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यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक है। किसी से समानता संयोग होगी। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ ((जैसे स्तन वर्धक या हार्मोन परिवर्तन)न लें - यह जानलेवा हो सकता है।— अनीता (ब्लॉग एडमिन)

सितारे, शरारत और नियति का खेल: जब तक ग्रह न बदलें!

📝 Story Preview:

सितारे, शरारत और नियति का खेल: जब तक ग्रह न बदलें!

अनीता पटेल 


📑 अनुक्रमणिका (Table of Contents):

  1. शादी की शहनाइयाँ और स्वागत की रौनक
    दुल्हन की पहली दस्तक ससुराल में, माहौल खुशियों से भरपूर

  2. ठिठोली की शुरुआत: बहनों का चुटीला प्लान
    दूल्हे की बहनों ने बनाया मज़ाकिया रिवाज़

  3. जब दूल्हा बना दुल्हन: कपड़ों की अदला-बदली
    हँसी-ठिठोली में दूल्हे को पहनाए गए लहंगे

  4. आया वो पंडित: ग्रहों का उलटफेर
    पुश्तैनी पंडित की भविष्यवाणी से पलट गया जीवन

  5. शुरू हुआ रिवर्स जीवन: एक महीने की अदला-बदली
    अब दूल्हा रहेगा दुल्हन बनकर, और दुल्हन निभाएगी दूल्हे की भूमिका

  6. दुल्हन की ससुराल में ‘नया दूल्हा’
    परिवार की नई दिनचर्या और अजीब सी परिस्थिति

  7. दूल्हे की ‘मुँह दिखाई’: साड़ी में संकोच
    जब सभी मेहमानों ने देखी नई नवेली ‘दुल्हन’

  8. दुल्हन की ‘घोड़ी चढ़ाई’
    अब सवारी का नंबर दुल्हन का है – दूल्हा बना दुल्हन सजता है

  9. ससुराल में नई रस्में और नए रिश्ते
    बदलते रिश्तों में समझ और नज़दीकियाँ

  10. सुहागरात उलटी: भावनाओं का तूफान
    जब दूल्हा दुल्हन की जगह बैठा और दुल्हन दूल्हा बनकर सामने आई

  11. एक महीना: प्यार, उलझन और अपनापन
    जब दोनों ने सीखा एक-दूसरे के जीवन को जीना

  12. ग्रह शांति और असली रूप में वापसी
    जब पंडित ने बताया अब रिवर्स रोल खत्म

  13. समाप्ति या नई शुरुआत?
    क्या अब रिश्ता और गहरा होगा या कुछ छूट जाएगा?





शादी की शहनाइयाँ और स्वागत की रौनक

 दुल्हन की पहली दस्तक ससुराल में, माहौल खुशियों से भरपूर

राठौड़ हवेली की भव्यता अपने शिखर पर थी। दीवारों पर लगे झूमर मद्धम रोशनी बिखेर रहे थे, और फर्श पर बिछी फूलों की लड़ियां एक अलग ही सुगंध फैला रही थीं। लेकिन हवेली के अंदर एक अलग ही खेल चल रहा था—एक खेल जिसमें प्यार था, शरारत थी और… राजीव राठौड़ के लिए एक बड़ा सरप्राइज भी था!

शादी के बाद तनुश्री ने एक खास रस्म के बहाने राजीव को अपने कमरे में बुलाया। उसने खुद को एक भव्य राजपूती दुल्हन की तरह सजाया था—गहरा लाल और सुनहरा घाघरा, भारी जरी की किनारी, माथे पर झूमर टिका, हाथों में लाल चूड़ियां, और पैरों में पायल की खनक। उसकी बड़ी-बड़ी काजल लगी आँखों में एक अलग ही चमक थी, और होंठों पर हल्की शरारती मुस्कान खेल रही थी।



"राजीव, आज एक रस्म है जिसमें पति-पत्नी एक-दूसरे के कपड़े पहनते हैं… और आज तुम्हारी बारी है!" तनुश्री ने धीरे से कहा, आँखों में हल्की चमक लिए।

राजीव, जो पहले ही भारी अंगरखा से परेशान था, चौंक कर बोला, "क्या?! यह मज़ाक कर रही हो ना?"

