Disclaimer

यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक है। किसी से समानता संयोग होगी। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ ((जैसे स्तन वर्धक या हार्मोन परिवर्तन)न लें - यह जानलेवा हो सकता है।— अनीता (ब्लॉग एडमिन)

Husband wife role reversal एक नई सुबह

📝 Story Preview:

अनीता और रोहित की ज़िंदगी पहले बहुत सहज और सुंदर चल रही थी। रोहित एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था और अच्छी कमाई करता था। दोनों की दुनिया में प्यार था, समझदारी थी, और एक बेहतरीन तालमेल था।

लेकिन एक दिन, ऑफिस से लौटते समय रोहित का भयानक एक्सीडेंट हो गया। डॉक्टरों ने बताया कि रोहित कोमा में है और उसके पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय लग सकता है।

तीन महीने बाद जब रोहित को होश आया, तो उसे पता चला कि अब वो अपने हाथ-पैर नहीं हिला सकता। डॉक्टरों के अनुसार उसे ठीक होने में करीब दो साल लग सकते थे। परिवार मध्यमवर्गीय था, तो अस्पताल में लम्बे समय तक रखना संभव नहीं था। इसलिए अनीता ने उसे घर ले आने का निर्णय लिया।

अनीता ने नौकरी की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ली और रोहित की जगह उसी कंपनी में काम करना शुरू किया।

सुबह-सुबह अनीता रोहित को दवा देकर, खाना खिलाकर ऑफिस जाती, और रोहित घर पर अकेला रह जाता। कुछ ही महीनों में रोहित की हालत में हल्का सुधार हुआ — वो अब बोलने लगा था और थोड़ा-बहुत हाथ-पैर हिलाने की कोशिश भी कर पा रहा था।

एक दिन रोहित ने अनीता से इशारे में कहा,
“मेरे बाल बहुत लम्बे हो गए हैं... परेशान कर रहे हैं... कटवा दो ना।”

अनीता ऑफिस के लिए लेट हो रही थी, इसलिए उसने कहा,
“शाम को बात करते हैं… पक्का!”

पर तीन दिन बीत गए, और रोहित हर बार उम्मीद करता रहा।

बाल अब उसकी पीठ तक आ चुके थे, बार-बार मुँह में आ जाते थे, और उसे खुद कुछ करने में असमर्थता थी। पुराने कपड़े भी अब फिट नहीं आते थे — शरीर काफी कमजोर हो चुका था। वहीं अनीता की दिनचर्या इतनी व्यस्त थी कि वह चाहकर भी तुरंत समाधान नहीं निकाल पा रही थी।

एक दिन…

वीकेंड पर जब अनीता खाना देने आई, तो रोहित की आँखों में आँसू थे।

“क्या हुआ?” अनीता ने उसे गले लगाते हुए पूछा।

रोहित ने बहुत मुश्किल से कहा,
“ये बाल… ये ढीले कपड़े… मैं कुछ कर नहीं पाता…”

अनीता की आँखें भी भर आईं। वो रोहित को छोड़कर नाई के पास भी नहीं जा सकती थी, और न कोई घर आने को तैयार था।

उसी शाम, उसने रोहित के सिर में तेल की मालिश करनी शुरू की। बाल उलझे हुए थे, धीरे-धीरे सुलझाते-सुलझाते उसने सोचा — क्यों न इन्हें दो चोटियों में बाँध दूँ? इससे बाल भी कंट्रोल में रहेंगे और रोहित को राहत भी मिलेगी।

उसने सलीके से बालों को ब्रश किया, दो बराबर हिस्सों में बाँटा, चोटियाँ बनाई और रिबन से बाँध दिया।

आज रोहित शांति से सोया।

धीरे-धीरे बदलाव...

