Disclaimer

यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक है। किसी से समानता संयोग होगी। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ ((जैसे स्तन वर्धक या हार्मोन परिवर्तन)न लें - यह जानलेवा हो सकता है।— अनीता (ब्लॉग एडमिन)

New couple Birthday celebration with little different way

📝 Story Preview:

A new marride couple goes to start their new life , so husband does not want to hide anything from his wife . He decided to tell everything about himself from his wife . 

 He has BDSM fantasy and he like BONDAGE so much .

 One day , he told his all fantasy from his wife and also he told that he had taken many PAID BONDAGE sessions by many Mistresses and wife was educated so she understood all of that easily and she promise him that she will never go against his fantasy and also she will fulfill his fantasy . 

After 2 days of this , wife decided to experience this fantasy and she remembered that after a week , husband's birthday is , so she started to make plan about all of this . 


After a week , on husband's birthday , she decorated home and also she got ready to experience about BONDAGE . 


At night 8 PM , husband come from his office and he did not know that today is his birthday , when he entered the room he looked that his wife is waiting him with a cake and he came into the room asked his wife that :- what is today ?

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जेंडर चेंज ऑपरेशन के बाद जीवन की कहानी

📝 Story Preview:

हेल्लो निशांत?”


“यस, दिस इस निशांत हियर. हु इस स्पीकिंग?”


“अरे निशांत!! मैं चेतना बोल रही हूँ यार!”


“चेतना? कौन चेतना?”


“ओह सॉरी! तू तो मुझे इस नाम से जानता नहीं. यार मैं तेरी रूममेट चेतन.”


“चेतन! अबे साले! तुझे २ साल बाद मेरी याद आई है. कहाँ था तू इतने समय से? और मैंने सुना है कि तूने अपना जेंडर चेंज कर लिया है”


किसी अच्छे दोस्त की तरह निशांत की आवाज़ में भी एक उत्साह था अपने दोस्त से सालों बाद बात करने वाला. उसके उत्साह को सुनकर मेरा भी डर कुछ कम हो गया था अपने पुराने दोस्त से बात करने का. आखिर मैं बदल जो गयी थी.


“हाँ तूने सही सुना है यार निशांत. मैंने जेंडर बदल लिया है. इसलिए तुझे मुझसे कहना है तो साले नहीं साली बोल.”, मैं हँस दी.


“ओह सॉरी. ठीक है मैं तुझे साली बोलूँगा. यार जेंडर के साथ तो तेरी आवाज़ भी बदल गयी है.”, निशांत बोला.


मेरे बारे में इतनी बड़ी बात जानने के बाद भी निशांत मुझसे इतनी नार्मल तरह से बात कर रहा था. यह सुनकर मैं खुश भी थी और थोड़ी भावुक भी. मेरा तो ख़ुशी से गला भर आ रहा था. पर अपनी भावनाओ को संभालते हुए मैं उससे आगे बात करने लगी.


“यार आवाज़ तो बदलनी पड़ेगी न. अब हॉट लड़की जो बन गयी हूँ! तो आवाज़ भी वैसी होनी चाहिए”, मैं उसे तंग करने लगी.


“बात तो तेरी सही है. वैसे यार तू US में रहती कहाँ है? मैं एक हफ्ते पहले ही US आया हूँ. मेरी कंपनी ने आखिर मुझे यहाँ भेज ही दिया.”


“जिस शहर में तू है… वहीँ मैं भी रहती हूँ. तू बता कल सैटरडे मोर्निंग को फ्री है क्या? अपनी मुंबई इंडियन टीम का मैच है. साथ देखेंगे बियर के साथ”, मैं बोली.





“क्या बात कर रही है? तू यहीं है! फिर तो मैं ज़रूर आऊँगा. साथ मैच देखने में मज़ा आएगा पुराने दिनों की तरह. वैसे सिर्फ बियर से काम नहीं चलेगा हाँ. US आया हूँ तो व्हिस्की भी पीकर जाऊँगा महँगी वाली.”


“ठीक है. बिलकुल पुराने दिनों की तरह ही मिलेंगे. पक्का”, मैं बोली पर क्या अब मेरे बदलाव के बाद पुराने दिनों की तरह मिलना संभव था?


“चेतन… एक बात बता. सॉरी… चेतना, ये तो बता की तुझे मेरा फ़ोन नंबर कैसे मिला? ये तो मैंने ४ दिन पहले ही लिया है.”, निशांत ने पूछा.


“अरे वो हमारी बैचमेट रश्मि थी न. उसने बताया”


“रश्मि? वो नकचढ़ी लड़की. उसको कैसे पता?”, निशांत ने पूछा. मैं जानती थी कि वो रश्मि को पसंद क्यों नहीं करता था.


“अरे यार इतनी भी बुरी नहीं है वो. उसको संजय ने तेरे बारे में बताया था. और वो जानती थी कि तू और मैं कॉलेज में रूममेट थे, इसलिए उसने संजय से नंबर लेकर मुझे दे दी.”



“देख तू लड़की बन गयी है तो उसकी तरफदारी मत कर ज्यादा. तुझे पता है न कि कॉलेज में कैसे भाव खाती थी वो. और ये साला संजय भी न.. उसको क्या पड़ी थी जो रश्मि को मेरे बारे में बता दिया.”


“अरे अच्छा हुआ न बताया. वरना मैं तुझसे बात कैसे कर पाती? अच्छा सुन… अभी मेरी मीटिंग है. मैं तुझे अपना एड्रेस भेज दूँगी sms से. तू कल सुबह ९ बजे तक आ जाना पक्का. बाय!”


