दीदी जब जीजू को बता रही थी तब दीदी बिलकुल भी ऊपर देख कर बात नहीं कर रही थी और मुझे सच में बहुत बुरा लग रहा था के ये सब क्या पॉइंट छेड़ दिया दीदी ने भी और मैं इशारा भी कर रही थी के दीदी कुछ मत कहो पर दीदी मेरी तरफ देख ही नहीं रही थी तो मैं कुछ कर नहीं पाई जब दीदी ने सब बोल लिया के उस दिन दीदी ने कैसे मेरी बंद बजायी थी तब जीजू की तरफ देखने लगे हम दोनों के जीजू का रिएक्शन क्या होगा जीजू ने मेरी तरफ देखा फिर दीदी की तरफ देखा और हस्ते हुए बोले के तुमें ठीक नहीं किया है मेरी शाली के साथ तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए था और दीदी की आँखों से आंसू टपकाना शुरू हो गया तो जीजू ने देखा और मैंने भी देखा और फीर जीजू हस्ते हुए दीदी को गले लगते हुए बोले अरे यार मैं तुम्हे कोई डांट थोड़े रहा हूँ जस्ट चिड़ा रहा था अच्छा बाबा सॉरी बस तुमने ठीक किया अनु है ही ऐसी इसे तो बांध कर रही रखना चाहिए इतनी बड़ी हो गयी बच्छो की तरह गेम खेलती है तुम्हारी बाते नहीं मानती है फिर मुझे बोले अनु चलो दीदी को सॉरी बोलो कान पकड़कर तो मैंने कहा सॉरी
तो दीदी बोली तुम दोनों जन अपना ड्रामा बंद करो समझे और आंसु पोच्च्ते हुए बोली तुम्हे ऑफिस नहीं जाना है चलो जाओ ऑफिस और शाम को आओ तब तुम्हारी क्लास लेती हूँ और तू अनु रुक तेरी भी क्लास लेती हूँ अभी और बोली तुम दोनों बैठो मैंने मुह धो कर आती हूँ और अनु तेरे लिए चाय लाती हूँ तो जीजू बोले मैंने क्या पाप किया है मुझे भी पूछ लो तो बोली तुम्हे तोअब पानी भी नहीं पूछूंगी चाय तो बहुत दूर रही और बोली तुम तो अब ऑफिस जाओ ऐसे और आज टिपिन भी नहीं मिलेगा तो जीजू बोले अनु यार तुमने मेरी मुशीबत करा दी बेकार में तुम दोनों बहेने आपस में लड़ो और चाय टिपिन मेरा बंद हो तो मैंने कहा दीदी जीजू सॉरी बोल रहे है तो जीजू बोले हाँ बस बोल रहा हूँ सॉरी तो दीदी बोली सॉरी बोले चाहे कान पकडे चाय और टिपिन तो नहीं ही मिलेगा आज इन्हें फिर दीदी एक कप चाय ले कर आई जीजू ने हाथ बढाया भी पर वो साइड हट गयी और मेरे हाथ में दिया तो मैंने दुसरे कप में जीजू को चाय देने को हुयी तो दीदी बोली अनु ख़बरदार जो इन्हें चाय दी तो जीजू बोले सॉरी ना बाबु माफ़ कर दो न अब तो दीदी बोली बिलकुल नहीं तो बोले अछ्चा बताओ कैसे मनाऊ तो मानोगी तो दीदी कुछ नहीं बोली तो जीजू ने अपने कान पकडे और सॉरी बोले तो दीदी हसने लगी और बोली चुपचाप बैठ जाओ शर्म नहीं आती बच्चो वाली हरकते करते हुए अनु के सामने जाओ बैठो लाती हूँ तुम्हारे लिए भी चाय फिर दो कप और लायी एक जीजू के लिए और एक खुद के लिए. फिर हमने सबने चाय पि और फिर चाय पिने के बाद दीदी बोली जीजू से चलो चाय पिली है न तो अब ऑफिस जाओ जीजू को टिपिन दिया और बोली बाय तो जीजू बोले खली बाय तो बोली हाँ खली बाय जाओ जल्दी अनु है घर में तो मैंने धीरे से कहा अगर चाहो तो मैं नेक मुह धो कर आ जाऊं तब तक आप जीजू को बाये कर दीजिये तो दीदी बोली अनु ज्यादा मुह मत चलाया कर और जीजू से बोली चलो जाओ अब और उन्हें घर से बहार तक छोड़ कर आई और उनका रुमाल गाड़ी कि चाभी दी और हाथ से इशारे से मैंने और दीदी ने उन्हें बाय कहा |
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