अब ये अनीता की आदत बन गई। हर रविवार वो रोहित के बाल धोती, सुलझाती, और प्यार से चोटी बनाती। रोहित अब बालों से परेशान नहीं होता था।

कपड़ों की परेशानी को भी अनीता ने हल किया। पुराने कपड़े ढीले थे, तो उसने अपने कुछ आरामदायक स्कर्ट्स और शॉर्ट्स निकालकर रोहित को पहनाए। रोहित को भी स्कर्ट पहनकर काफी आराम मिला — हवादार, हल्के और फिट।

धीरे-धीरे रोहित अब खुद से छोटी-मोटी चीजें करने लगा — जैसे चाय बनाना, अंडा उबालना, नाश्ता करना।

पर एक दिन…

जब अनीता ने फिर स्कर्ट दी, तो रोहित चिढ़ गया।

“क्या नाटक है ये? मुझे मेरे कपड़े चाहिए। मैं अब ठीक हो रहा हूँ।”

अनीता चुप रही, उसने स्कर्ट ली और रोहित को पैंट दे दी। लेकिन वो बहुत आहत हुई थी। बिना कुछ खाए ऑफिस चली गई।

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Police officer Wife handcuffed husband as punishment

📝 Story Preview:

कहानी शीर्षक: "हथकड़ी वाला प्यार"
(Romantic Police Couple Hindi Story)

अनिता और अमित एक बेहद प्यारा कपल थे। अनिता पुलिस विभाग में थीं और अक्सर अपने मजाकिया अंदाज़ में अमित को हाथकड़ी लगाने की धमकी देती रहती थीं। दोनों के बीच नोकझोंक का रिश्ता था, जिसमें प्यार की गहराई छिपी होती थी।

एक दिन अनिता एक कठिन केस को लेकर काफी परेशान थीं। उनके पास बार-बार ऊपर से कॉल आ रहे थे, जिससे उनका मूड और भी खराब हो रहा था। वहीं अमित को ऑफिस से दो दिन की छुट्टी मिली थी और वो चाह रहा था कि इस वक्त को रोमांटिक तरीके से अनिता के साथ बिताए। वो बार-बार कुछ न कुछ मज़ेदार बोलकर या शरारती हरकतें करके अनिता का मूड ठीक करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन अनिता आज बहुत चिढ़ी हुई थी, और उसका ध्यान कहीं और था।

थोड़ी देर सहने के बाद, अनिता ने एक फैसला लिया।

वो अमित के पास आई और गुस्से में बोली,
“मैं कब से तुम्हें समझा रही हूं, लेकिन तुम समझ ही नहीं रहे। अब जो मैं करने जा रही हूं, उसके लिए सिर्फ तुम ज़िम्मेदार हो। बिना बोले, बिना हिले यहीं खड़े रहो।”

अमित कुछ समझ पाता उससे पहले ही, अनिता ने उसके दोनों हाथ पीठ के पीछे किए और अपनी कमर से लगी हथकड़ी निकालकर उसके हाथों में कस दी। चाबी को अपनी जेब में डालते हुए, अनिता का फोन बजा—कॉल कमिश्नर साहब की थी। वो बात करते-करते अपने स्टडी रूम में चली गई और फिर लैपटॉप पर काम में लग गई।

काफी देर बाद जब अमित की तकलीफ़ बढ़ गई, वो किसी तरह स्टडी रूम में गया और बोला,
“अनिता... प्लीज़ खोल दो, हाथ दर्द कर रहे हैं…”

अनिता ने उसे नजरअंदाज किया। अमित ने फिर चिढ़ाने की कोशिश की, ताकि उसका ध्यान अपनी ओर खींच सके। लेकिन इससे अनिता और चिढ़ गई। उसने अमित का हाथ पकड़कर उसे बेडरूम में ले जाया और एक दूसरी हथकड़ी से उसके हाथों को खिड़की के ग्रिल से बांध दिया।

अब अमित वही बंधा रहा… जब तक अनिता चाहे।

अनिता ने चेतावनी दी,
“अगर एक शब्द भी निकाला तो मुँह भी बंद कर दूंगी।”

