📝 Story Preview:
मैं हूं अमित, और मेरा काम है लड़कियों की डिलीवरी करना , सुनने में थोड़ा डरावना जरूर है पर अब इतने समय से ये करते हुए अब सब नॉर्मल हो गया है और सबसे बड़ी बात के कोई डर नही था फुल प्राइवेसी रहती है, कस्टमर ऑनलाइन बात करते हैऑनलाइन पेमेंट कर देते है , मेरा काम बस पेमैंट रिसीव होने के बाद पार्सल को अच्छी तरह से लॉक करके बेहोश करके बस छोड़ देना है, और पार्सल वाले अपना सामान खुद ले जायेंगे , चलो सीधे कहानी पर चलते है ,

वैसे तो मैं लड़कियों से ज्यादा अटैच्ड नही होता था बस उन्हें पैसे के लालच में फसाओ होटल बुलाओ फिर उन्हे बेहोश करो और बस पैक कर के पार्सल पर ये जो लड़की मेरे सामने बिस्तर पर बैठी थी बहुत खास थी क्यों के ये शायद पहेली लडकी थी जिससे मुझे सच में प्यार हो गया था बाकी सारी लड़कियां मेरे पैसे पर मरती थी पर ये पैसे के लिए नहीं थी ये सच में मुझसे प्यार करती थी और एक बार तो इसने मेरे लिए गुंडों से भी लड़ाई कर दी थी बहुत चोट आई थी इसे पर इसने एक बार भी मुझसे शिकायत नहीं की कभी इसने मुझे बदलने की कोशिश नहीं की इसने मुझे वैसे ही पसंद किया जैसा मैं हूं और शायद दुनिया में ऐसी लड़की बहुत कम किस्मत वालो को मिलती है
ये है अनिता मेरी बहन की दोस्त , हम दीदी के बर्थडे पर पहली बार मिला था इसकी जो एक खास बात थी ये हमेशा मेहंदी ब्राइडल लगती अपने दोनो हाथो में और चूड़ियां दोनो हाथ भर कर पहनती थी रंग गोरा था हमेशा कानो में बड़े बड़े झुमके पहनती गले में नेकलेस और पूरे कपड़े पहन कर भी आज की फैशन मॉडल से बेहद ज्यादा खूबसूरत दिखती थी ,मुझे भी इससे प्यार लगभग हो गया था, पर कस्टमर की अर्जेंट डिमांड थी तो समय कम था और पैसे मैं जितने नॉर्मली लेता था उसे कई सौ गुना ज्यादा थे, तो दिल पर पत्थर रख कर मैने अपने प्यार को कुर्बान करना ही सही समझा,
अनीता अपनी सहेली के घर गई थी मेहंदी फंक्शन में , नाच गाना हो रहा था दुल्हन के बाद अनीता जो की दुल्हन की सहेली थी उसकी मेहंदी भी ब्राइडल ही लगी थी सारी सहेलियों ने एक जैसी मेहंदी लगवाने का प्लान किया था,
मैने अनीता को कॉल किया और बताया कि बहुत मुश्किल से होटल रूम अरेंज हुआ है हम बहुत सारी बातें करेंगे और फंक्शन खत्म होने से पहले मैं उसे घर पहुंचा दूंगा किसी को शक भी नहीं होगा बस वो अपने कुछ फोटोज अपने स्टेटस में डाल दे और अपने घर वाले को भेज दे जिससे उन्हें कोई शक न हो और सहेलियों को बिना बताए बाहर आ जाए मैं गाड़ी ले कर गेट के बाहर खड़ा हु
जैसे प्लान किया था वैसे ही हुआ अनीता ने अपनी सहेली को बताया के थोड़ा सफोकेशन हो रहा है तो खुली हवा में जा रही है सहेलियों ने सोचा कोई ब्वॉयफ्रेंड होगा जिससे बात करनी होगी थोड़ा चिढ़ाया पर जाने दिया अक्सर इस उमर की नई नई लड़कियां जो खूबसूरत होती हैं वो जब कली से फूल बनती है उनमें ये सब होना कॉमन होता है।
अनीता जल्दी से घर से बाहर आई, गाड़ी में बैठ गई, उसके दोनों हाथों में कंधों तक मेहंदी लगी थी, पीली ड्रेस खुले बाल, दूध से सफेद पैरो में गोल्डन हिल पहन रखी थी, होठों पर पिंक लिपस्टिक, आंखों में काजल, और माथे पर बिंदी थी, मैने थोड़ी दूर जाकर गाड़ी रोक दी, और उसे बस देखने लगा, क्यों के इस बेचारी को तो पता ही नहीं था, के आज के बाद इस गुलाब का रस पता नहीं कौन कौन चखेगा ,
अनीता ने मुझे पूछा ऐसा क्या देख रहे हो पहली बार थोड़े देखा है मुझे , मैने कहा मेहंदी बहुत खूबसूरत लगाई है तुमने वहीं देख रहा था तो अनीता बोली मैने चोरी से इसमें तुम्हारा नाम भी लिखवा लिया है तुम ढूंढ न पाओ इस तरह से। उसके चेहरे की मासूमियत देखते ही बनती थी
मैने कहा तुम्हे लिपस्टिक की क्या जरूरत है तुम्हारे होंठ तो नेचुरल ही पिंक है गुलाब की पंखुड़ियों जैसे
अनीता बोली तुम्हारे लिए ही लगाई है बुद्धू, कही तुम्हे ऐसा न लगे के मुझे मेकअप पसंद नहीं और तुम पैसे बचाने की सोचो
अमित बोला अरे अगर मेरे लिए ही लिपस्टिक लगाई है तो मुझे 💋 किस करने क्यों नहीं देती हो
अनीता मैं तुम्हे कैसे रोक पाऊंगी मेरे हाथों में तो मेहंदी लगी है न अच्छा सुनों मेरा दुपट्टा नीचे गिर रहा है क्या तुम मेरा दुपट्टा सेट कर दोगे
अमित क्या करूं मैं तुम्हारा, तुम्हे मुझे परेशान करने के सारे तरीके आते है रुको करता हूं और मैने अनीता के दुपट्टे को उसके गर्दन पर सेट किया
अनीता कितना टाइम लगा रहे हो कही तुम मेरे दुपट्टे को सेट करने के बहाने कुछ गलत चीज देख तो नहीं रहे हो
अमित : तुम कितना बोलती हो मेरे सामने वैसे एक दम ऐसे रहती हो सबके सामने जैसे तुम्हारे मुंह में जवान ही न हो और मेरे सामने मुंह एक मिनिट बंद ही नहीं रहता है
अनीता : मुझे 🍦 आइस्क्रीम खानी है
अनीता ने जब 🍦 आइस्क्रीम खाने की इच्छा बताई मुझे हसी आ गई क्यों के मैं हर लड़की को 🍦 आइस्क्रीम मे ही नसे की दवा मिलाकर लड़कियों को अपने बस में करता था क्यों कि कोई भी लड़की हो सेक्स से पहले या बाद में आइस्क्रीम खाने को मना नहीं कर पाती थी शरीर की गर्मी शांत होने के बाद मन की शांति के लिए आइस्क्रीम बेस्ट है
मैं अनीता को अब भी पार्सल करूं या नहीं इस सोच में डूबा था और कन्फ्यूज़ था के क्या मुझे इससे अच्छी खूबसूरत क्यूट प्यारी लड़की दुबारा मिल पाएगी क्या मेरे पास कोई और ऑप्शन है या पैसा ही सब कुछ हैं और सब कुछ भूल कर बस मुझे पैसे पर ही ध्यान देना चाहिए मेरा दिमाग कहे रहा था पैसे को चुनूं और और दिल अनीता को चुन रहा था
मैं दिल और दिमाग की कश्मकश में था अनीता अपनी बक बक कर रही थी मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था बस मैं अनीता से नजरे नहीं हटा पा रहा था और हम होटल पहुंच गए वहां पहुंच कर मैने अनीता को कमरे में वेट करने को कहा और मैं उसके लिए आइसक्रीम लेने निकल गया, अनीता के लिए आइसक्रीम ली और फिर उसमें एक बॉडीनम्ब करने वाला पावडर मिलाया
इस पावडर की खाश बात थी कि इससे इंसान बेहोश नहीं होता था बस उसके हाथ पैर या बॉडी पार्ट्स रिएक्ट नहीं करते उसके कंट्रोल में नहीं रहते एक तरह से जैसे लकवा मार गया हो उसे सब दिखता है महसूस होता है दिमाग एक्टिव है बस एक्शन नहीं ले पाता तो बस अपने आप को लॉक होते बांधते हुए देखने के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता था मुझे बहुत अफसोस हों रहा था के अनीता इसे खायेगी और फिर मैं अनीता के साथ वो सब करूंगा जो बहुत ही बुरा और खौफनाक होगा
मैं कमरे में गया तब अनीता का दुप्पटा उसके गले में नहीं था वो कमरे में बेड पर बैठी पंखे की हवा में उसके बाल बार बार उसे परेशान कर रहे थे और आंखों में आ रहे थे और शायद एक बाल उसकी आंख में चला गया था उसकी आंख में आंसू आ गए थे मैने उसे आइसक्रीम दी और उसके बाल कान के पीछे किए और जो नहीं होना था वो हुआ अनीता ने तुरंत ही आइसक्रीम खा ली
Part 2
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आइसक्रीम के खाने के बाद मुझे पता था, अनीता को बेहोशी आने लगेगी, लेकिन इस दवा की खास बात यह थी, कि इसे तुरंत आदमी बेहोश नहीं होता था, बल्कि उससे पहले थोड़ा-थोड़ा सा नशा सा फील होता था, आउट ऑफ द बॉक्स वह बहुत ज्यादा बोलने लगता था, बहुत ज्यादा एक्साइटेड फील करता था, उसके अंदर फैंटसीजस चलने लगती थी, और कई बार वह खुद बोलने, या उसकी जो भी अंदर की इच्छाएं होती थी, वह खुद बताने लगता था, एकदम शांत से शांत इंसान भी, एक अलग जोन में चला जाता था, और वह ऐसे सी बातें बताता था, कि आपको विश्वास ही नहीं हो सकता, कि यह सब सच भी हो सकता है
अनीता आइसक्रीम खाते ही,रोने रोने लगी ,मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ ,मैंने उससे पूछा कि क्यों रो रही हो, तो उसने बताया, आज वह बहुत खुश है, आज तक वह किसी लड़के के साथ, बाहर नहीं गई, कभी ठीक से बात भी नहीं की होगी, और देखो वह मेरे लिए एक अनजान होटल में है, अगर यह बात किसी को पता चल गई, या उसके पापा या भाई को तो ,उन्हें कितना बुरा लगेगा,उन्हें यही सब सोच सोच करके, अनीता का बुरा हाल था, मैंने उसे समझाया, ऐसा कुछ नहीं होगा, तुम मुझ पर विश्वास रखो और फिर भी, जब वह चुप नहीं हुई तो, मैंने उसे किस कर लिया, होठों पर, हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल रहे थे, उसके लिपस्टिक सिर्फ पिक नहीं थी ,बल्कि उसके होंठ का टेस्ट भी गुलाबी ही था,सॉफ्ट नरम, ऐसा लग रहा था, बस इन्हे चबा जाऊं, हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिले हुए थे, अनिता के नरम नरम होंठ, अपने मुंह में लेकर ,उन्हें मैंने धीमे से काट लिया,उन्हें क्योंकि मैं अनिता के होंठो पर ,अपने प्यार की पहेली ,अपनेऔर आखिरी निशानी छोड़ना चाहता था
