Disclaimer

यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक है। किसी से समानता संयोग होगी। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ ((जैसे स्तन वर्धक या हार्मोन परिवर्तन)न लें - यह जानलेवा हो सकता है।— अनीता (ब्लॉग एडमिन)

सितारे, शरारत और नियति का खेल: जब तक ग्रह न बदलें!

📝 Story Preview:

सितारे, शरारत और नियति का खेल: जब तक ग्रह न बदलें!

अनीता पटेल 


📑 अनुक्रमणिका (Table of Contents):

  1. शादी की शहनाइयाँ और स्वागत की रौनक
    दुल्हन की पहली दस्तक ससुराल में, माहौल खुशियों से भरपूर

  2. ठिठोली की शुरुआत: बहनों का चुटीला प्लान
    दूल्हे की बहनों ने बनाया मज़ाकिया रिवाज़

  3. जब दूल्हा बना दुल्हन: कपड़ों की अदला-बदली
    हँसी-ठिठोली में दूल्हे को पहनाए गए लहंगे

  4. आया वो पंडित: ग्रहों का उलटफेर
    पुश्तैनी पंडित की भविष्यवाणी से पलट गया जीवन

  5. शुरू हुआ रिवर्स जीवन: एक महीने की अदला-बदली
    अब दूल्हा रहेगा दुल्हन बनकर, और दुल्हन निभाएगी दूल्हे की भूमिका

  6. दुल्हन की ससुराल में ‘नया दूल्हा’
    परिवार की नई दिनचर्या और अजीब सी परिस्थिति

  7. दूल्हे की ‘मुँह दिखाई’: साड़ी में संकोच
    जब सभी मेहमानों ने देखी नई नवेली ‘दुल्हन’

  8. दुल्हन की ‘घोड़ी चढ़ाई’
    अब सवारी का नंबर दुल्हन का है – दूल्हा बना दुल्हन सजता है

  9. ससुराल में नई रस्में और नए रिश्ते
    बदलते रिश्तों में समझ और नज़दीकियाँ

  10. सुहागरात उलटी: भावनाओं का तूफान
    जब दूल्हा दुल्हन की जगह बैठा और दुल्हन दूल्हा बनकर सामने आई

  11. एक महीना: प्यार, उलझन और अपनापन
    जब दोनों ने सीखा एक-दूसरे के जीवन को जीना

  12. ग्रह शांति और असली रूप में वापसी
    जब पंडित ने बताया अब रिवर्स रोल खत्म

  13. समाप्ति या नई शुरुआत?
    क्या अब रिश्ता और गहरा होगा या कुछ छूट जाएगा?





शादी की शहनाइयाँ और स्वागत की रौनक

 दुल्हन की पहली दस्तक ससुराल में, माहौल खुशियों से भरपूर

राठौड़ हवेली की भव्यता अपने शिखर पर थी। दीवारों पर लगे झूमर मद्धम रोशनी बिखेर रहे थे, और फर्श पर बिछी फूलों की लड़ियां एक अलग ही सुगंध फैला रही थीं। लेकिन हवेली के अंदर एक अलग ही खेल चल रहा था—एक खेल जिसमें प्यार था, शरारत थी और… राजीव राठौड़ के लिए एक बड़ा सरप्राइज भी था!

शादी के बाद तनुश्री ने एक खास रस्म के बहाने राजीव को अपने कमरे में बुलाया। उसने खुद को एक भव्य राजपूती दुल्हन की तरह सजाया था—गहरा लाल और सुनहरा घाघरा, भारी जरी की किनारी, माथे पर झूमर टिका, हाथों में लाल चूड़ियां, और पैरों में पायल की खनक। उसकी बड़ी-बड़ी काजल लगी आँखों में एक अलग ही चमक थी, और होंठों पर हल्की शरारती मुस्कान खेल रही थी।



"राजीव, आज एक रस्म है जिसमें पति-पत्नी एक-दूसरे के कपड़े पहनते हैं… और आज तुम्हारी बारी है!" तनुश्री ने धीरे से कहा, आँखों में हल्की चमक लिए।

राजीव, जो पहले ही भारी अंगरखा से परेशान था, चौंक कर बोला, "क्या?! यह मज़ाक कर रही हो ना?"

"बिल्कुल नहीं! शादी में बराबरी होनी चाहिए ना? मैंने ये भारी लहंगा, गहने, और ये मेकअप पूरे दिन पहना… अब तुम्हारी बारी!" तनुश्री ने मुस्कुरा कर कहा, लेकिन उसकी आँखों में एक रहस्यमयी चमक थी।

राजीव ने पहले इनकार किया, लेकिन जब तनुश्री ने अपनी काजल लगी आँखों से उसे प्यार से देखा, तो वह मान गया।

"ठीक है, लेकिन मुझे तुम पर पूरा भरोसा नहीं हो रहा!"

"बस एक बार ट्राय करो, फिर खुद ही कहोगे कि कितना कम्फर्टेबल है!" तनुश्री ने हंसी दबाते हुए कहा।

कुछ ही देर बाद, राजीव अपने आपको लाल और सुनहरे घाघरे, भारी दुपट्टे और ढेर सारे गहनों में जकड़ा हुआ पा रहा था। उसके माथे पर बिंदी, गले में एक खूबसूरत हार, कानों में बड़े झुमके, और हाथों में चूड़ियां चमक रही थीं। तनुश्री ने हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक भी लगा दी, जिससे उसका चेहरा और भी अलग दिखने लगा।





ठिठोली की शुरुआत: बहनों का चुटीला प्लान

 दूल्हे की बहनों ने बनाया मज़ाकिया रिवाज़

राजीव ने आईने में खुद को देखा और आश्चर्य से अपनी ही झुकी हुई पलकों को देखने लगा

"ओह भगवान! ये बिंदी मेरी नाक तक गिर रही है!"

"हां, और देखो, जब तुम चलोगे तो पायल की आवाज़ भी आएगी!" तनुश्री ने हंसते हुए कहा।

"तनु… ये बहुत अजीब लग रहा है!"

"अरे नहीं, तुम बहुत सुंदर लग रहे हो! बिल्कुल मेरी तरह!" तनुश्री ने शरारत से उसकी आँखों में काजल लगाते हुए कहा।

लेकिन जैसे ही दोनों हंस रहे थे, दरवाजे पर अचानक दस्तक हुई।

"राजीव, बेटा! बाहर आओ, घर के बड़े लोग तुम्हें बुला रहे हैं!"

