर रहे गई है जो मुझे अभी थोड़ी देर ही पहले पता चला है इसलिए मै कुछ बोल नहीं पाया आपको
टीचर बोली तुम ब्रिलियंट स्टूडेंट हो और हमेशा होमवर्क पूरा भी करते हो और मुझे यकीन है के तुम जूठ नही बोल रहे हो लेकिन पनिशमेंट का रूल सबके लिए सेम है तो तुम्हे सजा तो मिलेगी एक काम करो सामने बोर्ड के पास जाकर हाथ पीछे करके खड़े हो जाओ मैं बाकी बच्चो की कॉपी चेक कर के फिर तुम्हे सजा दूंगी मैं जैसा टीचर ने कहा था वैसे हाथ पीछे करके खड़ा हो गया तो बेकबेनचर ने जोर से चिल्ला कर कहा के मैम कल जब सेम बात मैंने कही थी तो अपने मेरे हाथ अपने दुप्पटा से पीछे बांध दिए थे और इसे सिर्फ हाथ पीछे करके खड़े होने को बोल रही हो
टीचर बोली कल मेरे पास दुप्पटा था इसलिए बंधे थे आज मैं साड़ी पहेनी है इसलिए नही है मेरे पास दुप्पटा तो बैकबेंचर बोला तो इतनी लड़की में किसी के पास तो होगा ना एक्स्ट्रा दुप्पटा और उसने इतनी कस कर कहा के सारी क्लास चुप हो गई और टीचर शर्मा गई और न चाहते हुए भी बोली के गर्ल्स अगर क्लास में एक्स्ट्रा दुप्पटा किसी के पास हो तो प्लीज हाथ ऊपर करो किसी भी लड़की ने हाथ ऊपर नहीं किया में बाहर से खुश और मन ही मन दुखी हो गया क्यूं के अगर दुप्पटा ही नही है तो कैसे ये मुझे बांधेगी और कैसे मुझे पंखे से लटकाएगी
है भगवान मतलब इतना नजदीक पहुंच कर खाली हाथ लौटाओगे क्या कुछ तो जुगाड करो भगवान
तभी भगवान ने मेरी सुन ली और एक चमत्कार हुआ मेरी क्रश ने हाथ उठाया और बोली मैने आज शर्ट पैंट पहिना है तो मुझे दुप्पटे की जरूरत नहीं है तो आप ले लो और मैंने अपनी क्रश को देखा फिर ऊपर देखा और मन ही मन भगवान के चमत्कार को नमन किया के है ऊपर वाले तेरा जबान नही है कैसे अब प्लैनिग करते हो मुझे मेरी ही क्रश के डुप्पट से बंधा जायेगा और पंखे से लटकाया जायेगा .. वाह ऊपर वाले तू महान है
टीचर बोली ठीक है तो एक काम करो तुम खड़ी हो जाओ और जाकर अमित के दोनो हाथ उसकी पीठ के पीछे कस कर बांध दो और हां ये याद रखना के अगर अमित का हाथ खुल गया बिना खोले तो उसकी जगह मैं तुम्हे पंखे से लटका दूंगी तो कोई दया नही दिखाना है और उम्मीद करती हूं के अमित पूरी तरह से कॉपरेट करेगा मैं बाकी बच्चो की कॉपी चेक करके आती हूं टीचर ये बोल कर अपने काम में लग गई और मेरी आंखे मेरे क्रश पर जा टिकी के वो क्या करने वाली है
मेरी क्रश अपनी बेंच से उठी और अपने बैग से एक दुपट्टा निकाला जो की मेंने ही दो दिन पहले उसके बर्थडे पर गिफ्ट दिया था और मेरी किस्मत देखो आज उसी दुपट्टा से मैं बंधा जाऊंगा
मेरी क्रश मेरे पास आ गई फिर मेरे पीठ के पीछे खड़ी हो गई और मेरे दोनो हाथ को मेरे पीठ के पीछे एक दूसरे के साथ कस कर बांधने लगी वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी इसलिए उसमे जितनी ताकत थी पूरी ताकत को लगा कर मेरे हाथो को दुप्पटे से बांध रही थी और उम्मीद कर रहे थी के मैं हाथ न खोल पाऊं मेरे दोनो हाथ बांधने के बाद वो वापस जाकर अपने जगह पर बैठ गई
टीचर भी बाकी बच्चो के होम वर्क चेक कर के फ्री हो गई थी और में पास आई और मेरे कान में धीमे से बोली के मुझे सब पता है और वो कुछ और बोलती तभी क्लास के गेट पर पिऊन आ गया और बोला टीचर जी आपको प्रिंसिपल सर ने बुलाया है तुरंत चलिए तो टीचर मेरे पास आई और बोली तुम यही खड़े रहो फिर मेरी क्रश को बोली तुम ध्यान रखो के कोई भी क्लास में शैतानी ना करे और अगर कोई भी शैतानी दे तो मुझे उसका नाम बता देना
अब पूरी क्लास में मैं बोर्ड के पास हाथ पीछे करके खड़ा था हाथ बंधे हुए थे और मेरी क्रश मेरे सामने खड़ी थी जो हमेशा मुझसे चिढ़ती थी सेकंड आने के लिए क्यों के मैं हमेशा टॉप करता था क्लास में बैकबैंचर भी अपने डेस्क पर था आज से पहले ऐसा कही नही हुआ था टीचर के जाने के बाद सब बच्चे मुझे चिढ़ाने लगे और पता नही किसने एक चॉक फेकी जो सीधे मेरे माथे पर लगी जाकर और सब जोर जोर से हसने लगे और तो और मेरी क्रश जिसका काम था शैतानी होने से रोकना वो भी मुझ पर हस रही थी जैसे वो भी बाकी बच्चो से मिली हुई हो अब उसने सबको शांत होने को कहा और कहा सब एक साथ मत चिल्लाओ टीचर आ जायेगी क्यों न हम एक गेम खेले सब बोले हां बहुत मजा आएगा
ये टीचर सबको बोलती है के पंखे से लटका देगी तो क्यों न हम सब मिलकर टीचर को फोर्स करे अमित को पंखे से लटकाने के लिए और उसके लिए जितने भी दुप्पटा चाहिए हो हम सब लड़किया मिल कर देंगी क्या बोलते हो वैसे सब लोग, सब लोग एक तरफ हो गए और बोले हा हा यही करते है बहुत मजा आएगा अब सारी क्लास एक तरफ थी और मैं अकेला था
मुझे आज पहेली बार मालूम हुआ के अगर आपके कोई दोस्त नहीं है इसका मतलब ये नही है के आपके दुश्मन भी नही है और यह तो पूरी क्लास ही मेरी दुश्मन थी जो एक साथ मिलकर मुझे पंखे से लटकवाना चाहती थी
मैंने सबको डांटे हुए कहा के ये अपने ख्वावी पुलाव अपने दिमाग में ही पकाओ और ज्यादा गर्मी मत दिखाओ क्यों के ज्यादा गर्मी से पुलाव जल भी सकते है तो मेरी क्रश बोली वो तो समय ही बताएगा के किसका पुलाव बनता है और किसका पुलाव जलता है तुम तो बस पंखे पर उल्टे लटकने का वेट करो और मैं सच बोल रही हूं पंखे की स्विच तो मैं ही ऑन करूंगी और तुम्हारी प्यारी टीचर आज भाग कर तुम्हारे लिए बटन बांध भी नही कर पाएगी क्यों के उसने हील्स पहिने है समझे
वैसे कितना सही रहता ना के काश तुमने जूते की जगह हील्स पहिने होते यार स्टेज पर हाथ बंधे हुए खड़े होते और सारी लड़कियां जोर जोर से हसने लगी तो बैक बेंचर बोला तो अभी क्या हुआ है तुम में से कोई तो पहन कर आई होगी हील्स भी , तभी वो पिऊन क्लास में आया और बोला के टीचर को आने में टाइम लगेगा तो आप सारे बच्चे बैठ कर मन लगा कर पढ़ाई करे और बिलकुल भी शैतानी न दे अब इसका मतलब था के क्लास में मेरी क्रश ही मॉनिटर थी और जो वो चाहेगी वैसा ही होगा अगले पीरियड के शुरू होने तक इसका एक मतलब ये भी था के अब मेरी खैर नहीं है वो मुझसे बहुत चिढ़ती थी क्यों के वो हर कीमत पर क्लास में नंबर आना चाहती थी चाहे जो भी उसे करना पड़े पर हर बार वो मुझसे चाहे 1 नंबर से पीछे रहे ही जाति थी और उसे पता था के आज ही वो दिन है जिसमे वो मुझे इतना ह्यूमिलिएट कर देना चाहती थी के जिससे मेरा कॉन्फिडेंस हमेशा के लिए गिर जाए और मैं पढ़ाई में आगे फोकस ही न कर पाऊं
पार्ट 3
मुझे पता था के ये मुझसे चिढ़ती है पर ये मैंने कभी नहीं सोचा था के ये मुझसे नफरत करती है और इस हद तक नफरत करती है ये मैंने कभी नहीं सोचा था
और अब मैं समझ चुका था के आज मेरा एक घंटा बहुत बुरा होने वाला है और मुझे कोई बचा सकता है तो मेरी प्यारी गुस्सैल टीचर जिसकी स्कूटी की कल
मैंने अच्छी तरह से बंद बजाई है
मैंने अपने हाथ खोलने की कोशिश की पर मैं फोकस नही कर पा रहा था तो मैंने अपनी आंखे बंद कर ली और पूरे फोकस के साथ हाथ खोलने की कोशिश करने लगा
पर कोई फायदा नही हो रहा था मेरी क्रश ने पूरी शिद्दत से मेरे हाथ बंधे थे और इतनी कस कर गांठ बंधी थी के हाथ खुलने तो दूर एक गांठ भी न खुल सके मैंने देखा के
सभी बच्चे आपस में ग्रुप बनाकर कुछ डिस्कस कर रहे थे सभी जैसे एक दूसरे से मिल गए थे और मेरे खिलाफ मिला ये मौका छोड़ना नहीं चाहते थे
काफी देर तक चर्चा करने के बाद जैसे सब किसी निष्कर्ष पर पहुंच गए थे
सारी क्लास जिस तरह से हस रही थी मुझे समझ में आ गया था के अब जो होने वाला है वो मेरे अगेंस्ट बहुत खतरनाक था और शायद मेरे पंखे पर लटकाने से भी ज्यादा खतरनाक होने वाला है
क्रश : तो अमित हम सभी कॉल्स के बच्चो ने डिसाइड किया है के हमसब एक गेम खेलेंगे जब तक की टीचर नही आती है और हम नही चाहते के तुम यह अकेले खड़े खड़े बोर हो जाओ इसलिए तुम्हे भी गेम में पार्टिसिपेट करना है
अमित : क्या मतलब कैसा गेम है ये
क्रश : ओके सुनो , अब हम तुम्हारी आंखों में पट्टी बांधेगे और फिर जैसे की तुमने देखा हम सबके पास एक एक पर्ची है जिसमे एक नंबर है तो तुम्हे एक नंबर बोलना है जो की रैंडम किसी के भी पास हो सकता है जैसे के तुमने नंबर बोला 5 , तो 5 नंबर जिसके पास होगा वो तुम्हारे पास आयेगा या आएगी और तुम्हे एक थप्पड़ मारेगा या मारेगी तुम्हारी किस्मत , अब रूल ये है के तुम्हे नंबर सेम सीक्वेंस में नहीं बोलना है और न ही नंबर रिपीट करना है अब अगर मान लो के तुमने इनमे से कोई भी गलती कर दी मतलब अपना बोला नंबर भूल गए मतलब 8 के बाद 9 बोला या सेम नंबर रिपीट कर दिया तो जो भी इस गलती को पकड़ेगा वो तुम्हे एक थप्पड़ मारेगा इसका मतलब है के 5 लोगो ने एक साथ तुम्हारी गलती पकड़ ली तो पांच थप्पड़ पड़ेंगे
अमित : तुम लोग पागल हो गए हो क्या मैं ऐसा कोई गेम नही खेलने वाला हूं और मुझे थप्पड़ मरने के बारे में तो सोचना भी मत , क्यों के अगर किसी ने भी ऐसा किया या सोचा भी तो मैं प्रिसिंसिपल मेम को शिकायत कर दूंगा
क्रश : ओह अमित तुम कितने भोले हो , ओह कितने क्यूट हो तुम छोटे बच्चे की तरह रो रहे हो के प्रिंसिपल से शिकायत करोगे तुमने सोचा भी कैसे और वैसे भी शिकायत कर भी दोगे तो क्या हो जायेगा हम सब एक जैसा ही सेम डायलोग बोलेंगे जिससे हम में से किसी को सजा नही मिलेगी या माइनर सी सजा भी मिल गई तो क्या हो जायेगा पर जो तुम्हे थप्पड़ मारने का सुख है वो तो प्रिंसिपल की छोटी सी सजा से कही ज्यादा होगा ना तो तुम कुछ और बड़ा सोचो कोई बड़ी धमकी दो जो हमे डरा सके वरना तो गेम ऑन है और तुम अपने गालों की चिंता करो जब पूरी क्लास एक एक करके थप्पड़ लगाएगी तो क्या हाल होगा तुम्हारा
अमित : अगर किसी ने भी ऐसी हरकत की तो मुझसे बुरा नही होगा मैं सच बोल रहा हूं तुम लोग ऐसा नहीं कर सकते हो मेरे साथ मेरे हाथ बंधे है और तुम ऐसी बात कर रहे हो खोलो मेरे हाथ मुझे अपनी जगह बैठने दो
क्रश : अच्छा तुम्हे लगता है तुम बोलोगे और हम सब मन जाएंगे सोचना भी मत , पर तुम्हारी एक बात का आंसर जरूर है मेरे पास
अमित: क्या मतलब है तुम्हारा
क्रश : तुमने कहा न के अगर किसी ने भी ऐसी हरकत की तो तुमसे बुरा नही होगा , मै देखना चाहती हूं के तुम कितने बुरे हो सकते हो
( और क्रश ने मुझे पूरी क्लास के सामने कस कर थप्पड़ जड़ दिया मेरे गाल पर उसकी सारी उंगलियां छप गई थी और मैं लगभग गिरते गिरते बचा था ,मेरी आंखों से अचानक पड़े थप्पड़ से आंसू आ गए थे पूरी क्लास शांत हो गई एक दम पिन ड्रॉप साईलेंट )
क्रश : क्या हुआ अमित तुम तो अभी से रोने लगे ये तो बस डेमो है अभी तो तुम्हे पूरी क्लास से थप्पड़ खाने है और मजेदार बात पता है क्या है के तुम हर थप्पड़ के बाद नाम बताना है के किसने थप्पड़ मारा है और अगर तुमने सही नाम बता दिया उसके बाद ये गेम रुकेगा वरना ऐसे ही चलता रहेगा और हैं एक लास्ट चीज जो तुम्हे मैं बताना भूल गई हर बार जब तुम नाम बताओगे और गलत नाम गैस करोगे तुम्हे उस पर्सन को सॉरी बोलना है के तुमने उसका नाम गलत जगह पर लिया और जिसने तुम्हे थप्पड़ मारा है उसे थैंक यू बोलना है के उसने तुम्हे थप्पड़ मारा
( अभी भी थप्पड़ की चर्चरहा और गर्माहट मेरे गाल पर थी )
अमित : तुम पागल हो गई हो क्या , तुमने मुझे थप्पड़ मारा है अभी पूरी क्लास के सामने और ये क्या बकवास करे जा रही हो तुम एक लड़की हो बस इस्लीलि बची हुई हो अगर कोई लड़का होता तो जान से मार देता मैं उसे
क्रश: अच्छा ओहो मैं तो डर गई मतलब तुम अपनी जिद में नहीं मानोगे ठीक है तो तुम्हारी ये भी गलत फहमी दूर कर देती हूं और क्लास के सबसे गंदे लड़के को जिसे सब कहते थे के वो कही नही नहाता था और सरसो का बहुत सारा तेल चिपोड़ कर आता था उसे इशारा किया और बोली तुम खड़े हो और इधर आओ
चिपड़ू : क्या मैं , आता हूं वह आज तो मेरी किस्मत ही खुल गई ,तुम्हारे लिए तो जान हाजिर है अभी आया.