मुझे पता ही नहीं चला, कब प्यार के नशे में, मेरे हाथ अनीता के ब्लाउज पर चले गए, और मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया, उसने रोकने की कोशिश की, लेकिन उसके होंठ मेरे मुंह में थे, तो जैसे ही रुकती मैं थोड़ा सा काट लेता , तो अपने हाथ ढ़ीले कर देती थी, और फिर मैंने उसको ब्लाउज खोल दिया, उसके बाद मैंने उसकी ब्रा का हुक, भी खोल दिया, और थोड़ा सा पुश करके उसके हाथों में से, ब्लाउज ब्रा उतारने की कोशिश की, लेकिन उसके हाथ में जो ढेर सारी चूड़ियां थी, उनकी वजह से ना ब्रा उतार पा रही थी ना ब्लाउज
पार्ट 3
मेरे स्ट्रगल को देखकर अनीता हंसने लगी, और बोली इतना आसान थोड़ी है हम लड़कियों का जीवन फिर उसने अपने दोनों हाथ आगे कर दिया और मैंने धीरे-धीरे करके उसकी चूड़ियां उतारना शुरू कर उसके बाद ब्लाउज और ब्रा मैंने पहली बार अनीता को बिना कपड़ों के देखा था एकदम गोरा बदन जैसे दूध की मलाई से बना हो जहां भी हाथ रखो एकदम फिसल सजा और उसके शरीर की बनावट इतनी खूबसूरत थी जैसे भगवान ने फुर्सत में बनाया हूं एकदम परफेक्ट ना कहीं ज्यादा ना कहीं काम जहां ज्यादा होना चाहिए था बस वहीं पर बाकी सब जगह एकदम फ्लैट वह यह कुदरत का एक नया नगीना था जिसे देखकर बस में अंदर ही अंदर बेचैन हो रहा था क्योंकि यह बस अब मेरा नहीं रहने वाला था और पता नहीं किस-किस का होने वाला था लेकिन मैं थोड़ी देर में उसमें आ गया और अनीता के प्यार से बाहर निकाल कर मैं अपने काम पर ध्यान देने के बारे में सोचने लगा बस में वेट कर रहा था कि अनीता को थोड़ा सा नशा और बढ़ जाए
वैसे अब मैं अमित के सामने बिना ब्लाउज और ब्रा के, उसके सामने बैठी थी, फिर अमित ने धीरे से मेरी चनिया का नाडा खोल दिया, और मैं अब सिर्फ अमित के सामने पेटी में खड़ी थी, पैरों में पायल थी और गले में नेकलेस भी, तो पहले अमित ने नेकलेस को उतारना सही समझा, अमित ने मेरे गले का नेकलेस उतार कर साइड में रखा उसके बाद पैरों की पायल उतारी और मेरे पूरे शरीर पर सिर्फ मेरी पैंटी और कानों में झुमके थे फिर अमित ने मेरे झुमके उतार दिए और एक साइड में रख दिया उसके बाद जब अमित मेरी पैंटी उतारने लगा तो मैंने अमित को रोक दिया और बोली मुझे शर्म आ रही है मैंने उसे साफ़ मना कर दिया पेंटी उतरने के लिए लेकिन अमित बिल्कुल भी मान नहीं रही था और वह जिद पर अड़ गया था मेरी पेंटी उतरने के लिए इसलिए मैं भी जिद पर अड़ गयी के मैं पैंटी नहीं उतारने दूंगी
अमित के लाख कोशिश के बाद भी, मैंने उसे अपनी पैंटी नहीं उतरने दी , फिर मैंने अमित से कहा, के एक लड़की का सबसे गहना उसकी इज्जत होती है, और हर लड़की चाहती है, के उसका शरीर सिर्फ वो लड़का देखे, जिससे वो बहुत प्यार करती हो, और मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं, मुझे नही पता के तुम, मुझसे प्यार करते हो या नहीं, पर मैं दिल से तुम्हे चाहती हूं, और बस चाहती हूं के, तुम मुझे एक दम परफेक्ट ही देखो ,और इसलिए क्या मैं तुम्हारी आंखे बांध सकती हूं
Part 4
फिर मैं कुछ कहेता उसके पहले अनिता ने मेरे आंखों पर दुप्पटा बंध दिया और अपने पर्स से एक क्रीम मुझे दी और बोली ये हेयर रिमूव करने की क्रीम है तुम अपने हाथो से मेरे प्राइवेट पार्ट के बाल साफ़ करो और फिर तुम जो चाहो कर सकते हो
मैंने अनिता ने मेरे हाथ को पकड़ कर पूरा गाइड किया उसके प्राइवेट पार्ट के आस पर हेयर रिमूव क्रीम लगाने में और फिर बोली अब बस पांच मिनट का और इंतजार करना है
वैसे तुम्हे कैसे लग रहा है ये इंतजार करना
मैंने कहा मुझसे तो इंतजार नहीं हो रहा है
मुझसे भी नही हो रहा है, फिर मैंने अमित के हाथ को अपने हाथ में लिया और अमित के हाथ को अपने कंधे पर रखा और अब धीमे धीमे अमित के हाथो को अपने कंधे से नीचे सरकाने लगी, मेरे चिकने शरीर पर अमित के हाथ जैसे जैसे फिसल रहे थे, धीमे धीमे मेरे कंधे से नीचे सरकते हुए, मेरे एक दम परफेक्ट शेप के बबल्स पर उसके हाथ पहुंच गए, फिर मेरे पेट पर फिर नाभी, और फिर मेरे पैरो तक अमित के हाथ धीमे धीमे सरकते गए
फिर अनिता, मेरे माथे पर किस कि, आंखों पर, फिर नाक पर, और फिर लिप्स पर, किस कि, और बोली अमित तुम मुझे धोका तो नही दोगे न, मैं तुमसे सच में बहुत प्यार करती हूं ,
मैंने तुरंत कहा, नहीं अनिता, मैं तुम्हे कभी धोखा नहीं दूंगा,
तो अनिता बोली, तो तुम मुझसे ,कभी आई लव यू क्यों नही कहते हो,
मैंने कहा, ऐसी कोई बात नही है,
मैं बोलने से ज्यादा करने में विश्वास रखता हूं, बोलने से ज्यादा प्यार करने में ज्यादा मजा है,
थोड़ी देर में, अनिता मुझे कमरे में छोड़ कर वाशरूम गई, और शायद क्रीम साफ करने गई, और फिर मुझे बिस्तर पर ले गई, मेरे हाथ को अपनी नाभि के पास ले गई, और मेरे हाथ को धीमे धीमे नीचे की तरफ ले जाने लगी,
पर दबा का असर, अब उस पर होने लगा था, अब वो स्लो हो रही थी, और फिर बेहोश हो, गई मैंने तुरंत अपनी आंखे खोली, और मेरे सामने अनिता बिना कपड़ो के बेहोश पड़ी थी
मैंने उसे टाइट काले चमड़े की एक ड्रेस पहनाई थी, जिसमें लंबी बाजू थीं और एक हुड बंद ऊँचा कॉलर था।वह किसी भी वस्तु को नहीं हटा सकती थी क्योंकि ड्रेस की ज़िप केवल हुड को हटाने के बाद खुल सकती थी, और हुड और गैग के पीछे एक ताला था।उसकी ड्रेस वास्तव में एक बॉडीसूट की तरह थी, जिसमें एक टाइट स्कर्ट थी जो उसकी जांघों को एक साथ रखती थी। उसकी ब्लैक पैंटीहोज़ भी कमर तक थी।
मैं उसकी पैंटी होज की चिकनाई, महसूस करते हुए उसकी भीतरी जांघों पर अपना हाथ लगाया।वह कांप उठी, लेकिन मुझे रोक नहीं सकी, क्योंकि वह बिस्तर से बंधी हुई थी, हाथों को रस्सी से बेड के सिरहाने के दोनो ओर फैला कर बांधा हुआ था,उसके नाखूनों पर कैंडी सेब लाल कोटिंग पर, काले रंग के की नेलपेंट ने अच्छा कंट्रास्ट बनाया था, ।उसके पैर उसके घुटनों के ऊपर, और उसके एडी पर एक ही रस्सी से, एक साथ बंधे हुए थे, और बिस्तर के बेडपोस्ट से भी बंधे हुए थे।मैंने उसके पैरों में तीन इंच के काले घुटने तक, लंबे हाई हील्स पहना दिया, और उसके पैरो के जूते को भी, एक पैडलॉक से लॉक कर दिया ।जूतों की चाबी पैंटीहोज़ के साथ, उसकी जांघो पर टेप कर दिया,उसके हुड़ की चाबी इसी तरह, उसके बाएं पैर के जांग में टैप कर दिया।मैं हमेशा अपने सभी पार्सल गर्ल्स , को यह महसूस कराना पसंद करता हूं, कि वे बचने के बहुत करीब हैं।
अनिता को ऊपर से नीचे तक लगभग बिस्तर से ढक दिया था।अनिता एक बहुत लंबी लड़की थी ।वास्तव में, वह मेरे जितनी लंबी थी, लगभग 5'11 थी जिसकी वजह से उसकेपैर भी बहुत बड़े थे अनिता इस मॉडर्न गेटअप में पूरी अंग्रेज लग रही थी शायद आज से पहले उसने कभी ऐसे टाइट कपड़े नही पहेने होंगे पर इन कपड़ो में बहुत शानदार लग रही थी, और वह शिपमेंट के लिए तैयार थी।अनिता की मुझे अच्छी कीमत मिल रही थी।
Part 5
ये बिजनेस पूरा ऑनलाइन था डार्क वेब पर मेरा कॉन्टैक्ट एक ग्रुप से हुआ था जो बहुत सीक्रेट था इसमें दोनो ही तरफ की प्राइवेसी का पूरा ध्यान रखा जाता था मैंने इससे पहले भी कई लड़कियों को डिलीवर कर चुका था , और हर बार चीजें हमेशा बिना किसी अड़चन के चलती रहीं। हम अभी अपने घरों से बहुत दूर एक सस्ते होटल में थे।खरीदार द्वारा पिक-अप रात 10 बजे के लिए निर्धारित किया गया था।मैं सिर्फ अपने शिकार पर अंतिम टचअप कर रहा था।हम ऑनलाइन पेमेंट का एक्सचेंज करते पेमेंट होने के बाद मैं लड़कियों की डिलीवरी देता था लड़कियों की इसी मोटेल में ले के आता उन्हें आइसक्रीम खिलाता बेहोश करता उनके कपड़े और उनके बेलोंगिंग को अपने पास रखता और लड़कियों को सेक्सी फॉरेन मॉडल की ड्रेस पहनता मेकअप करता और उन्हें अच्छे से बांध कर बेड पर कमरे से निकल जाता उसके बाद का काम डिलीवरी मन खुद करता मुझे आमतौर पर पता नहीं था कि खरीदार कौन था या क्या वह हर बार एक ही व्यक्ति था, और स्पष्ट रूप से, मैं जितना कम जानता था, उतना ही बेहतर था।पिक-अप के समय से लगभग आधा घंटा पहले, मैं यह सुनिश्चित करता कि कमरे में सब कुछ ठीक हो।फिर, मैं कमरे की चाबियों को एक पूर्व निर्धारित स्थान पर छोड़ देता था, आमतौर पर मोटल लॉबी में एक कुर्सी के नीचे टेप किए गए एक लिफाफे में।
मैं बस अब कमरे को — और अनीता को — भगवान के भरोसे छोड़ने ही वाला था,
कि अचानक दरवाजे पर एक नॉक हुई।
शाम के सिर्फ़ सात बजे थे।
ये वक़्त कुछ अजीब था।
मैंने सोचा, शायद हाउसकीपिंग होगी,
या कोई और मामूली बात —
क्योंकि किसी को पता नहीं था कि मैं यहाँ हूँ।
थोड़ा परेशान होकर,
मैंने दरवाज़े के peephole से झाँक कर देखा...
