दोस्तों ये कहानी है अमित और अनीता के अनोखे करवाचौथ की आमित की उम्र 28 साल और अनीता की उम्र 27 साल है ,दोनों की शादी के 5 साल हो गए थे लेकिन कोई बच्चा नहीं था ,
अनिता की बहुत रीक्वेस्ट के बाद, आज पहेली बार करवाचौथ के लिए, अमित ने अपने ऑफिस से छुट्टी ली थी
अनिता सुबह से ही बहुत खुश थी ,अनिता अपने घर के कमरे में करवाचौथ के लिए तैयार हो रही थी। उसने सुंदर लाल साड़ी पहन ली, हाथों में चूड़ियाँ और पैरों में मेहंदी लगी हुई थी।
अमित एक वरकोहोलिक आदमी था , उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था के क्यूँ आखिर उसने अनीता के कहने पर छुट्टी ले ली, ऑफिस का कितना काम करना बाकी था , पर अनीता ने उसका लैपटॉप तिजोरी मे बंद कर के चाभी कही छुपा दी थी ,इसलिए वो बोर हो रहा था ,
अनिता ने हँसते हुए कहा:
अनिता: “अमित, इस बार कुछ मज़ेदार करते हैं। क्यों न तुम मेरे लिए भी थोड़ा करवाचौथ का अनुभव लो?”
अमित ने मज़ाक में कहा:
अमित: लड़कों के लिए वैसे भी करवाचौथ पर है ही क्या , तुम तो मस्त साड़ी पहनकर , ज्वेललेरी पहेन कर , हाथों और पैरों मे महेंड़ी लगाकर सोलह श्रंगार करके खुद तो हेरोइन बन के घूम रही हो ? और , मुझे तो चाय बना भी नसीब नहीं हुई है ।
आमित का ताना सुन कर अनिता ने अमित की ओर देखा और बोली :
“अगर तुम्हें मेरे साड़ी ज्वेललेरी मेहंदी को देख लगता है के मैँ बहुत मजे मे हूँ , तो आज तुम मेरी साड़ी पहनो और थोड़ा मजा तुम भी ले लो । और मैं भी तुम्हारे कपड़े पहनकर तुम्हें ऐसी जली कटी बातें सुनाती हूँ । तभी तो तुम्हें पता चलेगा के लड़की करवाचौथ पर कितना इन्जॉय करती है और तुम लड़के नहीं कर पाते हो तो आज तुम भी वो इन्जॉय ले ही लो वैसे भी आज लैपटॉप तो नहीं मिलेगा तुम्हें , और अगर तुम ने मेरी बात नहीं मानी तो मैँ भी करवाचौथ का व्रत नहीं करूंगी , और तुम्हें पता है न के करवाचौथ का व्रत एक बार छूटने के बाद दुबारा नहीं किया जा सकता है , फिर देना अपनी मम्मी और बहन को जबाब के मैंने करवाचौथ का व्रत करना क्यूँ छोड़ दिया है ,
अमित हिचकिचाया, लेकिन अंततः उसे अनीता की जिद के समें घुटने टेकने पड़े और अनीता की बात माननी ही पड़ी।
अमित को अनीता के कोई भी ब्लाउज नहीं आने थे इसलिए अनीता ने अनलाइन रेडी तो वेर ब्लाउज ऑर्डर किया और फिर अमित को एक लाल रंग की
साड़ी पहनाई , अमित को साड़ी पहनाने मे अनिता ने बहुत मज़ा लिया । साड़ी पहेना कर उसके पल्लू और प्लेटस मे पिन लगा दिया ,
साड़ी पहेनाने के बाद अमित के हाथों और पैरों में हल्की मेहंदी लगाई, अनीता ने अमित के हाथों पर मेहंदी से एक दिल बनाया और उसमे अपना नाम लिखा ,
दोनों हाथों में चूड़ियाँ पहेनाना मुश्किल काम था पर अनीता ने जैसे तैसे कर के अमित को चूड़िया पहेना दी,
अमित के बाल कंधे तक लंबे थे तो अनीता ने उसमे पोनीटैल बना कर एक नकली बालों का गुच्छा जोड़ कर बालों में चोटी बनाई। और फिर एक सफेद फूलों का गजरा लगा दिया ,
ऊसके बाद अमित के पैरों मे चांदी की दो मोटी मोटी पायल पहेना दी जिससे अमित जब भी चलता उसके पैरों से पायल की छन छन की आवाज आती ,
अनिता ने अमित की कमर मे एक चांदी का कमरबंद भी पहेनाया जिसमे एक छल्ला लगा था जो अमित के जरा भी हिलाने पर बहुत तेज आवाज करता
आमित के कान बचपन मे ही छेद दिए गए थे जिसमे अनीता ने दो मोटी मोटी एयरिंग पहेनाई और नाक मे एक पिन वाली लंबी नाथ पहेना दी और फिर अमित के होंठों पर लाल लिपस्टिक और आँखों मे काजल लगा कर अमित के माथे पर एक बिंदी भी लगा दी ,उसके बाद अमित को जब अनीता एक कांच के सामने ले गई
अमित: “हे भगवान! मैं बिल्कुल अपनी मम्मी जैसा दिख रहा हूँ।"
अनिता ने हँसते हुए कहा: “बस यही तो मज़ा है! अब तुम थोड़ी देर अपनी खूबसूरती को आईने मे देखो और मेरा इंतेजार करो मैँ बस अभी आई
