Anita ki Punishment 36(Didi ki masti mere lambe balo se)

  मैं अपने बिस्तर जोर जोर से चिल्ला रही थी सपने में दीदी मेरी आवाज सुन कर मेरे कमरे में आई और मुझे कस कर तमाचा लगाया और मेरी आँख खुल गयी मैं पसीने से पूरी तरह भीग गयी थी और मेरी साँस भी बहुत तेज चल रही थी और दिल ज़ोरो से धड़क रहा था दीदी ने मुझे कस कर गले लगा लिया और मेरी पीठ पर  हाथ फिराने लगी मेरे तो आंसू ही नहीं रुक रहे थे दीदी ने मिझे चुप कराया फिर गिलास में पानी दिया और तब मेरी थोड़ी साँस आई और फिर बोली क्या हुआ कोई डरावना सपना देखा क्या तो मैंने सब बता या उन्हें तो बोली पगली कितनी बार मना किया है हॉरर शो मत देखा कर मैंने कहा हाँ ठीक है नहीं देखूंगी और फिर मैंने दीदी से कहा आपने मुझे कितनी कस कर थप्पड़ लगाया है गाल लाल हो गया है और अब तक दुःख रहा है तो दीदी बोली तू पता नहीं क्या क्या बोले जा रही थी तो क्या करती तो मैंने कहा मैं शाम को आपकी शिकायत करुँगी जीजू से के आपने मुझे आज थप्पड़ मारा है

तो दीदी बोली जा कर दे मुझे क्या डर पड़ा है तेरे जीजू से वैसे आज शाम को तो उनकी क्लास वैसे भी लगनी है सुबह बहुत डॉयलॉग बोल रहे थे ना तो मैंने कहा बस अभी है नहीं ना तो बाते कर रही हो बहुत जीजू के सामने तो आपकी आवाज भी नहीं नुकलेगी तो बोली शाम को देख लेना मैंने कहा शाम को तो देखूंगी ही पहले ये बताओ अगर आपकी आवाज भी नहीं निकली तो क्या करोगी तो दीदी बोली जो तू बोले कल कर दूंगी तो मैंने कहा ठीक है और फिर दीदी बोली फटाफट नहाकर तैयार हो कर निचे आ जा खाना खाते है मैंने कहा ठीक है और मैं जल्दी से नहाकर कपडे पहन कर निचे खाने के टेबल पर आ गयी बाल गीले थे तो सर पर तौलिया बांध लिया था ताकि कपडे गीले न हो फिर हमने खाना खा या और तब तक बाल भी सुख गए खाने के बाद मैंने दीदी से कहा मैं तो आपके कमरे में लेटूंगी मुझे उसमे डर लग रहा है तो दीदी बोली नहीं उसमे ही चलते है देखे कौन तुझे खा जायेगा पागल डर नहीं समझी और फिर मैं और दीदी गेस्ट रूम यानि मेरे कमरे में आ गए मैंने दीदी से कहा मेरे सर में दर्द हो रहा है प्लीज तेल लगा कर मालिश कर दो तो दीदी बोली ठीक है फिर मैं कुर्शी पर बैठ गयी और दीदी मेरे बालो में तेल डालने लग गयी और मुझे पता नहीं क्या बीमारी है जब भी कोई मेरे सर में मालिश करता है मैं बुरी तरह से सो जाती हूँ और अभी भीं यही हुआ मैं सो गयी काफी देर के बाद जब मेरी आँख खुली तो दीदी वहा नहीं थी मैं कुर्शी पर बैठे हुए ही सो रही थी

