📝 Story Preview:
कहानी का नाम: "नक्षत्रों की रेखा"
मुख्य पात्र:
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नीरज चौधरी: एक सुलझा हुआ और जिम्मेदार युवक, जो अपने परिवार से बेहद जुड़ा है।
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निकीता चौधरी: नीरज की पत्नी, आत्मनिर्भर, समझदार और भावनात्मक रूप से मजबूत महिला।
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राजवर्धन चौधरी: नीरज के पिता, एक अनुशासनप्रिय ग्रामीण पुरुष।
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गीता देवी: नीरज की माँ, धार्मिक प्रवृत्ति की महिला जो ज्योतिष में विश्वास रखती हैं।
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प्रियंका: नीरज की बहन, जो आधुनिक सोच रखती है।
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सोनिया: निकिता की बहन, तेज़-तर्रार और खुले विचारों वाली लड़की।
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पंडित रघुनाथ शास्त्री: एक रहस्यमय और गूढ़ ज्योतिषाचार्य, जो परिवार की किस्मत की दिशा बदलता है।
प्रस्तावना:
नीरज और निकिता की शादी एक प्रेम विवाह थी, जिसे दोनों परिवारों ने खुशी से स्वीकार किया। शादी के बाद वे दोनों कुछ महीने बहुत खुशहाल जीवन जीते रहे। लेकिन किस्मत ने उन्हें एक कठिन मोड़ पर ला खड़ा किया।
अध्याय 1: मेहंदी की शाम
दिनांक: वैशाख माह की पंचमी
स्थान: चौधरी परिवार, जयपुर
घटनास्थल: नीरज और निकिता की मेहंदी की रस्म
पूरा चौधरी निवास आज जैसे रौशनी से नहा गया था। मुख्य दरवाज़े पर गेंदे के फूलों की तोरण लटकी थी, और आंगन में रंग-बिरंगी झालरों की लड़ी हर कोने में सजी थी। पीले और हरे रंग के रेशमी पर्दों से मंडप को सजाया गया था, जिसमें हल्की हवा से उठती खुशबू में केवड़े और चंदन का सौम्य मेल था।
नीरज चौधरी, जो पेशे से एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर था, आज अपने जीवन के सबसे खास दिन की शुरुआत कर रहा था। उसके चेहरे पर वो मासूम सी मुस्कान थी जो न केवल आने वाले जीवन की खुशी का प्रतीक थी, बल्कि एक नए रिश्ते की ज़िम्मेदारी की गहराई भी बयाँ कर रही थी।
नीरज का घर – महेंदी की रौनक

चौधरी परिवार का आंगन आज छोटे से समारोह स्थल में बदल चुका था। उसकी माँ, गीता देवी, पीले बनारसी साड़ी में सजी, मेहमानों का स्वागत कर रही थीं। उनके पीछे, बहन प्रियंका नीरज की सहेलियों और लड़कियों के बीच ठहाके लगाती घूम रही थी।
नीरज हल्दी रंग के कुर्ते में, अपने दोस्तों के बीच बैठा था, और हाथों में मेहंदी लग रही थी। मेहंदीवाली ने उसकी हथेली पर बड़े प्यार से "N" लिखा – निकिता का पहला अक्षर।
"भैया, अब तो हर काम में भाभी की छाप रहेगी!" – प्रियंका ने चुटकी ली।
नीरज मुस्कुराया, "रहेगी क्यों नहीं, अब उन्हीं का नाम तो जीवन बन रहा है।"
राजवर्धन चौधरी, नीरज के पिता, हल्की मुस्कान के साथ सब देख रहे थे। वे कठोर अनुशासन वाले व्यक्ति थे, पर आज उनकी आँखों में नरमी की एक अलग ही चमक थी।
निकिता का घर – उत्सव का रंग

दूसरी ओर, निकिता का घर – जो शहर के दूसरे छोर पर था – उतना ही भव्य रूप में सजा हुआ था। अनिता, निकिता की माँ, अपनी बेटी को सजाने में व्यस्त थीं। उनके चेहरे पर गर्व और भावुकता दोनों एक साथ थे।
निकिता गुलाबी रंग के लहंगे में सजी, शीशे के सामने बैठी थी। उसकी सहेलियाँ उसे चिढ़ा रही थीं।
"दीदी, देखना जीजाजी जब ये मेहंदी देखेंगे तो फिदा हो जाएंगे!" – सोनिया, निकिता की छोटी बहन ने कहा।
निकिता ने शरमाकर अपनी हथेली पर नज़र डाली, जहाँ मेहंदीवाली ने बारीकी से "D" उकेरा था – नीरज का पहला अक्षर।
अमन और कोमल – निकिता के भाई और भाभी – गेस्ट्स का ध्यान रख रहे थे। अनिता और सुनील, निकिता के पिता, घर की तैयारी और रस्मों में लगे थे।
डांडिया की ताल पर लड़कियाँ नाच रही थीं, और माहौल में ढोलक की थाप पर गाए जा रहे लोकगीत गूंज रहे थे:
"मेहंदी रचावे वाली बाई... सजन की सूरत हाथ में लाए..."
नीरज और निकिता – दोनों ही अपने-अपने घर में बैठे – दिल ही दिल में बस एक ही बात सोच रहे थे:
"अब बस मिलना है, और एक नया संसार शुरू करना है – साथ में।"
अध्याय 2: बारात प्रस्थान
सुबह की हल्की धूप अब सुनहरी किरणों में बदल चुकी थी, और चौधरी निवास की हर दीवार, हर दरवाज़ा जैसे खुद आज नीरज की बारात का स्वागत करने के लिए मुस्कुरा रहा था। मोहल्ले में हलचल थी, ढोल वालों की थाप दूर से आती सुनाई दे रही थी, और महिलाएं अपने घरों की छतों से बारात की तैयारियां देख रही थीं।
दूल्हे का गेटअप
नीरज आज पूरी तरह शाही अंदाज़ में सजा था। उसने सुनहरे ज़रीदार शेरवानी पहन रखी थी, जिसके साथ लाल रंग की चुनरी और राजस्थानी साफ़ा उसके व्यक्तित्व को और रॉयल बना रहे थे। माथे पर कलीग की हल्की बिंदी और मोतियों की सेहरा, जिससे उसकी आंखें बस हल्का सा झांकती थीं – एकदम राजकुमारों जैसी छवि।

"भैया, आप तो पूरी तरह फिल्मी दूल्हा लग रहे हो!" – प्रियंका हँसते हुए बोली, खुद पीच रंग की लेहरिया साड़ी में तैयार, आंखों में काजल और होठों पर प्यारी सी मुस्कान।
नीरज ने उसे हंसकर देखा, "कम से कम आज तो तारीफ़ कर दी तूने।"
"आज नहीं करूँगी तो कब करूँगी, कल तो भाभी की हो जाओगे!" – प्रियंका ने आँख मारी।
गीता देवी आज बेहद भावुक थीं। उन्होंने पीली बनारसी साड़ी पहनी थी, सिंदूर थोड़ा और गाढ़ा लगाया और माथे पर बड़ा सा लाल बिंदी चमक रही थी। उन्होंने नीरज की सेहरा सीधी की, फिर उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर बोलीं:
"बेटा, आज तुझे विदा कर रही हूँ एक नई दुनिया में, लेकिन तेरी माँ हमेशा तेरे साथ है। बस एक बात याद रखना – औरत का दिल जितना आसान लगता है, उतना होता नहीं है... निकिता का साथ देना, उसी के सुख-दुख को अपना समझना।"
नीरज ने उनकी गोद में सिर रख दिया, जैसे बचपन की वो रातें याद आ गई हों जब बुखार में माँ लोरी सुनाती थीं।
राजवर्धन चौधरी, हल्की क्रीम रंग की जरीदार बंदगला पहने हुए, हमेशा की तरह गंभीर दिख रहे थे। वे चुपचाप बारात की व्यवस्थाओं पर नज़र रख रहे थे – घोड़ी के साज-सज्जा से लेकर मिठाइयों के थाल तक।
लेकिन जब नीरज उनके पास आया और प्रणाम किया, तो उन्होंने सिर पर हाथ रखते हुए धीमे स्वर में कहा:
"तू अब किसी और का बेटा भी बन रहा है – लेकिन मेरी परवरिश पर भरोसा रख, तू हर भूमिका अच्छे से निभाएगा।"
राजवर्धन का यह स्वीकार एक पिता की तरफ़ से वो स्नेह था जो शब्दों से नहीं, भावनाओं से समझा जाता है।
घर में और भी चहल-पहल थी। रिश्तेदार, मित्र, और मोहल्ले के लोग – सब दूल्हे को देखने आ रहे थे। ढोल की थाप तेज़ हो रही थी, और गली के नुक्कड़ से बारातियों के लिए घोड़ी भी सजकर आ गई थी।
लड़कियां गा रही थीं:
"आज मोरे लाल की चढ़ी है बारात, सजे हैं घोड़े, बजे हैं बाजे..."
प्रियंका ने नीरज के जूते छिपाने की योजना बना ली थी और दो सहेलियों के साथ मुस्कुराते हुए फुसफुसा रही थी।
"जूतों के लिए आज हजारों नहीं तो शादी अधूरी!" – उसने शरारत से कहा।
धीरे-धीरे, नीरज को घोड़ी पर चढ़ाया गया। ढोल, नगाड़े, शहनाई की धुन – सब एक साथ वातावरण में घुल गए। घोड़ी पर बैठा नीरज हाथ हिला रहा था, चेहरे पर गर्व, लेकिन भीतर एक गहराई – क्योंकि ये सिर्फ एक बारात नहीं, एक नई जिम्मेदारी का आरंभ था।
पीछे खड़ी गीता देवी ने आँचल से आँखें पोंछीं, और खुद को सँभालते हुए बोलीं:
"अब मेरा नीरज नहीं, किसी का जीवनसाथी जा रहा है।"
प्रियंका ने गालों पर हल्दी का टीका लगाया और बोली,
"चलो भैया, अब भाभी के घर चलो – तुम्हारी नई दुनिया इंतज़ार कर रही है।"
अध्याय 3: दुल्हन के घर की चहक
स्थान: अग्रवाल निवास, जयपुर
समय: बारात के आने से कुछ घंटे पहले
सुबह से ही निकिता के घर में रौनक ऐसी थी मानो हर कोना कोई त्योहार मना रहा हो। द्वार पर आम्र-पल्लव और गेंदे की लड़ियाँ लटकी थीं, और रंगोली की सुंदर आकृति ने प्रवेशद्वार को जैसे स्वर्ग का रास्ता बना दिया था। हवनकुंड की गंध, चंदन की अगरबत्तियाँ और हल्की शहनाई की धुन ने घर के हर व्यक्ति को एक सजीव उत्सव में ढाल दिया था।
दुल्हन की तैयारी और कमरा
निकिता का कमरा आज फूलों से महक रहा था। कमरे की दीवारों पर हल्के गुलाबी पर्दे लहराते थे और खिड़की के पास रखा गुलदान गुलाब और रजनीगंधा से भरा था। ड्रेसिंग टेबल पर रखा मेकअप किट, झिलमिलाते कंगन, झुमके, और एक लाल जोड़ा — हर चीज़ एक नई शुरुआत की प्रतीक्षा में थी।

निकिता आज लाल रंग का भारी कढ़ाई वाला लहंगा पहन रही थी, जिसमें सुनहरे ज़री का जाल और छोटे मिररवर्क का काम था। गोटा किनारी की चुनरी को पल्लू की तरह सिर पर टिकाया गया। उसके गले में रानीहार, माथे पर टीका, हाथों में चूड़ा, और पायलों की रुनझुन उसकी हर हलचल को संगीत में बदल रही थी।
ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी निकिता अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए, आईने में खुद को देख रही थी — पर उसके मन की नजरें कहीं और थीं... नीरज की ओर।
कमरे में उसकी सहेलियाँ — काव्या, निधि और सिमरन — तंग कर-करके निकिता को हँसा रही थीं।
काव्या: "निकिता, आज के बाद तू हमसे दूर हो जाएगी… चल आखिरी बार सिंगल फ्रेंड की तरह गपशप कर लें!"
निधि: "देख लेना, पहली रात को जीजाजी से पूछना, 'खाना खाया?' वरना भूख से पहले प्यार नहीं होगा!"
सिमरन: "और ये घूंघट के पीछे से देखने वाला क्लासिक पल, उसे मिस मत करना!"
तीनों ने मिलकर उसकी चुनरी ठीक की, और साथ ही लहंगे की चेन बंद करते हुए गुदगुदी कर दी।
निकिता हँसते हुए बोली:
"तुम लोग पागल हो… पर सच कहूँ, तुम्हारे बिना मेरा बचपन अधूरा होता।"
सोनिया, निकिता की छोटी बहन, आज गुलाबी और नारंगी लहंगे में एकदम चंचल परी लग रही थी। बालों में गजरा, हाथों में मेहंदी और होठों पर वो मुस्कान — जो सिर्फ शादी के घर की छोटी बहन के पास होती है।
वो इधर-उधर दौड़ती रही — कभी मिठाइयाँ जमा करती, कभी फोटोग्राफर को सही एंगल समझाती।
"दीदी को ऐसे कैप्चर करना कि एकदम स्वर्ग से उतरी रानी लगें!" – उसने निर्देश दिया।
कोमल भाभी, शांति से सब व्यवस्था सँभाल रही थीं — कभी हलवाई को देखतीं, कभी पंडित जी की ज़रूरत पूछतीं।
अनिता जी, हरे और सुनहरे काम वाली कांजीवरम साड़ी में, खुद पर संयम रखे बैठी थीं, पर उनकी आँखें बार-बार नम हो जाती थीं। वे हर छोटी-बड़ी बात खुद देख रहीं थीं — कहीं फूलों का झांझर ढीला न हो, कहीं लाइट बंद न हो जाए।
निकिता के पास आकर वो धीरे से बैठीं, और उसकी हथेली पकड़कर बोलीं:
"तू मेरी बेटी ही नहीं, मेरी सबसे प्यारी सहेली थी… और आज तू किसी की अर्धांगिनी बनने जा रही है।"
निकिता ने माँ का हाथ थाम लिया — "आप हमेशा मेरी माँ ही नहीं, मेरी ताकत रहोगी, मम्मी।"
सुनील जी, सफेद शेरवानी में आज बेहद सजीले लग रहे थे। वे अपनी भावनाएं चेहरे पर कम ही लाते थे, पर आज जब उन्होंने पहली बार तैयार बेटी को देखा, तो कुछ क्षण के लिए सब भूलकर बस निहारते रह गए।"मेरी गुड़िया अब रानी बन गई..." – इतना कहकर उन्होंने खुद को दूसरी ओर मोड़ लिया, ताकि कोई उनकी आँखों की नमी न देखे।
अब सब तैयार थे। निकिता का कमरा फूलों और इंतजार से भरा था। घड़ी की सुईयाँ बारात की ओर दौड़ रही थीं, और दिल की धड़कनें नीरज की।
सहेलियाँ गा रहीं थीं:
"चली साजन के संग दुल्हनिया, सजधज के... सजधज के..."
निकिता ने खिड़की से बाहर झाँका — किसी को नहीं देखा, पर हवा से आती ढोल की थाप ने उसे बता दिया:
"वो आ रहे हैं..."
अध्याय 4: बारात का स्वागत, जयमाला और विदाई के रंग
शाम के लगभग सात बज रहे थे। आसमान नीला था, पर बारात की रौशनी ने जैसे चाँद को भी मात दे दी थी। नीरज की बारात अब अग्रवाल निवास के गेट पर आ पहुँची थी, और ढोल-नगाड़ों की थाप पर पूरा मोहल्ला थिरक रहा था।
बारात का स्वागत
निकिता के घर के बाहर रंग-बिरंगे झालर, लाइट्स और फूलों से स्वागत द्वार सजा था। जैसे ही नीरज घोड़ी से उतरा, सामने खड़ी सोनिया और उसकी सहेलियाँ मुस्कुराकर आगे आईं। सबके हाथों में आरती की थालियाँ थीं और आँखों में शरारत।
सोनिया (हँसते हुए): “जीजाजी, घोड़ी से उतरने के बाद अब ससुराल की पहली परीक्षा है — आरती बिना नहीं एंट्री!”
नीरज (मुस्कुराते हुए): “आरती तो करवाओ, पर साथ में चाय और समोसे भी दे दो, बहुत थक गया हूँ!”
सोनिया: “अभी तो सिर पर सेहरा है, बातों में कितना दम है — देखते हैं, रात को कितनी हिम्मत बचती है!”
चारों तरफ़ हँसी का फव्वारा छूटा, और नीरज को आरती के बाद अंदर प्रवेश मिला।
जयमाला: पहली मुलाकात की झलक
मंडप के पास बने रंगीन स्टेज पर नीरज और निकिता आमने-सामने खड़े थे। पहली बार दोनों की आँखें खुलकर मिलीं — शरमाई हुई निगाहें, मुस्कराते चेहरों से ज़्यादा कह रही थीं।
निकिता ने धीरे-से जयमाला उठाई, और नीरज की ओर बढ़ी। सोनिया और सहेलियाँ पीछे से बोलीं:
“ऊँचाई बढ़ाओ जीजा जी की! दुल्हन को मेहनत करनी चाहिए!”
नीरज थोड़ा झुका, और निकिता ने धीरे से माला पहनाई।
अब बारी नीरज की थी — उसने माला उठाई, लेकिन तभी पीछे से सोनिया बोली:
“रुको-रुको! इतनी जल्दी भी क्या है? थोड़ी negotiation होनी चाहिए!”
नीरज: “Negotiation बाद में, अभी तो दिल दे बैठा हूँ!”
हँसी के साथ माला पहनाई गई, और पूरा मंडप तालियों से गूँज उठा। जयमाला के बाद फोटोशूट, सेल्फियाँ और बूमरैंग्स का सिलसिला शुरू हो गया।
जूता चुराई: सालीयों का दंगल
शादी की रस्मों के बीच जैसे ही नीरज मंडप में बैठा, सोनिया ने इशारा किया — दो सहेलियाँ तुरंत उसके जूते उठाकर भागीं।
नीरज: “अरे! ये क्या है! Security कहाँ है?”
सोनिया: “जूते हमारे पास हैं, जीजा जी। अब मिलेंगे दस हज़ार में!”
नीरज: “तुम लोग तो मुझसे पहले ही लूट की प्लानिंग करके बैठी थीं!”
कोमल भाभी (हँसते हुए): “नीरज भैया, बिटिया वाले घर में आया है, कुछ तो खोना पड़ेगा।”
बहुत मोलभाव के बाद 2100 रुपये में जूते वापस मिले — और नीरज को ये पहली बार समझ आया कि शादी सिर्फ एक बंधन नहीं, एक पूरी Negotiation है!
विदाई: मुस्कान और आँसू का संगम
शादी की सारी रस्में पूरी हो चुकी थीं। अब वो क्षण आया, जिसका इंतजार किसी को नहीं होता — विदाई।
निकिता, लाल चुनरी में सिर झुकाए, पापा का हाथ थामे खड़ी थी। माँ की आँखें भर आई थीं, सोनिया अब शांत थी, और नीरज… उसकी आँखों में जिम्मेदारी की एक नई गहराई थी।
सुनील जी: "बिटिया, अब तेरा घर वो नहीं जहां तू पली, वो है जहां तू बसी… लेकिन तू जब भी थक जाए, तेरे लिए ये दरवाज़ा हमेशा खुला रहेगा।"
निकिता ने रोते हुए अपने घर की दहलीज़ पर माथा टेका। नीरज ने उसका हाथ थामा, और दोनों गाड़ी की ओर बढ़े।
अंतिम दृश्य
गाड़ी चली, पीछे छूटते घर को निकिता देखती रही — और सोनिया छत से चिल्लाई:
“जीजा जी! अब बहन हमारी है, पर सज़ा आपकी!”
नीरज ने मुस्कुराकर हाथ हिलाया — एक नई ज़िंदगी, नए रिश्ते और नई ज़िम्मेदारियों की शुरुआत हो चुकी थी।
भाग 1: बहू का गृहप्रवेश
संध्या हो चली थी। चौधरी परिवार के आँगन में हर दीवार आज रोशनी से जगमगा रही थी। घर के दरवाज़े पर आम्रपल्लव, माणिक रंग की बंदनवार और लाल-पीले फूलों की लड़ी बंधी थी। नीरज की माँ गीता देवी थाली में कुमकुम, अक्षत और जल लेकर खड़ी थीं — तैयार थीं अपने घर की नई लक्ष्मी के स्वागत को।
जैसे ही गाड़ी आँगन में पहुँची, सभी रिश्तेदारों के चेहरों पर मुस्कान और आँखों में जिज्ञासा थी।
गीता देवी (मुस्कुराते हुए):
"आओ बहू, इस घर में अब तुम्हारा ही उजाला है।"
निकिता ने धीरे-धीरे दरवाज़े की ओर कदम बढ़ाए। सर पर लाल चुनरी, आँखों में झिझक, और हाथों में थाली — एक-एक कदम जैसे एक नए संसार की ओर बढ़ रहा था।
चावल से भरी कलश को उसने हल्के से पाँव से गिराया, और उसके बाद अपने गीले पगों से घर में प्रवेश किया। उसके पदचिन्ह अब घर के आँगन में रच चुके थे — जैसे देवी माँ ने स्वयं पधार ली हों।
भाग 2: ननद और भाभी की तकरार
जैसे ही गृहप्रवेश की रस्में पूरी हुईं, प्रियंका, नीरज की बहन, तेज़ी से आगे आई और बोली:
प्रियंका (मुस्कुराकर):
"भाभी जी, ये तो बताइए, हमारे भाई को पाना कैसा लग रहा है?"
निकिता (हँसते हुए):
"जैसा हर लड़की को एक अच्छे लड़के से मिलकर लगता है… थोड़ा भाग्य, थोड़ा डर, और बहुत सारा प्यार!"
कोमल भाभी:
"नीरज तो सीधा है, पर हमारी सास जी थोड़ी फिल्मी हैं। सुबह साढ़े चार बजे की चाय की तैयारी अभी से शुरू कर लो!"
सब हँस पड़े। माहौल एकदम हल्का-फुल्का और अपनापन भरा था। घर की औरतों ने मिलकर हलवा-पूरी बनाई, और सबसे मिलवाया गया। हर कोना अब निकिता का था — नए रिश्तों की हल्की उलझनें, पर उनमें मिठास की चाशनी लिपटी थी।
भाग 3: सुहागरात — झिझक और नरम स्पर्श की शुरुआत
कमरा फूलों से सजा था — छत से झूलते गुलाब, बिस्तर पर फैली रजनीगंधा की पंखुड़ियाँ और खिड़की से आती चंद्रमा की चाँदनी — जैसे हर चीज़ इस रात को खास बनाने पर तुली हो।
नीरज कमरे में दाख़िल हुआ — सफेद कुरता-पायजामा में, थोड़ी घबराहट, थोड़ी उत्सुकता।
निकिता पहले से कमरे में थी, घूंघट डाले चुपचाप बैठी।
दोनों के बीच कुछ पल की खामोशी थी — पर वो बोझिल नहीं थी, बस बहुत कुछ कहती थी।
नीरज (धीरे से):
"कैसी हो?"
निकिता:
"ठीक… थोड़ी थकी हूँ, पर दिल हल्का है।"
नीरज ने धीरे-धीरे उसका घूंघट उठाया। पहली बार वो उसे इतने पास से देख रहा था — और निकिता की आँखों में आज शरारत नहीं, सच्चाई झलक रही थी।
नीरज:
"मैं जानता हूँ, ये रिश्ता नया है… और तुम्हें मुझसे बहुत उम्मीदें होंगी… पर मैं चाहूँगा हम दोस्त बनें, जीवन साथी से पहले।"
निकिता (मुस्कुरा कर):
"तो फिर दोस्ती के पहले नियम क्या होंगे?"
नीरज:
"ईमानदारी… और बिना झिझक बात करना।"
धीरे-धीरे दोनों पास आए। कोई जल्दबाज़ी नहीं थी। बस एक सहज आलिंगन, जिसमें सुरक्षा थी… अपनापन था।
निकिता ने सिर नीरज के कंधे पर रखा, और वो रात धीरे-धीरे सपनों में घुलती गई — किसी कविता की तरह।
निकिता नीरज के कंधे पर सर रखे हुए थी
फिर धीमे से नीरज की छाती पर हाथ फेरते हुए बोली तुम्हे मेरा घर और घर वाले कैसे लगे
मेरी सहेलिओ और छुटकी ने ज्यादा सताया तो नहीं
तुम उनकी किसी भी बात से प्लीज नाराज मत होना
उनकी आदत है हसी मजाक करने की
नीरज ने हलके से जबाब दिया नहीं बिलकुल भी नहीं
उलटे मुझे तो बहुत मजा आया और यही तो पल होते है
जो शादी को यादगार बनाते है उनके बिना तो शादी
बिलकुल बोरिंग हो जाएगी
तभी निकिता ने ऐसे रियेक्ट किया जैसे उस कुछ याद आया हो
और तुरंत अपना हाथ नीरज की छाती से हटाकर बिस्तरत से
कड़ी हो गयी और फिर बोली मेरी नालायक सहेलिओ ने तुम्हारे
लिए कुछ गिफ्ट भेजे है क्यों न हम पहले उन्हें देखे
मेरी सहेलिओ ने जरूर कुछ न कुछ सरप्राइज प्लान किया होगा
हमारे लिए
इसके पहले नीरज कुछ भी रियेक्ट करता निकिता बिस्तरत से उठी
और अपना बैग उठा कर ले आयी जिसमे बहुत सरे गिफ्ट रखे थे
निकिता बोली तुम्हारे दोस्तों ने भी तुम्हे गिफ्ट दिए होंगे क्या तुम उन्हें नहीं खोलना चाहोगे
नीरज बोला मैं अपने कमीने दोस्तों को अच्छे से जनता हूँ वो जो देंगे वो तुम्हे
ज्यादा पसंद नहीं आएगा इसलिए पहले तुम्हारी सहेलिओ के गिफ्ट देखते है
फिर मेरे कमीनो के गिफ्ट देखेंगे
निकिता बोली लेकिन ये तो बहुत सरे है तुम्हे मेरी है करनी पड़ेगी गिफ्ट को खोलने में
अगर मैं अकेले सरे गिफ्ट ओपन करुँगी तो पूरी रत इसी में काट जाएगी
उम्मदी है तुम अपनी पहली रात को इस में नहीं काटना चाहोगे
अब नीरज क्या ही बोलता के वो तो बस जल्दी से निकिता के साथ
सुहागरात का मजा लेना चाहता था
निकिता ने अपना पहला गिफ्ट ओपन किया उसी की किसी सहेली का गिफ्ट था
उसमे एक लेटर लिखा था डिअर जीजाजी मैंने जब से आप को देखा है आपके प्यार में
पागल हो चुकी हूँ आप की क्यूट स्माइल ने मेरा दिल चुरा लिया है अगर आप कभी भी
अपनी इस बीबी जो मेरी सहेली है उससे परेशां हो और उसे छोड़कर किसी ऑप्शन की तलाश में हो
तो मैं बिलकुल रेडी हूँ वैसे आपके लिए एक छोटा सा गिफ्ट भेज रही हूँ जो मैंने बहुत दिल से पसंद किया है
प्लीज इसे मेरा दिल समझ कर अपने दिल के पास रखना उस लेटर में से बहुत ही अच्छी सी खुशबु आ रही थी
आगे लिखा था प्लीज इसे फेक मत देना एक बार उपयोग जरूर करना आपकी
मदद के लिए गिफ्ट के साथ एक फोटो भी है जो आपकी मदद करेगा इस गिफ्ट को कैसे
उपयोग करना है बताने के लिए आपकी प्यारी साली विथ लव और फिर ३ दिल जो पिंक
पेन से बने थे
जड़ नीरज ये चिट्ठी पढ़ रहा था उसे अपने आप पर गुमान हो रहा था और वो निकिता को जैसे
चिढ़ा रहा था के देखो कैसे वो उसकी सहेलिओ में फेमस है और उसे कितना प्यार करती है निकिता की
सहेलियां , तभी निकिता बोली अगर तुम्हारा लव लेटर पूरा हो गया हो तो गिफ्ट खोले मैंने भी तो देखु आखिर मेरी
कौन सी कामिनी दोस्त तुम पर मर मिटी है जो उसका जब मैं वापस जॉन तो अपने हाथो से गला दबा सकूँ
नीरज मुस्कुराते हुए बोला मुझे किसी के जलने की बू आ रही है
तो निकिता बोली मुझे कोई जलन नहीं है बस समझ नहीं आ रहा
के मेरी काईन सी सहेली इतनी ज्यादा मर मिटी है तुम पर और
ऐसा क्या गिफ्ट भेजा है मैं भी तो देखूं
नीरज अपनी बीबी को चिढ़ाते हुए धीमे धीमे गिफ्ट बॉक्स पर लगे टेप को निकाल रहा था
और जब गिफ्ट पैक पूरा खुला नीरज और निकिता दोनों सरप्राइज हो गए क्यों के
गिफ्ट रेप में हेयर बेंड का पैकेट था और एक फोटो जिसमे नीरज की फोटो एडिट करके
उसके लम्बे बालो को दोनों तरफ का पार्टीशन करके दो चोटिया बनी थी जो फोल्ड करके
उसके कानो के पास रबर बंद से बंधे हुए थे
नीरज ये फोटो देख कर निकिता की हसी निकल गयी और बोली
अरे आपकी पहेली लवर तो आपके बालो से प्यार करती थी वैसे
मुझे ये रिश्ता मंजरू है और बोली नीरज जी आपकी सहेली तो
आपको प्यारी सी दो चोटियों में देखना चाहती है और इस लिए
उसने आपको ये रबर बेंड का पैकेट भेजा है क्या करना है
फेक दूँ और सस बेचारी ने इतने प्यार से भेजे गिफ को एक्सेप्ट करना है
मैं तो कहूँगी के एक्सेप्ट ही कर लो शादी की पहली रात किसी का दिल नहीं तोड़ना
चाहिए और फिर नीरज कुछ भी कहता उसके पहले ही निकिता ने नीरज के
खूबसूरत लब्मे बालो को दो पार्ट में डिवाइड कर के उसकी दो खूबसूरत लम्बी
छोटी बना दी और उनमे रबर से सिक्योर कर दिया
फिर चोटियों को फोल्ड करके उसके कान के पास सिक्योर कर दिया
और फिर निकिता ने नीरज के गालो पर एक प्यारा सा किश दिया और बोली
मेरी जान को किसी की नजर न लगे बहुत क्यूट लग रहे हो वैसे तुम्हारे बाल सच में
बहुत अच्छे और हेअल्थी है ऐसी बाल तो लड़कियों को भी नहीं मिलते भगवन बहुत
नाइंसाफी करते है कई बार
नीरज क्या बोलता बस हस्ता रहा और बोला ये तो बस कॉलेज में पढाई का प्रेशर ज्यादा था
तो कुछ महीने कटवा नहीं पाया और जब थोड़े बड़े हो गए तो बहन और माँ ने कहा के मेरे चेहरे पर लम्बे बाल
अच्छे लग रहे है तो इन्हे न कटवाऊं फिर वो मेरे सर में तेल मालिश कर देते तो मुझे कोई दिक्कत भी नहीं हो
रही थी इसलिए मैंने भी कटवाया नहीं पर लगता है अब कटवाना पड़ेगा अगर मेरी प्यारी बीबी
को पसंद न होतो मैं कल ही कटवा लूंगा
निकिता बोली सच कहूं तो तुम लम्बे बालो में एक दम राजकुमार जैसे लगते हो
प्लीज कुछ दिन मत कटवाओ बाद में चाहे तो कटवा देना अगर तुमने अभी
कटवा लिया तो सब बोलेंगे के मैंने ही जिद करके ऐसा किया है और मेरे बिना
गलती के ही तुम्हारी भाभी बहन और माँ मुझ पर शक करेंगे के बेटे को आते ही
अपने काबू में कर लिया और हमारे तेरे नाम के सलमान खान को गजनी का आमिर खान
बना दिया
निकिता की बात सुनकर नीरज भी मंद मंद हसने लगा ठीक है जब तक तुम ना कहो तब तक
मैं अपने बाल नहीं कटवायूंगा पर तुम्हें भी मेरा ख्याल रखना होगा मेरे बालों में रोज मालिश करनी होगी
और सर दबाना होगा
निकिता हंसते हुए बोली की अगर तुम शर्तें रखोगे तो मेरी भी एक शर्त है बालों में मालिश करने के बाद जो हेयर स्टाइल में बनाऊंगी वह तुम्हें चुपचाप बनवाना पड़ेगा और अगर तुमने जरा भी आना खाने कीतो तुम्हेंअपने लंबे बालों कोकटवाना होगा
नीरज कुछ देर सोचने के बाद बोला जो आ गया बीवी जी
और फिर दोनों हंसने लगे
उसके बाद निकिता ने दूसरा पैकेट उठायाउसमें भी एक चिट्ठी थी जो शायद निकिता के लिए थी
नीरज काफी एक्साइटेड हो गया क्योंकि उसे पता था निकिता की सहेलियां जरूर कुछ प्लान कर रही है
और वह जानना चाहता था कि उसमें निकिता के लिए क्या था
जब निकिता ने पैकेट खोलाउसमें बहुत ही शॉर्ट ट्रांसपेरेंट बेबी डॉल ड्रेस थी ड्रेस को देखकर निकिता ना नीरज की ओर देखा और नीरज ने निकिता की ओर और दोनों ने जैसे आंखों ही आंखों में कुछ कहा निकिता ने ना में इसारा किया और नीरज ने हां में
फिर नीरज अपनी छोटी पर हाथ घुमाते हुए बोलाअगर तुम अपनी सहेली की ड्रेस नहीं पहनोगी तो मैं अपनी चोटिया भी खोल रहा हूं
निकिता शर्माते हो बोलि पर ये बहुत ज्यादा शॉर्ट ड्रेस है इसमें तो कुछ भी छुपेगा ही नहीं
नीरज बोला यह हमारे हनीमून की ड्रेस है और हनीमून पर कुछ भी कहां छुपाया जाता है
नीरज आगे बोला हनीमून पर तो मैंने सुना है की पति अपनी पत्नियों के सारे तिल तक गिन लेते हैं किसकी बॉडी पर कहां पर क्या-क्या निशान हैऔर यह ड्रेस मेरी मदद करेगी तुम्हारी सहेलियों सच में ग्रेट है जिन्हें मेरा पूरा ख्याल रखा है
मुझे तो लगता है वह तुम्हारी कम मेरी ज्यादा सहेली हैजो मेरी हर चीज का ख्याल रख रही है वरना मैं तो शर्म से कभी तुम्हे ये ड्रेस पहनने के बारे में बोल भी ना पता
निकिता बोली तुम कुछ ज्यादा ही मेरी सहेलियों की तारीफ तरफदारी नहीं कर रहे हो ठीक है मैं जाती हूं चेंज करके आते हो लेकिन ध्यान रखना मेरी सहेलियों बहुत कमीनी हैतुम्हारे लिए भी जरूर कुछ ना कुछ सरप्राइज रखा होगा और उसे समय तुम नाटक नहीं करोगे नीरज भी कॉन्फिडेंस से बोला हां मुझे मंजूर है
कमरा अब भी फूलों की ख़ुशबू और चंदन की इत्र से महक रहा था। खिड़की से आती चाँदनी ने फर्श पर दूधिया रोशनी बिछा दी थी।
तभी बाथरूम का दरवाज़ा धीमे से खुला।
हल्के भाप से ढका दृश्य जैसे किसी चित्रकार ने चाँदनी से रचा हो। निकिता, रेशमी काले बेबी डॉल नाइटी में सामने आई — उसकी दूध सी त्वचा पर रेशम की काली परछाई किसी कविता की तरह फिसलती जा रही थी। उसके खुले बालों की नमी अब भी उसके कंधों से टपक रही थी।
नीरज का मुँह थोड़ी देर के लिए खुला का खुला रह गया। ये वही निकिता थी — जो दिन में खिलखिलाती, सहेलियों संग हँसती थी, और अब रात में, चाँदनी की तरह उसकी आँखों के सामने सजी थी।
निकिता (धीरे से मुस्कुराकर):
"इतना देखोगे तो कहीं चाँद भी शर्म से छुप जाएगा।"
नीरज (धीमी आवाज़ में):
"तुम्हें देखूँ भी नहीं… तो इस रात का क्या फ़ायदा?"