क्रश : तुमने सुना न ये क्या बोला , क्या तुम चाहते हो के ये क्लास का मोनिटर बने और मुझसे बदला ले अपने थप्पड़ का ,
चिपड़ू : नही कभी नही , मैं तो चाहता हूं के तुम ही हमारी क्लास की मॉनिटर बनो और हमेशा अपने कंट्रोल में रखो मुझे और क्लास को
क्रश : कितना ओवरएक्टिंग कर रहे हो , अच्छा छोड़ो तो अब मैं चाहती हूं के तुम अमित को एक ऐसा थप्पड़ मारो जो ये जिंदगी भर न भूल सके और तुम्हारा या मेरा मॉनिटर कभी न बन सके और अगर बन भी जाए तो कोई भी ऑर्डर देने से पहले इसके कान में तुम्हारा थप्पड़ गूंजे और ये थप्पड़ कभी भूल न पाए , क्या तुम मेरे लिए ये कर सकते हो
चिपड़ु : हां क्यों नही कर सकता हूं तुम बोलो तो मैं जा दे सकता हूं थप्पड़ क्या चीज है , पर तुम मॉनिटर हो कही जाकर प्रिंसिपल से शिकायत तो नही कर दोगी या कही अमित ने बाद में मेरी शिकायत कर दी प्रिंसिपल से तो क्या होगा मेरा
अमित : मैं मन ही मन खुश होने लगा के ये तो डरपोक निकला मेरी धमकी का असर है इस पर आखिर मैं मॉनिटर हूं इस क्लास का ये तो बस आज टेंपरेरी मॉनिटर बनी है मैं मन ही मन खुश हो ही रहा था तभी अचानक ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे कान में गर्म गर्म लोहा पिघला कर डाल दिया हो और मैं कुछ समझ पाता के क्या हुआ मेरे कान में सिटी बजने लगी थी पूरी क्लास पिंड्रोप साइलेंट थी
चिपडू : प्रिंसिपल जाए भाड़ में , मुझे फरक नही पड़ता के वो क्या करेगी क्या नही और मैं किसी से नहीं डरता हूं , में तो बस तुम्हारी हर बात मानूंगा तुम ही मेरी प्रिंसिपल और तुम ही मेरी मॉनिटर हो बस तुम मुझे अपना दोस्त बना लो मैं एक क्या कई थप्पड़ मार सकता हूं
क्रश: थैंक यू चिपड़ू , अब जा कर अपनी बेंच में बैठ जाओ. तो अमित अब तुम समझ गए होगे के यह जो हो रहा है वो सब ख्याली पुलाव नही है बल्कि सच है और इस सिचुएशन में तुम्हे कुछ भी बोलने से पहले दो बार सोच लेना चाहिए क्यों के वो तुम्हारे अगेंस्ट भी जा सकता है अभी मॉनिटर मैं हूं और मैं ही नंबर 1 हूं क्लास की फेवरेट मॉनिटर और क्लास में वोही होगा जो मैं चाहती हूं आगे से मुझे धमकी देने से पहले दो बार सोच जरूर लेना अब तुम्हे गेम का रूल पता चल गया है अब हम गेम शुरू करेंगे चलो उल्टे घूम जाओ जिससे मैं तुम्हारी आंखे बांध सकू वरना अगर तुम चाहो तो चिपड़ु को फिर बुला लेती हूं और एक थप्पड़ और मरवा देती हूं
अमित : चिड़पू का थप्पड़ सच में बहुत कस कर पड़ा था बहुत दर्द हो रहा था में आंसू रुक ही नही रहे थे और ये सब पागल हो गए थे पत्ता नही क्या करना चाहते थे मैं सच कहूं तो डर गया था चिपडू के थप्पड़ से और मेरे गाल एक और थप्पड़ हैंडल कर सके इसकी संभावना कम ही थी तो मैं चुपचाप गोल घूम गया अब मेरे बंधे हुए हाथ और मेरा पिछवाड़ा क्रश की तरफ थे मेरा चेहरा दीवाल की तरफ थे कान में सिटी बज रही थी और आंखे और नाक बह रही थी सच में मैंने ये तो नही सोचा था
क्रश : गुड बॉय सही डिसीजन लिया है असर हो रहा है मेरी बात समझ में आने लगी है तुम्हे बस यही तो चाहिए था और देखो सारी क्लास कैसे एक दम शांत है और मेरे हर ऑर्डर को मान रही है यही तो होता है असली मॉनिटर जिससे सब डरे और उसकी हर बात भी माने जो तुम कभी नही कर सकते हो ब्लडी लूजर अमित
अमित : तुम ठीक नही कर रही हो सिर्फ मॉनिटर बनने के लिए ये सब करने की कोई जरूरत नहीं है मैं खुद मना कर दूंगा मॉनिटर बनने से प्लीज मुझे खोल दो मैं अपनी हर मानता हूं मैं तुम्हे मॉनिटर एक्सेप्ट करता हूं प्लीज मेरी आंखे मत बांधो और ये गेम मत खिलाओ
क्रश : ओहो अमित , तुम तो अभी से डर गए मुझे खुशी है के तुमने मुझे अपनी मॉनिटर मान लिया पर पूरी क्लास की मॉनिटर बनने के लिए मुझे ये गेम खेलना ही पड़ेगा तुम समझ रहे हो ना क्या बोल रही हूं प्लीज मुझे गलत मत मानना पर ये गेम तो हो कर ही रहेगा
( आंखे बंध गई है और हाथ तो पहले से ही बंधे थे )
क्रश : चलो अब घूम जाओ अपने गाल सामने की तरफ करो बस ऐसे वेरी गुड , तो क्लास के मेरे सारे दोस्तो सब रेडी हो न रूल सबको समझ आ गया न सबको एक ही थप्पड़ मरना है और ध्यान रखना है के ये गलती करे और आप हाइलाइट करो जो हाइलाइट करेगा उसे एक और मौका मिलेगा समझें , और हां हमारे पास टाइम काम है तो सबको जल्दी जल्दी आना है थप्पड़ लगाना है जिसका भी नंबर अमित बोले वो ईमानदारी से आयेगा )
(अपना हाथ ऊपर कर के कंफर्म करो कोई आवाज नहीं करेगा क्या तुम लोग मुझे मॉनिटर एक्सेप्ट कर रहे हो ना जल्दी जल्दी टाइम कम है हमारे पास)
अमित : मुझे कुछ दिखाई तो नही दे रहा था पर मुझे पूरा यकीन था के सारी क्लास ने ही मेरे अगेस्ट सबने हाथ ऊपर किए होंगे
क्रश : चलो बढ़िया , तो गेम शुरू होता है , अमित अब एक नंबर बोलो जल्दी तुम्हारे पास मेरे दो गिनने तक ही टाइम है अगर मेरे दो गिनने से पहले तुमने नंबर नहीं बोला तो चिपड़ू का थप्पड़ तुम्हारे गाल पर आयेगा
अमित : हमारे क्लास में 60 लोग थे और 10 एब्सेंट थे आज तो टोटल 50 लोग अभी क्लास में है तो मैं 1 से 50 तक नंबर बोलूंगा ठीक है ना
क्रश : सही है स्मार्ट तो हो तुम , चलो अब नंबर बोलो तुम्हारा टाइम शुरू हो गया है टीक टीक वन
अमित : 50
क्रश : तो नंबर 50 जल्दी आओ , चलो मैं तुम्हारी मदद कर देती हूं जब तक 50 नंबर यहां पहुंचता या पहुंचती है 50 नंबर एक लड़की है लंबे बाल दो चोटी में बंधे हुए है आज उसने मेहंदी लगाई है
अमित : दो चोटी तो सब ने बनाई है क्लास में ये तो कॉमन है क्लास में पर मेहंदी किसने लगाई है
(मैं अभी दिमाग में डाटा प्रोसेस ही कर रहा था तभी मेरे गाल पर एक कोमल मुलायम सा हाथ पड़ा और मेरा कैलकुलेशन हिल गया )
क्रश : चलो अमित जल्दी से नाम बताओ वरना चिपड़ु का थप्पड़ तुम्हारा वेट कर रहा है
अमित : मैं डर गया चिड़पू का थप्पड़ नही खाना और मैंने रैंडम ही नाम बोल दिया रोशनी
क्रश : ओहो गलत आंसर अब पता है ना तुम्हे रोशनी को सॉरी बोलना है और नंबर 50 को थैंक यू बोलना है
अमित : रोशनी प्लीज मुझे माफ कर दूर नंबर 50 थैंक्यू आपने मुझे बहुत ही अच्छा थप्पड़ मारा
(तभी रोशनी चिल्लाई , ये तो गलत बात है मेरे पर झूठा इल्जाम लगाया है अमित ने मुझे इसे एक थ्थप्पड मारने का मौका मिलना चाहिए और सब लोग जोर जोर से हंसने लगे )
क्रश : रोशनी थैंक्यू तुम्हारा सुझाव काफी अच्छा है पर हमारे पास टाइम काम है तो अमित तुम्हार टाइम शुरू हो गया है टिक टिक 1 जल्दी से नंबर बोलो
अमित : नंबर 1
क्रश : ओह तो इस बार तुम्हे जान कर ज्यादा खुशी होगी क्यों के तुमने चुना है एक लड़के को जिसने सफेद शर्ट ब्लू पैंट पहिना है और उसकी शर्ट की बटन टूटी हुई है
अमित : सफेद शर्ट एंड ब्लू पैंट तो सारे ही लडको ने पहिना है पर बटन टूटा है ये कैसा हिंट हुआ मैंने क्या सबकी बटन गिनी थी सुबह जो मुझे पता होगा
(सटाक की आवाज के साथ मेरे गाल पर एक थप्पड़ पड़ा और डिफरेंस लड़के और लड़की के हाथ का मुझे साफ पता चल गया था)
अमित : मैंने गैस किया मनोज
सामने से आवाज आई मुझे बहुत याद कर रहे हो अमित मेरे से थप्पड़ खाने की बहुत जल्दी है क्या और सारी क्लास में हा हा हा हा हो गई
इसका मतलब था के मैंने गलत गैस किया था
क्रश: ओह अमित इस बार भी गलत आंसर किया है
अमित : सारी मनोज मुझे माफ कर दो एंड नंबर 1 थैंक यू अपने मुझे थप्पड़ मारा
सारी क्लास जोर जोर से हंसने लगी सब मुझे पर है रहे थे तभी एक लड़की बोली लगता है टीचर आ रही है जल्दी से इसकी आंखे खोलो और मेरी क्रश ने दौड़ कर मेरी आंखे खोली सारी क्लास ऐसे साइलेंट हो गई जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो मेरी क्रश बोली अगर कोई भी चालाकी की तो पूरी स्कूल को पता चल जायेगा के तुम्हे हमने मिल कर पीटा है अभी जो बात सिर्फ क्लास में है वो स्कूल में फेल जायेगी फिर सोचो तुम्हारा क्या होगा तो चुपचाप खड़े रहने में ही तुम्हारी भलाई है और एक बात टीचर की पनिशमेंट तो अभी बाकी ही है तुम्हे पंखे से लटकते देखने में मजा तो बहुत आने वाला है
Part 4
टीचर जब क्लास में इंटर हुई तो मुझे लगा के शायद अब कुछ बैटर हो जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ टीचर ने सबसे पहले मुझे दिखा और फिर मेरे गालों को और फिर मेरे बंधे हुए हाथों को और उसने पूछा जैसे उसे कुछ पता ही ना हो कि मेरे हाथ बांधे क्यों है फिर मेरी क्रश जो की सो कॉल्ड मॉनिटर थी उसे खड़ा किया और उसे बोली यह सब क्या है इसके हाथ क्यों बंधे हुए है
अमित : जब आप नहीं थी क्लास में तब इन सब ने प्लानिंग करके मेरी आंखें बांधी थी और मुझे थप्पड़ मारे इसलिए मैं प्रिंसिपल से शिकायत करना चाहता हूं
टीचर: तुम चुपचाप खड़े रहो, जब बोलने को कहा जाए तभी बोलो
अमित: यह सब आपकी वजह से ही हुआ है मैं प्रिंसिपल से आपकी भी शिकायत करूंगा
टीचर : तो खड़े क्यों हो, जाओ और जो करना हो करो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम प्रिंसिपल से क्या शिकायत करोगे क्योंकि जब तक मुझे सब कुछ पता ना हो कि इस क्लास में क्या हुआ था या क्या हो रहा था तब तक कोई कहीं नहीं जाएगा और तुम चुपचाप खड़े रहो जब तक बोलने को ना कहा जाए उम्मीदें मेरी बात तुम्हें समझ में आ गई होगी
अमित : आप गलत कर रही हो एक तो आपने मेरे हाथ बांध दिए ऊपर से मुझे इस तरह से क्लास में बेइज्जत होने के लिए छोड़ कर चली गई उसके बाद आपकी प्रिय को मॉनिटर बना दिया जो मेरे बिना गलती के मुझे थप्पड़ मार रही है और क्लास के बाकी बच्चों से पिटवा रही है यह सब आपकी वजह से हुआ है और मैं हर हाल में प्रिंसिपल को शिकायत करके ही मानूंगा
टीचर: तुम तब से खड़ी क्या हो क्या हुआ था सच-सच बताओ और अगर एक शब्द भी झूठ कहा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा
क्रश : मैं जब आप चली गई थी तुम इसने मुझे गाली दे और मुझे प्रेशर कर रहा था उसके हाथ खोलने के लिए और जब मैं मना किया तो उसने मुझे गाली दी और आपको भी बहुत कुछ भला बुरा कहा जो मैं आपको बता भी नहीं सकती की कितनी गंदी लैंग्वेज थी
और अगर आपको यकीन ना हो तो आप क्लास के किसी भी बच्चे से पूछ लीजिए अगर कोई झूठ बोलेगा तो एक या दो बच्चा पूरी क्लास तो झूठ नहीं बोलेगी
तो मैं आपसे रिक्वेस्ट करूंगी क्या आप क्लास के किसी भी बच्चे से पूछ लीजिए की अमित ने मुझे गाली दी या नहीं मैंने पहले तो उसे समझाया की वह गाली ना दे वरना जब टीचर आएंगे तो मैं उसकी शिकायत करुंगी
लेकिन अमित नहीं माना और उसने आपको भी गाली दी और बोला कि वह हीरोइन साड़ी पहन कर लिए तो पता नहीं खुद को क्या समझती है अपने आप को हिटलर समझती है और इसीलिए उसने मुझे ऐसे बांध दिया है और पता नहीं कहां चली गई है
मैं आज इस हिटलर की शिकायत प्रिंसिपल मैडम से करूंगा जिससे इस हीरोइन को स्कूल से निकाल दिया जाए
अमित : मैडम मैं सच बोल रहा हूं यह बिल्कुल झूठ बोल रही है आप इसकी बात का जरा भी यकीन मत कीजिए क्योंकि यह एक नंबर की झूठी और मक्कार है
यह क्लास की मॉनिटर बनना चाहती है इसलिए यह आपसे झूठ बोल रही है और आपको मस्का लगाने की कोशिश कर रही है यह मुझसे जलती हैं क्योंकि मैं अमित हमेशा क्लास में टॉपर हूं मेरी रैंक हमेशा इससे ज्यादा ही रहती है और यह ईमानदारी से मेहनत करके मुझसे ज्यादा नंबर नहीं ला पाती
इसलिए मुझे झूठ बोलकर फंसा रही है और चाहती है कि आप मुझ पर ट्रस्ट ना करें और इसे क्लास की मॉनिटर बना दे यह मेरा कॉन्फिडेंस तोड़ना चाहती है जिससे कि मैं पढ़ाई पर फोकस ना कर सकूं
और इसीलिए इसने मुझे पूरी क्लास के सामने थप्पड़ मारे और यह पता नहीं कैसा अजीब सा गेम खेल कर मुझे पुरी क्लास के सामने अलग-अलग स्टूडेंट से थप्पड़ मरवा रही थी
क्रश: मेम आपने देखा ना इसने आपके सामने मुझे मक्कार कहा और आपके सामने ही लगातार यह झूठ बोल रहा है इसने कहा की मैंने इसे अलग-अलग लोगों से थप्पड़ मरवाए पर क्या आप उनके नाम इससे पूछ कर मुझे बता सकती हैं अगर इसे किसी ने भी थप्पड़ मारे तो उनके नाम तो उसे पता होंगे ना
अमित: मेम मेरा यकीन कीजिए मैं थप्पड़ मारने वालों की शक्ल ना देख सकूं इसलिए इसने पहले ही मेरी आंखों पर दुपट्टा बांध दिया था जिसकी वजह से मैं थप्पड़ मारने वालों की शक्ल नहीं देख पाया
क्रश: आपने देखा ना, इसने फिर से झूठ बोला, क्योंकि अभी उसने कहा इसकी आंखों पर पट्टी बंधी थी या दुपट्टा बांध था जिसकी वजह से यह शक्ल देख नहीं पाया किसी भी स्टूडेंट की
तो उसने मेरी शक्ल कैसे देख ली क्योंकि अगर आपको याद हो सबसे पहले इसने कहा था कि मैं इस थप्पड़ मारे और जिसकी शिकायत यह प्रिंसिपल मैडम से करना चाहता है तो यह कैसे पॉसिबल है कि
मैं बाकी थप्पड़ मारने वालों को तो बचा लूं इसकी आंखों पर पट्टी बांधकर लेकिन जब मैं खुद मारो तो इसकी आंखें खुली रहे जिससे कि यह मुझे पहचान ले और जाकर प्रिंसिपल मैडम से मेरी शिकायत कर दे क्या यह पॉसिबल है आप खुद से सोच कर बताओ के कोई भी ऐसी गलती करेगा
क्या मुझे नही पता के अगर इसने मेरी शिकायत प्रिंसिपल मैडम से की तो मुझे स्कूल से निकाला भी जा सकता है या मुझे कोई आई हार्ड पनिशमेंट भी मिल सकती है
या फिर मेरे पेरेंट्स को भी बुला कर मेरी शिकायत की जा सकती है जिससे के मेरे मम्मी पापा को शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है क्या मैं जानबूझकर ऐसा कर सकती हूं या करने के बारे में सोच भी सकती हूं क्या कोई भी लड़की या लड़का ऐसी गलती कभी भी करेगा
मेम फाइनल पनिशमेंट देने का राइट तो सिर्फ आपके पास है जो भी आपको ठीक लगे वह आप कर सकती है लेकिन इसने मुझ पर झूठा इल्जाम लगाया है
इसलिए मैं चाहती हूं की क्लास के बाकी बच्चों से पूछ ले के आपके एब्सेंट में यहां पर क्या हुआ था और अगर मैं गलत हूं तो जो चाहे वह मुझे पनिशमेंट दीजिए लेकिन अगर मैं गलत नहीं और जो कुछ भी मैं अभी कहा वह सच है
और अमित ने मुझ पर झूठे इल्जाम अगर लगाए हैं तो आप इसे पंखे से लटका दीजिए हम सभी लड़कियां अपनी खुशी से अपने दुपट्टे आपको देंगे जिससे कि आप इसे पंखे से लटका सके
अमित :(मनमें )मेरी क्रश मुझे पंख से लटकने की बात कर रही थी और मेरा सपना पूरा होने वाला था यही तो आखिर में चाहता था इसलिए मैं चुप ही रहा
और कुछ नहीं बोला जिससे कि मैडम को उसकी बात पर यकीन हो जाए बात थप्पड़ खाने की थी उसका बदलाव तो मैं कभी ना कभी ले ही लूंगा लेकिन जो मेरी विश थी वह शायद इसके बाद पूरी ना हो सके
इसलिए मैं चुपचाप खड़ा रहा कुछ भी नहीं बोला वह मेरे बारे में लगातार बोलते जा रही थी सब कुछ झूठ झूठ पर झूठ और मैं चुपचाप खड़ा सुनता रहा बस अपनी एक विश को पूरी होने के लिए
मैडम : अमित क्या तुम्हें कुछ कहना ओके तो तुम्हारी छुपी बहुत कुछ कह रही है कि अब तक जो कुछ भी तुमने कहा वह सब झूठ था फिर भी मैं किसी के साथ गलत नहीं करती इसलिए मैं रैंडम पांच लोगों को खड़ा करूंगी और उनसे अलग-अलग पूछताछ करूंगा जिससे कि जो सच है वह बाहर आ सके और जिसने गलती की है उसे सजा मिल सके
( फिर मैडम ने पांच लोगों को खड़ा किया और अलग-अलग कमरे में भेजो और फिर पांचों से अलग-अलग पूछताछ की और थोड़ी देर बाद हमारी क्लास में वापस आई फिर मेरी और गुस्से से देखो और मैं कुछ कहता हूं उसके पहले मुझे एक कस कर थप्पड़ पड़ा )
टीचर: अमित मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी कि तुम ऐसा कुछ करोगे तुम हमेशा से क्लास की होशियार स्टूडेंट रहे हो लेकिन तुम्हारी सोच बहुत ही गंदी है और स्कूल में किसी भी लड़की को गाली देना बहुत ही गलत बात है इसके लिए तुम्हें माफी नहीं मिल सकते
इसलिए मैंने डिसाइड किया कि तुम्हें मैं खुद पंखे से लटकाऊंगी चाहे पंखा टूट ही क्यों न जाए और जाए इसके लिए मेरी नौकरी ही क्यों ना चली जाए लेकिन तुम्हारी गलती की सजा तुम्हें मिलनी ही चाहिए फिर टीचर ने क्लास की लड़कियों से अपने दुपट्टे देने को कहा और मॉनिटर से मेरी आंखों को बांधने को कहा
अमित : (मन में) मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा है सब कुछ इतना जल्दी-जल्दी होने लगा मुझे पता ही नहीं चला कि मेरी आंखें बांधी गई और मेरे हाथ जो पहले कलाइयों से बंधे थे अब कोहनी से भी बांध दिए गए थे उसके बाद मेरे पैर भी दो जगह से घुटने के पास और पैर की एडी के पास बांध दिए गए अभी खड़ा था मेरे हाथ मेरी पीठ के पीछे बंधे थे और पैर भी बांध गए थे
लेकिन मैं भी खड़ा था फिर अचानक ऐसा लगा जैसे किन्हीं दो लड़कों ने मुझे पैरों से पकड़ कर उठा लिया है दो लड़कों ने मेरे पैर पड़कर ऊपर किया और दो लड़कों ने मुझे सर केवल गिरने से रोक लिया और फिर धीरे से मुझे जमीन पर लेटा दिया गया मैं पेट के बल लेटा हुआ था मेरे हाथ पीठ के पीछे कोहनी और हथेली से बंधे हुए थे
पैर भी दो जगह जांघ और एड़ी से बंधे हुए थे मैने खुद को छुड़ाने की कोशिश की जिससे किसी को यह ना लगे कि मैं यही चाहता हूं
पर बांधने वालों को तो नहीं पता था कि मैं क्या चाहता हूं उन लोगों ने भी पूरी शिद्दत से मुझे बांधा था मैं चाहे जितनी भी दम लगा लूं कोशिश कर लो हाथ पैर पटक लूं लेकिन मैं एक इंच भी नहीं हिल सकता था
ना ही जरा भी खुल सकता था
जब मैं खुलने के लिए फड़फड़ा रहा था तब सारे बच्चे मुझे देखकर जोर-जोर से हंस रहे थे लेकिन सारी हंसी में भी मैं अपनी क्रश की हंसी को अलग से सुन पा रहा था और पहचान पा रहा था कि उसकी हंसी में आज जीत की खुशी है और जैसा वह चाहती थी
वैसा ही आज हो रहा था शायद उसके लिए इससे बड़ी जीत उसकी जिंदगी में कभी नहीं आने वाले थे और उसे यह लग रहा था की यह जीत उसने अपनी मेहनत से अपनी चतुराई से अपने दिमाग से पाई है लेकिन उससे यह नहीं पता था की यह जीत उसकी नहीं मेरी जीत थी और यह उसने नहीं कमाई बल्कि मैंने उसे दि है
थोड़ी देर के बाद किसी ने मेरे पैरों को पकड़ा और किसी ने मेरे हाथों को फिर दोनों को एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा मिल सके इससे वजन मेरी कमर पर आए इस तरह से जोड़ा उसके बाद किसी ने मेरे हाथों और पैरों को भी एक दूसरे के साथ बांध दिया अब मेरी बॉडी आर्क की तरह थी