अमित को लगा कि ये मज़ाक है, वो उसे छेड़ने लगा। पर अनिता ने सीरियस होकर अलमारी से अपने धुले हुए मोज़े निकाले, उसमें अमित का रुमाल भरकर एक बॉल बनाई और अमित के मुँह में ठूंस दी। फिर टेप से पूरी तरह से उसका मुँह बंद कर दिया।

उसके बाद अनिता मुस्कुराई और बोली,
“अब मैं शांति से काम कर सकती हूँ।”
और फिर उसे वहीं बंद कर स्टडी रूम चली गई।

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Lost bet Anita 's Long hair cut short story

📝 Story Preview:

मैं राकेश हूँ। मेरी पत्नी अनिता की बाल बहुत लंबे हैं जो उनके कूल्हों तक पहुंचते हैं और इतने घने हैं कि अगर वह इन्हें बुन बनाकर बांधती हैं तो उन्हें तकिए की जरूरत नहीं पड़ती। मैं बालों का फेटिशिस्ट हूँ और मेरा सपना है कि मेरी पत्नी को छोटे बालों में देखूं, जैसे लड़कों की हेयरस्टाइल होती है। लेकिन मैंने यह सपना उन्हें कभी नहीं बताया। आमतौर पर वह मुझे हर छह महीने में उनके बालों को ट्रिम करने की अनुमति देती हैं, और वह भी सिर्फ एक इंच से कम।

लेकिन अक्सर मैं अनिता से कहता हूँ कि वह अपने बाल छोटे करवा ले, लेकिन वह मना कर देती है। यह बात मुझे बहुत दुखी करती है और मुझे लगता है कि मेरा सपना कभी पूरा नहीं होगा।

कुछ हफ्तों बाद, अनिता की भाभी कव्या हमारे घर आई और कहा कि उसे एक महीने के लिए हमारे साथ रहना होगा क्योंकि उसका कुछ प्रोजेक्ट का काम है। यह सुनकर मैंने और अनिता ने खुशी से उसे रहने की अनुमति दे दी।

कव्या एक युवा लड़की थी जिसका शरीर पतला था और उसके बाल उसकी सबसे आकर्षक चीज थे, जो उसके कूल्हों के ऊपर तक पहुंचते थे। दो दिन बाद, अनिता और कव्या के बीच एक छोटी सी लड़ाई हुई राजनीतिक समाचारों पर और उन्होंने तय किया कि मुझसे सही जवाब पूछने से पहले वे दोनों आपस में दांव लगाएंगी। दांव यह था कि हारने वाली को जीतने वाली की बात एक सप्ताह तक माननी होगी।

अंत में, उन्होंने मुझसे प्रश्न पूछा और मैंने सही जवाब दिया। दुर्भाग्य से, कव्या हार गई और उसे अनिता की बात माननी पड़ी। उस रात मुझे एक विचार आया और मैंने अनिता से कहा कि मैं लंबे बाल कटवाना चाहता हूँ लेकिन तुम मना कर देती हो, इसलिए मैं कव्या के बाल कटवाना चाहता हूँ।

यह सुनकर अनिता ने पूछा कि कव्या इसके लिए कैसे तैयार होगी, तो मैंने उसे दांव के बारे में बताया। काफी सोचने के बाद अनिता ने मेरे विचार को मान लिया। अगले दिन, अनिता ने कव्या को बुलाया और कहा कि उसे दांव हारने के कारण अपने बाल कटवाने होंगे।

कव्या ने सोचा कि अनिता मजाक कर रही है, इसलिए उसने हाँ कह दिया और मेरे पास आई। मैंने उसके बालों से चमेली के फूल निकाले, उसके बालों का बैंड हटाया और बालों को खोला। उसके बाल लहरदार थे क्योंकि वे बंधे हुए थे। मैंने उसके बालों को अच्छी तरह से कंघी की और कैंची लेकर सिर्फ उसके बालों के सिरे काट दिए।

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New couple Birthday celebration with little different way

📝 Story Preview:

A new marride couple goes to start their new life , so husband does not want to hide anything from his wife . He decided to tell everything about himself from his wife . 

 He has BDSM fantasy and he like BONDAGE so much .