और जो देखा, उस पर मेरा दिल धक से रह गया।
दरवाज़े के बाहर...
पूरी यूनिफॉर्म में दो महिला पुलिस अफ़सर खड़ी थीं।
मेरे हाथ-पैर सुन्न हो गए।
घबराहट होने लगी।
पर मैंने तय किया —
कि दरवाज़ा खोलना ही होगा।
क्योंकि कमरे की लाइटें जल रही थीं,
और शायद उन्होंने देख भी लिया होगा कि कोई अंदर है।
मैं नहीं चाहता था कि वो होटल की रिसेप्शन से चाबी मँगवा लें
या जबरदस्ती अंदर आ जाएँ।
मैंने जल्दी से अलमारी से एक एक्स्ट्रा कंबल निकाला,
और अनीता के ऊपर अच्छे से ढक दिया।
फिर दरवाज़ा खोलने से पहले...
तीन-चार लंबी, गहरी साँसें लीं।
दरवाज़ा खोला,
तो सामने वही दो अफ़सर —
दोनों गोरी, लंबी,
एक के बाल गोल्डन और दूसरी के गहरे लाल।
पहले तो मुझे ये अजीब लगा,
लेकिन फिर सोचा —
आजकल इंडिया में बाल कलर करवाना तो आम बात है।
इसलिए ज़्यादा दिमाग नहीं लगाया...
और धीरे से दरवाज़ा खोल दिया।
"गुड ईवनिंग, सर,"
गोल्डन बालों वाली ऑफिसर ने शांत लेकिन सख्त आवाज़ में कहा।
"हम इस देर रात हुई असुविधा के लिए माफ़ी चाहते हैं,
लेकिन हमें इस इलाके में एक संदिग्ध बलात्कारी की मौजूदगी की सूचना मिली थी।
हम सिर्फ यह सुनिश्चित कर रहे थे कि वो इस होटल में कहीं छिपा तो नहीं,
या फिर यहाँ मौजूद किसी ने कुछ संदिग्ध देखा हो, महसूस किया हो..."
"ऑफिसर मैंने किसी को नही देखा और कमरे में मेरे अलावा कोई और नहीं है ।"मैंने धीरे से जवाब दिया।
"ठीक है", रेड बालो वाली ने कहा, "गड़बड़ी के लिए क्षमा करें।"
वे जाने वाले थे। मैंने गहरी साँस ली और जब मैं दरवाजा बंद करने ही वाला था तो, तभी लाल बालों वाली ने मुझे रोक दिया।
"एक मिनट, क्या हम आपके कमरे को एक बार देख सकते है ? लाल बालों वाली ने पूछा।
मैं फिर से घबरा गया,
इससे पहले कि मैं जवाब देता, पुलिस वालों ने अपनी बंदूकें खींच लीं और जबरन मेरे कमरे में घुस गए।
"एक मिनट रुकिए!तुम लोग ऐसा नहीं कर सकते-"मैंने चिल्लाने की कोशिश की।
सुनहरी बालों वाली लड़की ने मुझे इतनी तेजी से दीवार से धक्का दिया कि मैं कुछ समझ ही नहीं पाया।
उसने मेरी दोनों कलाईयों को पीठ पीछे ले जाकर हथकड़ी में जकड़ दिया —
और फिर बिना एक शब्द कहे, एक ज़ोरदार थप्पड़ जड़ दिया।
उस एक पल में, सब कुछ जैसे धुंधला हो गया।
लाल बालों वाली लड़की बिस्तर के पास पहुँची —
और बिना कोई हिचकिचाहट, अनीता के ऊपर से कंबल खींच लिया।
"लगता है, तुम दोनों 'पति-पत्नी' कुछ दिलचस्प कर रहे थे,"
उसने व्यंग्य से कहा।
फिर उसने अनीता की तरफ झुककर पूछा,
"तुम ठीक हो, अनीता?"
ये सुनकर, मेरा दिमाग अचानक दौड़ने लगा —
उन्हें उसका नाम कैसे पता था?
उन्हें ये कैसे मालूम हुआ कि वो यहाँ है?
मैं कुछ और सोचता, इससे पहले ही —
गोल्डन बालों वाली ने मुझे पेट में घूंसा मारा।
मैं दर्द से तड़पता हुआ ज़मीन पर गिर गया।
और फिर… उसने अपनी जेब से एक सिरिंज निकाली —
तेज़ी से मेरे हाथ में चुभो दी।
उस दवा का असर तुरंत हुआ —
मुझे पूरे शरीर में एक अजीब सी सुन्नता महसूस होने लगी।
"तुम... मेरे साथ क्या कर रहे हो?"
मैंने हिम्मत जुटा कर चिल्लाया —
हालाँकि मेरी आवाज़ में अब भी झटका और डर साफ़ था।
Part 6
गोल्डन बालो वाली ने समझाया, "यह एक शक्तिशाली मांसपेशियों को आराम देने वाली दवा है, जब तक कि एंटीडॉट नहीं दी जाती, तब तक तुम अपने शरीर को गर्दन से नीचे हिला नहीं पाओगे ।"लेकिन तुम पूरी तरह से होश में रहोगे।और हम चाहते हैं कि जब तक हम तुम्हारे साथ हैं तब तक तुम जागते रहो।
इससे पहले कि मैं समझ पाता कि "यह" वास्तव में क्या हो रहा है, सुनहरे बालों वाली एक लड़की ने अचानक मेरे मुँह में एक पेनिस-गैग गहराई तक ठूंस दिया।
जो चीज़ उसने इस्तेमाल की... वो असल में वही था जो उसने अपने अंडरवियर के भीतर पहना हुआ था।
उसी वक्त, लाल बालों वाली ने अनीता को पूरी तरह खोल दिया था — उसका मास्क और जूते, दोनों के ताले खोल दिए गए थे।
फिर उसने मेरी तरफ देखा... और अचानक मुझे एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा।
बिना कोई चेतावनी दिए, मेरे पैंट और अंडरवियर नीचे कर दिए गए।
मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले ही उसने एक धारदार चाकू लिया और उसे मेरे जननांग के पास ऐसे रगड़ने लगी, जैसे किसी भी पल काट देगी।
मैं डर से काँप उठा।
मेरे चेहरे से आँसू बहने लगे।
मैं कुछ बोलना चाहता था... लेकिन मेरे मुँह में वो गैग इतनी गहराई तक था कि बस "म्फ्फ म्फ्फ" जैसे टूटे-फूटे स्वर ही निकल पा रहे थे।
यह देखकर, सुनहरी बालों वाली लड़की आगे बढ़ी और मेरे मुँह से गैग निकालने लगी।
"अगर ज़रा भी आवाज़ की, तो तेरे प्राइवेट पार्ट को काट कर गटर में फेंक दूंगी," उसने बर्फ-सी ठंडी आवाज़ में कहा।
मैंने जल्दी से सिर हिलाकर इशारे में बताया कि मैं शांत रहूंगा।
जो आपने अभी पढ़ा, वो तो बस शुरुआत थी कहानी का सबसे रोमांचक हिस्सा अभी बाकी है — पासवर्ड डालिए और जानिए आगे क्या हुआ! 🔓
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फिर उसने गैग धीरे से बाहर निकाला और मेरे चेहरे की ओर झुक कर पूछा:
"अनीता को तूने कौन-सी दवा, या इंजेक्शन दिया था? और उसका एंटीडॉट क्या है? जल्दी बता!"
मैंने उसे उस दवा का नाम बताया — वही जो मैं हमेशा इस्तेमाल करता था।
लेकिन फिर मैं झिझक गया...
क्योंकि मुझे उसका एंटीडॉट मालूम ही नहीं था —
कभी जरूरत ही नहीं पड़ी थी...
लाल बालों वाली उस राक्षसी ने अचानक मुझे एक और ज़ोरदार थप्पड़ जड़ दिया।
इस बार, उसके हाथ में मौजूद चाकू मेरे जननांग पर हल्का-सा कट लगा गया।
तेज़ दर्द ने जैसे मेरी साँसें रोक दीं।
मैं चीखने ही वाला था कि...
सुनहरी बालों वाली ने बिना एक पल गंवाए, फिर से वही गैग मेरे मुँह में गहराई तक ठूंस दिया — और इस बार उसे लॉक कर दिया।
उसने पास ही पड़े अनीता के दुपट्टे से मेरे मुँह को कसकर बांध दिया,
ताकि मेरी कोई भी आवाज़ बाहर न जा सके।
इसी बीच, उसने अपने फोन में कुछ तेज़ी से सर्च किया — शायद वही दवा, जो मैंने अनीता को दी थी।
कुछ ही देर में वो मुस्कराई।
"अरे! इसका एंटीडॉट तो मेरे पास ही है," उसने खुशी से कहा।
फिर अपने बैग से एक इंजेक्शन निकाला — और बिना किसी हिचकिचाहट के, अनीता के नितंब में वो इंजेक्शन घुसेड़ दिया।
करीब 20 मिनट बाद...