राजीव का चेहरा एकदम सफेद पड़ गया! माथे पर पसीना आ गया, और उसने तुरंत घाघरे को समेटने की कोशिश की।

"तनु!! अब मैं क्या करूं?"

"एक मिनट रुको… मैं दरवाजा खोलती हूँ!"

"नहीं, मत खोलना!"

लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। दरवाजा खुला… और बाहर खड़ी थी राजीव की मां, भाभी और चाचा!

सभी ने जैसे ही राजीव को इस नये अवतार में देखा, हवेली ठहाकों से गूंज उठी!

"अरे वाह! लगता है हमारी बहू ने अपने पति को ही अपनी तरह बना दिया!" भाभी ने हंसते हुए कहा।

चाचा ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे राजीव बेटा, मंगल और शुक्र का अद्भुत मेल है यह!"

राजीव ने तनुश्री को घूरा, जो अब तक हंसी रोकने की असफल कोशिश कर रही थी। लेकिन फिर खुद ही अपनी हालत देखकर हंस पड़ा।

"ठीक है, तनु! आज तुम जीत गईं। लेकिन अगली बार मेरी बारी होगी!"

"ओह, मैं इंतज़ार करूंगी, मेरे महाराज!" तनुश्री ने आंख मारते हुए कहा।

और इस तरह, हवेली में यह अनोखी रात हंसी, प्यार और सितारों की शरारतों से भर गई। उनका बंधन मंगल और शुक्र की तरह—जुनून और मोहब्बत का एक खूबसूरत संगम बन चुका था।

सब लोग बहुत खुश थे हसी मजाक कर माहोल था पूरे घर  में, राजीव थोड़ा असहज महसूस कर रहा था उसने तनुश्री से उसके कपड़े वापस देने को कहा तभी राजीव की शाली यानी तनुश्री की छोटी बहन बोली अरे जीजू अभी तो सिर्फ आपका मेकओवर दीदी ने किया है दीदी का मेकओवर तो बाकी ही है अभी तो हमने जी भर कर आपको देखा भी नहीं है 

जब दूल्हा बना दुल्हन: कपड़ों की अदला-बदली

 हँसी-ठिठोली में दूल्हे को पहनाए गए लहंगे


राठौड़ हवेली में ठहाकों की गूंज अब तक सुनाई दे रही थी। राजीव का चेहरा अभी भी हल्की लाली से भरा था, शायद शर्म से या शायद उस गुलाबी लिपस्टिक से जो तनुश्री ने जबरदस्ती उसके होठों पर लगा दी थी।

लेकिन खेल अभी खत्म नहीं हुआ था। जैसे ही राजीव भारी घाघरे, भारी झुमकों और माथे पर बिंदी के साथ परेशान खड़ा था, हवेली की औरतों ने एक और शरारती योजना बना ली।

"अब तुम्हारी बारी, तनुश्री!"

भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुमने अपने राठौड़ दुल्हे को दुल्हन बना दिया, अब हमारी बारी नई नवेली दुल्हन को राठौड़ योद्धा बनाते हैं!"

"क्या?" तनुश्री का मुंह खुला रह गया।

"हाँ हाँ! जैसे तुमने राजीव को अपनी तरह सजाया, अब तुम्हें राजीव की तरह सजना होगा!" माँसा ने कहा।

राजीव, जो अब तक खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था, अचानक मुस्कुराने लगा, "हाँ, हाँ! अब तुम भी देखो तुम, तनु!" कितना मुश्किल है राजपूती योद्धा होना

राजपूती दुल्हन से राजपूती योद्धा तक

तनुश्री, जो अब तक शरारती थी, अब खुद इस खेल में फंस गई थी। हवेली की औरतें उसे अंदर कमरे में ले गईं और उसकी लाल-गोल्डन घाघरा चोली उतारकर एक शानदार राजपूती पोशाक पहनाई—गहरा नीला और सुनहरा अंगरखा, ऊँचा पगड़ी बंधा साफा, और कमर पर चमकती कटार!

"वाह! बिल्कुल राजपूत योद्धा लग रही है!" छोटी ननद ने तालियाँ बजाते हुए कहा।


फिर छोटी नंद ने एक ग्लू लेकर तनुश्री के होंठो के ऊपर लगाकर उसके चेहरे पर नकली मूछ चिपका दी थी।

"बस अब ये तलवार पकड़ो और राजीव को चुनौती दो!" भाभी ने हंसते हुए कहा।

अब कौन ज्यादा दमदार दिख रहा था?

जब तनुश्री को बाहर लाया गया, पूरे आंगन में हंसी गूंज उठी। एक तरफ राजीव—जो भारी लहंगे, ओढ़नी और गहनों से लदा था, और दूसरी तरफ तनुश्री—जो एक परिपूर्ण राजपूती योद्धा की तरह दिख रही थी!

राजीव ने सिर से पैर तक तनुश्री को देखा और कहा, "हे भगवान! तुम मुझसे ज्यादा अच्छे लग रहे हो इस पोशाक में!"

तनुश्री ने कटार निकालते हुए मजाक में कहा, "अब तो मैं ही राजा लग रही हूँ, महारानी साहिबा!"