“बाय.. चेतना! वैसे सुन…. मुझे तेरा नाम अच्छा लगा. मैं कल तुझसे मिलने के लिए बेसब्र हूँ. सी यू सून!”, निशांत ने हंसकर कहा.


फ़ोन रखते ही न जाने क्यों मैं शरमाई सी मुस्कुराने लगी. निशांत तो बस मेरा अच्छा दोस्त था. उससे बात करके कितना अच्छा लगा मुझे मैं बता नहीं सकती. जितने भी मुझे पहले से जानने वाले लोग है, वो मुझसे इतनी सहजता के साथ आज बात नहीं कर पाते. सभी के लिए मुझे मेरे नए रूप में देखना मुश्किल था… और निशांत… पता नहीं कल जब वो आएगा तो कैसे रियेक्ट करेगा. उसने तो मुझे कभी लड़की के रूप में देखा तक नहीं था.


उस रात मैं करवटें बदलते सोचती रही मुस्कुराती रही कि निशांत से मिलकर ऐसा होगा, वैसा होगा, हम पुराने दिनों की तरह मौज मस्ती करेंगे बिलकुल जिगरी दोस्तों की तरह. आखिर मेरा जिगरी दोस्त तो था वो. फिर भी २ साल पहले जब मैंने अपना जेंडर चेंज करना शुरू किया था तो मैंने उसे कुछ नहीं बताया था. डर लगता था कि दोस्ती न टूट जाए. यदि वो मुझे समझ न सका तो. पर फिर भी हमेशा से उससे मिलकर सब साफ़ करने की इच्छा थी जो अब पूरी होने वाली थी. आज रात मेरी आँखों में नींद न थी बस सपने थे एक दोस्त के साथ खुशनुमा समय बिताने के.


अगली सुबह मैं जल्दी उठकर खाना बनाने में लग गयी ताकि जब निशांत आये तो दोपहर का खाना तैयार रहे. वैसे भी इंडिया से आये हुए लोगो के लिए भारतीय घर के खाने की कीमत ही कुछ और होती है. खाना बनाने के बाद मैं सोचने लगी कि आखिर कौनसे कपडे पहनू. मेरे डेली वियर के कपडे तो ड्रेस और स्कर्ट वगेरह टाइप के वेस्टर्न कपडे ही है. मैं निशांत के सामने ज्यादा सेक्सी कुछ नहीं पहनना चाहती थी. एक तो मुझे लड़की की रूप में पहली बार देखने वाला था वो, ऊपर से ज्यादा सेक्सी कुछ पहन ली तो उसको शॉक ही लग जायेगा. और फिर मैं उसको जानती भी तो थी… यदि मैंने कोई ड्रेस पहन ली तो ड्रेस में मेरा क्लीवेज देखकर ही पागल हो जाएगा वो! उसकी दोस्त होने के नाते जानती थी मैं कि वो बूब्स के दीवाना है. इसलिए सलवार सूट भी नहीं पहन सकती थी क्योंकि मेरे सभी सूट में फिगर कुछ ज्यादा ही निखरता था.


इसलिए मैंने तय किया कि मैं कोई साड़ी पहनूंगी. वो भी ऐसी जो सेक्सी कम और शालीन ज्यादा लगे. जैसे सिल्क साड़ी… वैसे भी कितना समय हो गया है मुझे साड़ी पहने. औरत बनने के पहले तो साड़ी मेरी पहली चॉइस होती थी. लेकिन US में काम करना हो तो साड़ी पहनकर ऑफिस नहीं जा सकती थी. और फिर घर से बाहर साड़ी पहनो तो लोगो को लगता है कि कोई भारतीय त्यौहार आने वाला होगा और विदेशी औरतें रोककर पूछने लगती है साड़ी के बारे में. तो चलो आज साड़ी ही पहनी जाए और फिर मैं अपने कलेक्शन में साड़ी ढूँढने लगी. आखिर में मैंने एक सॉफ्ट सिल्क साड़ी पसंद की जिसके साथ मैचिंग सिल्क ब्लाउज भी था. अब इससे ज्यादा शालीन औरत कैसे बना जा सकता था ट्रेडिशनल सिल्क साड़ी के अलावा? पर मन ही मन मैं ये भी जानती थी कि साड़ी में सेक्सी न लग पाना लगभग असंभव था. पर इससे ज्यादा और क्या कोशिश करती मैं. साड़ी पहनकर मैं लगभग तैयार थी और बस हाथो में चूड़ियां ही पहन रही थी कि तभी दरवाज़े की घंटी बजी. निशांत ही होगा, मैंने सोचा और आईने में देखकर अपने आँचल को ठीक करके एक आखिरी बार देखा कि कहीं मेरा ब्लाउज खुला तो नहीं दिख रहा. समय भी कितनी तेज़ी से बदल गया था … इसके पहले कभी निशांत के सामने जाने के लिए मुझे यूँ सोचना न पड़ता था. फिर भी मैं इस वक़्त बेहद खुश थी निशांत से मिलने के लिए और मैं दौड़ी दौड़ी दरवाज़े तक चली आई.

और दरवाज़ा खोलते ही अपने दोस्त निशांत को देखते ही ख़ुशी के मारे मैं उसके सीने से लग उससे लिपट गयी. मारे ख़ुशी के मैं उसे छोड़ना ही नहीं चाह रही थी और उसने मुझे दूर भी नहीं किया. और फिर जब मैंने उसे जी भर कर गले लगा लिया तो मैं ही खुद अलग होकर उसकी बांहों को पकड़ कर बोली, “तो निशांत जी… हमारी मुलाक़ात हो ही गयी.”