निकिता धीरे-धीरे चलती हुई पलंग के पास आई, और नीरज के ठीक सामने बैठ गई। उसकी आँखों में संकोच भी था, पर उस संकोच में जो अपनापन और विश्वास था, उसने नीरज के दिल को छू लिया।
नीरज:
सच कहूँ तो डर रहा हूँ — कि तुम्हें कहीं कम महसूस न करवा दूँ।"
निकिता (हल्के से नीरज का हाथ पकड़ते हुए):
"रिश्ते में कोई ‘पूरा’ या ‘कम’ नहीं होता नीरज। आज बस एक नई शुरुआत है — जो हमारी है, सिर्फ़ हमारी।"
कमरे में कोई शोर नहीं था — सिवाय उनके धड़कते दिलों के।
हँसी-मज़ाक का माहौल बना ही हुआ था कि एक सुंदर सिल्वर बॉक्स नीरज के हाथ लगा।
डिब्बा हल्का था, लेकिन जैसे ही उसने ढक्कन उठाया — दोनों की आँखें ठहर गईं।
डिब्बे में एक खूबसूरत गुलाबी लिफ़ाफ़ा था, और उस पर गहरे गुलाबी रंग की लिपस्टिक से बने होंठों का निशान था। लिफाफे पर लिखा था:
"सिर्फ़ नीरज जी के लिए…"
दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा।
निकिता (हल्का सा चुटकी लेते हुए):
"क्या बात है, नीरज जी… आपके लिए सीक्रेट फैन से खत?"
नीरज ने संकोच से लिफाफा खोला। भीतर लिखा था:
**"नीरज जी,
शब्दों में आपकी ख़ूबसूरती को बयां करना मुमकिन नहीं।
आपको देखकर बस एक ही ख्याल आता है —
अगर आज आप इतने गुलाब से खिले हो, तो बचपन में कितने मासूम और प्यारे लगते होंगे।
मैं तो बस कल्पना ही कर सकती हूँ…
एक छोटा सा तोहफ़ा भेजा है —
प्लीज़ मना मत करिएगा।
बस एक बार मेरा तोहफ़ा पहन लीजिए…
मेरा जीवन सफल हो जाएगा।
– आपको दिल से चाहने वाली, आपकी ‘एक चाहत’"**
नीरज और निकिता दोनों कुछ पल के लिए चुप हो गए।
धीरे से नीरज ने डिब्बे में देखा… उसमें neatly fold की हुई एक लड़कियों की स्कूल यूनिफॉर्म थी — सफ़ेद शर्ट, नेवी ब्लू स्कर्ट, और एक छोटी सी टाई, जैसे किसी लड़की के स्कूल ड्रेसिंग सेट में होती है।
निकिता की आँखें फैल गईं।
निकिता (हँसते हुए):
"ये तो… क्या? किसी को मज़ाक सूझा है क्या? या कोई वाकई सीरियस है?"
नीरज (कुछ परेशान होकर):
"ये अजीब है… ऐसा कोई क्यों भेजेगा?"
दोनों के चेहरों पर अब भी हल्की मुस्कान थी, लेकिन उस हँसी में एक उलझन भी थी।
निकिता (धीरे से):
"कहीं… ये कोई पुरानी पहचान तो नहीं? या कोई जो… तुम्हें जानती हो — तुमसे कुछ कहना चाहती हो?"
कमरे में एक अजीब-सी खामोशी थी…
शादी के तोहफ़ों के बीच एक ऐसा उपहार जिसने नीरज और निकिता दोनों को कुछ पल के लिए उलझा दिया था।
नीरज हाथ में उस स्कूल यूनिफॉर्म को लिए खड़ा था, और निकिता उसके पास बैठी थी, आँखों में शरारत की चमक के साथ।
निकिता (हँसते हुए बोली):
"अब इसमें मेरी तो कोई गलती नहीं है… अगर तुम्हारे चाहने वाले तुम्हें लड़की बनाना चाहते हैं तो? देखो ना, कोई तुम्हें हेयरबैंड भेज रहा है, कोई अब स्कूल ड्रेस! मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है कि इसका करना क्या है। तुम्हें क्या लगता है?"
नीरज मुस्कराते हुए, पर हल्की झिझक के साथ बोला:
"करना क्या है… इसे पैक करके रख दो। जब तुम अपने घर जाओगी तो इसे अपने साथ ले जाना, शायद किसी ने गलती से भेजा हो…"
निकिता (बात काटते हुए, हौले से हँसकर):
"गलती से भेजा है? नीरज जी, जिस तरह से उस खत पर लिपस्टिक का निशान बना था… और जो लाइनें लिखी थीं – ‘बस एक बार मेरा तोहफ़ा पहन लीजिए, मेरा जीवन सफल हो जाएगा’ — लगता तो नहीं कि गलती थी।"
नीरज खामोश रहा।
निकिता आगे बोली (थोड़े शरारती और थोड़े गंभीर लहजे में):
"कहीं ऐसा तो नहीं है कि ये जानबूझकर दी गई हो… कोई दिल से चाहता हो कि तुम इसे पहनो?"
फिर वो मुस्करा कर बोली,
"वैसे, अगर मेरी मानी जाए तो… तुम पर तो ये ड्रेस बहुत ही अच्छी लगेगी। वैसे भी तुम्हारी नाक-नक्श बड़ी नाजुक हैं।"
नीरज ने हँसते हुए उसे देखा — उसकी मुस्कान में संकोच था, लेकिन उसकी आँखों में एक हल्का सा डर भी।
निकिता (हाथ पकड़ते हुए):
"नीरज, मैं तुम्हें चिढ़ा रही हूँ… पर सच में, अगर कभी तुम्हें लगे कि तुम किसी और रूप में ज़्यादा सहज हो, तो बताना। मैं तुम्हारा मज़ाक नहीं उड़ाऊँगी… मैं तुम्हारा साथ दूँगी।"
नीरज ने उसकी ओर देखा। कमरे का माहौल अचानक थोड़ी गंभीरता से भर गया। वो जानता था, निकिता मज़ाक कर रही थी… लेकिन उसके शब्दों में कोई गहराई भी छुपी थी।
नीरज (धीरे से बोला):
"नहीं निकिता… मैं जैसा हूँ, वैसा ही ठीक हूँ। शायद ये कोई मज़ाक है, या कोई पुरानी बात… लेकिन मैं तुम्हें लेकर बहुत खुश हूँ।"
निकिता ने मुस्कराकर उसकी हथेली थाम ली।
वह स्कूल यूनिफॉर्म, वह पत्र, और वह लिपस्टिक का निशान — यह सब नीरज के मन को विचलित कर रहे थे।
निकिता, नीरज के पास बैठी, मुस्कराते हुए लेकिन गंभीर स्वर में बोली —
"नीरज… मैंने तुम्हारे कहने पर बेबी डॉल पहन लिया … इस तरह की छोटी ड्रेस मैंने कभी नहीं पहनी थी, लेकिन तुम्हारे लिए, तुम्हारे बात को बड़ा करने के लिए… मैंने वो भी पहन ली।"
नीरज उसकी आँखों में झाँकता रहा। वह जानता था कि निकिता मज़ाक नहीं कर रही है।
निकिता ने हल्के से उसका हाथ पकड़ते हुए कहा:
"तो क्या तुम भी… सिर्फ मेरे लिए… वो स्कूल ड्रेस एक बार पहन सकते हो? देखो, ये कपड़ा ही तो है, न तुम्हारी मर्दानगी पर सवाल है, न मेरी चाहत पर। पर ये पल… ये यादें… कभी दोहराई नहीं जा सकेंगी।"
नीरज झिझका, उसके होंठ थरथराए, पर कुछ नहीं बोला।
निकिता ने फिर मुस्कराकर कहा:
"मैं जानती हूँ… ये आसान नहीं है। पर सिर्फ एक बार, मेरे लिए। हम दोनों के बीच ये एक सुंदर सी स्मृति बन जाए।"
वो उठी, और नीरज का हाथ थामकर उसे बाथरूम की ओर ले गई। नीरज कुछ कहने ही वाला था कि उसने बाथरूम का दरवाज़ा खोलकर उसे अंदर कर दिया।
थोड़ी देर बाद दरवाज़े पर दस्तक दी।
निकिता ने मुस्कराकर कहा:
"ये देखो… ये ड्रेस से मैचिंग ब्रा और पैंटी हैं… मैं अपने लिए लायी थी , लेकिन अब… ये तुम्हारे उस यूनिफॉर्म से मैच कर रही है।इसलिए दे रही हूँ रिक्वेस्ट मैं बाद में कर दूंगी इन्हे बी पहन कर ही बाहर आना "
नीरज ने चुपचाप पैकेट ले लिया।
बाथरूम के आईने के सामने नीरज खड़ा था।
उसका चेहरा भावशून्य था। हाथ काँप रहे थे।
ड्रेस उसके सामने लटक रही थी — स्कूल की लड़की की यूनिफॉर्म — सफेद शर्ट, नीली स्कर्ट, और बालों में बाँधने के लिए दो रिबन।
नीरज जानता था कि ये सिर्फ मज़ाक था।
थोड़ी देर के लिए नीरज भी बड़ा नर्वस था फिर उसने अपने आप को समझाया कि यह सिर्फ एक मजाक है और यह हमारी सुहागरात को हसीन बनाने के लिए है तो ज्यादा सोचना नहीं है जस्ट फन की तरह से लेना है और उसने अपने कपड़े उतारने शुरू किया और उसके बाद एक-एक करके जो निकिता ने उसे कपड़े दिए थे उन्हें पहनना शुरू किया
सबसे पहले नीरज ने पैंटी को पहना जैसे नॉर्मल अंडरवियर पहना जाता है उसके ऊपर स्कर्ट को और स्कर्ट के हुक को लगाया उसके बाद बारी थी ब्रा की जिसमें थोड़ा सा स्ट्रगल हुआ पर नीरज ने मैनेज कर लिया
और उसके बाद शर्ट को पहना और सबसे लास्ट में जो रिबन थे उन रिबन को निकिता के बने दो चोटी जो उसके कान के पास फोल्ड करके रबड़ लगा दिया था उनके ऊपर ही बस बांधना था तो उसे भी आसानी से नीरज ने बांध लिया बाथरूम से बाहर निकलने से पहले नीरज ने एक बार खुद को आईने में देखा नीरज को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि सामने एक खूबसूरत लड़की खड़ी थी छोटी सी स्कर्ट पहने स्कूल ड्रेस में बालों में दो चोटी किए हुए नीरज पता नहीं क्यों खुद को देखकर एक्साइटेड हो गया
बाथरूम की हल्की पीली रोशनी में नीरज अपने सामने खड़ा था। उसने वो ड्रेस पहन ली थी—स्कूल की ड्रेस, जो किसी ने भेजी थी, अज्ञात नाम से, लेकिन बड़े भावुक शब्दों के साथ।आईने के सामने खड़े होकर उसने खुद को देखा — हल्की नीली स्कर्ट, सफेद शर्ट, दो चोटी और रिबन… और उसकी अपनी आँखें — जो अब भी हैरान थीं।
"ये मैं हूँ?" उसने खुद से फुसफुसाकर पूछा।
वो इस बात पर हँसना चाहता था। खुद को मूर्ख समझना चाहता था। पर दिल… दिल चुप नहीं था। वो कह रहा था — "कुछ तो है... खाश इस ड्रेस में
नीरज आईने के सामने खड़े होकर जब खुद से बातें कर रहा थाऔर अपने विचारों में खोया हुआ था तभी उसे तनक सुनाई दिया और वह अपने सपनों की दुनिया से बाहर आ गया क्योंकि दरवाजे के बाहर बाथरूम के बाहर निकिता दरवाजाठोक रही थीनिकिता की आवाज आईक्या हुआ नीरज जी खुद कोई देखते रहोगे बाहर भी आओगे और हमें भी अपना दीदार कर आओगे सुहागरात आज बाथरूम में मनाने का इरादा है
नीरज तुरंत घबराकर दरवाजा की और भाग और जल्दी से उसने दरवाजा खोलानिकिता ने जब नीरज को देखा उसकी आंखें फटी की फटी रह गईनीरज बहुत ही खूबसूरत लग रहा थाउसकी छोटी उसके चेहरे के रंग से मैच का रही थी और यह ड्रेस बिल्कुल उसके नाम की थी वह इस ड्रेस में बिल्कुलएक नई-नई जवान लड़की की तरह खूबसूरत लग रहा था टिकट हंसना चाहते थे पर उसे पता था अगर वह हंसने की तो नीरज को बुरा लग सकता है इसलिए उसने अपने हंसी पर कंट्रोल कियानीरज का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर लेकर आई और जब नीरज अपनी स्कर्ट को व्यवस्थित कर कर फोल्ड कर बिस्तर पर बैठ रहा था तभी निकिता ने नीरजके गालों परएक कंट्रोल्ड एक छोटा सा किस कियालेकिन नीरज के लिए ओके जैसे करंट का झटका था जैसे उसने एक नंगी तार पकड़ ली थी उसके रोम रोम में पिछली से कौन गई थी बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गया थाऔर वह एक्साइटमेंट उसकी छोटी सी स्कर्ट के अंदरनिकिता की पैंटी में से साफ नजर आ रही थी जिसे बहुत मुश्किल से नीरज छुपा पा रहा था
नीरज निकिता दोनों ही बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गए थेऐसा नहीं था कि आग एक तरफ से लगी थी आग दोनों तरफ थी अगर नीरज की एक्साइटमेंट उसकी छोटी सी स्कर्ट और निकिता के पेटी से दिख रही थी तो निकिता की एक्साइटमेंट भी उस शॉर्ट बेबी डॉल ड्रेस के अंदर से उसकी गीली पेटी में से साफ दिखाई दे रही थी दोनों के लिए पल थोड़ा सा असहज था पर बहुत रोमांटिक भी था
निकिता धीरे से उसके पास आई और मुस्कराते हुए बोली,
"अब जब ड्रेस पहन ही ली है, तो इसे पूरा क्यों न किया जाए?"
नीरज ने मुड़कर देखा—आँखों में थोड़ा संकोच, थोड़ा उत्साह।
"तुम्हारा मतलब?"
"मेकअप…" निकिता ने कहा और नीरज का हाथ पकड़कर उसे धीरे से आईने के सामने स्टूल पर बैठा दिया।
"आज… बस एक बार… खुद को उस नज़र से देखो… जैसे एक लड़की दुनिया को देखती है ।"
पर इसके लिए तुम्हे क्लेन सेव करना पड़ेगा
और फिर नीरज का सेविंग बॉक्स ले कर आयी और उसके फेस पर जेल लगाकर रेजर से धीमे धीमे नीरज के फेस के सरे हेयर्स को क्लीन कर दिया
क्लीन सेव होने के बाद निकिता ने नीरज के फैक को फेसवाश से क्लीन किया उसके बाद
निकिता ने अपना छोटा मेकअप बॉक्स निकाला—एक चमचमाता गुलाबी डब्बा जिसमें उसके पसंदीदा रंग थे।
सबसे पहले उसने नीरज के चेहरे को नर्म रूई से साफ़ किया।
हथेली की गर्माहट और रूई की नरमी से नीरज को हल्की सी झुरझुरी महसूस हुई।
"अब आंखें बंद करो," निकिता ने धीमे से कहा।
नीरज ने आंखें मूंद लीं।
निकिता ने सबसे पहले फाउंडेशन लिया और अपनी अंगुलियों से बड़े प्यार से उसे नीरज के चेहरे पर फैलाया।
"तुम्हारी स्किन तो मुझसे भी सॉफ्ट है," वो हँसते हुए बोली।
फिर आई कंसीलर की बारी। उसने नीरज की आंखों के नीचे और माथे पर हल्का टच दिया।
"बस थोड़ी सी थकान छुपा देते हैं… ताकि सिर्फ खूबसूरती दिखे," उसने मुस्कुराते हुए कहा।
फिर आई ब्यूटी ब्लेंडर—जिससे उसने सब कुछ एकसार कर दिया। नीरज को महसूस हो रहा था जैसे कोई उसे धीरे-धीरे सजा रहा हो, नहीं… समझ रहा हो।
अब ब्लश की बारी थी। हल्के गुलाबी रंग को गालों पर लगाते हुए निकिता ने उसकी आंखों में देखा—
"तुम blush कर रहे हो… या ये ब्लश का कमाल है?"
नीरज ने झेंपते हुए नज़रें झुका लीं।
फिर आई आंखों की बारी।
निकिता ने बड़े प्यार से काजल की डंडी उठाई और धीरे से नीरज की आंखों के किनारों पर उसे चलाया।
"अपनी आंखों को देखो नीरज… इनसे तो कोई भी डूब जाए…"
आईलाइनर लगाते हुए उसकी उंगलियां कभी नीरज के गालों को छूतीं, कभी उसकी पलकों को संभालतीं। हर स्पर्श में एक अपनापन था, एक गहराई।
फिर लैश कर्लर, थोड़ी सी मस्कारा, और एक हल्का गोल्डन आईशैडो…
और अंत में…
लिपस्टिक।
निकिता ने एक चमकदार रोज़ शेड निकाला—धीरे से नीरज की ठुड्डी उठाई और बोली,
"बस हल्के से होठों को खोलो… अब इसे न नकारना…"
धीरे-धीरे उसने लिपस्टिक लगाई—हर स्ट्रोक के साथ मानो कोई नया भाव अंकित हो रहा हो।
जब नीरज ने आईना देखा… तो सामने एक नया ही चेहरा था।
कमरे में धीमी सी लैवेंडर सुगंध फैली हुई थी। पर्दों से छनती हल्की रौशनी नीरज के चेहरे को छू रही थी। वह सामने आईने में खुद को देख रहा था — स्कूल गर्ल की ड्रेस में, हल्का सा झिलमिलाता मेकअप और बालो में दो चोटियां । उसके होंठों पर गुलाबी ग्लॉस था, पलकें मस्कारा से लहराई हुई थीं। निकिता ने बड़ी बारीकी से उसका मेकअप किया था — जैसे किसी कलाकार ने अपने कैनवस पर ब्रश चलाया हो।
निकिता पीछे से आई, उसके कंधों पर धीरे से हाथ रखा, और मुस्कराई, “बस अब एक आख़िरी टच बाकी है…”
नीरज ने थोड़ी हैरानी से पूछा, “क्या?”
निकिता ने मुस्कराते हुए बेड साइड से एक सॉफ्ट वेल्वेट का छोटा ज्वेलरी बॉक्स उठाया। उसे खोलते ही उसमें से चमकते हुए ज़ेवर दिखने लगे — मोतियों की एक नाज़ुक चोकर, झिलमिलाते कंगन, एक महीन सी पायल, और सबसे ऊपर एक जोड़ी छोटे, दिल के आकार की बालियाँ।
“पहले ये…” निकिता ने चोकर निकाला और नीरज की गर्दन के चारों ओर धीरे-धीरे बांधा। उसकी उंगलियाँ हल्के-हल्के गर्दन पर घूमीं, जिससे नीरज को एक सिहरन सी महसूस हुई। चोकर की सफ़ेद मोती और गुलाबी पत्थर उस पर किसी परी सी शोभा दे रहे थे।
फिर उसने कंगन उसकी कलाई में पहनाए — चूड़ियों की खनक जैसे कमरे में नयी रूमानी ध्वनि भर गई हो।
“अब आंखें बंद करो,” निकिता ने धीरे से कहा।
नीरज ने आंखें बंद कीं, मगर कुछ घबराहट के साथ।
थोड़ी देर बाद, निकिता की सांसें उसकी गर्दन के पास महसूस हुईं। फिर एक हल्की सी चुभन… और एक मीठी सिहरन।
नीरज की आंखें खुलीं — और वो हैरान रह गया।
“तुमने… कान छेद दिए?” उसकी आवाज़ धीमी लेकिन हैरान थी।
निकिता ने प्यार से उसकी ठुड्डी ऊपर की और कहा, “बस थोड़ा सा सरप्राइज… ताकि तुम पूरी लगो।”
उसके कानों में अब वही दिल के आकार की बालियाँ झूल रही थीं। हल्के गुलाबी रंग में, एक छोटे से मोती के साथ। बेहद नाज़ुक और सुंदर।
नीरज आईने में खुद को देखता रहा। उसकी साँसे तेज़ थीं, मगर आंखों में चमक थी — कुछ नया महसूस करने की, कुछ गहराई से जुड़ने की।
निकिता ने फिर धीरे से उसका हाथ पकड़ा और कहा, “अब चलो, पायल और बची चीज़ें पहनाते हैं… आज की शाम सिर्फ तुम्हारे और मेरे लिए है।”
नीरज ने मुस्कुराते हुए हामी भरी।
निकिता ने उसे बिठाया, और बहुत ध्यान से उसके पैरों में पायल पहनाई — चांदी की, हल्की सी घंटियों वाली। उनके खनकते ही कमरे में एक और मधुर स्वर भर गया।
नीरज के हर स्पर्श, हर ज्वेलरी का टुकड़ा, निकिता के प्यार से भरा हुआ था।
कमरे में अब सिर्फ़ नर्म रोशनी बची थी, खिड़की से आती हल्की हवा नीरज की स्कर्ट को थामे झूल रही थी। स्कूल गर्ल यूनिफ़ॉर्म में मेकअप और ज्वेलरी के साथ नीरज एकदम अलग लग रहा था — शर्मीला, लेकिन अंदर ही अंदर थोड़ी ख़ुश भी। वहीं, निकिता बेबी डॉल ड्रेस में उसके पास बैठी थी, उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी।
“सोचो नीरज,” निकिता ने धीरे से मुस्कराते हुए कहा, “हमारा हनीमून होगा… और उसमें दो लड़कियाँ होंगी। तो… सुहागरात कैसे मनेगी?”
नीरज ने भौंहें चढ़ाकर हैरानी जताई, “हाह! क्या मतलब? मतलब हम दोनों ही लड़की बनें तो... कौन करेगा पहल?”
निकिता ने रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा, “एक मिनट रुकना…”
और वो उठकर, अपनी डॉल-सी ड्रेस के फंदे खोलती हुई, धीरे-धीरे बाथरूम की तरफ़ चली गई। जाते-जाते उसने दरवाज़े के पास रुककर एक नज़ाकत भरी अदा में कहा, “तैयार रहना... तुम्हारी ज़िंदगी बदलने वाली है।”
नीरज हक्का-बक्का रह गया। “अब क्या करने वाली है ये?” उसने खुद से कहा, लेकिन अंदर कहीं दिल तेज़ धड़कने लगा था।
कुछ मिनट बाद… बाथरूम का दरवाज़ा खुला।
और वहाँ खड़ी थी निकिता… लेकिन अब वो ‘निकितादेवी’ नहीं… बल्कि एक स्टाइलिश, हैंडसम दूल्हे की तरह नज़र आ रही थी। उसने नीरज के ही शादी वाले शेरवानी को पहना था — कंधे पर जरीदार दुपट्टा, माथे पर सेहरा सा बाँध रखा था और चाल में एक शरारती अकड़ थी।
नीरज की आँखें चौड़ी हो गईं। “तुमने… मेरे कपड़े पहन लिए?” उसकी आवाज़ में हँसी और झिझक दोनों थी।
“अब तू मेरी दुल्हन है,” निकिता ने मज़ाकिया लेकिन गहरे सुर में कहा। फिर वो धीरे-धीरे उसकी तरफ़ बढ़ी, हर क़दम पर उसके चेहरे पर शरारत और प्यार दोनों गहराते गए।
नीरज हँसते हुए पीछे हटता गया, “अरे नहीं, ये सब क्या है!”
निकिता ने धीरे से उसकी कलाई पकड़ी, और उसे पास खींच लिया। “दुल्हन को ऐसे शरमाना शोभा देता है, दीपिका रानी,” उसने चिढ़ाते हुए कहा।
“दीपिका?! ओहो… अब नाम भी बदल दिया मेरा?” नीरज ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।
निकिता ने उसकी मांग में सिंदूर जैसा सा लाल टिंट लगाने के लिए लिपस्टिक उठाई और बहुत कोमलता से उसकी मांग भर दी।
“अब बोलो,” निकिता फुसफुसाई, “तुम मेरी बीवी, और मैं तुम्हारा पति… अब सुहागरात कौन मनाएगा?”
नीरज ने थोड़ा सा शर्माते हुए नीचे देखा, लेकिन फिर उसकी आँखों में एक चमक आ गई। “अगर तुम पति हो, तो सुहागरात की ज़िम्मेदारी भी तुम्हारी है।”
“तो हुक्म मानो मेरी रानी,” निकिता ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचा।
“क्या हुक्म है सरकार?” नीरज ने धीरे से पूछा।
“बस इतना कि आज की रात... तुम सिर्फ़ मेरी हो।”
हँसी, हल्की छेड़खानी और धीरे-धीरे गहराता एहसास — दोनों की पहचानें उस पल में ग़ुम हो गईं। एक ने अपने दिल से नया रूप स्वीकार किया, और दूसरे ने उस रूप से प्यार करना सीखा।
कमरे में अब दो लोग नहीं थे — एक प्यार था, जो हर रूप में सुंदर था।
नीरज बिस्तर पर बैठा था — स्कर्ट की लेयरें उसके पैरों के पास फैल गई थीं, उसके हाथों में चूड़ियाँ खनक रही थीं। और अब... उसके सिर पर हल्का सा घूँघट भी आ चुका था।
निकिता, जो अभी कुछ देर पहले ‘दूल्हा’ बन गई थी, उसके सामने खड़ी थी — आँखों में वही शरारती चमक।
“बैठो...” उसने धीमे सुर में कहा।
नीरज थोड़ी झिझक और बहुत सी उत्सुकता के साथ बिस्तर पर बैठ गया। निकिता ने फिर धीरे से उसकी ठोड़ी को ऊपर किया, और अपनी उंगलियों से घूँघट का कोना थाम लिया।
धीरे-धीरे जैसे ही घूँघट उठा… नीरज की बड़ी-बड़ी आँखें हल्की शर्म से झुक गईं। पर उसमें कहीं एक चमक थी — खुद को किसी और की नज़रों से पहली बार इस तरह देखे जाने की।
“कमाल की लग रही हो मेरी रानी...” निकिता ने फुसफुसाते हुए कहा।
नीरज मुस्कुराया — थोड़ा झेंप कर, थोड़ा संकोच से। तभी निकिता ने धीरे से अपनी टांगें मोड़ीं और उसके सामने बैठ गई।
“नयी दुल्हनें क्या करती हैं, याद है?” निकिता ने उसकी ओर इशारा किया।
नीरज कुछ समझते हुए शर्माते हुए नीचे झुका और धीरे से उसके पैर छू लिए — अपने नाज़ुक हाथों से, बिल्कुल किसी संस्कारी बहू की तरह। उसकी चूड़ियाँ टकराईं, और पायल की खनक उस ख़ामोशी में एक खास मिठास भर गई।
और तभी, नीरज ने शरारती अंदाज़ में कहा,
“पर एक बात तो रह गई…”
“क्या?” निकिता ने चौंक कर पूछा।
“मुँह दिखाई!” नीरज ने आँखें मटकाते हुए कहा, “जब दूल्हा दुल्हन का घूँघट उठाता है, तो उसे तोहफा देता है। अब तुमने मेरा घूँघट उठाया है... तो अब मुझे गिफ्ट दो!”
निकिता की आँखों में हल्की सी हैरानी आई… फिर मुस्कुराहट फैली।
“अच्छा... तो गिफ्ट चाहिए?”
“हाँ!” नीरज ने बच्चे जैसी मासूमियत से कहा।
निकिता उठी, और बिस्तर के किनारे से कुछ उठाया।
एक छोटा सा ब्लैक बॉक्स था… बिल्कुल किसी गहने के डिब्बे जैसा। नीरज ने उत्साह से उसकी तरफ़ देखा… “क्या है इसमें?”
निकिता ने बॉक्स खोला।
और उसमें... एक जोड़ी सिल्वर हैंडकफ़्स थी।
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नीरज की आँखें फटी की फटी रह गईं। “ये… ये क्या?”
“गिफ्ट,” निकिता ने धीरे से कहा। “थोड़ा अलग है, पर स्पेशल है। हमारी पहली रात यादगार होनी चाहिए न?”
नीरज थोड़ा पीछे सरका, “तुम… मुझसे मज़ाक कर रही हो न?”
“क्या लगता है?” निकिता ने उसकी कलाई थाम ली — बहुत कोमलता से, लेकिन उसके चेहरे पर एक रहस्य भरी मुस्कान थी।
नीरज अब थोड़ी घबराहट और थोड़ी उत्सुकता के बीच झूल रहा था।
“मैंने ऐसी सुहागरात तो नहीं सोची थी…” उसने बुदबुदाते हुए कहा।
निकिता हँस दी — “कभी-कभी जो सोचा नहीं होता... वही सबसे यादगार बनता है।”
नीरज अब भी बिस्तर पर बैठा था, जब निकिता ने हाथ में पकड़ा हैंडकफ़ वाला डिब्बा उसकी ओर बढ़ाया। कमरे की कैंडल लाइट अब और भी गहराने लगी थी — दीवारों पर हल्की परछाइयाँ नाच रही थीं।
नीरज ने थोड़ी घबराई हुई आवाज़ में पूछा,
“ये… ये असली है क्या?”
निकिता ने अपनी पलकों को झपकाया और मुस्कराई — कुछ ऐसे जैसे कोई राज़ दिल में छुपाए हो।
“तुम्हें यकीन नहीं हो रहा?” उसने धीरे से कहा, उसकी उंगलियाँ अब नीरज की हथेली पर थीं।
नीरज ने सिर झुकाकर हल्का सा ‘ना’ में हिला दिया, “मुझे नहीं लगता ये ज़रूरी है…”
निकिता उसकी आँखों में देखते हुए बोली, “ज़रूरी नहीं, लेकिन मज़ेदार ज़रूर हो सकता है।”
फिर उसने चुपचाप कहा, “एक हाथ दो… बस एक।”
नीरज कुछ देर तक उसे देखता रहा — उस गहरे, रहस्यमयी चेहरे को, जिसमें मासूम प्यार भी था और थोड़ी सी शरारती हिम्मत भी।
“ठीक है…” उसने धीरे से हाथ बढ़ाया।
निकिता ने हल्के से उसका हाथ थामा… और क्लिक!
