अपनी गर्लफ्रेंड नेहा की शादी अटेंड करने के लिए करन बना कियारा ,सच्ची मोहब्बत की कहानी
Crossdressing hindi story : Male to female Ravi
रवि को लगा के वो घर में अकेला है और मम्मी पापा ऑफिस के काम से बाहर शहर गए हैं।उसने तुरंत अपने कपडे उतारें और बहन की फेवरेट गुलाबी ड्रेस पहन ली। फ़िर सिस्टर के हिल्स जैसे तैस पैरो में डाले और फिर पैरो की उंगलियो जो हिल्स से बहार थी उन्हें नेल पेंट किया ।
उसके बाद अपनी फेवरेट पिंक टेप से अपने पैरो को लॉक किया।फिर आंखों पर एक स्कार्फ कैसे बांधा के कुछ दिखाई ना दे।और सबसे लास्ट में स्टील की हथकड़ी का प्लान था और सेल्फ बॉन्डेज को एन्जॉय करना था।
इससे पहले भी कई बार ऐसा कर चुका था।पर
शायद आज किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
मम्मी की तबीयत में खराबी हुई तो वो आधे रास्ते से ही वापस आ गई।घर में बिना आवाज के हुए घर में प्रवेश हुई और रवि को देख कर उन्हे कुछ समझ नहीं आया के क्या कर रहा है तो चुपचाप खड़ी हो गई। और रवि के हथकड़ी में ताला लगाने का इंतजार करने लगी।
तभी रवि ने अपने दोनों हाथो को पीठ के पीछे एक दूसरे से लोक् किया। लेकिन उसकी मम्मी का हाथ किसी चीज को लगने से जो आवाज हुई उससे घबराहट में हथकड़ी की चाभी रवि के हाथ से छुट गई और रवि चाभी को धुंधता उसकी मम्मी ने आगे बढ़ कर वो चाभी उठा कर अपने पास रख ली।
और बिना आवाज़ के वहा से दूसरे कमरे में चली गई ये सोच ने के लिए के वो अब रवि के साथ क्या करें।
रवि को कुछ समझ नहीं आया के आखिर चाभी गई कहा। अब उसे घबराहट हो रही है के घर में अकेले ऐसे कितनी देर रहे पाएगा दूसरी तरफ रवि की मम्मी सोच रही है के आखिर रवि के साथ आगे क्या करना है उसे खोल दे या परेशान करे ।आप को जो भी लग रहा हो वो कमेंट बॉक्स में बताओ।
उम्मीद है, कहानी आपको पसंद आयी होगी,ऐसी ही कहानी और वीडियो, के लिए चैनल को सब्सक्राइब कर लें ,अपने सुझाव या शिकायत, निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में बताओ ,जल्द मिलेंगे अगले मजेदार वीडियो में , वीडियो देखने के लिए धन्यवाद।
Crossdressing hindi story : Male to female Santosh
ये कहानी संतोष की है, जो अपने दोस्त रितेश के बच्चो के लिए , सोनाक्षी बना गया और फिर , अपने ही दोस्त रितेश की पत्नी बना , बहुत ही इमोशनल क्रॉसड्रेसिंग कहानी है।
जाने जैसे कल ही की बात है जब मेरे दोस्त रितेश का देर रात मेरे पास फोन आया था। बेचारा ठीक ढंग से मुझसे अपनी बात भी न कह पा रहा था। उसकी पत्नी सुलोचना उसे और उसके बच्चों को छोड़कर अपने आशिक के साथ नया जीवन बीताने घर से भाग गई थी। ये बात से उसे इतनी शर्मिंदगी का एहसास हो रहा था कि वो अपनी मदद के लिए अपने किसी रिश्तेदार से भी न कह सका। ३ साल का छोटा बेटा और ६ साल की छोटी बेटी को छोड़कर न जाने कैसे उसकी पत्नी चली गई थी। लोग तो रितेश को ही दोष देते कि वो अपनी पत्नी को खुश न रख सका।
“रितेश यार, बच्चे अपनी माँ के बगैर खाना भी नहीं खा रहे है।”, उसने रोते हुए मुझसे बस इतना ही कहा था। इसके आगे उसे कुछ कहने की जरूरत नहीं थी। मैं समझ गया था कि बच्चों को इस समय एक स्त्री की जरूरत थी जो उन्हे माँ का प्यार दे सके। रितेश मेरी क्रॉसड्रेसिंग के बारे में जानता था। शायद इसलिए उसने मुझे फोन किया था। मैंने भी तुरंत ही उस समय रात को एक सिम्पल सी साड़ी पहनकर बच्चों के पास जाना उचित समझा। रास्ते में मैंने उन सभी के खाने के लिए कुछ खरीद लिया था।