 One day , he told his all fantasy from his wife and also he told that he had taken many PAID BONDAGE sessions by many Mistresses and wife was educated so she understood all of that easily and she promise him that she will never go against his fantasy and also she will fulfill his fantasy . 

After 2 days of this , wife decided to experience this fantasy and she remembered that after a week , husband's birthday is , so she started to make plan about all of this . 


After a week , on husband's birthday , she decorated home and also she got ready to experience about BONDAGE . 


At night 8 PM , husband come from his office and he did not know that today is his birthday , when he entered the room he looked that his wife is waiting him with a cake and he came into the room asked his wife that :- what is today ?

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जेंडर चेंज ऑपरेशन के बाद जीवन की कहानी

📝 Story Preview:

हेल्लो निशांत?”


“यस, दिस इस निशांत हियर. हु इस स्पीकिंग?”


“अरे निशांत!! मैं चेतना बोल रही हूँ यार!”


“चेतना? कौन चेतना?”


“ओह सॉरी! तू तो मुझे इस नाम से जानता नहीं. यार मैं तेरी रूममेट चेतन.”


“चेतन! अबे साले! तुझे २ साल बाद मेरी याद आई है. कहाँ था तू इतने समय से? और मैंने सुना है कि तूने अपना जेंडर चेंज कर लिया है”


किसी अच्छे दोस्त की तरह निशांत की आवाज़ में भी एक उत्साह था अपने दोस्त से सालों बाद बात करने वाला. उसके उत्साह को सुनकर मेरा भी डर कुछ कम हो गया था अपने पुराने दोस्त से बात करने का. आखिर मैं बदल जो गयी थी.


“हाँ तूने सही सुना है यार निशांत. मैंने जेंडर बदल लिया है. इसलिए तुझे मुझसे कहना है तो साले नहीं साली बोल.”, मैं हँस दी.


“ओह सॉरी. ठीक है मैं तुझे साली बोलूँगा. यार जेंडर के साथ तो तेरी आवाज़ भी बदल गयी है.”, निशांत बोला.


मेरे बारे में इतनी बड़ी बात जानने के बाद भी निशांत मुझसे इतनी नार्मल तरह से बात कर रहा था. यह सुनकर मैं खुश भी थी और थोड़ी भावुक भी. मेरा तो ख़ुशी से गला भर आ रहा था. पर अपनी भावनाओ को संभालते हुए मैं उससे आगे बात करने लगी.


“यार आवाज़ तो बदलनी पड़ेगी न. अब हॉट लड़की जो बन गयी हूँ! तो आवाज़ भी वैसी होनी चाहिए”, मैं उसे तंग करने लगी.


“बात तो तेरी सही है. वैसे यार तू US में रहती कहाँ है? मैं एक हफ्ते पहले ही US आया हूँ. मेरी कंपनी ने आखिर मुझे यहाँ भेज ही दिया.”


“जिस शहर में तू है… वहीँ मैं भी रहती हूँ. तू बता कल सैटरडे मोर्निंग को फ्री है क्या? अपनी मुंबई इंडियन टीम का मैच है. साथ देखेंगे बियर के साथ”, मैं बोली.





“क्या बात कर रही है? तू यहीं है! फिर तो मैं ज़रूर आऊँगा. साथ मैच देखने में मज़ा आएगा पुराने दिनों की तरह. वैसे सिर्फ बियर से काम नहीं चलेगा हाँ. US आया हूँ तो व्हिस्की भी पीकर जाऊँगा महँगी वाली.”


“ठीक है. बिलकुल पुराने दिनों की तरह ही मिलेंगे. पक्का”, मैं बोली पर क्या अब मेरे बदलाव के बाद पुराने दिनों की तरह मिलना संभव था?


“चेतन… एक बात बता. सॉरी… चेतना, ये तो बता की तुझे मेरा फ़ोन नंबर कैसे मिला? ये तो मैंने ४ दिन पहले ही लिया है.”, निशांत ने पूछा.