शरारत से भरी एक यादगार रात

पूरा परिवार हंसते-हंसते लोटपोट हो गया। यह शादीशुदा जोड़ा, जो पहले ही मंगल और शुक्र के खेल में उलझ चुका था, अब इस अनोखी याद के साथ हमेशा के लिए एक नई कहानी बना चुका था।

राजीव और तनुश्री ने एक-दूसरे को देखा और मुस्कुराए। शादी सिर्फ रस्मों तक सीमित नहीं होती, यह दोस्ती, प्यार और शरारतों से भी भरी होती है

राठौड़ हवेली की गलियों में हंसी की गूंज अभी भी धीमे-धीमे सुनाई दे रही थी। राजीव अभी भी भारी लहंगे और चूड़ियों से जूझ रहा था, और तनुश्री अपनी मूंछों को निहारते हुए हंस रही थी।

"बस बहुत हुआ! अब हम अपने असली कपड़े पहन लें?" राजीव ने शिकायत करते हुए कहा।

"हाँ, हाँ, बहुत हो गया ड्रामा, अब मैं वापस अपनी दुल्हन वाली ड्रेस पहनना चाहती हूँ!" तनुश्री ने भी राहत की सांस लेते हुए कहा।

लेकिन तभी…













आया वो पंडित: ग्रहों का उलटफेर

 पुश्तैनी पंडित की भविष्यवाणी से पलट गया जीवन


दरवाजे पर एक सधे हुए कदमों की आहट हुई। पंडितजी हवेली में प्रवेश कर चुके थे—हाथ में पंचांग, माथे पर लंबा तिलक और आँखों में गहरी ज्योतिषीय गंभीरता।

"अरे वाह! यहाँ तो बहुत बड़ा परिवर्तन हो चुका है!" पंडितजी ने राजीव और तनुश्री को ऊपर से नीचे तक देखा और अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए बोले।

"पंडितजी, ये सब बस मज़ाक था। अब हम अपने कपड़े बदलने जा रहे हैं!" राजीव हड़बड़ाते हुए बोला।

"नहीं! बिल्कुल नहीं! यह कोई मज़ाक नहीं है, यह तो स्वयं ग्रहों की इच्छा है!" पंडितजी ने गंभीर स्वर में कहा।

पंडितजी ने पंचांग को खोला और उसमें कुछ बारीकी से देखने लगे। फिर उन्होंने आंखें बंद करके कुछ गणनाएं कीं और गहरी सांस लेकर बोले,

"तुम दोनों की कुंडली में एक अद्भुत परिवर्तन चल रहा है। राजीव बेटा, तुम्हारे मंगल और शुक्र का स्थान अदला-बदली हो रहा है, और तनुश्री बहू, तुम्हारे सूर्य और चंद्र का संयोग एक विशेष स्थिति में आ गया है।"

"मतलब?" तनुश्री ने आँखें फैलाकर पूछा।

"मतलब यह कि अब तुम्हें अगले सात दिनों तक एक-दूसरे के कपड़ों में ही रहना होगा! अगर तुमने ऐसा नहीं किया, तो ग्रहों का प्रभाव तुम्हारे वैवाहिक जीवन पर भारी पड़ेगा! और मृत्यु योग के भी संयोग बन सकते है " पंडितजी ने भविष्यवाणी की।

"क्या?? सात दिन???" राजीव और तनुश्री एक साथ चिल्ला उठे।

अब यह खेल नहीं, ग्रहों की मर्जी थी!

"पंडितजी, यह तो संभव नहीं है! मैं इस भारी लहंगे में नहीं रह सकता!" राजीव ने घबराते हुए कहा।

"और मैं मूंछों के साथ नहीं घूम सकती!" तनुश्री ने भी ऐतराज जताया।

पंडितजी ने सिर हिलाया, "यही तो परीक्षा है! अगर तुमने यह समय बिना किसी परेशानी के निकाल लिया, तो तुम्हारा रिश्ता और भी मजबूत होगा। अन्यथा..."

"अन्यथा क्या?" तनुश्री ने जल्दी से पूछा।

"अन्यथा अगले सात सालों तक तुम्हारी कुंडली में असंतुलन बना रहेगा! और परिजनों की मृत्यु जैसी खबरे आती रहेंगी""

इसली इस चुनौती को  जिसे न चाहते हुए भी स्वीकार करना पड़ेगा

राजीव और तनुश्री ने एक-दूसरे की तरफ देखा—राजीव अभी भी भारी लहंगे और ओढ़नी में परेशान था, और तनुश्री का राजपूती अंगरखा और चेहरे पर मूछ उसके ऊपर अजीब लग रहे थे ।

"क्या हमें सच में ऐसा करना होगा?" राजीव ने धीमी आवाज़ में पूछा।

"मुझे तो अब यकीन नहीं हो रहा कि मैंने तुम्हें यह सब पहनने पर मजबूर किया था!" तनुश्री ने हंसते हुए कहा।

"अब भुगतो!" राजीव ने मुस्कुरा कर कहा।

अब यह खेल नहीं, परीक्षा थी!

अब पूरे सात दिनों तक तनुश्री को राजपूत योद्धा की तरह और राजीव को एक नई नवेली दुल्हन की तरह रहना था। हवेली के लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो रहे थे, लेकिन पंडितजी की भविष्यवाणी के चलते कोई भी इस नियम को तोड़ने की हिम्मत नहीं कर रहा था।

अब देखना यह था कि क्या यह मज़ाक उनके रिश्ते को और मजबूत करेगा या यह उनके लिए एक नई चुनौती साबित होगा! क्या वे इस परीक्षा को पास कर पाएंगे? या ग्रहों की चाल कुछ और ही मोड़ लाने वाली थी?













शुरू हुआ रिवर्स जीवन: एक महीने की अदला-बदली

 अब दूल्हा रहेगा दुल्हन बनकर, और दुल्हन निभाएगी दूल्हे की भूमिका

🌙 ग्रहों की चाल और सुहागरात की उलझन 🌙

राठौड़ हवेली की दीवारें तक हंसी के ठहाकों से गूंज रही थीं। पंडितजी को भारी दक्षिणा देकर विदा किया जा चुका था, लेकिन अब हवेली वालों के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई थी—सुहागरात का इंतजाम!

💫 "अब दुल्हन कौन?"

राजीव भारी लहंगे और भारी गहनों के बोझ तले खड़ा सोच रहा था कि "हे भगवान, यह किस ग्रह-योग के कारण हो रहा है?"