 दीदी ने मेरे बालो में तेल लगाकर मेरे बालो में दो चोटी कर दी थी जो की दीदी की आदत थी वो जब भी मेरे बाल में तेल डालती है तो हमेसा यही करती है इसमें भी मेरी ही शर्त लगाने की आदत जिम्मेदार है शादी से पहले दीदी और मैं हमेशा लड़ते थे के मैं मालिश के बाद बेहोश हो जाती हूँ और मुझे होश नहीं रहता है और दीदी ने एक दिन ये साबित करने के लिए मेरे बालो में दो छोटी कर दी थी और तब मैं मान गयी के सच में ऐसा ही होता है और तब से हमेशा दीदी यही करती है जो आज किया था और फिर मैं दीदी के पास गयी दीदी टीवी देख रही थी तो मैंने कहा ये मेरे बालो का क्या हाल किया है अपने तो बोली मस्त तो लग रही है क्या बुराई है इसमें। तो मैंने कहा मैं अब बड़ी हो गयी हूँ अब अच्छी नहीं लगती ये दो चोटी पागल लगती हूँ तो दीदी बोली जो है वही तो लगेगी और हँसने लगी और मैं भी फिर मैंने कहा मैं खोल रही हूँ इन्हें दीदी बोली तुझे वो शर्ट याद है जो हम लगते थे तो मैंने कहा हाँ याद है तो दी बोली तो बेटा खुलनी चाहिए ये समझी तो मैंने कहा ठीक है दी नहीं खुलेगी और फिर शाम को मैं और दी इसी हेयर स्टाइल में मार्केट गए और सब मुझे ही देख रहे थे क्यों के मैं ही भीड़ में कुछ अलग दिख रही थी इस hairstyle के बजह से।

Anita ki Punishment 35(Ek Daravana sapna)

 जीजू के जाने के बाद दीदी बोली जाकर फ्रेश हो जाओ मैं कुछ खाने के लिए बनाती हूँ तो मैंने ओके कहा और अपने रूम में चली गयी और फिर आलस की बजह से टीवी देखने लगी उस समय &tv channel पर बिपासा का होरर शो आ रहा था मैं देखते देखते सो गयी। वैसे सच कहु तो मैं डरती नहीं हूँ और कई होरर शो अकेले रात में देखे है पर शायद ट्रेन की थकान की बजह से मैंने अजीब सा ही सपना देखा।

मैंने सपने में देखा के मैं टीवी देखते देखते सो गयी हूँ और कोई मेरे बिस्तर के पास खड़ा है बहुत ही गन्दी सी बदबू आ रही है बहुत अजीब सी आवाज आ रही है डरावनी सी और तभी उसने मुझे बुलाया और सपने में ही मैंने उस आवाज की तरफ देखना इग्नोर किया और आँख बंद करके लेटी रही तभी जैसे किसी ने मेरी पीठ पर हाथ रखा और मैंने उसका चेहरा देखा जो बहुत ही अजीब सा था बहुत बड़े बड़े नाख़ून रेड कलर के खून के जैसे लाल बड़े भयानक बाल दाढ़ी और अजीब से सफ़ेद कपडे थे चिठ्डे की तरह और उसे देख कर मैं सच में इतनी डर गयी के मैं सपने में ही जोर से चिल्लाने लगी

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Anita ki punishment 34 (Didi jiju ki ladai aur pyar)

  दीदी जब जीजू को बता रही थी तब दीदी बिलकुल भी ऊपर देख कर बात नहीं कर रही थी और मुझे सच में बहुत बुरा लग रहा था के ये सब क्या पॉइंट छेड़ दिया दीदी ने भी और मैं इशारा भी कर रही थी के दीदी कुछ मत कहो पर दीदी मेरी तरफ देख ही नहीं रही थी तो मैं कुछ कर नहीं पाई जब दीदी ने सब बोल लिया के उस दिन दीदी ने कैसे मेरी बंद बजायी थी तब जीजू की तरफ देखने लगे हम दोनों के जीजू का रिएक्शन क्या होगा जीजू ने मेरी तरफ देखा फिर दीदी की तरफ देखा और हस्ते हुए बोले के तुमें ठीक नहीं किया है मेरी शाली के साथ तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए था और दीदी की आँखों से आंसू टपकाना शुरू हो गया तो जीजू ने देखा और मैंने भी देखा और फीर जीजू हस्ते हुए दीदी को गले लगते हुए बोले अरे यार मैं तुम्हे कोई डांट थोड़े रहा हूँ जस्ट चिड़ा रहा था अच्छा बाबा सॉरी बस तुमने ठीक किया अनु है ही ऐसी इसे तो बांध कर रही रखना चाहिए इतनी बड़ी हो गयी बच्छो की तरह गेम खेलती है तुम्हारी बाते नहीं मानती है फिर मुझे बोले अनु चलो दीदी को सॉरी बोलो कान पकड़कर तो मैंने कहा सॉरी 