“अरे वो हमारी बैचमेट रश्मि थी न. उसने बताया”


“रश्मि? वो नकचढ़ी लड़की. उसको कैसे पता?”, निशांत ने पूछा. मैं जानती थी कि वो रश्मि को पसंद क्यों नहीं करता था.


“अरे यार इतनी भी बुरी नहीं है वो. उसको संजय ने तेरे बारे में बताया था. और वो जानती थी कि तू और मैं कॉलेज में रूममेट थे, इसलिए उसने संजय से नंबर लेकर मुझे दे दी.”



“देख तू लड़की बन गयी है तो उसकी तरफदारी मत कर ज्यादा. तुझे पता है न कि कॉलेज में कैसे भाव खाती थी वो. और ये साला संजय भी न.. उसको क्या पड़ी थी जो रश्मि को मेरे बारे में बता दिया.”


“अरे अच्छा हुआ न बताया. वरना मैं तुझसे बात कैसे कर पाती? अच्छा सुन… अभी मेरी मीटिंग है. मैं तुझे अपना एड्रेस भेज दूँगी sms से. तू कल सुबह ९ बजे तक आ जाना पक्का. बाय!”


“बाय.. चेतना! वैसे सुन…. मुझे तेरा नाम अच्छा लगा. मैं कल तुझसे मिलने के लिए बेसब्र हूँ. सी यू सून!”, निशांत ने हंसकर कहा.


फ़ोन रखते ही न जाने क्यों मैं शरमाई सी मुस्कुराने लगी. निशांत तो बस मेरा अच्छा दोस्त था. उससे बात करके कितना अच्छा लगा मुझे मैं बता नहीं सकती. जितने भी मुझे पहले से जानने वाले लोग है, वो मुझसे इतनी सहजता के साथ आज बात नहीं कर पाते. सभी के लिए मुझे मेरे नए रूप में देखना मुश्किल था… और निशांत… पता नहीं कल जब वो आएगा तो कैसे रियेक्ट करेगा. उसने तो मुझे कभी लड़की के रूप में देखा तक नहीं था.


उस रात मैं करवटें बदलते सोचती रही मुस्कुराती रही कि निशांत से मिलकर ऐसा होगा, वैसा होगा, हम पुराने दिनों की तरह मौज मस्ती करेंगे बिलकुल जिगरी दोस्तों की तरह. आखिर मेरा जिगरी दोस्त तो था वो. फिर भी २ साल पहले जब मैंने अपना जेंडर चेंज करना शुरू किया था तो मैंने उसे कुछ नहीं बताया था. डर लगता था कि दोस्ती न टूट जाए. यदि वो मुझे समझ न सका तो. पर फिर भी हमेशा से उससे मिलकर सब साफ़ करने की इच्छा थी जो अब पूरी होने वाली थी. आज रात मेरी आँखों में नींद न थी बस सपने थे एक दोस्त के साथ खुशनुमा समय बिताने के.


अगली सुबह मैं जल्दी उठकर खाना बनाने में लग गयी ताकि जब निशांत आये तो दोपहर का खाना तैयार रहे. वैसे भी इंडिया से आये हुए लोगो के लिए भारतीय घर के खाने की कीमत ही कुछ और होती है. खाना बनाने के बाद मैं सोचने लगी कि आखिर कौनसे कपडे पहनू. मेरे डेली वियर के कपडे तो ड्रेस और स्कर्ट वगेरह टाइप के वेस्टर्न कपडे ही है. मैं निशांत के सामने ज्यादा सेक्सी कुछ नहीं पहनना चाहती थी. एक तो मुझे लड़की की रूप में पहली बार देखने वाला था वो, ऊपर से ज्यादा सेक्सी कुछ पहन ली तो उसको शॉक ही लग जायेगा. और फिर मैं उसको जानती भी तो थी… यदि मैंने कोई ड्रेस पहन ली तो ड्रेस में मेरा क्लीवेज देखकर ही पागल हो जाएगा वो! उसकी दोस्त होने के नाते जानती थी मैं कि वो बूब्स के दीवाना है. इसलिए सलवार सूट भी नहीं पहन सकती थी क्योंकि मेरे सभी सूट में फिगर कुछ ज्यादा ही निखरता था.