राजीव लाल राजपूती ड्रेस में दुल्हन की तरह सजा हुआ

उधर, तनुश्री, जो अब पूरी तरह से राजपूती दूल्हे के रूप में तैयार थी, ठाठ से खड़ी थी और अपनी ननदों की शरारतों का मज़ा ले रही थी।

भैया अब आप ही हमारी नई  "भाभी हो ! अब आप हमारी दुल्हन हो, तो हम आपके सुहागरात वाले कमरे की तैयारी शुरू करें?" छोटी ननद ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।

"क्या???" राजीव की आँखें फटी की फटी रह गईं।

"अरे भाभी, ये तो घर का रिवाज है। दुल्हन के कमरे को फूलों से सजाया जाता है, और घूंघट में उसे इंतजार करना पड़ता है। फिर दूल्हा अंदर आता है और…" बड़ी ननद ने जानबूझकर बात अधूरी छोड़ दी।

"नहीं, नहीं! ऐसा कुछ नहीं होगा!" राजीव ने विरोध किया।

लेकिन हवेली की औरतें कहा मानने वाली थीं! पूरे कमरे को सुहागरात के लिए सजाया गया—गुलाब की पंखुड़ियां, मोगरे की मालाएं, और झीनी रेशम की चादरें बिछाई गईं।

🌙 अब यह से आपकी  असली परीक्षा शुरू होती है भैया ! छोटी बहन ने राजीव को चिढ़ाते हुए कहा

💖 "अब घूंघट में बैठो, भाभी!"

"अरे भाभी, आपकी सुहागरात है, अब आप घूंघट डालकर पलंग पर बैठ जाइए!" छोटी ननद ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

"क्या? मैं? घूंघट?" राजीव ने खुद को शीशे में देखा—भारी झुमके, लाल चूड़ियां, लंबा घूंघट और कमर तक लहराता लहंगा।

"हाँ भाभी, अब तो अगले सात दिनों तक यही करना पड़ेगा!"

राजीव ने मन ही मन सोचा, "हे मंगल देव! ये कैसी सजा दे दी!"

🌙 "अब तनुश्री दूल्हा बनकर आएगी!"

इधर, घर की औरतों ने जोर-जोर से ढोलक बजानी शुरू कर दी और ठेठ राजपूती अंदाज में तनुश्री को सुहागरात के लिए कमरे तक छोड़ने जाने का फैसला किया।

"लो बहूजी, अब आप दूल्हे की तरह अंदर जाओ और अपनी दुल्हन का घूंघट उठाओ!" सासूमां ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

तनुश्री अंदर आते ही मुस्कुराने लगी। उसने कमरे का नज़ारा देखा—फूलों से सजी सेज, कोने में रखा दूध का गिलास, और पलंग पर राजीव, जो शर्म से लाल पड़ा था!

"हे भगवान! सच में, तुम मुझसे ज्यादा सुंदर दुल्हन लग रहे हो!" तनुश्री ने ठहाका लगाया।

"बहुत हो गया, तनु! ये सब कब खत्म होगा?" राजीव ने धीरे से कहा।

"जब तक ग्रह बदलेंगे! और तब तक तुम दुल्हन, मैं दूल्हा!" तनुश्री ने कटार निकालते हुए मज़ाक किया।

🌙 अब क्या होगा मेरा राजीव ने मन में सोचा?

क्या मैं तनु श्री को दूध का गिलास पकड़ाऊं?

क्या तनुश्री मुझे ऐसे गहनों में ही सुलाएगी?

क्या अगले 7 दिनों तक मुझे अपनी पत्नी की पत्नी बन कर ही रहना होगा?






सुहागरात उलटी: भावनाओं का तूफान

 जब दूल्हा दुल्हन की जगह बैठा और दुल्हन दूल्हा बनकर सामने आई



🌙 सितारों की छांव में अनोखी सुहागरात 🌙

कमरा किसी सपनों की दुनिया से कम नहीं लग रहा था। चारों तरफ़ हल्की मोमबत्तियों की टिमटिमाती रोशनी थी, गुलाब और मोगरे की खुशबू पूरे माहौल को महका रही थी। पलंग के चारों ओर झीने रेशम के परदे झूल रहे थे, और लाल गुलाब की पंखुड़ियां पूरे बिस्तर पर बिखरी हुई थीं। हल्की हवा खिड़की के पर्दों को सहला रही थी, और बाहर से मंदिर की घंटियों की मधुर ध्वनि आ रही थी।

लेकिन इस खूबसूरत सेटिंग के बीच, राजीव घूंघट में बैठा पसीना-पसीना हो रहा था!

दरवाजे पर तनुश्री की एंट्री हुई—एकदम ठेठ राजपूती दूल्हे की तरह। सिर पर साफा, कंधे पर शाही अंगरखा, और चाल में वही शाही ठसक!

"अब तो रिवाज निभाना ही पड़ेगा!"

"चलो राजीव,मेरे पैर छुओ!" तनुश्री ने मुस्कान दबाते हुए कहा।


जो आपने अभी पढ़ा, वो तो बस शुरुआत थी — कहानी का सबसे रोमांचक हिस्सा अभी बाकी है! पासवर्ड डालिए और जानिए आगे क्या हुआ 🔓

👉 पासवर्ड नहीं पता? Get Password पर क्लिक करो password जानने के लिए।

⭐⭐ मेरी कहानी की वेबसाइट पसंद आई हो तो Bookmark करना — भूलना मत! https://beingfaltu.blogspot.com


Amit ki crossdressing by beautifull teacher

📝 Story Preview:

हर किसी की जिंदगी का एक टर्निंग पॉइंट होता है और वो दिन आपकी ज़िंदगी को 360 डिग्री तक घूम कर रख देता है और हमें बस ये समझ नहीं आता है के आखिर जो कुछ भी हुआ और हो  है क्या ये अच्छा है या बुरा है और आगे जो होने वाला है क्या वो सही है या मुझे बस अब रुक जाना चाहिए और खुद को समझा देना  चाहिए  के नहीं जो हो रहा है वो गलत है यही मेरी सीमा है और मैं इसके आगे नहीं जा सकता हूँ चाहे कुछ भी क्यों  न हो जाये 


अमित को अब होश आने लगा था वो सपनो की  दुनिया से हकीकत की दुनिया में लौट रहा था आँखे खोलने की कोशिश कर रहा था पर आँखों  के सामने अब भी अँधेरा ही था  हाथ भी नहीं हिल रहे थे और  पैर  भी हिला नहीं पा रहा था और तब मुझे याद आया के में अभी किस हाल में हूं मैं चाहूं तो भी अपने हाथ नही हिला सकता और ना ही पैर और ना ही अपने बॉडी का कोई भी पार्ट तो अगर आसान भाषा में कहूं तो मैं लॉक्ड हूं या कहूं बॉन्डेज में हूं और अपनी सो कॉल्ड सुपर सेक्सी गर्लफ्रेंड अनिता के 