निशांत के लिए मैंने आज एक सिल्क साड़ी पहनी थी.

पर निशांत के चेहरे से तो जैसे होश उड़े हुए थे… जैसे उसने कोई भुत देख लिया हूँ. उसे ऐसा देखकर मेरे चेहरे से भी ख़ुशी चली गयी. निशांत भी आखिर दुसरे लोगो की तरह निकला.


“कम ऑन निशांत! तू भी अब ऐसे ऑकवर्ड बिहेव करेगा… मैंने तुझसे ऐसी उम्मीद नहीं की थी. सोची थी कि तू मेरा अच्छा दोस्त है… कम से कम तू तो मुझे ऐसे नहीं देखेगा कि मैं ऐसे कैसे बदल गयी हूँ.”, मैं दुखी होकर पलटने लगी.


पर तभी उसने मेरी बांह पकड़कर मुझे रोका और बोला, “क्या यार… पागल हो गयी है क्या तू?”


“छोड़ दे मेरा हाथ. पागल ही तो हूँ जिसने लड़का होते हुए भी लड़की बनना तय किया.”, मैंने झुंझलाकर कहा.


“पगली. तुझे पता है न कि मैं २४ साल का सॉफ्टवेर इंजिनियर हूँ! आज तक किसी लड़की से गले लगना तो दूर मैंने किसी लड़की से हाथ भी मुश्किल से मिलाया है. और तू दरवाज़ा खोलते ही मुझसे ऐसे लिपट पड़ी. अब हक्का बक्का तो रह जाऊँगा न ऐसा कुछ हो तो!”, और वो हँसने लगा. और मैं भी हंसकर उसकी ओर फिर पलट गयी.


“वैसे सच कहूं तो जैसे सोचा था उससे कहीं ज्यादा अच्छा लगा एक लड़की को गले लगाकर. उसके लिए थैंक यू!”, निशांत बोला.


“अच्छा अच्छा अब बातें मत बना. अन्दर आजा. और प्रॉमिस कर मुझसे वैसे ही बर्ताव करेगा जैसे पहले मेरे दोस्त होते हुए करता था. वैसे मैच शुरू होने वाला है.. तू टीवी ऑन कर मैं बियर लेकर आती हूँ.” मैंने उसके सीने पर प्यार से अपने हाथ से वार करते हुए कहा.


“हाय! तू तो मेरा दिल चुरा लेगी चेतना.”, निशांत ने नाटक करते हुए कहा और मेरे पीछे पीछे अन्दर आ गया. मुझे पता नहीं था कि वो मेरे पीछे मेरे पल्लू को पकडे अन्दर चला आ रहा है. मैं फ्रिज की ओर बढ़ने लगी तो मेरा पल्लू उसके हाथ में होने की वजह से खिंचाने लगा.


मैंने पलट कर देखा तो वो हँस रहा था. “सॉरी यार.. मेरा बरसो से सपना था कि किसी लड़की की साड़ी का पल्लू खींचू.”


“तेरे नाटक बंद हो गए हो तो मैं बियर लेकर आऊँ?”, मैं मुस्कुराकर बोली. मैं तो हमेशा से जानती थी कि निशांत हंसमुख था, थोडा नटखट था पर दिल का बहुत अच्छा भी था. उसकी शरारतो में कभी किसी के लिए कोई बुरे विचार नहीं होते थे. मैं जब बियर निकाल रही थी तब तक उसने टीवी चालू कर दिया और मुझे आवाज़ देकर बोला, “चेतना.. तू सीरियसली चाहती है कि हम पुराने दोस्तों की तरह रहे?”


“हाँ. क्यों?”, मैंने किचन से ही कहा.


“तो ठीक है. तुझे एक बात बताना था. पता है इस कमरे में एक बहुत हॉट लड़की है. यार कसम से उसकी ऐस बड़ी सेक्सी है! और ब्लाउज में दिखती उसकी पीठ … बाय गॉड.. कमाल की है!”

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Train journey love story

📝 Story Preview:


ट्रेन के ए.सी. कम्पार्टमेंट में मेरे सामने की सीट पर बैठी लड़की ने मुझसे पूछा " हैलो, क्या आपके पास इस मोबाइल की सिम निकालने की पिन है??" 

उसने अपने बैग से एक फोन निकाला, वह नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है, जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और अपने क्रॉस बैग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी।


थोड़ी देर बाद वो फिर से इधर उधर ताकने लगी, मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने पूछ लिया "कोई परेशानी??"


वो बोली सिम स्टार्ट नहीं हो रही है, मैंने मोबाइल मांगा, उसने दिया। मैंने उसे कहा कि सिम अभी एक्टिवेट नहीं हुई है, थोड़ी देर में हो जाएगी। एक्टिव होने के बाद आईडी वेरिफिकेशन होगा, उसके बाद आप इसे इस्तेमाल कर सकेंगी।


लड़की ने पूछा, आईडी वेरिफिकेशन क्यों??