यह सुनने में जितना आसान लग रहा था सच में उतना ही मुश्किल था मेरे लिए सह पाना इसके बाद मैडम मेरी कमर से एक दुपट्टे को बांध और जहां पर मेरे हाथ पर एक दूसरे से बने थे उसके साथ में बैलेंस बनाया जिससे मुझे लटकाया जाए तो वजन बैलेंस रहे
तभी किसी ने मेरे बालो को जो की कंधे तक लंबे थे जो मैं खुले रखता था में रबर से पोनी टेल बना दी इससे मुझे काफी राहत मिली क्योंकि मैं पेट के बल जमीन पर लेटा था हाथ पैर बांध हुए थे और बाल बार बार मेरे चहरे पर आ रहे थे पोनीटेल से चेहरे पर आने बंद हुए इससे इरिटेशन जरूर कुछ कम हुआ पर जैसे जैसे समय बीत रहा था दर्द उतना ही बढ़ रहा था
मुझे अब इस बात पर ज्यादा गुस्सा आ रहा था के अब क्या बचा है अब और क्या बांधने को बचा है अब लटका क्यों नही रहे है मुझे पंखे से काश की मेरी आंखे खोल दे जिससे मैं पंखे से उल्टे लटक कर देख सकूं कैसा लगता है पर मेरी आंखे अगर बंधी रही तो मैं कैसे देख पाऊंगा के आखिर पंखे की बटन किसने चालू की और जब पंखा घूमेगा और पंखे के साथ मैं गोल गोल घूमूंगा तो नीचे का माहोल कैसा होगा
किसका क्या रिएक्शन होगा लड़कियां मुझ पर हसेगी या कोई मुझे बचाने भी आएगी और कौन कौन सा कमिना लड़का कैसे रिएक्ट करेगा
मैंने अब खुद को छुड़ाने की कोशिश करना ही छोड़ दिया था मैं बस जैसे बेजान बन गया था और जो हो रहा था बस होने दे रहा था मैं अपने सोच की दुनिया में था और अब बस अंदाजा ही लगा रहा था के आगे क्या होगा अब बस मुझे किसी भी समय पंखे से लटका दिया जाएगा लेकिन ये क्या
क्लास की घंटी बज गई और टीचर बोली के ये तुम्हे पहेली और आंखिरी वार्निंग है और सिर्फ अमित को ही नही सभी लडको के लिए वार्निंग है के अगर कोई भी किसी भी लड़की से बदतमीजी करता है या किसी भी लड़की को गली तो दूर ऊंची आवाज में भी बोलेगा तो उसे मैं पंखे से जरूर लटका दूंगी
फिर टीचर ने लडको को इशारा किया के मेरे हाथ पैर आंखे कमर सब खोल दिया जाए फिर मोनिटर और बाकी लडको ने मिल कर मुझे खोला मेरे हाथ पैर में बहुत दर्द हो रहा था फिर जब मैं नॉर्मल हुआ तो मैंने देखा के टीचर अब भी मेरे सामने खड़ी है और मुझसे बोली के उम्मीद है तुम्हे लेसन मिल गया होगा
मैंने मैडम से यस मेम कहा क्यों के मैं जितना आसान समझ रहा था उतना आसान नहीं था बंधे रहना और पंखे से लटकाना तो सच में बहुत मुश्किल काम है और कंधे या हाथ पैर में चोट लगने का डर है इसलिए मुझे मेरा लेसन एंड फन मिल चुका था मुझे लगा अब मैडम मुझे अपनी बेंच में बैठने को बोलेगी लेकिन नही मैडम बोली तुम मेरे साथ चलो तुम्हे प्रिंसिपल मैडम के पास लेजाना जरूरी है वरना कल को तुम फिर से कोई शैतानी दे सकते हो
उसके बाद टीचर मुझे प्रिंसिपल मैडम के पास ले जाने लगी अब मुझे घर पर पापा मां को अगर जब पता चलेगा तब मेरा क्या हाल होगा इसका डर भी सताने लगा था तो मैंने मैडम से रिक्वेस्ट की के प्लीज मैडम मुझे प्रिंसिपल मैम के पास न ले जाए मुझे अपनी गलती का एहसास है आगे से आपको कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा रोज होमवर्क करूंगा और कभी किसी से गलत या ऊंची आवाज में नहीं बोलूंगा
प्लीज बस इस बार मुझे माफ कर दूं
टीचर : अरे तुम्हे क्या ये होमवर्क न करने के लिए प्रिंसिपल मैडम के पास ले जा रही हूं ? नही अमित ऐसा बिल्कुल मत सोचना
अमित : क्या मतलब है मैडम फिर क्यों ले जा रहे हो मेरा यकीन करो मैडम मैंने कोई गाली नहीं दी थी आप मुझे जानते हो मैं सबसे रिस्पेक्ट से बात करता हूं गाली तो मुझे आती भी नही है
टीचर : नही अमित मै तुम्हे गली देने के लिए भी नही ले जा रही हूं प्रिंसिपल मैडम के पास
अमित : तो फिर आप मुझे क्यों ले जा रहे हो प्रिंसिपल मैडम के पास
टीचर : बहुत जल्दी है जानने की प्रिंसिपल मैडम के सामने सब पता चल जायेगा , पर फिर भी बता देती हूं, तुम इतने होनहार स्टूडेंट हो फिर मैंने कभी तुम्हे कुछ गलत करते भी नही देखा पर एक बात समझ नही आई के आखिर तुमने मेरी स्कूटी को डैमेज क्क्यूं किया बस मुझे इतनी सी बात समझ नही आई अगर तुम मुझे बता दोगे तो प्रिंसिपल मैडम के पास नही ले जाऊंगी ,
वैसे तुम्हे तो पता ही है के ऐसे कैस में क्या पनिःशमेंट होती है जहा तक मुझे पता है स्कूल से निकाल दिए जाते है बच्चे और पुलिस केस मां बाप पर होता है कैसे संस्कार दिए है और फाइन अलग से
तुम सोच रहे होगे के मुझे कैसे पता है के मेरी स्कूटी को डैमेज तुम्हे ही किया है
तुम्हारा मन कर रहा होगा के मुझे झूठा बोल दो पर ये विडियो देखो
अमित : ये विडियो कैसे बना लिया मैडम ने इसमें तो मेरी शकल साफ साफ दिख रही है के मैं टीचर के स्कूटी को डैमेज कर रहा हूं अब तो मैं गया काम से मैं क्या करूं कुछ समझ ही नही आ रहा है अगर इसने प्रिंसिपल को बोल दिया फिर तो मेरा स्कूल से नाम कट जाना तय है मुझे कैसे भी करके इसे रोकना ही पड़ेगा
साला फैंटेसी के चक्कर में स्कूल से नाम भी काटेगा मां बाप के सामने बेज्जती होगी और जीवन भर मैं कैसे फेस करूंगा अपने पैरेंट्स को मेरी मां को जो मुझसे बहुत प्यार करती है मेरे खिलाफ एक शब्द नही सुन सकती है वो कैसे मेरे लिए किसी से भी लड़ेगी जब उसे मेरी ये हरकत का पता चलेगा
टीचर : क्या हुआ तुम्हारी तो बोलती ही बंद हो गई क्या हुआ टॉपर नंबर 1 अब कुछ नही कहेगा बोल दे ये सब जूठ है वीडियो भी गलत है मैं भी गलत हूं सब गलत है और तू राजा हरिश्चंद्र है जो अकेला दुनिया में सही है
अब कुछ नही कहना है डिबेट चैंपियन , अब क्या होगा , इस टॉपर होने का चैंपियन होने का जब तू क्लास में तो ठीक स्कूल में भी नही रहेगा , और अभी मिडईयर के बीच में तो कही एडमिशन भी नही होने वाला है किसी अच्छे स्कूल में
हां कोई सरकारी स्कूल एडमिशन दे दे तो बात अलग है पर सरकारी स्कूल में क्या होगा तेरा भविष्य , मुझे तो सोच कर ही अजीब लग रहा है के इतना ब्रिलियंट स्टूडेंट कितना घटिया फ्यूचर होगा
अमित : (मन में अब तो वैसे भी मेरे हाथ में कुछ नही बचा है और जो होना है वो होकर ही रहेगा पर एक लास्ट चांस तो लेना ही चाहिए इसलिए मैने एक लंबी सांस ली ) और मैडम से बोला , मैडम एक मिनट मेरी बात को सुन लो आप फिर आपको जो भी करना हो वो करना
टीचर : हां बोलो क्या हुआ , क्या कहना है तुम्हे
अमित : देखो मैडम अब ये कहना के मुझसे गलती नही हुई है वो तो बेकार की कोशिश है , हां मैं अपनी गलती को मानता हूं और आप जो भी बोल रही हो वो भी सच है , वीडियो में भी मैं ही हूं इसमें कोई दो राय नहीं है
पर मैडम आप अगर मेरी शिकायत प्रिंसिपल से कर देगी तो इससे मेरा करियर मेरा फ्यूचर सब बर्बाद हो जाएगा इससे आपको कोई फायदा तो नही है आपकी स्कूटी का जो भी नुकसान हुआ है मैं प्रोमिस करता हूं धीमे धीमे करके चुका दूंगा
टीचर : अच्छा मतलब तेरी पॉकेट मनी से जो कितनी है महीने के 20 Rs या 30Rs है ना , मैं तेरे पेरेंट्स को जानती हूं वो तुझे एक भी एक्स्ट्रा पैसा नही देते है तो तेरे पास मेरे नुकसान की भरपाई जितने पैसे आने में तो दसियो साल बीत जायेंगे तो तू ये तो मत बोल के तू मेरे नुकसान की भरपाई कर पाएगा
अमित : हां आपकी बात सही है के मैं आज नही कमाता हूं पर जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो कमा कर दे दूंगा और आपके नुकसान से कही ज्यादा चुका दूंगा पर अगर आप मेरी शिकायत कर देगी तो फिर तो मैं क्या ही कमाऊंगा फ्यूचर में आप से रिक्वेस्ट है मेरा भविष्य बर्बाद मत करो उसके बदले में आप जो भी बोलोगे करने को में कर दूंगा पर प्लीज मेरी शिकायत मत करो
टीचर : अच्छा तो मैं जो भी बोलूंगी वो कर देगा , पर तुझे करना आता ही क्या है तू कुछ नही कर सकता है ये
अमित : मैडम आप मुझे बस एक मौका दीजिए मैं आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा मैं हर काम बहुत जल्दी से सिख जाता हूं आप मुझे बस एक मौका दे कर तो देखो, अच्छा चलो आप मुझे आजमा लो शिकायत तो आप कल भी कर ही सकती हो आपका मोबाइल और उसमे का वीडियो तो आपके पास ही है ना
जो शिकायत आज आप करोगी वोही शिकायत कल भी कर सकती हो और एक दिन मैं एक्स्ट्रा स्कूल में पढ़ भी लगूंगा तो कौन सा IAS बन ही जाऊंगा तो आप मुझे बाद एक दिन का टाइम दे दो
एक दिन आपमुझे अजमा कर देख लो आप जो भी कहोगे जैसे भी कहोगे मैं आपको एक भी शिकायत का मौका दिए बगैर करूंगा पर आप मुझे प्रिंसिपल मैडम के पास मत ले जाओ मेरा भविष्य खराब मत करो
और आपकी मुझसे कोई पर्सनल लड़ाई तो है नही तो आप प्लीज मेरी बात को एक बार जरूर समझने की कोशिश करे मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं मेरा भविष्य खराब मत करो
टीचर : ठीक है मैं मान लेती हूं तुम्हारी बात को और एक दिन देख ही लेती हूं के आखिर तुम मेरे लिए क्या क्या कर सकते हो पर ये याद रखना मेरी हर बात को अक्षर शह मानना है बिना किसी भी चू चैपड किए बगैर अगर मुझे कोई भी शिकायत का मौका मिला तो मैं अब डिस्कस नही करूंगी सीधे प्रिंसिपल मैडम को वीडियो ही दिखाऊंगी
अमित : मैं आपको कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना क्यों न पड़े
टीचर : ठीक है वो भी देख लेते है , वैसे ये बता तूने लड़कियों के तरह बाल क्यों बढ़ा रखे है
अमित : कुछ नही मैडम बस ऐसे ही वो मेरी कजिन सिस्टर से मैं शर्त लगाई थी लास्ट गर्मियों की छुट्टियों में लूडो के गेम में और मैं हार गया था उस गेम में मैं मेरी कजिन मेरी आंटी और मेरी मां थी अब क्यों के मां भी थी और मैं हर गया था तो मेरे पास ऑप्शन नहीं है बाल काटने का आपको तो पता ही है मेरी हालत
मेरे पेरेंट्स मुझे 10 या 20 rs भी नहीं देते है अब बाल कटाने के लिए भी तो पैसे मां से ही मांगूंगा जो वो देंगी नही इसलिए 6 मंथ से कटाए नही तो थोड़े से बढ़ गए है और आज जब आपने या किसी ने तो मेरे बाल में पोनीटेल बनाई है तो मुझे लग रहा है सच में बहुत बड़े हो गए है
टीचर : ठीक है तो आज ऐसे ही पोनीटेल में घर जा और अपनी मम्मी को बोलना के टीचर ने बोला है या तो बाल कटवा दो या फिर स्कूल के नियम के हिसाब से लंबे बालों में दो चोटी करके रिबन बांध कर आना सब के लिए अनिवार्य है
अमित : लेकिन मैडम मैं अगर मां से बोलूंगा तो वो अगर बाल कटवा देती है तो फिर तो बेस्ट हो जायेगा पर कही उन्होंने मेरे बाल में दो चोटी करके ही स्कूल भेज दिया तो क्या करूंगा वैसे भी मुझे सुबह मेरे पापा ही छोड़ने आते है स्कूल में तो रास्ते में खोल भी नही पाऊंगा
टीचर : ओहो ये तो बड़ी परेशानी है तो मैं एक काम करती हूं प्रिंसिपल मैडम के पास ले चलती हूं नाम काट दिया जाएगा आराम से घर में मम्मी की बात मानते हुए जिंदगी बिता लेना
अमित : ठीक है मैडम मैं करूंगा जैसा अपने कहा है वो ही करूंगा और मैं कल दो चोटी बना कर ही स्कूल आऊंगा मैं अपनी मम्मी को समझाऊंगा पर आप प्लीज नाराज मत हो और प्रॉन्सिपल आफिस में जाने का विचार मन से निकाल दो
टीचर : ठीक हुआ निकाल दिया चलो अब तुम भी अपनी क्लास मेजाओ और हां याद रहे पोनीटेल खुले नही ऐसे ही घर जाना है
अमित : चलो टीचर से कल तक तो जान बची पता नई इस पागल के दिमाग में और क्या चल रहा है पर अब तक तो मुझे याद भी नहीं था के मेरे बालो में पोनीटेल बनी हुई है पर अब जब इसने मुझे बता दिया है तो बार बार मेरा दिमाग पोनीटेल में ही जा रहा है मैं क्या करूं समझ नही आ रहा है
मैं धीमे धीमे कदमों से अपनी क्लास में घुसा ,
क्लास ऑलरेडी चालू हो चुकी थी हिंदी के सर क्लास में आ चुके थे मैने क्लास में आने देने की रिक्वेस्ट की
सर ने क्लास में आने दिया बस ये पूछा के मेरे बालो को क्या हो गया कुछ बदले हुए लग रहे है
मैंने रिप्लाई किया के सुबह मैडम ने पनिशमेंट दी है और बोली है के मेरे बाल लंबे है तो मैं इन्हे कटवा लूं या बाकी लड़कियों के तरह इन्हे बांध कर आया करूं
सिर ने भी सेम ही रिप्लाई किया बिलकुल सही किया मैडम ने या तो बाल कटवा लो या लड़कियों के तरह बाल बांध कर रखो जिससे तुम्हारा ध्यान पढ़ाई में रहे ना की बालो के साथ खेलने में , हमने भी कई बार नोटिस किया है के तुम अक्सर अपने बालो से खेलते रहते हो
वैसे तुम पर ये हेयरस्टाईल अच्छी लग रही है ऐसे ही बालो को बांध कर रखा करो और फिर अपने लॉकडाउन समय की कहानी सुनाने लगे के कैसे उनके बाल लॉकडॉन में लंबे हो गए थे और उन्हें परेशानी होती थी फिर उनकी पत्नी ने उनके बाल में जबरदस्ती पोनीटेल बंदी उससे उन्हें कितना आराम मिला था
फिर मुझे बैठने को बोला और ऐसे ही हर टीचर ने मुझसे मेरे पोनीटेल के ही क्वेश्चन पूछा और सबने ही कहा हां मैं बाल बांध कर ही रखा करूं जैसे तैसे करके स्कूल तो पूरा हो गया और मैं इसी तरह पोनीटेल में घर गया

मैं पूरे रास्ते सोचता रहा के मां को क्या बोलूंगा
मैंने डोर बेल बजाई मां ने गेट खोला और मुझे देख कर बोली आज कुछ चेंज लग रहा है और मां कुछ और बोलती मैने ही बोल दिया के आज हमारे क्लास में चेकिंग आई थी और सुबह स्कूटर पर गया था तो बाल में हवा लग गई थी तो बिखर गए थे इसलिए टीचर ने मुझे डांटा और बोली अगर बाल मैनेज नही कर सकते तो बाल कटवा लो
और अगर तुम्हे या तुम्हारे पेरेंट्स को तुम्हारे बाल बढ़वाने का शौक है तो स्कूल को कोई प्रोब्लम नही है पर उनकी प्रॉपर केयर करो फिर उन्होंने मेरे बालो में पोनीटेल बना दी और बोली आज मैं पूरा दिन ऐसे ही रहूं और घर भी ऐसे ही जाऊं
अब या तो कल बाल कटा कर आना या बाकी लड़कियों की तरह बालो में दो चोटी करके आऊं तो अब आप देख लो आप क्या करना चाहते हो या तो बाल कटवा दो वरना अगर लंबे ही रखवाने है तो फिर कल से मेरे बालो में मेरे स्कूल की लड़कियों की तरह दो चोटी करदे
मुझे लगा था मुझे शर्मिंदा होना पड़ेगा पर मैं तो मां को ही कन्फ्यूज कर दिया अब मैं तो आराम से घर के कपड़े चेंज करके आ गया और बाल जन बुझ कर मैने खोले नही
मां भी क्या करती बेचारी कन्फ्यूज थी कुछ समझ नहीं आया तो मेरी कजन को ही कॉल करके मेरी पोनीटेल दिखाने लगी और मेरी आंटी से सलाह मांगने लगी के क्या करना सही रहेगा
मैं तो आराम से खाना खा का सो गया अगले दिन सुबह रोज की तरह उठा नहाया कपड़े पहिने और तैयार हुआ पर जब मैं स्कूल के लिए निकलने वाला था तब मां अचानक से कंघी और दो रबर ले कर आ गई और बोली अरे मैं तो भूल ही गई थी और जल्दी से मेरे बालो को बीच में से झाड़ कर मेरे सिर में दोनो तरह की दो पोनीटेल बना दी
और बोली टीचर से बोलना कल मैं मार्केट से रिबन ले आऊंगी और फिर अब से मेरे बाल रिबन में बांध कर ही भेजेंगी सिर्फ आज मैनेज कर ले
कल एक चोटी में घर आना था पर आज घर से ही दो बनाकर स्कूल जाना और फिर ऐसे वापस घर आना जितना मैं सोच रहा था उतना आसान नहीं था पर मैं जैसे तैसे स्कूल पहुंचा सारे बच्चे मेरे बारे में ही बात कर रहे थे और टीचर भी जो भी टीचर क्लास में आते सब मेरे बालो की हेयरस्टाइल पर ही बात करते और सब बच्चे खिलखिलाकर मुझ पर हस्ते
रिशेष में भी मेरी क्रश और उसकी सहेलियों ने मुझे घेर लिया औरमुझे बहुत चिढ़ाया और मुझे कल वाले थप्पड़ की याद दिलाते रहे कल तक मैं स्कूल का मॉनिटर था आज मैं सिर्फ एक मजाक बन गया था आज मैडम का लास्ट पीरियड था
लास्ट पीरियड में आई और ऐसे अनजान बनी रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो क्लास खत्म हुई मुझे इशारे से रुकने को बोला जब सारे बच्चे निकल गए तब मेरे पास मॉनिटर के साथ और मुझे एक पैकेट दिया और एक एड्रेस दिया और बोली स्कूल से घर न जाकर इस एड्रेस पर पहुंची और 50 rs ऑटो का किराया भी दिया
मैं उस एड्रेस पर पहुंचा तो गेट मैडम ने ही खोला मुझे अंदर बुलाया और बोली मुझे यकीन नही था के तुम आज ऐसे आ जाओगे पर तुमने सच में दो चोटी करके पूरा दिन बहुत बहादुरी से कटा है मैने तुम्हे एक पैकेट दिया है बाथरूम मेजाकर चेंज कर लो तुम्हारे कपड़े है
मैं जब पैकेट खोला तो उसमें एक ब्रा पैंटी ब्लैक स्कर्ट एंड व्हाइट शर्ट एंड हील्स थी
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर सबसे पहले मैंने ब्रा पहेनी और फिर पैंटी उस पर शर्ट और लास्ट में स्कर्ट जो बहुत मुश्किल से मेरी जांघ पर पहुंच रहे थी उससे बड़ी तो मेरी अंडरवेयर होती है

वैसे स्क्रिट पहेनने के बाद पहेली बार नोटिस किया के मेरे बॉडी पर जरा भी हेयर नही है अब मैंने अपने जूते मोजे उतरकर मैडम की दी हुई हील्स भी पहन ली
और बाथरूम से बाहर निकला मैडम ने मुझे एक काली पट्टी दी और मेरी आंखों पर बांध दी अब मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था
फिर मैडम ने मुझे एक कुर्सी पर बैठने को कहा मैं बैठ गया फिर मैडम ने मेरे दोनो हाथ कुर्सी के पीछे वाले पैरो में नीली रस्सी से बांध दिए और फिर मेरे पैर कुर्सी के आगे वाले पैरो में बांध दिए
अब जब मैं पूरी तरह से बांध दिया गया था तो मैडम बोली रिलैक्स आराम से बैठ जाओ अभी तुम्हे बहुत देर तक ऐसे ही रहना है
मैं कुछ रेस्पॉन्स करता या पूछता उसके पहले दरवाजे की रिंग बजी और मैडम फिर से दरवाजा खोलने के लिए मुझे कुर्सी से बंधा हुआ छोड़कर चली गई
पार्ट 5
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मैं कुर्सी से बंधा हुआ था मैं सोच रहा था के मैडम के घर में कौन आया होगा इतनी जल्दी, जरूर उनके पेरेंट्स होंगे जो मुझे ऐसे बंधा हुआ देख कर शायद मैडम को मुझे खोलने और माफ करने को बोल दे,
और साथ ही साथ मुझे अपनी मम्मी की भी चिंता हो रही थी के मैं आज घर नहीं पहुंचा हूं तो उन्हें मेरी चिंता हो रही होगी मुझे अपनी मम्मी के बारे में सोच कर खुद की बेवकूफी पर रोना आ रहा था
पर अब रोने हंसने या कुछ भी करने से कोई फायदा नहीं था क्यों के ये मुसीबत मैने ही बुलाई थी और अब शायद मैं पूरी तरह से मैडम के जाल में फंस गया हूं मैं भाग कर या इससे बच कर कही नहीं जा सकता हूं सिवाय इस बात के मैं अपने पेरेंट्स को किसी तरह समझा सकूं के मुझे इस स्कूल में नहीं पढ़ना है और मुझे किसी और स्कूल में एडमिशन करा दे
