मिस्ट्रेस और गुलाम की कहानी

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मिस्ट्रेस  और गुलाम की कहानी

मेरे हाथ अब भी बंधे हुए थे और में कंधे के तरफ से नीचे गिरा था और अब बैलेंस करके में पेट के बल हो गया था 

मिस्ट्रेस मेरे पास आआई और मेरे पिछवाड़े पर अपने बूट्स की एक कस कर लात मारी और बोली बहुत स्मार्ट बन रहे हो फिर मेरे पीठ पर एक पैर रख कर खड़ी हो गई और बोली तुझे कहा था ना कुत्ते जब तक पोज देने को नही कहा जाता है तब तक तुझे मेरी दी गई लाइन को रटना है 

तो कुत्ते अब तक तू बोल क्यों नही रहा है चल सुरु हो जा और फिर एक सिगरेट जलाई और बोली अगर जरा भी चालाकी की तो ये सिगरेट तेरे पिछवाड़े में लगा कर आग लगा दूंगी समझा और फिर जिंदगी भर कन्फ्यूज रहना के अब सांस कहा से लेना है और पादना कहा से है 

में बहुत डर गया था है बोलना शुरू करता पर मेरे से लाइन सही से निकल नही रही थी और जो मिस्ट्रेस के गुस्से को और बढ़ा रहा था अब मिस्ट्रेस ने मेरे बम पर अपने हंटर से मारा 

मेरे बम पर एक रेड लाइन बन गई में दर्द से चीख पड़ा 

आई आई आई ओह मम्मी

जो आपने अभी पढ़ा, वो तो बस शुरुआत थी कहानी का सबसे रोमांचक हिस्सा अभी बाकी है — पासवर्ड डालिए और जानिए आगे क्या हुआ! 🔓


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