अनीता के हाथ-पाँव और शरीर में धीरे-धीरे हलचल लौटने लगी।
उसकी साँसें सामान्य हो गईं।
फिर उसने खुद को समेटा —
अपने सारे कपड़े, गहने दोबारा पहन लिए।
आखिर में, उसने अपने बालों को पोनीटेल में बाँध लिया —
बिलकुल उसी आत्मविश्वास और ठंडेपन के साथ, जैसे कुछ हुआ ही न हो...
फिर वे तीनों मुझे बिस्तर पर ले गए।
शॉट ने असर दिखा दिया था —
मैं अपने हाथ-पैर बिल्कुल नहीं हिला पा रहा था।
तभी अनीता ने अचानक मेरे चेहरे पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा।
दुर्भाग्य से, इतना सुन्न होने के बावजूद...
वो दर्द मैं अब भी पूरी तरह महसूस कर पा रहा था।
"मैं चाहती हूँ कि तू मेरे दो दोस्तों से मिल,"
अनीता ने मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा,
"कमीने..."
"लाल बालों वाली है रोशनी — मेडिकल स्टूडेंट।
और सुनहरी बालों वाली है अंकिता — एनसीसी कैडेट और सॉफ्टवेयर इंजीनियर।
अब बोल... कुछ याद आया? देखा है इन्हें कहीं पहले?"
कुछ सेकंड तक मैं याद करने की कोशिश करता रहा।
चेहरे बहुत परिचित लग रहे थे... लेकिन दिमाग धुंधला था।
मैं कोशिश करता रहा — लेकिन उंगली नहीं उठा सका।
और तभी, रोशनी ने फिर से एक ज़ोरदार वार किया।
आँखों के सामने अंधेरा छा गया —
और उस अंधेरे में, यादें उभरने लगीं...
मैंने इन दोनों लड़कियों को महज़ दो महीनों के भीतर अपने जाल में फँसाया था।
और फिर... उन्हें एक ही खरीदार के पास भेज दिया था —
कलकत्ता में।
PArt 7
मैंने पूरा ज़ोर लगाकर गुहार लगाने की कोशिश की...
पर जो कुछ भी मेरे मुंह से निकला,
वो वही जाना-पहचाना,
दम घुटी हुई — एम. एम. पी. एच. — जैसी आवाज थी।
एक ऐसी आवाज, जिसे सुनकर अब खुद से ही नफरत सी होने लगी थी।
"क्या तुम मनोरंजन के लिए तैयार हो?"
रोशनी की आवाज़ में एक अजीब-सा खेल था,
जैसे वह किसी डरावनी फिल्म की नायिका नहीं,
खलनायिका बन चुकी हो।
फिर वो थोड़ी देर के लिए रुकी...
मेरे पास झुकी, मेरे सिर को सहलाया, और बोली,
"अभी वापस आती हूं, अमित।"
मैंने अपने अंदर की आखिरी उम्मीद समेटी…
पर फिर वो लौटी —
और इस बार, उसके हाथ में था एक बड़ा जिम बैग।
मेरा दिल जैसे मुट्ठी में आ गया।
उस बैग में क्या है?
क्या वो मेरा अंत ले आई है?
या कोई ऐसा खेल जो मेरी आखिरी इंसानियत भी छीन लेगा?
मैं डर से कांप रहा था,
और उस बैग की ज़िप खुलने की आवाज
मेरे कानों में किसी जल्लाद की तलवार सी लग रही थी।
अंकिता की आवाज़ अब किसी शिकारी की तरह सख्त और ठंडी हो चुकी थी।
"साले जानवर..." उसने घूरते हुए कहा,
"जिनके लिए तू काम करता था, उन्हें उनकी डिलीवरी तो मिलनी ही चाहिए, है ना?"
वो कुछ पल ठिठकी, फिर एक कुटिल मुस्कान के साथ आगे बोली—
"आख़िर तूने उनके लिए मोटी रकम जो ली है..."
"और अब तुझे लग रहा होगा कि हमें ये सब कैसे पता चला?"
उसने मेरे झुके हुए सिर को बालों से पकड़कर ऊपर खींचा।
"हमने तेरे डार्क वेब कनेक्शन की वो लाइन ट्रेस की है—
जिससे तू उस खरीदार से बात करता था।"
"सब इंटरनेट से... सब कुछ..."
"हैक कर लिया हमने..."
मेरी सांसें तेज़ हो चुकी थीं... पर उसने मुझे चुप नहीं छोड़ा।
"हमें पिक-अप का समय भी पता है, और स्थान भी।"
"सब कुछ..."
मैंने कांपती आवाज़ में कहा—
"तुम लोग आग से खेल रही हो..."
"तुम्हें अंदाज़ा नहीं है, वो खरीदार कौन है..."
"वो... वो एक आदमी नहीं है।
वो एक अंधेरे का सौदागर है..."
"अगर उसे उसकी डिलीवरी नहीं मिली..."
"तो तुम सब..."
मैंने थूक निगला,
"...जिंदा नहीं बचोगी।"
"बेशक, अमित..."
रोशनी की आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे सब कुछ उसके प्लान के मुताबिक चल रहा हो।
"तू चिंता मत कर। खरीदार को उसकी डिलीवरी... ज़रूर मिलेगी।"
उसने एक पल के लिए रुककर गहरी सांस ली और फिर घुमकर लड़कियों की ओर देखा,
"लड़कियों, अब वक्त कम है और काम बहुत... हम एक पल भी नहीं गंवा सकते।"
वो धीरे-धीरे बाथरूम की ओर बढ़ी, उसकी आवाज़ में अब आदेश था—
"जल्दी करो, सब कुछ परफेक्ट होना चाहिए... टाइम, प्लेस... और परफेक्शन—सब!"
मेरा दिमाग एकदम दौड़ने लगा... जब उसने मेरे मुंह में फिर से पेनिस गैग डाल दिया।
मैंने बाथरूम में पानी के बहने की आवाज सुनी...
थोड़ी ही देर में, तीनों मुझे घसीटते हुए बाथरूम में ले गए... और टब में फेंक दिया।
रोशनी ने मेरे चारों तरफ कोई क्रीम छिड़कनी शुरू कर दी...
उस क्रीम से एक अजीब सी, तीखी बदबू आ रही थी...
वो कोई केमिकल जैसा था, जिसकी वजह से मेरी स्किन पर हल्की-हल्की जलन और खुजली होने लगी...
"यह एक ख़ास डिपिलेटिंग प्रोडक्ट है..."
"हेयर रिमूवल की दुनिया का... समझ लो, अमिताभ बच्चन!"
"यह जिस भी बाल के संपर्क में आता है... उसे ऐसे गायब कर देता है, जैसे वो कभी थे ही नहीं..."
"और फिर... आमतौर पर कम से कम छह महीने तक, नए बाल आने का नाम भी नहीं लेते।"
(थोड़ा रुक कर...)
"अनीता, ऐसे ही खड़ी मत रहो..."
"ये क्रीम तुम अपने नाज़ुक हाथों से, अमित के चेहरे और बालों पर लगाओ..."
"अमित को बुरा थोड़ी लगेगा..."
"बल्कि अमित को तो बहुत ख़ुशी होगी, अगर ये शुभ काम... तुम अपने ख़ूबसूरत हाथों से करोगी..."
"है न, अमित?"
थोड़ी ही देर में... मेरे पूरे शरीर में एक अजीब सी सनसनी फैलने लगी...
ख़ासकर चेहरे और सिर पर... जहाँ अनीता ने वो क्रीम लगाई थी।
रोशनी की बात बिल्कुल सही निकली...
मैंने खुद देखा—मेरे पूरे शरीर के सारे बाल जड़ से निकल चुके थे।
अब, सर से लेकर पाँव तक... एक भी बाल नहीं बचा था।
टब का सारा पानी निकाल दिया गया...
और जब पानी पूरी तरह निकल गया...
तो मैं खुद को किसी डिपार्टमेंट स्टोर के शो-पीस मॉडल जैसा महसूस कर रहा था...
बिलकुल स्थिर... जैसे कोई मरी हुई मछली... टब के अंदर पड़ा हुआ।
उसी हाल में... अंकिता ने मेरे पूरे शरीर पर लोशन रगड़ना शुरू कर दिया।
"आगे क्या?" — ये सवाल ज़हन में उठा ही था...
और जवाब भी फौरन मिल गया...
तीनों ने मिलकर नेल पॉलिश और नकली नाखून निकाल लिए थे।
और तभी मुझे पहली बार, पूरी सच्चाई समझ आई...
डिलीवरी वाकई होने वाली थी...
और डिलीवर मैं ही किया जाने वाला था।
एक एशियाई के तौर पर...
अब मुझे, एक एशियाई लड़की की शक्ल और रूप में "भेजा" जाने वाला था।
मैंने पूरी ताक़त से एक आख़िरी रिक्वेस्ट करने की कोशिश की...
के शायद... मुझे छोड़ दिया जाए।
लेकिन सब बेकार था...
क्योंकि मेरे मुंह में अभी भी वो गैग ठुंसा हुआ था...
और मेरी कोई भी आवाज़... बाहर नहीं आ पा रही थी।
Part 8
रोशनी (गुस्से से भरी आवाज़ में):
"क्या तुझे ज़रा भी अंदाज़ा है...
कि तेरी वजह से हमें किस-किस हाल से गुजरना पड़ा?"
(वो एक पल रुकी, फिर तेज़ी से बोली...)
"अंकिता, तुम इसके पैर पकड़ो — हिलने न पाए!"
"और अनीता... सुनो, जब इसके पैरों के नाखून पेंट करो, तो पहले ब्लैक नेल पेंट से कोटिंग करना मत भूलना..."
"उसके बाद ही कैंडी एप्पल रेड का लेयर लगाना!"
(उसने एक पल के लिए अपनी उंगलियां देखीं...)
"अपने नेल्स देखो ज़रा...
कैसे इस कुत्ते ने, एकदम प्रोफेशनल की तरह उन्हें पेंट किया था... जैसे सालों की ट्रेनिंग हो!"
(फिर अचानक उसकी आवाज़ भारी हो गई... दर्द और गुस्से से भीगी हुई...)
"मैंने कभी नहीं सोचा था...
कि मैं फिर से दिन की रौशनी देख भी पाऊंगी या नहीं..."
"मैंने तो मान लिया था... कि कलकत्ता के किसी गंदे वेश्यालय में... सड़कर मर जाऊंगी..."
"कमबख्त... तुझे अंदाज़ा भी नहीं है... कि किस नर्क से हम गुज़रे हैं!"
(अब उसकी आँखों में आग थी...)
"और इसलिए... मैंने कसम खाई थी..."
"कि अगर मैं कभी उस नर्क से बाहर निकली..."
"तो मैं लौटकर आऊंगी..."