मैंने कहा " आजकल सिम वेरिफिकेशन के बाद एक्टिव होती है, जिस नाम से ये सिम उठाई गई है, उसका ब्यौरा पूछा जाएगा बता देना"

लड़की बुदबुदाई "ओह्ह "

मैंने दिलासा देते हुए कहा "इसमें कोई परेशानी की कोई बात नहीं"


वो अपने एक हाथ से दूसरा हाथ दबाती रही, मानो किसी परेशानी में हो। मैंने फिर विन्रमता से कहा "आपको कहीं कॉल करना हो तो मेरा मोबाइल इस्तेमाल कर लीजिए"




लड़की ने कहा "जी फिलहाल नहीं, थैंक्स, लेकिन ये सिम किस नाम से खरीदी गई है मुझे नहीं पता"

मैंने कहा "एक बार एक्टिव होने दीजिए, जिसने आपको सिम दी है उसी के नाम की होगी"

उसने कहा "ओके, कोशिश करते हैं" 

मैंने पूछा "आपका स्टेशन कहाँ है??"


लड़की ने कहा "दिल्ली"

और आप?? लड़की ने मुझसे पूछा


मैंने कहा "दिल्ली ही जा रहा हूँ, एक दिन का काम है,

आप दिल्ली में रहती हैं या...?"


लड़की बोली "नहीं नहीं, दिल्ली में कोई काम नहीं , ना ही मेरा घर है वहाँ"

तो ???? मैंने उत्सुकता वश पूछा


वो बोली "दरअसल ये दूसरी ट्रेन है, जिसमें आज मैं हूँ, और दिल्ली से तीसरी गाड़ी पकड़नी है, फिर हमेशा के लिए आज़ाद" 

आज़ाद?? 

लेकिन किस तरह की कैद से?? 

मुझे फिर जिज्ञासा हुई किस कैद में थी ये कमसिन अल्हड़ सी लड़की..


लड़की बोली, उसी कैद में थी, जिसमें हर लड़की होती है। जहाँ घरवाले कहे शादी कर लो, जब जैसा कहे, वैसा करो। मैं घर से भाग चुकी हूं..


मुझे ताज्जुब हुआ, मगर अपने ताज्जुब को छुपाते हुए मैंने हंसते हुए पूछा "अकेली भाग रही हैं आप? आपके साथ कोई नजर नहीं आ रहा? "


वो बोली "अकेली नहीं, साथ में है कोई"

कौन? मेरे प्रश्न खत्म नहीं हो रहे थे


दिल्ली से एक और ट्रेन पकड़ूँगी, फिर अगले स्टेशन पर वो जनाब मिलेंगे, और उसके बाद हम किसी को नहीं मिलेंगे..

ओह्ह, तो ये प्यार का मामला है। 

उसने कहा "जी"


मैंने उसे बताया कि 'मैंने भी लव मैरिज की है।'

ये बात सुनकर वो खुश हुई, बोली "वाओ, कैसे कब?" लव मैरिज की बात सुनकर वो मुझसे बात करने में रुचि लेने लगी


मैंने कहा "कब कैसे कहाँ? वो मैं बाद में बताऊंगा, पहले आप बताओ आपके घर में कौन कौन है?


उसने होशियारी बरतते हुए कहा " वो मैं आपको क्यों बताऊं? मेरे घर में कोई भी हो सकता है, मेरे पापा माँ भाई बहन, या हो सकता है भाई ना हो सिर्फ बहनें हो, या ये भी हो सकता है कि बहने ना हो और 2-4 गुस्सा करने वाले बड़े भाई हो"


मतलब मैं आपका नाम भी नहीं पूछ सकता "मैंने काउंटर मारा"

वो बोली, 'कुछ भी नाम हो सकता है मेरा, टीना, मीना, रीना, कुछ भी'


बहुत बातूनी लड़की थी वो.. थोड़ी इधर उधर की बातें करने के बाद उसने मुझे टॉफी दी जैसे छोटे बच्चे देते हैं क्लास में, 

बोली आज मेरा बर्थडे है।


मैंने उसकी हथेली से टॉफी उठाते बधाई दी और पूछा "कितने साल की हुई हो?"

वो बोली "18"


"मतलब भागकर शादी करने की कानूनी उम्र हो गई आपकी" 

वो "हंसी"


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साड़ी में आनंद: एक क्रॉसड्रेसर का दिन भाभी के साथ मनोरंजन

📝 Story Preview:



मेरा नाम समीर है, मेरी उम्र 24 साल है, में कॉलेज में BSC 3rd ईयर में पढ़ता हूँ,मेरे परिवार में माता पिता है और एक बड़ा भाई है जिसकी उम्र 31 साल है उसकी शादी हो चुकी है और उसे एक बेटा है, भाभी का नाम पूजा है वो 26 साल की है बहोत ही खूबसूरत और प्यारी सी, ये कहानी शरू होती है जब महिला दिवस यानी 8 मार्च का दिन महिला दिवस था, भैय्या मार्केटिंग की जॉब करते है जिसके लिए उन्हें हफ्ते में 2 से 3 दिन दूसरे शहर में जाना होता है,माताजी और पिताजी 2 दिनों के लिए शादी में गए हुए थे भैय्या भी घर पर नही थे केवल मैं ,पूजा भाभी  और उनका 3 साल का बेटा रोहन ही थे, सुबह जब मैं नाश्ता करने रूम में गया तो देखा भाभी ने नाश्ता बना कर टेबल पर रखा हुआ था,वो नहा कर तैयार हो चुकी थी, मैं ने भाभी को गुड़ मॉर्निंग बोला और अचंभे से पूछा, भाभी क्या बात है आज तो आप दुल्हन की तरह सझ धज के तैय्यार हुई हो कहीँ जा रही हो या आज आपका Wedding Anniversary है ? भाभी मुस्कुराई और बोली ना तो आज मेरी Wedding Anniversery है ना मैं कहीं जा रही हूँ लेकिन आज एक खास दिन है ? मैंने पूछा ऐसा क्या स्पेशल दिन है के आप दुल्हन की तरह तैय्यार हुई हो?  भाभी बोली के आज Womens Day (महिला दिवस) है, मैं ज़ोर से हँसा और बोला भाभी तो इसमें क्या दुल्हन बनने का कोई कॉम्पिटिशन है क्या ? मेरे हंसने पर भाभी की मुस्कुराहट गायब हो गयी, बोली इसमें हंसने की क्या बात थी ? महिला दिवस पर महिलाएँ सजती संवरती है , कई प्रोग्राम और कॉम्पिटिशन होते है ड्रामे प्ले होते है लेकिन आज भी तुम्हारे भैय्या घर पर नही, और तुम मेरा मज़ाक़ बना रहे हो ? मैं शर्मिंदा हो गया और बोला सॉरी भाभी, मैं आपका दिल नही दुखाना चाहता था मुझे इसकी जानकारी नही थी इसलिए गलती हो गयी, भाभी का गुस्सा कम हुआ वो बोली अगर किसी बात की जानकारी नही तो ऐसे मज़ाक़ नही बनाना चाहिए,पहले जानकारी लेनी चाहिए,मैं ने बात खत्म करने कहा ठीक है भाभी, भाभी ने पूछा क्या ठीक है,मैं बोला जो आपने कहा, और हाँ महिला दिवस की शुभकामनाएं, भाभी ने कहा सिर्फ शुभकामनाएं देने से कुछ नही होगा तुम्हे  मेरी बात माननी पड़ेगी, मैं ने पूछा कौनसी बात मैं तैयार हूँ, भाभी बोली आज महिला दिवस है और में उसे एन्जॉय करना चाहती हूँ, मैं बोला ठीक है भाभी , अचानक भाभी की आँखों मे चमक आई और वो बोली तुम्हे एक महिला बनना पड़ेगा मैं तुम्हे एक औरत की तरह तैय्यार करूँगी और एक महिला की तरह तुम्हें दिन भर रहना होगा, मैं चौंक गया और बोला , भाभी ये कैसे हो सकता है ? मैं एक पुरुष हूँ मैं महिला नही बनना चाहता प्लीज किसी दूसरी तरह एन्जॉय करते है हम बाहर कहीं जाते है या कोई मूवी देखने जाते है, पर भाभी अब ठान चुकी थी के मुझे औरत बनाना है वो बोली तुमने मेरा दिल दुखाया और सारी महिलाओं का अपमान किया है इसके बदले तुम्हे मेरी बात माननी पड़ेगी,मैं मना करने लगा पर भाभी नही मानी, कभी प्यार से तो कभी गुस्सा से, आखिर में मैं तैय्यार हो गया और बोला सिर्फ एक 2 घंटे के लिए ही करना और घर पर कोई भी आ सकता है भाभी बोली तुम चिंता मत करो मैं किसी को नही बताऊँगी और कोई आ भी गया तो तुम्हे छुपा दूंगी,मैं शर्माते हुए बोला पर भाभी मेरे पास तो महिलाओं के कपड़े नही है, भाभी मुस्कुरा के बोली तुम चिंता ना करो मैं आज तुम्हे भी अपनी तरह सजाऊँगी अपना दुल्हन का ड्रेस पहना कर मेकअप करूँगी, मैं घबरा कर बोला भाभी प्लीज ऐसा मत करो मैं आपका दुल्हन वाला ड्रेस नही पहनना चाहता, आप कोई शलवार सूट पहना कर बात खत्म करो, भाभी बोली आज महिला दिवस है तुम्हे मैं आज पूरी महिला बनाऊंगी, एक दुल्हन बना कर महिलाओं की फीलिंग का तुम्हे एहसास करूँगी, ये कह कर भाभी बोली तुम नहाने चले जाओ मैं अंडर गारमेंट्स लाती हूँ, मैं बाथरूम नहाने चला गया,भाभी वहां आकर बोली अच्छे से शेविंग करो और एक रेड नई पैंटी मुझे देकर बोली नहाने के बाद इसे पहन कर टॉवल लपेट कर मेरे रूम में आजाओ मैं तब तक कपड़े ज्वेलरी और मेकअप का सामान तैय्यार करती हूँ, मैंने अच्छे से शेविंग कर के नहाया फिर जब पैंटी हाथ मे ली तो एक अजीब एहसास हुआ, इतनी छोटी और लाल रंग की पैंटी पहनते हुए मुझे शर्म आने लगी,पैंटी पहन कर टॉवल से अपने बदन को छुपाए मैं भाभी के रूम में गया,जहाँ भाभी सारा सामान तैय्यार कर के बेचैनी से मेरा रास्ता देख रही थी मुझे यूं शर्माते देख वो हँस पड़ी, मैं बोला प्लीज भाभी मुझे जाने दो, वो बोला अभी तो शरू भी नही हुआ, 2 घंटे बाद जाने दूँगी चलो जल्दी आओ कह कर मुझे खींचा और मेरा टॉवल निकाल दिया, मैं शर्मा कर नीचे देखने लगा, भाभी हँसते हुए गयी और कपड़ो से एक रेड ब्रा मुझे देकर बोली इसे पहनो, मैं शर्माकर धीमी आवाज़ में बोला भाभी मुझे ब्रा पहनना नही आता आप हेल्प करो, भाभी बोली इस बार तो मैं हेल्प करूँगी लेकिन