हैंडकफ़ का एक सिरा उसकी कलाई में लॉक हो गया।
नीरज थोड़ा चौंका।
“अरे! तुमने सच में…?”
निकिता ने उसका चेहरा अपनी हथेली में थामा और बोली,
“मेरे पास इसकी जोड़ी भी है। अगर तुम कहो तो दूसरा भी ले आऊं… तुम्हारे दोनों हाथ बाँध दूँ… फिर मेरी प्यारी दीपिका को मैं अपने तरीके से हनीमून का मज़ा सिखाऊं…”
नीरज की साँसे तेज़ होने लगीं। उसके चेहरे पर अब झिझक और जिज्ञासा दोनों थे।
“पर… अगर मैं मना करूं तो?” नीरज ने धीमे से पूछा।
निकिता ने उसकी नाक पर हल्की सी चुटकी ली और बोली,
“तो मैं मान जाऊंगी… पर फिर सुहागरात की ये रात अधूरी रह जाएगी, मेरी रानी।”
नीरज ने धीरे से कहा,
“तुम बहुत बदल गई हो आज… इतनी बोल्ड, इतनी… कंट्रोल में…”
“शादी के बाद सब बदलते हैं, मेरी जान,” निकिता ने आँख मारते हुए कहा।
फिर वो झुक कर नीरज के पास आई, उसके कानों के पास फुसफुसाई,
“क्या तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा कि आज मैं तुम्हारा राज़ बन गई हूं… तुम्हारे सपनों की शहज़ादी भी… और शहंशाह भी?”
नीरज मुस्कुराया — एक नयी मिठास, एक नयी हिचक के साथ।
निकिता ने उसकी कलाई पर लगे कफ़ की चैन को हल्के से छुआ…
कमरे में हल्की सी खामोशी छा गई। फिर नीरज ने उसकी ओर देखा और धीरे से कहा,
“तो फिर… अगर सच में ये हनीमून है… तो मुझे पूरा बांध लो।”
निकिता की मुस्कान गहरी हो गई।
“ये हुई ना बात…” और वह दूसरी कड़ी लेकर आई —
क्लिक!
अब नीरज दोनों हाथों से बंधा था… लेकिन उसकी आँखों में डर नहीं था, बस एक एहसास था — किसी और के प्यार में खुद को पूरी तरह सौंप देने का।
निकिता ने उसके माथे को चूमा और धीरे से कहा,
“अब मेरी दुल्हन, अब मैं तुम्हारे साथ वो हर पल जीऊंगी… जो तुमने कभी सिर्फ़ ख्वाबों में देखा होगा।”
रात अब पूरी तरह उनकी थी। कमरे की नर्म रौशनी, धीमी-धीमी सुगंध, और उनके बीच की बढ़ती नज़दीकियाँ किसी फ़िल्मी सीन से कम नहीं लग रही थीं।
निकिता धीरे-धीरे नीरज की तरफ झुकी, और उसके दोनों हाथों को उठाकर बेड के हेडबोर्ड की लोहे की छड़ों से हैंडकफ़ कर दिया। अब नीरज का पूरा शरीर बिस्तर पर था — हाथ ऊपर की ओर बंधे हुए, और चेहरे पर एक अजीब सा रोमांच और भरोसे का मेल।
“अरे! ये क्या कर रही हो?” नीरज ने थोड़ा चौंकते हुए पूछा।
निकिता मुस्कुरा कर बोली,
“अब तो मेरी रानी पूरी तरह मेरी हो चुकी है... अब जितनी मस्ती करनी है, करूँगी।”
नीरज हँसते हुए बोला,
“तो अब मैं officially तुम्हारी कैदी दुल्हन हूँ?”
“हाँ, और ये जेल सिर्फ़ प्यार की है,” निकिता ने उसकी नाक पर हल्का सा चूमा।
फिर रातभर दोनों के बीच मस्ती, हल्की नोंकझोंक, मीठे ताने, और बेइंतेहा मोहब्बत का सिलसिला चलता रहा —
निकिता कभी उसके बालों से खेलती, कभी उसकी चूड़ियों से टकराती आवाज़ में गुनगुनाती।
कभी नीरज कहता, “अब तो छोड़ दो न,” तो निकिता कान में फुसफुसाकर कहती,
“जब तक तुम माफ़ी नहीं मांग लेते कि तुमने दूल्हा बनकर मेरी शादी चुराई थी!”
और दोनों हँसी में लोटपोट हो जाते।
रात ढलती गई... और मोहब्बत गहराती गई।
सुबह की हलचल सूरज की पहली किरण खिड़की की जाली से गुज़री, और नीरज की आँखों पर पड़ी। वो धीरे से जगा... उसकी कलाईयों में अभी भी हैंडकफ़ थी, और वो वैसे ही स्कूल गर्ल यूनिफ़ॉर्म, मेकअप और ज्वेलरी में बंधा हुआ बिस्तर पर पड़ा था।
और तभी…
“ठक-ठक! भैया! उठ गए क्या?”
नीरज की बहन दरवाज़े के बाहर थी!
नीरज की आँखें एकदम चौड़ी हो गईं।
“अरे नहीं! अब ये कैसे!” उसने खुद से कहा, और छटपटाया — लेकिन हाथ अब भी बंधे हुए थे। वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था।
फिर उसने तेज़ी से आँखें बंद कर लीं… और सोने का नाटक करने लगा।
बाहर से फिर आवाज़ आई,
“भैया! मम्मी पूछ रही हैं, तैयार क्यों नहीं हुए अभी तक?”
सुबह हो गयी है आज आपको और भाभी और आपको मंदिर भी जाना है
नीरज के माथे पर पसीना आ गया। बस अब दरवाज़ा खुला, तो सब कुछ सामने आ जाएगा!
उसी समय दरवाज़ा खुलने ही वाला था…
पर तभी…
निकिता बाहर निकल आई — फिर से अपने कपड़ों में, बाल बाँधे, और एकदम सामान्य दुल्हन लुक में।
“अरे! सो रहे हैं अभी नीरज,” उसने जल्दी से कहा,
“मैं उन्हें तैयार करके नीचे भेज दूंगी, तुम चिंता मत करो।”
नीरज की बहन ने मुस्कुराकर कहा,
“ठीक है भाभी, जल्दी भेज देना।”
और वो वापस चली गई।
निकिता ने दरवाज़ा बंद किया… और दीवार से पीठ टिकाकर लंबी साँस ली। फिर बिस्तर की तरफ़ देखा, जहाँ नीरज अब भी आँखे बंद किए ‘सोने का नाटक’ कर रहा था।
वो धीरे से उसके पास आई और कान में फुसफुसाई,
“शुभ प्रभात… मेरी प्यारी बंदिनी रानी।”
नीरज ने आँखें खोलीं और बोला,
“बचा लिया आज… वरना मेरी सुहागरात का राज़ सुहागरात से पहले ही खुल जाता।” और मैं कभी अपनी बहन के सामने नहीं जा पाता
निकिता हँस पड़ी,
“और ये तो बस शुरुआत है…”
सुबह का शोर अब पूरे घर में फैल गया था। मेहमान आ चुके थे, मिठाइयों की खुशबू हवा में थी, और घर के आँगन में कुर्सियाँ और सजावट की चहल-पहल हो चुकी थी।
उधर कमरे में...
नीरज अब भी बंधा पड़ा था, और बोला —
“निकिता प्लीज़… अब खोल दो यार, क्या मैं पूरी ज़िंदगी यूँ ही जकड़ा रहूँगा?”
निकिता उसके पास आई, हाथों में चाबी घुमाती हुई और बोली,
“खोल दूंगी, पर पहले मेरी शर्त सुनो।”
नीरज ने सांस लेते हुए कहा,
“अब क्या नई चाल चली जा रही है रानी?”
“बहुत सिंपल है,” निकिता ने मुस्कुराते हुए कहा।
“आज जो भी रस्में होंगी, गेम्स होंगे… उसमें तुम हारोगे। जानबूझकर। और सबके सामने एक बार बोलना होगा — 'मैं हूँ नंबर वन जoru ka ghulam'। और बिना नाक सिकोड़ें!”
नीरज ने आँखें बड़ी की,
“ये तो... थोड़ा ज़्यादा नहीं हो गया?”
निकिता ने उसकी कलाई की चेन पर हाथ रखा,
“ठीक है, तो तुम खुद खोल लो…”
नीरज घबराया,
“अरे अरे! ठीक है, मान गया! शर्त मंज़ूर है!”
क्लिक!
हैंडकफ़ खुल गया। और साथ ही खुल गई मस्ती की नई शुरुआत।
अब शुरू हुई शादी के बाद की मज़ेदार रस्में और गेम्स
1. पहली रस्म — अंगूठी ढूंढने का खेल
निकिता और नीरज के सामने एक बड़ा पीतल का बर्तन लाया गया, जिसमें दूध, गुलाब की पत्तियाँ और चूड़ियाँ थीं। उसमें कहीं अंगूठी डाली गई।
"जो पहले अंगूठी निकालेगा, वही घर में राज करेगा!" — सबने ज़ोर से कहा।
नीरज ने झुकते हुए कहा,
“चलो देखते हैं किसकी किस्मत तेज़ है!”
पर तभी निकिता ने आँखों में इशारा किया — "याद है वादा?"
नीरज ने मुस्कुरा कर धीरे से अंगूठी छूई… और फिर उसे निकालने की बजाए वापस छोड़ दी।
निकिता ने तुरंत उसे निकाल लिया!
तालियाँ बजीं — “वाह भाभी जी, आप तो असली बॉस निकलीं!”
नीरज ने थोड़ा बनावटी दुख वाला चेहरा बनाया और बोला,
“क्या करूँ, शादी में ही हाथ हार गए अब तो दिल भी दे दिया…”
सब हँस पड़े।
2. दूसरा गेम — दुल्हन की चप्पल चुराई गई!
अब चप्पल चुराई की रस्म में नीरज को अपनी ‘बीवी’ को चप्पल दिलानी थी।
पर निकिता ने कहा,
“तुम्हें एक शेर बोलना होगा… जिसमें तुम खुद को ‘joru ka ghulam’ कहो… तब ही चप्पल मिलेगी।”
नीरज ने थोड़ा झिझकते हुए माइक पकड़ा,
“एक शेर अर्ज़ है…
शादी के बाद मैं हो गया बदनाम,
सब कहें, 'देखो ये है जoru ka ghulam!'”
घरवाले ताली पीट-पीटकर हँसने लगे!
3. तीसरा और सबसे फनी गेम — 'गोल रोटियां कौन बनाएगा?'
नीरज और निकिता दोनों को आटे की छोटी थालियां दी गईं — और कहा गया, “जो गोल रोटी बनाएगा, वो घर चलाएगा!”
नीरज ने इधर-उधर देखा, रोटी उठाई… और जानबूझकर ऐसी ‘भारत की नक़्शा’ जैसी आकृति बना डाली।
निकिता ने रोटी तो बिलकुल गोल बना दी।
सब बोले —
“नीरज भाभी, आप तो हाथ से निकली हुई पतंग हो गए! अब निकिता जी ही घर चलाएँगी!”
नीरज बोला,
“मैं तो बस यही चाहता था… कि मेरी क्वीन रूल करे और मैं रोज़ नाचूं उनके इशारों पर!”
शादी के दूसरे ही दिन, जब नीरज और निकिता की हल्की-फुल्की मस्ती अब भी घर की दीवारों में गूंज रही थी, अचानक एक फ़ोन आया।
घर में एक रिश्तेदार की अचानक मौत की ख़बर ने जैसे सब कुछ थाम दिया।
संगीत रुक गया।
हँसी के बीच खामोशी उतर आई।
रंगीन कपड़े काले आंसुओं में भीग गए।
नीरज और निकिता, जो पिछली रात तक एक-दूजे की बाहों में हँसी से लोटपोट हो रहे थे, अब एक-दूसरे से नज़रें चुरा रहे थे — क्योंकि इस समय में कोई शब्द एक-दूजे का सहारा नहीं बन पा रहे थे।
परंपराओं के अनुसार, पूरे सवा महीने तक कोई शुभ कार्य, कोई मिलन, कोई पास आने की छूट नहीं थी।
और इसका मतलब था — नीरज और निकिता को अलग-अलग कमरों में, अलग-अलग बिस्तरों में, और सबसे बढ़कर, एक-दूसरे से अलग दिलों में जीना था।
हर रात…
नीरज करवट बदलते हुए चुपचाप छत को देखता।
निकिता अपनी डायरी में कुछ लिखती, मिटाती, फिर खाली पन्ने पर सिर्फ एक नाम लिखती — "वो"।
एक-दूसरे की आदत तो एक दिन में पड़ गई थी…
लेकिन अब, वक़्त उन्हें आदत से छुड़ाने पर तुला था।
सवा महीना बीता…
घर में धीरे-धीरे चहल-पहल लौटने लगी थी। नीरज ने दिन गिने थे —
४३ दिन, १२ घंटे, १७ मिनट।
निकिता ने हर तारीख़ पर एक लाल टिक बना रखा था —
सिर्फ एक दिन और… फिर हम साथ होंगे।
लेकिन नियति शायद अभी कुछ और सोच रही थी।
ठीक पुनर्मिलन की रात से पहले…
एक और फोन आया।
इस बार और भी करीबी रिश्ता — निकिता की मौसी जी।
वो जो बचपन में निकिता की पहली मेंहदी लगाई थीं… अब उन्हीं की चिता सज रही थी।
और फिर से... सवा महीना।
अब तो जैसे वक़्त ने नीरज और निकिता को बिछड़ने की आदत डाल दी थी।
इस बार न आँसू थे, न शोर…
सिर्फ़ एक सूना सन्नाटा जो उनकी बातचीत में उतर आया था।
वे साथ होते हुए भी एक-दूसरे से बहुत दूर थे।
नीरज ने एक दिन कहा,
“क्या हमें कभी मिलना भी होगा, निकिता?”
निकिता ने खिड़की की ओर देखा और कहा,
“शायद वक़्त हमें सिखा रहा है कि मोहब्बत सिर्फ़ साथ होने में नहीं… इंतज़ार में भी होती है।”
नीरज ने हौले से कहा,
“तो क्या ये इंतज़ार कभी खत्म होगा?”
निकिता की आँखें भर आईं।
“मुझे नहीं पता… लेकिन अगर तुम मेरे हो, तो हर सवा महीना भी एक दिन कम लगेगा।”
एक साल बीत गया।
और वो एक साल नहीं, जैसे एक-एक दिन एक-एक सदी हो गया था।
हर बार जब घर में कोई शगुन की बात होती, कोई अनहोनी उसे ढक देती।
नीरज और निकिता अब वक़्त के सबसे बड़े इम्तिहान से गुजर रहे थे —
जहाँ प्यार था,
पर पास नहीं थे।
जहाँ सपने थे,
पर नींदें नहीं थीं।
जहाँ एक-दूसरे का नाम अब भी होंठों पर था,
पर वो मुस्कान नहीं जो कभी थी।
लेकिन ये वक़्त की आँधी थी — और वे दोनों, चुपचाप खड़े हुए पेड़ की तरह थे। झुके, टूटे नहीं।
अब सिर्फ़ एक उम्मीद बाकी थी।
क्या अगली सुबह सूरज सच में उनका होगा?
या फिर कोई और साया उनकी कहानी पर छा जाएगा?
घर में उस शाम एक अजीब सी शांति थी।
ना कोई रस्म, ना कोई पूजा, ना कोई बैठक — लेकिन सबके मन में एक हल्का सा सुकून था।
सवा महीने का आख़िरी दिन था।
कल से फिर से सब सामान्य हो जाएगा।
नीरज और निकिता — जो एक ही छत के नीचे होकर भी एक-दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे — शायद कल से फिर से साथ हँसेंगे, बोलेंगे, जीएँगे।
निकिता बालकनी में बैठी थी, आँखें बंद थीं और होठों पर धीमी सी प्रार्थना।
नीरज अपने कमरे में बैठा, दीवार पर टंगी उनकी एक पुरानी तस्वीर को देख रहा था — जिस दिन उन्होंने पहली बार एक-दूसरे को खुलकर "मैं तुम्हारा हूँ" कहा था।
और एक लम्बी सांस लेकर उसने अपना बैग उठाया कार की चाभी उठायी निकिता को प्यार भरी नजर से एक टक निहारा और ऑफिस के लिए निकल गया वैसे तो घर से काम करता था बड़ी MNC में था उसे रोज ऑफिस जाना नहीं पड़ता था पर आज खास दिन था विदेशी क्लाइंट आये थे बड़ी मीटिंग थी तो उसे ऑफिस जाना जरुरी था
सब कुछ नोरमल था घर में सब अपने कामो में बिजी थे
तभी…
सहसा, घर के अंदर एक फ़ोन की घंटी बजी।
राजार्धन चौधरी — नीरज के पिता — ने कॉल उठाया।
वो पल जैसे किसी फ़िल्म के रुक जाने जैसा था।
उनके चेहरे पर मुस्कुराहट धीरे-धीरे जमी हुई चिंता में बदल गई… फिर वो चिंता सिहरन बनी… और फिर… जैसे किसी ने उनके चेहरे से रंग खींच लिया हो।
उन्होंने मोबाइल धीरे से नीचे रखा।
कंपकंपाते होंठों से सिर्फ़ एक शब्द निकला —
"नीरज…"
सबकी नज़रें उठीं।
राजार्धन की आँखों में पानी भर आया।
"नीरज का एक्सीडेंट हो गया है…"
"चोट बहुत गहरी है… डॉक्टर कह रहे हैं बचना मुश्किल है…"
घर जैसे काँप उठा।
निकिता की रगें सुन्न हो गईं।
उसने कुछ नहीं सुना आगे।
ना आवाज़ें, ना शब्द।
सिर्फ़ एक धुंध — जिसमें बस एक चेहरा था — नीरज।
वो भागी। सीढ़ियाँ जैसे धुंधला गई थीं। उसके पाँव काँप रहे थे।
उसके दिल की धड़कन अब किसी अलार्म सी लग रही थी — "नहीं… नहीं… नहीं…"
वो सीधे राजार्धन के पास पहुँची —
"क्या हुआ पापा? नहीं… आप मज़ाक कर रहे हैं ना… नीरज ठीक है ना… बोलिए कुछ!"
राजार्धन ने बेटी की तरह बाँहों में भरते हुए कहा —
“हमें तुरंत हॉस्पिटल चलना होगा… बेटा बहुत तकलीफ़ में है…”
हॉस्पिटल का सन्नाटा
सफेद दीवारों के बीच, अस्पताल का एक कोना —
नीरज ICU में था।
वो जो हमेशा हँसी-ठिठोली करता था, अब मशीनों से घिरा था।
निकिता भागकर ICU की खिड़की तक पहुँची।
उसने देखा — उसका नीरज, आँखें बंद, शरीर बेहोश… पर होठों पर अब भी मानो उसका नाम लिखा हो।
"नीरज... देखो मैं आई हूँ… खुलो ना आँखें..."
"कह दो एक बार कि तुम ठीक हो… बस एक बार..."
उसके आँसू अब बिना रुके बह रहे थे।
डॉक्टर बाहर आए।
सिर हल्का सा झुकाया।
“हम पूरी कोशिश कर रहे हैं… मगर चोट बहुत गंभीर है। अगले कुछ घंटे... निर्णायक होंगे।”
रात का साया
वो रात सिर्फ अंधेरे की नहीं थी…
वो प्रेम का सबसे कठिन इम्तिहान थी।
निकिता ICU के बाहर फर्श पर बैठी थी, सिर दीवार से टिकाए।
उसने अपनी चूड़ियाँ की और देखा ।
मांग का सिंदूर उसके माथे पर लगा था … उसने एक बहुत ही बुरा सपना देखा उसके हाथ पैर कांप गए ये सॉच कर ही के अगर नीरज को कुछ हो गया तो उसे ये चूड़ियां उतरनी होगी माथे का सिंदूर पोछना होगा ।
“नहीं… मैं उसे कुछ नहीं होने दूँगी… मेरी दुआ में जान होगी… मेरी प्रार्थना में उसकी साँसें…”
नीरज की माँ ने निकिता के चेहरे से पढ़ लिया था के उसने क्या सपना देखा है और उनके आँशु निकल आये उन्होंने तुरंत अपने आँशु को पोछा और अपनी बहु के माथे पर हाथ फिराते हुए बोली बहु सब ठीक हो जायेगा हमारा नीरज बहुत स्ट्रांग है उसे कुछ नहीं होगा देखना वो अभी थोड़ी देर में बोलेगा माँ बहुत भूख लगी है खाना दे दो और फिर माँ और निकिता दोनों फफक फफक कर रोने पड़े जिसे देख कर नीरज की बहन भी रोने लगी और नीरज के पापा जिन्होंने बहुत मुश्किल से खुद को रोक कर रखा था और स्ट्रांग बनने का जो मुखौटा ओढ़ रखा था वो टूट गया और उनके भी आँशु बहे निकले
राजवर्धन जी को रोते देख और कमजोर होता देख कर निकिता के पापा ने उन्हें समझाया के ये समय कमजोर होने का नहीं है हौसला रखिये सब ठीक होगा हमारे दामाद जी को कुछ नहीं होगा और ये बोलते ही उनके भी आँशु निकल आये
दीवार के उस पार,
नीरज की उंगलियाँ ज़रा सी हिलीं।
एक मशीन ने हल्की सी बीप दी।
क्या ये अंत था?
या फिर, शुरू होने वाली थी… एक नई सुबह… जो अब तक इंतज़ार में थी?
अस्पताल का कॉरिडोर अब पहले से शांत था।
डॉक्टर बाहर आ चुके थे — उनके चेहरे पर थकान थी… मगर आंखों में एक नर्म मुस्कान।
"नीरज अब ख़तरे से बाहर है। बहुत गंभीर हालत थी… मगर अब वो स्थिर है।"
राजार्धन चौधरी ने जैसे पहली बार सुकून की सांस ली।
निकिता ज़मीन पर बैठी थी… एक पल को लगा जैसे दिल फिर से धड़कने लगा हो।
"मैंने कहा था ना नीरज को कुछ नहीं होगा…"
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और भगवान का नाम लिया।
मगर नीरज की माँ… गीता देवी… चुप थीं।
वो अस्पताल की कुर्सी पर बैठीं, हाथ जोड़े बस एक बिंदु को ताकती रहीं।
वो बार-बार यही सोच रही थीं:
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"शादी के बाद से अब तक तीन बार ऐसे वक़्त पर किसी अपने को खोना…"
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"हर बार जब भी नीरज और निकिता पास आने लगते हैं, कोई विपदा क्यों आ जाती है?"
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"क्या ये केवल संयोग है... या कोई अदृश्य बाधा?"
उनका माँ का दिल अब सिर्फ़ डॉक्टरों पर नहीं —
ईश्वर और अध्यात्म पर जवाब ढूँढना चाहता था।
पंडित रघुनाथ शास्त्री की खोज
अगली सुबह, जब नीरज अभी भी बेहोशी में था और ICU में डॉक्टरी निगरानी में था —
गीता देवी ने अपने पुराने, भरोसेमंद पंडित रघुनाथ शास्त्री जी को बुलाने का निश्चय किया।
वो वही पंडित थे जिन्होंने नीरज की जन्मपत्री बनाई थी,
और परिवार के हर अच्छे-बुरे वक़्त में सलाह दी थी।
फोन मिलाया गया।
आवाज़ आई —
"जय श्रीराम, गीता बहन! बहुत दिनों बाद…"
"पंडितजी… मैं बहुत घबराई हुई हूँ… नीरज पर कोई बहुत भारी ग्रहदोष चल रहा है क्या?"
पंडितजी गंभीर हो गए।
"आप चिंता ना करें। कल दोपहर को मैं घर आ रहा हूँ। नीरज की कुंडली फिर से देखनी होगी… और शायद निकिता की भी। कुछ अनहोनी बार-बार होना, संकेत है किसी अदृश्य बंधन का…"
अगले दिन...
पंडित रघुनाथ शास्त्री, सादे धोती-कुर्ते में, हाथ में लाल कपड़े में लिपटी पोथी लेकर चौधरी निवास पहुँचे।
गायत्री देवी ने नीरज और निकिता की कुंडलियाँ उनके सामने रखीं।
उन्होंने आँखें मूँदकर मन्त्र बुदबुदाने शुरू किए।
कुछ समय तक शांति रही… फिर उन्होंने गहरा साँस लिया।
"हूँ… यही आशंका थी..."
राजार्धन बोले: "क्या बात है पंडितजी? साफ कहिए… हमें जानना है।"
पंडितजी ने कहा:
"नीरज और निकिता का मिलन बहुत शुभ है — मगर कुछ पुराने दोष, कुछ अधूरी आत्मिक ऊर्जा इनके बीच बार-बार बाधा बना रही है।"
"शादी शुभ घड़ी में नहीं हुई… और विवाह के तुरंत बाद इन पर ‘पुनरावृत्ति दोष’ (Recurring Obstruction) का प्रभाव आ गया है।"
"इसका अर्थ यह है कि जब भी इन दोनों का मिलन होने लगता है — कोई न कोई अनिष्ट बाधा उसे रोक देती है।"
निकिता की आँखें भर आईं।
"तो क्या… हमारा साथ ही गलत है, पंडितजी?"
उसकी आवाज़ काँप रही थी।
पंडितजी मुस्कराए:
"नहीं पुत्री… प्रेम कभी दोष नहीं होता।
लेकिन कुछ मिलन… समय मांगते हैं।
और कुछ बंधन… शुद्धिकरण।"
उपाय की तैयारी
पंडितजी ने आगे कहा:
"इन दोनों को एक विशेष ‘गृहशांति अनुष्ठान’ और ‘संतान सौभाग्य यज्ञ’ कराना होगा।
उसके बाद, एक विशेष दिन… इन दोनों को फिर से विवाह-सदृश एक मिलन संस्कार करना होगा — ताकि पुराने दोष पूरी तरह शुद्ध हो जाएं।"
गायत्री देवी ने सिर झुका दिया।
राजार्धन बोले —
"हमें जो भी करना पड़े… हम करेंगे। बस हमारे बच्चे सुरक्षित रहें।"
अब आगे की राह साफ़ थी, मगर आसान नहीं थी।
नीरज को होश आना बाकी था…
निकिता अब भी उसी कुर्सी पर बैठी थी, ICU की खिड़की के सामने।
उसने आँखें बंद कीं और बुदबुदाया:
"अब चाहे जितनी बाधाएँ आएं… मैं तेरा इंतज़ार करूंगी नीरज…
और इस बार…
तेरे साथ पूरी दुनिया से लड़ जाऊंगी…"
नीरज की तबीयत अब पहले से काफी बेहतर थी।
वो धीरे-धीरे चलने लगा था, मुस्कुराने भी लगा था… और निकिता, जो महीनों से सिर्फ़ आँसुओं से बोलती थी, अब उसकी आँखों में फिर से एक उम्मीद दिखने लगी थी।
इसी बीच, तय किया गया कि अब सब कुछ एक बार फिर ठीक करने के लिए पंडित रघुनाथ शास्त्री को बुलाया जाए — ताकि जो अजीब सा सिलसिला चल रहा था, उसका कोई ठोस समाधान निकल सके।
एक शांत दोपहर, जब घर में सब लोग मौजूद थे,
पंडितजी आए — वही गंभीर चेहरा, वही शांत चाल और वही लाल पोथी।
उन्होंने पहले नीरज और निकिता को देखा — फिर उनकी कुंडलियों को।
मंत्रों का पाठ करने के बाद उन्होंने आंखें बंद कीं… और फिर बोले:
"समस्या की जड़ हमने ढूंढ ली है। और उपाय भी है…"
सभी लोग आगे झुक गए।
राजार्धन बोले, “पंडितजी, जैसा भी उपाय हो, बताइए… हम पूरा करेंगे।”
पंडितजी ने लंबा श्वास लिया और कहा:
"नीरज और निकिता की शादी, नियति में एक विशेष ‘संयोग परिवर्तन योग’ के अंतर्गत हुई है। इस योग में अगर विवाह के बाद लगातार विघ्न आते रहें, तो उसे एक विशेष विधि से शुद्ध करना पड़ता है।"
"इसका एक ही उपाय है — इन्हें ‘पुनर्विवाह’ करना होगा। लेकिन…"
सब चौंक पड़े।
"पुनर्विवाह? वही एक-दूसरे से?"
पंडितजी बोले:
"नहीं , नीरज और सोनिया (निकिता की छोटी बहन)को विवाह करना होगा…
मगर इस बार समय की दिशा उलटनी होगी।"
"इस विवाह में रोल रिवर्सल करना होगा — नीरज को दुल्हन बनना होगा और सोनिया को दूल्हा। ये प्रतीकात्मक है, पर बहुत शक्तिशाली उपाय है।"
घर में सन्नाटा छा गया।
गीता देवी ने जैसे विश्वास नहीं किया।
“पंडितजी… क्या आप सच कह रहे हैं?”
पंडितजी:
"हाँ। और इसमें कोई मज़ाक नहीं है।
इस विवाह में नीरज को साड़ी पहननी होगी, सिंदूर लगाना होगा, घूंघट करना होगा…
और फिर ‘विदा होकर’ इस घर से जाना होगा — जैसे कोई बहू आती है।"
निकिता के पिता श्री यादव बोले,
“लेकिन ये तो… समाज में अजीब लगेगा, पंडितजी…”
पंडितजी ने शांति से जवाब दिया,
"जब समस्या साधारण नहीं, तो समाधान भी असाधारण होता है।"
पर एक शर्त और…
सब लोग अभी उस एक बात को पचाने की कोशिश ही कर रहे थे,
तभी पंडितजी ने अपनी पोथी में से एक और पंक्ति पढ़ी।
"इस शुद्धिकरण उपाय को पूर्ण करने के लिए, निकिता (जो की अभी नीरज की पत्नी है उसे हर माह की तीसरी तारीख को 'बाल दान' देना होगा — यानी तीन साल तक हर महीने सिर मुँडवाना होगा।"
अब निकिता स्तब्ध रह गई।
नीरज ने उसकी ओर देखा। उनकी आँखें जैसे एक साथ बोल उठीं —
“क्या हम सच में ये सब करेंगे…?”
अब निर्णय का समय था…
घर में दो बातें चलने लगी थीं:
-
समाज क्या कहेगा?
-
और… प्यार कितना कुछ सह सकता है?
राजार्धन चौधरी ने कहा:
"अगर ये उपाय हमारे बच्चों को हर संकट से बचा सकता है… तो मैं इसके समर्थन में हूँ।"
गीता देवी ने भी सिर हिलाया।
"हमारा बेटा जिएगा… और उसका रिश्ता सुरक्षित रहेगा, यही जरूरी है।"
अब सभी की निगाहें नीरज और निकिता पर थीं।
क्या वे इस विचित्र मगर ज़रूरी निर्णय को स्वीकार करेंगे?
क्या नीरज, समाज की परवाह छोड़कर निकिता की खातिर एक दुल्हन की भूमिका निभाएगा?
और क्या निकिता, अपना अभिमान छोड़कर हर माह अपने प्रेम की खातिर बाल दान देगी?
नीरज और निकिता ने पंडित रघुनाथ शास्त्री की बात पर स्वीकृति की मुहर लगा दी थी।
इसका मतलब था —
🎐 अब एक नई शादी होगी,
🎐 जिसमें दूल्हा बनेगा दुल्हन,
🎐 और दुल्हन बनेगी दूल्हा,
🎐 और फिर दूल्हा (नीरज) ही विदा होकर अपनी ससुराल यानी निकिता के घर जाएगा,
जहाँ उसे 3 साल तक बहू की तरह रहना होगा।
समाज में फैली खबर
ये खबर जैसे ही मोहल्ले, शहर और सोशल मीडिया तक पहुँची —
हर जगह एक ही चर्चा थी:
"क्या सच में? दूल्हा साड़ी पहनकर घूंघट करेगा?"
"सोनिया अपने ही जीजा को अपनी बहू बनाकर लाएगी?"
"ये कोई नया ट्रेंड है क्या?"
टीवी चैनलों, यूट्यूब शॉर्ट्स और इंस्टा रील्स तक पर ये “रोल रिवर्सल वेडिंग” एक सांस्कृतिक तूफान बन गई थी।
नीरज की बहनें और भाभियाँ – भावुक पल
सबसे मुश्किल पल आया… नीरज की बहनों और भाभियों के लिए।
वो भाई, जिसे उन्होंने खुद दुल्हन लाने के लिए बिदा किया था,
अब खुद एक दुल्हन बनकर जाने वाला था।
नीरज की सबसे बड़ी बहन, नेहा और प्रियंका की आँखें भर आईं —
"हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारे भाई को घूंघट में विदा करेंगे…"
भाभी सुमन बोली —
"अब हमें अपनी बहन मानकर ससुराल भेजना पड़ेगा…"
और फिर मुस्कुरा के कहा,
"पर चिंता मत करो, सासें नहीं, हम सहेलियाँ बनेंगी!"