"बिल्कुल नहीं! शादी में बराबरी होनी चाहिए ना? मैंने ये भारी लहंगा, गहने, और ये मेकअप पूरे दिन पहना… अब तुम्हारी बारी!" तनुश्री ने मुस्कुरा कर कहा, लेकिन उसकी आँखों में एक रहस्यमयी चमक थी।

राजीव ने पहले इनकार किया, लेकिन जब तनुश्री ने अपनी काजल लगी आँखों से उसे प्यार से देखा, तो वह मान गया।

"ठीक है, लेकिन मुझे तुम पर पूरा भरोसा नहीं हो रहा!"

"बस एक बार ट्राय करो, फिर खुद ही कहोगे कि कितना कम्फर्टेबल है!" तनुश्री ने हंसी दबाते हुए कहा।

कुछ ही देर बाद, राजीव अपने आपको लाल और सुनहरे घाघरे, भारी दुपट्टे और ढेर सारे गहनों में जकड़ा हुआ पा रहा था। उसके माथे पर बिंदी, गले में एक खूबसूरत हार, कानों में बड़े झुमके, और हाथों में चूड़ियां चमक रही थीं। तनुश्री ने हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक भी लगा दी, जिससे उसका चेहरा और भी अलग दिखने लगा।





ठिठोली की शुरुआत: बहनों का चुटीला प्लान

 दूल्हे की बहनों ने बनाया मज़ाकिया रिवाज़

राजीव ने आईने में खुद को देखा और आश्चर्य से अपनी ही झुकी हुई पलकों को देखने लगा

"ओह भगवान! ये बिंदी मेरी नाक तक गिर रही है!"

"हां, और देखो, जब तुम चलोगे तो पायल की आवाज़ भी आएगी!" तनुश्री ने हंसते हुए कहा।

"तनु… ये बहुत अजीब लग रहा है!"

"अरे नहीं, तुम बहुत सुंदर लग रहे हो! बिल्कुल मेरी तरह!" तनुश्री ने शरारत से उसकी आँखों में काजल लगाते हुए कहा।

लेकिन जैसे ही दोनों हंस रहे थे, दरवाजे पर अचानक दस्तक हुई।

"राजीव, बेटा! बाहर आओ, घर के बड़े लोग तुम्हें बुला रहे हैं!"

राजीव का चेहरा एकदम सफेद पड़ गया! माथे पर पसीना आ गया, और उसने तुरंत घाघरे को समेटने की कोशिश की।

"तनु!! अब मैं क्या करूं?"

"एक मिनट रुको… मैं दरवाजा खोलती हूँ!"

"नहीं, मत खोलना!"

लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। दरवाजा खुला… और बाहर खड़ी थी राजीव की मां, भाभी और चाचा!

सभी ने जैसे ही राजीव को इस नये अवतार में देखा, हवेली ठहाकों से गूंज उठी!

"अरे वाह! लगता है हमारी बहू ने अपने पति को ही अपनी तरह बना दिया!" भाभी ने हंसते हुए कहा।

चाचा ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे राजीव बेटा, मंगल और शुक्र का अद्भुत मेल है यह!"

राजीव ने तनुश्री को घूरा, जो अब तक हंसी रोकने की असफल कोशिश कर रही थी। लेकिन फिर खुद ही अपनी हालत देखकर हंस पड़ा।

"ठीक है, तनु! आज तुम जीत गईं। लेकिन अगली बार मेरी बारी होगी!"