इसलिए मैंने तय किया कि मैं कोई साड़ी पहनूंगी. वो भी ऐसी जो सेक्सी कम और शालीन ज्यादा लगे. जैसे सिल्क साड़ी… वैसे भी कितना समय हो गया है मुझे साड़ी पहने. औरत बनने के पहले तो साड़ी मेरी पहली चॉइस होती थी. लेकिन US में काम करना हो तो साड़ी पहनकर ऑफिस नहीं जा सकती थी. और फिर घर से बाहर साड़ी पहनो तो लोगो को लगता है कि कोई भारतीय त्यौहार आने वाला होगा और विदेशी औरतें रोककर पूछने लगती है साड़ी के बारे में. तो चलो आज साड़ी ही पहनी जाए और फिर मैं अपने कलेक्शन में साड़ी ढूँढने लगी. आखिर में मैंने एक सॉफ्ट सिल्क साड़ी पसंद की जिसके साथ मैचिंग सिल्क ब्लाउज भी था. अब इससे ज्यादा शालीन औरत कैसे बना जा सकता था ट्रेडिशनल सिल्क साड़ी के अलावा? पर मन ही मन मैं ये भी जानती थी कि साड़ी में सेक्सी न लग पाना लगभग असंभव था. पर इससे ज्यादा और क्या कोशिश करती मैं. साड़ी पहनकर मैं लगभग तैयार थी और बस हाथो में चूड़ियां ही पहन रही थी कि तभी दरवाज़े की घंटी बजी. निशांत ही होगा, मैंने सोचा और आईने में देखकर अपने आँचल को ठीक करके एक आखिरी बार देखा कि कहीं मेरा ब्लाउज खुला तो नहीं दिख रहा. समय भी कितनी तेज़ी से बदल गया था … इसके पहले कभी निशांत के सामने जाने के लिए मुझे यूँ सोचना न पड़ता था. फिर भी मैं इस वक़्त बेहद खुश थी निशांत से मिलने के लिए और मैं दौड़ी दौड़ी दरवाज़े तक चली आई.

और दरवाज़ा खोलते ही अपने दोस्त निशांत को देखते ही ख़ुशी के मारे मैं उसके सीने से लग उससे लिपट गयी. मारे ख़ुशी के मैं उसे छोड़ना ही नहीं चाह रही थी और उसने मुझे दूर भी नहीं किया. और फिर जब मैंने उसे जी भर कर गले लगा लिया तो मैं ही खुद अलग होकर उसकी बांहों को पकड़ कर बोली, “तो निशांत जी… हमारी मुलाक़ात हो ही गयी.”



निशांत के लिए मैंने आज एक सिल्क साड़ी पहनी थी.

पर निशांत के चेहरे से तो जैसे होश उड़े हुए थे… जैसे उसने कोई भुत देख लिया हूँ. उसे ऐसा देखकर मेरे चेहरे से भी ख़ुशी चली गयी. निशांत भी आखिर दुसरे लोगो की तरह निकला.


“कम ऑन निशांत! तू भी अब ऐसे ऑकवर्ड बिहेव करेगा… मैंने तुझसे ऐसी उम्मीद नहीं की थी. सोची थी कि तू मेरा अच्छा दोस्त है… कम से कम तू तो मुझे ऐसे नहीं देखेगा कि मैं ऐसे कैसे बदल गयी हूँ.”, मैं दुखी होकर पलटने लगी.


पर तभी उसने मेरी बांह पकड़कर मुझे रोका और बोला, “क्या यार… पागल हो गयी है क्या तू?”


“छोड़ दे मेरा हाथ. पागल ही तो हूँ जिसने लड़का होते हुए भी लड़की बनना तय किया.”, मैंने झुंझलाकर कहा.