पर अभी मिड टर्म हुआ है अभी तो आधा साल पड़ा है और एडमिशन तो न्यू टर्म में ही हो सकता है क्यों के आधे साल में मेरा एडमिशन किसी भी स्कूल में होना ये बहुत मुश्किल और कॉस्टली है जो मेरे पेरेंट्स अफोर्ड नहीं कर पाएंगे
मैं कुर्सी में बंधा हुआ छोटी स्कर्ट और हाई हिल पहने कुर्सी के साथ बंधा हुआ था आंखों पर काली पट्टी इतनी कस कर बंधी हुई थी के मुझे रोशनी का एक जरा सा भी अंश दिखाई नहीं दे रहा था सब कुछ काले अंधेरे में था मुझे ये भी नहीं पता चल रहा था के कमरे में लाइट बंद है या चालू है टोटल ब्लैकआउट था मेरे लिए हां सुनाई सब कुछ दे रहा था
तभी कमरे में कुछ चहलकदमी सुनाई दी और एक दम चौक्कना हो गया क्यों के बहुत सारे कदमों की आवाज थी उन सबने शायद जूते या चप्पल घर के बाहर ही उतार दिए थे इसलिए मुझे उनके चलने की आवाज भी बहुत धीमे धीमे ही आ रही थी
फिर दरवाजे के बंद होने की आवाज सुनाई दी और सबसे लास्ट में टीचर के आने की आवाज आई ।
पर अचानक मेरे दिमाग में एक बात आई के कही टीचर के पेरेंट्स के बदले टीचर का कोई बॉयफ्रेंड हुआ जो मुझे जानता हो कोई मेल टीचर हो सकता है या कोई लफंगा गली का वैसे भी ऐसी पटाका लड़कियों के लफंगे बॉयफ्रेंड ही होते है जो इन्हें घुमा सके बाइक पर मजे करा सके खर्चे कर सके ।
अगर उसने मेरे साथ कुछ गलत किया तो वैसे भी मैं हेयरलेस हूं स्कर्ट के नीचे से मेरी टांगे पूरी खुली हुई है हिल्स पहन ही रखी है बाल भी लड़कियों जैसे लंबे और दोनों तरफ की पोनीटेल में रबर से बंधे हुए है टीचर ने मुझे ब्रा भी पेडेड वाली दी है जिससे मेरे छोटे छोटे बूब्स हो ऐसे लुक आ ही रहा है मुझे ऐसे देख कर कोई भी धोखा खा जाएगा के मैं वास्तव में कोई गंदी लड़की हूं जो छोटे कपड़े पहन कर जो लड़कों को उसकी ओर आकर्षित करना चाहती है उस पर मैं बंधी हुई भी हूं अरे नहीं ये क्या सोच रहा हूं मैं बंधी हुई नहीं बंधा हुआ हूं मैं टीचर के घर में
ये मेरी सोच भी कैसी हो गई है मैं डर कर पसीना पसीना हो गया था जब की कमरे में पंखा भी चल रहा था ।
मैं इस सोच की वजह से बहुत डर गया था पसीना पसीना हो रहा था मैं अपने हाथ पैर खोलने के लिए कोशिश करने लगा पर कोई फायदा नहीं हुआ टीचर ने मेरे हाथ पैर कुर्सी से बहुत कस कर बंधे थे रस्सियों से जैसे टीचर को बहुत एक्सपीरियंस हो रस्सी से बांधने का
मुझे नहीं पता कब टीचर मेरे पास आ कर खड़ी हो गई और मेरे खुद को खोलने की कोशिश को देख कर मन ही मन खुश रही थी के मैं कितना बड़ा मूर्ख हूं जो उनकी एक्सपर्टीज पर डाउट कर रहा हूं और बेकार में अपनी एनर्जी ड्रेन कर रहा हूं ये सोच भी सच में बहुत शर्मनाक है के आपके एफर्ट सब बेकार जा रहे हो और कोई आपको परेशान होता देख कर खुश हो रहा हो।
आप लाख कोशिश के बाद भी कुछ कर न पा रहे हो और शायद आप जितने एफर्ट कर रहे हो आप उतने ही ज्यादा उस जाल में फंसते जा रहे हो जो आपके शिकारी ने आपके लिए बिछाया हो ।
काफी कोशिश के बाद भी जब कुछ नहीं हुआ और मैं जितनी कोशिश करता रस्सियों के खरोच से मेरे हाथ में जलन बढ़ जाती अब मैं थक भी गया था तो मैंने एफर्ट करने भी बंद कर दिए मैं थक गया था पानी पीना चाहता था पर डर भी रहा था के कही पानी पीने से मुझे सु सु आ गई तो मैं टॉयलेट कैसे जाऊंगा
तभी टीचर बोली : अगर तुम्हारे एफर्ट और एक्शन खत्म हो गए हो तो मैं तुम्हे पानी पिला दूं थक गए होगे और फिर ग्लास मेरे मुंह से लगा दिया और मैं बिना सोचे पता नहीं कितना पानी पी गया
जब मैं पानी पी रहा था तभी मुझे एक जानी पहचानी आवाज सुनाई दी और वो आवाज थी मेरी क्रश की जब मैने ध्यान से सुना तो समझ आया वो बोल रही थी के दीदी ये यहां क्या कर रहा और तुमने इसे बांध कैसे स्कूल में तो कम से कम चार बच्चे लगे थे इसके हाथ पैर बांधने में
तो टीचर जिसका नाम मोनिका था बोली अरे रोशनी (मेरी क्रश का नाम ) तू आम खाना गुठली क्यों गिनती है।
लेकिन मोनिका दीदी आपने इसे मेरी ड्रेस स्कर्ट ब्रा पैंटी और हिल्स क्यों पहनाए
मोनिका : रोशनी तू पागल है क्या , इसे मेरे कपड़े आ जाते क्या, तेरी साइज का है तो तेरे कपड़े ही पहनाऊंगी न जरा भी अकल नहीं है
रोशनी : अगर आप मेरी टीचर न होती न आपको बताती के मेरे कपड़े बिना पूछे ऐसे हर किसी को बांटने का फल क्या होता है पर आपको माफ किया पर उसके बदले आपको बताना पड़ेगा के आपने इसे घर क्यों और कैसे बुलाया और इसकी मां पापा परेशान नहीं हो रहे होगे
मोनिका : हां सब बता दूंगी , पर पहले तू ये बता के तू इतनी लेट कैसे हो गई घर आने में
रोशनी : दी क्या बताऊं आज स्कूल में अमित लड़कियों जैसे दो चोटी करके आया था तो सभी लड़कियां इसी के बारे में बोल रही थी के ये नकचढ़े को मैने सही पाठ पढ़ाया और मेरे थप्पड़ों का ही असर इस पर ऐसा पड़ा है के बेचारे ने लड़कियों की तरह रहना शुरू कर दिया है और सब लड़कियां इसे कल प्रॉपर में रिबन में बंधी दो चोटियों के देखने के लिए पागल हो रही है इसने आज सभी टीचर को बोला है
हम सब लड़कियां तो सोच रही है अगर कल घर से दो चोटी करके नहीं आया तो हम लोग ही इसे दो थप्पड़ मारेगी और जबरदस्ती इसकी दो चोटी कर देंगी ये एक नंबर का डरपोक है
मोनिका : अच्छा तू ये बता क्या तूने सच में क्लास में इसे थप्पड़ मारे थे और बाकी बच्चों से पिटवाया था
रोशनी : हां दी पहले तो मैने इसे थप्पड़ मारे, बहुत चू चपड़ कर रहा था उसके बाद फिर मैं चैपड से पिटवाया फिर क्लास के दो बच्चों से थप्पड़ खिलवाया
मोनिका : बड़ी नालायक है तू बेचारे के साथ कितना गलत किया तूने वैसे मैने इसकी मां को कॉल किया था पूछने के लिए के कही उन्हें कोई परेशानी तो नहीं या वो बाल करवाएगी जानने के लिए बातों बातों मैने ही उन्हें कहा के आज आप ऐसे ही सिंपल बना दो दो चोटी कल से रिबन से बांधे और स्कूल भेजे और फिर उन्होंने बोला के आज उन्हें दो दिन के लिए कही बाहर जाना है तो अमित को जल्दी भेज दूं घर और दो दिन की छुट्टी दे दूं
फिर मैने उनसे कहा के दो दिन तो बहुत जरूरी टेस्ट एंड चेकिंग चल रहे है तो नहीं जल्दी नहीं भेज पाऊंगी न ही छुट्टी दे पाऊंगी बेचारी बहुत परेशान हो गई थी फिर मैने कहा मैं अपने घर रख लूंगी उन्हें चिंता की कोई जरूरत नहीं वो निश्चित हो कर जाए
इसलिए ये बेचारा दो दिन हमारे साथ हमारा गुलाम बन कर रहेगा। बेचारी इसकी मां उन्हें लगा होगा मैं उनके बेटे का बहुत ध्यान रखूंगी और ये बेचारा उल्टा हमारा ध्यान रखेगा तो रोशनी डार्लिंग दो दिन के लिए हमें बढ़िया गुलाम मिल गया है जो चाहे कराओ फ्री का नौकर है पर सावधान रहना और ज्यादा परेशान न करना कम करने की आदत नहीं है तो पूरा खुला न छोड़ना हमला करके नुकसान भी पहुंचा सकता है तुम्हे पता है न ऐसे जानवरों को कैसे काबू करना है।
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मोनिका के जाने के बाद रोशनी मेरे पास आई और बोली अब क्या होगा तुम्हारा तुम तो बहुत बुरे फंसे हो मैं तो तुम्हें बहुत स्मार्ट समझती थी पर तुम हो नहीं और अब वह होगा जो तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा तुम्हें अब तक सब कुछ मजाक लग रहा होगा लेकिन अब जो होगा वह तुम्हारी सोच से कहीं ज्यादा और बहुत-बहुत बहुत खतरनाक होगा तो तुम उसे दिन को जीवन भर कोसोगे कि तुमने मोनिका की बात को क्यों माना और मुझे पंगे क्यों लिए तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था आखिर मेरी डिमांड क्या थी सिर्फ मैं क्लास में नंबर वन ही तो आना चाहती थी
पर तुम्हें लगा कि तुम जो कर रहे हो सब सही है तुम्हें अपने आगे दूसरों की मेहनत बकवास लग रही थी अपने आगे सब पिक सब बेकार लेकिन अब तुम्हें समझ आएगा कितना बुरा लगता है जब हम बहुत मेहनत करते हैं कुछ पाने के लिए लेकिन हमारी लाख मेहनत के बावजूद सिर्फ कुछ नंबरों से हम पीछे रह जाते हैं तो जो जलन पैदा होती है उसका परिणाम क्या होता है और उसे परिणाम के स्वरूप जो लोग जलते हैं उनके साथ क्या होता है
मोनिका: अरे रोशनी अब तक यही खड़ी है तूने अमित को ज्यादा परेशान तो नहीं किया वह मेरे अमित, मुझे पता है कि तुम इससे ज्यादा के हकदार हो पर सब कुछ समय के साथ ही होता है धीरे-धीरे होले होले प्यार से जिससे तुम्हें दर्द भी हो और पता भी ना चले तो बस अब तैयार हो जाओ अपने उसे दर्द के राह पर चलने के लिए जहां पर की तुम्हें नहीं पता कि तुम्हारे साथ क्या होने वाला है हर समय तुम परेशान रहोगे यह सोचोगे की जो हो चुका है वह ज्यादा बुरा था यह जो होने वाला है वह ज्यादा बुरा है बस इसी हो चुके और होने वाले दर्द के बीच में तुम झूलते रहोगे हर समय हर घड़ी तुम अपने लिए की हाई की भीख मांगोगे लेकिन तुम्हें भीख नहीं मिलेगी मिलेगा तो बस दर्द पीड़ा बेज्जती
रोशनी: क्या मोनिका बस अमित को डरती रहोगी कुछ एक्शन भी दिखाओ किसके साथ हम क्या-क्या कर सकते हैं क्यों ना हमें एक आसान शुरुआत करें जैसे की इसे हम कहीं घूमने ले चलते हैं फीमेल गेटअप में
मोनिका: आईडिया तो अच्छा है पर कहां ले जाएं
रोशनी: दी मुझे लगता है कि इसे सबसे पहले हमें एक मंदिर ले जाना चाहिए क्योंकि आज मंगलवार है मंदिर में बहुत भीड़ भी होगी और हमारे अमित को अच्छी वाली ऑडियंस भी मिलेगी
मोनिका: हां आईडिया तो अच्छा है तो फिर सोचना क्या है देरी किस बात की चलो शुरू करते है
रोशनी: लेकिन दीदी अगर यह वहां से मंदिर से कहीं भाग गया तो फिर क्या होगा फिर तो हमारा सारा प्लान खराब हो जाएगा और कितना बोरिंग हो जाएगा तो इसलिए भेज ना इसके लिए हमारे पास क्या ऑप्शन से
मोनिका : तुम बात तो सही कह रही हो कुछ तो हमें करना होगा जिससे की चाह कर भी भाग ना सके और हमारे कंट्रोल में रहे तो हमें कम कर सकते हैं क्यों ना इसके दोनों हाथ बांधे जिससे की भागना सके और ज्यादा आना-कानी ना करें
रोशनी : आइडिया बुरा नहीं है लेकिन हम बंधेंगे किस और घर के बाहर तो अगर किसी ने इसके बंदे वहां देख लिया तो फिर तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे सोचेंगे कि हम ने ईसे किडनैप किया और हो सकता है कि कोई पुलिस को भुला दे इससे तो हमें लेने के देने पड़ सकते हैं
मोनिका: बहुत डरपोक है तू मेरे पास उसका भी बहुत अच्छा प्लान है तू बस एक काम कर इस रेडी कर
रोशनी: क्यों न दी हमसे इसी ड्रेस में ले चुके हैं हिल की वजह से यह भाग भी नहीं पाएगा और हमारे कंट्रोल में भी रहेगा
मोनिका : ठीक रोशनी तुम्हारा आईडिया चाहिए हिल्स की वजह से भाग नहीं पाएगा बस हम एक चीज का ध्यान रखना कि इसके हिल्स में एक छोटा सा पडलॉक लगा दो जिससे खोल ना पाए और इसके दोनों हाथ इसकी पीठ के पीछे बांध दो और इसके बंधे हाथ किसी को दिखाई ना दे इसलिए इसे एक जैकेट बना दो और इसकी स्कर्ट उतार कर इसके पैरों पर एक छोटा सा स्टीकर लगा दो जो टैटू जैसा दिखाई दे जिससे कि ज्यादातर लोगों का ध्यान सिर्फ इसके पैरों की तरफ ही रहेगा कोई भी इसके जैकेट की तरफ ध्यान नहीं देगा और किसी को नहीं पता चलेगा किसके हाथ बंधे हुए हैं
रोशनी : क्या बात है मोनिका दी आप ग्रेट हो आप महान हो पता नहीं आपके दिमाग में यह सब आइडिया आते कहां से हैं ज्यादातर लड़को का दिमाग लड़कियों के पैरों में ही होता है उसे पर अगर लड़की ने हाई हील्स पहनी और नीचे कुछ ना पहनो टांगे बिल्कुल साफ दिखाई दे रही हूं और इन टांगों पर मेहंदी या टैटू बनाया हो तो फिर कोई शक्ल की ओर गौर नहीं करता लेकिन अमित के केस में तो अगर कोई शक्ल देख भी ले तो भी कोई परेशानी नहीं है क्योंकि यह दो चोटी और व्हाइट जैकेट में गजब ढाएगा तो यह फाइनल रहा लेकिन दी एक बार अमित से भी तो पूछ लो कि वह क्या बोल रहा है
मोनिका : अरे इससे क्या पूछना यह मना थोड़ी करेगा आखिर में इसकी फेवरेट टीचर जो हूं इसे मेरा सब्जेक्ट बहुत पसंद है और मैं भी तो यह बिल्कुल भी मन नहीं करेगा फिर भी तेरी तसल्ली के लिए मैं पूछ लेती हूं अमित बेटा तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं
अमित: वैसे मैं मैं जिस हालत में हूं अभी उसे हालत में मुझे अगर परेशानी होगी भी तो मैं कर क्या सकता हूं तो जो आपको ठीक लगे वह करिए मेरा हर हाल में हां है
रोशनी : ओ माय गॉड मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा की जो कुछ में देख रही हूं वह सच में हो रहा है मुझे लग रहा है जैसे मैं कोई सपना देख रही हूं भगवान यह कोई सपना ना हो और अचानक से मैं किसी सपने से उठ न जाऊं पता नहीं मैंने कौन से पुण्य किए होंगे जो मेरा यह सपना आज पूरा हो रहा है
अमित मन में: यहां सारा बखेड़ा ही साला सपना का है पता नहीं कौन से बुरे टाइम में मैंने यह सपना देखा था आज पूरा हो रहा है तो भी दुखी हूं आज तक पूरा नहीं हो रहा था तब तो दुखी थाई सच में मैंने कभी सपने में अपने साथ इतना बड़ा होते हुए तो नहीं सोचा था और जो सोचा था वह तो दूर-दूर तक नहीं होता दिख रहा शिवाय मेरी इज्जत के धज्जियां होने के कुछ भी नहीं हो रहा है जैसे मैंने सपने में सोचा था खास मैंने अपनी मां की बात मान ली होती और मैं अपना होमवर्क पूरा करके गया होता तो आज मेरे साथ ऐसा कुछ ना होता और यह सब कुछ मुझे नहीं चलना पड़ता जो मुझे अभी चलना पड़ रहा है प्लीज मुझे बचा लो मुझे इससे झंझट से निकाल लो मैं प्रॉमिस करता हूं दिन रात पढ़ाई करूंगा कभी कुछ उल्टा पुल्टा नहीं करूंगा बस एक बार मुझे इस झंझट से बचा लो यह दोनों बहने पागल है और अपने साथ मुझे भी बना देंगे मैं स्कूल का टॉपर हूं मैं जिंदगी में टॉप करना चाहता हूं पर लगता है यह दोनों ऐसा नहीं होने देंगे और अपनी ही तरह मुझे भी पागल बना देंगे मैं क्या करूं पर मैं कर भी क्या सकता हूं अब तो जो करना है इन दोनों पागलों कोई करना है यह दोनों पागल इतनी सी बात नहीं समझ रही अगर मुझे मंदिर ले जा रही है हिल में पडलॉक लगाएंगे तो मैं मंदिर में अंदर कैसे जाऊंगा यह क्या वहां सबके सामने मेरे हिल्स खोलने वाली है जमीन पर बैठकर क्योंकि मेरे तो दोनों हाथ बंधे होंगे तो फिर आखिर मेरे हिल्स मेरे पैरों से उतरेंगे कैसे और उससे भी बड़ी प्रॉब्लम यह मुझे स्कर्ट नहीं पहनने वाले मतलब मैं उतना ही ढका होऊंगा जितना जैकेट मेरे पैरों को ढंक पायेगा और मेरे पर पूरी तरह से खुले होंगे मतलब जब मैं बैठाऊंगा और यह दोनों मेरी हिल्स को उतार रही होगी उसे समय जो भी सामने से गुजरेगा उसे मेरे जैकेट के अंदर से मेरी पैंटी साफ दिखाई देगी
न्यू चैप्टर
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फाइनली, मेरे दोनों हाथ मजबूती से मेरी पीठ के पीछे बांध दिए गए। मैं छटपटा भी नहीं सकता था। तभी रोशनी ने अपनी हील्स उठाई और जबरदस्ती मेरे पैरों में पहना दीं। मैं सोच ही रहा था कि ये ड्रामा कब खत्म होगा, तभी उसने हील्स के अंदर लगे छोटे से लॉक को बंद कर दिया। अब मैं चाहकर भी अपने पैरों से उन्हें नहीं निकाल सकता था, जब तक कि ये दोनों पागल बहनें खुद ना चाहें।
अब मैं पूरी तरह से इनके कब्जे में था—मेरे दोनों हाथ पीठ के पीछे बंधे हुए, पैरों में हाई हील्स जिनमें लॉक था, और बाल दो चोटियों में बंधे हुए। जैसे इतना काफी नहीं था, रोशनी ने अपनी शरारत जारी रखते हुए एक सेक्सी स्टिकर निकाला, जो बिल्कुल असली टैटू जैसा दिखता था, और उसे मेरे पैरों पर चिपका दिया। मैं अंदर ही अंदर जल-भुन रहा था, लेकिन ये दोनों बहनें अपनी मस्ती में मग्न थीं, मानो कोई शानदार खेल खेल रही हों—और मैं, इस खेल का मजबूर खिलौना बन चुका था।
उसके बाद दोनों बहनें तैयार होने के लिए चली गईं और मुझे इस कमरे में अकेला छोड़ दिया। करीब आधे घंटे बाद जब वे वापस आईं, तो उनकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी। मोनिका टीचर ने काले रंग की साड़ी पहन रखी थी, जो उन पर बेहद जच रही थी, और रोशनी ने सिल्वर कलर की साड़ी पहनी थी, जिसमें वह अनोखी लग रही थी।
मोनिका के दोनों हाथों में काले रंग की चूड़ियां खनक रही थीं, और रोशनी के हाथों में सिल्वर चूड़ियां चमक रही थीं। मोनिका की उंगलियों पर गहरे काले रंग की नेल पॉलिश थी, जबकि रोशनी ने सिल्वर कलर की नेल पेंट लगाई थी। सच कहूं तो, मुझे रोशनी पहले कभी पसंद नहीं आई थी, लेकिन आज न जाने क्यों वह मुझे बेहद खूबसूरत लग रही थी। शायद इसलिए क्योंकि मैंने उसे पहली बार साड़ी में देखा था।
उसने माथे पर एक छोटी-सी बिंदी लगाई थी, होठों पर हल्की लिपस्टिक, आंखों में गहरा काजल और पैरों में पायल पहनी थी, जो हर कदम के साथ मधुर स्वर बिखेर रही थी। मोनिका भी बहुत अच्छी लग रही थी, मगर रोशनी की बात ही कुछ और थी। ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था कि वे मंदिर जाने के लिए तैयार हुई हैं—बल्कि ऐसा लग रहा था मानो किसी लड़के को देखने के लिए सज-धज कर जा रही हों।
और मैं? मैं तो उनके बीच अजीब ही लग रहा था—स्कूल की ड्रेस में, पैरों में हील्स पहने, हाथ बंधे हुए, जैसे किसी शाही दावत में "कबाब में हड्डी" हो गया हूँ। ऐसा लग रहा था मानो दो खूबसूरत इंडियन गर्ल्स के बीच कोई ऐसी पागल लड़की खड़ी हो, जिसे फैशन की ज़रा भी समझ न हो। मोनिका और रोशनी एकदम सजी-धजी, स्टाइलिश और ग्रेसफुल लग रही थीं, और मैं? बस एक मिसफिट, जो न चाहते हुए भी इस ग्लैमरस सीन का हिस्सा बन गया था।
जब दोनों बहनें तैयार होकर मेरे कमरे में आईं, तो मैं उन्हें बस देखता ही रह गया। उनकी खूबसूरती इतनी ज़बरदस्त थी कि मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या कहूं। वैसे भी मेरी हालत ऐसी नहीं थी कि कुछ बोल सकूं या कर सकूं, इसलिए बस चुपचाप खड़ा रहा। लेकिन चाहकर भी उन्हें इग्नोर नहीं कर सकता था—मेरी नज़रें बार-बार उनकी ओर खिंच ही जा रही थीं।
तभी मोनिका टीचर ने मुझसे एक ऐसा सवाल पूछ लिया, जिसका जवाब देना मेरे लिए सच में बहुत कठिन था। उसने मुस्कुराते हुए पूछा, "बताओ, हम दोनों में से कौन ज्यादा खूबसूरत लग रही है?"