"तुझे ढूंढूंगी..."
"और तुझसे... तुझसे हर हाल में... बदला लेकर रहूंगी!"
रोशनी (धीरे, लेकिन आग से भरी आवाज़ में):
"तेरी बरबादी की कसम ही...
वो इकलौता सहारा थी जिसने मुझे उस नर्क में ज़िंदा रखा।"
"उसी कसम ने मुझे उन तमाम बुरे हालातों को सहने का मकसद दिया...
हर बार... जब किसी शराबी, नशेड़ी, बदबूदार, और घमंडी मर्द के साथ
बिना चाहत... जबरदस्ती हमबिस्तर होना पड़ता था..."
(उसका गला कांपता है लेकिन आवाज़ सख्त बनी रहती है)
"बस... तेरी बरबादी की कसम ही थी...
जिसने मुझे अपनी जान लेने से हर बार रोका।"
(फिर एक कुटिल मुस्कान के साथ...)
"वैसे सुन ले, कुत्ते...
ये जो नकली नाखून और नेल पॉलिश हम लगा रहे हैं न — ये भी ख़ास हैं।"
"नेल पॉलिश ऐसा है, जिसे रिमूव करना नामुमकिन है..."
"तो अगले कई महीनों तक... तेरे हाथ और पैर के नाखून ऐसे ही चमकते रहेंगे।"
"और नकली नाखूनों को चिपकाने के लिए जो जेल हमने इस्तेमाल किया है...
वो कोई मामूली ग्लू नहीं..."
"वो एक स्पेशल सर्जिकल जेल है..."
"जिसे हटाने के लिए सिर्फ एक ख़ास केमिकल चाहिए..."
"जो सिर्फ हमारे पास है।"
(एक तिरछी नज़र डालते हुए)
"और हाँ...
तेरे नाखून... अब बहुत सुंदर लग रहे हैं।"
"इन्हें निकालना नामुमकिन है।"
जब उन दोनों चुड़ैलों ने... मेरे नाखूनों को पूरी तरह रंग-रोगन करके खत्म किया...
तो मैं सचमुच... किसी डिपार्टमेंट स्टोर के मैनिक्विन जैसा लगने लगा था —
निर्जीव... सजावटी... और पूरी तरह से किसी और की मर्ज़ी के हिसाब से गढ़ा हुआ।
(थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद...)
अंकिता फिर से अपने बैग में कुछ खोजने लगी...
और इस बार उसने एक छोटी सी थैली निकाली —
जिसमें कई सर्जिकल उपकरण और सिरिंज रखे थे।
उसने एक सिरिंज भरी...
और बिना कुछ कहे...
मेरे लिंग के टॉप पर सीधा एक इंजेक्शन दे मारा।
(मैंने चीखना चाहा... मगर मुंह में गैग था)
फिर... उसने एक और सिरिंज निकाली...
और इस बार मेरी गोलियों में घुसा दी।
(आवाज़ रुक गई... पर आँखें चीख रहीं थीं)
इस दर्द को शब्दों में बयां करना नामुमकिन है...
क्योंकि... वहां पहले ही एक हल्का सा कट लग चुका था,
जिसकी जलन अब तक कम नहीं हुई थी...
और अब ये दो-दो इंजेक्शन...
ऐसा लगा... जैसे किसी ने मेरे जिस्म में जलता हुआ कोयला रख दिया हो।
मैं तड़प उठा...
हर नस, हर रग... दर्द से कांप रही थी...
मैं उठकर भाग जाना चाहता था...
लेकिन मेरा शरीर... मेरे काबू में ही नहीं था।
(एक डर भरी ख़ामोशी के बीच...)
अब मैं... उस इंजेक्शन और उसमें पड़ी किसी मेडिकल जेल के
"स्पष्टीकरण" का इंतज़ार कर रहा था...
डर के मारे मेरा दिल धड़क नहीं रहा था — वो तो जैसे… काँप रहा था।
Part 9
(रोशनी की आवाज़ धीमी, मगर हर शब्द में ज़हर...)
"मुझे लगता है... तू अभी भी उन शॉट्स के बारे में सोच रहा है, है ना?"
(एक पल रुककर, मेरी आँखों में झाँकते हुए...)
"तो सुन...
पहला शॉट... तेरे लिंग से तेरे कंट्रोल को खत्म कर देगा।"
"अब से... जब तक तुझे एंटीडोट नहीं दिया जाता,
तू खुद पर हावी नहीं रह पाएगा..."
"दूसरा शॉट... तेरे दोनों अंगूरों को सिकोड़ देगा —
धीरे-धीरे... हमेशा के लिए..."
(अब वो तीसरा इंजेक्शन भरती है...)
"और अब जो मैं... तेरे गले में ये शॉट लगाने जा रही हूँ..."
"इसके बाद... तेरी आवाज़ कभी वैसी नहीं रहेगी।"
"हमेशा के लिए... बदल जाएगी।"
"और तब...
तू एकदम नेचुरली... किसी लड़की की तरह बोलेगा।"
(एक कुटिल मुस्कान के साथ...)
"और हाँ...
इन तीनों इंजेक्शनों का एंटीडोट... सिर्फ और सिर्फ मेरे पास है..."
"और वो तुझे... कभी मिलने वाला नहीं है।"
(धीरे-धीरे, रोशनी ने मेरे मुंह से गैग को बाहर निकाल दिया...)
मैंने सांस ली — भारी, टूटी हुई, जैसे अंदर कुछ टूट चुका हो।
फिर... वो नीचे झुकी।
सीधे मेरे ढीले पड़े लिंग तक पहुँच गई...
उसे धीरे-धीरे थपथपाने लगी — जैसे कुछ जाँच रही हो।
(उसकी आवाज़ में एक ठंडी सी तसल्ली थी...)
"एंटीडोट के बिना... कुछ नहीं होगा..."
और वाकई... कुछ नहीं हुआ।
मेरा लिंग... एक इंच भी नहीं हिला।
(तभी अंकिता आगे आई...)
उसने फिर से अपने जादू के थैले में हाथ डाला...
और इस बार... एक टुकड़ा निकाला — लेटेक्स का।
वो टुकड़ा...
बीच में एक साफ़ कट के साथ...
मानव त्वचा जैसा दिखता था — और... बालों वाला भी।
(एक सेकंड के लिए सन्नाटा छा गया...)
वो पैच... बिल्कुल असली लग रहा था।
मानो...
किसी का शरीर...
किसी और के जिस्म पर फिट होने वाला हो।
अंकिता (सपाट, मगर निर्णायक आवाज़ में):
"ये जो तुम देख रहे हो...
ये एक नकली वेजाइना है।"
"बस... थोड़ी सी और सर्जिकल जेल के साथ,
ये इतनी परफेक्टली फिट हो जाएगी...
कि कोई भी, असली और नकली में फर्क नहीं कर पाएगा।"
(एक क्षण रुककर, धीमी मगर स्पष्ट टोन में...)
"तेरे लिंग की नोक... अब वहीं होगी, जहाँ चीरा लगाया गया है।"
"इसलिए... तू पेशाब तो कर सकेगा..."
(फिर एक छोटी-सी ठंडी मुस्कान...)
"लेकिन... अब हमेशा बैठकर।"
उन्होंने…
बिना किसी हिचकिचाहट के…
मेरे लिंग को उस नकली वेजाइना के अंदर समेट दिया।
फिर, अंकिता आगे बढ़ी —
लेटेक्स पैच को बड़ी सफाई से… उस जगह पर चिपकाने लगी।
(रोशनी ने ठंडे स्वर में कहा…)
"अंकिता… इस काम में एक्सपर्ट है।"
(फिर मेरी ओर देखते हुए...)
"ये वेजाइना असली है या नकली —
ये कोई माइनर सर्जरी के बिना जान ही नहीं सकता।"
"और तू भी नहीं चाहेगा…
कि कोई तुझे पहचान ले…
कि तेरे पास असली वेजाइना नहीं है, है ना?"
(मैं बस… चुपचाप, बेबस… देखता रहा।)
अंकिता ने एक और सिरिंज निकाली।
मेरे सीने पर — दोनों स्तनों के पास —
उसने पहले स्प्रिट रगड़ी…
फिर…
एक-एक कर के दोनों साइड में इंजेक्शन ठोक दिए —
सीधे उन छोटे-छोटे बबल्स में…
जिन्हें अब तक मैं सिर्फ 'सीने' कहता था।
(मेरे मन में बिजली सी कौंध गई…)
इस बार कोई स्पष्टीकरण नहीं चाहिए था।
कोई रॉकेट साइंटिस्ट भी नहीं होता…
तो भी समझ जाता —
इस इंजेक्शन का मतलब क्या है।
(मैंने मन में सवाल किया…)
"पता नहीं... इस इंजेक्शन से मेरे 'अंगूर'
अब कितने बड़े होने वाले हैं?"
अंकिता: "ज्यादा बड़े नहीं होंगे... बस अनीता से थोड़े से बड़े। तुम्हारे बबल्स, लगभग 34D तक फूलने चाहिए। उम्मीद है अनीता बुरा नहीं मानेगी, कि तेरे बबल्स उससे थोड़े बड़े हो जाएंगे। मैं नहीं चाहती कि तू खरीदार से किए गए वादे से बहुत अलग दिखे। और मुझे यकीन है, तू अब तक ये समझ ही गया होगा कि तेरे नए 'संतरे', बिना इलाज के नहीं सिकुड़ पाएंगे।"
मैं मन ही मन सोच रहा था... अब थोड़ी ही देर में मेरे अपने बबल्स, मेरी गर्लफ्रेंड अनीता से भी बड़े हो जाएंगे।
बबल्स शॉट, अविश्वसनीय रफ्तार से असर कर रहा था।
मेरे बबल्स पहले से ही हल्के-हल्के फूलने लगे थे।
"ठीक है," रोशनी ने कहा, "अब चलो, काम को आगे बढ़ाते हैं।"
उन्होंने अब एक डिवाइस निकाला, जो किसी एयर पियर्सिंग गन की तरह लग रहा था।
रोशनी ने बिना कोई हिचकिचाहट के, मेरे दोनों कानों में दो-दो छेद कर दिए।
मैंने दर्द से चीखने की कोशिश की... पर वो भी नाकाम रही।
कोई फायदा नहीं हुआ।
अंकिता ने मेरे कानों में स्टड पहनाए। फिर मेरी नाक के दोनों तरफ नोज पिन डाले, और नाक के बीच — सेप्टम में छेद करके — वहाँ भी स्टड लगा दिए।
इसके बाद, अंकिता ने एक थैला खोला और उसमें से एक डिब्बा निकाला।
जब उसने उसे खोला, तो उसमें से काले बालों का एक खूबसूरत विग निकला — अनीता के बालों जैसा ही — मुलायम, लंबे और शाइनी।
अंकिता ने मेरे गंजे सिर पर जेल की एक अच्छी मात्रा लगाई, और फिर विग को सावधानी से, हर कोने से दबा-दबा कर फिट कर दिया।
फिर उसने नीचे देखा... और पाया कि मेरे बबल्स वाकई में फूल रहे थे।
उन्हें परखने के लिए, उसने अपने हाथों से उन्हें धीरे से पकड़ा।
"वाह..." वो चौंकी, "ये तो इंप्लांट से भी बेहतर लग रहे हैं!"