"ओह, मैं इंतज़ार करूंगी, मेरे महाराज!" तनुश्री ने आंख मारते हुए कहा।

और इस तरह, हवेली में यह अनोखी रात हंसी, प्यार और सितारों की शरारतों से भर गई। उनका बंधन मंगल और शुक्र की तरह—जुनून और मोहब्बत का एक खूबसूरत संगम बन चुका था।

सब लोग बहुत खुश थे हसी मजाक कर माहोल था पूरे घर  में, राजीव थोड़ा असहज महसूस कर रहा था उसने तनुश्री से उसके कपड़े वापस देने को कहा तभी राजीव की शाली यानी तनुश्री की छोटी बहन बोली अरे जीजू अभी तो सिर्फ आपका मेकओवर दीदी ने किया है दीदी का मेकओवर तो बाकी ही है अभी तो हमने जी भर कर आपको देखा भी नहीं है 

जब दूल्हा बना दुल्हन: कपड़ों की अदला-बदली

 हँसी-ठिठोली में दूल्हे को पहनाए गए लहंगे


राठौड़ हवेली में ठहाकों की गूंज अब तक सुनाई दे रही थी। राजीव का चेहरा अभी भी हल्की लाली से भरा था, शायद शर्म से या शायद उस गुलाबी लिपस्टिक से जो तनुश्री ने जबरदस्ती उसके होठों पर लगा दी थी।

लेकिन खेल अभी खत्म नहीं हुआ था। जैसे ही राजीव भारी घाघरे, भारी झुमकों और माथे पर बिंदी के साथ परेशान खड़ा था, हवेली की औरतों ने एक और शरारती योजना बना ली।

"अब तुम्हारी बारी, तनुश्री!"

भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुमने अपने राठौड़ दुल्हे को दुल्हन बना दिया, अब हमारी बारी नई नवेली दुल्हन को राठौड़ योद्धा बनाते हैं!"

"क्या?" तनुश्री का मुंह खुला रह गया।

"हाँ हाँ! जैसे तुमने राजीव को अपनी तरह सजाया, अब तुम्हें राजीव की तरह सजना होगा!" माँसा ने कहा।

राजीव, जो अब तक खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था, अचानक मुस्कुराने लगा, "हाँ, हाँ! अब तुम भी देखो तुम, तनु!" कितना मुश्किल है राजपूती योद्धा होना

राजपूती दुल्हन से राजपूती योद्धा तक

तनुश्री, जो अब तक शरारती थी, अब खुद इस खेल में फंस गई थी। हवेली की औरतें उसे अंदर कमरे में ले गईं और उसकी लाल-गोल्डन घाघरा चोली उतारकर एक शानदार राजपूती पोशाक पहनाई—गहरा नीला और सुनहरा अंगरखा, ऊँचा पगड़ी बंधा साफा, और कमर पर चमकती कटार!

"वाह! बिल्कुल राजपूत योद्धा लग रही है!" छोटी ननद ने तालियाँ बजाते हुए कहा।


फिर छोटी नंद ने एक ग्लू लेकर तनुश्री के होंठो के ऊपर लगाकर उसके चेहरे पर नकली मूछ चिपका दी थी।

"बस अब ये तलवार पकड़ो और राजीव को चुनौती दो!" भाभी ने हंसते हुए कहा।

अब कौन ज्यादा दमदार दिख रहा था?

जब तनुश्री को बाहर लाया गया, पूरे आंगन में हंसी गूंज उठी। एक तरफ राजीव—जो भारी लहंगे, ओढ़नी और गहनों से लदा था, और दूसरी तरफ तनुश्री—जो एक परिपूर्ण राजपूती योद्धा की तरह दिख रही थी!

राजीव ने सिर से पैर तक तनुश्री को देखा और कहा, "हे भगवान! तुम मुझसे ज्यादा अच्छे लग रहे हो इस पोशाक में!"

तनुश्री ने कटार निकालते हुए मजाक में कहा, "अब तो मैं ही राजा लग रही हूँ, महारानी साहिबा!"