नीरज की तैयारी — दुल्हन के रूप में
शादी से पहले, नीरज के लिए शृंगार की तैयारी शुरू हुई।
💄 हल्दी की रस्म में उस पर हल्दी लगाई गई — इस बार लड़कियों ने ज्यादा मज़ा लिया। लड़कियों के साथ निकिता भी थी जो अपने ही पति को अपनी छोटी बहन की वाइफ बना रही थी
👗 फिर आया मेंहदी का दिन, जहाँ नीरज के हाथों पर भी सोनिया का नाम लिखा गया —निकिता ने खुद अपने हाथो से सोनिया का नाम नीरज की महेंदी में लिखा
और सभी औरतों ने कहा,
"बहूजी के हाथ खूब रंगे हैं…"
💍 नीरज को सिल्क की साड़ी, भारी गहने, बिंदी, कंगन, पायल और यहाँ तक कि एक नथ तक पहनाई गई।
💇♂️ उसे बालों में गजरा बांधा गया… और फिर एक बड़ा सा लाल घूंघट।
नीरज के लिए ये सब झेलना मुश्किल था उतना ही सोनिया के लिए भी मुश्किल था उसे अपने ही जीजा से शादी करनी थी कपड़ो का एक्सचेंज जरूर हुआ था पर सोनिया थी तो एक लड़की ही और नीरज एक लड़का ही था रात के अंधेरे में अगर दोनों के बिच कुछ भी हो जाता है तो नीरज तो ३ साल बाद जायेगा पर उन दोनों के बिच हुयी ऊंच नीच से जो पैदा होगा वो तो सोनिया को ही झेलना पड़ेगा भर , माँ बाप भी नीरज और निकिता के जीवन को सुरक्षित करने के लिए सोनिया की बलि चढ़ा रहे है किसी ने भी सोनिया से एक बार भी नहीं पूछा के वो क्या चाहती है इच्छाएं है सोनिया ने भी मन ही मन सोच रखा था जो लोग आज उसे इग्नोर कर रहे है उन्हें शादी के बाद खून के आँशु रुलायेगी एक एक से बदला लेगी ,
वही दूसरी तरफ सोनिया की भाभी कोमल सोनल के अंदर चल रहे तूफ़ान को अच्छे से समझ रही थी इसलिए उसने भी सोनिया का साथ देने का वादा किया अब सोनिया और कोमल एक ही गैंग में थे उनका मिशन था नीरज निकिता और उनके माँ बाप से बदला लेना सोनिया को उसका हक़ दिलाना
सोनिया – एक आत्मविश्वासी दूल्हा बन कर तैयार हुयी
दूसरी ओर, सोनिया शेरवानी और साफा पहन कर
पूरा एक बिंदास दूल्हा लग रही थी। उसकी बारात में निकिता और उसके भाई अमन और भाभी कोमल dj पर नाच रहे है
सोनिया की सहेलियों ने भी कोट पेण्ट पहना था
भाई और दोस्त बोले,
"हम लड़के वाले है और , अब हमारी सोनिया तो जीजा बन रही हो!"
सोनिया की भाभी कोमल ने भी आज साडी या लहंगा पहनने के बदले कोट और पेंट ही पहना था वो बी आज लड़के वालो की तरफ से थी
कोमल ने निकिता का मजाक उड़ाते हुए बोली निकिता दीदी वैसे तुम्हारे हस्बैंड शादी के बाद नीरज ही नाम से बुलाये जायेंगे या सोनिया दीदी उन्हें दीपिका बना देंगी
अमन आग में घी का काम करते हुए बोलै अरे नीरज क्यों होगा दीपिका ही बन कर रहेंगे और तुम उसकी जेठानी पूरा रौब दिखाना
और निकिता मैं तो कहता हूँ तुम भी कोट पेण्ट ही पहन लो पूरी बारात में तुम ही हो जिसने ये लहंगा चोली पहनी है
कोमल बोली गुस्सा क्यों हो रही हो दीदी सही ही तो कहे रहे अब वो ससुराल ३ साल तक तुम्हरा थोड़े ही रहा है
तुम्हारे पति जो अब हमारे घर में बहुत की तरह सज धज कर घर के काम करेंगे मेरे आर्डर पर नाचेंगे मेरे और तुम्हारे भैया के पेअर छुएंगे तो तुम्हारे भी तो पेअर छूना पड़ेगा न आखिर तुम सोनिया से बड़ी हो घर में
निकिता मुस्कुराई, और बोली भाभी सही कहे रही हो मैं भी कोट पेण्ट पहन लेती हूँ ग्र्रुम की ब्रिडगे में अलग क्यों दिखूं
और निकिता ने भी जाकर कपडे चेंज कर लिए और कोमल और अमन को बोली अब आप दोनों खुश हो न दूल्हे वालो
"आज सोनिया मेरी बहन दुल्हा है , भले ही मेरे ही पति से वो शादी कर रही है पर मेरा फर्ज है के मैं उसकी ख़ुशी यो में कोई बिघ्न न बनु घर में ख़ुशी का माहौल है और इसमें तो सब को मजे करने चाहिए
सोनिया ने जब निकिता को कोट पेण्ट में देखा उसके मन में चल रही सभी दुबिधाये खत्म होगयी और उसने अपनी बहन निकिता को गले से लगा लिया
शादी की रात – रीति उल्टी, भावनाएँ सच्ची
शादी में सभी रस्में बदली गईं:
👣 सोनिया ने वरमाला पहनाई नीरज को
🙏 नीरज ने हाथ जोड़कर कहा —
"पति बनकर आया था… अब बहू बनकर जा रहा हूँ।"
🎤 पंडित बोले —
"दूल्हा और दुल्हन के स्थान बदले हैं, लेकिन मन एक ही है। यही है सच्चा विवाह।"
📿 और फिर… विदाई।
नीरज की बहन प्रियंका ने आँसू पोंछते हुए कहा,
"जा बहन… अब ससुराल में खुश रहना…"
निकिता के घर में अब नीरज को सोनिया की वाइफ वाले रोल निभाने होंगे:
🏠 नवविवाहिता बहू के सारे नियम
👩👩👧👦 ससुराल वालों के बीच 'बहू' की पहचान पाना
👗 और 3 साल तक पूरे नियम निभाना…
और दूसरी तरफ, निकिता को हर महीने गंजे होना है वही सोनिया को पति और परिवार के मुखिया की भूमिका में रहना होगा।
शादी की रस्में पूरी हो चुकी थीं। नीरज ने एक बार फिर, लेकिन इस बार एक नववधू की तरह, अपने जीवन का नया अध्याय शुरू किया।
🎐 अब वह निकिता के घर की बहू बनकर जा रहा था। जहा उसकी सास अनीता और ससुर सुनील थे
🏡 निकिता का घर – नीरज का ससुराल
घर की दहलीज़ पर जैसे ही नीरज ने घूंघट ओढ़े कदम रखा, घर में खुशी और थोड़ी शरारती हँसी की लहर दौड़ गई।
निकिता के परिवार ने बड़ी आत्मीयता से नई बहू का स्वागत किया।
👵 सासूमाँ अनीता आरती की थाल लेकर आईं —
"लाड़ो घर में कदम रखो, तुम्हारे पाँव से लक्ष्मी आ रही है…"
नीरज थोड़े शर्माए, पर धीरे-धीरे मुस्कराए। घर में प्रवेश किया
💃 निकिता की सहेलियाँ — मज़ाक, मस्ती और चिढ़ाना
तभी अंदर से हँसती-खिलखिलाती आईं सुनीता की चार सहेलियाँ —
वही जो उस दिन नीरज को स्कूल यूनिफॉर्म और हेयरबैंड गिफ्ट में लाई थीं।
👩🎤 रीना बोली —
"लो देखो, हमारी 'नटखट बहू' आ गई! और क्या बात है — घूंघट में बड़ी प्यारी लग रही हो!"नीरज जब दूल्हा बन कर आये थे तब बाल खोल रखे थे अब दुल्हन बन कर आये है तो जुड़ा बना रखा है वैसे तो बेटी को ससुराल से आयी विदाई की सदी में विदा किया जाता है पर शायद नीरज की माँ गीता और बहन प्रियंका को इतनी भी अकाल नहीं है तभी तो रिसेप्शन वाली चनिया चोली में ही भेज दिया
👩🎤 शिखा ठिठोली करते हुए बोली —
"नीरज या कहें दीपिका बहू… याद है जब तुमने हेयरबैंड पहना था कुंवर कलेऊ पर ? कितनी आनाकानी कर रहे थे कितनी मुश्किल से हेयर बेंड लगाना दिया था बालो में , क्या बोल रहे थे हेयर बेंड लगाने के बदले किश करना पड़ेगा अब हम देखेंगे कितने किश देते हो अब तो परमानेंट मेम्बर बन गए हमारी लेडीज़ गैंग के!"हम सोनिआ की सहेलियां है और हमारा तो विशेष ध्यान रखना पड़ेगा दीपिका भाभी को , पता है न भाभी और देवर का रिश्ता कितना खाश और हसी ठिठोली मजाक से भरा होता है
नीरज शर्म के मारे मुस्कराए, और कुछ कह नहीं पाए।
👩🎤 पूजा ने कहा —
"अरे छोड़ो, अब तो रसोई में नमक कम-ज्यादा भी हुआ, तो ससुराल का गुनाह गिना जाएगा!"
🎭 सभी ठहाके मार कर हँस पड़ीं।
🫶 निकिता की भूमिका — एक सहारा, एक साथी
निकिता पास आई, नीरज का हाथ थामा और धीरे से बोली —
"डरने की ज़रूरत नहीं है… ये सब मस्ती कर रहे हैं, पर सब तुम्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं।"
नीरज ने घूंघट के पीछे से हल्की सी मुस्कान दी।
निकिता आगे बोली —
"पर याद रखना… अब ये मेरा घर नहीं, तुम्हारा ससुराल भी है। और तुम सिर्फ बहू नहीं, हमारे परिवार रूपी दिल का हिस्सा हो।"
जब निकिता और नीरज आपस में बात कर रहे थे निकिता ने नीरज का हाथ अपने हाथ में पकड़ रखा था जो सोनिया को बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था पर बेचारी बोलती कैसे , और तभी एंट्री हुयी हमारी कोमल भाभी की उन्होने सबको सुनते हुए कहा
अरे निकिता दीदी अब आप इस घर के रिश्ते से नयी बहु की जेठ हुयी और जेठ का नयी बहु से ऐसे गुपचुप बाते करना या हाथ पकड़ना ठीक नहीं है , फिर मुँह को घूँघट में करते हुए बोली , लोग क्या कहेंगे , कैसी कैसी बाते करेंगे मेरे काम था बताना बाकि सोनिया की बीबी है सोनिया जैसा चाहे करे
अब सोनिआ की बरी थी बोलने की सोनिया बोली अरे भाभी तुम चुप रहो निकिता दीदी तो बाद मेरी बीबी दीपिका को आशीर्वाद दे रही है अब आगे से तो जो जेठ और बहु के नियम होते है वो मानेगी ही
कोमल बोली आशीर्वाद देने के लिए पहले बहु को पेअर छूना होता है हमने तो नहीं देखा पेअर छूटे हुए दीपिका को निकिता के पेअर छूटे हुए
मामले को बढ़ता देख कर निकिता की मा अनीता बोली अरे कोमल और सोनिया तुम चुप रहो दोनों दीपिका बहु कोई बात नहीं अब छू लो पैर
नीरज के पैरो के निचे से जमीं खिशक गयी और निकिता के लिए भी ये मुश्किल था के नीरज सबके सामने उसके पेअर छुए पर दोनों के न चाहते हुए भी अनीता कोमल सोनिया और घर वालो के प्रेशर और बातो से बचने और बात को रफा दफा करने के लिए नीरज ने निकिता के पैर सबके सामने छुए और कोमल ने जान बुझ कर जब नीरज निकिता के पैर छू रहे थे उसका वीडियो बनाया और फोटो खींचे
🪔 गृहप्रवेश की रस्म — और रसोई की पहली परीक्षा
नीरज ने घर के अंदर दहलीज़ पर पैर रखा। चावल की कलश को हल्के से गिराया।
👣 धीरे-धीरे अंदर चले और सभी ने ताली बजाकर स्वागत किया।
कुछ देर बाद, “पहली रसोई” की रस्म आई। नीरज को एक मीठी डिश बनानी थी।
👩🍳 हलवाई की तरह न सही, लेकिन नीरज ने मेहनत से हलवा बनाया।
जब सासूमाँ अनीता ने चखा, बोलीं —
"अरे वाह! तुम्हारा हाथ तो वाकई मीठा है!"
🌙 रात का समय — एक सुकून भरी बात
रात को, नीरज अपने कमरे में बैठे हुए खिड़की से बाहर देख रहे थे।
सुहागरात तो पहले भी हुयी थी पर ये रात अलग थी
नीरज दुलहन के जोड़े में मुँह पर घूंघट डाले सुहाग रत की सेज पर बैठे थे
नीरज ने ढेर सारी ज्वेलरी पहनी थी भरी साडी थी हाथो में कई दर्जन चुडिया थी दोनों हाथो में महेंदी थी
पैरो में पायल और बालो में जुड़ा बना था जिसमे जैस्मिन के फूलो का गजरा भी लगा था
नीरज को निकिता और कोमल ने तैयार किया था
और कोमल उसे कमरे में अपने पति का वेट करने के लिए सेज पर बिठा कर आयी थी
कोमल ने निकिता को सुहागरात के कमरे में आने से रोक लगा दी थी ये बोल कर के
निकिता कही नए जोड़े के कमरे को देख कर उसे नजर न लगा दे ये बात अनीता को भी बहुत बुरी लगी थी
पर व कुछ कर नहीं पायी थी और इसी बजह से निकिता को नीरज को कमरेके बहार से अलविदा कहना पड़ा था
सोनिया अंदर आई, और उनके पास बैठकर बोली —
"कैसी लग रही है ये नयी ज़िंदगी?"
नीरज बोले —
"अजीब है… पर तुम्हारे साथ सब आसान होगा तुम मेरी साली हो और सोनिआ का हाथ पकड़ा
सोनिया अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, नहीं ऐसी किसी गलत फहमी में मत रहना , मैं तुम्हारा पति हूँ और तुम मेरी बीबी
और बीबी की हैसियत से ही रहो माँ बाप ने कुछ सिखाया है सुहागरात पर पति के साथ कैसे रहना चाहिए वैसे निकिता ने तो बताया होगा या ऐसे ही कमरे में टाइम लिए बैठी हो
सोनिया ने उसका हाथ पकड़ा —
"बस तीन साल हैं… फिर जो तुम चाहो , वो करना जब तुम आजाद हो जायो पर तब तक सिर्फ एक रिश्ता तुम पत्नी और मैं पति हूँ जो बोलूगी वो करना पड़ेगा बिना किसी शर्त या नानुकुर के ।"
नीरज सोनिया की बात सुनकर घबरा गया —
"ठीक है पति देव जो आप कहेंगे वो ही होगा, आप ही बताओ क्या करना है मुझ " नीरज को बहुत अजीब लग रहा था अपनी साली से ये सब बोलना पर मौके की नजाकत को देखते हुए उसे ये सब बोलना और करना पड़ रहा था
और फिर, चाँद की रौशनी में दोनों चुपचाप बैठे रहे —
बिना कुछ कहे, लेकिन सब कुछ कह दिया।
नीरज अपनी पिछली सुहागरात केबाद फिर से दुबारा एक कमरे एक बिस्तर पर था दूबारा सुहागरात के लिए
फर्क बस ये था के अब निकिता की जगह नीरज दुल्हन था
सोनिया ने नीरज से कहा कितना सुकून मिल रहा है तुम्हारे साथ होकर ये शब्दों में बयान नहीं हो सकता है लेकिन नीरज इस बार तुम मेरे घर के दामाद नहीं हो बल्कि बहु हो और मैं तुम्हे बताना चाहूंगी के बहु होना आसान नहीं होता है हर घर के कुछ नियम होते है जो बहुओ पर लागु होते है
और बहु से बहुत सी उम्मीदें होती है
तो अगले तीन साल तुम्हे एक अच्छी बहु बन कर रहना है जो उम्मीदें तुम्हारे पेरेंट्स को निकिता से थी वैसी ही कुछ मेरे पेरेंट्स को तुमसे भी है उम्मीद है तुम समझ रहे हो मैं क्या कहे रही हूँ
ये नियम कही लिखे नहीं होते अनकहे होते है पर होते है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हर सास अपने बहु से कहती और करवाती है
और जब तुम सास बनोगे तो तुम्हे भी अपनी बहु से करना पड़ेगा ये
नीरज घबराते हुए बोलै तुम कौन से नियम की बात कर रही हो और मुझे तुम्हारी बात सुन कर अब तो सच में डर लगा रहा है
तुम प्लीज बातो को इतना घुमा कर नहीं आसान शब्दों में कहो जो मेरे कुछ समझ आये
सुनीता बोली तो सुनो सबसे पहला नियम होता है के घर में सुबह जल्दी उठना होता है
फिर नाहा धो कर घर में झाड़ू लगाना होता है उसके बाद घर के सभी मेंबर्स के लिए चाय बनानी होती है और सभी मेंबर्स को चाय सर्वे करोगे तब सबके पैर छूने होते है
घर में बड़ो के सामने कभी कुर्शी या बिस्तर पर नहीं बैठना है हमेशा जमीं पर बैठना है
हाँ अगर तुम्हारी सास या नन्द कहे तो बैठ सकती हो लेकिन ससुर जी जेठ जी के सामने तो
भूल कर भी नहीं बैठना है
नियम नंबर २ घर में जब भी कोई महेमान आता है जिसके पैर छूने को कहा जाये तो ऐसा नहीं के बस उन्ही के पैर छुओगे
नीरज बोला इसका क्या मतलब है
सोनिया बोली इसका मतलब है महेमान के साथ ही घर के जो बड़े है जिनके पैर छूने योग्य है उनके पैर भी छुओगे
मतलब जैसे सास ससुर नन्द जेठानी जेठ और अब मैं भी
नियम नंबर ३ घूँघट का नियम हमेशा अपने बड़ो के सामने जैसे सास ससुर जेठ जेठानी जीजा नन्द के सामने घूँघट में ही रहना है
नियम नंबर ४ शादी के बाद कम से कम एक साल तक ये शादी के चूड़े जो तुमने पहने है इन्हे पहन कर रखना है और सिर्फ साडी ही पहनना है नयी बहु वाली नजाकत मेकअप भारी साड़िया ज्वेल्लेरी पायल अंगूठी सब पहन कर रखना है
नंबर ५ खाना हमेशा सबके खाने के बाद खाना है
नंबर ६ घर का कोई भी मेंबर अगर तुम्हे चाय बनाने को कहे तो चुपचाप हस्ते हुए चेहरे से बना कर प्रॉपर कप में देनी है
नंबर ७ सबके खाने के बर्तन धूल कर ही किचन से निकलना है सुबह कर दूंगी ये सोच कर छोड़ नहीं देना है
नंबर ८ अगर तुम्हारी सास या नन्द बर्तन धोने लगे तो ये सोच कर के वो धो ही देंगे वह से बैडरूम में चले नहीं आना है बल्कि उनसे रिक्वेस्ट करनी है के आप आराम करिये मैं कर देती हूँ आप क्यों कर रही है ऐसा करने से तुम्हारी इज्जत बढ़ेगी
नंबर ९ सभी मेंबर्स के कपडे धोने है वाशिंगमशीन में
नंबर १० अपनी जीभ को काबू में रखना है और जब तक जरुरी न हो कुछ भी नहीं कहना है चुप रहना है ज्यादा चबर चबर से बचना है यहाँ की बात वह नहीं करना है कोई चुगली नहीं करनी है मेरे अलावा किसी से भी कुछ समझने या तुम्हारी मदद करने की उम्मीद नहीं करनी है
नंबर ११ कुछ भी खाने का मन करे बहार का तो खुद लेने नहीं निकल पड़ना है मुझसे या अपनी सास से कहना है वो जब पॉसिबल होगा तब मंगवा देंगे तब ही खाना है जिद बिलकुल नहीं करनी है
झाड़ू और पोछा बैठ कर लगाना है
और इसके अलावा बहुत सी है जो तुम्हे तुम्हारी सास बताएगी अभी हमारी सुहागरात का समय है तो पहले उस पर ध्यान देते है
फिर सोनिया ने नीरज का हाथ अपने हाथ में लिया और उन पर किश किया और बोली महेंदी बहुत अच्छी लगायी है तुमने
जरा महेंदी दिखाओ तो सही फिर सोनिया नीरज के हाथो की महेंदी देखने लगी और उसमे नाम ढूंढने की कोशिश करने लगी
और जब नाम मिल गया ख़ुशी से कूदते हुए उसने बताया के ये रहा मेरा नाम
फिर सोनिया ने नीरज से पूछा के तुम्हारे हाथो पर महेंदी किसने लगायी थी पारलर वाली या प्रियंका तुम्हारी बहन ने
तो नीरज शरमाते हुए बोला निकिता ने
निकिता का नाम सुनकर सोनिया के तन बदन में आग लग गयी बहुत मुश्किल से खुद पर और अपने गुस्से को काबू में किया सोनिया ने
और फिर सोनिया नाम और नीरज के हाथो को किस किया फिर हथेली से आगे बढ़ कर नीरज के हाथो और कोहनी से होए हुए गर्दन पर किश किया और फिर उसके गालो पर किस किया और फिर उसके सर पर पड़े घूँघट को साइड में करके नीरज की नाक में पड़ी नाथ को उतर दिया
और बोली तुम्हे पता है ये नथ उतरने का मतलब क्या होता है
नीरज सोनिया की बात सुन कर शर्मा गया और बोला हाँ पता है
तो सोनिया बोली अब तो नाथ उतर गयी इसका मतलब है के अब होगी असली तबाही और तुम पूरा होमवर्क करके आये हो इस बार तो
फिर सोनिया ने नीरज से कहा फिर तो तुम्हे ये भी पता होगा के उस दूध के गिलास का क्या मतलब है और उसका क्या किया जाता है
नीरज जल्दी से उठा और गिलास का दूध सोनियाको दिया पिने के लिए
सोनिया ने दूध पि लिया और नीरज को गिलास दिया जो नीरज ने फिर से टेबल पर रख दिया उसके बाद गिलास में पानी दिया नीरज ने अपने पति सोनियाको
उसके बाद सोनियाने नीरज को याद दिलाया के अपने पति यानि के उसके पैरो को छूकर आशीर्वाद लूँ
नीरज को बाकि सब चीजों से प्रॉब्लम नहीं थी पर सोनियाके पैर छूना बहुत अजीब लगता था चाहे आज नीरज सोनिया की वाइफ के रूप में है पर नीरज आज भी सोनिया को अपनी साली जैसा ही मानता था और ट्रीट करता था
भले ३ साल बाद ही सही नीरज ही जीवन भर के लिए सोनिया की बहन निकिता का पति बनेगा तो कम से कम सोनिया को अपने पैर नहीं छूने के लिए कहना चाहिए
सोनियाने नीरज के मन को पढ़ लिया और उसे अशीर्वादे देते हुए बोली तीन साल बाद जीवन जो भी होगा किस ने देखा या सोचा है पर पंडित जी ने कहा था के तीन साल तक तुम्हे पत्नियों वाले और मुझे पातियो वाले सरे काम करना पड़ेगा
ये तुम्हारी लम्बी उम्र के लिए ही है
नीरज सुबह से बार बार सारे महेमान और घर वालो के पैर छू छू कर थक गया था कमर में दर्द हो रहा था पर सोनिया की बात भी सही थी
३ साल अच्छी बहु बनना था अगर वो आज ये सबन्हि करेगा तो तीन साल के बाद वो ये सब निकिता से कैसे एक्सपेक्ट कर सकता है सोनियाने नीरज के गले से हार चोकर उतार दिए फिर उसका उसकी कमर बंद उतर दिया और एक झटके से पेटीकोट का नाडा भी खोल दिया उसके बाद नीरज के ब्लौसे का हुक खोल कर उसके शरीर से ब्लाउज भी उतार दिया अब नीरज सिर्फ ब्रा औरपेंटी में था उसके हाथो पर कंधो तक लगाई महेंदी और दोनों हाथो में चूड़ो का सेट उसके वेक्स किये हाथो में गजब लग रहे थे
पैर में भी जांघ तक महेंदी लगी थी जो उसके पैरो पर भी वेक्स किया गया था
नीरज के लम्बे बालो में ढेर सरे पिन और गुलाबके फूलो से जुड़ा बना हुआ था जिसे एक एक करके निकिता ने खोल दिया और सरे पिन निकल दिए
नीरज जब से पारलर से तैयार हो कर आया था इतना सारा मेकअप और इतनी हैवी चनिया चोली में उस लग रहा था जैसे वो किसी कैद में हो उस पर इतनी साडी ज्वेल्लेरी और सर पर इतना हैवी जुड़ा जिसमे ढेरो पिन और फिर शादी की रस्मे बिदाई और निकिता के घर में स्वागत और यहाँ की रश्मे उसके बाद सबके बार बार पेअर छूना सच में बहुत थका देते है
नीरज लगातार जग रहा था बिना एक पल भी सोये नीरज ने ये सब सहा था
सोनियाने नीरज के कंधे पर हल्का हल्का मसाज किया नीरज को बहुत रेल्सिंग महसूस हुआ फिर सोनिया ने नीरज के गर्दन से निचे उसकी ब्रा पर अपना हाथ फेरा और जब नीरज ने उसके हाथ अपने चेस्ट से हटाने की कोशिश की तो सोनियाने धीमे से उसके दोनों हाथो को अपने हाथ में पकड़ कर उसकी पीठ के पीछे ले आई और उसकी गर्दन पर किश करने लगी नीरज भी सोनियाके प्यार में खो गया
भले ही सोनिया एक लड़की थी और नीरज एक लड़का पर नीरज और सोनियाको अपने अपने रोले बखूबी पता थे इसलिए सोनिया कोई कमी नहीं रख रही थी पति वाले रोमांस में और नीरज भी एक अच्छी पत्नी की तरह सोनियाका पूरा साथ दे रहा था
नीरज और सोनिया जिस तरह से एक दूसरे के प्यार में दुबे हुए थे ऐसा लग ही नहीं रहा था के जैसे ये नीरज की दूसरी सुहागरात हो
सोनिया ने धीमे से नीरज के हाथ को उसकी पीठ के पीछे कर के पता नहीं कब और कैसे उसके हाथो को हैंडकफ में लॉक कर दिया था
नीरज जब तक समझ पाता तब तक देर हो चुकी थी क्यों के नीरज सोनिया के किश में इतना खो गया था पता नहीं कब उसने अपनी आँखे बंद कर ली थी
और सोनिया ने चालाकी से उसके दोनों हाथ को नीरज के पीठ के पीछे उसके चूड़े के सेट को थोड़ा सा पीछे सेट करके लॉक कर दिया था
नीरज को जब पता चल गया के उसके हाथ लॉक हो गए है हैंडकफ से तो उसने ऐसे रियेक्ट किया जैसे कुछ हुआ ही न हो
सोनिया को नीरज की एक्टिंग अच्छी लगी और वो मन ही मन मुस्कुराई और मन में ही सोच रही थी डार्लिंग अभी तो ये पहेली मंजिल थी अभी तो बहुत कुछ होना है आज की रात तुम्हे इतनी लम्भी लगने वाली है के तुम सोचोगे के ये रात खत्म क्यों नहीं हो रही है
सोनिया नीरज के हाथो को लॉक करने के बाद नीरज को बिस्तर से उठा कर वाशरूम में ले गयी और नीरज की पेंटी को निचे करके उसके गांड पर दो हाथ मारे नीरज के मुँह से एक प्यार भरी चीस सी निकल गयी अब सोनिया ने भी अपने कपडे उतार दिए और पूरी तरह से नंगी हो गयी
नीरज ने अपनी आँखे बंद कर ली थी क्यों के नीरज को सोनिया को नंगी नहीं देखना चाहता था आखिर सोनिया निकिता की छोटी बहन थी भले ही सोनिया नीरज को अपनी बहु बना कर व्याह कर लायी थी नीरज ने सोनिया को रोकने की कोशिश की कुछ बोलने की कोशिश की पर उसके हाथ उसकी पीठ के पीछे हैंडकफ में लॉक्ड थे और सोनिया ने उसे हाथ के इशारे से चुप रहने को कहा
सोनिया ने नीरज से कहा इतना घबरा क्यों रहे हो और इतना ही डरना था तो शादी क्यों की
तब क्यों नहीं सोचा जब तुम दोनों एक दूसरे की आँखों में घुस कर सिर्फ अपने बारे में सोच रहे थे
तब क्यों नहीं सोचा शादी शादी होती है सब जगह वायरल हो गयी है मेरा क्या होगा तीन साल बाद
मुझसे कौन करेगा शादी मेरे बच्चे कैसे होंगे मैं समाज में क्या मुँह दिखाउंगी और अपना बुढ़ापा कैसे अकेले काटूंगी
क्या कोई इस बात पर यकीं करेगा के दो लोग एक कमरे में थे और उनके बिच कुछ नहीं हुआ
और अगर लोग मन भी ले के हमारे बिच कुछ नहीं हुआ है तब भी तो ३ साल तक मुझे तुम्हारे साथ कूद को एडजस्ट करना हो पड़ेगा न
फिर सोनिया ने शावर चालू कर दिया और नीरज को शावर के निचे चुपचाप खड़े रहने को कहा जरा भी हिले तो थप्पड़ पड़ेगा फिर नीरज के पैरो को अपनी बेल्ट से बांध दिया और बोली अब जब तक मैं न कहु यही खड़े रहना है
क्यों के नीरज के हाथ बंधे हुए थे तो वो ज्यादा कुछ कर नहीं सकता था इसलिए सोनिया ने ही नीरज के बाल में सम्पू किया बॉडी पर साबुन से साफ़ किया फेस को फेसवाश से धुला और उसके प्राइवेट पार्ट्स को साबुन से अच्छे से धुला वैसे नीरज के प्राइवेट पार्ट्स पर भी कोई बाल नहीं थे ये सोनिया को थोड़ा अजीब लगा क्यों के पिछली सुहागरात पर नीरज ने अपने प्राइवेट बाल साफ़ नहीं किये थे ये बात निकिता जब अपनी सहेलियों को बता रही थी तब सोनिया ने सुना था के नीरज ने अपनी सुहाग रात पर प्राइवेट हेयर साफ़ नहीं किये थे जब की बेचारी निकिता तो अपने प्राइवेट हेयर्स को वैक्स से साफ़ करके गयी थी
नीरज ने खुद ही सफाई दी वो पार्लर वाली जब वैक्स कर रही थी तब उसने ही कहा था के मैं ये वाले बाल भी हटा लूँ इसलिए मैंने खुद हटाए है
सोनिया हस्ते हुए बोली हाय मेरी किस्मत इतना प्यार करने वाली वाइफ मिली है मैं तो धन्य हो गयी
दोनों जब नहा चुके थे फिर सोनिया ने नीरज के हाथ और पैरो को अनलॉक किया और फिर अपने हाथो से नीरज को तौलिये से पोछा अब नीरज बहुत
हल्का महसूस कर रहा था
अब सोनिया ने भी अपने लिए एक हल्का टीशर्ट और चड्ढा पहन लिया जब की नीरज अब भी नंगा खड़ा था बिना कपड़ो के
और जब नीरज ने सोनिया से कपडे मांगे तो नीरज के सामने थी वही स्कूल यूनिफार्म रिबन पेंटी और ब्रा

नीरज कुछ कहता उसके पहले सोनिया ने नीरज को ब्रा पहना कर उसके हुक लगा दिया फिर उसके खूबसूरत पैरो में पेंटी पहनाई उसके बाद स्कर्ट और फिर टॉप पहनाया उसके बाद उसके बालो को हेयर ड्रायर से सुखाकर उसके बालो में दो चोटी बनाकर उनमे रिबन से कस कर बांध दिया
तुम इस ड्रेस को देख कर सोच रहे होंगे के ये कहा से आ गयी और मैं तुम्हे हामरी सुहागरात पर ये क्यों पहना रही हूँ
तो मैं तुम्हे एक राज़ की बात बताती हूँ जब निकिता की सहेलियां तुम्हे सुहाग रत पर गिफ्ट देने का प्लान बना रही थी तब मैंने उनकी बात सुन ली थी और जब कमरे में कोई नहीं था तो मैंने उनके गिफ्ट को गायब करके तुम्हारे लिए ये ड्रेस और हेयर बेंड निकिता के बैग में सेट कर दिया था और सुहागरात के बाद निकिता जब सुहागरात की रोमांटिक बाटे सुना रही थी तो उसने ये पूछा था अपनी सहेलियों से के वो ड्रेस एंड हेयर बेंड का आईडिया किसका था वो लेटर किसने लिखे थे पर किसी ने कुछ कहा नहीं था क्यों के वो लेटर और गिफ्ट मैंने तुम्हारे लिए भेजे थे
पर निकिता ने कभी नहीं बताया के वो ड्रेस और हेयर बेंड तुमने पहना या लगाया था नहीं मैं हमेशा सोचती रहती थी के क्या तुमने वो ड्रेस पहनी होगी तुम उस में कैसे लग रहे हो फिर निकिता का रिएक्शन क्या हुआ होगा पर मुझे कभी नहीं पता चला और समय का चक्कर देखो
वही ड्रेस रिबन हेयर बेंड तुम्हारे बैग में मुझे वापस मिल गया
इसका मतलब है के तुमने इन्हे सम्भालार पैक करके रख दिया और कभी नहीं पहना था इसलिए आज मैं तुम्हे अपने हाथो से पहनाऊँगी और अपनी आँखों से तुम्हे देखूंगी के तुम कैसे लग रहे हो
इसके बाद सोनिया ने नीरज को एक नायलॉन की स्टॉकिंग पहनाई जो उसके घुटनो तक थी उसके कानो में हलकी ईयरिंग पहनाई और सबसे लास्ट में काली हाई हील्स पहनाई ये चीज नीरज के लिए नयी थी
लेकिन उसने कुछ भी कंप्लेंट नहीं की फिर सोनिया ने नीरज के नेल्स को ब्लैक नेल पेंट से रंग दिया
नीरज एक डैम सेक्सी लड़की लग रहा था नीरज ने खुद को आईने में देखा और बोला काश के ये सब तुमने पहना होता सच में तुम्हे कच्चा चवा जाता तो सोनिया हस्ते हुए बोली तुम्हे मौका मिला था पर तुमने मौका गवा दिया अब मेरी बारी है फिर सोनियाने नीरज को कमरे के बीचो बिच खड़ा किया
और एक खाश सॉफ्ट ब्लैक साटन का कपड़ा निकला और नीरज कोबोली चुपचाप खड़े रहना और नीरज के पीठ के पीछे जाकर उस कपड़े से नीरज की आँखे बांध दी अब नीरज को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था
अब सोनिया ने नीरज के दोनों हाथो में दो अलग अलग हैंडकफ लॉक किये फिर जैसे उन हैंडकफ में कुछ बांध रही हो ऐसा नीरज को लगा पर थोड़ी ही देर में सब साफ़ हो गया सोनियाने नीरज के हाथो में हैंडकफ लॉक करके उन हैंडकफ्फ्स को एक एक रस्सी से बांध कर घर की छत से लगे हेंगर से होते हुए कमरे की लोहे की खिड़की से कास कर बांध दिया था अब नीरज के हाथ उसके सर के ऊपर बंधे हुए थे
और पेअर हाई हील्स में लॉक्ड थे जिनमे बैलेंस बनाना थोड़ा सा मुश्किल था नीरज के लिए तभी नीरज को लगाजैसे निकिता उसके पैरो में कुछ बांध रही थी नीरज हल्का सा घबरा गया
सोनिया बोली डार्लिंग घबराओ मत बस घुंघरू वाली पायल है अब नयी नयी बहु की सुहागरात पर थोड़ा घुंघरू चुडिया इनकी आवाज न हो तो मजा कैसे आएगा
फिर नीरज ने महसूस किया के उसके पैरो में घुंघरू वाली मोती पायल थी जो अब जरा भी पैर हिलने पर आवाज कर रहे थे
नीरज के हील्स के बजह से बैलेंस नहीं बन रहा था इसलिए बैलेंस बनाने के लिए उस बार बार पैर एडजस्ट करना पद रहा था और उसकी बजह से बार बार घुंघरू बज रहे थे नीरज कितनी भी कोशिस करे पर घुंघरू की आवाज तो आ ही जाती थी
नीरज की कोशिश को देख कर सोनिया की हसी छूट गई और हस्ते हए वो नीरज के ठीक सामने आयी और उसके जांघो पर अपना हाथ फिरते हुए बोली तुम्हारा लिप ग्लॉस सच में मन कर रहा है मन कर रहा है तुम्हे किश कर लूँ तुम्हारे होंठ मैं चबा जाऊं तो नीरज बोला तो इंतजार क्यों कर रही हो
अब तो मैं कुछ कर भी नहीं सकता मेरे हाथ बंधे हुए है आँखे बंधी हुयी है तुम्हारी कैद में ये बुलबुल फस ही गयी है तुम जो चाहे वो कर सकती हो
सोनिया बोली कर तो सकती हूँ पर अब भी कुछ कमी है जो तुम्हे नीरज और मुझे सोनिया बना रहा है पर सच तो ये है के तुम्हे सोनियाऔर मुझे नीरज होना चाहिए था
तो नीरज हस्ते हुए बोला अब इसमें मेरे कोई गलती तो नहीं है मैं इसमें क्या कर सकता हूँ
शायद मेरी ही किस्मत फूटी है तभी तो मेरे पति देव मेरे साथ रोमांस नहीं कर प् रहे है और कमी बता रहे है पर फिर भी मैं जानना चाहूंगा के आपको क्या कमी लग रही है नीरज ने बे मन से सवाल किया
निकिता ने नीरज की टॉप को थोड़ा सा ऊपर किया और बोली बस ये कमी है इनमे कुछ नहीं है ये खली है
तो नीरज बोले इन्हे भरना तो तुम्हारा काम है हर लड़की के छोटे से चेस्ट को ब्रैस्ट तो उसका पति ही बनता है अब तुम पर है के तुम मेरे चेस्ट को ब्रैस्ट कैसे बनाओगी
तभी नीरज के गलो पर नाकोटाते हुए और एक हल्का सा प्यार भरा थप्पड़ मरते हुए सोनिया बोली
बनाउंगी नहीं बनाओगे बोलो और तुम अब लड़की हो तो लड़कीओ की तरह बोलो आगे से अगर एक भी गलती की तो सजा मिलेंगे समझी दीपिका जी
नीरज भी थोड़ा सा लड़कियों वाले टेंट्रम को अपने अंदर जागते हुए बोला जी बिलकुल सोनियाजी समझ गयी
अब सोनिया ने नीरज के होठो को अपने होठो में ले कर चूसना शुरू कर दिया और फिर कटना शुरू कर दिया नीरज सोनिया से मुँह छुड़ाने की कोशिश करता पर कोई फायदा नहीं वो बंधा हुआ था सोनिया जैसे नीरज के होंठो को सारा रास पि जाएगी इस तरह से उसके होंठो को चूस रही थी
फिर सोनिया ने नीरज के गर्दन पर एक किश किया और फिर अपने दांतो से वह पर काटा जो बहुत पेनफुल था
नीरज बोला अरे सोनियाजी आपकी बीबी हूँ हमेसा आपकी ही हूँ कही नहीं भागी जा रही हूँ थोड़ा आराम से कीजिये बहुत दर्द हो रहा है
सोनिया बोली अरे दीपिका जी अभी तो बहुत कुछ बाकि है आप तो बहुत जल्दी घबरा गयी है थोड़ी हिम्मत और विश्वास रखिये आपके लिए ही सब किया है आखिर तुम सोशल मीडिया सेंसेशन हो सारा शहर हमारी शादी की चर्चा कर रहा है थोड़ा तो हमारा सुहागरात दिखन चाहिए न
नीरज फिर से कुछ कहने को हुआ पर सोनिया ने उसके दोनों होठो को अपने मुँह में ले लिए और फ्रेंच किश करने लगी सोनिया ने नीरज की जीभ को अपने मुँह में ले कर उस दांतो से पकड़ लिए और उस पर एक हल्का सा प्रेशर दिया जिससे नीरज की जीभ पर सोनिया के दांत के निशान बन गए अब सोनियाने नीरज के लिप्स को अपने दांतो में पकड़ लिया और हलके हलके प्रेस करने लगी
सोनिया को नीरज की घबराहट देख कर बहुत मजा आ रहा था क्यों के नीरज ये सोच कर घबरा रहा थे के सोनिया जो उसके लिप्स गले और बॉडी में लव बीट्स दे रही है उसके निशान कल सब कोई देखेंगे तो वो कैसे उहे छुपायेगा
पर सोनियाअपने मजे में थी उसके दांतो के बिच नीरज के लिप्स से
अब सोनियाने अपने हाथो से नीरज के ब्रैस्ट को मसाज करना मसलना शुरू कर दिया
नीरज उसके ब्रैस्ट और लिप्स हुए हमले से खुद को छुड़ाने के लिए बार बार आगे पीछे हो रहा था जो निकिता को बिलकुल भी पसंद नहीं आया उसने नीरज के लिप्स को छोड़ दिया और पास में पड़े जुड़े की नेट को उठा लिया और नीरज के पैरो में पड़ी पायल में से निकल कर उसके दोनों पैरो को एक दूसरे के साथ पायल के थ्रू बांध दिया
नेट बहुत मजबूत थी जो इतनी आसानी से नहीं टूटने वाली थी अब नीरज के हाथ और पैर दोनों बंधे थे और उसकी आँखे भी बंधी हुयी थी
अब नीरज पूरी तरह से बंधा हुआ था एक कदम भी चलना पॉसिबल नहीं था एक तो पैरो में हील्स की बजह से दूसरा पायलो से भी बांध दिया गया था अब सोनिया ने जरा भी देर नहीं की और निचे बैठ कर नीरज की स्टॉकिंग वाले पैरो को किश करना शुरू कर दिया और उसके हील्स पर किश करने से शुरू करने धीमे धीमे पर की और उठने लगी
नीरज एक्ससिटेड होने लगा पर सोनिया जान बुझ कर बिच बिच में उस काट लेती थी उसके पैरो पर ही काम से काम ५ बार कटा होगा अब सोनिया ने नीरज की पंतय को निचे कर दिया और नीरज का पेनिस एक दम तन कर खड़ा हो गया सोनिया ने उस पर किस किआ उस अपने मुँह में लिए एक दो बार आगे पीछे किया फिर अपने सरे कपडे उतार कर अपनी गीली वजाइना रगड़ने लगी हलके हलके अपने अंदर डालने की कोशिश भी करने लगी पर नीरज की और सोनिया की हाइट में फर्क था उस पर नीरज ने हील्स पहने थे जिसकी बजह से सोनिया अपनी एड़ी पर कड़ी हो कर भी ठीक से पहुंच नहीं पा रही थी
तो उसने अपने मुँह में ही नीरज के पेनिस को लेकर ऊपर निचे करनाशुरू किया और अपने हाथो से अपनी वजाइना में ऊँगली करने लगी
माहौल बहुत गर्म हो रहा था तभी नीरज बोला हटो जल्दी नहीं तो तुम्हारे मुँह में ही मैं अपनी गर्मी निकल दूंगा तो जल्दी से सोनिया ने अपना मुँह उसके पेनिस से बहार निकाला वो घबरा गयी थी इसी घबराहट में सोनिया का हाथ नीरज के बॉल्स पर लग गया जिससे नीरज की दर्द से चीखे निकल गई जिसे देख कर सोनिया घबरा गयी पर थोड़ी देर में नीरज नार्मल हो गया
पर सोनिया का काम उसकी उंगलियों से हो गया थे पर नीरज जो की उसकी गर्मी निकलने वाला था वो दर्द की बजह से गर्मी निकाल नहीं पाया था तो नीरज सोनियासे बोला डार्लिंग क्या तुम मुझे ऐसे अधूरा ही छोड़ दोगे सोनियाजी
सोनिया बोली नहीं डार्लिंग ऐसा बिलकुल होने वाला नहीं है पर उसके लिए तुम्हे मेरे सामने गिड़गिड़ाना होगा के निखिल जी मेरी गर्मी को शांत कीजिये मुझसे प्यार कीजिये अपनी आदये दिखाओ अगर मुझे तुम पर दया आ गयी तो शायद मैं तुम्हारी गर्मी भी निकल दूँ
नीरज को पहले तो कुछ समझ नहीं आया पर उसने मूवीबगैर में देखा था तो उसने वैसे ही सोनियाको सिदुस करना शुरू किया
नीरज की ऐसे पोज़ देख कर निकिता फिर से जोश में आ गयी और उसने नीरज के हाथो को विंडो से खोल दिया और उसके हाथो को उसके पैरो से बांध दिया जिससे किनीरज अब एक डॉग जैसी पोजीशन में आ गया था नीरज का बम ऊपर और पैर घुटनो से और हाथ पैरो से बंधे थे मुँह बिस्तर पर लगा हुआ था आँखे अब भी बंधी हुयी थी

सोनिया ने एक नारियल तेल की सीसी निकली और उसकी गांड के छेड़ पर डालना शरू कर दिया नीरज बहुत नर्वस था के अब क्या होने वाला है
कही नीरज ने किसी गलत इसारे से सोनिया के दिमाग में कोई और ही आइडिया को जनम तो नहीं दे दिया था
अभी वो ये सब सोच ही रहा था तभी उसके गांड के छेड़ पर एक ठंडी रुबेर जैसी चीज महसूस हुयी
और उस ये क्या है समझनेमें जरा भी समय नहीं लगा ये एक स्ट्रेपों था जो सोनिया ने पहन रखा था और ये पोज़ जिसमे नीरज था वो इस काम के लिए एकदम परफेक्ट था पर नीरज अभी इस चीज के लिए तैयार नहीं थी नीरज ने सोनिया से रिक्वेस्ट की वो ऐसा न करे

पर नीरज कुछ भी रियेक्ट करता उसके पहले सोनिया ने एक जोर का झटका दिया और नीरज की गांड में आधा घुस चूका था
नीरज दर्द से चीख पड़ा और खुद को सँभालने की कोशिश कर ही रहा था तभी सोनिया ने बिना किसी दया के एक और तेज झटका दिया और नीरज के गांड में अब पूरा नकली पेनिस सोनिया ने घुसा दिया था
वैसे तो नीरज की आँखे बंधी थी तो उस कुछ दिखाई नहीं दे रहा था सब अँधेरा ही था पर पेनिस के पूरे अंदर जाते ही नीरज की बांध गयी आँखों में भी तारे दिखाई दे गए थे
अब सोनियाने धीमे धीमे अंदर बहार होना शुरू कर दिया फिर एक हाथ से नीरज का पेनिस अपने हाथ में लेकर धीमे धीमे सहलाने लगी दोहरा वॉर नीरज के लिए संभालना मुश्किल था जैसे ही नीरज उसके पेनिस से गर्मी निकलने के लिए तैयार होता सोनिया एक जोर का झटका उसकी गांड में मर कर पेनिस को उसकी गांड के अंदर तक घुसा देती जिससे नीरज का ध्यान बिगड़ जाता लगभग आधा घंटा हो चूका था नीरज अब थक गया था और सोनियाभी तो सोनिया ने नीरज की गांड से नकली लैंड निकलने के बदले अपनी कमर से उस खोल कर नीरज की कमर में उस ऐसे बांध दिया के जिससे नकली पेनिस नीरज की ही गांड में फसा रहे
सोनिया ने नीरज के हाथ उसके पैरो से लगा करके बिस्तर के बीएड पोस्ट से लॉक कर दिया
करने लगे , थोड़ी देर में नीरज के पेनिस पर सोनिया ने एक कंडोम पहनाया और उसके पेनिस पर अपनी वजाइना पर रगड़ने लगी और फिर उसके पेनिस के टोपे को अपनी वेजिना में दाल कर धीमे धीमे प्रेशर डालने लगी और नीरज का पेनिस सोनिया की वजाइना में अंदर और अंदर और बहुत अंदर तक घुस गया था
नीरज बहुत एक्ससिटेड था और सोनिया अब उसके पेनिस पर धीमे धीमे ऊपर होने लगी स्पीड बढ़ने लगी नीरज का एक्ससिटेमेंट ही और सोनिया का क्यों के ये पहेली बार था जब उसकी अंगुली के अलावा इसकी बजाइने में इतना अंदर तक गया था सोनिया बहुत धीमे धीमे ऊपर हो रही थी नीरज की गांड में स्ट्रेपों अब भी अंदर घुसा था और उसकी बेल्ट नीरज की कमरे में बंधी थी
नीरजका पेनिस कंडोम के अंदर से सोनिया की बजाइने में था धीमे
धीमे रात करवट ले रही थी और सोनिया के बजाइने में नीरज का पेनिस अंदर तक घुसे जा रहा था सोनिया का ये पहला सेक्स था सोनिया धीमे धीमे नीरज के ब्रैस्ट पर अपने हाथ घुमा रही थी नीरज एक्ससिटेड एक्ससिटेड होता जा रहा था और तभी एक चीख के साथ नीरज की गर्मी शांत हो गयी और सोनिआ की भी
सेक्स बाद दिएक का पेनिस सिकुड़ गया सोनिआ ने उस अपने बजाइने से बहार निकला और फिर नीरज के पेनिस को एक गीले कपडे से साफ़ किया खुद को भी साफ़ किया और फिर नीरज की आँखे खोली नीरज को बहुत गन्दा महसूस हो रहा था उस लग रहा था जैसे उसने अभी अभी रपे किया हो अपनी ही साली का
वो अपने ख्यालो में खोया ही हुआ था तभी उसकी नजर पड़ी उसके बीएड के सामने रखे रिंग लाइट स्टैंड का जिसमे लाइट चल रही थी और साथ में उससे एक मोबाइल कैमरा जिसमे वीडियो रिकॉर्डिंग चालू थी
नीरज घबरा गया क्यों के सोनिया ने नीरज की आँखे बांध राखी थी तो उस नहीं पता था के उसके साथ जो कुछ भी हो रहा है वो कैमरा रिकॉर्डिंग के सामने हो रहा है
सोनिया बोली दीपिका डार्लिंगडरो मत ये सब मैंने अकेलेपन को दूर करने के लिए किया है और ये सिर्फ मेरे पास रहेगा जब तक तुम मेरी हर बात मानोगे जिससे तुम मेरी पागल बहन निकिता के लिए आदर्श पति बने रहोगे और वो पागल तुम्हारे प्यार में हर महीने अपने बाल कटवा कर गंजी होती रहेगी तीन साल तक
दीपिका रोने लगा गिड़गिड़ाने लगा के इस वीडियो को डिलीट कर दे सोनिया पर सोनिया बोली डिलीट करने से कुछ नहींहगा मैंने इसकी कई साड़ी कॉपी बनाकर अपने पास रख लिया है
और दर क्यों रहे हो आखिर तुम मेरी बीबी हो और कोई पति अपनी बीबी की वीडियो थोड़े लीक करेगा
बस बदले में मैं तो तीन साल तक के लिए एक ईमानदार बीबी चाहती हूँ जो मेरी हर बात मने घर के सब काम करे और अगर कोई मायके जाने को बी कहे तो मेरे हाँ करने से पहले घर से कदम बहार रखने से पहले बी सोचे
नीरज समझ रहा था के सोनिया उस ब्लैकमेल करना चाहती है पर उसके पास कोई ऑप्शन वैसे भी नहीं तो नीरजने बोला ठीक है तुम जो चाहती हो जैसा चाहती हो वैसा ही होगा
सोनिया बोली बस एक बात और तुम्हारा मोबाइल मेरे पास रहेगा जब तक मैं न चहु तुम अपने मायके में किसी से बात नहीं करोगे न ही मोबाइल को हाथ लगाओगे मतलब के तुम सिर्फ अपने घर वालो से मेरे मोबाइल से रिकॉर्डिंग चालू करके बात करोगे
और किसी भी हल में निकिता से बात नहीं करनी है
अगर वो हमारे घर भी आती है तो तुम्हे उसके सामने घुंघट में ही रहना है जब भी वो घर आये तो तुम्हे अपनी सबसे हैवी वाली साडी पहननी है जिसमे तुम्हारा मुँह या आँखे भी न दिखाई दे
नीरज के आँशु निकल गए ये सोच कर ही के निकिता के दिल पर क्या बीतेगी अगले तीन साल तक
नीरज को रोटा हुआ देख कर सोनिआ बोली अरे तुम क्यों रो रही हो अभी तो मैंने कुछ किया ही नहीं है
और फिर नीरज के पेनिस पर एक और कंडोम चढ़ा कर उसके पेनिस को ऊपर निचे करने लगी
थोड़ी ही देर में नीरज फिर से एक्ससिटेड होने लगा और फिर से गर्मी निकल गयी
सोनिआ ने फिर से उस साफ़ किया और फिर से उसके पेनिस पर एक कंडोम चढ़ा कर उसके पेनिस को ऊपर करने लगी
नीरज को बहुत दर्द हो रहा था एक रत में तीसरी बार सोनिआ नीरज की गर्मी निकाल रही थी
इस बार बहुत मुश्कि से कुछ बुँदे गिरी पर नीरज का पेनिस एक दम पतला हो गया था जिसे नार्मल होने या दुबारा एक्ससिटेमेंट होने के लिए बहुत समय लगाना था
फिर सोनिया ने अपने बैग से एक पार्सल निकला और फिर नीरज के पैरो से होते हुए उसकी कमर तक चढ़ाया उसमे उसके पेनिस और बॉल्स को सेट किया और उस एक पेड़ लॉक से लॉक कर दिया
नीरज की गांड में स्ट्रापोड़ अब भी फसा था
उसके बाद सोनिया ने नीरज की निप्पल्स में हल्का सा छेड़ करके उन पर एक डिवाइस लगा दिया
नीरज कुछ समझ नहीं रहा था पर तीन बार सेक्स के बाद उस पर हलकी बेहोशी आ रही थी उसके बाद सोनिया ने नीरज के कानो में छेद किया और फिर उसकी नाम में भी सेप्टम छेद दिया
इसके बाद नीरज के कानो में और नाक में एक बहुत ही छोटे छोटे डिमांड वाे ईयरिंग और नाक में पिन को पहना कर फिट कर दिया
अब बारी थी असली सस्पेंस के खुलने की
सोनिया बोली ये कान में जो जो मैंने पहनाया है इसमें जीपीएस लोकेशन ट्रैकर और एयरफ़ोने है जिससेजो कुछ तुम सुनोगे वो मैं सुन सकुंगी कभी भी कही से भी और नाक में जो पहनाया है उससे जो तुम बोलोगे वो मैं सुन पाऊँगी मतलब अगर धीमे से धीमी आवाज में भी तुम बोलगे मैं सुन सकती हूँ
तुम्हारे चेस्ट पर जो डिवाइस है वो बहुत खाश है तुमने कहा था न के लड़की के चेस्ट को ब्रैस्ट तो हस्बैंड ही बनाता है तो ये उसी के लिए है अब मैं जब चहु जितना चहु तुम्हे ब्रेस्ट को बड़ा या छोटा कर सकती हूँ और फिर एक डेमो दिखाया सोनिया के मोबाइल से एक बटन दबाया और बबल्स सा नीरज के चेस्ट पर बन दया जो उसके निप्पल से अटैच्ड था तो जैसे जैसे बबल बड़ा है रहा था उसके बजन से नीरज के निप्पल परबजन बढ़ रहा था और दर्द भी बढ़ रहा था
सोनिया ने बताया ये खाश मटेरियल है ये बबल जैसे देखता है पर है नहीं ये किसी भी चीज से फूटेगा या टूटेगा नहीं इसके ऊपर से तरकक भी गुजर जाये तो ये ब्लास्ट नहीं होगा इसलिए अब तुम जितना चाहो उतना टाइट ब्लौसे पहन सकते हो
अब सबसे जरुरी चीज फिर एक बटन दबाया नीरज के पेनिस में करंट सा लगने लगा जिससे वो दर्द से दतपड़ने लगा सोनिया बोली ये तो बस १ पॉइंट का करंट है हर लेवल पर पहले से डबल झटका और इसमें पूरे २० लेवल है सोच रही हूँ अब २० लेवल का एक झटका दे ही देती हूँ
नीरज दर गया और चीखा नहीं नहीं प्लीज ऐसा मत करना मैं १ नंबर पर ही झेल नहीं पा रहा हूँ
सोनिया ने हसी और करंट बंद किया फिर सोनिया बोली ये सरे डिवाइस वायरलेस चार्ज होते है बस तुम्हे हर एक चार घंटो में इस कमरे में आना है १० मिनट के लिए चार्ज होने के लिए अगर तुम लगातार ४ घंटे इस कमरे में नहीं आती हो तो तुम्हारे पेनिस में करंट लगने लगेगा और तुम्हारा ब्रेस्ट फूलने लगेगा थोड़ा थोड़ा करके जिससे तुम्हारी ब्रा और ब्लाउज टाइट होने लगेगा
इस घर से बहार भागने या अपने घर वापस जाने के बारे में सोचना भी मत अगर तुम इस घर से १० कदम दूर जाती हो तो तुम्हारे कान में एक सिटी की आवाज सुनाई देने लगेगी जो बिलकुल भी अच्छी आवाज नहीं है और तुम्हारे ब्रैस्ट तेजी से बढ़ने लगेंगे और एक समय के बाद तुम्हारे निप्पल में तेज दर्द होगा और सबसे जरुरी तुम्हे पेनिस में सीधे लेवल १० का करंट लगेगा जिससे तुम्हारे हाथ पैर काम करना बंद कर देंगे तुम वही लौटने लगोगे इसलिए घर से बहार जाने के बारे में सोचना भी मत
और इस डिवाइस की एक कमी है तुम जैसे ही किसी मोबाइल को अपने हाथ में पकड़ोगे या किसी मोबाइल के एक दम नजदीक होंगे तुम्हारे कान में सिटी बजनी शुरू हो जाएगी और पेनिस में तेज करंट और ब्रैस्ट में बढ़ता हुआ बजन अपने आप इनेबल हो जायेगा इसलिए खुद को अपने आस पास के लोगो को तुम्हारे नजदीक मोबाइल लेने से रोकना तुम्हारी जिम्मेदारी होगी उसके बाद डेमो के लिए जैसे ही सोनिया नीरज का मोबाइल उसके पास ले जाने ले नीरज के कान में सिटी तेज होने लगी हलके करेंट लगने लगे और जैसे जी सोनिआ ने नीरज के हाथ में उसका फ़ोन रखा वो करंट के झटके से तड़प गया
फिर सोनिया ने अपना मोबाइल नीरज के पास लगाई और उसके अपना मोबाइल दिया नीरज को शामे प्रोब्लेम्स हुयी
सोनिया बोली उम्मीद है तुम्हे पता चल गया है के तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन इस घर में कौन है
नीरज बोला हाँ समझ गया सोनिया जी मोबाइल है मेरा दुसमन
और सोनिया ने हस्ते हुए नीरज को एक किश दिया और बोली अब तुम सही समझे हो उम्मीद है हमारी पहेली रत तुम्हारे लिए याद गर रही होगी बस इन सब आइटम्स में किसी को भी उतरने की कोशिश मत करना जान लेवा भी हो सकता है बस इतना ही कहूँगी
नीरज कुछ बोला नहीं अब सोनिया नीरज के बगल में लेट कर उसके बॉडी पर इधर उधर हाथ फिरने लगी और जान बुझ कर थोड़ी थोड़े देर में मोबाइल नीरज के पास लेजाकर उस परेशां करने लगी और इन्ही छेडखानिओ में पहेली रात कटी
🌅 अगली सुबह — एक नई बहू की शुरुआत
सूरज की पहली किरण कमरे में झांक रही थी।
नीरज की आँखें धीरे-धीरे खुलीं — हाथ अब भी बंधे थे, नीरज को पता था अगले ३ साल हर सुबह इन्ही हैंडकफ्फ्स में होने वाली है ऐसे ही बंधे हुए
सोनिया पास बैठी मुस्कुरा रही थी। उसने धीरे से नीरज के माथे पर चुम्बन दिया —
“गुड मॉर्निंग, मेरी नयी बहू…”
नीरज मुस्कुराया, बोला —
“बहू नहीं, तुम्हारी ज़िम्मेदारी हूँ तीन साल की…”
निकिता ने खिलखिलाते हुए कहा —
“फिर जल्दी तैयार हो जाओ ज़िम्मेदारी जी — आज तुम्हारी पहली रसोई है!”
🍳 रसोई में पहली परीक्षा
सासूमाँ अनीता ने नीरज को प्यार से सारी रस्में समझाईं — हलवा बनाना, थाली सजाना, और सबसे बड़ी बात — पड़ोस की औरतों को खाना खिलाना।
नीरज ने थोड़ी झिझक से गैस ऑन किया, लेकिन सोनिया ने पीछे खड़े होकर उसका हौसला बढ़ाया।
जब हलवा तैयार हुआ, तो सासूमाँ अनीता ने पहला निवाला खाया सुनील को भी दिया और कहा —
“जैसे बिटिया रसोई में सजी है, वैसे ही स्वाद भी लाजवाब है।”
नीरज की आंखों में आत्मविश्वास झलकने लगा।
🧵 पड़ोस की औरतों से मुलाकात
पड़ोस की औरतें आईं, सबने नीरज को नई बहू की तरह बधाई दी।
एक आंटी ने पूछा —
“बहू जी, आपको ये सब निभाने में कोई तकलीफ तो नहीं?”
नीरज ने मुस्कुराकर जवाब दिया —
“तकलीफ नहीं, जिम्मेदारी है। और जब साथ में समझदार जीवनसाथी हो, तो सब आसान लगता है।”
सभी ने तालियाँ बजाईं।
👣 रिश्तों की गर्माहट और प्रेम की परिपक्वता
धीरे-धीरे तीन महीने बीते — नीरज अब घर के कामों में पूरी तरह रम चुका था। वो सबकी पसंद जान चुका था, क्या पकाना है, किसे किस समय चाय चाहिए… और सबसे बड़ी बात — उसने सबका दिल जीत लिया था।
सोनिया और नीरज की रातें अब पहले जैसी नहीं रहीं — उनमें अब शरारत से ज़्यादा समझदारी, और प्रेम से ज़्यादा आदर था।
एक रात दोनों छत पर बैठे थे —
सोनिया ने पूछा:
“अगर तुम्हें मौका मिले, तो क्या वापस वो सब बदलना चाहोगे?”
नीरज ने उसकी आंखों में देखा और कहा:
“नहीं… क्योंकि इस अनोखे सफर में मैंने खुद को पाया है। और तुम्हें पाया है। इस रूप में भी, उतनी ही सच्चाई से।”
नीरज की बात सुन कर सोनिया ने मन ही मन सोचा इसका मतलब है के अब नीरज जीवन भर के लिए मेरे है
सोनिया आज नीरज से बहुत खुश थी नीरज अब जान चूका था के सोनिया को खुश कैसे रखना है जैसे नीरज और सोनिआ कमरे में अकेले होते नीरज सोनिआ का इशारा पाते ही सोनिया की मर्जी की ड्रेस पहन कर दोनों हाथो को पीठ के पीछे बांधने के लिए हैंडकफ देता और हाथ पीछे करके खड़ा हो जाता
सोनिया बोली तुम एक अच्छी बीबी हो हमेसा मेरा ख्याल रखा है इसलिए मैं तुम्हे खुश करने के लिए क्या कर सकति बताओ
नीरज ने डरते हुए कहा अगर तुम गुस्सा न हो तो बोलू , फिर सोनिआ के भरोषा दिलाने के बाद धीमे से बोलै निकिता मेरी बजह से बहुत कुछ झेल रही है एक लड़की के लिए बाल छोटे करना ही कितना मुश्किल होता है वो पिछले कई महीनो से गंजी हो रही है और तुम्हरे आर्डर के बजह से मैं उससे बात भी नहीं कर पाया उसकी आवाज भी नहीं सुनी और उसने भी मेरी आवाज नहीं सुनी है
प्लीज एक बार मुझे उसकी आवाज सुनवा दो मैंनही कहे रहा के उससे बात करवादो बस उसे एक बार देख लूँ के वो ठीक है मेरे लिए ये भी बहुट हो जायेगा और ये बोल कर नीरज सोनिया के पैरो में गिर पड़ा और फफक फफक कर रोने लगा
सोनिया बोली इसमें रोने की क्या बात है एक महीने के बाद रक्षाबंधन है निकिता को मैं घर बुलवा लुंगी अमन से बोल कर
नीरज ने मन ही मन सोचा रक्षाबंधन में तो अभी एक महीना है
पर उसकी हिम्मत नहीं हुयी इस बारे में कुछ और बोलने की
क्यों के अगर सोनिया को गुस्सा आ गया और उसने लेवल २ का करंट भी दे दिया तो उसके लिए झेलना मुश्किल है
नीरज को अब भी एक बुरे सपने जैसा अलग रहा था सोच कर ही के एक बार ऐसी ही छोटी सी बात पर सोनिए ने
गुस्सा हो कर नीरज को कमरे में बंद करके उसके हाथ पैर बंद कर मुँह में कपड़ा थुश कर लेवल २ का करंट दिया था
२ मिनट तक नीरज जमीं पर लोट रहा था दर्द से तड़प रहा था और तड़प तड़क पर बेहोश हो गए था
अगर दो नुम्बेर झेलना इतना मुश्किल है तो उसके ऊपर के लेवल पर करंट तो एक बुरे सपने से भी बुरा होने वाला था
उस दिन के बाद नीरज ने सोनिया को गुस्सा आये ऐसा कोई काम नहीं किया
हर आर्डर पहेली बार में सुनता और पूरा करता
कभी निकिता के बारे में नहीं पूछा न जानने की कोशिश की
कभी अपने घर वालो से भी बात नहीं की
मोबाइल को हाथ लगाना तो दूर कभी देखना भी नहीं
नीरज की लाइफ आसान बिलकुल नहीं थी धीमे धीमे अनीता और सुनील उसके सास ससुर पूरी तरह से भूल गए के वो उनका कभी दामाद था
क्यों के नीरज को हमेसा सदी में और घूँघट में ही रहना होता था तो वो नीरज की सकल भी भूल गए थे बस एक बहु जैसा ट्रीटमेंट मिलता जिसमे सिर्फ आर्डर मिलते
बहु खाना बना लो झाड़ू लागलो नींद आ रही है पेअर दबा दो चाय बना लो
तीन महीनो से नीरज ने कभी घर के बहार का सूरज सीधे नहीं देखा घर के बहार कदम नहीं रखा
हमेशा घूंघट में रहता सरे काम करता
और हर कोशिश करता के उससे कोई गलती न हो जो सोनिया को पसंद न आये
सप्ताह में एक दिन सोनिया की सहेलिया आ जाती फिर वो साडी लड़किया और सोनिया नीरज को कमरे में ले जाते
उसे अलग अलग काम के आर्डर देते अलग अलग डिश बनाने की फरमाइशें करते
कभी कभी उसे छोटे छोटे कपडे पहनते और उसे नचवाते
कभी कभी गांव की औरतो कीतरह ढोल ले कर बैठ जाती फिर नीरज के पैरो में घुँघरू बांध कर उसे नाचने के लिए मजबूर करते
सोनिया की भाभी नीरजकी हर गलती पर उसे ताने मारती एक मिनट भी चैन से बैठने नहीं देती सारा दिन काम करवाती पोछा झाड़ू कपडे धोना खुद कुछ भी नहीं करती सारा काम नीरज को ही करना पड़ता था
दिन भर नीरज से काम करवाए जाते और रात भर सोनिया उसे अलग अलग तरीको से बांधती
और स्ट्रेपों से उसके गांड को अनादर तक बजाती
कई बार सोनिआ ने नीरज को वियाग्रा खिला कर उसके हाथ पेअर बाँध कर कमरे के बिच उसके हाथ उसके सर के ऊपर बांधकर रत भर तड़पने के लिए खड़ा छोड़ दिया
नीरज की नींद पूरी नहीं हो रही थी दिन भर काम करना पड़ता इससे उसका बजन कम होने लगा था पर हैवी सारियो में कोई नोटिस नहीं कर रहा था
कोमल हमेशा सोचती रहती के ये साली सोनिया ने ऐसा क्या किया है जो नीरज इसकी हर बात मानते है पर वो हर बार किसी न किसी बजह से उस राज तक पहुँच नहीं पा टी थी
नीरज को सोनिए ने साफ साफ़ कहा था किसी से बात न करने को इसलिए कोई भी रास्ता कोमल को सच पता करने का नहीं मिल रहा था जो कोमल के गुस्से को हर दिन बढ़ा रहा था और जिसकी बजह से वो नीरज से हर दिन काम काम करके उससे बदला लेती थी उसके सास से उसकी बुराई करती पति से बुराई करती
और कई दिनों से लगातार काम करने और रत भर चैन से न सोने के बजह से नीरज बीमार हो गया उसे तेज बुखार था
बहुत दवा कराई गयी पर कोई फायदा नहीं उसके बीमार होने के बाबजूद सोनिया उसे काम करने को प्रेशर करती कोमल भी उसे काम करवाती जो अनीता जो उसकी सास थी उसे अच्छा नहीं लग रहा था
और फिर घर के माहौल बदलने और नीरज को भी थोड़ा अच्छा लगे ये सोच कर एक दिन अनीता ने अमन को निकिता को कुछ दिन के लिए अपने घर पर आने को कहा कई महीने हो गए थे निकिता को देखे हुए निकिता की सास गीता ने भी भेज दिया इसी बहाने कुछ दिन बच्चे साथ में बिता लेंगे
निकिता घर आ रही है ये सोच कर ही नीरज ख़ुशी से झूम उठा और मन ही मन दिन टाइम गिनने लगा
सोनिया और कोमल को नीरज की ख़ुशी बिलकुल अच्छी नहीं लग रही थी पर बात अनीता के आर्डर की थी
तोकुछ कर नहीं सकती थी और वो दोनों जानती थी के निकिता के सामने वो नीरज पर आर्डर भी नहीं चला पायेगी
अमन की गाडी गेट पर रुकी नीरज भाग कर निकिता को गले लगा लेना चाहता था गेट पर ही उसका स्वागत करना चाहता था पर सोनिया ने एक नंबर का करंट देकर उसे कमरे में रहना के लिए मजबूर कर दिया
और निकिता के सामने न जाने और बात न करने का इंस्ट्रक्शन दिया
वही दूसरी और कोमल नीरज का रिएक्शन देखना चाहती थी के जब निकिता सामने आएगी तब नीरज कैसे रियेक्ट करता है और ये सोनिया चुड़ैल उसे कैसे कट्रोल करती है
गाड़ी से उतरने के बाद से घर में आने तक निकिता की आँखे तो बस नीरज को धुंध रही थी सब उससे मिले पर नीरज नहीं आया वो कमरे में था सोनिया के आर्डर को फॉलो करता हुआ उसका शरीर तो कमरे में था पर कान कमरे के बहार ही थे के अभी निकिता उसे आवाज लगाएगी या उसके कमरे में आ जाएगी या उसकी भाभी कोमल ही किसी काम के लिए उसे बुलाएगी या सास ही चाय नास्ता देने के लिए बुलाएँगे
पर ऐसा कुछ नहीं हुआ निकिता और नीरज दोनों ही अंदर से तड़प रहे थे सोनिया निकिता की आँखों में पढ़ पा रही थी के वो कैसे नीरज के लिए परेशां है कोमल और अनीता भी निकिता की आँखों में देख प् रहे थे उसकी बेचैनी को
पर कोई भी नीरज को बहार नहीं बुला रहा था सब एक दूसरे की शकले देख रहे थे
अमन से जब नहीं रहा गया तो अमन ने ही कहा सब एक दूसरे की शकले देख रहे हो कोइजाकार दीदी के लिए चाय नास्ता ठंडा कुछ लाओ या खड़े खड़े शकल ही देखोगे
और फिर कोमल को डाँटते हुए बोलै तू यहाँ कड़ी क्यूँहै जा जाकर चाय नास्ता ला
चाय नास्ते के बाद भी जब नीरज नहीं दिखा तो निकिता से रहा नहीं गया और अपनी माँ अनीता से मजाक करते हुए बोली अरे माँ तुम्हारी बड़ी बहु से ही सारा काम करा रही हो छोटी बहु कहा गयी अब तो कई महीने हो गए तुम उससे कुछ कम नहीं करवाती क्या
तो अनीता हस्ते हुए बोली अरे नहीं बीटा वो छोटी बहु की तबियत थोड़ी ख़राब चल रही है इसलिए कमरे में लेती होगी
तो निकिता हस्ते हुए बोली कोई गुड न्यूज़ है क्या
सारा घर हस्ते हुए बोलै चल पागल कुछ भी बोलती है
पर कोई भी नीरज को नहीं बुलाया इस पर निकिता बोली हाँ बीमार होगी पर मैं आयी हूँ तो पेअर छूने के लिए ही सही थोड़ी देर के लिए बाहर आ सकती है या नहीं या फिर मुझे ही अपने पेअर लेकर जाना पड़ेगा उसके सामने
इतना बोल कर वो नीरज के कमरे की तरफ बढ़ने लगी तभी कोमल ने देखा के सोनिया अपने मोबाइल में कुछ अजीब सी अप्लीकेशन पर कुछ कर रही है ये कोई गेम तो नहीं हैतो ये है क्या और धीमे से अप्लीकेशन का नाम पढ़ लिया वही सोनिया ने जान बुझ कर नीरज की बहुत काम लेवल का करंट चालू कर दिया था जो नीरज के लिए वार्निंग थी के औकात में रहे
और जब निकिता कमरे में पहुंची नीरज जल्दी से उठ कर बैठ गए पीछे से सोनिया भी कमरे में आ गयी वो इन दोनों को एक पल भी साथ अकेले नहीं छोड़ना चाहती थी नीरज ने निकिता के पेअर छुए नीरज एक हैवी साडी में था घूँघट में जिसमे निकिता के लिए नीरज की आँखे या मुँह या कुछ भी देख पाना पॉसिबल नहीं था
लेकिन नीरज घूँघट से निकिता को देख पा रहा था निकिता ने कुर्ती और लेग्गिंग पहना था और सर अपर दुप्पटा ले रखा था नीरज ने झुक कर निकिता के पेअर छुए वो कुछ बोलना चाहता था पर सोनिया के दर के बजह से कुछ बोल नहीं पाया पर निकिता भी कहा मैंने वाली थी और बोली अरे बहु खाना नहीं कहती हो क्या
बहुत कमजोर हो गयी हो हाथो में जान नहीं है क्या थोड़ा ताकत लगाकर दबाओ
जब नीरज निकिता के पैरो में बैठ कर उसके पेअर दबा रही थी तभी निकिता ने कमरे में नजर दौड़ाई और एक कोने में नीरज और सोनिया की तस्वीर फ्रेम किये हुए थी जिसमे नीरज ने वही स्कूल ड्रेस पहनी थी बालो में दो छोटी बनायीं थी साइड में सोनिया थी नीरज की बहो में बहो में डेल लेकिन बॉयज स्कूल यूनिफार्म में
और भी कई तस्वीरें थी नीरज और सोनया की जिनमे नीरज अलग अलग फीमेल ड्रेस में था और सोनिया लड़को की ड्रेस में
हर तस्वीर में एक चीज कॉमन था के हर ड्रेस में एक फोटो जरूर थी जिसमे नीरज को सोनिया के पेअर छुए हुए फोटो खेचि गयी थी
थोड़ी देर में सोनिया ने ही नीरज से बोलै अरे अपने जेठ के ही पेअर छूती रहेगी या हमारा नंबर भी आएगा
और फिर नीरज को निकिता से पैरो उठकर सोनिया के पेअर छूने पड़े और जैसे ही नीरज उठने को हुआ
सोनिया ने निकिता की आँखों में देखा और नीरज को बोली थोड़ा ताकत लगा जैसे निकिता दीदी के पैरो में
डैम दिख रहे थे अब पैरो को दबाओ
फिर निकिता की आँखे के सामने ही नीरज ने सोनिया के पेअर छुए और फिर सोनिया के एक इशारे पर नीरज ने निकिता के सामने
सोनिया के पैरो में अपनी नाक रगड़ कर आशीर्वाद माँगा
सोनिया इस पर बोली वो पति पत्नी की बात है दीदी आप नहीं समझोगी
निकिता के लिए ये सब झेलना बहुत मुश्किल हो रहा था तो वो गुस्से से जैसे ही कमरे के बहार जाने को हुयी सोनिया ने निकिता का हाथ पकड़कर थोड़ी देर रुकने को कहा
और नीरज को बड़े प्यार से बोली दीपिका डार्लिंग जरा किचन से ठंडा पानी ले आओ मेरा गाला सुख रहा है और जरा चाय भी बना लाना
और फिर जैसे झड़ते हुए बोली दो ही कप लाना
बेचारा नीरज पानी लाया फिर दो ही कप चाय लाया और जैसे ही कमरे से बहार जाने को हुआ
सोनिया बोली अरे दीपिका डार्लिंग कहा जा रही हो दीदी आयी है तुम कमरे से बहार जाओगी तो दीदी को बुरा लगेगा
तुम यही रुको एक काम करो बैठ जाओ
निकिता ने थोड़ी सी जगह बनाई बैठने की पर नीरज को इसका मतलब पता था के सोनिया क्या चाहती है और उसने दिल पर पत्थर रख कर बेज्जती का घूंट पीकर कहा नहीं दीदी आप बैठो मैं निचे बैठ जाती हूँ और फिर सोनिया के पैरो के पास बैठ गया
सोनिया ने जान बुझ कर उसे उकसाया भी के वो ऊपर बैठे पर नीरज को पता था के अगर वो ऊपर बैठ गया तो ये करंट दे देकर टॉर्चर ही करती रहेगी इसलिए वो निचे ही बैठा रहा
निकिता से ये सब झेला नहीं गया पर वो कर भी क्या सकती थी तभी कोमल कमरे में आयी और नीरज की हालत देख कर मन ही मन हसी और फिर खास कर जैसे नीरज को इशारा कर रही हो के वो भी कमरे में है उसके भी पेअर छुए
नीरज भी इशारा समझ गया और तुरंत जाकर निकिता के सामने ही कोमल के पेअर छुए
फिर कोमल इतराते हुए गयी और निकिता और सोनिया के सामने पड़े सोफे पर बैठ गयी और नीरज फिर से सोनिया के पैरो के पास जाकर घुंगट में निचे बैठ गया
थोड़ी देर के बाद कोमल बोली वैसे निकिता दीदी मैं बस वो पूछ रही थी के क्या आप हर महीने तकला करवा रही हो
फिर सोनिया बोली हाँ तो और क्या दीदी नीरज से बहुत प्यार जो करती है नीरज के लिए वो जान भी दे देंगी तकला करना क्या बड़ी बात है क्यों दीपिका
और फिर धीमे से बोली अरे दीदी आप अपने घर में ही हो ये दुप्पटा हटा दो हमसे क्या छिपाना वैसे भी एक दो दिन की बात थोड़े है पुरे तीन साल तक ऐसे ही रहना है
फिर धीमे से खींचकर निकिता का दुप्पटा निचे कर दिया और कोमल और सोनिया की हसी निकल गयी निकिता की गंजी शकल देख कर
घुंघटा की आड़ में नीरज ने भी निकिता की गंजी शकल को देखा उसके आँशु निकल गए ये सोच कर के निकिता को स्की बजह से कितना कुछ झेलना पद रहा है
तभी अचानक ढोल की आवाज सुनाई दी और जैसे सोनिया ने नीरज को बेइज्जत करने का पूरा प्लान बनाया था सोनिआ की सहेलिया ढोलक बजाते हुए कमरे में आ गयी और बेड पर बैठ गयी और एक सहेली ने जैसे पूछना भी जरुरी न हो ऐसे गयी और नीरज के पैरो में घुँघरू बांधना शुरू कर दिया
निकिता को बहुत अजीब लगा के आखिर हो क्या रहा है और एक सहेली बोली अरे दीपिका भाभी जरा निकिता दीदी को नाच करके दिखाओ और ढोल बजने लगी दीपिका निकिता के सामने औरतो जैसे नाचना नहीं चाहता था पर तभी सोनिआ ने वही एप्लीकेशन ओपन किया जिसे कोमल ने भी नोटिस किया के कुछ तो चक्कर है इस अप्प का
सोनिया ने कुछ बुटटन दबाया नीरज को करंट लग्न शुरू नीरज ने कोशिश की करंट झेलने की पर अचानक लेवल २ का झटका एक बार को महसूस हुआ और वो समझ गया अगर और देर करेगा तो अबकी बार और तेज झटका लग सकता है
इसलिए वो चुपचाप ढोलक की ताल में नाचने लगा
जैसे ही उसकी सहेलिया चुप होती कोमल कोई और गण स्टार्ट कर देती और नीरज को एक और गाने पर नाचना पड़ता निकिता नीरज के बहते हुए पसीने को देख कर समझ रही थी के नीरज थक गया है पर उसे समझ नहीं आ रहा था के आखिर नीरज मन क्यों नहीं कर रहा है नाचने से
ये बात निकिता को बहुत बुरी लगी लगभग १० गांव के बाद जब निकिता को लगा के नीरज अब और नहीं नाच पायेगा सोनिया ने एक और गाना शुरू कर दिया नीरज पसीने से भीग गया था पर वो फिर भी नाचता रहा जब निकिता से देखा नहीं गया तो निकिता बोली अरे सोनिया बहु को ही नाचती रहोगी क्या ये कोमल भाभी को थोड़ा नचाओ
तो कोमल भाभी ने तुरंत बहाना बना दिया मेरे पैरो में थोड़ी मोच आ गयी है ऐसे ही सबने कुछ न कुछ बहाना बना लिया और फिर नीरज को बचने के लिए निकिता बोली लाओ मैं ही नाच लूँ बहुत दिन हो गए ढोलक में नाचे और फिर नीरज के पैरो से घुंघरू खोले घूंघट के निचे से उसके चेहरे को देखने की कोशिश की पर नीरज ने अपना मुँह घूंघट से धक् लिया और उस घूंघट पर हाथ रख लिया
और जैसे ही निकिता का डांस शुरू होने वाला था अनीता आ गयी और बोली अरे लड़कियों बहुत देर हो गयी चलो निकिता थक गयी होगी उसे आराम करने दो
शाम को खाना खाने के बाद निकिता ने ही बात छेड़ी और बोली लाओ माँ तुम्हर हाथ में महेंदी लगा देती हूँ क्यों के निकटिआ को पता था के महेंदी लगाने से उसके घर में हर किसी को नींद आ जाती थी उसने अनीता को महेंदी लगाया फिर कोमल को और फिर जिद करके सोनिया के हाथ में भी महेंदी लगाया जब सोनिया के हाथ में महेंदी लग रही थी सोनिया को नींद आ गयी और कमरे में सिर्फ नीरज और निकिता थे
जब नीरज बिलकुल कन्फर्म हो गया के सोनिया सो रही है तो नीरज ने अपना घूँघट ऊपर किया
नीरज और निकिता एक दूसरे को देख कर रोने लगे निकिता कुछ बोलने को हुयी पर नीरज ने एक कागज दिखाया जिसमे लिखा था कुछ न बोले
फिर उसी कागज पर सब कुछ लिख कर निकिता को दिया उसमे कैसे सोनिया ने अलग अलग डिवाइस में लॉक किया है वो सब बताया
जिससे निकिता को नीरज की मजबूरिया समझ आयी नीरज ने उसे इस चुड़ैल से बचने के लिए रिक्वेस्ट की थी कैसे भी करके उसके फोन से वो अप्लीकेशन का एक्सेस ले ले
निकिता ने उसे प्रॉमिस किया पर जैसे ही उसने देखा के सोनिया को होश आ रहा है
निकिता ने नीरज से अपने हाथ देने को कहा और फिर नीरज के दोनों हाथो में महेंदी लगाने लगी
सोनिया अब भी नींद में थी इसलिए नीरज और निकिता ने जब भी मौका मिला एक दूसरे को किश किया
वो मुँह से तो कुछ नहीं बोले पर वो इशारो इशारो में आँखों की भाषा से सब कुछ कहे दिया
निकिता नीरज के हाथो में एक डैम झीनी झीनी डिज़ाइन बना रही थी जिससे कोई आ भी जाये तो कोई परेशानी न हो
पर महेंदी की डिज़ाइन को कभी तो खत्म होना ही था डिज़ाइन पूरी हुयी एक आखिरी बार निकिता की रिक्वेस्ट पर नीरज ने घुंघटा ऊपर किया निकिता ने नीरज को जी भर देखा और आँखों में आँशु भर कर नीरज और सोनिया के कमरे से बहार निकल गयी
लेकिन जाते हुए उससे एक गलती हो गयी नीरज ने जो लेटर जिसमे सब कुछ लिखा था वो ले जाने का ख्याल नहीं रहा वो लेटर उसकी ड्रेस से चिपक कर निकिता के साथ कमरे से बहार चला तो गया पर उसे पता ही नहीं चला के वो कब गिरा
उसी समय कोमल की नींद टूटी और कोमल ने वो लेटर पढ़ लिया जिससे कोमल को भी सोनिया के फोन के एप्लीकेशन के बारे में पता चल गया और उसने एक प्लान बनाया क्यों के वो नीरज को अपना गुलाम बनाना चाहती थी और अब वो दिन रात नीरज को अपना गुलाम बनाने का प्लान बनती और गुलाम बनने के बाद कैसे अपने इशारो पर नचाएगी उसी बारे में सोचती थी
घर में अब कोमल और निकिता — दोनों को सोनिया के उस एप्लीकेशन की सच्चाई का पता चल चुका था। यह दीपक के लिए खतरे की एक बड़ी घंटी थी।
अंकिता भीतर ही भीतर जल रही थी। अपनी ही बहन पर इतना गुस्सा उसे कभी पहले नहीं आया था। लेकिन चाहकर भी वो कुछ कर नहीं पा रही थी — जैसे कोई अदृश्य जंजीरें उसे जकड़े हुए थीं। अब उसके मन में बस एक ही भावना शेष थी — बदला। वह किसी भी कीमत पर सोनिया को माफ़ नहीं करना चाहती थी।
“क्यों?” वह खुद से पूछती। “क्योंकि कोई भी औरत — चाहे वह अपने पति से कितनी भी नफरत करती हो — ऐसा कुछ नहीं करती जैसा सोनिया ने दीपक के साथ किया।”
दीपक — जो उसका जीवन साथी था — उसके साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, वह शब्दों में बयाँ करना मुश्किल था। और यही कारण था कि अब सोनिया, जो कभी उसकी प्यारी बहन थी, अब उसकी नज़रों में एक गुनहगार बन चुकी थी।
वहीं, दूसरी तरफ कोमल के मन में भी बवंडर चल रहा था। उसके विचार खतरनाक थे। अब वह किसी भी तरह से उस 'रिमोट' को पाना चाहती थी — वह रिमोट जो सोनिया के पास था, और जिससे दीपक को नियंत्रित किया जा सकता था। कोमल चाहती थी कि दीपक अब पूरी तरह उसके इशारों पर नाचे, उसके बस में रहे।
इन सब साज़िशों, जलन और बदले की आग के बीच — एक इंसान था जो सबसे बेख़बर, मासूमियत से सो रहा था।
दीपक।
उसके हाथों में अभी भी मेहंदी की हल्की खुशबू थी। वह बेहद थक गया था। मेहंदी लगाना, सजना-संवरना — इन सबने उसे निचोड़ कर रख दिया था। लेकिन असली थकान तो उस यातना की थी जो उसने पिछले तीन महीनों में झेली थी।
जबसे उसकी शादी सोनिया से हुई थी, उसकी ज़िंदगी किसी दुखांत नाटक जैसी बन चुकी थी। दिनभर वह घर के कामों में झोंक दिया जाता और रात को… रात को तो जैसे उसके लिए यातना शिविर बन जाती।
सोनिया उसे रात भर खड़ा रखती — हाथ बंधे, आंखों में इंतज़ार — “कब सुबह होगी?” वह सोचता। “कब यह बंधन टूटेगा?”
लेकिन सुबह आती नहीं थी। आती थी बस दो घंटे की झपकी, और फिर वही चक्र शुरू।
तीन महीने हो चुके थे। तीन महीने लगातार शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि बिना नींद के, बिना विश्राम के एक व्यक्ति किस हद तक टूट सकता है। लेकिन दीपक — अब तक किसी तरह खुद को खींच रहा था।
आज न जाने कितने दिनों बाद दीपक ने चैन की नींद ली थी।
लेकिन उसे क्या पता था कि यह नींद उसके लिए कितनी महंगी पड़ने वाली थी।
दीपक का वो ख़त — जिसमें उसने अपने दिल की सारी बातें लिखी थीं — अब कोमल के हाथ लग चुका था। और कोमल के इरादे… बिल्कुल भी साफ़ नहीं थे। वह दीपक से उस दिन से जल रही थी जब से उसकी शादी निकिता से हुई थी।
दीपक का स्वभाव कुछ ऐसा था कि जो भी मिलता, उसका दीवाना हो जाता। उसकी मुस्कान में एक सुकून था, एक अपनापन। जब वह हँसता था, तो लगता जैसे कोई दीपक जल गया हो — पूरे कमरे को रौशनी मिलती थी।
इसके ठीक उलट था कोमल का पति — अमन। गुस्सैल, रूखा, हर समय ताने मारने वाला इंसान। वह कोमल की कभी सराहना नहीं करता, बल्कि हमेशा उसकी कमियाँ निकालता रहता। उसकी तुलना दीपक से करना, जैसे आग और पानी की तुलना करना था।
सोनिआ की आँख खुली उसके हाथो में निकिता की लगायी महेंदी थी
वह ज़मीन पर बैठी थी, और सामने दीपक — जिसकी आँखों में नींद का बोझ और चेहरे पर मासूमियत थी। वह बैठते-बैठते ही सो गया था। उसके हाथों पर भी मेहंदी लगी थी।
उसे यूँ आराम से सोता देख न जाने क्यों, सोनिया के भीतर एक अजीब-सी जलन उठी। शायद असुरक्षा, शायद शक।
ग़ुस्से से तमतमाई सोनिया ने दीपक को झकझोर कर एक ज़ोरदार तमाचा जड़ दिया।
"अगर अपनी पुरानी बीवी के साथ बिताए गए पल याद आ रहे हैं," वह चीखी, "तो उठ और मेरे लिए चाय बना!"
दीपक हड़बड़ा गया। नींद और थप्पड़ की मार से कुछ समझ ही नहीं पाया। कुछ क्षणों बाद जब होश आया तो देखा — सोनिया उसके सामने खड़ी थी। उसके खुले बाल, तमतमाया चेहरा, भारी साँसें — सब मिलाकर वह किसी डरावनी चुड़ैल जैसी लग रही थी।
दीपक डर के मारे तुरंत खड़ा हुआ। घबराया हुआ। उसने जल्दी-जल्दी अपनी साड़ी को संभाला, कुछ बोले बिना हाथ जोड़कर कमरे से बाहर भागा — सीधा किचन की ओर। उसके दिमाग में बस एक ही बात थी — सोनिया के लिए गर्म-गर्म चाय बनानी है ताकि शायद उसका ग़ुस्सा कुछ कम हो जाए।
लेकिन सोनिया का गुस्सा सिर्फ चाय से शांत होने वाला नहीं था। उसे अब यह डर सताने लगा था कि कहीं दीपक और निकिता के बीच फिर से कोई रिश्ता न जुड़ गया हो। वह जानना चाहती थी — क्या कुछ छुपी बातें हो चुकी थीं? क्या कोई मुलाकात, कोई पुराना जज़्बा फिर से ज़िंदा हो रहा था?
और यही वजह थी कि अब वह और भी ज़्यादा सतर्क हो गई थी — दीपक को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में रखने के लिए, अपने शिकंजे को और कसने के लिए।
दीपक के कमरे से बाहर जाते ही, सोनिया ने झटपट दरवाज़ा बंद किया और इधर-उधर देखने लगी।
उसके चेहरे पर बेचैनी साफ़ थी। उसने कमरे की कोना-कोना तलाशनी शुरू कर दी — अलमारी के अंदर, गद्दे के नीचे, तकियों के पीछे। उसे कुछ चाहिए था... कोई सबूत, कोई सुराग, जिससे वो जान सके कि आखिर दीपक और निकिता के बीच क्या चल रहा है।
लेकिन सब व्यर्थ।
काफी देर तक सब कुछ उलट-पलट देने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिला। खीझ और हताशा में उसने ज़ोर से गुस्से में एक तकिया ज़मीन पर फेंक दिया।
"ऐसा कैसे हो सकता है?" वह बड़बड़ाई। "निकिता इतने देर तक कमरे में थी, दीपक की मेहंदी भी उसी ने लगाई थी, और फिर भी कोई बात नहीं हुई?"
उसके शक की आग और भड़क उठी। पर एक पल को वह ठिठकी।
"शायद... शायद मैं ही गलत हूँ। हो सकता है दोनों के बीच कुछ भी न हुआ हो," उसने खुद को समझाने की कोशिश की। लेकिन यह आत्म-संतुष्टि ज़्यादा देर टिक नहीं सकी।
उसने फौरन अपने मोबाइल से कमरे की रिकॉर्डिंग चेक करनी शुरू की — एक उम्मीद थी कि शायद कुछ सुनाई दे, कोई शब्द, कोई फुसफुसाहट, कोई इशारा। लेकिन रिकॉर्डिंग… बिल्कुल खाली थी। जैसे उस कमरे में सन्नाटा बोल रहा हो।
अब तो सोनिया को खुद पर भी गुस्सा आ रहा था। वह सोचने लगी — "अगर सच में कुछ नहीं हुआ, तो दीपक ने अब तक टूटकर रोया क्यों नहीं? उस पर इतना कंट्रोल कैसे है? क्या वो मुझसे डरता है या फिर कुछ छुपा रहा है?"
उधर, दीपक कमरे से दौड़ते हुए निकला और किचन की ओर भागा।
किचन में पहले से ही कोमल मौजूद थी। दीपक को देखते ही उसकी निगाहें कुछ पढ़ने की कोशिश करने लगीं — उसका घबराया चेहरा, कांपते हाथ, और माथे पर पसीना।
कुछ ही देर में निकिता भी किचन में आ गई। लेकिन कोमल को देख कर वह थोड़ी चुप हो गई। हल्की मुस्कान के साथ बोली:
"अरे दीपिका भाभी, बताइए तो सही... आपके हाथों की मेहंदी कैसी लगी?"
उसने गौर किया कि दीपक ने अभी तक अपने हाथ तक नहीं धोए थे। वह बिना कुछ बोले, कैश टॉप पर चाय का पतीला चढ़ा चुका था। उसकी हालत देख कर निकिता को भी कुछ शक हुआ — शायद सोनिया ने फिर कुछ किया है, यह बात उसके चेहरे पर झलकने लगी।
निकिता ने धीमी आवाज़ में कहा:
"दीपिका भाभी, हाथ तो धो लीजिए... वरना चाय में मेहंदी गिर जाएगी और स्वाद खराब हो जाएगा। और अगर चाय बन जाए तो एक कप मुझे भी दे दीजिएगा।"
वो हँसने की कोशिश करती रही। "मां के लिए भी एक कप बना दो। और... कोमल भाभी? आप चाय लेंगी क्या? अमन भैया के लिए भी बना दूं?"
दीपक कुछ नहीं बोला। बस चुपचाप चाय बनाता रहा। उसकी खामोशी सब कुछ कह रही थी।
कोमल मन ही मन मुस्कुरा उठी। उसे सब पता था — सोनिया और दीपक के बीच की तकरार, घर में उठता तनाव, और दीपक की टूटी हुई आत्मा।
"बस कुछ ही दिन की बात है," उसने सोचा। "एक बार वह रिमोट मेरे हाथ लग जाए… फिर दीपक मेरा होगा। उसका हँसता चेहरा, उसकी मासूमियत — सब खत्म कर दूंगी। ऐसा करूंगी कि वो सिर्फ मेरा रहे। ना निकिता का, ना सोनिया का।"
वो धीरे से बोली:
"दीपिका दीदी, आप इतना परेशान क्यों हो रही हैं? एक काम कीजिए — आप हाथ धो लीजिए। निकिता दीदी सही कह रही हैं। तब तक मैं चाय बना देती हूं। और अगर कभी आपका दिल करे, कुछ बताने का मन हो... तो मुझसे कहिएगा, मैं हमेशा सुनूंगी।"
दीपक ने कुछ नहीं कहा। पर उसकी आँखें… वो बहुत कुछ कह रही थीं।
चाय बनने के बाद दीपक ने तुरंत चाय कुछ आना एक कप प्लेट लिया औरबेडरूम की तरफ गया बेडरूम में सोनिया बेड पर बैठी थी
दीपक ने सोनिया को चाय दी दीपक के हाथ अभी थोड़े से गले थेऔर पानी टपक रहा था दीपक के हाथ काँप रहे थे सोनिया ने उसकी तरफ देखा अपनी जगह से खड़ी हुई उसके हाथ से कप लिया और साइड में रखा
उसे एक कस कर तमाचा लगाया दीपक बिस्तर पर गिर पड़ा उसे फिर से एक तमाचा लगाया सोनिया ने, जिससे दीपक के आँशु बह निकले सोनिया ने उसके मुंह पर उंगली रख दी और बोली अगर जरा सी भी आवाज निकाले तो मैं रिमोट से 5 नंबर लेवल का शौक दूंगी और फिर सारा घर तुम्हारी चीखो को सुनेगा मुझे उम्मीद है तुम वह नहीं चाहते इसलिए एकदम चुप एक आंसू भी नहीं निकलना चाहिए
दीपक पूरी तरह बिखर चुका था।
वह समझ ही नहीं पा रहा था कि उसके साथ ये सब हो क्या रहा है।
सोनिया की निगाहों में जो शक था, वो उसे भीतर तक झकझोर रहा था।
"कहीं उसे कुछ पता तो नहीं चल गया...?"
"क्या उसे निकिता और मेरे बीच कुछ महसूस हो गया?"
"क्या उसे वो पल दिख गया जिसे हमने छुपाने की कोशिश की थी...?"
एक तरफ आत्मग्लानि... दूसरी तरफ डर।
दीपक की सांसें तेज हो रही थीं।
उसने कांपते हुए हाथों से अपनी जेब से रुमाल निकाला, और उसे अपने मुंह में ठूंस लिया —
आँसू बह जाएं, पर आवाज़ न निकले।
उसकी आँखें छलक उठी थीं।
दिल टूट रहा था... निकिता का चेहरा उसकी आंखों के सामने आ गया।
"अगर उसे पता चल गया कि उसका पति, उसकी छोटी बहन के साथ इस तरह घुट-घुट कर जी रहा है... तो उसका दिल टूट जाएगा।"
दीपक जानता था — निकिता भले आज उससे दूर है, पर उसके भीतर अब भी उसके लिए दर्द जिंदा है।
थोड़ी देर तक अपने रुमाल में मुंह छिपाए बैठा रहा… और खुद को किसी तरह काबू में लाने की कोशिश करता रहा।
तभी सोनिया बाथरूम से बाहर आयी ।
बिना कुछ बोले उसके पास पहुंची, और उसके सिर के बालों को मुट्ठी में जकड़कर ज़ोर से खींचा।
"उठो!" उसने कहा — एकदम बर्फ़ जैसे स्वर में।
दीपक कांपता हुआ उठा।
"अब खड़े हो जाओ। जब तक मैं चाय पी रही हूँ, एक-एक बात सच-सच बताओ — इस कमरे में मेरे सोने के बाद क्या हुआ था। अगर जरा सी भी बात छुपाई, तो उसके नतीजे बहुत बुरे होंगे।"
दीपक चुप खड़ा था।
"कान पकड़ो, उठक-बैठक करो और बताओ — तुम दोनों ने क्या बात की? निकिता ने क्या कहा? तुमने क्या जवाब दिया?"
"मेरी रिक्वेस्ट है — मुझे हिंसक मत बनाओ। ये तुम्हारे ही भले में है..."
दीपक ने जैसे ही कान पकड़े और उठ-बैठ शुरू की, तभी दरवाज़े के बाहर से पायल की आवाज़ आई। सोनिया की मां, अनीता आ रही थी।
सोनिया ने इशारे से दीपक को फौरन बिस्तर पर बैठने को कहा।
वो फौरन लंबा घूंघट करके बिस्तर पर बैठ गया।
सोनिया ने खुद को संयत किया, और सोफे पर बैठकर चाय पीने का नाटक करने लगी।
अनीता कमरे में दाखिल हुईं।
उन्होंने चारों तरफ निगाह दौड़ाई, फिर दीपक की ओर देखा।
"बहुरानी..." उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "सिर्फ अपने पति की सेवा करोगी? सास भी कुछ होती है... हम तो कब से इंतज़ार कर रहे थे कि बहू आएगी और हमें चाय देगी। तुम तो बाहर आई ही नहीं, तो सोचा खुद ही आ जाऊं। सब ठीक है ना, बेटा? तबीयत तो ठीक है?"
दीपक लंबा घूंघट किए बैठा रहा।
मन ही मन उसकी आत्मा रो रही थी —
"कैसे बताऊं कि मेरी तबीयत क्या है... कैसे कहूं कि तुम्हारी बेटी मेरे शरीर से नहीं, मेरी आत्मा से खेल रही है।"
वो सोचता रहा —
"अगर एक शब्द भी बोल दिया, तो शायद मेरी जान की कीमत लग जाएगी..."
दीपक बाथरूम में खुद को बंद कर चुका था।
भीतर से घूंघट हटाया और आईने में अपनी शक्ल देखी।
चेहरे पर उंगलियों के निशान अब भी ताज़ा थे, जैसे किसी ने अभी-अभी उस पर हाथ फेरा हो।
गालों पर लकीरें थीं —
कुछ लाल, कुछ नम...
और कुछ — वो जो सिर्फ आत्मा पर बनती हैं।
मन कर रहा था कि सब खत्म कर दे।
"क्यों जी रहा हूँ मैं?"
"क्यों सह रहा हूँ ये सब?"
लेकिन तभी उसकी आँखों के सामने निकिता का चेहरा आया —
उसकी वो मासूम आंखें, वो बेवजह की मुस्कान,
और...
हर महीने कटते बाल।
"कोई लड़की... अपने बालों से सबसे ज़्यादा प्यार करती है... और वो मेरे लिए उन्हें हर महीने त्याग रही है।"
उसे अंदाज़ा था — दुनिया क्या कहती होगी,
लोग हँसते होंगे, पीठ पीछे बातें बनाते होंगे,
फिर भी निकिता झुकती नहीं,
हर बार खामोशी से नाई की दुकान पर जाती है,
क्योंकि उसे यकीन है — एक दिन दीपक सिर्फ उसका होगा।
दीपक बुरी तरह फूट-फूट कर रोया।
आँसू गिरते रहे, बहते रहे — जैसे आत्मा का ज़हर निकाल रहे हों।
जब सारा दर्द बह गया,
वो बाथरूम से बाहर आया —
चेहरे पर वही शांत मुखौटा, वही सादी सी मुस्कान,
जैसे कुछ हुआ ही न हो।
अब वो "दीपक" नहीं था, वो एक 'घरवाली' था —
जिसे सबकी परवाह है, बस अपनी नहीं।
किचन में गया — चाय बनाई, सभी को दी।
-
अनीता को
-
निकिता को
-
कोमल को
-
पवन को
और खुद के लिए एक बूंद भी नहीं बची।
सिर्फ निकिता ने देखा —
उसकी नज़रों से कुछ नहीं छिपा।
वो मुस्कराई नहीं, चौंकी भी नहीं...
बस धीरे से पूछा:
"भाभी, आप चाय नहीं पी रही हो? क्या हुआ, अब चाय पीना छोड़ दिया?"
ये कहने का तरीका बड़ा आम था,
लेकिन दीपक के भीतर जैसे कुछ दरक गया।
उसने रोने से रोकने की बहुत कोशिश की,
लेकिन दो आँसू हाथों पर गिर ही गए —
उन मेहंदी लगे हाथों पर,
जिनसे कल कोई संगीत बजाया गया था
आज सिर्फ चुप्पी बह रही थी।
निकिता ने देखा, समझा — पर कुछ नहीं कहा।
बस धीरे से अपनी चाय दीपक की ओर बढ़ा दी।
"ये मेरी चाय पी लो भाभी, मुझे वैसे भी मन नहीं है।"
दीपक ने धीरे से हाथ बढ़ाया ही था कि...
सोनिया और अनीता कमरे से बाहर आ गईं।
दीपक ने झट से अपना हाथ पीछे कर लिया।
लेकिन सोनिया की नज़रें बाज़ की तरह थीं —
उसने सब देख लिया था।
उसकी आँखों में बिजली कौंधी।
चेहरा सख्त हो गया।
निकिता ने बात संभालने की कोशिश की:
"दीपक भाभी, क्या हुआ? चाय लो ना, कोई बात नहीं, ये लो..."
दीपक का दिल दहल गया था।
लेकिन अब मना करना भी शक को और गहरा करता।
इसलिए काँपते हुए हाथों से कप ले लिया,
और वहीं बैठकर चुपचाप चाय पीने लगा।
निकिता बात करने की कोशिश करती रही।
"कैसी लगी मेहंदी?"
"चाय में चीनी ठीक है न?"
"आपको तो पहले बहुत पसंद थी अदरक वाली चाय..."
लेकिन दीपक के उत्तर सीमित थे:
"हां..."
"नहीं..."
"ठीक है..."
उसके शब्द अब सिर्फ ज़रूरत थे — भावना नहीं।
दीपक की हालत ऐसी थी जैसे कोई जीवित होते हुए भी हर सांस में मर रहा हो।
उसकी अपनी बीवी सामने बैठी थी — लेकिन वो बीवी नहीं, सज़ा बन चुकी थी।
और सामने निकिता — उसकी वही निकिता, जो उससे बिना बोले सब कुछ समझ जाती थी।
पर आज, ना वो कुछ बोल पा रहा था, ना आंखों से इशारा कर पा रहा था।
शब्द जैसे गले में फँस गए थे...
उसकी आँखों में जो तड़प थी, वो सिर्फ वही समझ सकता है जिसने सच्चा प्यार किया हो।
निकिता चुप थी, पर भीतर से तूफान था।
अगर कोई और लड़की होती,
तो शायद सोचती — दीपक घमंडी है, बदल गया है, अब इग्नोर कर रहा है।
लेकिन निकिता जानती थी — दीपक के चेहरे की खामोशी के पीछे कितना शोर है।
वो हर आहट पढ़ पा रही थी।
वो समझ रही थी कि दीपक कुछ कह नहीं रहा, क्योंकि कुछ कह नहीं सकता।
उधर कोमल — पूरे दृश्य को एक शातिर निगाह से देख रही थी।
उसकी नजरें दीपक के चेहरे से ज्यादा उसके शरीर की हर हरकत को पढ़ रही थीं।
वो समझना चाहती थी कि ऐसा क्या है जो दीपक जैसे लड़के को इतना शांत, इतना खामोश बनाए हुए है?
फिर वह पास आई, दीपक के कंधे पर हाथ रखा और मुस्कराई:
"दीपिका दीदी, शादी के बाद तो आप बिल्कुल बदल ही गए... पहले तो बहुत हँसते थे, बातें करते थे..."
"क्या सोनिया आपको खुश नहीं रखती?"
इतना कहते हुए उसने दीपक का हाथ पकड़ा, खींचा और उसे बेडरूम की ओर ले चली।
निकिता को भी साथ बुला लिया।
सोनिया जैसे ही पीछे आने को हुई,
कोमल ने हाथ से इशारा करके रोक दिया:
"दीदी, आप रहो... थोड़ा बहनों को भी तो टाइम दो..."
अनीता भी वहीं आ गईं और सोनिया को पास बिठा लिया।
अब सोनिया अंदर से जल रही थी, लेकिन कुछ कर नहीं सकती थी।
बेडरूम में, तीनों मौजूद थे — दीपक, निकिता और कोमल।
कोमल ने चुटकी काटी — दीपक की कमर में।
दीपक चौंका, लेकिन कुछ बोला नहीं।
"दीपिका, सच बताओ — क्या सोनिया तुम्हें खुश नहीं रखती?"
फिर उसने धीरे से दीपक का हाथ पकड़ लिया,
और बड़ी सहानुभूति से बोली:
"देखो, मैं जानती हूं... ये सब बहुत कठिन है तुम्हारे लिए।
एक लड़के के लिए बहू बनकर रहना,
अपने ही परिवार से कट जाना,
ना मां-पापा से बात, ना निकिता से...
और अब तो मोबाइल भी नहीं है तुम्हारे पास।"
"अगर कभी किसी से बात करने का मन करे तो...
मेरा फोन तुम्हारा है।
मुझे अपनी बड़ी बहन समझो।
तुम्हें मुझसे डरने की ज़रूरत नहीं।"
फिर उसने मुस्कराते हुए निकिता की ओर देखा:
"है न निकिता दीदी, मैं सही कह रही हूं?"
दीपक अब भी कुछ नहीं बोला।
निकिता आगे आई,
धीरे से दीपक के दोनों हाथों को थामा,
फिर उसके गालों को प्यार से छूआ।
दीपक अब भी घूंघट में था।
जैसे ही निकिता ने उसका घूंघट हटाने की कोशिश की,
दीपक ने तेजी से वो पकड़ लिया —
रोक लिया।
उसके चेहरे पर अभी भी सोनिया के हाथों की मार के निशान थे।
वो नहीं चाहता था कि निकिता देखे —
नहीं चाहता था कि वो और भी टूट जाए।
और कोमल तो वहीं थी —
उसे पता चल गया तो शायद...
सारा राज घर के हर कोने तक फैल जाएगा।
कोमल ने देखा — दीपक कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
निकिता का हाथ जोड़ना, आंखों से आग्रह करना, दीपक की खामोशी को तोड़ नहीं पा रहा था।
कोमल ने बात का रुख बदलने की ठानी।
उसने दीपक का हाथ, धीरे से निकिता के हाथ से लेकर अपने हाथ में ले लिया और मुस्कराकर बोली:
"कोई बात नहीं, अगर अभी कुछ नहीं बताना चाहते, तो मत बताओ।
जब मन हो, जब दिल हल्का करना चाहो,
तब मुझे अपनी बड़ी बहन समझकर सब कह देना।"
फिर कोमल ने दीपक को थोड़ा दूध पिलाते हुए माहौल को हल्का करते हुए एक सवाल दाग दिया —
"अच्छा ये बताओ, तुमने और सोनिया ने सुहागरात मनाई थी या नहीं?"
"बताओ न, कैसी रही थी वो रात?"
दीपक थोड़ा सकपकाया। निकिता सामने थी।
कमल के इस तरह के सवालों से वह शर्मिंदा हो गया।
"अरे दीपिका जी, शर्माने वाली क्या बात है?" कोमल ने हँसते हुए कहा।
"शादी हुई है, सुहागरात तो हुई होगी ही। और तीन साल लंबा वक्त है — इसमें कोई गलत बात थोड़ी है।"
निकिता भी मुस्कराई, दीपक का हाथ थामा और बोली:
"दीपक, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
लड़कियों को भी सुहागरात पर बहुत सी उम्मीदें होती हैं।
मगर उन्हें भी अपने पति की भावनाओं का सम्मान करना पड़ता है।
तो अगर तुम दोनों के बीच कुछ हुआ हो, तो ये बिल्कुल सामान्य है।
तुम दोनों पति-पत्नी हो — और पति-पत्नी के बीच ऐसा होना कोई अपराध नहीं है।"
माहौल थोड़ा सहज हो गया।
कोमल फिर चुटकी लेते हुए बोली:
"अब तो निकिता दीदी ने भी परमिशन दे दी... अब तो बताओ!"
तीनों हँसने लगे, दीपक थोड़ा सा मुस्कराया भी — पर अब भी कुछ नहीं बोला।
सोनिया दूर खड़ी थी — कमरे के दरवाज़े के पास — चुपचाप सब सुन रही थी।
उसने देखा —
इतना सब पूछे जाने के बावजूद दीपक कुछ नहीं बोल रहा है।
बस बातों को टाल देता है, हँसी में उड़ा देता है।
सोनिया को दीपक की ये खामोशी पसंद आई।
उसे लगा — दीपक अब भी पूरी तरह उसके नियंत्रण में है।
उसका मन थोड़ा शांत हुआ।
लेकिन जब दीपक बार-बार टालता रहा,
तो सोनिया खुद को रोक नहीं पाई।
वह कमरे में आ गई और बोली:
"क्या बात है कोमल भाभी?
आप बहुत इंटरेस्ट ले रही हैं दीपक में।
इतना जानने की क्या ज़रूरत है? मैं भी तो सुनूं क्या हंसी मज़ाक चल रहा है?"
वो हँसती हुई अंदर आ गई और पास ही बैठ गई।
फिर उसने दीपक को आँखों से इशारा किया:
"जाओ, किचन में जाकर खाना बनाने की तैयारी करो।"
दीपक उठकर जाने लगा तभी पीछे से अनीता भी आ गईं।
"बहू को अकेले क्यों छोड़ रखा है काम में?
दीपक, तुम यहीं बैठो — मैं खाना बना देती हूं।"
दीपक रुक गया।
अब कमरे में चार लोग थे — दीपक, सोनिया, निकिता, और कोमल।
सोनिया ने कोमल का हाथ पकड़ा और बोली:
"चलो, अब मैं ही बता देती हूं सुहागरात पर क्या हुआ था।
आखिर मैं उसकी बीवी हूं।"
निकिता भड़क गई:
"तुझे शर्म नहीं आती? क्या बोल रही है तू?"
सोनिया खिलखिला कर हँसी:
"क्यों? हम पति-पत्नी हैं।
क्या तुम्हें याद नहीं जब तुम्हारी शादी हुई थी?
तुमने भी अपनी सहेलियों को सब बताया था — सुहागरात की पूरी कहानी!"
दीपक अब शर्म से पानी-पानी हो चुका था।
सोनिया ने आगे कहा:
"निकिता, तू ही तो बताती थी कि तूने दीपक को सुहागरात की रात
स्कूल ड्रेस पहनाई थी, दो चोटी बनाई थी,
बालों को रिमूव करके लड़की जैसा सजाया था।
फिर दोनों ने मजे किए थे... दीपक के हाथ बेड से बांध दिए थे,
और सुबह प्रियंका ने दरवाज़ा खटखटाया तो दीपक डर गया था।
याद है?"
कमरे में सन्नाटा छा गया।
दीपक का चेहरा शर्म से और भी लाल हो गया।
वो चाहता था कि ज़मीन फट जाए और वह उसमें समा जाए।
सोनिया ने हँसते हुए दीपक की ओर देखा और कहा:
"क्या हुआ दीपिका जी?
ऐसे क्यों शर्मा रही हैं?
घबरा रही हो कि कहीं मैं सब कुछ बता न दूँ?"
अब सब की निगाहें दीपक पर थीं।
दीपक ने अपना घूंघट और नीचे कर लिया —
चेहरा ढँक लिया —
और धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकलने को हुआ।
पर सोनिया ने आदेश दिया:
"अरे दीपिका, रुक जाओ।
अपने ही लोग हैं — इसमें शर्म की क्या बात है?"
इसी बीच सोनिया ने अपने मोबाइल मेंएक लेवल का वाइब्रेशन ऑन कर दियाऔरअब दीपक के लिए खड़े रहना बहुत मुश्किल हो रहा थाउसे गुदगुदी हो रही थीउसका शरीर में वाइब्रेशन हो रहा थाहल्के हल्के करंट लग रहे थेदीपक के लिए कमरे से बाहर जाना तो दूर एक कदम चलना भी मुश्किल हो रहा थाखड़े रहना तो जैसे उसके लिए नामुमकिन हो गया
उसके लिए अब खड़े रहना भी मुश्किल था।
चलना तो जैसे नामुमकिन हो गया था।
उसे लगा — कोमल ने शायद यह नोटिस कर लिया है।
वो घबरा गया — कहीं कोमल कुछ पूछ न ले।
इसलिए वह वापस बैठ गया और बमुश्किल बोला:
"ठीक है, मैं यहीं बैठ गई।
आप लोग अपनी बातें कीजिए, मैं कहीं नहीं जा रही।"
यह कहकर वह चुपचाप बैठा रहा,
और बाकी सब हँसी में डूब गए…
अब जब दीपक वाइब्रेशन और हल्के-हल्के करंट की वजह से हड़बड़ाकर अपनी जगह पर बैठ गया, तब कमरे का माहौल कुछ पलों के लिए ठहर-सा गया। सबकी नजरें दोबारा सोनिया की तरफ मुड़ गईं।
सोनिया की मुस्कान में अब थोड़ा चुटीला तंज था, "क्या बात है दीपिका जी, आप तो एक ही बार में मान गईं। वैसे तो आप मेरी कोई बात कभी नहीं मानतीं — हर वक्त काम, काम और बस काम में डूबी रहती हैं। चलो अच्छा हुआ, इसी बहाने कुछ देर के लिए खुद को आराम देने का मौका तो मिला।"
उसकी बातों की मिठास में जो चुभन थी, वो दीपक को अंदर तक झकझोर गई। वो मन ही मन सोचने लगा, "इस लड़की को क्या लगता है, सब कुछ जानती है? कितनी चालाकी से सच को तोड़-मरोड़ कर दिखाती है।"
गुस्से में उसके होंठों से अनजाने में "चुड़ैल" शब्द फिसल गया। सोनिया उस समय अपने मोबाइल में कुछ देख रही थी, लेकिन वो शब्द स्क्रीन पर टाइप हो गया — "चुड़ैल"।
सोनिया की नजर जैसे ही उस शब्द पर पड़ी, उसका दिल एकदम सन्न हो गया। उसके चेहरे की मुस्कान एक पल में गायब हो गई, और उसकी आंखों में एक अनकही चोट झलकने लगी।
वो जानती थी कि दीपक ने ये शब्द मज़ाक में नहीं, बल्कि पूरे तिरस्कार और घृणा से कहा था।
कुछ पल चुप्पी छाई रही, फिर सोनिया की आंखों में एक अलग ही चमक आ गई — ठंडे और सधे हुए बदले की।
उसने धीरे-धीरे मन ही मन एक योजना बनाई, जिसमें वो दीपक को उसी के शब्दों से हराएगी।
सोनिया ने एक लंबी सांस ली और निकिता की ओर मुड़ी।
"निकिता जी, आपको पता है हमारी सुहागरात पर क्या हुआ था?"
कमरे में एक हलचल-सी हुई। उम्रा भी कान लगाए बैठी थी। दीपक की धड़कनें तेज़ हो गईं।
सोनिया ने बोलना शुरू किया, उसकी आवाज़ में अब तटस्थता की जगह भावनाओं का उतार-चढ़ाव था:
"उस रात जब मैं कमरे में गई, तो दीपक जी बिस्तर पर घूंघट डाले बैठे थे... जैसे कोई दुल्हन हो। पहले तो मैं चौंक गई। मैंने कहा, 'ये क्या मज़ाक है?' लेकिन वो नहीं माने। उनके चेहरे पर अजीब-सी मासूमियत और ज़िद थी। मैं तो पहली बार ऐसी स्थिति में थी... घर की सबसे छोटी थी, किसी की बात काटना सीखा ही नहीं था।"
सोनिया के लहजे में अब भावुकता घुल चुकी थी।
"धीरे-धीरे मैंने उनका घूंघट उठाया... फिर उनकी ज्वेलरी उतारी। तब मुझे आपकी बात याद आई निकिता जी — स्कूल ड्रेस वाली। मैंने वही किया। दीपक जी के लिए स्कूल ड्रेस निकाली... और उनके बालों में दो चोटियां बनाई। उनके हाथों में मेहंदी अब भी ताज़ा थी। हाई हील्स पहनाकर जब उन्हें चलने को कहा तो वो कुछ नहीं बोले... बस चुपचाप चलने लगे। उस पल... मैं सोच भी नहीं पा रही थी कि जो हो रहा है, वो एक मज़ाक है या कोई गहरी सच्चाई।"
दीपक अब सांस भी नहीं ले पा रहा था। शर्म, गुस्सा, अपमान और उलझन, सब मिलकर उसके चेहरे पर उभर आए थे।
सच में बहुत मजा आ रहा था।
हंसी-मजाक चल रहा था।
दीपक जी मेरी हर बात को पूरी ईमानदारी से सुन रहे थे और मेरे हर ऑर्डर को फॉलो कर रहे थे।
उसके बाद फिर मैंने गिफ्ट बॉक्स में चेक किया,
तो मुझे तो हैंडकप मिल गया।
दीपक जी की नजर हैंडकप्स पर पड़ी तो वो घबरा गए,
और मुझसे दूर भागने की कोशिश करने लगे।
लेकिन बेचारे...
जाती का कैमरा बाहर से बंद था और हम कमरे के अंदर।
दीपक के पैरों में ज्यादा दूर भाग नहीं पाए
और हिल्स में भागने की कोशिश करने की वजह से थोड़े से लड़खड़ा गए।
जिसका मैंने फायदा उठाया
और तुरंत उनके दोनों हाथ उनके पीठ के पीछे बांध दिए — इस स्कूल ड्रेस में।
उसके बाद मैंने एक दुपट्टा हैंगर से लटकाया,
और उन्हें घर की छत के हैंगर से,
उनके दोनों हाथों को उनके सर के पीछे करके ऊपर दुपट्टे से बांध दिया।
दीपक जी अपनी जगह पर लॉक थे,
उनके दोनों हाथ कब से पीछे बंधे हुए थे और दुपट्टे से हैंगर के साथ बंधे थे।
तो बचा कर भी अपने हिल्स को उतार नहीं सकते थे।
इसके बाद,
दीपक की वकील सिद्धार्थ फिर मुंह दिखाई के लिए जो मैं पायल लाई थी —
वह दीपक के पैरों में पहना दी।
अब दीपक जब भी पैर हिलाते,
बहुत अच्छी आवाज आती — पायलों की छम-छम।
बहुत शर्मा रहे थे कि अपनी साली के सामने पायल में खड़े हैं,
स्कूल ड्रेस में खड़े हैं,
हाथ बंधे हुए हैं,
मेकअप किए हुए हैं,
बालों में दो चोटियां बनी हुई हैं।
लेकिन विचारों में कुछ कर ना सके।
हल्का सा ऊपर किया —
और उनके ब्रा के खोल दिए।
उसके बाद मैं उनकी स्कूल ड्रेस की स्कर्ट उतार दी।
कोमल भाभी आप मानेंगे नहींजब मैं दीपक को पहली बारब्रा मेंऔर पेटी में देखा उनके पैरों परजांघों तक मेहंदी लगी थी पर बिल्कुल हेयर लेस्स निकिता दीदी यह मेहंदी वाला आईडिया आपका ही था नाबहुत अच्छा था
बहुत अच्छी मेहंदी लगाई थी आपने सोनिया आगे बताने लगीऔर बोली कोमल भाभी मुझे लगा था की मेहंदी सिर्फ दीपक के जांघ तक लगी होगी लेकिन जब मैं दीपक की पैंटी नीचे उतार दी मैंने देखा मेहंदी दीपक के कमर तक लगी हुई थी बिल्कुल अंदर तक, एक भी बाल नहीं था पैरो पर और यहां तक कि उनके प्राइवेट पर भी एक बाल नहीं था
और मेहंदी उनके प्राइवेट पार्ट तक लगी हुई थी यह देखकर मुझे लगा शायद निकिता भीहमारे बीच के इस रिश्ते को मानती है और चाहती हैं कि रिश्ता और मजबूत बने तभी तो इन्होंने दीपक के पूरे शरीर पर मेहंदी लगाई थीऔर मेरा नाम दीपक की मेहंदी में ऐसी जगह लिखा था जहां से ढूंढ पाना लगभग नामुमकिन था पर मैं भी कहां कम थी
मैंने दीपक के बॉडी के एक-एक पार्ट को चेक किया तब बड़ी मुश्किल सेअपना नाम ढूंढ पाया क्योंकि दीदी ने मेरा नाम दीपक के पेनिस पर लिखा था जो खोज पाना नामुमकिन था पर जब दीपक बंधे हुए थेऔर मैंने दीपक के सामने अपने कपड़े उतारे और जब मैं सिर्फ ब्रा और पेटी में थी
तो कब तक दीपक अपने आप को संभालते दीपक का पेनिस तन गया और जब दीपक का पेनिस तना मैंने तुरंत उस पर अपना नाम चेक किया और देखो सरप्राइज मुझे मेरा नाम मिल गया, दीपक बहुत शर्मा रहे थे और घबरा भी रहे थे अब बार-बार रिक्वेस्ट भी कर रहे थे कि मैं उनके हाथों को खोल दूं लेकिन मेरा नाम दीपक के पेनिस पर देखकर मुझे बहुत खुशी हुई और सबसे ज्यादा खुशी इस बात की हुई के दीपक के पेनिस पर मेरा नाम खुद निकिता ने लिखा था
एक छोटी बहन के लिए एक बड़ी बहन का इससे बड़ा गिफ्ट और क्या हो सकता है जो खुद अपने पति को मेरे साथ शेयर कर रही थी अब मेरे पास निकिता दीदी का आशीर्वाद था इसलिए अब हमारे बीच कुछ भी होने में किसी भी प्रकार का बंधन नहीं था लेकिन दीपक अभी भी झिझक रहे थे वह मुझे अपनी पत्नी की तरह एक्सेप्ट नहीं कर रहे थे कोशिश कर रहे थे उन्होंने मेरी हर बात मानी मेरे दिए ड्रेस को पहना लेकिन वह अभी अपने आप को मेरी बीवी की तरह समर्पित नहीं करना चाहते थे वह अभी भी निकिता को ही अपनी बीवी मानते थे
फिर मैंने सोचा
अगर यह सुहागरात हमारे बीच नहीं हुई तो इस शादी का परपज ही खत्म हो जाएगा की दीपक को एक दुल्हन की तरह हमारे घर की बहू बन कर आना है इसलिए मैंने सिर्फ दीपक और निकिता की खुशी के लिए अपने शरीर को दीपक को समर्पित करने का मन बना लिया
उसके बाद जब मैं दीपक के पास गई दीपक को किस करने के लिए दीपक पीछे हटने की कोशिश करने लगे तड़पने लगे इधर-उधर भागने की कोशिश करने लगे और अगर वह बंदे नहीं होते तो शायद वह कमरा खोलकर कहीं बाहर ही चले जाते हैं और इससे मेरी और दीपक और निकिता सबकी बदनामी होती हमारे घर की बदनामी होती परिवार की बदनामी होती जो मैं बिल्कुल नहीं चाहती थी इसलिए मैंने दीपक की जो पायल थी उनमें से एक रस्सी बांध दी अब दीपक के दोनों पैर बंधे हुए थे और हाथ उनके सर के पीछे बंधे थे अब दीपक एक कदम भी आगे पीछे नहीं हो सकते थे लेकिन क्योंकि रस्सी उनके पायलों के बीच से जाती हुयी बंधी थी तो जब भी पैर हिलाते तो छनछन की आवाज पूरे कमरे में फैल जाते जो दीपक को और ज्यादा और सहेज कर रही थी
फिरजब दीपक नहीं मानेमेरे साथ एक पुरुष की तरह संबंध बनाने कोतो मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं बचा थामैं क्या करती आप बताओमैंने दीपक को समझायाकि मैं तुम्हें एक मौका दिया थालेकिन तुमने मौका गवा दिया अब अगर तुम मेरे पति नहीं बन सकते तो तुम्हें मेरी पत्नी बनकर ही सही इस घर में 3 साल रहना पड़ेगाऔर उसके लिए जरूरी था हम दोनों के बीच में संबंध बनाना
तोमैंने दीपक कीगांड मेंनारियल तेल लगाया बहुत सारा नारियल तेल पहले तो दीपक को कुछ समझ नहीं आया कि मैं क्या करने वाली हूंफिर मैं दीपक की गांड में एक उंगली डाल दीफिर मैं जब धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रही थी पहले तो दीपक बहुत आशाए हो रहे थे अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगे हाथ पैरखोलने की कोशिश करने लगे लेकिन जबमैं समझ में आए कि अभिषेक कोई फायदा नहीं हैतो बोलकी प्लीज मेरी गांड मत मारो
तुम जो कहोगी मैं वह करूंगाबस मेरी गांड मत मारोमैं प्रॉमिस करता हूंदीपक लगभग रोने से लगेफिर मैं दीपक को समझाया दीपक रोने से कोई फायदा नहीं हैहर लड़की को सुहागरात पर यह झेलना ही पड़ता हैऔर तुम भी आज एक लड़की ही होतो तुम मुझे बच नहीं सकतीहर लड़की की वर्जिनिटी जो अपने जीवन पर संभाल के रखती है सिर्फ अपने पति के लिएतो आज मैं तुम्हारा पति हूंइसलिए तुम्हें अपनी वर्जिनिटी आज देनी ही पड़ेगीपर मैं कोशिश करुंगी कि तुम्हें ज्यादा दर्द ना हो
और मैं धीरे-धीरे शुरुआत करूंगीफिर मैं दीपक की गांड में तो उंगली डाल देऔर फिर तीनदीपक दर्द से कर रहे थे सिख रहे थे अब बार-बार अपने उंगलियो निकालने की मिनट कर रहे थे हाथ पैर जोड़ रहे थेजो मुझे देखा नहीं गयाऔरफिर मैं अपने तीनों उंगलियां निकाल ले जैसा कि दीपक चाहते थेफिर मैं दीपक की गांड मेंउंगलियां डालने का विचार चेंज कर लियादीपक खुश हो गए दीपक को लगा कि शायद वह बच गए लेकिन मेरे मन में कुछ और ही चल रहा थामैंने दीपक से कहाठीक है अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी गांड से तीनों उंगलियां निकाल लूं
तो उसके लिए तुम्हें कुछ करना होगादीपक मेरी हर शर्त को बिना सुने करने को तैयार हो गया मुझे थोड़ी सी हंसी आईक्योंकि दीपक को पता नहीं हैकि उनके साथ क्या होने वाला हैअब मैंबाथरूम में जाकर अपने हाथ साफ किया साबुन से अच्छी तरह सेउसके बाद कमरे में वापस आई दीपकअभी भी उसी जगह बंधे हुए थेशायद थोड़ा बहुत दर्द भी हो रहा होगापर मुझे पता था सुहागरात कहिए असली दर्द नहीं है असली दर्द दीपक को भी समझना बाकी थादीपक मेरी तरफ देख रहे थे और सोच रहे थे कि मैं क्या बोलने वाली हूं फिरमैं दीपक की ओर देखाऔर दीपक से कातुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी गांड में दोबारा से उंगली ना डालो तो मैं चाहती हूं कि तुम मुझे तुम्हारी आंखें बढ़ने दो
दीपक में तुरंत हां बोल दियामैं भी एक दुपट्टा उठाया उसको फोल्ड किया और दीपक की आंखों परपट्टी की तरह बांध दिया आप दीपक को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था कि उनके साथ क्या होने वाला है फिर मैं दीपक के दोनों हाथ जो छत से बंधे हुए थे उन्हें खोलऔर दीपक को झुका कर उनके पैरों के साथ बांध दिया
दीपक को अब तक कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या होने वाला हैआप दीपक मेरे सामने एक घोड़े की पोजीशन में थेअब मैं बेड के नीचे सेजो दीपक के लिए एक सरप्राइज गिफ्ट रखा थाअपने लिएमैंने सोचा थाहो सकता है निकिता के साथ शादी करने के बाद उनका मन भर गया हो और वह सुहागरात मनाने में इंटरेस्टेड ना हो तो कम से कम मुझे इस टिल्डो के थ्रू खुश करते हैं लेकिन दीपक ने सुहागरात मनाने से साफ मना कर दिया तो मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था
इसलिएवह दिलदो दीपक की कमर में बांधने की वजहमैंने अपनी कमर में बांध लियाउसके ऊपर मैंने नारियल तेल लगाया अच्छी तरह से रगड़ करदीपक को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा थादीपक झुके हुए बंधे हुए थेअब बारी थी असली रोमांस कीक्योंकि मुझे पता था अगर कलकुंवारेपन काजो सबूत है वह नहीं दिया गया तो सब हमारे बारे में गलत बातें करेंगेइसलिएमैंने एक सफेद कपड़ा अपने हाथ में ले लियारुमालजोजिस पर लगा खूनवर्जिनिटी की निशानी होता है