घर में सभी उदास थे और भूखे भी। एक नई आंटी को घर में देख बच्चों ने मुझे गले लगा लिया था। उस समय मैंने अपने भविष्य की न सोचकर बस उस समय बच्चों को खाना खिलाने पर ध्यान दिया था। एक – दो दिन बच्चों का ध्यान रखने के बाद भी मुझे लगा कि इन्हे मेरी जरूरत है। तभी तो मैं उनकी आंटी बनकर रुक गया। और करीब एक हफ्ते बाद न जाने कब और कैसे मैं उनकी आंटी से माँ बन गई ये पता भी न चला। शायद “मम्मी” ये शब्द पहले नितीक्षा बेटी ने कहे थे। वो शब्द सुनकर मैं भाव विभोर हो गई थी। शायद इसलिए तो उन्हे छोड़कर वापस अपनी लड़के वाली ज़िंदगी में जाने का तब खयाल ही कहीं पीछे छूट गया था। कभी मैंने सोचा भी नहीं था कि मुझे मम्मी होने का सुख मिलेगा। दोनों बच्चों के प्यार के सहारे मैं भी उन्हे खूब प्यार देती। कितना अच्छा लगता था जब वो मेरे पास आकर मेरी साड़ी का पल्लू खींचकर मुझसे कुछ मांगते और मैं भी उन्हे प्यार से अपनी गोद में बीठा लेती।
बच्चों के साथ रहते रहते मैं दिल और दिमाग से पूरी तरह से माँ बन चुकी थी और मुझे उनकी हर छोटी छोटी बातों का ध्यान रहता था। मैं रितेश एक लड़का हूँ … ये बात तो जैसे एक सपने की तरह हो गई थी। मेरे मन में शायद वात्सल्य की भावना इतनी भर चुकी थी कि मेरा शरीर भी धीरे धीरे बदलने लगा था और मेरे दुबले पतले शरीर पर लगातार ब्रा की बजह से बक्ष उभर उठे थे। बक्ष का मतलब डिटेल बॉक्स में लिखा है पढ़ लेना अपने बक्ष के बीच बच्चों का सर रखकर उन्हे सुलाने में एक अलग ही सुख मिलता था मुझे।इतने समय में सुलोचना ३-४ महीनों में एक बार अपने बच्चों को देखने आ जाती थी। ऐसा न था कि उसे बच्चों की याद आती थी या उसके दिल में उनके लिए तड़प उठती थी। बस फॉर्मैलिटी के लिए आती थी और जब आती तब मुझे ताना देती कि मैं एक औरत नहीं हूँ। पर मैं उससे कुछ न कहती क्योंकि मेरे बच्चे जब उसकी आँखों के सामने ही मुझे मम्मी मम्मी कहकर मुझसे लिपट पड़ते तो उसकी आँखें जलन से भर उठती।
शायद लगभग एक साल हो गया था जब सुलोचना का आशिक भी उसे छोड़ चुका था। शायद इसलिए वो धीरे धीरे फिर से रितेश और बच्चों की ज़िंदगी में वापस आना चाहती थी पर फिर भी उसके व्यवहार में कोई बदलाव न आया था। वो हर दो महीने में घर में कुछ घंटों के लिए आती थी पर उसे कोई पसंद न करता था। चाहे वो मुझे जो भी कहे पर अब मैं शरीर से भी लगभग बच्चों की माँ बन चुकी थी। मेरे बक्ष बढ़ गए थे और दो सालों में मेरे बाल भी इतने बढ़ गए थे कि मुझे अब विग की जरूरत न थी। अब तो साड़ी ब्लॉउज़ को छोड़कर कुछ और पहनना मुझे असहज लगता था। कभी कभी नितीक्षा की जिद पर मैं सलवार सूट पहन लेती थी फिर भी साड़ी मेरा पसंदीदा थी।
ऐसे ही अपना घर छोड़ने के लगभग ३ साल बाद आज सुलोचना हमारे घर आई थी। और आकर उसने मुझसे कहा कि वो मुझसे बच्चों और रितेश को छीन कर रहेगी। उसने और न जाने क्या क्या बातें कहीं जैसे उसे पहले ही शक था कि रितेश और मेरे बीच पहले से ही कुछ चक्कर था। उसकी बात सुनकर मैं भड़क गई थी क्योंकि रितेश और मेरे बीच कभी कोई शारीरिक संबंध न था। उसके साथ रहते रहते दुनिया की नजर में मैं अब उसकी पत्नी बन चुकी थी। हम दोनों एक पति-पत्नी की तरह ही घर की शॉपिंग और अन्य काम करते थे। बस कभी कभी ऑफिस जाने के पहले वो मुझे गले लगाते थे या फिर कभी कभी सोते समय पर फिर भी हम दोनों के बीच वैसा शारीरिक संबंध नहीं था जैसा सुलोचना मुझ पर आरोप लगा रही थी।