पार्ट 10
उसी वक्त, रोशनी ने एक अजीब-सी मेकअप किट निकाली।
"याद रहे, कोई शोर नहीं," अंकिता ने अपनी गन को हवा में लहराते हुए चेतावनी दी, और मेरे मुंह से गैग निकाल दिया।
"तुम लड़कियाँ मुझे मार ही क्यों नहीं देती?" मैंने थरथराती आवाज़ में पूछा।
"चलो, अमित..."
अंकिता ने ठंडी, नपी-तुली आवाज़ में कहा,
"मृत्यु बहुत आसान सज़ा होगी तेरे पापों के लिए।
हम चाहते हैं कि तू महसूस करे — सेक्स स्लेव होना कैसा लगता है।
शायद इससे तुझे समझ आए कि अपना काम सही तरीके से कैसे किया जाता है।"
उसने हल्की हँसी के साथ जोड़ा,
"खैर... अगर कभी तुझे दोबारा अपना काम करने का मौका मिला — जो मुझे तो नहीं लगता कि मिलेगा। लेकिन अगर तू बच गया, तो तेरे पास एक शानदार भविष्य होगा... एक टॉपलेस डांसर के रूप में।"
वो ये सब कहते हुए मेरे अब पूरी तरह से बने बबल्स को बड़े प्यार से सहला रही थी।
"ठीक है," उसने कहा,
"अब मेकअप शुरू करते हैं।"
मैं उसकी बात सुनकर काँप उठा...
मेरी साँसें भारी हो रही थीं।
दिमाग में एक ही सवाल गूंज रहा था — इन्हें ये सब सामान मिला कहाँ से? और कैसे?
अंकिता ने बिना कुछ बोले, लिपस्टिक निकाली और बड़े इत्मीनान से उसे मेरे होंठों पर लगाने लगी...
"ये ब्यूटी प्रोडक्ट्स... स्थायी मेकअप जैसे ही हैं,"
अंकिता ने हल्की-सी गंदी मुस्कान के साथ कहा,
"कहते हैं ये त्वचा के अंदर तक चले जाते हैं। और हाँ, तू बिलकुल सही सोच रहा है — बिना सही क्रीम के ये कभी नहीं छूटने वाले।"
"तेरा फेवरेट रंग कैंडी-सेब रेड है, है ना?"
रोशनी ने चुटकी ली।
सब एक साथ खिलखिला कर हँस पड़े।
रोशनी ने मेकअप की शुरुआत भारी मात्रा में ब्लश से की।
और तभी, मुझे एक बात याद आई... जो दिल दहला देने वाली थी।
"मैं तो चेहरे से अनीता जैसा बिल्कुल भी नहीं दिखता!"
"मैंने खरीदार को अनीता की फोटो भेजी थी... वो जब मेरा चेहरा देखेगा, तो फौरन समझ जाएगा कि मैं वो नहीं हूं जिसका पार्सल होना था!"
मैं चिल्ला उठा — लेकिन मेरी अपनी आवाज़ सुनकर मैं दंग रह गया।
वो आवाज़ किसी भी एंगल से मेरी नहीं थी।
नरम, पतली, एकदम किसी लड़की जैसी।
इस बीच, रोशनी ने मेरी आँखों पर नीला स्थायी आईशैडो लगा दिया था, मस्कारा भी पूरा हो चुका था, और उसने मेरी भौंहें खींच कर एकदम नाजुक बना दी थीं।
अब उसके हाथ में चमड़े का एक हुड था।
"इसे पहनना होगा," उसने कहा,
"इससे तेरा चेहरा किसी को नहीं दिखेगा। और वैसे भी, हमने जो तस्वीरें खरीदार को भेजी थीं... वो अब एडिट हो चुकी हैं। तेरी फोटो को मेल से फीमेल में बदल कर आगे भेज दिया गया है।"
उसने... कुछ तस्वीरें निकालीं।
और तभी... रोशनी ने धीरे से, एक छोटा-सा शीशा मेरे चेहरे के सामने रख दिया।
मैं... हक्का-बक्का रह गया।
वो जो प्रतिबिंब था... वो मैं था?
क्या सच में... वो मेरा ही चेहरा था?
उन्होंने मेकअप के साथ ऐसा जादू कर दिया था,
कि मुझे यकीन हो गया —
अब... मेरी अपनी माँ भी मुझे पहचान नहीं पाएंगी।
मैंने काँपते हाथों से उसकी खींची तस्वीरें उठाईं...
और देखा...
वो हेडशॉट्स... उस दर्पण के प्रतिबिंब से बिल्कुल मेल खाते थे।
जैसे उन्होंने मेरे चेहरे की कुछ तस्वीरें लीं हों...
और फिर... उन्हें किसी चमत्कार से डिजिटल रूप से कुछ और बना दिया हो...
कुछ ऐसा... जो सुंदर था।
नहीं... सिर्फ सुंदर नहीं —
कुछ और ही था वो।
यहाँ तक कि मेरी आँखें...
अब वो भी बदल दी थीं —
हरे रंग की... चमकती हुई... अजनबी सी!
और अब,
अब मुझे उनके इन अनोखे प्रयासों का सामना करना होगा।
मुझे... खुद से नज़रें मिलानी होंगी।
और हाँ —
अपनी इस अजीब, मगर खूबसूरत दुर्दशा को...
कुबूल करना ही होगा।
PART 11
चूँकि खरीदार तुझसे कभी नहीं मिला है... और न ही उसे ये पता है कि तू असल में कैसा दिखता है,"
उसने धीमे मगर ठहरते हुए लहजे में कहा,
"तो हमें लगता है... कि वो कुछ भी संदेह नहीं करेगा।"
वो थोड़ी देर रुकी... मेरी तरफ देखा... और फिर कहा,
"और भले ही... अगर आखिर में उसे ये पता भी चल जाए, कि तू वो नहीं है जो होना चाहिए था —
तब भी... वो तेरे जैसे ‘ग़लत पार्सल’ हुए महिला-पुरुष से... उतना ही पैसा कमा सकता है!"
मेरे भीतर कुछ टूट गया।
मैं... सच में फँस गया था।
ना रास्ता आगे था... ना पीछे।
अब जब मेरा शरीर पूरी तरह से बदल चुका था...
तो अगला कदम था — कपड़े पहनना।
अनीता ने अपनी पुरानी, मगर संभाल कर रखी हुई कुछ ड्रेसेज़ निकाली थीं...
और उनमें से एक... अब मेरी बारी थी पहनने की।
सबसे पहले...
जब रोशनी ने मुझे धीरे से सीधा बिठाया...
तो अंकिता पास आई — और उसने मुझे एक काली ब्रा पहनाई।
हाँ, वही ब्रा... जो मैंने खास तौर पर अनीता के लिए खरीदी थी।
क्योंकि उसमें...
पट्टियों पर दो लॉकिंग क्लैप्स थे —
कुछ ऐसा, जो कभी एक प्यार की निशानी था...
अब वही चीज़... मेरी नई पहचान का हिस्सा बन चुकी थी।
उन्होंने मेरे नए बने ‘बबल्स’ को ब्रा में बड़े ही सावधानी से रखा...
और फिर, पीठ के पीछे झुककर, उसकी हुक्स को बंद कर दिया।
सब कुछ बेहद व्यवस्थित, योजनाबद्ध... और मेरे बस से बाहर लग रहा था।
इसके बाद अनीता ने अपनी पुरानी, ब्लैक जी-स्ट्रिंग पैंटी निकाली।
मैं बस देख रहा था — बिना कुछ समझे, बिना कुछ कहे।
लेकिन तभी...
मेरी नजर पड़ी —
जब अंकिता ने थैले से कुछ निकाला —
एक बड़ा सा बट प्लग।
मेरा दिल धड़कने लगा... तेज़... और ज़ोर से।
मैं कुछ बोल पाता, उससे पहले ही —
उसने मेरे मुँह में पेनिस गैग डाल दिया।
सबकुछ जैसे एक ठहरी हुई स्क्रिप्ट हो... जिसमें मेरा कोई संवाद नहीं था।
वो प्लग को साफ कर रही थी... और फिर, बिना किसी और भूमिका के —
वो... मुझे भीतर महसूस हुआ।
गहरा... अजीब... और बिल्कुल असहज।
शायद... यही मेरा भाग्य था।
मेरे लिंग में दर्द अब भी बना हुआ था...
और अब पीछे —
एक वाइब्रेट करता हुआ डिल्डो भी था,
जो मेरे पूरे शरीर में एक झनझनाहट भेज रहा था।
दर्द और कल्पना...
दोनों मिलकर एक अजीब, परिभाषा से बाहर अनुभूति दे रहे थे।
अब जब डिल्डो पूरी तरह फिट हो गया,
तो पैंटी के स्ट्रैप्स को एक बार फिर से ठीक से सेट किया गया।
और फिर... जैसे यह सब बस एक तैयारी हो —
रोशनी ने अपना डिजिटल वीडियो कैमरा निकाला...
उसे ऑन किया...
और अनीता की ओर बढ़ा दिया।
अब... समय था वीडियोग्राफी का।
"अंकिता, इसे एनेस्थेटिक दे दो..."
रोशनी की आवाज़ में कोई दया नहीं थी,
बस एक सख्त, ठंडी हुक्म... जो कमरे की हवा को और भारी कर गई।
"मैं चाहती हूँ कि... बाकी के कपड़े ये खुद पहने।
और हाँ...
मुझे इसकी एक अच्छी 'फैमिली फ़िल्म' चाहिए..."
इतना कहकर उसने कैमरे की तरफ इशारा किया।
अनीता ने बिना कुछ कहे रिकॉर्डिंग शुरू कर दी।
और उसी पल, अंकिता ने अपना बैग खोला —
और एक सिरिंज निकाली।
मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले ही —
उसने मेरी बाँह में सुई चुभो दी।
कुछ ही मिनटों बाद...
भले ही मैं अब भी काँप रहा था...
लेकिन —
मैं दो घंटे में पहली बार अपने पैरों पर खड़ा हो सका।
मेरा बदला हुआ शरीर —
हर नस, हर अंग, हर 'बबल' —
दर्द से कराह रहा था।
और तभी...
"जल्दी करो, अमित!"
रोशनी चीखी — एक आदेश, एक धमकी के जैसे।
"हमारे पास डिलीवरी के लिए सिर्फ एक घंटा है!"