वो भी क्या दिन था जब मैंने उसे पहेली बार देखा था और उसी का बस हो गया था पहेली नजर का प्यार मैने अनिता में ही महेसुस किया था मेरे चारो तरफ सब कुछ स्लो मोशन में हो गया था में बीच रोड पर खड़ा था और वो मेरे सामने से रोड क्रॉस करके चली गई मुस्कुराती हुई जब वो मेरे पास से गुजरी तो जैसे दुनिया रुक गई ट्रैफिक की आवाज साइलेंस हो गई लोगो की गलियां सुनाई नही दे रही थी दिल की धड़कने बढ़ गई थी मैं अपने दिल के धड़कने की आवाज को इतनी भीड़भाड़ में भी साफ सुन पा रहा था ऐसा लग रहा था जैसे दिल मेरे सीने से निकलकर अनिता के पैरो में गिर जाना चाहता हो


अगर भगवान ने बॉडी में नसों के बीच कस कर नही बंधा होता तो शायद गिर ही जाता शुक्र है भगवान का जो साले को खुला नही छोड़ रखा था इसलिए मेरी जान जाते जाते बची है बस इतना ही कहे सकता हूं चलो बहुत हो गया महिमा मंडन अनिता का वैसे वो बहुत खूबसूरत है पर खूबसूरती ही सब कुछ नही होती है वो दिल की भी बहुत अच्छी है 


और उसकी इन्ही सब चीजों की वजह से मैं आज सिचुएशन में फसा हूं चलो अब कहानी पर चलता हूं


में अपने बारे में बताता हूं , मेरा नाम अमित है और मैं एक कॉलेज में प्रोफेसर हूं बनारस के घाटों पर मेरा बचपन बीता और मां बाप के आशीर्वाद से में पढ़ने में तेज और डिबेट कॉम्पिटिशन में तर्रार भी था इसलिए पढ़ाई पूरी होते ही मुझे प्रोफेसर की नौकरी भी मिल गई बाहर से देखने पर सबको मैं एक सफल आदमी ही दिखूंगा पर कमियां सबमें होती है मन ज्यादा बड़ा नहीं कहे रहा पर चांद में भी दाग तो है वैसे ही मेरे अंदर भी है जो किसी को नही पता और जब तक मैं न चाहु वो किसी को कभी पता चल भी नहीं सकती पर जो चीज दुनिया से छिपी है पर मेरे अंदर है तो मुझे तो पता है चलो अब आपको भी पता तो चल ही जाएगा आगे जब आप कहानी पढ़ेंगे मेरी तो मैं खुद ही बता देता हूं 


मुझे बचपन से बॉन्डेज से जुड़ी कहानी पढ़नी पसंद थी दिल के किसी कोने में ये इच्छा हमेशा रही , और ये इच्छा ठीक से तो याद नही है पर पता नही कहा से लगी पर जहा तक मुझे याद है मेरे स्कूल में एक टीचर थी बहुत खूबसूरत दूध जैसी सफेद चाहते पर हाथ पर पैर पर एक दाग नही काली साड़ी में कमाल लगती थी मतलब ऐसा नहीं गलत नजर से उस समय तो प्यार सेक्स ये सब कहा समझ आता  था पर बस मन करता था के इस टीचर से बात करूं उनकी हेल्प करूं पर वो बस देखने में ही खूबसूरत थी पर सच्चाई में बहुत खडूस थी एक नंबर की गुस्सैल और बच्चो को एक मिनट भी खुश नहीं देख सकती थी उसका फेवरेट डायलोग था अगर होमवर्क नही किया तो हाथ पैर बांध कर पंखे से लटका दूंगी मैं जब भी उसके बार में सोचता हमेशा मेरे मन में क्वेश्चन उठता क्या ये सच में हाथ पैर बांध कर लटका सकती है फिर ऐसे ही बहुत से क्वेश्चन मेरे दिल में आते के अगर ये सच में ऐसा करेगी तो कैसा लगेगा मतलब कितना बुरा फील होगा सब लोग कितना हसेंगे और अगर इसने पंखे से लटकाया तो पंखा टूट गया तो कितनी ज्यादा चोट लगेगी और बच्चो को चंचल मन बस खुद से सवाल और जवाब चलते रहते मैं जब इस टीचर की क्लास में होता या इसके आसपास कही भी होता मेरे मन में बहुत सारे सवाल आ जाते


हर दिन मैं सोचता के आज मैं इसका होमवर्क न करू और कल ये मेरे हाथ पैर बांधकर पंखे से लटका देगी तो कैसा लगेगा 

पर मेरे घर में मेरी एक मां भी है जो खास कर मेरी पढ़ाई का ध्यान रखती और हर हाल में मेरा होमवर्क पूरा हो इस बात का ख्याल रखती तो मेरा बचपन इसी कश्मकश में बीत रहा था के अगर मैने होमवर्क नही किया तो कल क्या ये मुझे बांध कर पंखे से लटकाएगी हर दिन  मैं टीचर को चिढ़ते हुए देखता और सोचता के आज तो ये बहुत गुस्से में है कल पक्का लटकाएगी भले आज इसने होमवर्क ना करने वालो को सिर्फ ग्राउंड में मुर्गा बनाया है या लड़कियों को  हाथ ऊपर करके खड़ा किया है पर ये कल जरूर पंखे से लटकाएगी मेरे दिमाग में बस वो पंखा घूमता रहता के आखिर वो दिन कब आएगा जब मैं इस पर बांधा हुआ लटकाया जाऊंगा और क्लास का कोई शैतान बच्चा जो हर दिन एस टीचर के कोमल कोमल हाथो से थप्पड़ खाता और मेरे हर दिन होमवर्क करने की वजह से साबशी लेने से चिढ़ता होगा जो दौड़ कर जायेगा और पंखे की स्विच को ऑन कर देगा मैं पंखे में बांधा हुआ गोल गोल घूम रहा होऊंगा और टीचर मुझे बचाने के आयेगी, जंप मार कर पंखे की स्विच को बंद करेगी और  मैं गोल गोल घूमते हुए धीमे धीमे पंखे के बंद होने के साथ गोल गोल घुमाना बंद होऊंगा