यह सवाल सुनते ही मेरी सांसें अटक गईं। अगर मैं मोनिका टीचर का नाम लेता, तो वह सच में खूबसूरत थी, मगर आज रोशनी उससे भी ज़्यादा निखर रही थी—तो रोशनी नाराज हो जाती। और अगर मैंने रोशनी को ज्यादा खूबसूरत कहा, तो मोनिका टीचर का गुस्सा झेलना पड़ता। कुल मिलाकर, दोनों में से किसी को भी नाराज करना मेरे लिए अच्छा ऑप्शन नहीं था।
लेकिन दोनों बहनों ने जोर दिया कि मैं सच बोलूं और जिसे ज्यादा खूबसूरत लग रहा हो, उसका नाम बताऊं। मैं दुविधा में फंस गया—कहूं या न कहूं? आखिरकार, मैंने डिप्लोमैटिक बनने की कोशिश की और जवाब दिया,
"आप दोनों ही बहुत खूबसूरत लग रही हो, और किसी एक को ज्यादा कहना गलत होगा, क्योंकि आप दोनों बराबरी की खूबसूरत लग रही हो।"
मेरा जवाब सुनते ही रोशनी मेरे पास आई और अपनी उंगलियां मेरे सामने करते हुए बोली, "देखो, मेरी नेल पॉलिश कितनी खूबसूरत लग रही है!" उसकी सिल्वर कलर की नेल पॉलिश चमक रही थी।
तभी मोनिका टीचर ने भी अपनी उंगलियां उठाईं और अपनी काली नेल पेंट दिखाते हुए मुस्कुराई, "और मेरी? देखो, ये कितनी क्लासी लग रही है!" सच कहूं, तो दोनों के हाथ कमाल के लग रहे थे। पर मेरे लिए इससे भी बड़ी दुविधा थी—अब क्या जवाब दूं?
मोनिका मैम की उंगली में एक बेहद खूबसूरत सिल्वर अंगूठी थी, जिसमें जड़ा हुआ छोटा सा हीरा उनकी गोरी उंगलियों की शोभा बढ़ा रहा था। उनके हाथों में खनकती काली चूड़ियां उनकी साड़ी, नेल पेंट और पूरे लुक से परफेक्ट मैच कर रही थीं। लेकिन सबसे खास उनकी वो मोहक मुस्कान थी, जिसकी कोई बराबरी नहीं थी—एकदम दिल चुरा लेने वाली।
उधर, रोशनी मेरी तरफ आई, अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए हल्के से घूमी। उसकी बैकलेस ब्लाउज की डिजाइन अब साफ नजर आ रही थी, और उसकी कमर पर बना छोटा सा दिल का टैटू पहली बार मेरी नज़रों में आया। शायद इस छोटे-से टैटू ने उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा दिए थे।
अब अगर मोनिका मैम अपनी ग्रेसफुल ब्यूटी के लिए जानी जाती थीं, तो रोशनी में एक अलग ही आकर्षण था। वह मेरी उम्र की थी, जवान थी, और जब मुस्कुराती थी, तो उसके गालों पर पड़ने वाले डिंपल उसे और भी ज्यादा प्यारा बना देते थे। यह भी मैंने आज ही नोटिस किया था।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि मोनिका मैम किसी से कम थीं। जब वे मुस्कुराती थीं, तो उनके मोती जैसे सफेद दांत एकदम परफेक्ट सेट में चमकते थे, जो उनकी सुंदरता को कई गुना बढ़ा देते थे। सच कहूं तो, इन दोनों में से किसी एक को ज्यादा खूबसूरत कहना नामुमकिन था।
शायद यही वजह थी कि मैंने फिर से एक डिप्लोमैटिक जवाब दिया और दोनों की बराबर तारीफ की। लेकिन वे दोनों यह चाहती थीं कि मैं किसी एक का नाम लूं, जिससे दूसरी नाराज हो और फिर वे मुझे सजा दे सकें। पर मैंने उन्हें एक भी मौका नहीं दिया।
आखिरकार, जब उन्हें यह समझ में आ गया कि मैं किसी एक की तारीफ नहीं करने वाला, तो दोनों ने मिलकर मेरे दोनों गालों पर एक साथ किस कर दिया!
मेरी सांसें थम गईं। मैं एकदम शॉक में था। इस अचानक हुए हमले से मेरे चेहरे का तापमान बढ़ गया था। दोनों बहनें खिलखिलाकर हंस रही थीं, और मैं... मैं बस वहीं खड़ा, पसीना-पसीना हो चुका था!
मेरे एक गाल पर काले रंग की और दूसरे पर पिंक लिपस्टिक के निशान पड़ चुके थे। मैं उलझन में था—न खुश हो सकता था, न दुखी। क्योंकि जो होने वाला था, वह मेरी सोच से भी ज्यादा बुरा था।
ये दोनों बहनें अब मुझे इसी हालत में—स्कूल यूनिफॉर्म पहने, हाथ पीछे बंधे हुए और हील्स में लॉक किए हुए—मंदिर लेकर जाने वाली थीं। वहां हर कोई मुझे घूरने वाला था। अगर किसी ने पहचान लिया, तो मैं जिंदगी में दोबारा उसका सामना कैसे कर पाऊंगा? लेकिन अब मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। जो होना था, वो होकर ही रहेगा। मैंने मजबूरी में अपनी किस्मत से समझौता कर लिया और खुद को इन दोनों पागल बहनों के भरोसे छोड़ दिया।
लेकिन तभी, मेरी किस्मत ने थोड़ा साथ दिया। घर से निकलने से पहले रोशनी ने एक आइडिया दिया, "दीदी, क्यों न इसे लेंस लगा दें? इससे ये थोड़ा डिफरेंट लगेगा!"
मोनिका को भी यह आइडिया पसंद आया। "हाँ, सही है! चलो, ब्लू कलर के लेंस लगाते हैं," उसने कहा।
रोशनी जल्दी से ब्लू कलर के लेंस लेकर आई और मेरे पास आकर बोली, "ऊपर देखो।"
मैं जैसे ही ऊपर देखने लगा, उसने मेरी आँखों में लेंस डाल दिए। कुछ ही सेकंड में मेरी काली आँखें गहरे नीले रंग में बदल गईं। अचानक ही मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ गया। अगर किसी ने मुझे देख भी लिया, तो मैं कम से कम यह कह सकता था कि वह मैं नहीं था—क्योंकि मेरी असली आँखें तो काली थीं!
लेकिन मेरी खुशी ज्यादा देर टिक नहीं पाई। लेंस लगाने के कुछ ही मिनट बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरी नजरें धुंधली हो गई हैं। चारों ओर सबकुछ हल्का-हल्का धुंधला दिखने लगा।
मैं घबरा गया। अपनी आँखें मसलकर ठीक करने की कोशिश करना चाहता था, लेकिन मेरे हाथ तो पीछे बंधे हुए थे! मैं कुछ कर ही नहीं सकता था। घबराहट बढ़ने लगी, और शायद इसे रोशनी और मोनिका ने भी नोटिस कर लिया।
रोशनी हंसते हुए बोली, "मुझे पता है कि तुम्हें धुंधला दिख रहा है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। तुम्हारी आँखें बिल्कुल ठीक हैं। दरअसल, ये लेंस पुराने हैं और खराब हो चुके हैं, इसलिए इनमें से वैसे ही धुंधला दिखता है!"
लेकिन यह सुनना मेरे लिए किसी बुरी खबर से कम नहीं था। अब मैं ठीक से देख नहीं पा रहा था। चीजें धुंधली और हल्की-हल्की लहराती हुई दिख रही थीं। जैसे खराब नेटवर्क में वीडियो चलता है या जब कोई तेज लाइट के सामने देखता है और उसके चारों ओर हल्की लाइन्स नजर आती हैं—वैसा ही कुछ मेरी आँखों के साथ हो रहा था।
अब मेरी हालत ऐसी थी कि मैं न गाड़ी चला सकता था, न लिख सकता था, न पढ़ सकता था। मैं बस अंदाजे से देख सकता था कि मेरे सामने दो लड़कियां खड़ी हैं, लेकिन उनके चेहरे तक ठीक से नहीं पहचान पा रहा था।
रोशनी ने मेरी हालत का मज़ा लेते हुए कहा, "घबराओ मत, हम तुम्हें अकेला छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। अब ज्यादा देर मत करो, मंदिर के लिए निकलते हैं!"
फिर उसने एक जैकेट उठाई और मुझे पहना दी ताकि मेरी यूनिफॉर्म कम से कम ढकी रहे। इसके बाद वे दोनों मुझे स्कूटी पर बैठाने लगीं।
मोनिका स्कूटी चला रही थी, मैं बीच में था, और रोशनी मेरे पास बैठी थी। अब हम मंदिर की ओर निकल चुके थे… लेकिन मुझे अंदाजा नहीं था कि यह सफर मेरे लिए और भी ज्यादा मुश्किल भरा होने वाला था।
मोनिका ने स्कूटी पार्क की और सख्त लहजे में बोली, "तुम यहीं खड़े रहो, स्कूटी का ध्यान रखना और हमारे सैंडल का भी, जब तक हम मंदिर में दर्शन करके नहीं आते।"
मैंने विरोध किया, "पर मैं यहां खड़े होकर क्या करूंगा?"
इस पर रोशनी हंसते हुए बोली, "वही करोगे जो हर लड़का करता है—लड़कियों की जगह पर खड़े होकर इंतजार!" फिर उसने मेरी तरफ झुकते हुए धीरे से कहा, "वैसे भी, तुम खुद लड़की जैसे लग रहे हो, तो तुम्हें तो पता ही होगा... जब कोई लड़की मंदिर नहीं जाती, तो इसका क्या मतलब होता है?"
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन रोशनी ने खुद ही अपनी बात पूरी कर दी, "इसका मतलब होता है कि उसका पीरियड चल रहा है—जो लगभग हर लड़के को पता होता है।"
वह शरारती हंसी हंसते हुए बोली, "तो बस, आज तुम्हारा पीरियड चल रहा है और तुम बाहर खड़े होकर एंजॉय करो!"
मेरा मुंह खुला का खुला रह गया, लेकिन कुछ बोलने का कोई फायदा नहीं था। इससे पहले कि मैं कोई और विरोध कर पाता, वे दोनों मुझे वहीं स्कूटी के पास छोड़कर मंदिर के अंदर चली गईं।
अब मैं अकेला था—स्कूल यूनिफॉर्म में, पैरों में लॉक की हुई हील्स, आंखों में धुंधले लेंस, और दोनों गालों पर दो अलग-अलग रंग की लिपस्टिक के निशान! मेरा मन कर रहा था कि मैं वहां से भाग जाऊं, लेकिन कैसे?
मेरे हाथ पीछे बंधे हुए थे।
पैरों में हील्स थीं, जिनमें मैं ढंग से दौड़ भी नहीं सकता था।
आंखों में ब्लू लेंस थे, जिनकी वजह से सब कुछ धुंधला दिख रहा था।
और घर पर भी ताला लगा था, यानी वहां भी नहीं जा सकता था।
अब मेरी हालत यह थी कि न इधर का था, न उधर का। बस स्कूटी पर चुपचाप बैठा था और दुआ कर रहा था कि कोई मुझे इस हालत में न पहचान ले।
लेकिन किस्मत इतनी भी अच्छी नहीं थी।
तभी मैंने महसूस किया कि मेरे सामने कोई खड़ा है। हालांकि लेंस की वजह से चेहरा साफ नहीं दिख रहा था, लेकिन अंदाजा हो रहा था कि वह कोई लड़की थी।
मोनिका और रोशनी तो मंदिर के अंदर थीं, तो फिर यह कौन थी?
अगले ही पल, उस लड़की की आवाज आई, "अमित, तुम यहाँ कैसे? और ये क्या हाल बना रखा है?"
मेरे पूरे शरीर में एक सिहरन दौड़ गई। वह मुझे पहचान चुकी थी!
डर के मारे मेरा दिल तेज़ धड़कने लगा। मैं घबराकर वहां से भागने की कोशिश करने ही वाला था कि उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली,
"घबराओ मत, मैं अनीता हूँ… तुम्हारी क्लासमेट। पहचाना?"
अब मेरी हालत ऐसी थी जैसे किसी ने चोरी करते हुए पकड़ लिया हो। मेरी सांसें तेज़ चलने लगीं। मैं न भाग सकता था, न छुप सकता था।
अब अनीता मुझे इस हालत में देख चुकी थी… और मेरे पास कोई बहाना भी नहीं था!
मुझे ठीक से दिखाई तो नहीं दे रहा था, लेकिन आवाज़ सुनकर मैं समझ चुका था कि यह अनीता ही थी। मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।
अनीता ने हल्की हंसी के साथ कहा, "घबराओ मत! और वैसे भी, जो मुझे देखना था, वो तो मैं देख ही चुकी हूँ। अब तुम्हारे भागने से कुछ बदलेगा नहीं। और जिस हालत में तुम हो, उसमें ज्यादा दूर भाग भी नहीं सकते!"
फिर उसने मेरी ओर देखा और मजाकिया अंदाज में बोली, "वैसे, तुम पर ये हील्स काफी अच्छे से जंच रही हैं! और ऊपर से जैकेट भी... लेकिन ये जैकेट तुमने अपने हाथों के ऊपर से क्यों डाल रखी है?"
मैं कुछ बोल पाता, उससे पहले ही उसने मेरी जैकेट को हल्का सा ऊपर उठाया और चौंक गई, "अरे! ये क्या? तुम्हारे तो दोनों हाथ बंधे हुए हैं!"
अब उसकी आवाज़ में हैरानी और दिलचस्पी दोनों थी। वह मुस्कुराते हुए बोली, "सच-सच बताओ, यह सब क्या चल रहा है? तुम्हारी ये हालत किसने की? मैं किसी से नहीं कहूँगी, प्रॉमिस!"
मैं घबराया हुआ था और कुछ भी बोलने का कोई सही बहाना नहीं सूझ रहा था। इसलिए मैंने घुमा-फिराकर उससे ही पूछ लिया, "पर तुम यहाँ क्या कर रही हो?"
अनीता ने कंधे उचका कर कहा, "मैं अपनी फैमिली के साथ मंदिर आई थी, लेकिन… यू नो… लड़कियों वाली प्रॉब्लम!" उसने हल्के से मुस्कुरा कर इशारा किया, जिसका मतलब मैं अब तक समझ चुका था। "तो वो सब अंदर दर्शन करने गए हैं, और मैं बाहर खड़ी थी। फिर मेरी नजर तुम पर पड़ी, तुम जाने-पहचाने से लगे, तो सोचा पास आकर देखूं। और यहाँ आकर देखा कि तुम सच में अमित ही निकले!"
अब वह सीधा मेरी तरफ देखती हुई बोली, "लेकिन… तुमने ये स्कर्ट, सैंडल और दो चोटियाँ क्यों कर रखी हैं? यह तुम्हारी मम्मी ने जबरदस्ती करवाई है या… कहीं तुम्हें भी लड़कियों वाले शौक तो नहीं?"
वह थोड़ा झुककर मेरी आँखों में झांकने की कोशिश करने लगी और धीरे से फुसफुसाई, "सच-सच बताओ, मैं किसी से नहीं कहूँगी!"
अब मेरी हालत ऐसी हो चुकी थी कि न निगलते बन रहा था, न उगलते… आखिर अब मैं क्या जवाब दूँ?
अनीता ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "और हाँ, आज स्कूल में जो तुम्हारे साथ हुआ, वह सच में बहुत बुरा था। तुम एक अच्छे स्टूडेंट हो, लेकिन मोनिका टीचर ने तुम्हारे साथ जो किया, वह सही नहीं था। मुझे बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन मैं कुछ कर भी नहीं सकती थी।"
मैं उसकी बात सुनकर थोड़ा चौंक गया। मतलब उसे भी पता था कि आज स्कूल में मेरे साथ क्या हुआ था?
फिर उसने स्कूटी की ओर देखा और बोली, "तो ये स्कूटी मोनिका टीचर की है! इसका मतलब वह भी मंदिर आई है, और उसके साथ उसकी घमंडी छोटी बहन रोशनी भी होगी। ये दोनों बहनें मुझे तो पागल लगती हैं!"
वह थोड़ा रुकी, फिर हंसते हुए बोली, "वैसे, मुझे समझ नहीं आता कि स्कूल के लड़कों को मोनिका टीचर इतनी खूबसूरत क्यों लगती है? आखिर है क्या उसमें? हर दिन वही काली साड़ी, वही काली चूड़ियां, और वही डार्क नेल पेंट! लड़के भी न, गधे ही होते हैं! किसी को भी पसंद कर लेते हैं!"
फिर उसने अचानक मुझ पर शक की नजरों से देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "कहीं तुम भी तो उनमें से नहीं हो?"
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि मैं पहले से ही बहुत फंसा हुआ था।
वह अब मेरी आँखों की तरफ देखने लगी और बोली, "वैसे तुम्हारी आँखों को क्या हुआ? ओह, लेंस लगवाए हैं? ये ब्लू लेंस तुम पर बहुत अच्छे लग रहे हैं!"
फिर उसने अचानक अपना फोन निकाला और शरारती अंदाज में बोली, "अगर तुम बुरा न मानो, तो क्या मैं तुम्हारा एक फोटो खींच सकती हूँ?"
मैंने जल्दी से "नहीं!" कहने की कोशिश की, लेकिन अनीता मेरी हालत को देखकर पहले से ही समझ चुकी थी कि मैं कुछ भी करने की स्थिति में नहीं हूँ।
वह हंसते हुए बोली, "वैसे, तुम बुरा मानो या न मानो, मैं फोटो तो खींचूंगी ही!"
फिर उसने बिना मेरी इजाजत लिए मेरी तस्वीरें ले लीं, और सेल्फी भी खींची।
मैं अंदर ही अंदर घबरा रहा था, लेकिन कुछ कर नहीं सकता था।
अनीता ने मेरी तस्वीरों को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "तुम सच में बहुत खूबसूरत लग रहे हो!"
अब मेरे डर की सारी हदें पार हो चुकी थीं। अगर यह फोटो किसी और तक पहुंच गई, तो मैं कहीं का नहीं रहूंगा!
अनीता ने मुझसे फिर पूछा, "क्या तुम किसी का इंतजार कर रहे हो?" लेकिन मैं कुछ नहीं बोला। बस चुपचाप खड़ा रहा। वह बार-बार वही सवाल पूछ रही थी, "क्या तुम किसी का इंतजार कर रहे हो? तुम्हारे साथ कोई है? तुम कितनी देर यहां खड़े रहोगे?"
वह बहुत ज्यादा चेक कर रही थी, और उसके बार-बार पूछने से मैं मजबूर हो गया। आखिरकार, मैं अनचाहे तरीके से बोल पड़ा, "मैं मोनिका टीचर के साथ आया हूं, रोशनी भी है, और ये जो मेरी हालत है, यह दोनों ने ही की है।"
फिर मैंने थोड़ा और झुझकते हुए कहा, "प्लीज, मुझे अकेला छोड़ दो और तुम जाओ यहाँ से!"
लेकिन जैसे ही मैंने यह कहा, मेरा जैकेट मेरे कंधे से गिर गया और अनीता की नजर मेरे बंधे हुए हाथों पर पड़ गई। वह रुक गई, और फिर मुस्कुराते हुए बोली, "अच्छा, यह भी बढ़िया है! तुम्हारे तो हाथ भी बंधे हुए हैं... इसका मतलब है..."
उसकी आवाज़ में अब एक शरारत थी, और वह धीरे-धीरे मेरे बंधे हुए हाथों की तरफ इशारा करने लगी। मुझे डर था कि अब क्या करेगी वह? क्या वह मेरी इस हालत को और ज्यादा लोगों से शेयर करेगी?
मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं, और मुझे लगा जैसे मेरी स्थिति अब और भी मुश्किल हो गई थी।
फिर तो जैसे अनीता को मजा ही आ गया बोली मुझे नहीं पता था कि तुम्हें भी बीडीएसएम पसंद है सच कहूं तो मुझे भी पसंद है और ऐसे पब्लिक में बीडीएसएम करना तो मेरा सपना है पर मैं जाकर भी ऐसा कर नहीं सकती मैं हर दिन सपने में सोचती हूं लेकिन ऐसा कभी हो नहीं पाया पर तुम तो मुझे भी चार कदम आगे निकल जो मैं सोच रही थी और करना चाहती थी तुम ऑलरेडी हो कर रहे हो क्या बात है इसीलिए तो तुम टॉपर हो हर काम में टॉप पर तुम्हारी बात ही कुछ और है
पर अब जैसा कि मुझे पता चल गया कि तुम्हें भी बीडीएसएम ऐसा बहुत पसंद हैमैं तुम्हें गिफ्ट देना चाहती हूं, उम्मीद है तुम बुरा नहीं मानोगे। लेकिन पहले, मुझे तुमसे कुछ जरूरी बातें करनी हैं। तुम्हें सच बताना होगा, वो बातें जिन्हें तुम छुपा रहे हो। मुझे समझ नहीं आता, क्यों तुम बार-बार चुप रहते हो, जबकि अनीता को तुम्हारी खामोशी से गुस्सा आ रहा है। उसने फिर से पूछा, "क्या तुम सच में कुछ नहीं कहोगे?" पर मैंने फिर भी कुछ नहीं बोला।
अनीता का गुस्सा अब साफ़-साफ़ उसके चेहरे पर नजर आने लगा था, हालांकि लेंस के कारण मुझे ठीक से नहीं दिख रहा था, लेकिन उसकी आवाज के तेवर से ये बिलकुल साफ़ था। वह बार-बार पूछ रही थी, और ये बार-बार की खामोशी उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही थी।
आखिरकार, अनीता की आवाज़ में तल्खी आ गई, "अगर तुमने फिर से कुछ नहीं कहा, तो मैं तुम्हें हमेशा के लिए चुप करा दूंगी।" उस पल मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करने वाली है। उसकी बातें गंभीर नहीं लग रही थीं, शायद मैं उसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहा था। मैंने फिर से अपनी स्थिति जाहिर की, "मैं तुम्हें कुछ नहीं बताऊँगा। तुम अपना काम करो, अपना रास्ता चुनो, और मुझे अकेला छोड़ दो।"
अनीता चुप रही, लेकिन उसकी आंखों में एक तमतमाया हुआ क्रोध था। "तुम मुझे हल्के में ले रहे हो," उसने कहा। "लेकिन तुम्हारी यह गलती तुम्हें सिखा देगी कि मैं कितनी गुस्से में हूं। तुम शायद ये नहीं समझ पा रहे कि तुम्हारा हर कदम मुझे कितना दुख पहुंचा रहा है।"
उसकी बातें अब मुझे भी परेशान करने लगीं। मैं उससे तैश में बोला, "मुझे गीत और धमकी मत दो! तुम समझती क्या हो, कि मुझे तुम्हारी धमकी से डर लगेगा? मुझे जो करना है, मैं करूंगा। तुम चाहो तो अपनी बातें छोड़ दो।"
वो फिर से बकबक करने लगी, "अगर मैं चाहती, तो अब तक तुम्हें ठीक कर चुकी होती।" मैं गुस्से में बोला, "तुम समझती क्या हो, कि मैं डर जाऊँगा? तुम मेरी मजबूरी का फायदा मत उठाओ। तुम्हारी बातों का कोई असर मुझ पर नहीं होने वाला है।"
अब, उसका चेहरा और भी तमतमाया हुआ था, मगर मैंने उसे नजरअंदाज करते हुए कहा, "बस अब चुप रहो। मैं तुम्हारी गीदड़ धमकियों का जवाब नहीं दूंगा। अब जा सकती हो, पर एक शब्द भी नहीं!"