उसकी आँखों में बेसब्री थी... और चेहरा — पत्थर सा।
"और ये मत भूल... कि बॉस कौन है।"
फिर...
उसने अपने हाथ में बंदूक उठाई —
और उसे सीधा मेरे चेहरे की तरफ तान दिया।
मैंने... कमरे की दीवार पर लगे उस बड़े, चमचमाते शीशे में —
खुद की एक झलक देखी।
एक पल के लिए... मेरी सांसें थम गईं।
क्या ये... मैं हूँ?
हॉट बॉडी, टोंड फीचर्स, ग्लॉसी होंठ और उन आँखों में वो अजीब-सी चमक...
मुझे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि उन लड़कियों ने मुझे कितना सुंदर बना दिया था।
पर उसी पल...
मेरे भीतर कहीं एक चीख उठी —
"यह सच नहीं है!"
मैं पूरी ताक़त से... भागने का तरीका खोज रहा था।
लेकिन ये कोई आसान काम नहीं था —
क्योंकि तीन लोग थे वहां... और उनमें से दो के पास हथियार थे।
पर तभी —
एक झटका सा लगा यादों का...
मेरी आपातकालीन योजना।
एक ऐसी प्लानिंग, जो मैंने सिर्फ एक ‘क्या पता’ के लिए कभी शुरू की थी।
आपदा की स्थिति में...
मैंने अपने बैग में एक छोटी पिस्तौल रखना शुरू किया था।
अगर...
अगर मैं बिस्तर के दूसरी ओर रखे अपने उस थैले तक पहुँच पाऊँ —
तो शायद... मुझे एक मौका मिल जाए।
और तभी...
रोशनी मेरी ओर बढ़ती हुई दिखाई दी —
उसके हाथ में... दो चाबियाँ।
चाबियाँ जो मुझे बहुत... बहुत अच्छी तरह याद थीं।
वो मेरे सामने झुकी —
उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी।
"याद हैं ये?"
उसने पूछा —
जब वो मेरे नाखून-पॉलिश किए हुए पैरों के नीचे
हर एक चाबी को टेप कर रही थी।
अंकिता ने अगला कपड़ा मेरी तरफ फेंका —
पैंटीहोज़।
मैं बिस्तर के किनारे... जितना हो सके, अपने थैले के पास जाकर बैठ गया —
और उन्हें पहनने लगा।
ताज्जुब की बात ये थी...
कि मैंने पहले खुद कई लड़कियों को यही सब पहनाया था।
अब वही सब, मेरे साथ हो रहा था।
पर जो सबसे अजीब था —
वो ये कि जब मैंने पैंटीहोज़ पहना,
मेरे पैर उसमें सचमुच... खूबसूरत लग रहे थे।
और हैरानी की बात ये कि...
मुझे कुछ भी अनकंफर्टेबल नहीं लग रहा था।
Part 12
फिर...
रोशनी ने अगला ‘चरण’ शुरू किया —
उसने मुझे एक बॉडीसूट/ड्रेस फेंक कर दिया।
मैंने नाटक किया...
जैसे मैं उसे पकड़ने से चूक गया हूँ।
वो बॉडीसूट सीधे जा गिरा —
मेरे बैग के ठीक ऊपर।
मेरा दिल तेज़ धड़कने लगा...
यही था मेरा मौका।
मैं नीचे झुका —
बॉडीसूट उठाने के बहाने —
और साथ ही...
धीरे-धीरे अपने बैग की साइड जेब तक हाथ ले गया।
अंदर तक महसूस हो रही थी वो उम्मीद की आख़िरी चिंगारी...
हाथ जेब में गया...
पर...
कुछ भी नहीं था।
और तभी...
पीछे से एक ठंडी, जानी-पहचानी आवाज़ आई —
"ये ढूंढ रहा था?"
मैंने पलट कर देखा...
रोशनी...
मेरी वही छोटी पिस्तौल... हाथ में लिए खड़ी थी।
मेरे भीतर कुछ टूट गया।
सारी प्लानिंग... सारी तैयारी...
एक झटके में खत्म।
मेरा ट्रम्प कार्ड —
अब उसके हाथ में था।
और फिर उसने कहा —
"रुको मत, अमित।"
मुझे पता था... अब कोई रास्ता नहीं है।
हर दरवाज़ा बंद हो चुका था...
हर उम्मीद, अब बस एक याद बन गई थी।
मैंने धीरे से कदम बढ़ाया —
और उस ड्रेस के बॉडीसूट वाले हिस्से में अपने पाँव रखे।
हर हरकत... अब जैसे स्क्रिप्टेड थी,
जैसे मैं अपना ही रोल निभा रहा था —
जिसे किसी और ने लिखा था।
मैंने उसे खींचा —
अपनी छाती तक, कंधों तक...
और तभी, पीछे से...
रोशनी ने आकर
बड़े इत्मीनान और अजीब से संतोष के साथ
उसे और ऊपर खींचा...
जैसे वो कोई कलाकार हो
और मैं... उसकी कलाकृति।
उसने ज़िप लॉक किया —
और फिर...
पद लॉक भी बंद कर दिया।
अब मैं... सच में, पूरी तरह से बॉडीसूट के अंदर बंद हो चुका था।
और फिर —
मैंने आईने में खुद को देखा...
अपने नए उभारों के साथ,
उस फिटिंग ड्रेस में —
मैं बिलकुल वैसा ही लग रहा था जैसे... अनीता, कुछ घंटे पहले, गर्दन से नीचे।
ये मैं था...
या मैं अब मैं रहा ही नहीं?
और फिर...
घुटनों तक ऊँची एड़ी वाली हिल्स —
मेरी ओर फेंक दी गईं।
मैंने नीचे देखा...
उनका डिज़ाइन, चमक —
सब कुछ एक परफेक्ट फिनिशिंग टच की तरह लग रहा था।
लेकिन मेरी हालत?
मेरे पैर... शायद अनीता के मुकाबले थोड़े बड़े थे।
इसलिए जब मैंने उन्हें पहनने की कोशिश की,
तो हर उंगली, हर जोड़...
जैसे जूते के अंदर लड़ रहा था।
काफी मशक्कत के बाद...
मैंने जूते पहन लिए।
और फिर —
घुटनों तक की पट्टियाँ बंद कर दीं।
उस पल...
एक ठंडी सच्चाई मेरे भीतर उतर आई।
अब, भागने की उम्मीद लगभग खत्म हो चुकी थी।
यहाँ तक कि अगर किसी चमत्कार से मैं
तीनों अपहरणकर्ताओं को वश में भी कर पाता...
तो भी...
इन हाई हील्स के साथ,
मैं कहीं भाग नहीं सकता था।
मेरे कदम लड़खड़ाए।
मैंने पहले कभी...
ऐसी ऊँची एड़ियाँ नहीं पहनी थीं।
और जब मैंने खड़े होने की कोशिश की...
तो मेरा पूरा शरीर डगमगाया।
जैसे ही वजन नीचे गया —
मेरे पैरों के तलवों में... एक तीखा दर्द उठा।
वो दो चाबियाँ,
जो टेप की गई थीं मेरे पैरों के नीचे —
अब हर कदम के साथ
मेरी हड्डियों में चुभ रहीं थीं।
अब बारी थी... उस चमड़े के हुड की।
"निश्चित रूप से अब इसका समय आ गया है,"
रोशनी ने कहा — और बिना किसी झिझक के,
उसने वो हुड मेरे सिर पर चढ़ा दिया।
एक पल में...
मेरा चेहरा, मेरी पहचान, मेरी सांसें...
सब कुछ दबने लगा।
वो उसे कसती गई —
और कसती गई —
जब तक कि ऐसा न लगा कि मेरी आँखें...
...बाहर निकल जाएँगी।
और फिर —
उसने एक आखिरी बार
वो पेनिस गैग मेरे मुंह में डाला।
एक झटका सा लगा —
और फिर, उसके ऊपर से एक चमड़े की पट्टी बाँधी गई।
एक ताले के साथ।
अब मेरी आवाज...
मेरी चीख...
सब बंद।
फिर उसने मेरी ड्रेस की जिपर को,
मेरे चेहरे के हुड के लॉक से
एक और पैडलॉक के साथ जोड़ दिया।
अब मैं... एक बंद पैकेज था।
Part 13
अनीता ने आईना लाकर
मेरे सामने रख दिया।
और जो मैंने देखा —
उसने मुझे अंदर तक झकझोर दिया।
मेरा सिर...
पूरी तरह चमड़े से ढका हुआ था,
और पीछे से निकलते काले बाल —
एकदम असली लग रहे थे।
मैं अब...
अंकिता की भेजी फोटो जैसा बन चुका था।
सिर्फ...
एक छोटी सी बात रह गई थी।
बाकी सब कुछ —
इन लड़कियों ने परफेक्ट कर दिया था।
बस एक चीज़...
मेरी आँखें...
फोटो में हरी थीं —
और मेरी... अब भी भूरी।
"और अब... अंतिम टच अप के लिए,"
रोशनी की आवाज़…
जैसे कोई चाकू हो —
धीरे से आत्मा पर खिंचती हुई।
उसके हाथ में एक छोटा कॉन्टैक्ट लेंस केस था।
और फिर...
बिना किसी चेतावनी के —
उसने मुझे हेडलॉक में ले लिया।
मैं कुछ कर भी नहीं पाया।
अनीता और अंकिता ने
मेरी आँखों को अपने उंगलियों से खोल दिया —
इतना मजबूती से कि
मैं उन्हें बंद भी नहीं कर सका।
रोशनी ने
मेरी पहली आँख में
एक ठंडी बूंद टपकाई।
उसने उसमें
लेंस सेट कर दिया।
मैं तड़प रहा था...
लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था।
फिर वही प्रक्रिया
दूसरी आँख पर भी दोहराई गई।
और तब...
जलन शुरू हुई।
जैसे किसी ने
मेरी आँखों के भीतर
तेज़ाब सा भर दिया हो।
मेरी आँखों से...
आँसू निकल रहे थे — बेकाबू होकर।
लेकिन अब...
वो सिर्फ आंसू नहीं थे।
वो थे —
आख़िरी बचे हुए संकेत
कि मैं अब भी कहीं अंदर ज़िंदा था।
जब... उनका काम पूरा हो गया,
तो एक अजीब सी ख़ामोशी छा गई।
मैंने अपनी पलकों को झपकाया —
लेकिन कुछ नहीं दिखा।
कुछ भी नहीं।
और तभी...
सच सामने आया।
"ये... विशेष अपारदर्शी कॉन्टैक्ट लेंस हैं,"
रोशनी ने नहीं,
अंकिता ने कहा —
उसके लहजे में... कोई भाव नहीं था,
बस एक ठंडी सच्चाई।
"तू देख नहीं सकता...