अगली बार खुद से पहनना, फिर उन्होंने मुझे ब्रा पहनाई, ब्रा के स्ट्रैप को सेट किया फिर ब्रा के कप में कॉटन डालकर फेक बूब्स बनाए और हँसने लगी, फिर एक रेड पेटीकोट पहनाया और कस के उसे बंधा, फिर भाभी ने दुल्हन वाला रेड ब्लाउज पहनना स्टार्ट किया, ब्लाउज थोड़ा टाइट था पर साइज परफेक्ट फिट आया,क्लीवेज उभर कर दिखने लगे, फिर ब्राइडल लहँगा पहनाया जो बहोत भारी था, उस पर काम भी बहोत सारा किया हुआ था, अब मैं खुद को महिला के टाइट और वेटेड कपड़ो में फील कर सकता था, अब भाभी ने एक लांग हेयर विग लाई और मेरे सर पर इसे फिक्स किया,इसके बाद मेकअप की बारी आई, मेरे चेहरे पर पता नही कौन कौनसे क्रीम लगाने लगी, ऑय ब्रो को सेट किया, काजल लगाया और एक डार्क लाल रंग की लिपिस्टिक होंठों पर लगाई, मैं चुप चाप बैठा रहा, भाभी बहोत खुश लग रही थी अब बारी आई ज्वेलरी की, पहले भाभी ने चूड़ियां और कंगन से कलाइयां भर दी, फिर पाऊँ में भारी पायल पहनाई, उसके बाद कानो में लम्बे (Clipon) झुमके पहनाए क्यों के मेरे कानों में छेद नही थे, फिर भाभी ने हैवी नेकलेस गले मे पहना दिया और कुछ ज्वेलरी बालों से लेकर कान के झुमकों तक पहनाई, फिर दुपट्टा लेफ्ट शोल्डर पे सेट किया, मैं एक दुल्हन बन चुका था,मुझे यकीन नही हो रहा था के ये दुल्हन मैं हूँ, आखिर में भाभी ने मेरी नाक में एक बड़ी से नथनी पहना दी,जिसके चैन मेरे होंठो को टच होकर कान के झुमकों को टच थी,मेरे होंठो पर टच होती नथनी से जैसे एक करंट लग रहा था, मैं हैरानी से बोला भाभी ये तो आपने कमाल कर दिया, कोई मुझे देख कर कह नही सकता के मैं एक महिला नही पुरुष हूँ, भाभी मुझे निहार रही थी और कुछ सोच रही थी, मैं खुद को बार बार आईने में देख रहा था, मेरे हाथों की चूड़ियां खनखन कर रही थी, मेरे पाऊँ की पायल छनछन कर रही थी, मेरे लंबे बाल पीठ पर लहरा रहे थे, कानों के झुमके गले के नेकलेस अपना एहसास दिला रहे थे, सब कुछ बदला बदला सा लग रहा था, तभी भाभी के बेटे रोहन के रोने की आवाज़ आयी तो भाभी ने उसे झूले से बाहर निकाला और उसे चुप कराने लगी, अब तक वो सो रहा था, नाश्ते के बाद नहाने और तैय्यार होने में करीब 2 घंटे हो गए थे अब भूख लगने लगी थी भाभी रोहन को गोद मे लिए बोली चलो नानंदजी किचन में चलते है,मैं तो शर्म से लाल हो गया एक हाथ से लहँगे को उठाये मैं भाभी के पीछे किचन में जाने लगा, मुझे चलने में दिक़्क़त हो रही थी, पायल के घुंगरू की आवाज़ चूड़ियों की आवाज़ से मुझे अब आनंद आने लगा था, किचन में पहोंच कर भाभी बोली आज दोपहर का खाना हमारी ननंद पकाएगी, रोज़ हमारे हाथ का पकाया खाना खाती हो आज अपने हाथों से पका कर हमें खिलाओ नानंदजी ये कह कर भाभी खिल खिला कर हंसने लगी, मैं धीमी आवाज़ में बोला मुझे खाना पकाना नही आता भाभी, अचानक भाभी गुस्से से बोली, बहु रानी को खाना पकाना नही आता  ?क्या माता पिता ने कुछ सिखाया नही ऐसे ही ससुराल भेज दिया, मैं परेशान होकर बोला भाभी ये क्या कह रही हो ? भाभी बोली महिलाओं को ऐसे ही ताने दिए जाते है, मैं जब घर मे आयी थी सब काम करने के बावजूद तुम्हारी माताजी और मेरी सासूमाँ ऐसे ही बातें सुनाती थी, क्या अब एहसास हो रहा है के एक महिला को क्या क्या सहन करना पड़ता है ? मैं सर झुकाए चुप खड़ा रहा , भाभी बोली मैं जैसे जैसे बताऊँ वैसे कर के खाना बनाओ, मैं चुप चाप वही करने लगा जैसे भाभी कह रही थी, मुझे काम करने में बहोत दिक़्क़त आ रही थी, कभी मेरे लंबे बाल चेहरे पर आते, हाथों की चूड़ियों पाऊँ की पायल की आवाज़ से लग रहा था के कोई महिला काम कर रही है, खाना तैय्यार होने के बाद मैंने टेबल पर खाना लगाया, भाभी खाने खाते हुए बोली ये कैसा घटिया खाना है ? अब तक खाना बनाना नही सीखा ? अब मुझे एहसास हो रहा था के महिलाओं को क्या कुछ सहना पड़ता है मैं चुप था, खाना खाने के बाद भाभी ने मुझसे बर्तन धुलवाए अब 4 बजने को थे, मैं चाहता था के मैं ऐसे ही रहूँ पर डर रहा था के भाभी क्या सोचेगी, मैं भाभी से बोला के मुझे इजाज़त दें, अब मैं अपने पुरुष के रूप में आना चाहता हूँ, भाभी बोली अभी नही आज तो तुम्हें ऐसे ही रहना है मैं एन्जॉय करना चाहती हूँ, चाय बना कर लेकर आओ फिर रात का खाना भी बनाना है, मैंने चाय बना कर लायी, फिर कुछ देर हम गपशप करने लगे, भाभी बोली के तुम बहोत खूबसूरत लग रही हो तुम्हारा नामकरण करना होगा, फिर कुछ सोच कर बोली मेरे बेटे का नाम रोहन है तुम्हारा नाम आज से रोहिणी होगा, मैं शर्मा गया भाभी हँस कर बोली शर्माओ मत कोई दूसरा नाम पसंद हो तो वो रख दूँ ? मैं चुप रहा, भाभी बोली खाना बना लो खाना खाने के बाद मैं तुम्हे एक कम्पलीट महिला बना दूँगी, मैं ने पूछा भाभी आपने तो मुझे एक दुल्हन बना दिया है अब क्या कमी है मुझमे ?
भाभी मुस्कुरा कर बोली थोड़ी देर में पता चल जायेगा,