उसने फिर से मुझसे कोई जवाब नहीं दिया, और उसका गुस्सा बढ़ता गया। मुझे समझ में आ गया, कि जब तक हम अपनी समझदारी से न काम लें, हमारे बीच यही खामोशियां और गुस्से के पल बढ़ते जाएंगे।
अनीता ने एक गहरी सांस ली और कहा, "अच्छी बात है, मैं जा रही हूं, लेकिन जाने से पहले तुम्हें तुम्हारी बदतमीजी की सजा जरूर दूंगी, जिसका तुम्हें पछतावा होने वाला है।" उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, और उसकी आवाज में गुस्से के साथ कुछ ठंडा था।
फिर, उसने अपना बैग खोला और अंदर से एक हाथकड़ी निकालते हुए मुझे देखा। मैं हैरान था, उसकी इस हरकत ने मुझे डर में डाल दिया। उसने मुझे बिना एक पल भी गंवाए, मेरी कलाई पकड़कर रेलिंग के पास खींच लिया, जो पास ही में थी। लोहे की रेलिंग, ठंडी और मजबूती से खड़ी थी।
मेरे दोनों हाथ अब पीठ के पीछे बंधे हुए थे, और उसने मुझसे कुछ न कहकर उन हाथों को हथकड़ी से बांध दिया। वह कड़ी थी और मेरे हाथ अब रेलिंग के साथ लॉक हो गए थे। ये इतना कसकर था कि बिना चाबी के इसे खोल पाना नामुमकिन था। मैं हक्का-बक्का था। मैंने उसे घबराते हुए कहा, "प्लीज, अनीता, मुझे खोल दो, मुझे जाने दो।"
वह शांत रहते हुए मुझे घूरती रही और फिर बोली, "यह तुम्हारी सजा है। तुम्हारी बदतमीजी की सजा, जिसका तुम खामियाजा भुगतोगे। मैं तो तुमसे दोस्ती करना चाह रही थी, लेकिन तुमने मुझे और भी गुस्से में डाल दिया। तुम सच्चे में एक नंबर के बदतमीज हो!"
उसकी आवाज में कड़ा संदेश था। हर शब्द जैसे कांपते हुए मेरे अंदर गूंज रहे थे। मुझे समझ आ गया कि अब यह सिर्फ बदला नहीं, बल्कि मेरी हरकतों का पूरा हिसाब था।
"जैसे एक लड़की की फिलिंग्स का जरा भी अंदाजा नहीं है," अनीता ने ठंडे स्वर में कहा। "अब तुम यही लॉक रहोगे, जब तक कि जो भी तुम्हें याद आया है, वह खुद आकर मुझसे रिक्वेस्ट नहीं करता और चाबी नहीं मांगता। तुम्हारे हाथ बिना चाबी के नहीं खुलेंगे।"
उसकी आवाज़ में एक गहरी खामोशी थी, जैसे वो मेरी हर हलचल को समझ रही हो। "तुम्हें मुझसे बात करने में बड़ी परेशानी हो रही थी, ना? तब से मैं तुम्हें समझ रही हूं, लेकिन तुम्हारे मुंह से क्यों नहीं निकल रहा था? अब तुम चाहो तो भी कुछ नहीं बोल पाओगे, क्योंकि अगर मैं तुम्हें ऐसे ही लॉक करके चली गई, तो तुम पर से मेरा नाम बता दोगे, और जिसने भी तुम्हें इस हाल में डाला है, वह मुझे रिक्वेस्ट करके चाबी मांग लेगा।"
मैं असमंजस में था, उसकी बातें मेरे दिमाग में हड़बड़ी मचा रही थीं। क्या ये सच में हो रहा था? क्या मैं इस स्थिति से बाहर निकल पाऊंगा?
फिर अनीता ने और भी गंभीर होते हुए कहा, "लेकिन मैं इस गेम को थोड़ा सा और कॉम्प्लिकेटेड करना चाहती हूं तुम्हारे लिए, ताकि तुम चाहकर भी मेरा नाम नहीं बता सको। बताना चाहो तो भी, तुम सोच रहे होगे कि यह कैसे संभव है, लेकिन चिंता मत करो, तुम्हें ज्यादा परेशान नहीं करूंगी। बस एक मिनट की बात है।"
तभी अनीता मेरे पास आई और उसने अपने पर्स से एक फेवीक्विक निकाला। जैसे ही मैंने उसे देखा, मुझे समझ में आ गया कि वह क्या करने वाली है। एक घबराहट सी महसूस होने लगी, जो मेरे दिल में गहरी हलचल पैदा कर रही थी।
मैं डर गया था। मुझे रोकना चाहता था, लेकिन मेरे हाथ रेलिंग से बंधे हुए थे। मैं भागना चाहता था, लेकिन मेरे पैर जकड़े हुए थे। मैं आगे-पीछे होना चाहता था, पर यहां की जगह ने मेरी सारी कोशिशों को नाकाम कर दिया।
मेरे दिमाग में हजारों सवाल दौड़ रहे थे, और मेरी हालत ऐसी थी जैसे मैं किसी जाल में फंस चुका था, जहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं था। अनीता ने उस फेवीक्विक को हाथ में लिया और धीरे-धीरे मेरी ओर बढ़ने लगी। अब मैं उसे रोक नहीं सकता था।
अनीता मेरे पास आई और उसने फेवीक्विक का ढक्कन खोल दिया। फिर उसने ध्यान से फेवीक्विक को मेरे होठों पर लगाया और अपने दोनों हाथों से मेरे मुँह को इस तरह से पकड़ा कि मैं कुछ भी बोल न सकूं। कुछ ही पल में, फेवीक्विक पूरी तरह से मेरे होठों पर चिपक गया। मैं चाहकर भी कुछ नहीं कह सकता था, बस हल्की सी आवाजें ‘बम-बम’ जैसी निकल रही थीं।
अनीता हंसी और बोली, “तुम चाहते थे ना कि मैं यहां से चली जाऊं? तो ठीक है, अब मैं जा रही हूं, ..अब मुझे खुद ही यह पता चल जाएगा कि तुम्हें ऐसी स्थिति में यहां कौन लाया था। लेकिन असली मजे की बात यह है कि तुम सोच रहे होगे कि तुम यह कैसे बताओगे कि चाबी किसके पास है, और फिर तुम्हारा हाथ और होठ कैसे खुलेंगे।"
अनीता मुस्कुराते हुए बोली, "यह तुम्हारी सजा है। अब मैं जा रही हूं, तुम एंजॉय करो अपना दिन और अपनी यह हालत।" और फिर वह मुझे वैसे ही अकेला छोड़कर चली गई। उसके जाने के कुछ समय बाद, मोनिका और रोशनी मेरे पास आईं। मोनिका ने कहा, "चलो, स्कूटर पर बैठो, घर जाना बहुत देर हो गई है।"
लेकिन मैं तो रेलिंग से बंधा हुआ था, कैसे बैठ सकता था स्कूटर पर? मैं बोलना चाहता था, पर कुछ भी कह नहीं पा रहा था। तब मोनिका ने देखा कि मेरे हाथ लोहे की हथकड़ी से बंधे हुए हैं और उसमें एक ताला लगा हुआ है। बिना चाबी के, वह ताला खोला नहीं जा सकता था। रोशनी ने मोनिका से कहा, "क्या करें, दोनों बहनें परेशान हैं। यह क्या हुआ? कौन आया था और तुम्हारी हालत कैसी कर दी है?"
मैं बोलना चाहता था, पर मेरे होठों पर फेवीक्विक की वजह से कुछ भी नहीं निकल पा रहा था। मोनिका गुस्से से बोली, "तुम पागल हो गए हो, क्या कर लिया है तुमने? इतनी देर में खुद को भी मदद नहीं कर पा रहे हो। बताओ, किसने तुम्हारे हाथों में ताले लगाए? कुछ तो बोलो, हमें घर भी जाना है, बहुत देर हो रही है!"
मैं चाहकर भी कुछ नहीं बोल सका, और मोनिका का गुस्सा और बढ़ गया। वह चाहती थी कि वह कुछ करे, लेकिन चूंकि हम एक पब्लिक प्लेस में थे, इसलिए वह कुछ नहीं कर पा रही थी, और इसका असर उसके गुस्से पर और बढ़ गया।
रोशनी ने देखा कि स्थिति बहुत बिगड़ चुकी थी, और उसने कहा, "चलो, हम घर चलते हैं, इस हालत में क्यों छोड़ दें?"
मैं घबराया हुआ था, मैंने इशारे से कहा, "प्लीज, मुझे ऐसे मत छोड़ जाओ।"
मोनिका ने मेरी हालत समझी और फिर खुद को शांत करते हुए कहा, "हम इसे ऐसे नहीं छोड़ सकते। आखिरकार, यह मेरा स्टूडेंट है, और इसके पैरेंट्स ने इसकी जिम्मेदारी मुझ पर डाली है। हम इसे यहां से किसी भी हाल में निकालेंगे।"
मोनिका मेरी पीठ के पीछे गई और हथकड़ी खोलने की कोशिश की। वह लोहे की बनी हुई थी, और लाख कोशिशों के बावजूद वह खुल नहीं रही थी। मोनिका और रोशनी दोनों परेशान हो गईं, लेकिन हार नहीं मानीं।
फिर मोनिका ने मुझसे कहा, "क्या हुआ? किसने किया ये?" मैं चुप रहा, क्योंकि मुझे बोलने की हालत नहीं थी। तभी मोनिका को ध्यान आया कि शायद मेरे होठ चिपके हुए हैं।
उसने इशारे से मुझसे पूछा, "क्या तुम्हारे होठ चिपके हुए हैं?" मैंने सिर हिलाकर पुष्टि की।
मोनिका ने मुझे धीरे से पकड़ा और बैठने के लिए कहा। रोशनी भी चुपचाप पास आई। दोनों ने समझा कि ऐसा कुछ होने की उम्मीद नहीं थी, और अब जो हुआ, वह दोनों के लिए भी एक आश्चर्य था।
मोनिका के दिमाग में एक ख्याल आया, और उसने मुझसे पूछा, "क्या हम उस शख्स को जानते हैं जिसने तुम्हारे साथ यह किया?" मैंने सिर हिलाकर हां में जवाब दिया। फिर रोशनी ने पूछा, "क्या वह कोई लड़का है?" मैंने सिर हिलाकर ना में जवाब दिया। मोनिका ने अगला सवाल पूछा, "क्या वह तुम्हारी कोई स्टूडेंट है?" मैंने फिर सिर हिलाकर हां कहा।
रोशनी ने एक-एक करके स्कूल की लड़कियों के नाम बताने शुरू किए, और जैसे ही उसने अनीता का नाम लिया, मैंने हां में सिर हिलाया। रोशनी गुस्से में बोली, "यह लड़की, कभी नहीं सुधरेगी! हमेशा मुझसे जलती रहती है। अब देखो, यहां भी पीछा कर लिया है।"
मोनिका ने कहा, "मैं इसके बारे में कुछ करना चाहती हूं, लेकिन इसका नंबर मेरे पास नहीं है। घर का पता भी नहीं है। चाबी कैसे मिलेगी?" तभी हमें सामने से अनीता आती हुई दिखाई दी। मोनिका और रोशनी ने एक-दूसरे को इशारा किया, और मैंने उन्हें इशारे से बताया कि अनीता को देखो।
मोनिका ने कहा, "तू जा और चाबी ले आ।" रोशनी ने जवाब दिया, "दीदी, यह बहुत जिद्दी है, मुझे लगता है यह चाबी नहीं देगी। आपको ही जाना पड़ेगा।" मोनिका मुस्कुराई और बोली, "ठीक है, मैं जाती हूं।"
मोनिका अनीता के पास गई और चाबी देने को कहा, लेकिन अनीता ने साफ मना कर दिया। मोनिका ने उसे बहुत समझाया, लेकिन अनीता अपनी बात पर अडिग रही। कुछ समय बाद, जब मोनिका को कोई रास्ता नहीं दिखा, रोशनी से रहा नहीं गया और वह दोनों के पास आ गई। अब हम चारों एक जगह खड़े थे। मोनिका ने फिर से चाबी मांगी, और इस बार अनीता ने और भी जोर से मना कर दिया।
रोशनी ने गुस्से में पूछा, "क्या चाहती हो तुम? क्यों चाबी नहीं दे रही हो?"
"क्या हो रहा है? देर क्यों कर रही हो?" मोनिका ने गुस्से में पूछा। "तुम चाहती क्या हो, चुपचाप चाबी दो।"
अनीता ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा, "बहुत घमंड है मुझमें ? तुम खुद ही कह रही हो,इसलिए मैं चाबी नहीं दूंगी। जो करना है, कर लो।"
मोनिका ने गुस्से में कहा, "तुम पागल हो क्या? बीच रोड पर तमाशा क्यों कर रही हो? अनीता, तुम चाबी दो, हम घर चलेंगे, आराम से बात करेंगे, और जो तुम कहोगी, वो मैं मान लूंगी।"
अनीता ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "तुमक्या चाहती हो कि अमित यहाँ बंधा रहे? मुझे तो यही लगता है लेकिन अगर तुम पूछ रही हो कि मैं क्या चाहती हूं तो बता ही देती हूं मैं तो तुम्हे अमित की जगह बंधा हुआ देखना चाहती हूं, लेकिन क्या कर सकती हूं, यह संभव नहीं है। मैं नहीं चाहती कि अमित हमारी लड़ाई में यह खुले में ऐसे फसा रहे।"
मोनिका ने कहा, "ठीक है, तो तुम क्या चाहती हो? हमें तो बस चाबी चाहिए। बताओ, क्या करना है?"
अनीता मुस्कुराते हुए बोली, "मोनिका, मैडम मैं आपकी बहुत इज़्जत करती हूं। आप बहुत खूबसूरत हैं। अगर आप जानना चाहती हो तो सुनो मैं चाहती हूं कि मैं आपके दोनों हाथों आपकी पीठ के पीछे हथकड़ी में लॉक कर दूं।"
रोशनी गुस्से में बोली, "क्या तू पागल हो गई है? तुझे पता भी है क्या बोल रही हो?
अनीता ने जवाब दिया, "मुझे सब पता है, तू मुझे मत सिखा। जो मैंने कहा है, वही कर, वरना मैं जा रही हूं। तुम अपना देखोके अमित के साथ क्या करना है , और फिर मुझसे मत कहना कि मैंने नहीं बताया। मुझे कोई शौक नहीं है, लेकिन तुमने पूछा तो बताना पड़ा। वैसे भी, तुम ही कह रहे थी घर चलकर देखते हैं क्या किया जा सकता है, और अब मैंने बता दिया कि क्या करना है। और अगर तुम चाहते हो कि मैं यकीन करूं, तो मेरे पास भी कुछ होना चाहिए।"
मोनिका ने कहा, "ठीक है, मुझे मंजूर है। लो, मैं अपने हाथ पीछे करती हूं, बांध लो, लेकिन यहां से चलो। मैं सड़क पर कोई ड्रामा नहीं करना चाहती, न ही भीड़ जमा करना चाहती हूं। हम घर चलते हैं, आराम से बैठकर बातें करेंगे और देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। अगर तुम्हारी यही इच्छा है, तो ठीक है, मैं तैयार हूं। लेकिन एक समस्या है, रोशनी को स्कूटी चलाने नहीं आती। अगर तुम मेरे दोनों हाथ पीछे बांध दोगे, तो इसका मतलब है कि मैं स्कूटी नहीं चला सकती। और इसका एक और मतलब है कि हम तीनों यहीं फंसे रहेंगे। अमित के हाथ पीछे बंधे हुए हैं, फिर भी हमने उसे जैकेट पहनने दिया था ताकि किसी को शक न हो। लेकिन अगर तुम मेरे हाथ भी लॉक करोगे, तो हम स्कूटी से नहीं जा पाएंगे। फिर हमें ऑटो लेना पड़ेगा, और ऑटो वाले तक जाने में सब लोग हमें ही देखेंगे। अगर किसी ने नहीं भी देखा, तो ऑटो वाला तो देख ही लेगा।
इसलिए, मेरा एक सुझाव है। अगर तुम और रोशनी मानो, तो तुम मेरा हाथ लॉक मत करो । मैं जानती हूं कि तुम चाहती हो कि हम घर जाकर तुम्हारी बातों का पालन करें, इसलिए क्यों न तुम मेरी जगह रोशनी के हाथ पीछे बांध दो? वही बात होगी, चाबी तुम्हारे पास ही होगी।"
मोनिका ने कहा, "जैसे मेरे हाथ बंद हैं, वैसे रोशनी के भी बंद होंगे। क्या फर्क पड़ता है? और इसी बहाने मैं स्कूटी चला पाऊंगी। फिर ये दोनों स्कूटी के पीछे बैठ जाएंगे, तो किसी को शक भी नहीं होगा। अगर तुम भी इसी स्कूटी पर एडजस्ट कर सको, तो हम चारों एक ही स्कूटी पर घर जा सकते हैं।"
अनीता कुछ देर सोचने के बाद बोली, "ठीक है, मुझे मंजूर है, लेकिन क्या यह तुम्हारी प्यारी छोटी बहन को मंजूर होगा? उससे पूछ लो।"
मोनिका ने रोशनी से पूछा, "रोशनी, तुझे कोई प्रॉब्लम है तो अभी बता दे।"
रोशनी ने जवाब दिया, "मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। वैसे भी, यह कुटिया जल्दी मानेगी नहीं। तुम अच्छी तरह से जानते हो, यह बहुत हरामन है, और मैं इसकी हर एक आदत से पूरी तरह वाकिफ हूं। तो, जो भी समझो, उसे करने दो।"
फिर रोशनी ने अपने दोनों हाथ पीछे किए, और अनिता ने अपने पर्स से हैंडकप निकाल कर रोशनी के दोनों हाथों को उसकी पीठ के पीछे लॉक कर दिया। रोशनी की साड़ी के पल्लू को इस तरह से सेट किया कि उसके बंद हाथ पीछे से बिल्कुल भी दिखाई न दें। फिर वह मेरे पास आई और मेरे दोनों हाथों को रेलिंग से खोल दिया। चाबी अपने पर्स में रख ली।
मैंने इशारे से कहा कि मेरे होठों को खोलने की कोशिश करें, क्योंकि वे अभी चिपके हुए थे और मैं कुछ भी बोल नहीं पा रहा था। अनीता हंसते हुए बोली, "इतनी क्या जल्दी है? वैसे भी, हम लड़कियों में तुम कहां बोल पाओगे?" फिर वह हंसते हुए पीछे हट गई।
मोनिका मैम को यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा, और ना ही मुझे या रोशनी को। क्योंकि जो कुछ रोशनी मेरे साथ करना चाह रही थी, वही अब रोशनीके साथ हो रहा था। उसके दोनों हाथ पीछे बंधे हुए थे, और मेरे हाथ भी खुले नहीं थे, हालांकि अब मैं रेलिंग से बंधा नहीं था। मैं अपनी जगह से हिल सकता था, लेकिन ज्यादा नहीं, क्योंकि मेरे पैरों में हील्स भी जो मुझे परेशान कर रही थी। मुझे सावधानी से चलना पड़ रहा था, लेकिन यह अच्छा था कि अब मैं रेलिंग से नहीं बंधा हुआ था।
हम चारों ने एक-दूसरे की ओर देखा, और फिर मोनिका मैम बोली, "अभी खड़े रहना है या घर चलना है?" हम चारों ने फिर एक स्कूटी पर एडजस्ट किया और घर की ओर चल पड़े। तभी अनीता के घर से फोन आया, शायद उसकी मम्मी का था, जो मंदिर में पूजा करने गई थी। उन्होंने पूछा, "अनीता कहां है? कब से ढूंढ रहे हैं।"
अनीता ने जवाब दिया, "कुछ नहीं, मंदिर में ही हूं, वॉशरूम गई थी, बस अब आती हूं।" फिर अनीता ने मोनिका मैम से स्कूटी रोकने को कहा, और उनका एड्रेस और मोबाइल नंबर लिया। उसने अपना नंबर भी मोनिका मैम को दिया और बोली, " आप लोग घर चलें, मैं थोड़ी देर में आती हूं। अपने मम्मी-पापा को घर छोड़कर आती हूं।"
फिर हम तीनों स्कूटी पर बैठकर घर की ओर चल पड़े। इस दौरान, सिर्फ मेरे साथ साथ दोनों रोशनी के हाथ पीछे बंधे हुए थे।
रास्ते में मोनिका ने रोशनी से कहा खतरनाक लड़की है वह तो अच्छा है कि मेरा दिमाग चल गया वरना रोशनी तुम्हारी जगह मेरे हाथ बंधे हुए होते और यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता कि एक स्टूडेंट अपनी टीचर के हाथ बांधे
रोशनी बोली हां पता है तभी मैंने उसे मना नहीं किया और चुपचाप अपने हाथ बंधवा लिया वरना उस कुत्तिया को तो अपने हाथ तो दूर अपने आसपास भी ना भटकने दूं ऐसे ही अनीता को कोश्ते हुए दोनों बहने और मैं दोनों बहनों के साथ उनके घर पहुंचा घर पहुंच कर रोशनी मुंह हाथ डोकर फ्रेश होने गई और पानी लेकर आई,
रोशनी भी मुंह हाथ धोना चाहती थे पर बेचारी के हाथ हैंड कप में लॉक थे उसे साड़ी चेंज करनी थी तो उसने मोनिका से उसकी साड़ी उतारने को कहा मोनिका ने भी उसकी साड़ी उतारने में मदद की उसकी साड़ी उतार कर एक साइड में रख दी और उसके बाद उसको पेटिकोट को भी उसके कमर से खोला और उसे उतार कर उसके घुटने तक के स्कर्ट दी फिर उसके पैरों में डालकर उसे पहनाया
पर जब तक उसकी साड़ी उतरी थी और फिर पेटिकोट और मोनिका ने जब तक उसे स्कर्ट नहीं पहनती थी तब तक वह मेरे सामने सिर्फ पेंटी में खड़ी थी काले रंग की पेटी उसके गोरी गोरी टांगों पर बहुत ही खूबसूरत लग रही थी काश के मेरे हाथ ना बंदे होते हैं मैं खुद उसकी पेंट उतार देता उसके लिए चाहे मुझे फांसी ही क्यों ना हो जाती पर मेरे दोनों हाथ मेरी पीठ के पीछे बंधे हुए थे तो मैं बस उसकी गोरी गोरी टांगों के बीच उसके जांघों में फंसे हुए उसकी पैंटी को देख सकता था अब रोशनी ने स्कर्ट पहनी हुई थी उसके ऊपर अपना बैकलेस ब्लाउज पहना हुआ था क्योंकि हाथ बंधे होने की वजह से उसका ब्लाउज उतारना और उसे कुछ और पहना पाना पॉसिबल नहीं था
फिर मोनिका ने रोशनी को एक दुपट्टा पहनने को दिया और हम तीनों अनीता के फोन का इंतजार करने लगे। लगभग दो घंटे के बाद, अनीता का कॉल आया। मोनिका ने तुरंत फोन उठाया और सबसे पहला सवाल पूछा, "तुम कब आ रही हो? दो घंटे हो गए हैं, और हम यहां इंतजार कर रहे हैं। क्या तुम्हें अमित की चिंता नहीं हो रही? तुम जानती हो कि उसके होठों पर चिपका हुआ है और रोशनी के हाथ बंधे हुए हैं।"
अनीता ने थोड़ा शरमाते हुए कहा, "मोनिका, मैं जल्दी आना चाहती हूं, लेकिन क्या करूं? समय काफी हो चुका है और मेरे पैरेंट्स मुझे अकेले नहीं आने देंगे। तो अगर आप मेरे घर आकर मुझे ले जाएं तो शायद वे मुझे जाने देंगे, क्योंकि जब आप साथ होंगी, तो वे मना नहीं करेंगे। आप समझ रही हैं ना?"