शरारत से भरी एक यादगार रात

पूरा परिवार हंसते-हंसते लोटपोट हो गया। यह शादीशुदा जोड़ा, जो पहले ही मंगल और शुक्र के खेल में उलझ चुका था, अब इस अनोखी याद के साथ हमेशा के लिए एक नई कहानी बना चुका था।

राजीव और तनुश्री ने एक-दूसरे को देखा और मुस्कुराए। शादी सिर्फ रस्मों तक सीमित नहीं होती, यह दोस्ती, प्यार और शरारतों से भी भरी होती है

राठौड़ हवेली की गलियों में हंसी की गूंज अभी भी धीमे-धीमे सुनाई दे रही थी। राजीव अभी भी भारी लहंगे और चूड़ियों से जूझ रहा था, और तनुश्री अपनी मूंछों को निहारते हुए हंस रही थी।

"बस बहुत हुआ! अब हम अपने असली कपड़े पहन लें?" राजीव ने शिकायत करते हुए कहा।

"हाँ, हाँ, बहुत हो गया ड्रामा, अब मैं वापस अपनी दुल्हन वाली ड्रेस पहनना चाहती हूँ!" तनुश्री ने भी राहत की सांस लेते हुए कहा।

लेकिन तभी…













आया वो पंडित: ग्रहों का उलटफेर

 पुश्तैनी पंडित की भविष्यवाणी से पलट गया जीवन


दरवाजे पर एक सधे हुए कदमों की आहट हुई। पंडितजी हवेली में प्रवेश कर चुके थे—हाथ में पंचांग, माथे पर लंबा तिलक और आँखों में गहरी ज्योतिषीय गंभीरता।

"अरे वाह! यहाँ तो बहुत बड़ा परिवर्तन हो चुका है!" पंडितजी ने राजीव और तनुश्री को ऊपर से नीचे तक देखा और अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए बोले।

"पंडितजी, ये सब बस मज़ाक था। अब हम अपने कपड़े बदलने जा रहे हैं!" राजीव हड़बड़ाते हुए बोला।

"नहीं! बिल्कुल नहीं! यह कोई मज़ाक नहीं है, यह तो स्वयं ग्रहों की इच्छा है!" पंडितजी ने गंभीर स्वर में कहा।

पंडितजी ने पंचांग को खोला और उसमें कुछ बारीकी से देखने लगे। फिर उन्होंने आंखें बंद करके कुछ गणनाएं कीं और गहरी सांस लेकर बोले,

"तुम दोनों की कुंडली में एक अद्भुत परिवर्तन चल रहा है। राजीव बेटा, तुम्हारे मंगल और शुक्र का स्थान अदला-बदली हो रहा है, और तनुश्री बहू, तुम्हारे सूर्य और चंद्र का संयोग एक विशेष स्थिति में आ गया है।"

"मतलब?" तनुश्री ने आँखें फैलाकर पूछा।

"मतलब यह कि अब तुम्हें अगले सात दिनों तक एक-दूसरे के कपड़ों में ही रहना होगा! अगर तुमने ऐसा नहीं किया, तो ग्रहों का प्रभाव तुम्हारे वैवाहिक जीवन पर भारी पड़ेगा! और मृत्यु योग के भी संयोग बन सकते है " पंडितजी ने भविष्यवाणी की।

"क्या?? सात दिन???" राजीव और तनुश्री एक साथ चिल्ला उठे।

अब यह खेल नहीं, ग्रहों की मर्जी थी!

"पंडितजी, यह तो संभव नहीं है! मैं इस भारी लहंगे में नहीं रह सकता!" राजीव ने घबराते हुए कहा।

"और मैं मूंछों के साथ नहीं घूम सकती!" तनुश्री ने भी ऐतराज जताया।

पंडितजी ने सिर हिलाया, "यही तो परीक्षा है! अगर तुमने यह समय बिना किसी परेशानी के निकाल लिया, तो तुम्हारा रिश्ता और भी मजबूत होगा। अन्यथा..."