लेकिन बाहर से देखने वाले को
तेरी आँखें एकदम...
सामान्य लगेंगी।"
"और ये..."
उसने लेंस की तरफ इशारा किया,
"...सिर्फ एक खास आई ड्रॉप से ही निकलते हैं।"
मेरे भीतर कुछ
धँस गया।
अंधकार... अब सिर्फ आंखों में नहीं,
मेरे वजूद में उतर गया था।
"मुझे उम्मीद है, अमित..."
अंकिता ने धीरे से कहा —
"...कि तू उन सब परेशानियों की कद्र करेगा,
जिनसे हम तेरी वजह से गुज़रे हैं।"
उसके शब्दों में
कोई गुस्सा नहीं था,
कोई दया भी नहीं —
बस एक निर्णायक विराम था।
अब…
मैं पूरी तरह से ब्लैकआउट हो चुका था।
कुछ भी नहीं दिख रहा था।
सिर्फ... स्याह अंधेरा।
लेकिन तभी —
मेरे शरीर ने बताया कि कुछ हो रहा है।
मैंने महसूस किया —
मेरा जिस्म धीरे-धीरे बिस्तर पर सपाट किया जा रहा है।
और मेरी बाहें...
सिर के ऊपर उठा दी गईं।
किसी ने...
मेरी कलाई को
बिस्तर के खंभों से कसकर बाँध दिया।
इतना कसकर...
कि अब हिलाना भी मुमकिन नहीं था।
और फिर...
मेरे पैर।
घुटनों के ऊपर... और टखनों पर बंधे।
रस्सियाँ... बिस्तर के पैरों से खिंची हुई थीं।
मैंने...
पैंटीहोज से ढके अपने पैरों को
लात मारकर छुड़ाने की कोशिश की...
लेकिन बेकार।
हर हरकत...
जैसे दीवार से टकराती जाती थी।
और तभी एहसास हुआ —
अगर मुझे इन रस्सियों से छूटना है...
तो सबसे पहले
इन जूतों से बाहर निकलना होगा।
लेकिन वो भी...
असंभव था।
क्योंकि घुटनों की पट्टियाँ
पहले ही लॉक की जा चुकी थीं।
अब...
मैं सिर्फ एक शरीर था —
बिल्कुल नियंत्रित।
अब... मेरा बॉन्डेज पूरा हो चुका था।
अगर...
अगर मैं देख सकता —
तो शायद...
मैं खुद को बिस्तर पर
अनीता की छवि की तरह
पड़े हुए देखता।
शायद...
वो आख़िरी आईना होता —
जहाँ मैं खुद को पहचान सकता।
मैंने कुछ कहने की कोशिश की —
कुछ चिल्लाया... कुछ विरोध किया।
लेकिन बाहर आया बस...
"एम्फ्फ... एम्म्म्म... पीएच..."
कुछ अस्पष्ट,
कुछ बेसहारा।
मैं बस...
गूंज बनकर रह गया था।
और फिर...
धीरे-धीरे उन लड़कियों की आवाज़ें
बैकग्राउंड में गूंजने लगीं।
वो हँस रही थीं।
बाथरूम की सफाई कर रही थीं।
जैसे कुछ हुआ ही न हो।
अपना सारा सामान
एक-एक कर के
अपने "जादू के थैले" में भर रही थीं।
मैं बस पड़ा रहा...
एक सीनरी की तरह।
एक आवाज़हीन, बेबस मौजूदगी।
"वाह, सब समय से हो गया..."
मैंने रोशनी की आवाज़ सुनी।
"यह 9:45 है..."
उसके शब्दों में...
एक अजीब सी संतुष्टि थी।
मानो किसी ने एक टास्क पूरा कर लिया हो।
फिर...
एक-एक कर के,
हर एक लड़की ने
मेरे माथे पर एक चुंबन दिया।
"अब तू एक अच्छी लड़की बनना,"
रोशनी ने हँसते हुए कहा।
"हाँ, और हम कोशिश करेंगे कि तेरा सारा पैसा खर्च न हो..."
अंकिता की आवाज़ में
एक क्रूर मज़ाक था।
...और वहीं,
दिल टूट गया।
मेरी मेहनत...
मेरी सालों की कमाई...
जिसके लिए मैंने अनीता का प्यार भी कुर्बान कर दिया था...
अब... वो भी मेरे हाथ से चला गया था।
उन्होंने
मेरा बैंक अकाउंट हैक कर लिया था।
अब कुछ नहीं बचा था।
ना नाम,
ना इज़्ज़त,
ना पैसा...
ना अनीता।
सब...
ख़त्म हो चुका था।
और फिर,
लड़कियाँ उठीं।
उन्होंने अपने सारे सामान
बड़े आराम से समेटा।
और आख़िर में...
जैसे कुछ हुआ ही न हो —
"गुड बाय,"
कहकर
चली गईं।
...और मैं बस वहीं पड़ा रहा।
एक बंद, काली दुनिया में...
जिसका दरवाज़ा
अब कोई खोलने वाला नहीं था।
और फिर...
सबसे अंत में —
वो आई।
अनीता।
मेरे पास।
उसने मेरे लॉक्ड चेहरे पर
धीरे से एक किस किया।
मुझे कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था —
पर मैं महसूस कर पा रहा था।
उसके हाथों की वो मासूमियत...
वो हल्की सी कांप...
जैसे कोई किसी को अलविदा नहीं... माफ़ी छू रहा हो।
वो मेरे गले लग गई —
बस रोने लगी।
वो मुझे छोड़ना नहीं चाहती थी।
वो नहीं चाहती थी कि मेरा आखिरी लम्हा... अकेले कटे।
उसके होंठ
मेरे गालों पर,
मेरे माथे पर,
मेरी बंधी हुई छाती पर,
मेरी आंखों पर —
बस चल रहे थे।
जैसे वो मेरी रूह को
याद कर लेना चाहती हो।
और मैं...
मैं भी रो रहा था।
आँखों से नहीं, दिल से।
मैं उसे देखना चाहता था,
एक आखिरी बार।
मैं माफ़ी माँगना चाहता था,
एक आखिरी बार।
मैं उसे गले लगाना चाहता था,
एक आखिरी बार।
पर...
मेरी आंखें...
कॉन्टैक्ट लेंस से अंधी थीं।
मेरा मुँह...
गैग से बंद था।
मेरे हाथ-पाँव...
रस्सियों से बंधे थे।
...और तभी
दरवाज़ा फिर खुला।
रोशनी और अंकिता वापस आईं।
उन्होंने
अनीता को मुझसे खींचना शुरू किया।
वो चीख रही थी —
"नहीं... नहीं... मैं इसे छोड़कर नहीं जाऊंगी!"
...और तभी —
थप्पड़ की एक तेज़, भारी आवाज़।
मैं देख नहीं सकता था —
लेकिन मैं उस थप्पड़ की गहराई महसूस कर सका।
फिर...
दोनों लड़कियाँ
अनीता को घसीटते हुए कमरे से बाहर ले गईं।
और मैं...
मैं बस वहीं पड़ा रहा।
अँधेरे में।
चुप...
टूटता हुआ...
बिलकुल अकेला।
कमरे का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई...
फिर एक ठंडी, कटती हुई क्लिक — लॉक लगने की।
अब... मैं अकेला था।
इस कमरे में, इस अंधेरे में —
जहाँ एक वक़्त मैंने खुद को सब कुछ समझा था।
अब...
सब कुछ चला गया था।
पैसा,
पावर,
प्यार,
...यहाँ तक कि मेरी मर्दानगी भी।
कुछ नहीं बचा था।
बस एक बेजान, बंधा हुआ जिस्म —
और उसके अंदर
एक टूटता हुआ दिल।
पर फिर...
कहीं से
एक आवाज़ आई —
न बाहर से, न ऊपर से —
मेरे अंदर से।
धीमी, थकी, लेकिन ज़िंदा...
"नहीं...
ये अंत नहीं है।"
मैंने सांस ली।
एक लंबी, डरी हुई, लेकिन ज़िंदा सांस।
और उसी पल —
मैंने ठान लिया...
अब जो बचेगा — वो मैं ही बनाऊंगा।
मेरे पास,
इस काली क़ैद से बाहर निकलने के लिए
बस पंद्रह मिनट थे।
सिर्फ पंद्रह...
और फिर,
मैं वो नहीं रहूंगा — जो मैं था।
मैंने एक आख़िरी उम्मीद की तरह सोचा—
"अगर… सिर्फ एक मिनट…
अगर मैं उसे मना सकूं,
इस गैग को हटाने के लिए…
सिर्फ एक बार..."
शायद…
शायद मैं अपनी सच्चाई बता सकता।
मैंने संघर्ष किया।
बिना देखे,
बिना बोले…
बस अपनी नसों की ताक़त से।
जब तक मेरी साँसे भारी नहीं हो गईं…
जब तक बदन जवाब नहीं देने लगा…
पर फिर —
एक खामोश एहसास उठा…
"इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।"
क्योंकि…
अगर मैं बोल भी पाता —
तो वो आवाज़ मेरी नहीं होती।
एक लड़की की आवाज़ होती।
और इस शरीर को तो
बस एक 'डॉल' समझा जाएगा।
बेहोश किया जाएगा,
पैक किया जाएगा,
बेच दिया जाएगा।
खरीदार को मुझ पर कभी विश्वास नहीं होगा।
क्योंकि इस दुनिया में
हक़ीकत से ज़्यादा पैकिंग बिकती है।
कुछ देर बाद,
दरवाज़े की चाबी घुमी...
और किसी के अंदर आने की धीमी, भारी आहट आई।
मैं सांस रोके लेटा रहा —
थका हुआ, लाचार
कोई मेरे पास आकर बिस्तर पर बैठा।
"शांत हो जाओ, मेरी प्यारी। मैं तुम्हें चोट नहीं पहुँचाऊंगा — अभी नहीं,"
उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी नरमी और शिकारियों जैसा आत्मविश्वास था।
उन्होंने अपने हाथ मेरे शरीर के ऊपर और नीचे करने शुरू कर दिए, मेरे जूतों से शुरू करते हुए, मेरे पैरों और गुप्तांग के ऊपर और मेरे बड़े बबल्स पर।
आखिरी बात जो मुझे याद है…
वो था मेरे चेहरे पर रखा गया एक ठंडा, गीला कपड़ा।
उसकी महक अजीब थी,
जैसे नींद और बेहोशी की मिली-जुली कोई धुंध।
मेरी सांसें भारी होने लगीं…
धड़कनें धीमी,
और शरीर… सुन्न।
मैंने महसूस किया…
जैसे किसी ने मुझे उठाया,
मेरे अंग जैसे थैले में रखे जा रहे हों।
एक-एक कर बांधता, मोड़ता,
मुझे एक बड़े सूटकेस में भर दिया गया।