मोनिका ने सोचा और फिर जवाब दिया, "ठीक है, अपना एड्रेस भेज दो, और हम दोनों वहां आकर तुम्हें ले लेंगे। रोशनी को कमरे में थोड़ी देर के लिए छोड़कर, हम स्कूटी लेकर आ जाएंगे।"
अनीता के घर पहुंचते ही मोनिका मैडम ने अपने चेहरे पर एक मुस्कान फैलाई और अनीता के पेरेंट्स से बड़े सलीके से कहा, “आप बिलकुल निश्चिंत रहिए, हम उसे थोड़ी देर में वापस भेज देंगे। अर्जुन प्रोजेक्ट है स्कूल का, और इसीलिए अनीता को मेरे साथ जाना पड़ेगा। थोड़ी देर और लग सकती है, लेकिन हम उसे बिना किसी परेशानी के घर वापस भेज देंगे।”
फिर, मोनिका मैडम ने अपनी जादुई शालीनता में अपना मोबाइल नंबर दिया, “अगर कुछ जरूरी हो तो मुझसे सीधे संपर्क कर सकते हैं, कोई बात नहीं।” उन्होंने यह बात इतनी गर्मजोशी से कही कि अनीता के पेरेंट्स को किसी भी चिंता का कोई कारण नहीं दिखाई दिया।
फाइनली अनीता और मोनिका वहां से चल पड़ीं। थोड़ी दूर जाते ही अनीता ने अचानक मोनिका से कहा, "मैडम, स्कूटी रोक दो।" मोनिका ने तुरंत स्कूटी रोक दी, और फिर अनीता ने चुपचाप कहा, "अब अपने दोनों हाथ पीछे कीजिए।" मोनिका ने थोड़ी हैरान होकर पूछा, "क्या मतलब है तुम्हारा?"
अनीता हंसते हुए बोली, "मतलब तो सब समझ में आ जाएगा, बस चुपचाप इतना करो, वरना मैं अपना रास्ता पकड़ के घर वापस जा रही हूं।"
मोनिका ने कई बार उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन अनीता की जिद के सामने वह नतमस्तक हो गई। फाइनली, मोनिका को अपनी हार माननी पड़ी और जैसे ही अनीता ने आदेश दिया, वैसे ही उसने अपने दोनों हाथ पीछे कर लिए। और फिर, अनीता ने उनका हाथ पीछे की ओर लॉक कर दिया, जैसे वह उसे पूरी तरह से काबू में कर चुकी हो।
और फिर उनके पास एक अजीबोगरीब गुड न्यूज थी—अनीता ने बताया कि उसे स्कूटी चलाने का थोड़ा-बहुत ही अनुभव है, तो आज उसे पूरी तरह भगवान भरोसे छोड़ दिया गया था। मोनिका के चेहरे पर डर की लकीरें साफ दिख रही थीं। हाथ पीछे बंधे हुए थे, साड़ी में लिपटी हुई थीं, और मन में यही सोच रही थीं कि अगर स्कूटी गिर गई, तो क्या होगा। उनके हाथ खुद को बचा नहीं पाएंगे, और उनका खूबसूरत चेहरा सड़क पर घसीटते हुए दागों से भर जाएगा। कहीं उनके हाथ-पैर टूटने का खतरा तो था ही, या फिर उनकी प्यारी मुस्कान को खतरा, दांत टूट सकते थे। डर के मारे उनका पसीना छूट रहा था, और अनीता को उनकी हालत पर हंसी आ रही थी।
अनीता जानबूझकर ऐसी सिचुएशन बना देती, जैसे स्कूटी गिरने वाली हो या किसी से टकराने वाली हो। वह कभी-कभी जानबूझकर ऐसे मोड़ पर जाती जैसे सब कुछ खत्म होने वाला हो। मोनिका का दिल तो जैसे दहला जा रहा था। क्या सच में अनीता गाड़ी चलाने में इतनी चतुर थी, या उसने बस मोनिका को डराने के लिए यह सब किया था? खैर, किसी तरह वे घर पहुंचे, लेकिन मोनिका की हालत बहुत खराब थी—वह गुस्से से भरी हुई थी, लेकिन कुछ कर नहीं पा रही थी क्योंकि उसके हाथ पीछे बंधे हुए थे।
घर पहुंचने पर अनीता ने स्कूटी को स्टैंड पर खड़ा करने के बजाय गिरा दिया। मोनिका का गुस्सा तो जैसे फट पड़ा, लेकिन वह कर कुछ नहीं सकती थी। बस पैर पटकती हुई कमरे के अंदर चली गई। जब हम रोशनी और मैं कमरे में गए, तो हमारी हालत भी खराब हो गई। मोनिका के हाथ भी पीछे बंधे हुए थे, और हम देख रहे थे कि अब हम तीनों पूरी तरह से अनीता के कंट्रोल में थे। उसकी मर्जी के बिना हम कुछ नहीं कर सकते थे, क्योंकि सारी पावर उसके हाथ में थी।
अनीता कमरे में आई और बोली, "क्या बात है? तीन तगड़ा काम बिगाड़ रहे हो? इसीलिए मैं भी यहां हो गई, चौथी। और अब इस कमरे में जो भी होगा, वह बस मेरी मर्जी से होगा। आई एम द बॉस ऑफ़... मेरा मैसेज बिल्कुल क्लियर है!"
अब अनीता ने पूरी तरह से माहौल में अपने कंट्रोल की शक्ति जताई थी। उसके आत्मविश्वास और शरारत भरी बातें सभी को हैरान और डराने वाली लग रही थीं, और अब कमरे में सब कुछ उसकी इच्छाओं के मुताबिक होगा।
और अब जो भी मैं कहूंगी वही होगा तो सबसे पहले एक काम करते हैं आप तीनों को एक-एक करके 50 बार बोलना है अनीता इस द बॉस और हम अनीता के गुलाम हैं उसके बाद मेरे पैरों पर अपनी नाक रगड़नी है तो सबसे पहले कौन आएगा मुझे लगता है की मोनिका मैडम आप हमारी टीचर सम्माननीय है तो मैं आपसे तो ऐसा नहीं करवा सकती ना तो सबसे पहले रोशनी को मौका देना चाहूंगी वैसे भी इससे बहुत सारे हिसाब बाकी है मुझे पता है यह मेरी पीठ पीछे मुझे हमेशा कुटिया बुलाती है और आज मैं इसे बताना चाहती हूं की असली कुटिया कौन है और मालकिन कौन है
रोशनी बोली साली कुत्तिया भूल जा सपने में भी मैं ऐसा नहीं करने वाली तुझे लगता है कि तू जो बोलेगी मैं मान जाऊंगी ऐसा बिल्कुल नहीं होने वाला और चुपचाप मेरे हाथ खोल वरना तेरे लिए अच्छा नहीं होगा
अनीता ने कहा, "अगर तू ये नहीं करोगी, तो तेरे लिए अच्छा नहीं होगा।
रोशनी बोली बताओ, क्या करोगी?" उसने यह कहते हुए अपनी बात पूरी की, और फिर अचानक अनिता रोशनी के पास गई। बताओऔर फिर जो कुछ हुआ, वह शायद रोशनी ने कभी सोचा भी नहीं था।
अनीता ने तेज़ी से रोशनी को एक थप्पड़ मारा। रोशनी तो जैसे चौंक गई, वह लगभग गिरते-गिरते बची। "मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह मेरे सामने हो रहा था," वह खुद को संभालते हुए बोली। मोनिका मैम भी कुछ सेकंड के लिए चुप हो गईं, शायद वह खुद को इस स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता सोच रही थीं।
फिर, मोनिका ने अपनी हिम्मत जुटाई और कहा, "अनीता, यह क्या कर रही हो? तुम ऐसा नहीं कर सकती। तुम रोशनी को थप्पड़ नहीं मार सकती। हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, और यह तरीका गलत है।"
अनीता ने गहरी सांस ली और फिर तेज़ी से कहा, “क्या तुम मुझे चैलेंज कर रही हो? तुम शायद सोच रही हो कि मैं ऐसा नहीं कर सकती, लेकिन मैं तुम्हारा चैलेंज एक्सेप्ट करती हूं।” और फिर, बिना किसी चेतावनी के, अनीता ने फिर से रोशनी को दो थप्पड़ जड़ दिए। रोशनी के गाल लाल टमाटर की तरह हो गए थे, और उसकी आंखों में आंसू धुंधले हो गए थे। बाल बिखरकर चेहरे पर झूलने लगे थे, और अनीता की उंगलियों के निशान अब भी उसके गालों पर साफ दिखाई दे रहे थे।
अनीता ने चुपचाप अपनी बात जारी रखी, “मोनिका मैम, अभी भी समझ जाओ, अपनी बहन को जितना बोला जाए, उतना करो। और रूल अब तुम्हारे लिए भी लागू होते हैं—जितना कहा जाए उतना करो। वरना अभी तुम देखोगी कि तुम्हारे सामने क्या हो सकता है।"
मोनिका ने गुस्से में कहा, “अनीता, यह तुम गलत कर रही हो, तुम ऐसा नहीं कर सकती!” लेकिन अनीता की नज़रें अब पहले से कहीं अधिक दृढ़ थीं। उसने फिर से मोनिका के पास कदम बढ़ाया और उसकी ओर एक तेज़ थप्पड़ मारा। मोनिका मैम ने जैसे ही थप्पड़ खाया, वह सोफे पर गिर पड़ीं। कमरे में अचानक एक गहरी चुप्प थी। सभी की साँसें थम गईं, और पल भर के लिए समय जैसे थम सा गया।
अनीता ने अपनी आवाज़ में गुस्सा घोलते हुए कहा, “समझ में नहीं आता क्या? जितना बोला है उतना करो, चुपचाप खड़े हो जाओ। अगर एक आंसू भी तुम्हारी आंखों से गिरा, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। यह तो बस शुरुआत है। जितना मुझे कहा गया, उतना ही किया जाएगा। अगर तुम ऐसा नहीं करोगी, तो थप्पड़ों की बरसात जारी रहेगी, और तब तक रुकेगी नहीं, जब तक जैसा कहा गया वैसा नहीं हो जाता।”
यह स्थिति बिल्कुल अप्रत्याशित थी। मोनिका मैम चुप हो गईं, लेकिन अंदर ही अंदर वह यह सब नहीं सह सकती थीं। अनीता की कठोरता को देख उन्होंने सिर झुकाया और अपनी ताकत खो दी। फिर अनीता ने चुपचाप कहा, “तो फिर देखो, जैसा मैंने कहा, वैसा करो—या तुम्हारे पास कोई और रास्ता नहीं होगा।”
मोनिका मैम अभी भी पूरी तरह से सदमे में थीं। शायद उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके साथ ऐसा कुछ होगा, न उनके कमरे में, न उनके घर में, और न ही कभी उनके किसी स्टूडेंट से ऐसी बदतमीज़ी होगी। वह खुद को इस पल में पूरी तरह से असहाय महसूस कर रही थीं। एक स्टूडेंट, जो उनकी क्लास में था, वही आज उनके साथ ऐसा कर रहा था। यह सच में अप्रत्याशित था, और उनके लिए तो यह और भी शर्मनाक था, क्योंकि कोई भी टीचर अपने स्टूडेंट्स के सामने किसी और स्टूडेंट से ऐसे तरीके से पीटना नहीं चाहता।
पर शायद इसे ही कर्म कहा जाता है। जब आप किसी का बुरा करने की सोचते हैं, तो कभी-कभी आपके साथ भी वही घटित हो जाता है। आज, वही हुआ था जो उन्होंने कभी नहीं सोचा था—मोनिका मैम के साथ वही हो रहा था, जो उन्होंने खुद महसूस किया था। यह एक प्रकार की कड़ी सजा थी। क्या पता इससे पहले भी कई स्टूडेंट्स के साथ ऐसा हुआ हो, लेकिन मोनिका मैम के लिए यह स्थिति खास थी।
अनीता ने एक गहरी सांस ली और कहा, “मोनिका, अगर तुम्हारी आँखों से एक भी आंसू गिरा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।” उसकी आवाज़ में एक गंभीरता थी, लेकिन मोनिका मैम को अभी भी यह समझने में कठिनाई हो रही थी। जैसे ही अनीता ने थप्पड़ मारा, मोनिका की आँखों में आंसू छलक पड़े, और धीरे-धीरे वे उसके गालों से बहते हुए उसके होठों तक पहुँच गए। यह एक अजीब सी स्थिति थी, जहां मोनिका की आत्मसम्मान और अनीता की शक्ति का टकराव हो रहा था।
अनीता ने मोनिका को अपनी जगह से खड़ा किया और कहा, “यह तुमसे उम्मीद नहीं थी, मोनिका। मैं चाहती तो तुमसे और भी कुछ करवा सकती थी, लेकिन मैं चाहती हूँ कि तुम समझो कि मैं जो कह रही हूँ, वह सिर्फ तुम्हारी भलाई के लिए है।” मोनिका अनिता की बात को गंभीरता से सोच ही रही थी के तभी अनिता के मोनिका के गाल पर एक और थप्पड़ जड़ दिया
अब मोनिका मैडम के गोरे गुलाबी गालों पर अनिता की उंगलियों के निशान पड़ चौके थे दोनो गाल टमाटर जैसेलाल हो चुके थे दोनों गालों पर अनीता के हाथों की उंगलियां छप गई थी अनीता बोली उम्मीद है मेरी बात समझ में आ गई होगी अब चल खड़ी हो और नाक रगड़ मेरे पैरों पर,
मैं सच कह रहा हूं मैं कभी ऐसा नहीं चाहता था नहीं मैं कभी ऐसे देख सकता था मैं तो बस एक छोटा सा सपना देख रहा था कई दिनों से पंखे में लटकाने का लेकिन यह क्या मेरी आंखों के सामने जो कुछ में देख रहा हूं वह सब कुछ शायद मेरे छोटे से सपना का बहुत बड़ा रूप था मुझे कुछ नहीं समझ में आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है क्यों हो रहा है और क्या से क्या हो रहा है यह तो शायद मैंने सपने में भी नहीं सोचा था और ना कभी सोच पता कि दुनिया में ऐसा भी पॉसिबल है ऐसा भी हो सकता है लेकिन तभी मुझे ख्याल आया की जो अगर अनीता अपनी मैडम के साथ ऐसा कर सकती है तो वह मेरे साथ क्या करेगी और पता नहीं यह और क्या करने वाली है अब मैं क्या करूं कभी कुछ नहीं सकता चाहूं तो भी क्योंकि मैं अभी स्कर्ट में दो चोटी किए हुए लड़कियों की यूनिफॉर्म में और मेरे दोनों हाथ पीठ के पीछे बंधे हुए पैरों में अभी हाई हील है और घर पर ताला लगा हुआ है मैं चाहूं तो भी कहीं नहीं जा सकता वैसे जो सिचुएशन है उसे देखकर मुझे लग रहा है मैं वैसे भी कहीं नहीं जा सकता था और अब तो मोनिका और रोशनी भी कहीं नहीं जा पाएंगे
क्योंकि अनीता जिस मूड में है किसी का कहीं जाना पॉसिबल नहीं है फाइनली अनीता रोशनी की तरफ मुड़ी एक और थप्पड़ लगाया और बोली कुत्तिया बोलने का बहुत शौक था ना कुत्तिया की तरह भौंक कर दिखा और अगर मुझे तेरी आवाज पसंद नहीं आई तो फिर मैं धमकी नहीं देती इतना बोलकर अपने पर्स की तरफ गई और उसमें से एक फेवीक्विक दिखाते हुए बोली तेरे दोनों लिप्स बंद कर दूंगी अमित का तो सिर्फ एक बंद किया है लेकिन तेरे दोनों बंद कर दूंगी समझ रही है ना कौन से दोनों, नहीं समझ रही लग रहा है होठवाले और नीचे जो तेरी दोनों जांघों के बीच है उनमें भी फेवीक्विक डाल दूंगी समझी वॉशरूम भी नहीं जा पाएगी तो फिर जितना बोला उतना कर वैसे मोनिका मैडम आप भी ध्यान से सुन लो आपके लिए डायलॉग अलग से नहीं बोलूंगी रूल आपके लिए भी सेम है तो आपको भी जितना बोला जाए उतना करना वरना आपके भी दोनों लिप्स फेवीक्विक से चिपका दूंगी
रोशनी की आँखों में आँसू थे, और उसकी आवाज़ कांप रही थी, “प्लीज अनीता, ऐसा मत करो। जो भी तुम कहोगी, मैं वही करूंगी, लेकिन मुझे ये नहीं करना है।” उसकी आँखों में डर और असमर्थता का मिला-जुला भाव था। अनीता ने एक गहरी सांस ली, उसकी आँखों में दृढ़ता थी। "तुम अब समझ तो गई हो न? यह वही चीज़ है जिसे तुम समझने में झिझक रही थीं।"
अनीता ने सोफे पर बैठते हुए मुझे इशारा किया, "अमित, इधर आओ, यहां बैठो।" मैं चुपचाप उसके पास गया और अनीता ने फिर रोशनी से कहा, “अमित के पास जाकर खड़ी हो, बस देखो अब।”
रोशनी की आँखों में असमंजस और घबराहट थी। वह धीरे-धीरे मेरे पास आई, और जब वह मेरे पैरों के पास आई, मैंने खुद को असहज महसूस किया और बिना किसी शब्द के पैर हटा लिए। मेरी पूरी कोशिश थी कि इस स्थिति में किसी को असहज न महसूस हो, और मैं भी इस तरह की बातों से दूर रहना चाहता था। यह सब मेरे लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन मैंने यह साफ महसूस किया कि मुझे किसी भी हालत में अपना आत्मसम्मान बनाए रखना था।
रोशनी ने एक गहरी सांस ली, और उसके चेहरे पर स्पष्ट रूप से यह दिख रहा था कि वह यह सब नहीं चाहती थी, परंतु वह जानती थी कि अगर उसने अनीता का विरोध किया, तो क्या होगा।
अनीता ने मुझे घूरते हुए देखा, और मुझे लगा कि मेरी शामत आगई है, लेकिन उसने मुझसे कुछ नहीं कहा। अचानक, अनीता ने रोशनी के बालों को पकड़ा, और उसके चेहरे को ऊपर की ओर किया। मुझे पूरी स्थिति देखकर कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन फिर अनीता ने जोर से उसके गालों पर एक थप्पड़ मारा। दोनों गालों पर एक-एक थप्पड़ पड़ा, और रोशनी के गाल तुरंत लाल हो गए। उसकी आँखों से आंसू बहने लगे, और मुझे लगा कि वह मुझे घूर रही थी, शायद इसलिए क्योंकि वह यह सोच रही थी कि ये थप्पड़ मुझे देखकर ही पड़े थे।
बेचारी रोशनी, जो मेरी वजह से इस स्थिति में आई थी, अब आंसुओं के साथ मुझे देख रही थी। मुझे बहुत बुरा महसूस हो रहा था, क्योंकि मैंने जानबूझकर अपना पैर हटा लिया था, और शायद यही वजह थी कि वह अब इस स्थिति में थी। मुझे इसका दुख था कि वह केवल मेरी वजह से इस चमत्कारिक स्थिति से गुजर रही थी, जबकि वह अपनी स्थिति में कुछ और चाहती थी।
रोशनी की आँखों में निराशा थी, और मुझे यह महसूस हुआ कि मैं उसके साथ कुछ ऐसा कर रहा था, जिससे उसकी मजबूरी और अधिक बढ़ रही थी। मैं जानता था कि वह इस स्थिति में नहीं आना चाहती थी, लेकिन यह सब कुछ अचानक और बिन सोचे-समझे हो गया था।

बिचारी रोशनी मेरी वजह से उसकी पिटाई लग गई मुझे बहुत बुरा लगा पर पर मुझे पता थोड़ी था कि अनिता उसके साथ ऐसा करेगी और कुछ भी करता उसके पहले तो अनीता रोशनी के गाल लाल कर चुकी थी अनीता ने मेरी तरफ देखा और धमकी देते हुए बोली अगर दोबारा यह गलती की तो अब की बार गाल रोशनी का नहीं तुम्हारे लाल होंगे मैंने इशारे में गर्दन हिलाई कि मैं समझ गया कि तुम क्या कहना चाहती हो और दोबारा ये गलती नहीं होगी और फिर रोशनी को एक और थप्पड़ लगाते हुए बोली अगर पैर से मुंह हटाया तो तेरी खैर नहीं समझ गई ना चल अब शुरू हो जा
फिर रोशन ने खुद का बैलेंस बनाया और क्योंकि अब रोशनी के आंखो में आंसू थे तो उसे भी सब कुछ धुंधला ही दिख रहा था तो उसके लिए बहुत मुश्किल था बैलेंस करते हुए आंसू भरी आंखों से धुंधला देखते हुए मेरे पैर पर नाक रगड़ना पर उसने जैसे तैसे बैलेंस करके फाइनली मेरे पैर पर अपनी नाक रगड़ना शुरूकी उसके आंसू मेरे पैर पर गिर रहे थे मुझे बहुत ही अजीब महेसुस हो रहा था थोड़ी देर के बाद रोशनी का बैलेंस बिगड़ा और रोशनी मेरे पैर पर ही गिर गई जो अनिता को बिलकुल भी पसंद नही आया और अनिता ने रोशनी को एक कस कर लात मारी और बोली साली कुटिया तुझे समझ नही आता के मुझे गलती करने वाले लोग पसंद नही आते है और तू इसके पैर में लोट रही है तुझे नाक रगड़ने को बोला था समझी साली छिनार कही की