"अन्यथा क्या?" तनुश्री ने जल्दी से पूछा।

"अन्यथा अगले सात सालों तक तुम्हारी कुंडली में असंतुलन बना रहेगा! और परिजनों की मृत्यु जैसी खबरे आती रहेंगी""

इसली इस चुनौती को  जिसे न चाहते हुए भी स्वीकार करना पड़ेगा

राजीव और तनुश्री ने एक-दूसरे की तरफ देखा—राजीव अभी भी भारी लहंगे और ओढ़नी में परेशान था, और तनुश्री का राजपूती अंगरखा और चेहरे पर मूछ उसके ऊपर अजीब लग रहे थे ।

"क्या हमें सच में ऐसा करना होगा?" राजीव ने धीमी आवाज़ में पूछा।

"मुझे तो अब यकीन नहीं हो रहा कि मैंने तुम्हें यह सब पहनने पर मजबूर किया था!" तनुश्री ने हंसते हुए कहा।

"अब भुगतो!" राजीव ने मुस्कुरा कर कहा।

अब यह खेल नहीं, परीक्षा थी!

अब पूरे सात दिनों तक तनुश्री को राजपूत योद्धा की तरह और राजीव को एक नई नवेली दुल्हन की तरह रहना था। हवेली के लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो रहे थे, लेकिन पंडितजी की भविष्यवाणी के चलते कोई भी इस नियम को तोड़ने की हिम्मत नहीं कर रहा था।

अब देखना यह था कि क्या यह मज़ाक उनके रिश्ते को और मजबूत करेगा या यह उनके लिए एक नई चुनौती साबित होगा! क्या वे इस परीक्षा को पास कर पाएंगे? या ग्रहों की चाल कुछ और ही मोड़ लाने वाली थी?













शुरू हुआ रिवर्स जीवन: एक महीने की अदला-बदली

 अब दूल्हा रहेगा दुल्हन बनकर, और दुल्हन निभाएगी दूल्हे की भूमिका

🌙 ग्रहों की चाल और सुहागरात की उलझन 🌙

राठौड़ हवेली की दीवारें तक हंसी के ठहाकों से गूंज रही थीं। पंडितजी को भारी दक्षिणा देकर विदा किया जा चुका था, लेकिन अब हवेली वालों के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई थी—सुहागरात का इंतजाम!

💫 "अब दुल्हन कौन?"

राजीव भारी लहंगे और भारी गहनों के बोझ तले खड़ा सोच रहा था कि "हे भगवान, यह किस ग्रह-योग के कारण हो रहा है?"

राजीव लाल राजपूती ड्रेस में दुल्हन की तरह सजा हुआ

उधर, तनुश्री, जो अब पूरी तरह से राजपूती दूल्हे के रूप में तैयार थी, ठाठ से खड़ी थी और अपनी ननदों की शरारतों का मज़ा ले रही थी।

भैया अब आप ही हमारी नई  "भाभी हो ! अब आप हमारी दुल्हन हो, तो हम आपके सुहागरात वाले कमरे की तैयारी शुरू करें?" छोटी ननद ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।

"क्या???" राजीव की आँखें फटी की फटी रह गईं।

"अरे भाभी, ये तो घर का रिवाज है। दुल्हन के कमरे को फूलों से सजाया जाता है, और घूंघट में उसे इंतजार करना पड़ता है। फिर दूल्हा अंदर आता है और…" बड़ी ननद ने जानबूझकर बात अधूरी छोड़ दी।

"नहीं, नहीं! ऐसा कुछ नहीं होगा!" राजीव ने विरोध किया।

लेकिन हवेली की औरतें कहा मानने वाली थीं! पूरे कमरे को सुहागरात के लिए सजाया गया—गुलाब की पंखुड़ियां, मोगरे की मालाएं, और झीनी रेशम की चादरें बिछाई गईं।

🌙 अब यह से आपकी  असली परीक्षा शुरू होती है भैया ! छोटी बहन ने राजीव को चिढ़ाते हुए कहा

💖 "अब घूंघट में बैठो, भाभी!"

"अरे भाभी, आपकी सुहागरात है, अब आप घूंघट डालकर पलंग पर बैठ जाइए!" छोटी ननद ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

"क्या? मैं? घूंघट?" राजीव ने खुद को शीशे में देखा—भारी झुमके, लाल चूड़ियां, लंबा घूंघट और कमर तक लहराता लहंगा।

"हाँ भाभी, अब तो अगले सात दिनों तक यही करना पड़ेगा!"

राजीव ने मन ही मन सोचा, "हे मंगल देव! ये कैसी सजा दे दी!"

🌙 "अब तनुश्री दूल्हा बनकर आएगी!"

इधर, घर की औरतों ने जोर-जोर से ढोलक बजानी शुरू कर दी और ठेठ राजपूती अंदाज में तनुश्री को सुहागरात के लिए कमरे तक छोड़ने जाने का फैसला किया।

"लो बहूजी, अब आप दूल्हे की तरह अंदर जाओ और अपनी दुल्हन का घूंघट उठाओ!" सासूमां ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

तनुश्री अंदर आते ही मुस्कुराने लगी। उसने कमरे का नज़ारा देखा—फूलों से सजी सेज, कोने में रखा दूध का गिलास, और पलंग पर राजीव, जो शर्म से लाल पड़ा था!

"हे भगवान! सच में, तुम मुझसे ज्यादा सुंदर दुल्हन लग रहे हो!" तनुश्री ने ठहाका लगाया।

"बहुत हो गया, तनु! ये सब कब खत्म होगा?" राजीव ने धीरे से कहा।

"जब तक ग्रह बदलेंगे! और तब तक तुम दुल्हन, मैं दूल्हा!" तनुश्री ने कटार निकालते हुए मज़ाक किया।

🌙 अब क्या होगा मेरा राजीव ने मन में सोचा?

क्या मैं तनु श्री को दूध का गिलास पकड़ाऊं?

क्या तनुश्री मुझे ऐसे गहनों में ही सुलाएगी?

क्या अगले 7 दिनों तक मुझे अपनी पत्नी की पत्नी बन कर ही रहना होगा?






सुहागरात उलटी: भावनाओं का तूफान

 जब दूल्हा दुल्हन की जगह बैठा और दुल्हन दूल्हा बनकर सामने आई



🌙 सितारों की छांव में अनोखी सुहागरात 🌙

कमरा किसी सपनों की दुनिया से कम नहीं लग रहा था। चारों तरफ़ हल्की मोमबत्तियों की टिमटिमाती रोशनी थी, गुलाब और मोगरे की खुशबू पूरे माहौल को महका रही थी। पलंग के चारों ओर झीने रेशम के परदे झूल रहे थे, और लाल गुलाब की पंखुड़ियां पूरे बिस्तर पर बिखरी हुई थीं। हल्की हवा खिड़की के पर्दों को सहला रही थी, और बाहर से मंदिर की घंटियों की मधुर ध्वनि आ रही थी।

लेकिन इस खूबसूरत सेटिंग के बीच, राजीव घूंघट में बैठा पसीना-पसीना हो रहा था!

दरवाजे पर तनुश्री की एंट्री हुई—एकदम ठेठ राजपूती दूल्हे की तरह। सिर पर साफा, कंधे पर शाही अंगरखा, और चाल में वही शाही ठसक!

"अब तो रिवाज निभाना ही पड़ेगा!"

"चलो राजीव,मेरे पैर छुओ!" तनुश्री ने मुस्कान दबाते हुए कहा।


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