इसलिए मैंने उसे गुस्से में कह दिया कि वो चाहे कितनी भी कोशिश कर ले पर मैं अपने बच्चों और अपने पति को छोड़ूँगी नहीं। हाँ, ये बच्चे मेरे ही तो थे और इन बच्चों की माँ होने के नाते उनके पिता की पत्नी भी थी मैं। शायद मुझे गुस्से में सुनकर मेरे बच्चे भी अपने कमरे से बाहर आ गए और अपनी मम्मी का सहारा बनने के लिए उसकी कमर से लिपट कर खड़े हो गए। मेरे इस रूप को देखकर सुलोचना तुरंत ही उलटे पैर घर से बाहर निकल गई। आज शायद उसे समझ आ गया था कि मैं अपने घर को टूटने न दूँगी। उसने तो बच्चों को सिर्फ जन्म दिया था पर मैं उनकी असली माँ हूँ।
रात में जब रितेश घर आए तो खाना खाने के बाद हम दोनों अपने कमरे में सोने आ गए। “लगता है आज सुलोचना घर आई थी।”, उन्होंने मुझसे कमरे में मेरा हाथ पकड़ कर कहा।
“हाँ, मगर आपको कैसे पता चला?”, मैंने सर झुकाकर पूछा।
“क्योंकि आज तुम्हारा खुश चेहरा उदास दिख रहा है। वो जब भी आती है तब ऐसा ही होता है।”, उन्होंने मेरे चेहरे को उठाकर कहा।
मैं कुछ देर चुप रही और फिर उनसे कहा, “सुनिए …”
“हाँ बोलो सोनाक्षी ”
“मैं आपकी पत्नी हूँ न?”, मैंने पूछा तो वो मुस्कुराकर बोले, “हाँ, सोनाक्षी तुम मेरी पत्नी से भी बढ़कर हो।”
उनकी बात सुन मैं भावुक हो उनसे गले लग गई और उनसे बोली, “आज मैं आपकी पूर्ण रूप से पत्नी बनकर अपना तन मन आपको सौंपना चाहती हूँ।”
शायद वो मन ही मन मुस्कुरा रहे थे। शायद उन्हे इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार था और उन्होंने अपने हाथ से मेरी पीठ पर मेरे ब्लॉउज़ पर सहलाना शुरू कर दिया। और फिर मेरे चेहरे को प्यार से उठाकर उन्होंने मेरे होंठों को चूम लिया।
शायद सुलोचना की उस बात ने मुझे एक पत्नी के रूप में अपने अधिकार का ध्यान दिला दिया था और आज मैं इनके साथ अपना सर्वस्व उन्हे सौंपने जा रही थी। मन की सारी शंकाएँ दूर हो गई थी। हाँ, मैं एक माँ हूँ … मैं एक पत्नी हूँ… मैं मिसेज सोनाक्षी रितेश शर्मा हूँ।
Disclaimer
-
राजीव खुशी से बोला मैं दुनिया का एक लौता मर्द हूं जो सुहागरात में अपनी पत्नी से गिफ्ट लेने वाला हूं पर जो भी हो में तैयार हूं पहेनाओ अपने ह...
-
Hello dosto ek jabardast crossdressing student and teacher ki likhi hai agar kisi ko padhna ho to message karna 80 page ki hai c...
-
मैं एक पच्चीस वर्ष का नवयुवक हूं, मेरा शरीर दुबला पतला है। और बदन पर बाल भी न के बराबर हैं। मेरी कलाइयां भी लड़कियों जैसी पतली हैं। मैं एक...
-
Rahul has everything, a beautiful wife, Anjali. good money and a affair with his secretary, neha. So one day, neha send Rahul were playi...
-
My name is Akash. Am a software employee. I this software field people try to be in the attire which they like. Am aged 27 and am staying aw...
-
Hi Mera naam Neeraj Hai meri umra 17 saal hai. Ye 2 saal purani baat hai.Mujhe do saal pehle bilkul bhi nahi pata tha ki cross dresser kya...
-
ये कहानी संतोष की है, जो अपने दोस्त रितेश के बच्चो के लिए , सोनाक्षी बना गया और फिर , अपने ही दोस्त रितेश की पत्नी बना , बहुत ही इमोशनल क...
-
Mom! My braids are too tight, said Aruna.you will get used to them very soon, said Rekha with a smile .Aruna never thought she would say it...
-
Santosh ke papa ki death ke bad ghar chalane ke liye santosh ki maa ne ladies tailoring ka kam shuru kiya . aur unki sujh bujh aur hamesha n...
-
Rupa was showing her new sarees to her son, Deepak. He has always show interest in helping his mom. Rupa was holding 2 sarees in her hand. ...