और उसके चेहरे पर अपने हील्स को रखते हुए बोली क्या चाहती है तेरे चेहरे की खूबसूरती अपने हील्स से खराब कर दूं बोल, रोशनी डर गई और उसके हील्स से खुद के चेहरे को निकलने के लिए तड़पने लगी तभी रोशनी ने उसके चेहरे से पैर हटा लिया और उसके पेट पर एक लात मार कर बोली कुटिया तू जितने नाटक करती है न और खुद को स्मार्ट समझती है तू है नही रोशनी बेचारी दर्द से तड़प रही थी और न चाहते हुए भी उसकी आंखो से आंसू आ रहे थे
मोनिका मैडम भी डर गई थी और उन्होंने देखा के अनिता रोशनी के साथ बिजी है तभी वो उससे नजर बचाकर वहा से दूसरे कमरे में भागने की कोशिश करती है तभी अनिता उन्हें देख लेती है और बोलती है ओह मोनिका मैडम कहा भाग रही हो , कोई फायदा नहीं है मैंने मैंन गेट लॉक कर दिया है चाभी मेरे पास है तो आप इस घर से कही भाग नहीं सकती हो तो बेकार में टाइम वेस्ट मत करो मुझे टाइम वेस्ट करने वाले लोग बिलकुल भी पसंद नही है
मैंने सोचा, अब क्या होने वाला है? मोनिका मैम कमरे से बाहर थीं, और मुझे यह समझ आ गया था कि अनीता जो भी कह रही थी, वह सच हो सकता है। मोनिका मैम कहीं भी जा नहीं सकती थीं, क्योंकि कमरे का दरवाजा लॉक था। मुझे यह समझ में आने लगा था कि अनीता एक मजबूत नेता है, और जब वह कुछ करती हैं, तो वह इसे पूरी तरह से करती हैं। वह कोई साधारण इंसान नहीं थीं, और उनकी योजनाओं के बारे में सोच पाना किसी के बस की बात नहीं थी।
अनीता ने रोशनी को एक और थप्पड़ मारा और फिर कहा, "जब तक मैं वापस नहीं आ जाती, तू अमित के पैरों में नखरा करती रहेगी। तुम्हें लड़कों को हिल्स पहनाने का इतना शौक है, तो अब उन्हीं पैरों में अपनी नाक रगड़। अगर मैं वापस आकर तुझे यह करते हुए नहीं पाती, तो तुम्हें और तुम्हारी बहन को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा, जिसे तुम दोनों ने कभी सोचा भी नहीं होगा।"
रोशनी के चेहरे पर डर और असमंजस था,
मोनिका मैम की आवाज़ सुनने की उम्मीद में, अनीता कमरे के हर कोने में उन्हें ढूंढ रही थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मोनिका मैम शायद कहीं छुपी हुई थीं, लेकिन चूंकि उनके हाथ बंधे हुए थे, वह कहीं बाहर नहीं जा सकती थीं। और अब कोई भी दरवाजा खोलने का प्रयास नहीं कर सकता था।
रोशनी मेरे पैरों के पास बैठी हुई थी, और मैंने देखा कि वह डर और शरम के साथ अपने आंसू पोंछते हुए अपने कदमों को संयमित करने की कोशिश कर रही थी। वह जानती थी कि अगर वह किसी भी तरह से अनीता का आदेश नहीं मानती, तो उसका परिणाम क्या हो सकता था।
मैं चाहता था कि मैं कुछ करूं, रोशनी की मदद करूं, लेकिन फिर भी मैं समझ नहीं पा रहा था कि कैसे। मैं जानता था कि अगर मैं कुछ भी करता, तो रोशनी पर और दबाव बढ़ सकता था। मुझे डर था कि अनीता का मूड बदल सकता है, और फिर उसकी स्थिति और भी खराब हो सकती थी। लेकिन मेरी भी स्थिति बहुत जटिल थी। मैं चाहता था कि रोशनी को बचाऊं, लेकिन मैं खुद एक मुश्किल में फंसा हुआ था।
फिर अचानक अनीता की आवाज़ सुनाई दी, लेकिन अब वह पूरी तरह से शांत थी। शायद उसने मोनिका मैम को ढूंढ लिया था। तभी मोनिका की आवाज़ सुनाई दी, वह बार-बार माफी मांग रही थी और अनीता से विनती कर रही थी कि वह उसे और कुछ न करें। मोनिका ने कहा, “मैं आपकी टीचर हूं, कृपया मुझे और चोट मत पहुंचाइए। मैं आपको समझाती हूं कि यह सब ठीक नहीं है।”
अनीता मोनिका को घसीटते हुए कमरे में लेकर आई और बोली शायद रोशनी थक गई होगी अब तुम्हारी बारी डार्लिंग है और अब अपने प्यारे स्टूडेंट के पैरों पर अपनी नाक रगड़ कर उसे सॉरी बोलो और तब तक नाक रगड़ो जब तक अमित अपने मुंह से तुम्हें माफ ना कर दे और अपने मुंह से यह ना करें कि उसने तुम्हें माफ कर दिया है अनीता ने रोशनी को एक तरफ कर दिया और मोनिका को मेरे पैरों के पास बिठा दिया मैं अपने पैरो को हटाना चाहता था और मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि अनीता मोनिका को मेरे पैरों पर नाक रगड़ने को बोले लेकिन मुझे यह भी पता था कि अगर मैने अपने पैर हटा लिए तो अनीता पक्का मोनिका मैडम को भी वही पनिशमेंट देगी जो रोशनी को दी थी और मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से मोनिका मैडम के गाल भी अनीता के थप्पड़ों से लाल हो इसलिए मैं चुपचाप बैठा था
मोनिका मैडम मेरे पैरों के पास बैठी थी रोशनी उनकी साइड में थी अनीता मेरे बगल में बैठ गई अनीता ने रोशनी के मुंह पर अपने पैर रख दिया और बोली बैठी क्या है कुत्तिया चल चाट या सिर्फ लौंडो का ही चाटती है उम्मीद है मेरे पैर चाटने में तुझे कोई दिक्कत नहीं होगी और मोनिका की ओर देखते हुए बोली हमारे प्यारी टीचर जी आप तो शर्म आ रही है शरमाइए मत आपका स्टूडेंट है फेवरेट उसके पैर चाटने में या उसके पैरों पर नाक रगड़ने में कैसी शर्म, चलो फिर दोनों जल्दी से शुरू हो जाओ
मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि क्या होना है और क्यों हो रहा है के सच में हो रहा है कि मेरी फेवरेट टीचर मेरे पैरों में अपनी नाक रगड़ेंगे ओ माय गॉड यह जैसे एक सपना था मुझे पूरा हो रहा है काश के में अनीता को बोल पाता की बस मेरा एक सपना है वह पूरा कर दो मैं बस पंखे से लटकना चाहता हूं मुझे प्लीज मुझे पंख से बांधकर लटका दो और पंखे की स्विच ऑन कर दो
लेकिन तभी मेरे मन में ख्याल आया काश ऐसा होता इन दोनों को इन्हीं के घर में पंखे से लटकाते हैं और मैं पंखा ऑन कर दूं यह गोल गोल घूम रही होपंख से उल्टी लटकी हुई तो कैसा होगा कितना अच्छा लगेगा ना शायद यह उससे भी अच्छा है जो मैं आज तक सोचता रहा कि मैं पंख से लटका होऊंगा और कोई मेरे लिए पंखे की बटन ऑन करेगा यह टीचर मुझे पंख से लटकाएगी लेकिन मैंने कभी यह तो सोचा ही नहीं की कोई टीचर को पंख कैसे लटका दे और बटन में ऑन करो वाह यह तो टूमच हो जाएगा सच में अगर ऐसा हो पाया तो कितना मजा आएगा ओ माय गॉड मेरे हाथ क्यों बांधे है ये मेरे लिप्स क्यों चिपके हुए काश के अनिता मेरे लिप्स को खोल दे और मुझे यह बताने का मौका दे अगर अनीता मेरे लिए ये कर देती है मैं सच कह रहा हूं मैं उसके पैरों का गुलाम हो जाऊंगा जिंदगी भर उसकी गुलामी करूंगा वह जो चाहेगी जैसा चाहेगी जब चाहेगी सब करने को तैयार हूं बस एक बार वह मेरा यह सपना पूरा कर दे बस मेरे दिल की इच्छा को पूरा कर दे
तो शायद इसके अलावा मुझे कुछ नहीं चाहिए कुछ भी नहीं मेरी जिंदगी का मकसद पूरा हो जाएगा सब कुछ सब कुछ मिल जाएगा मुझे और जहां से राम कहानी शुरू हुई थी बस वहीं पर पहुंच जाएगी मेरे पैरों पर मोनिका मैडम अपनी नाक रगड़ रही थी अनीता के पैरों पर रोशनी मैडम नाक रगड़ रही है मेरे हाथ बंधे हुए है रोशनी की भी हाथ बंधे हुए मोनिका के भी हाथ बंधे हुए और सिर्फ अनीता है जो अकेली तीनों पर भारी पड़ रही है थोड़ी देर में मोनिका मैडम का बैलेंस बिगड़ गया और नीचे गिर गई लेकिन ऐसा होने पर रोशनी के साथ जो हुआ था वह शायद मोनिका मैडम ने देख लिया था वह डर गई वह नहीं चाहते थे क्या नहीं था उनके पेट पर भी एक लात मारे और अनीता ऐसा कुछ भी करती इससे पहले मोनिका मैडम ने फटाफट अपना बैलेंस ठीक किया और मेरे पैरों पर फिर से नाक रगड़ने लगी
अनीता ने मोनिका की स्पीड से गिरकर फिर से उठ कर नाक रगड़ना शुरू करने को ये देख लिया और उसे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि उसके खौफ का कितना असर है मोनिका की शक्ल देखने लायक थी मतलब दिल से मुझे बहुत बुरा लग रहा था लेकिन दिल के किसी कोने में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मेरे ना चाहते हुए भी इन दोनों बहनों ने मुझे मंदिर ले गई लड़कियों की ड्रेस में आखिर ये तो मेरा सपना नहीं था

जो भी हो रहा था वह सब बहुत अच्छा था और भी अच्छा हो सकता था पर वह मेरे हाथ की बात नहीं थी इसलिए मैंने ज्यादा उम्मीद नहीं की और सिर्फ जो हो रहा था बस उसमें ही खुश रहने की कोशिश की थोड़ी देर के बाद अनिता रोशनी के पैर चटाई से थक गई तो अनीता ने रोशनी से कहा मैडम साड़ी तो बढ़िया पहनी थी पर एक बात बताओ चड्डी कौन से कलर की पहनी है अचानक से इस क्वेश्चन से शर्मा गई और मैं भी शर्मा गया था फिर अनीता ने मोनिका मैडम की तरफ देखा और बोली आपकी बहन तो शर्मा फिर आप ही बता दो कौन से कलर की चड्डी पहनी है
कम होने का कुछ कहती इससे पहले अनीता ने रोशनी के गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया और बोली तुझे समझ में नहीं आता मुझे तुझसे एक बार कहा गया बार-बार रिपीट क्यों करना पड़ता है चुपचाप बताती है यह लगाओ एक और बेचारी रोशनी क्या कर सकती थी बात बात पर उसकी पिटाई हो रही थी वह तो बस जैसे ढोलक की तरह हो गई थी हर कोई औरत और पीट रहा था
रोशनी के बेचारी के आंसू सूख नहीं पाते तब तक अनीता उसके एक और थप्पड़ लगा देती जिसकी वजह से फिर से आंसू आ जाते हैं पर अब रोशनी थक गई थी अब और मार नहीं खाना चाहती थी वह बताने ही जा रही थी तभी अनीता बोली तू रहने दे कोई इंटरेस्ट नहीं मुझे तेरे चड्डी के कलर को जानने में मुझे तो मोनिका मैडम की चड्डी का कलर जानने में ज्यादा इंटरेस्ट है और जैसे ही मोनिका मैडम की और मुड़ी तब तक अचानक से मोनिका मैडम का फोन बजने लगा अनीता ने फोन उठाया तो सामने अनीता के घर वाले ही थे उसकी मम्मी पापा जो की बहुत गुस्सा हो रहे थे बोल रहे थे कितनी देर हो गई कहां रहे गई है कब तक आएगी बहुत चिंता कर रहे थे और पूछ रहे थे कि उसका मोबाइल स्विच ऑफ क्यों है अनीता ने बताया कि वो पढ़ाई कर रही थी और प्रोजेक्ट में बिजी थी इसलिए अनीता के पापा बोले हां पता है बहुत पढ़ाई हो रही होगी बहुत देर हो गई चलो अब घर आओ कितनी देर लगेगी तो आने में अनीता बोली बस थोड़ी देर में मोनिका मैडम मुझे घर छोड़ जाएंगे
अनिता की बात सुनकर हम तीनों की सांसें थम गईं। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी शैतानी मिठास थी, जो हमें डरा रही थी। उसने मोनिका मैडम से कहा, "आपकी किस्मत बहुत अच्छी है, लेकिन इतनी भी नहीं कि आप मुझे अपनी चड्डी का रंग न बता सकें। मैं सिर्फ जानना नहीं चाहती, देखना भी चाहती हूँ। तो चलिए, ध्यान से देखते हैं।"यह कहकर वह मोनिका मैडम को बेडरूम में ले गई। कुछ देर बाद जब वह वापस आई, तो उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी।
अनीता ने हमारे सामने एक टेबल पर दो चाबियाँ रखीं और कहा, "यह दो चाबियाँ हैं, तीन में से कोई भी दो के ताले खुलेंगे। देखो, किसकी किस्मत में 'हैंड कप' में सोना लिखा है और किसकी किस्मत में खुला होना। मुझे नहीं पता कि किसका ताला खुलेगा और किसका नहीं। अब आपकी किस्मत, आप जानें। मुझे घर जाना है, मोनिका मैम की स्कूटी में ले जा रही हूँ। उम्मीद है, मोनिका मैम बुरा नहीं मानेंगी।"
वैसे यहां पर सिर्फ चाबी आ रखी है और कब खोलना यह तुम्हारी अपनी जिम्मेदारी है अभी तो मैं जा रही हूं पर कल मिलेंगे स्कूल में और देखते हैं कौन दो लोग स्कूल पहुंचते हैं और अमित बाबू तुम्हारे लिप्स तो कल ही काली फ्री होंगे जब हम दोबारा से स्कूल के बाद यहां पर मिलेंगे और हां एक बात और याद रखना कल जब तुम स्कूल में आओगे तो मैं चाहती हूं कि तुम्हारे बालों में दो चोटी बनी हुई हो और तुम्हारी स्कूल यूनिफार्म के अंदर तुम रोशनी की ब्रा पहन कर आओगे और रोशनी अगर तुम्हारे हाथ अगर भूल से खुल जाते हैं तो तुम अमित की बनियान पहन कर आओगी और अगर तुम्हारी जगह मोनिका मैडम के हाथ खुल गया तो उनसे बता देना कि वह कल स्कूल में शर्ट पैंट पहन के आएं लौंडे खुश हो जाएंगे हमेशा तुम्हें साड़ी में ही देखते हैं या सलवार कमीज में शर्ट पैंट में देखकर तुम मर ही जाएंगे साले,
एक चीज जरूर याद रखना अगर मोनिका मैडम आई तो उनसे कहना अमित की अंडरवियर पहन के आएंगे और अमित मोनिका मैडम की पैंटी , मतलब चाहे कल रोशनी आए या मोनिका अमित को रोशनी की ब्रा और मोनिका की पैंटी पहन कर ही स्कूल में आना है अगर ऐसा नहीं हुआ तो अमित के लिप्स तो फेवीक्विक से चिपके ही है तुम दोनों के भी चिपका दूंगी उम्मीद है मेरी बात समझ में आ गई होगी अगर कोई भी चालाकी की या और हैंड कफ को खोलने की कोशिश की तो यह जो तुम दोनों बहने हम दोनों के पैर चाट रही थी यह वीडियो में सबको वायरल कर दूंगी उम्मीद है तुम ऐसा बिल्कुल नहीं चाहोगी तो फिर मोनिका मैडम चलो फिर कल मिलते हैं स्कूल में
तक के लिए इंजॉय और दरवाजा खुलता है और स्कूटी के चालू होने की आवाज सुनाई दे और फिर स्कूटी के जाने के आवाज सुनाई दी जिससे हम कंफर्म हो गए अनिता अपने घर जा चुकी है अब घर में हम तीन लोग बचे थे
अनीता के जाने के बाद हम दोनों में और रोशनी तुरंत मोनिका मैडम के कमरे में गए और वहां पर मैंने देखा कि मोनिका मैडम ने लाल कलर की बेबी डॉल ड्रेस पहन रखी है उनके दोनों हाथ बेड पोस्ट से लॉक्ड और उनके बेबी डॉल ड्रेस की ऊपर की बटन खुली हुई है जिसमें से मोनिका मैडम की ब्लैक ब्रा में बहुत मुश्किल फिट हुए उनके गोरे गोरे बूब्स साफ़ दिखाई दे रही है मोनिका मैडम पैरों को एक दूसरे से चिपका कर लेटी हुई थी और उनके ड्रेस से पता चल रहा था की अनीता ने मोनिका मैडम की पेंटी उतार दि और मोनिका मैडम ने भी नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा है यह देखकर मैं तुरंत कमरे से बाहर आ गया रोशनी तुरंत दौड़ कर गई और अपने मुंह से एक चद्दर को उठाया और मोनिका के पैरों को ढांक दिया कमर तक जिससे कि यह ना दिखाई दे कि उसने कुछ नहीं पहना है उसके बाद वह कमरे से बाहर आई और अपने हाथ से चाबी उठाने की कोशिश करने लगी उसके बाद अपने हाथों को जो हैंड कफ में लॉक थे उन्हें खोलने की कोशिश करने लगी बट उससे कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि शायद उसके पास जो चाबी थी वह उसके लोक की नहीं थी मैंने दूसरी चाबी उठाई मैं भी ट्राई किया बट मेरा भी लॉक नहीं खुला थोड़ी देर के लिए हम दोनों डर गए बट फिर मैंने सोचा कि शायद चाबी जो हम दोनों के हाथ में वह एक दूसरे के लोक की है और फिर मैं रोशनी को शांत रहें का इशारा किया और अपने हाथ से उसके लॉक को खोलने की कोशिश की और सरप्राइज उसके हाथ खुल गया मुझे उम्मीद थी कि रोशनी अब मेरे हाथ खुलेगी लेकिन मेरे हाथ खोलने की जगह वह तुरंत मोनिका के कमरे में गई और मोनिका के हैंड कफ को खुलने की कोशिश करने लगी लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि चाबी उसके पास जो थी वह मेरे हैंड कफ की थी मैंने उसे उसे इशारा की मुझे खोलने के लिए लेकिन रोशनी मुझे दो-तीन थप्पड़ जड़े और बोली बहुत मजा आ रहा था ना अपने पैरों को चटवाने में और मेरे मुंह पर अपनी लात रखते हुए बोली चलो मेरे पैर को चाटो तब तक जब तक रोकने को ना कहा जाए मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं था तो मैं उसके पैर चाटने शुरू कर दिया थोड़ी देर में जब रोशनी बोर हो गई तब मुझे फिर से दो-तीन थप्पड़ मारे और मेरे कान से मुझे रगड़ते हुए घसीटते हुए मोनिका के कमरे में ले गई उसके चद्दर को पैरों की तरफ से हटाया जैसे उसके पैर मुझे दिखाई देने लगे उसके बाद उसने मुझे मोनिका के पैर चाटने को कहा और उसके बाद जब वह दोनों बहने थक गई तब रोशनी मुझे बाथरूम में ले गई बाथरूम के नल के साथ बाथरूम में ही मेरे हाथों को बांध दिया वैसे तो पीछे पहले से ही बंधे थे बट नल के साथ बांधने के साथ यह तय था कि अब मुझे पूरी रात बाथरूम में ही काटनी है रोशनी ने मुझे बाथरूम में बंद कर दिया बाहर से बाथरूम का दरवाजा लगा दिया और लाइट भी बंद कर दी अब मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था कमरे में मतलब बाथरूम में मुझे उसी हालत में छोड़कर रोशनी वहां से चली गई और अब मैं सुबह होने का इंतजार कर रहा हूं की कब सुबह होगी और रोशनी मुझे खोलना आएगी बट पता नहीं सुबह अच्छी होगी या बुरी आज जो कुछ हुआ है उससे अच्छी या उससे भी बुरी अब यह तो मुझे कल ही पता चलेगा तब तक के लिए बस मैं इंतजार करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता