जब मेकअप करके आईने में खुद को देखा, तो खुद को पहचान नहीं पाया। बहुत सुंदर लग रहा था… या कहूँ — लग रही थी। कई तस्वीरें लीं और एक तस्वीर को फोन की वॉलपेपर भी बना लिया।
अब यह मेरा रोज़ का रूटीन बन गया — रात को सोने से पहले क्रॉसड्रेसिंग करना।
एक दिन भाभी ने मुझे सब्ज़ी लाने भेजा। मोबाइल की बैटरी कम थी, तो मैंने चार्जिंग पर लगा दिया और बाहर चला गया। पीछे से एक दोस्त का कॉल आया और भाभी ने गलती से फोन उठा लिया। स्क्रीन पर मेरी क्रॉसड्रेसिंग वाली तस्वीर देख ली।
जब मैं लौटा, तो भाभी मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने पूछा, "रात को क्या करते हो?"
मैं डर गया।
भाभी ने हँसते हुए कहा, "घबराने की जरूरत नहीं। मैं सब देख चुकी हूँ। अगर तुम्हें लड़की बनना है, तो मुझे बता देते — मैं खुद मदद करती!"
मैंने शर्माते हुए माफ़ी माँगी।
भाभी बोलीं, "अब माफ़ी नहीं — सज़ा मिलेगी। अब जब भी हम दोनों घर पर अकेले होंगे, तुम्हें लड़की की तरह रहना होगा। और एक और बात — चाहे लड़कों के कपड़े पहनो या लड़कियों के, अब अंदर ब्रा और पैंटी पहनना अनिवार्य है।"
बस फिर क्या था — सुबह-सुबह भाभी मुझे उठातीं, नहाने भेजतीं, और फिर खुद मुझे सजातीं। साड़ी, गहने, विग, सब पहनाकर घर के काम भी करवातीं। बाल भी कटवाने से मना कर दिया। धीरे-धीरे यह मेरा रोज़ का जीवन बन गया।
कुछ दिनों बाद भाभी के घर एक शादी का निमंत्रण आया — उनकी छोटी बहन की शादी थी। घर पर बस हम दोनों ही थे। भाभी ने अपनी माँ से बात की और बताया कि हम दोनों ही आएँगे।
पर उन्होंने एक शर्त रखी — "तू मेरी छोटी बहन बनकर चलेगी — नाम होगा सलोनी, और साड़ी पहनकर ही चलेगी।"
शादी से दो दिन पहले भाभी ने मुझे पूरी तरह तैयार किया — एक प्यारी-सी बहन के रूप में। जब हम वहाँ पहुँचे तो भाभी की माँ ने पूछा, "ये लड़की कौन है? और साजनिक कहाँ है?"
भाभी मुस्कुराईं और बोलीं, "यही तो साजनिक है, मेरी छोटी बहन सलोनी।"
उनकी माँ मुझे ध्यान से देखने लगीं — और फिर बोलीं, "अरे… ये तो वाकई बहुत सुंदर लग रही है!"
भाभी ने उन्हें सारी सच्चाई बता दी। उनकी माँ बोलीं, "कोई बात नहीं, मुझे दो ब्राइड्समेड्स की ज़रूरत थी — अब तू और तेरी भाभी दोनों ही बनोगी। और ये भी तेरी सज़ा है!"
उसके बाद मैं कई किटी पार्टियों, शादी-ब्याह और त्योहारों में भाभी के साथ सलोनी बनकर जाती रही। और फिर — कब साजनिक से सलोनी बन गई, पता ही नहीं चला।