मुझे पता हैवह रुमाल कोमल ने मुझे मेरी वर्जिनिटी के लिए दिया था लेकिन यहां तो मेरी वर्जिनिटी टूटी नहीं रही थीइसलिए फिर भी मैंने उसे माल को अपने हाथों में ले लिया और धीरे से उसे टिल्डा के टॉप को दीपक की गांड के ऊपर रखादीपक डर गएदीपक ने मुझे रुकने को कहामैं रुक गई दीपक बोले तुम क्या करने वाली हो
क्या मैं सही समझ रहा हूं क्या यह तिल्दा हैमैंने दीपक की कमर पर हाथ फिर आते हुए कहा दीपक यह वही हैजो तुम समझ रहे हो तुमने मुझे उंगलियों से तुम्हारी गांड मारने को मना किया था इसलिए अब मैं तुम्हारी गांड इस टिल्डो के थ्रू मारूंगीदीपक रोने लगेआप बोल प्लीज इसे मेरे साथ कुछ मत करोतुम चाहो तो उंगली सेही मेरी गांड मार लोदीपक की बात सुनकर मुझे हंसी आ गई
मैंने दीपक से कहा तुम प्लीज एक बार डिसाइड कर लो कि तुम चाहते क्या हो उंगली से गांड मरवाना या दिलदो से बार-बार मध्य मत चेंज करोबेचारे दीपक क्या कहते हैं फिर मैंने अपना दिलदो साइड में रखा और मैं दीपक की गांड में धीरे-धीरे एक उंगली करने लगी वैसे तो दीपक को यह भी ज्यादा पसंद नहीं आ रहा था
लेकिन उन्होंने पता था अगर वह मना करेंगे तो उसका परिणाम क्या हो सकता हैअबजब मेरा मन एक उंगली से भर गया और दीपक एक उंगली से कंफर्टेबल हो गए तो मैं उनकी गांड में दूसरी उंगली में डाल दीथोड़ा सा दर्द हुआ थोड़े से चीख निकल पर दीपक ने वह भी मैनेज कर लियाअब मैं उनकी गांड में आगे पीछे लेफ्ट राइट ऊपर नीचे अपनी दोनों उंगलियां एक साथ घूमने लगी पर मुझे पता था
यह भी काफी नहीं थाफिर मैं दीपक की गांड में तीसरी उंगली डाली अब मेरे पास मेरे तीनों उंगलियां दीपक की गांड में थेदीपक ने इससे पहले अपनी गांड में कुछ नहीं डाला था बिल्कुल फ्रेशतो उनकी गांड से खून निकल आया बस मुझे यही चाहिए थामैं फटाफट सफेद रुमाल को दीपक की गांड पर रख दिया और जो खून आया था उसे मैंने उसे डिमांड पर अच्छी तरह से लगाकर एक साइड में रख दियादीपक डर गए दीपक को पता चल गया था कि उनकी गांड से खून निकल रहा हैदीपक रोने लगे
मैंने उन्हें समझाया इसमें रोने की कोई बात नहीं है यह लड़की के साथ होता है जब उसके बाद जेनेटिक टूटती है और आज तुम्हारी टूटी है बट धीरे-धीरे तुम्हें आदत हो जाएगीफिर मैंउनकी गांड से आने वाले खून को अच्छी तरह से साफ कर जब खून आना बंद हो गया मैंने उसमें थोड़ा सा नारियल तेल डालाऔर जब मैं निश्चिंत हो गई क्या आप बिल्कुल भी खून नहीं आ रहा है और दीपक की गांड का दर्द भी काम हो गया
अब दीपक बार-बार अपनी कमर के दर्द के लिएकंप्लेंट कर रहे हैंफिरमैं दीपक के पास गईइस तरह से जैसे मैं उसके हाथ खोलने वाली हूं दीपक अब निश्चित है उन्हें लगाकर आप शायद उन्हें छुटकारा मिल जाएगा लेकिन मैं भी कहां काम थीमैं दीपक की गांड को थोड़ा सा फैलाया और एक झटके में ही पूरा दिलदो दीपक की गांड में घुसेड दिया
दीपक को ऐसा लगा जैसे उनकी जान निकल गई है इतनी तेज चिकन थोड़ी देर के लिए तो मैं भी डर गई कि कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं कर दियामैंने अपना पूरा दिलदो दीपक की गांड में डाल रखा था और अब मैं बिल्कुल भी हल नहीं रही थीक्योंकि मुझे पता था अगर मैं एक झटके से दिलों को बाहर निकलोगे तो दीपक को और भी ज्यादा दर्द होगा तो इसलिए दीपक को मैंने रिएक्ट करने का मौका दिया
जब दीपक का दर्द थोड़ा सा शांत हुआ और वह खुद को मैनेज करने की हालत में आ गए फिर मैं अपने दिलों को दे रहे धीरे वापस निकाल
अब जब दीपकधीरे-धीरे नॉर्मल होने लगे उनका दर्द कुछ काम होने लगामैंने दीपक से कहा मैं धीरे-धीरे तुम्हारी गांड से अपना दिल तो निकल रही हूं प्लीज चिकन मतदीपक नहीं मत दिखाई अपने मुंह को कसकर बंद कर लियाऔर मैंने धीरे-धीरे करके दीपक की गांड से अपना डाल दो पूरा बाहर निकाल लिया दीपक ने एक चैन की सांस ली जैसे कुछ उनके गले में फस गयाऔर एक लंबी सांस आई
एक सुकून भरी सोंग्स दीपक को लगा बस आप सब कुछ हो गया था अब इसके आगे कुछ भी नहीं होना थायह सुहागरात का दर्द खत्म हो गया थालेकिन घड़ी में सिर्फ 2:00 बज रहे थे और मुझे याद आया कि आपने निकिता दीदी और दीपक ने सुबह 4:00 बजे तक सुहागरात मनाई थीतो कहीं दीपक को बुरा ना लगे इसलिए मैंने भी 4:00 बजे तक सुहागरात मनाने का निर्णय लियाजो दीपक को मैंने नहीं बताया
दीपक निश्चित हो रहे थे रिलैक्स हो रहे थे अपनी गांड को जस्ट करने की कोशिश कर रहे थे अभी भी बढ़े हुए थे थोड़ी देर में जब दीपक निश्चित हो गए और रिलैक्स हो गएफिर मैं उनकी गांड के पास दोबारा से गई उनकी गांड में फिर से मैं तेल डाला और उसे पर धीरे-धीरे अपना हाथरगड़ने लगीदीपक को समझ में आ गया कि अब जो होना है वह बहुत बुरा है दीपक डर के मारे रोने लगे गड़गड़ाने लगे मेरे हाथ पर जोड़ने लगे कि प्लीज मैं दोबारा उनकी गांड ना मारूं
मुझे दीपक जी की हालत पर बहुत दया आ रही थी लेकिन मैं यह भी नहीं चाहती थीकि निकिता की 4:00 तक की सुहागरात मेरी सुहागरात से कुछ काम होऔरमैंने घड़ी की डेट देखघड़ी में भी 4:00 में बहुत समय थाफिर मैं दीपक की ओर देखाफिर मैंने सोचावह सुहागरात है क्या4:00 बजे तक ना मानेदीपक जी को बहुत बुरा लगेगा नाकि जब वह पति थेतो उन्होंने 4:00 बजे तक सुहागरात मनाई जब वह पत्नी बन गए तो उनकी सुहागरात तो 4:00 बजे तक नहीं बनाई गई
इसलिएदीपक जी की बेचैनी को देखते हुए और सिर्फ दीपक जी के लिए मेरा दीपक जी की गांड के टॉप पर फिर से अपना दिलदो का टोपा रख दियाऔरदीपक के दोनों हाथ और पर एक दूसरे से बंधे हुए थे वह एक डॉगी की पोजीशन में थे वह चाहते तो भाग नहीं सकते थेफिर भीइस पोजीशन में दीपकमेरे दिलदो से बचने की कोशिश करने के लिए खूबसूरत कर मुझसे दूर जाने लगेदीपक की आंखें अब भी बंधी हुई थी
मुझे गेहूं काफी इंटरेस्टिंग लगा इसलिएमैंने दीपक से कहा वह यह गेम तो ज्यादा इंटरेस्टिंग हैफिर मैंने अपना बेल उठायाजो दीपक को दिखाई नहीं दे रहा थाऔर मैं दीपक से कहा तुम मुझसे दूर भागना चाहते हो ना कोई बात नहींमैं तो बस 4:00 बजे तक समय काटना चाहती हूंलेकिन इसे बोरिंग बिल्कुल नहीं करना चाहतीइसलिएअब जब तुमने एक गेम की शुरुआत की है तो चलो इसी गेम को कंटिन्यू करते हैं
मैंअपनी आंखों पर पट्टी बांध रही हूंमुझे तुम दिखाई नहीं दे रहे होमजे की बात है तुम्हें मैं भी दिखाई नहीं दे रही हूंमेरे हाथों में एक बेल्टजो मैं इधर-उधर घुमाऊंगीक्योंकि मैं तुम्हें अपने हाथ से नहीं अपने बेल्ट से ढूढ़ूंगीतुम्हारा काम है अपने पिछवाड़े को बचानाअगरबेल्ट तुम्हारे पिछवाड़े को टच हो गईतो उसे मिलेगा तुम्हें एक चट्टाव्हाइटलव बाइटडरो मत मैं तब तक अपने आंख की पट्टी नहीं खोलेगी जब तक कि तुम खुद ना कह दो मैं अपनी आंखों को खोलने के लिएऔर बेल्ट को नीचे रखकर स्टील को तुम्हारी गांड में डालने के लिए तब तकमेरी आंखें बंद हैसिर्फ अभी बेल्ट चलेगातुमअपने पिछवाड़े को बचाने की कोशिश करो और मैं भी देखती हूंकितनी देर अपने पिछवाड़े को बचा पाते हो
अब मेरी आंखें बंधी हुई थी दीपक के हाथ पैरों के साथ बना हुआ था दीपक के पास भगाने के लिए ज्यादा स्पेस नहीं था मैंने पहले बेल्ट कमाएऔर दीपक के पिछवाड़े पर पड़ादीपक दर्द से चिल्ला पड़ेपर बेचारे कर क्या सकते थेउनके पास भगाने के लिए ज्यादा स्पेस कहां थाउनकी चिक पैरों की पायल की आवाजमुझे पता चल गया थाक्यों कहां पर है मैंने दोबारा से अपना बेल्ट सदा और फिर से आवाज की दिशा में चलायाबेल्ट सीधा इनके पिछवाड़े पर पड़ाचटक से आवाज हुईदीपक दर से कर पड़े ठीक पड़े चिल्ला पड़ेऔर इससे पहले की दीपक अपनाजरा सी भी जग बदलते हैं मैं इस दिशा में फिर से अपना बेल्ट चला दियातीसरी बार एक ही जगह पर दीपक को बेल्ट पड़ाऔरदीपक के संभालने से पहले एक बार औरफिर एक बार आप दीपक के एक ही जगह पर पांच बार बेड पढ़ चुका था
दीपक दर्द से रो रहे थे चिल्ला रहे थेऔर जब एक बार और बेड पड़ा दीपक टूट गएदीपक गड़गड़ते हुए बोलेप्लीज अपनी आंखें खोल लो बेल्ट को साइड में रख दो इससे तो अच्छा तुम मेरी गांड मार लोमैंने अपनी आंख खोलने से पहले दीपक से एक बार और पूछातुम शोर होनाबाद में बदलोगे तो नहींदीपक रोते हुए बोले नहीं नहीं बदलूंगा प्लीज अपनी आंखें खोल लो और इस पंत को साइड में रख दोऐसे बहुत दर्द हो रहा है
और जब मैं अपनी आंखें खोलीसच में बेल्ट बहुत गलत जगह लगा थाक्योंकि पहले सिर्फ दीपक को दिलदो का दर्द होना था लेकिन अब बेल्ट दीपक की गांड के छेद के बीचो-बीच लगा थावर्टिकल मेंअब जब मैं उनकी गांड पर दिलदार रखूंगीतो हमारे बीच जो घर्षण होगा उससेबेल्ट से लगी चोट पर भी ठीक उतना ही प्रेशर बनेगामैंने घड़ी में देखा 3:30 बज चुके थे बसएक घंटा आधा घंटा और 5 मिनटमैंने दीपक को बताया3:30 बज चुके हैंसिर्फ 35 मिनट की बात हैजिससे हमनिकिता और तुम्हारे सुहागरात के टाइम से ज्यादा समय तक सुहागरात मना लेंगेदीपक लगभग दर से कांपते हुए बोले क्या अभी 35 मिनट और बच्चे हैं
और मैं हंसते हुए बोली हां सिर्फ 35 मिनट और बचे हुएदीपक बोल सिर्फ नहींयह बहुत होते हैंमेरे लिए अब 1 मिनट भी ऐसे झुके रहना बहुत मुश्किल हैफिर मैं दीपक की हालत को देखा मुझे दया आ गई आखिर है तो मेरे जीजू भी प्यार जीजूइसलिए मैंने दीपक को खोलने का मन बनाया लेकिन उसके पहले एक राउंड तो बनता ही थामैंने दीपक से कहा ठीक है दीपक मैं आपके हाथ और पर खोल रही हूंदीपक संतुष्ट हो गएऔर मैं थोड़ा सा नाटक किया जैसे मैं उनके हाथ और पर सच में खोल रही हूंफिर मैं दीपक से पूछा क्या तुम पानी पीना चाहोगे
इतनी देर के टॉर्चर की वजह से दीपक बोल हां मुझे पानी पिला दो ऑन ठीक है फिर मैं पानी लेने जाने का बहाना करने लगे और दीपक को उसे हालत में छोड़ दियाफिर मैं फ्रिज से पानी लेकर आईपानी पिया बोतल को दीपक के सामने रख दिया बोतल की ठंडक दीपक के गालों को टच हो रही थी तो बहुत अच्छा लग रहा था दीपक लोगों का मैं शायद उसके हाथ खोल दूंगी लेकिन तभी मैंने अपने दिलदो को तैयार किया और दीपक के खुले हुए छेद की तरफ निशाना बनाकर एक झटके से ही दीपक के गांड में अपना डाल दो डाल दिया
दीपक कादर्दउसके खून के साथ बाहर निकालएक साथ हुए हमले से दीपक की गांड से जो दर्द खून पहले निकला था और जो रुक गया था वहआप फिर से हरा हो गया औरदिलदो में पूरी तरह से लग चुका थाअब मैं जब भी दिलदो ऊपर नीचे कर रही थीखून बढ़ रहा था दीपक का दर्दबहुत ज्यादा बढ़ चुका थाफिर मैं घड़ी में देखाअब 3:45 हो गए थेमैंने दीपक को समझाया बस थोड़ी हिम्मत और रखो 3:45 हो चुके हैं बस तुम्हें 20 मिनट और हिम्मत रखनी हैदीपक की हालत खराब हो चुकी थी
20 मिनट सुनकरमैंने दीपक से कहा कोई बात नहीं तुम टेंशन मत लोसब हो जाएगा फिर मैं दीपक के हाथ और पर खोलेंमुझे लगा था कि दीपक मुझ पर झापड़ पड़ेंगे मुझे थप्पड़ मार देंगे या मुझे परेशान करेंगे लेकिन दीपक की जो हालत थीवह बेचारे जमीन पर लौट गएक्योंकि कमर में दर्द हो रहा था कांड में दर्द हो रहा था बेल्ट का दर्द हो रहा था जमीन पर लेट के मैंने उन्हें सहारा दिया
और बिस्तर पर लेतायापिछवाड़ा ऊपर पेट नीचे अपने दोनों हाथ आगे कर लिएमैं इस हालत मैं थोड़ा सा पानी पिलाया अब वह थोड़े से शांत हुएऔर उनकी आंखें जैसे ही लगी बंद होने लगी नींद की वजह से मैंने तुरंत अपना हाथ कप निकलाऔर और दीपक के दोनों हाथों को बेड पोस्ट के साथ हाथ कप से लॉक कर दियादीपक डर गए अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश करने लगे बट उससे कोई फायदा नहीं हुआ फिर मैं दीपक के पैरों कोबेड पोस्ट के पैरों की तरफ केमाचगो के साथदुपट्टे से बांध दियादीपक के दोनों हाथ और पर अपनी जगह स्थिर थे अब वही ले सकते थे मोड नहीं सकते थेदीपक समझ गए कि अब क्या होने वाला है
इस बार मैं चाहती थी कि दीपक देखेंकि उनके साथ क्या होने वाला हैइसलिए मैंने दीपक की आंखेंखुली रखेंकुछ भी नहीं थादीपक के सामने मैं कांच रखा जिसमें से दीपक को सबको दिखाई दे रहा था कि मैं उनके पीठ के पीछे क्या कर रही हूंफिर मैं दीपक कोसताते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए पूरी नंगी हो गई दीपक के सामनेशायद कोई और समय होता तो दीपक बेचारे कुछ कर पाते बट इस समय दीपककोई रिएक्ट नहीं कर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था
कि मैं उनके सामने की हालत में हूंकि मुझे अच्छा नहीं लगाइसलिए मैंने फिर से घड़ी में अब 350 हो गए थेमेरे पास से 15 मिनट थामैंने सारा तेल अपनी बॉडी पर लगाया दीपक के सामने मूव्स किए दीपक को एक्साइड करने के लिए 5 मिनट तक कोशिश की पर दीपक कोई रिएक्शन नहीं दे रहे थेउनका पेनिस जैसे दम तोड़ चुका था छोटा सा प्यारा सा बच्चा क्यूट सा बना हुआ था मैंने अपने हाथ से उसे एक्साइड करने की कोशिश की पर उससे कोई फायदा नहीं हुआतो इसका मतलब थाक्या मुझेफिर से दीपक के साथ वह सब करना पड़ेगाहमें नहीं चाहते थे
और इसके लिए मैंने दीपक के हाथ और पैर बंधे भी थेफिर मैं दीपक के पीठ के पीछे बैठ गई उनके गांड में फिर से तेल डालने लगीदीपक पूरी कोशिश करने लगे अपनी गांड को टाइट करने केमैंने धीरे-धीरे दीपक की गांड में एक उंगली डालेंफिर मैं दीपक को एक उंगली दिखाईफिर मैंने दो उंगलियां दिखाइएऔर फिर दीपक की गांड में डाल देलेकिन इतना बड़ा दिलदो झेलने के बाद दीपक के लिए एक या दो उंगली से कोई फर्क नहीं पड़ रहा थाफिर मैंने तीन उंगलियां डालेंउससे भी दीपक को कुछ नहीं हुआघड़ी में अब चार बज चुके थे सिर्फ मेरे पास 5 मिनट का समय थाअब अपना टाइम वेस्ट ना करते हुए
मैंने दीपक की गांड में अपना दिलदोपूरा अंदर तक उतार दियादीपक की चिक निकल पड़े इस बार जितना फोर्स मैंने लगाया थाऐसा लग रहा था जैसेसब कुछ और पर हो जाएगादीपक जितनी देर से अपने पिछवाड़ा को टाइट करके कोशिश कर रहे थेइसने वाले प्रेशर को रोकने की कोई फायदा नहीं हुआएक झटके सेमेरा दिल दीपक के गांड में घुस चुका थादीपक की आंखें फटी रह गईफिर मैं दीपक को दिखाते हुए अपने बस को रगड़ना शुरू कर मेरा दिलदो अभी दीपक की गांड में ही थाअपने बस को मसलना शुरू किया मैं मसाला रही थी
धीरे-धीरे अपनी कमर बुला रही थी और दिलदो ऊपर नीचे कर रही थीदीपक को दर्द हो रहा था मैं जैसे जब भी ध्यान दो ऊपर करते हैं दीपक को आराम मिलता और जब मैं एक झटके से उसकी गांड में दोबारा से टिल्लू डाल देते तड़प जातायह सिलसिला हमें 10 मिनट तक जारी रखालगभग 15 मिनट तकऔर फिर 20 मिनट तकपता ही नहीं चला टाइम कहां भी दियामुझे लगाते प्रोग्राम 5 मिनट में निपट जाएगाऔर चार-पांच तक हम फ्री हो जाएंगे लेकिन पूरे 4:30 तक मैं दीपक की गांड मारीअब दीपक थक गया था
मैंने उसके हाथ खुले पर खुले अपने दिलदो को अच्छी तरह से साफ किया दीपक की गांड से जो खून निकला था सब मुश्किलों में लगा हुआ थाफिर मैंदीपक की गांड मेंसे निकलते हुए खून को बंद करने की कोशिश की बट वह बंद नहीं हो रहा था फिर मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैं दीपक की गांड में अपना पद लगा दियाऔर उसे दिन से आज तकदीपक रोज बेड बनता हैक्योंकि मैं रोज इसकी गांड मारते हूं हर दिनबिना रुकेजब निकिता और कोमलसोनिया की बातें आंखें सुन रहे थेतभीसोनिया नेअपने मोबाइल से वाइब्रेशन लेवल एक को2 सेकंड के लिए 5 कर दिया
दीपक को एक कस कर करंट लगा दीपक की चीख निकल गईऔर सोनी ने तुरंत वाइब्रेशन बंद कर दिया और बाकी लड़कियांऔर सोनिया दीपक को देखकर जोर-जोर से हंसने लगे होने लगा के सोनी ने जो कहानी सुनाइएउसको सुनकर दीपक की चीख निकली है लेकिन दीपक की चिक्की होने के लिए वह तो सिर्फ सोनिया और दीपक की जानते थे निकिता और कोमल के लिए तो बस यह हंसी का पाठ था बस मजाक था लेकिन जो करंट अभीदीपक ने केला है वह शायद उसके लिए किसी नरक की आत्मा से काम नहीं था
दीपक जमीन पर लौट गयाफिर कोमल और निकिता ने उसे उठाकर बिताया आपने कोई बात नहीं सबके साथ होता है सब की सुहागरात तुम्हारे जितने रोमांटिक नहीं होती है 4:30 बजे तक सुहागरात मना कर तुमने एक नया ही रिकॉर्ड बना दिया है वहउसके बादसोनिया सोनिया निकिता और कोमल कमरे से बाहर चले गए कमरे में सिर्फ दीपक रह गया जब दीपक का दर्द थोड़ा सा काम हुआतबदीपक बाथरूम गया कपड़े चेंज किया
तैयार होकर बाहर आयाकिचन में कोमल खाना बनाने लगी थी और अनीता को उसने बैठने के लिए बोल दिया था पीछे सेदीपक ने भी ज्वाइन कियाकोमल भाभी ने उसका हाथ पकड़ाऔर बोली बहुत लकी होकितना प्यार करने वाली बीवी मिली हैफिरकोमल ने एक कागज निकाला और दीपक को दिखायादीपक उसे पढ़ते ही डर गयाक्योंकि यह वही कागज था जो दीपक ने निकिता को दिया था जिसमें उसने अपने बारे में सब कुछ बताया था उसके साथ सोनिया कैसे कंट्रोल लगते हो उसे एप्लीकेशन के बारे में भी राजा दीपक न्यूज लेटर को कमल के हाथ में देखा
दीपक की एक्टिविटी गुम हो गई थी शांत कियाऔर उसे कहा घबराओ मतफिर दीपक की तलाशी लेते हुए जैसे कुछ खोदने की कोशिश कीऔर फिर जैसे उसे कुछ मिल गया हो इस तरह से वह हल्का सा मुस्कुराईऔर बोली अच्छा तो यह बात है यह वह चीज है जो तुम्हें कंट्रोल करती हैफिरदोनों ने चुपचाप खाना बनाया आप दीपक को पता था किउसे एप्लीकेशन और कंट्रोल के बारे में सोनिया निकिता और कोमल तीनों कोई पता चल चुका है आप दीपक के पास कोई और ऑप्शन नहीं बचा थाउसने भी लंबी सांस ले अपने काम पर ध्यान दिया भगवान का नाम लिया क्योंकि अब उसके पास कोई ऑप्शन में नहीं था
अगर सोनिया पागल थी तो कोमल महा पागल थेअब कोमल हर वक्त बस सोनिया पर नजर रखतीएक दिन खाना खाते वक्तअचानक से सोनिया का फोन बच्चाऔर उसे पिक करने के लिए सोनी ने जब फोन उठाया अपने फोन को अनलॉक किया इस समय कोमल ने उसके फोन का पासवर्ड देख लियाअब कोमल को सोने के फोन का पासवर्ड पता थासिर्फ अब किसी भी तरह से कोमल को सोनिया का फोन चुराना था
इसके लिए कोमल ने एक प्लान बनायाकोमल को पता था कि सोनियाहर रोज रात को सोने से पहले दूध का गिलास पीती है जो दीपक अपने हाथों से गर्म करता है और उसे देता हैइसलिए जब दीपकदूध गर्म कर रहा था एक दिनइस समय कोमल किचन में आईदीपक से फ्रिज से पानी लाने को कहा और दीपक जैसे ही फ्रिज से पानी लेने के लिए मोडकमल नदीपक्षी दूध को गर्म कर रहा था उसे दूध में कुछ दवा मिला देऔर दूध क्योंकि गर्म हो रहा था तो तुरंत उसमें मिल गया और दीपक को कोई शक भी नहीं हुआअब बस कमल को इंतजार करना था सोनिया के सोने काइसके बाद वह रिमोट कमल का हो जाएगा और दीपक उसके कंट्रोल में आ जाएगा
चल दीपकसोने के लिए दूध लेकर कमरे में गयाऔर जब कमल किशोर हो गई की सोनी ने दूध पी लिया होगाकोमल ने निकिता को फोन लगाया कि वह उसे के सोनिया वह सोनिया को फोन लगाकर अपने कमरे में बुलायानिकिता को कुछ पता नहीं था क्यों आखिर कोमल ऐसा क्यों बोल रही है कि इतना भी से काम किया कमल के कहने पर निकिता ने सोनिया को फोन लगाया और उसे अपने कमरे में बुलाया की कुछ काम है
उसके बाद कोमल भी उसे कमरे में आ गई और सोनिया के लाख रिक्वेस्ट के बावजूद भीउसे कमरे में रोक कर रखाधीरे-धीरेसोनिया के आगे भारी होने लगे और वह वही सो गईनिकिता को बड़ा अजीब लगा क्या अचानक से क्या हुआ कमल कुछ बोल नहींकोमल निकिता से बोली कि आप 1 मिनट रुको मैं पानी लेकर आता हूंनिकिता बोल ठीक हैऔर फिर कोमल निकिता के रूम से निकलकरसोनिया के कमरे की तरफ बढ़ने लगेऔर जब वह सोनिया के कमरे में पहुंचेऔर जो नजर उसने देखा उसे देखकरकोमल की आंखें फटी की फटी रह गई
क्योंकिसोनिया नेदीपक कोबिल्कुल नंगा करकेकमरे के बीचो बीचबांध रखा था उसके हाथ उसके सर के ऊपर थेपैरों में पायल थी मोती वालेऔरआंखों पर पट्टी बंधी हुई थी दीपक कमरे में बिल्कुल नंगा खड़ा थाउसकी बॉडी परअभी भीवह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगे हुए थेकोमल नेबिना किसी आवाज केधीरे से दीपक के पास के उन डिवाइसेज को दिखाऔर फिरएक नजर से कमल के फोन को चेक कियाऔर एक छोटा सा कॉल कियासोनिया के नंबर परजिससे एक रिंग हुई और कोमल को सोनिया के कमरे में उसका मोबाइल फोन मिल गया
अब अबकोमलजैसेदीपक के पास अपने मोबाइल के साथ गईऔर बिल्कुल पास पहुंच गईदीपक के सेंसर ऑन हो गए और दीपक को करंट लगना शुरू हो गया दीपक बेचैन हो गया वह फड़फड़ाना लगाकोमल को कुछ समझ नहीं आया क्या अचानक क्या हुआ उसने तो सोनिया के मोबाइल में कोई बटन भी नहीं दबाए फिर अचानक क्या हो गया क्यों दीपक इतना परेशान हो रहा हैवह घबरा कर थोड़ा सा पीछे गई वह जैसे पीछे की सेंसर ऑफ हो गए
और कोमल को पता चल गया कि जब भी दीपक किसी भी मोबाइल की रेंज में आएगा तो उसे करंट लगने शुरू हो जाएंगे इसीलिए दीपक कोई भी मोबाइल उसे नहीं करता हैऔर इस तरह से सोनिया ने दीपक का मोबाइल अपने कंट्रोल में किया हैकोमल ने सोनिया को तीन-चार गालियां दी मां ही मन फिर उसके मोबाइल के एप्लीकेशन को ऑन करऔर फिर उसे एप्लीकेशन सेदीपक को तीन-चार करंट दिएदीपक को समझ नहीं आ गया आ रहा था क्या आज अचानक सोनिया को क्या हुआ है वह क्यों उसे जानबूझकर इस तरह से करंट दे रही है जबकि उसने हर बात को मना है
अब कोमल ने से एप्लीकेशन अपने मोबाइल में ऑन की से तरह की सेटिंग्स को कियाउसे अपने मोबाइल से ट्राई कियाऔर देखा कि दीपक कोउससे कुछ फर्क पड़ रहा है या नहीं लेकिन जैसे ही कोमल ने अपने मोबाइल से इस एप्लीकेशन कोई थ्रूलेवल बढ़ाएं दीपक को करंट लगने लगे इसका मतलब ताकि दीपक अब तो मोबाइल से मैनेज होने वाला था सोनिया और कोमल दीपक को नहीं पता था कि उसके साथ क्या हो गया हैकोमल ने फटाफट अपने मोबाइल से लेवल को बंद किया औरचुपचाप कमरे से बाहर निकल गई
दीपक को नहीं पता क्या अभी-अभी कमरे में क्या हुआ हैउसके बाद वह फटाफट किचन से पानी लेकर सोनिया के पास के सोनिया के ऊपर पानी डालाऔर जब सोनिया हो उसमें आगे तो चुपचाप अपने कमरे में आकर दरवाजा बंद करके सो गईक्योंकि दवा का असर सोनिया पर काफी गहरा था इसलिए सोनिया बिल्कुल बेहोश हो करके सो गई उसे कमरे में होने वाली कोई भी हलचल का पता नहीं चल रहा था लेकिन दीपक अब कमल के फोन की रेंज में थीतो कोमल अपने कमरे में बैठे-बैठे बार-बारलेवल को अप डाउन कर रही थी और दीवाल में कान लगाकर सुनने की कोशिश कर रहे थेटेप दीपककी बॉडी में एक जोर से करंट लगादीपक के मुंह से चीख निकल गई
वह जोर-जोर से पैरों को पटकने लगा क्योंकि यही सोनिया और दीपक के बीच कातरीका था सोनिया हारा दीपक कैसे बंद देते थे और खुद सो जाते थेऔर जब भी दीपक को पानी पीना हो वॉशरूम जाना हो या कोई और परेशानी हो तो वह अपने पैरों से आवाज करता जिसे सोनिया उड़ जाती है और उसे वॉशरूम ले जाती है या उसे सोने देती वह उसके मूड पर डिपेंड करता था लेकिन आज दीपक बार-बार पर पटक रहा था पर सोनिया बिल्कुल बेहोश पड़ी थी उसे दीपक के पायलों की आवाज सुनाई नहीं दे रही थीपर चिल्ला रहा था
खुलने के लिए कोशिश कर रहा थालेकिन जब भी दीपक कुछ बोलता हूंतो कोमल ने देखा कि उसे एप्लीकेशन में दीपक के कहे हुए हर एक शब्द आ रहे थेप्लस वह रिकॉर्डिंग भी देख पा रही थी तो कोमल को समझ में आ गया इसीलिए दीपक कुछ नहीं बोलता था चुप रहता था क्योंकि सोनिया दीपक केहर एक शब्द को सुन पा रही थी हर एक चीज कोजो उससे कहीं जा रही है उसको भी और जो दीपक कहता था उसको भी सब कुछ कंट्रोल कर पा रही थीकोमल ने एक लंबी सांस लेऔर बोले आप बेटा कहां जाएगा यह आप दीपक बाबू मेरे पूरी तरह से कंट्रोल में आ गए हैंकाफी देर तक दीपक को तड़पाने के बाद कमल के मन में एक विचार आयाक्यों ना वह किसी तरह से दीपक और सोनिया के कमरे में चली जाएऔर अपनी आंखों से दीपक को तड़पता हुआ देखेंक्योंकि आज घर में कोई नहीं थाअमन और अनीता और उसके हस्बैंड सुनील तीनों जान आज किसी काम से बाहर गए थे तो घर में सिर्फ निकिता कोमल सोनिया और दीपक पर इसमें से निकिता अपने कमरे में सो गई थीवहीं सोनियाभी अपने कमरे में सो गए थे अब सिर्फ दीपक और कोमल घर में जाग रहे थे दीपक बंधे हुए थे कोमल का टार्चर झेल रहे थे और कोमल अपने कमरे से सोनिया के कमरे में घुसने का तरीका धुंध रही थी
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