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भाभी द्वारा साड़ी पहनाई और मेकअप करवाकर घर के काम करवाये

📝 Story Preview:

मेरा नाम अनिल है, मैं महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ, मेरे परिवार में माता पिता है मैं और एक बड़ा भाई है, मैं कॉलेज में पढ़ाई करता हूँ, पता नही कब और कैसे मेरी इच्छा होने लगी के मैं महिलाओं के कपड़े पहन कर मेकअप करू, और मेरी ये इच्छा बढ़ती ही जा रही थी, पर मुझे घर में कभी चांस नही मिलता था, मैं कभी कभी माँ की ब्रा पैंटी छुप कर बाथरूम ले जाकर पहन लेता, साड़ी पहनना मुझे नही आता था इसलिए मैं ने यूट्यूब पर देख कर साड़ी पहनना सीखना शुरू किया, परंतु साड़ी पहनने के लिए उतना समय मुझे ना मिलता,मैं ने अपने बाल बढ़ाने शुरू किए और कानों में छेद करवा कर बॉयज वाली बाली कभी कभी पहनने लगा, इस लुक से मेरे परिवार वाले खुश नही थे, पर किसी तरह मैं ने लंबे बाल करने के निर्णय पर अड़ा रहा, मैं हमेशा क्लीन शेव रहने लगा, लम्बे बाल और क्लीन शेव से चेहरा अजीब लगता इसलिए मैं ने हैट पहनना शुरू किया जिसमें मैं अपने बाल छुपा लेता,