ये सोच सोच कर मेरा बचपन दिन रात सब बीत रहा था पर सच कहूं तो मैं बस इन्ही ख्यालों में खोया रहता था के आज मैं होमवर्क नही करूंगा मैं बस होमवर्क न करने का बहाना ढूंढता और स्कूल में टीचर का मूड कितना खराब है वो समझने की कोशिश करता रहता पर वो कहते है न के ढूंढने से भगवान मिल जाते है और आज ही वो दिन था जब टीचर का दिमाग हद से ज्यादा खराब था मैंने उसे देखा वो जाते हुए पास पड़े मजे आर हाथ पटककर गुस्से में जा रही थी बहुत गुस्से में थी उसकी शकल बता रही थी की वो आज किसी की जान भी ले सकती है अगर कोई उसके हत्थे चढ़ा तो समझो गया काम से मैं बस इसी मौके आई तलाश में था और में आज उनके इस गुस्से को शांत नहीं होने दे सकता था 

मैं बस उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचना चाहता था और मैं किसी भी तरह से कल अपनी इस विश को पूरा करना चाहता था और आज इसलिए मैने फिर से श्योर होना चाहता था के इसका गुस्सा कल भी शांत न हो और ये कल मुझे जरूर पंखे से लटका दे लेकिन उसके लिए मुझे कुछ बड़ा करना पड़ेगा लेकिन वो क्या हो सकता है , आज क्लास में टीचर ने कमाल ही कर दिया और एक लड़का जो रोज होमवर्क नही कर के आता था  उसके दोनो हाथ पीछे करके अपने दुप्पटे से लगभग बांध ही दिए थे और जो थप्पड़ वो मर रही थी उसमे वो गर्मी थी जो एक दमदार थप्पड़ में होनी चाहिए वो लड़का जो हमेशा बड़े बड़े से मेल टीचर के थप्पड़ से हिलता भी नही था वो टीचर के हर थप्पड़ पर लगभग गिरते गिरते बच रहा था उसके गाल पर टीचर के निशान जैसे लाल स्याही से किसी ने बनाया हो ऐसे मजबूत लाल लाल बन रहे थे मुझे ये देख कर इतना अच्छा आज रहा था के मैं चाहता था के टीचर बस ऐसे फुफकारते मार कर इस कमीन को बस पंखे से लटका दे और मैं दौड़ कर जाऊं और पंखा ऑन कर दूं और ये कमिना पंखे के साथ गोल गोल घूमता रहे घूमता रहे चाहे इस पंखे को ऑन करने के लिए टीचर मुझे भी पंखे से लटका दे और मैं भी  पंखे के साथ गोल गोल घुमु


पर ये क्या टीचर ने बस इसे थप्पड़ मार कर छोड़ दिया और धमकी दी के अगर क्लास में कल कोई भी बच्चा बिना होमवर्क करे आ गया तो उसे सच में पंखे से लटका देगी लेकिन जो कॉन्फिडेंस टीचर की आवाज में आज था वो इससे पहले मैंने कभी नहीं देखा था धमकी तो रोज सुनता था पर कुछ कर गुजरने की हिम्मत किसी की जान लेने वाली गुर्राहट आज से पहले कभी नहीं देखी थी आज मुझे पूरा यकीन था के कल जो होमवर्क नही करके लायेगा उसकी तो कल खैर नहीं और मुझे पूरा यकीन था के कल सब लोग होमवर्क करके ही लाने वाले थे और कल मेरी विश पूरी हो जायेगी क्यों के मैं कल इसका होम वर्क करके नही आने वाला हूं और ये मुझे कल इस पंखे से जरूर लटकाएगी मेरे अंदर एक जुनून भर गया था पर तभी मेरे मन में एक ख्याल आया.


के कही घर जाकर या घर जाते समय इसका गुस्सा शांत हो गया तो क्या होगा और कही इसने मेरे होम वर्क न करने पर बाकी बच्चो की तरह सिर्फ थप्पड़ मार कर बिठा दिया तो मेरा सपना कैसे पूरा होगा और ये सोच कर में दिल बैठ गया धड़कने तेज हो गई के ये कैसे हो सकता है नही नही फिर पता नही कब ये इतनी तेज गुस्से में होगी और मेरा सपना पूरा होगा मैं अब और इंतजार नहीं कर सकता हूं और मुझे कुछ जल्दी से सोचना होगा के इसका गुस्सा किसी भी हाल में काम न हो सभी बच्चे डर कर पूरे मन से पढ़ाई कर रहे थे और मैं अपने दिमाग के ख्यालों में प्लानिंग बनाने में लगा हुआ था के आखिर कैसे इस गुस्से को शांत होने से रोकूं और इस गुस्से की ढाल बनाकर अपने पंखे से लटकने की इच्छा को पूरा करूं क्यों के दुनिया में इसके अलावा ऐसा कोई नही था जो मेरी इस अजीब सी इच्छा को पूरा कर सके 


मेरे मां पिताजी बहुत अच्छे लोग है वो मुझे डांटते भी इतने प्यार से है के डांट में भी प्यार दिखता है मेरे पड़ोसी तो मुझे एक दम राजा बेटा मानते है और मेरी मां से डरते है  वो जानते है के गर मुझे खरोच तो बहुत दूर ऊंची आवाज में भी किसी ने मुझे बात की न तो समझो इनकी खैर नहीं है तो इनलोगो के बस का तो है ऐसा करना मेरा कोई दोस्त नहीं है जो है वो है पड़ोस में रहने वाली मेरी क्लास मेट रोशनी , उसके बस का तो नही है क्यों के वो इतनी पतली है के सभी टीचर क्लास में  पंखे की स्पीड रेगुलेटर से बढ़ाते हुए भी ये डायलोग जरूर मरते है के रोशनी तुम किसी मजबूत या भारी चीज को कस कर पकड़ लो कही पंखे की तेज हवा से तुम उड़ न जाओ और सभी क्लास वाले उसे छुई मुई रोशनी ही बोलते थे 


मैं ये सब सोच कर परेशान हो रहा था और मुझे पता ही नही चला के कब मैं गुस्से में इतना लाल ओ गया के मेरे पसीना छूटने लगा और मेरी शर्ट पसीने से गीली हो गई और मेरे पड़ोस वाले लड़के ने टीचर को बोला के मैडम अमित को देखो क्या हो रहा है कितना पसीना आ रहा है और टीचर को मेरे और आते देख एक दम से मैं अपने ख्यालों से निकल कर क्लास में आ गया 