“पगली. तुझे पता है न कि मैं २४ साल का सॉफ्टवेर इंजिनियर हूँ! आज तक किसी लड़की से गले लगना तो दूर मैंने किसी लड़की से हाथ भी मुश्किल से मिलाया है. और तू दरवाज़ा खोलते ही मुझसे ऐसे लिपट पड़ी. अब हक्का बक्का तो रह जाऊँगा न ऐसा कुछ हो तो!”, और वो हँसने लगा. और मैं भी हंसकर उसकी ओर फिर पलट गयी.


“वैसे सच कहूं तो जैसे सोचा था उससे कहीं ज्यादा अच्छा लगा एक लड़की को गले लगाकर. उसके लिए थैंक यू!”, निशांत बोला.


“अच्छा अच्छा अब बातें मत बना. अन्दर आजा. और प्रॉमिस कर मुझसे वैसे ही बर्ताव करेगा जैसे पहले मेरे दोस्त होते हुए करता था. वैसे मैच शुरू होने वाला है.. तू टीवी ऑन कर मैं बियर लेकर आती हूँ.” मैंने उसके सीने पर प्यार से अपने हाथ से वार करते हुए कहा.


“हाय! तू तो मेरा दिल चुरा लेगी चेतना.”, निशांत ने नाटक करते हुए कहा और मेरे पीछे पीछे अन्दर आ गया. मुझे पता नहीं था कि वो मेरे पीछे मेरे पल्लू को पकडे अन्दर चला आ रहा है. मैं फ्रिज की ओर बढ़ने लगी तो मेरा पल्लू उसके हाथ में होने की वजह से खिंचाने लगा.


मैंने पलट कर देखा तो वो हँस रहा था. “सॉरी यार.. मेरा बरसो से सपना था कि किसी लड़की की साड़ी का पल्लू खींचू.”


“तेरे नाटक बंद हो गए हो तो मैं बियर लेकर आऊँ?”, मैं मुस्कुराकर बोली. मैं तो हमेशा से जानती थी कि निशांत हंसमुख था, थोडा नटखट था पर दिल का बहुत अच्छा भी था. उसकी शरारतो में कभी किसी के लिए कोई बुरे विचार नहीं होते थे. मैं जब बियर निकाल रही थी तब तक उसने टीवी चालू कर दिया और मुझे आवाज़ देकर बोला, “चेतना.. तू सीरियसली चाहती है कि हम पुराने दोस्तों की तरह रहे?”


“हाँ. क्यों?”, मैंने किचन से ही कहा.


“तो ठीक है. तुझे एक बात बताना था. पता है इस कमरे में एक बहुत हॉट लड़की है. यार कसम से उसकी ऐस बड़ी सेक्सी है! और ब्लाउज में दिखती उसकी पीठ … बाय गॉड.. कमाल की है!”

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Train journey love story

📝 Story Preview:


ट्रेन के ए.सी. कम्पार्टमेंट में मेरे सामने की सीट पर बैठी लड़की ने मुझसे पूछा " हैलो, क्या आपके पास इस मोबाइल की सिम निकालने की पिन है??" 

उसने अपने बैग से एक फोन निकाला, वह नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है, जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और अपने क्रॉस बैग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी।


थोड़ी देर बाद वो फिर से इधर उधर ताकने लगी, मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने पूछ लिया "कोई परेशानी??"


वो बोली सिम स्टार्ट नहीं हो रही है, मैंने मोबाइल मांगा, उसने दिया। मैंने उसे कहा कि सिम अभी एक्टिवेट नहीं हुई है, थोड़ी देर में हो जाएगी। एक्टिव होने के बाद आईडी वेरिफिकेशन होगा, उसके बाद आप इसे इस्तेमाल कर सकेंगी।


लड़की ने पूछा, आईडी वेरिफिकेशन क्यों??