कुछ महीनों बाद भैय्या की शादी हो गयी, और श्वेता भाभी हमारे घर आ गयी,वोबहोत सुंदर थी, और उनका सारे घर वालो के साथ व्यवहार अच्छा था, सब उनसे खुश थे, भाभी के पास बहोत सुंदर सुंदर कपड़े थे, और वो मेकअप करना भी जानती थी और जब वो मेकअप कर के तैय्यार होती तो बहोत ही सुंदर लगती, उन्हें देख कर मेरी इच्छा होती के मैं भी भाभी जैसे सज संवर कर तैय्यार हो जाऊं,मैं उन से ज़्यादा बात नही करता था, और उनसे दूर दूर ही रहने की कोशिश करता क्यों के जब वो करीब रहती तो मेरी नज़र उनकी खूबसूरत साड़ी ब्लाउज,चूड़ियों पर जैसे चिपक जाती, मैं नही चाहता था के कोई इस बात से गलत ना सोचे,
भैय्या की शादी को अब 4 महीने हो गए थे, मेरे कॉलेज की छुट्टियाँ थी तभी गाँव से शादी का न्योता आया, मेरे मामा के लड़की की शादी थी तो सभी को शादी के लिए गाँव बुलाया था, सब जाने की तैय्यारी करने लगे, जाने से एक दिन पहले अचानक मैं बीमार हो गया, सब परेशान हो गए के अब क्या करें, डॉक्टर ने आराम करने को कहा है, अब 4 दिन तक अनिल के खाने का कैसे इनतज़ाम होगा माँ बोली, अगर आप कहें तो मैं घर पर अनिल के साथ रुक जाऊँ ? भाभी ने पूछा, पर भैय्या ने तुम्हें भी लाने को कहा है, अगर तुम नही गयी तो शायद वो नाराज़ हो जाएंगे माँ बोली, मैं चाहता था के भाभी भी चली जाए तो मुझे क्रॉस ड्रेसिंग करने का समय मिलेगा इसलिए मैं ने कहा के भाभी आप चिंता ना करें, मैं किसी तरह रह लूँगा 4 दिन की ही तो बात है आप जाइये शादी अटेंड कीजिये वरना मामाजी को अच्छा नही लगेगा, पर किसी को तो तुम्हारे लिए घर पर रुकना पड़ेगा, मुझे या तुम्हारी भाभी को, मेरा जाना भी ज़रूरी है, ठीक है बहु अगर तुम यहाँ रुकना चाहो तो रुक जाओ चलना चाहो तो चलो तुम्हारी मर्ज़ी, माँ बोली, भाभी ने भैय्या की ओर देखा तो भैय्या बोले, तुम क्या चाहती हो बताओ, भाभी बोली, मैं भी थोड़ी बीमार हूँ इसलिए रुकना चाहती हूँ, अगर आप चाहो तो,भैय्या बोले ठीक है रुक जाओ और मुझसे कहा भाभी का ध्यान रखना, घर में ही रहना बाहर कहीं मत जाना और आराम करना, मैं ने कहा ठीक है,
दूसरे दिन सब गाँव चले गए घर पर अब मैं और भाभी ही थे, मैं भाभी पर गुस्सा था के काश ये भी चली जाती तो मुझे माँ की साड़ी ब्लाउज पहनने और सजने धजने का मौका मिलता , खुद का रूम तो ये लॉक कर के जाती है,यही सोच के मैं थोड़ा अपसेट था, भाभी ने खाना दिया फिर पूछा, अब कैसे लग रहा है ? अब ठीक हूँ मैं बोला, पर इतने अपसेट क्यों हो ? भाभी ने पूछा, कुछ नही, सच बताओ क्या बात है ? क्या मैं तुम्हें अच्छी नही लगती ? ऐसी बात नही है भाभी आप बहोत अच्छी हो और साड़ी में तो बहोत ही सुंदर लगती हो, तो फिर मुझसे दूर क्यों भागते हो मैं ने नोटिस किया है और आज भी मेरा यहाँ घर पर रुकना तुम्हें पसंद नही आया ऐसा मुझे लग रहा है, भाभी जैसे मेरे चेहरे से मेरे मन की बात पढ़ रही थी, ऐसी कोई बात नही है भाभी मैं ऐसे ही रहता हूँ कॉलेज में भी, मेरे ज़्यादा फ्रेंड्स भी नही है, ओ हो, फिर तो मैं ने बेकार ही यहाँ रुकना पसंद किया, मुझे इतने सारे लोगों में रहने का मन नही था , और ट्रेवल करना नही था, इसलिए मैं यहाँ रुकी, मुझे क्या पता था के घर में 4 दिनों तक बोर होना पड़ेगा, वहाँ बहोत सारे लोग बातें कर के परेशान कर देते और यहाँ पर तुम चुप रह कर मुझे बोर करोगे, काश मुझे देवर की जगह नंद होती तो मैं उसके साथ खूब एन्जॉय करती,  खूब मस्ती करती, ये सुन कर मैं चौंक गया, क्या भाभी जानती है के मुझे क्रोसड्रेसिंग करना पसंद है, क्या उन्हों ने मुझे देखा है ? उन्हें कैसे पता चला यही मैं सोचने लगा, क्या सोच रहे हो, अगर तुम लड़की होते तो कैसे लगते यही सोच रहे हो ना भाभी हँस कर बोली, भाभी आप भी ना, मज़ाक़ अच्छे से कर लेती हो, मैं सोचने लगा कैसे भाभी को बताऊँ के वो 4 दिनों के लिए मुझे अपनी नंद बना दें पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी,
मज़ाक़ नही, तुम केवल लेडीज के कपड़े और ज्वेलरी पहन लो और अपने बालों को अच्छी हेयर स्टाइल दे दो तो दिख जाएगा के तुम लड़की होते तो कैसे लगते, भाभी फिर मज़ाक़ से बोली, अगर तुम चाहो तो मैं हेल्प कर सकती हूँ,
सच में भाभी ? अचानक मेरी ज़ुबान से निकला, मेरा मतलब है किसी हेल्प भाभी मैं ने पूछा ?  यही, लड़की जैसे तैय्यार करने में हेल्प कर सकती हूँ, क्या तुम रेडी हो ? भाभी ने पूछा , मैं सोच में पड़ गया कि कहीं मैं हाँ बोल दूँ तो भाभी मेरा मज़ाक़ ना बनाएं, पर भाभी आप क्यों चाहती हो मुझे लड़की के कपड़े पहनाना ? अरे बाबा तुम मुझसे खुल के बात कर सको, और मैं देखना चाहती हूँ के मैं मेकअप करने में कितनी एक्सपर्ट हूँ, क्या मैं मेकअप से लड़के को लड़की का रूप दे सकती हूँ या नही, मैं ने बीयूटी पार्लर की क्लास में सीखा था वो तुम पर प्रयोग करूँगा, इससे हमारा समय अच्छे से बीत जाएगा, भाभी आपका आईडिया तो अच्छा है पर आप कभी मेरा मज़ाक़ तो नही उड़ाओगी अगर मैं तैय्यार हो गया तो ? बिल्कुल नही, मुझे तो नंद के रूप में एक सहेली मिल जाएंगी, वैसे क्या तुम तैय्यार हो ?
क्या आपको अच्छा लगेगा अगर मैं तैय्यार हुआ तो ? हाँ, मुझे खुशी होगी भाभी बोली, तो ठीक है भाभी मैं आपकी खुशी के लिए लड़की बनने तैय्यार हूँ पर पहले वचन दीजिये के किसी को ये बात नही बताओगी, अच्छा बाबा मैं वचन देती हूँ, भाभी बोली, ठीक है तो मैं रेडी हूँ, पर मेरे पास कपड़े नही है और माँ के कपड़े शायद मुझे ना आये, अब हम क्या करें ?
तुम चिंता ना करो, मैं सब कर लूँगी, तुम बाथरूम जाकर अच्छे से नहाओ , मैं तुम्हें अंडर गारमेंट दूँगी, वो पहन कर मेरे रूम में आना मैं सब तैय्यार रखूँगी, ठीक है भाभी मैं ने कहा और नहाने बाथरूम चला गया, कुछ देर बाद भाभी आयी और मुझे एक नई लाल रंग की पैंटी दी और बोली, इसे पहन कर आना,

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