टीचर में पास आई और बोली अरे अमित क्या हुआ बेटा तुम्हे इतना पसीना क्यों आ रहा है तुम्हारी तबियत तो ठीक है तुम्हे गर्मी लग रही है क्या ? क्या तुम्हे घर जाना है , मैं बोला नहीं नही मैडम मैं ठीक हूं बस वो गर्मी लग है थी क्या मैं पानी पीने जा सकता हूं 


टीचर बोली हां हां बेटा जाओ और थोड़ा बाहर की हवा खा कर आना और मैं क्लास से बाहर आया वाशरूम गया फिर हाथ धोए फिर पानी पिया मेरे मन में बस ये चल रहा था के ये क्या टीचर का गुस्सा तो शांत हो गया कितनी प्यार से मुझसे बात कर रही थी, बेटा बेटा करके वैसे तो कितना दहाड़ती रहती है मैं ये सोच ही रहा था तभी मुझे टीचर की प्यारी सी नई नई स्कूटी दिखी . वाह कितनी खूबसूरत है टीचर की काली साड़ी जैसी स्टाइलिश और चमचमाती स्कूटी. फिर मेरी नजर स्कूटी के टायर पर पड़ी और स्कूल के सामने ही बने गाड़ी रिपेयर करने वाली गेराज शॉप पर पड़ी जो की लकिली बंद थी 


इसका मतलब था के अगर मैं किसी तरह से इस स्टाइलिश जीरो फिगर स्कूटी को बिगाड़ दूं तो अंदर की टीचर का मूड अपने आप ही खराब हो जायेगा और इसका गुस्सा फिर से सातवें आसमान पर चला जायेगा और कल इसका मेरी क्लास में ही पहला पीरियड है वाह क्या बात है सब कुछ वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूं और यही मेरा आखिरी मौका था सबकुछ ठीक करने का और अपने इस आखिरी मौके के लिए ऊपर वाले को धन्यवाद किया के एक लास्ट मौका मुझे दिया सब कुछ ठीक करने का 


मैंने आसपास देखा कोई नही था और मैंने धीमे से स्कूटी के पास गया और आसपास देखा के कोई चीज मिले जिससे के इसकी हवा निकल सकू तभी मेरी नजर नजदीक ही पड़ी दो माचिस आई तिल्ली पर पड़ी जो मैने झट से उठा ली और स्कूटी के दोनो पहियों के हवा निकालने के नोजल में फसा दिया जिससे हवा  सीस करते हुए निकलने लगी 


फिर मैं खुशी से झूमता हुआ वापिस जाने को हुआ तभी मेरा पैर किसी चीज से टकराया और मैं लगभग गिरने से बचा मैं समझ गया था के ये ऊपर वाले का कोई इशारा है और फिर थोड़ी से फूटी बॉटल को मैंने उठाया और फिर मैंने स्कूटी को दुबारा देखा और फिर मेरे मन में ख्याल आया हवा से तो मैडम का गुस्सा थोड़ी देर का होगा पर अगर मैने इस प्यारी काली स्कूटी की काली काली गद्देदार सीटे फाड़ दी जो की भगवान का सिग्नल है तो भगवान भी खुश होंगे और मैं भी , अगर कोई खुश नहीं होगा तो वो होगी टीचर .


अब  मैंने आसपास देखा और फिर टीचर को मन में देखा और उनकी गुस्से वाली इमेज को मन में ही इमेजिन किया के जब वो इस फटी हुई सीट को देखेगी तो उनका चेहरा उस सांड से  जैसा होगा जब वो लाल रंग को देखता है अब मैंने सोच लिया था और मामला बिलकुल साफ हा के मुझे क्या करना है मै धीमे धीमे सावधानी के साथ स्कूटी के पास पहुंचा देखा तो टायरों की हवा पूरी तरह से खाली हो गई थी मतलब 50% काम हो चुका था अब मैंने बोतल के नुकीले हिस्से को मैंने टीचर की स्कूटी की सीट पर घुसेड़ दिया और उसे घसीटते हुए सीट जब तक पूरी तरह से नहीं फट गई तब तक फाड़ता रहा और जब मन भर गया एक कांच का टुकड़ा उठाया यार सीट में ऐसे रखा के बैठने वाली मेरी मैडम को धंस जाए और वो गुस्से में कई दिनों तक रहे और फिर मैंने पास में पड़ी एक रस्सी का टुकड़ा भी फटी हुई सीट में डाल दिया जिसे देख कर मैडम को हिंट मिले के कल बच्चो के साथ क्या करना है उन्हे ,


अब मैं निश्चिंत था के मेरा काम हो गया है अब कल मैडम पूरी तरफ से गुस्से में भुनी हुई स्कूल आयेगी और जब मैं होमवर्क किए बिना अकेला होऊंगा और मैडम मुझे जरूर पंखे से बांध देगी और मेरा ये सपना पूरा होगा मैं समझ ही नही पा रहा था के मैंने मैडम का कितना नुकसान कर दिया है और वो आज कितनी परेशान होगी नई आई स्काउट की सीट फाड़ दी जाए तो कैसा लगता है उस समय मेरे भोले मन को ये सब कहा समझ आता पर आज मैं समझ सकता हूं पर तब तो बच्चा ही था और मैडम ने ही तो मेरे मन में ये आग लगाई थी पंखे से लटकने वाली अब मैं क्या करता मेरा मन दिन रात यही सोचता और प्लान बनाता रहता था क्या करता मैं,


चलो अब फाइनली मैं क्लास में पहुंचा अब मैं पूरे फोकस के साथ क्लास अटेंड कर रहा था और अब मैं बहुत खुश था सच में ,मैं बेसब्री से क्लास खत्म होने का वेट कर रहा था और छुट्टी में मैडम का उतरा हुआ मुंह देखना चाहता था पर देख नही पाया क्यों के स्कूल के बाद पापा मुझे लेने आए थे पापा ने बताया के हमारे पड़ोस में जो बूढ़ी दादी रहती थी वो एक्सपायर हो गई है तो मां  वोही गई है 