तो दीदी बोली तुम दोनों जन अपना ड्रामा बंद करो समझे और आंसु पोच्च्ते हुए बोली तुम्हे ऑफिस नहीं जाना है चलो जाओ ऑफिस और शाम को आओ तब तुम्हारी क्लास लेती हूँ और तू अनु रुक तेरी भी क्लास लेती हूँ अभी और बोली तुम दोनों बैठो मैंने मुह धो कर आती हूँ और अनु तेरे लिए चाय लाती हूँ तो जीजू बोले मैंने क्या पाप किया है मुझे भी पूछ लो तो बोली तुम्हे तोअब पानी भी नहीं पूछूंगी चाय तो बहुत दूर रही और बोली तुम तो अब ऑफिस जाओ ऐसे और आज टिपिन भी नहीं मिलेगा तो जीजू बोले अनु यार तुमने मेरी मुशीबत करा दी बेकार में तुम दोनों बहेने आपस में लड़ो और चाय टिपिन मेरा बंद हो तो मैंने कहा दीदी जीजू सॉरी बोल रहे है तो जीजू बोले हाँ बस बोल रहा हूँ सॉरी तो दीदी बोली सॉरी बोले चाहे कान पकडे चाय और टिपिन तो नहीं ही मिलेगा आज इन्हें फिर दीदी एक कप चाय ले कर आई जीजू ने हाथ बढाया भी पर वो साइड हट गयी और मेरे हाथ में दिया तो मैंने दुसरे कप में जीजू को चाय देने को हुयी तो  दीदी बोली अनु ख़बरदार जो इन्हें चाय दी तो जीजू बोले सॉरी  ना बाबु माफ़ कर दो न अब तो दीदी बोली बिलकुल नहीं तो बोले अछ्चा बताओ कैसे मनाऊ तो मानोगी तो दीदी कुछ नहीं बोली तो जीजू ने अपने कान पकडे और सॉरी बोले तो दीदी हसने लगी और बोली चुपचाप बैठ जाओ शर्म नहीं आती बच्चो वाली हरकते करते हुए अनु के सामने जाओ बैठो लाती हूँ तुम्हारे लिए भी चाय फिर दो कप और लायी एक जीजू के लिए और एक खुद के लिए. फिर हमने सबने चाय पि और फिर चाय पिने के बाद दीदी बोली जीजू से चलो चाय पिली है न तो अब ऑफिस जाओ जीजू को टिपिन दिया और बोली बाय तो जीजू बोले खली बाय तो बोली हाँ खली बाय जाओ जल्दी अनु है घर में तो मैंने धीरे से कहा अगर चाहो तो मैं नेक मुह धो कर आ जाऊं तब तक आप जीजू को बाये कर दीजिये तो दीदी बोली अनु ज्यादा मुह मत चलाया कर और जीजू से बोली चलो जाओ अब और उन्हें घर से बहार तक छोड़ कर आई और उनका रुमाल गाड़ी कि चाभी दी और हाथ से इशारे से मैंने और दीदी ने उन्हें बाय कहा |

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Disclaimer

All the Character and events in this blog are imaginary. They are related to any living or dead person or incident. If the relation is found then it will be a coincidence. Do not use any medicine(Like breast enhancer or Harmons change) without doctor's prescriptions , it may be dangerous and cause blood cancer or other sexual disorder. With Love Anita Blog admin