अनिता ने अपनी साड़ी और ज्वेलरी उतार दी और अपने पति के कपड़े पहने – शर्ट और जीन्स –कमर मे बेल्ट बांधी और दूसरे हाथ मे एक घड़ी बंधी और फिर अमित के ऑफिस वाले जूते पहेन कर धीमे से अमित के पीछे आकर खड़ी हो गई , बालों का बना कर अपने सिर पर एक कप लगा ली अब अनीता पूरी तरह से लड़का लग रही थी और अमित पूरी तरह से एक लड़की बन गया था,
अमित अब साड़ी में था और अपने आप को आईने मे देख रहा था और साड़ी मे खुद को निहारने मे इतना खोया हुआ था के उसे पता ही नहीं चल के अनीता कब उसके पीछे आकार खड़ी हो गई ।
अनिता को देख कर अमित एक दम से सहम गया और अनीता जोर से हसने लगी
अनिता और अमित दोनों ने शाम तक बिना खाए पिए व्रत करने का फैसला लिया ,
अमित के लिए साड़ी ज्वेललेरी मेकअप संभालना थोड़ा मुश्किल था तो वो सोफ़े पर बैठा था लेकिन अनीता बार बार उसे अलग अलग काम से घर मे इधर उधर भगा रही थी
लेकिन अमित को नहीं पता था के अनीता उसे बार बार साड़ी मे इधर उधर क्यूँ भगा रही थी ,
जब अनीता पूरी तरह से स्योर हो गई के अमित साड़ी मे खुद को संभाल पा रहा है तब अनीता ने धीमे से अमित से कहा ,
करवाचौथ पर लड़कियों को पूरी तरह से सज धज कर मंदिर जाना होता है जिसमे पण्डितजी करवाचौथ की कहानी सुनाते है
और आज तुम्हें भी मेरे साथ कथा सुनने चलना पड़ेगा ,
अमित ने अनीता को बहुत समझाया के घर मे साड़ी पहेनना या तैयार होना अलग बात है पर मंदिर कैसे जा सकता है नहीं नहीं वो ये नहीं कर सकता है किसी ने पहचान लिया तो क्या होगा
अनीता ने उसे समझाया कुछ नहीं होगा तुम भूल गए हो क्या आज तुम अनीता हो और लड़कियों को साड़ी मे एक खास चीज होती है जिसे हम घूँघट कहेते है तो अमित मेरी जान तुम डरो मत तुम घूँघट करके मंदिर जाओगे
और तुम मेरी तो सोचो मैँ भी तो चल रही हूँ न तुम्हारे कपड़े पहेन कर मंदिर तुम तो घूँघट मे होंगे मुझे तो सब जानते है सभी औरते आंटियाँ मेरे बारे मे क्या सोचेंगी लेकिन मैँ तो नहीं कर रही नहीं नहीं
अब डरना छोड़ो और ये पहेन लो
आमित ने जब अनीता की ओर देखा अनीता के हाथों मे थे दो हाई हीलस की सेंडल्स ,
अनिता बोली अरे देख क्या रहे हो अब क्या तुम साड़ी पहेन कर जूते थोड़े पहनोगे साड़ी मे तो हीलस ही पहननी पड़ेगी
और अनीता की जिद के सामने अमित को झुकना ही पड़ा और अनीता ने अपने हाथों से अपने पति देव अमित के पैरों मे ऊंची एडी की सैन्डल पहेना दी ,
जिसमे चलना तो मुश्किल था ही पर उन्हे पहेन कर खड़े रहना भी किसी सजा से कम नहीं था
अब अमित को समझ आया कि करवाचौथ केवल उपवास नहीं, बल्कि धैर्य और अनुशासन का पर्व है।
अनिता ने शांति से उसे समझाया: “देखो, करवाचौथ में पति-पत्नी का सहयोग और सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है। आज तुम मेरी जगह हो, इसलिए अनुभव समझो।”
अमित धीरे-धीरे यह महसूस करने लगा कि यह सिर्फ मज़ाक नहीं, बल्कि पत्नी के कठिन परिश्रम का अनुभव है।
अमित साड़ी और हीलस मे मंदिर गया और वापस आया सब अनीता को देख कर बाते कर रही थी के इसने करवाचौथ पर कैसे पागलों जैसे कपड़े पहेने है वैसे तो हमेशा 16 शृंगार करके रहती है और आज जब सारी दुनिया तैयार हो कर आई है मंदिर तो ये फटीचर की तरह घूम रही है , कुछ औरतों ने घूँघट मे आई अनीता के साथ की लड़की के बारे मे भी पूछा तो अनीता ने बात घूमा दी
जब अमित घर आया तब जाकर उसके सांस मे सांस आई लेकिन तभी अमित अमित का पैर साड़ी मे फस गया और अमित फिसलकर गिर गया
अनीता हँसने लगी । अनिता ने कहा: “देखा! अब तुम जानते हो, मेरी रोज़ की मेहनत कितनी होती है।”
दोनों हँसते हुए अपने-अपने कपड़े बदलने लगे।
शाम को, उपवास के समय, दोनों अपने असली रूप में लौट आए। अमित ने हाथ जोड़कर कहा:
अमित: “अनिता, अब मैं सच में समझ गया कि करवाचौथ सिर्फ उपवास नहीं, बल्कि सम्मान, धैर्य और सहयोग का त्यौहार है।”
अनिता मुस्कुराई और बोली: “और हाँ, कभी-कभी मज़ाक में क्रॉसड्रेसिंग भी सीखने का मौका हो सकता है।”
दोनों ने हँसते हुए उपवास पूरा किया और यह अनुभव हमेशा के लिए उनका एक सेक्रेट बन गया जो वो कभी कभी याद करते और बहुत हस्ते ।