पापा ने मुझे बाहर ही खाना खिला दिया छोटे से रेस्टुरेंट पर क्यों के घर में खाना बना नही था पाप बोले उन्हे भी जाना होगा तो वो मुझे घर छोड़कर निकल जायेंगे और मां और पापा को आने में देर हो सकता है तो मैंने होमवर्क कर लू वो शाम तक आ जायेंगे,


मेरे तो मन में लड्डू फुट रहे थे इसका मतलब है के मैं आज होमवर्क नही करूंगा क्यों के मां या पापा वो होमवर्क नही चेक करने वाले है आज तो जैसे भगवान मुझे पूरा सपोर्ट कर रहे थे और जैसे वो भी मेरी विश पूरा करना चाहते हो वरना स्कूल में टीचर की स्कूटी के साथ जो हुआ वो हो पाता क्या  और अब घर पर मां और पापा भी नही है मेरे टू मजे ही मजे थे 


मैं अब पूरा कॉन्फिडेंट था के कल स्कूल में सब कुछ वो होगा जो मैं  चाहता हूं और अब मेरी विश को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है फिर भी आदत से मजबूर मैं बोर हो रहा था घर में अकेले तो मैंने सिर्फ अपनी प्यारी टीचर के होमवर्क को छोड़कर बाकी सब क्लास टीचर के होमवर्क को पूरा किया और चुपचाप से बैग भरा और कल के दिन के होने का इंतजार करने लगा और अपने मन मे ख्वाबी पुलाव भुनाने लगा ये मेरे जीवन का सबसे अच्छा और लंबा दिन था जो खत्म होने का नाम ही नही ले रहा था 


शाम को मां पाप आए दुखी थे नहा कर घर में एंट्री की मां आते ही किचन में चली गई खाना बनाने दोनो थके हुए थे और दुखी भी पर मैं खुश था के मां होमवर्क चैक नही करने वाली और पापा तो देखेंगे ही क्या 


फिर खाना खाने के बाद मां और पापा दोनो आपस में बाते करने लगे के कैसे दादी एक्सपायर हुई फिर आज पूरे दिन क्या क्या हुआ और इन अब में वो मुझे पूरी तरह से भूले हुए थे और बात करते हुए कब दोनो सो गए पता नही चला और मैं सोने का नाटक करते हुए बस कल सुबह का इंतजार कर रहा था आज की रात सच में बहुत लंबी होने वाली थी .


और कल के दिन में क्या क्या हो सकता है और कैसे होगा कैसे मैडम आयेगी कैसे गुस्सा होगी कैसे बंधेगी ये सब मेरे दिमाग में मूवी की तरह चल रहा था 


पर मेरे बालमन को एक सवाल बहुत परेशान कर रहा था के वो मेरे हाथ दुप्पटे से बंधेगी या स्टैफरूम से रस्सी मंगवा कर रस्सी से बंधेगी 


अगर दुप्पटे से बंधेगी तो वो खुद का दुप्पटा उपयोग करेगी या क्लास की सारी लड़कियों से मुझे बांधने के लिए दुप्पटा मांगेगी , कैसा हो के वो काश सारी पहन कर आ जाए और क्लास की लड़कियों से खास करके मेरी  क्रश के दुप्पटे से मुझे बंधे , या काश ऐसा हो जाए के वो मुझे बांधने के लिए दुप्पटा मांगे और मेरी क्रश उसे दुप्पटा देने से मना कर दे और ओ मेरी रूस को भी दीवाल के साइड में मेरे नीचे मतलब जिस पंखे से मैं बंधा हुआ लटका होऊं उसी के नीचे उसे खड़ा कर दे हाथ ऊपर करके और मैं ऊपर से उसकी सलवार कमीज के अंदर देख पाऊं उसके गोरे गोरे बदन की एक नजर पा जाऊं 


सारे लड़के जो रोज मार खाते थे वो मेरी किस्मत से जले के वो रोज मार खाते रहे और पंखे से लटकने का मौका आया तो मैंने बहुत ही चालकी से उनके हाथों से छीन लिया 


वैसे एक ख्याल और आ रहा थे के वो  खुद अपने कोमल कोमल हाथों से मुझे बंधेगी या पिऊन को बोलेगी मुझे कस कर बांध कर पंखे से टांगने को और पंखा वो खुद चालू करेगी या पिऊन से ही बोलेगी  ऑन करने को 


मेरे अंदर सवाल जवाब की आंधी चल रही थी पर घड़ी धीमे धीमे सेकंड डर सेकंड आगे बढ़ रहे थी मुझसे एक पल भी और इंतजार नहीं हो रहा था कल के होने का और मुझे लटकाए जाने आप भी दुआ करो के कल जल्दी से आ जाए और मेरी एक छोटी सी विश पूरी हो सके मैं पागल हो रहा था रात भर सोच सोच कर एक एक सेकंड कल के बारे मे सोचते हुए बीती थी पूरी रात के लंबे इंतजार के बाद फाइनली सबेरा हुआ मैं रोज की तरह नहा धो कर तैयार हुआ 


मैंने स्कूल के लिए निकलते हुए जब कोई नही देख रहा था धीरे से बैग में पैन किलर की दबा रख ली जिससे जब मुझे पंखे से उतारा जाए तो दर्द को कम किया जा सके और घर में किसी को पता न चले के मेरे साथ आज स्कूल में क्या हुआ था 


मेरा मन बस स्कूल के पंखे में था मुझे देखना था के टीचर ने आज क्या पहिना है साड़ी या सलवार कमीज विथ दुपट्टा , काश् वो अपने छोटे से बैग में मेरे लिए एक रस्सी रख कर ले आए तो कितना अच्छा हो जाए,


मैं जल्दी से रेडी हो कर पापा के स्कूटर पर बैठ गया और पापा को जल्दी से मुझे स्कूल छोड़ने को बोलने लगा जिससे मैं टीचर की एंट्री देख सकूं

जो आपने अभी पढ़ा, वो तो बस शुरुआत थी — कहानी का सबसे रोमांचक हिस्सा अभी बाकी है! पासवर्ड डालिए और जानिए आगे क्या हुआ 🔓

👉 पासवर्ड नहीं पता? Get Password पर क्लिक करो password जानने के लिए।

⭐⭐ मेरी कहानी की वेबसाइट पसंद आई हो तो Bookmark करना — भूलना मत! https://beingfaltu.blogspot.com


Beingfaltu YT videos

YouTube Playlist Preview