मैंने कहा " आजकल सिम वेरिफिकेशन के बाद एक्टिव होती है, जिस नाम से ये सिम उठाई गई है, उसका ब्यौरा पूछा जाएगा बता देना"

लड़की बुदबुदाई "ओह्ह "

मैंने दिलासा देते हुए कहा "इसमें कोई परेशानी की कोई बात नहीं"


वो अपने एक हाथ से दूसरा हाथ दबाती रही, मानो किसी परेशानी में हो। मैंने फिर विन्रमता से कहा "आपको कहीं कॉल करना हो तो मेरा मोबाइल इस्तेमाल कर लीजिए"




लड़की ने कहा "जी फिलहाल नहीं, थैंक्स, लेकिन ये सिम किस नाम से खरीदी गई है मुझे नहीं पता"

मैंने कहा "एक बार एक्टिव होने दीजिए, जिसने आपको सिम दी है उसी के नाम की होगी"

उसने कहा "ओके, कोशिश करते हैं" 

मैंने पूछा "आपका स्टेशन कहाँ है??"


लड़की ने कहा "दिल्ली"

और आप?? लड़की ने मुझसे पूछा


मैंने कहा "दिल्ली ही जा रहा हूँ, एक दिन का काम है,

आप दिल्ली में रहती हैं या...?"


लड़की बोली "नहीं नहीं, दिल्ली में कोई काम नहीं , ना ही मेरा घर है वहाँ"

तो ???? मैंने उत्सुकता वश पूछा


वो बोली "दरअसल ये दूसरी ट्रेन है, जिसमें आज मैं हूँ, और दिल्ली से तीसरी गाड़ी पकड़नी है, फिर हमेशा के लिए आज़ाद" 

आज़ाद?? 

लेकिन किस तरह की कैद से?? 

मुझे फिर जिज्ञासा हुई किस कैद में थी ये कमसिन अल्हड़ सी लड़की..


लड़की बोली, उसी कैद में थी, जिसमें हर लड़की होती है। जहाँ घरवाले कहे शादी कर लो, जब जैसा कहे, वैसा करो। मैं घर से भाग चुकी हूं..


मुझे ताज्जुब हुआ, मगर अपने ताज्जुब को छुपाते हुए मैंने हंसते हुए पूछा "अकेली भाग रही हैं आप? आपके साथ कोई नजर नहीं आ रहा? "


वो बोली "अकेली नहीं, साथ में है कोई"

कौन? मेरे प्रश्न खत्म नहीं हो रहे थे


दिल्ली से एक और ट्रेन पकड़ूँगी, फिर अगले स्टेशन पर वो जनाब मिलेंगे, और उसके बाद हम किसी को नहीं मिलेंगे..

ओह्ह, तो ये प्यार का मामला है। 

उसने कहा "जी"


मैंने उसे बताया कि 'मैंने भी लव मैरिज की है।'

ये बात सुनकर वो खुश हुई, बोली "वाओ, कैसे कब?" लव मैरिज की बात सुनकर वो मुझसे बात करने में रुचि लेने लगी


मैंने कहा "कब कैसे कहाँ? वो मैं बाद में बताऊंगा, पहले आप बताओ आपके घर में कौन कौन है?


उसने होशियारी बरतते हुए कहा " वो मैं आपको क्यों बताऊं? मेरे घर में कोई भी हो सकता है, मेरे पापा माँ भाई बहन, या हो सकता है भाई ना हो सिर्फ बहनें हो, या ये भी हो सकता है कि बहने ना हो और 2-4 गुस्सा करने वाले बड़े भाई हो"


मतलब मैं आपका नाम भी नहीं पूछ सकता "मैंने काउंटर मारा"

वो बोली, 'कुछ भी नाम हो सकता है मेरा, टीना, मीना, रीना, कुछ भी'


बहुत बातूनी लड़की थी वो.. थोड़ी इधर उधर की बातें करने के बाद उसने मुझे टॉफी दी जैसे छोटे बच्चे देते हैं क्लास में, 

बोली आज मेरा बर्थडे है।


मैंने उसकी हथेली से टॉफी उठाते बधाई दी और पूछा "कितने साल की हुई हो?"

वो बोली "18"


"मतलब भागकर शादी करने की कानूनी उम्र हो गई आपकी" 

वो "हंसी"


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