Disclaimer

यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक है। किसी से समानता संयोग होगी। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ ((जैसे स्तन वर्धक या हार्मोन परिवर्तन)न लें - यह जानलेवा हो सकता है।— अनीता (ब्लॉग एडमिन)

Murga Punishment story रोहित और प्रिटी की कहानी – शरारत, पनिशमेंट और प्यार

📝 Story Preview:

Title: रोहित और प्रिटी की कहानी – शरारत, पनिशमेंट और प्यार

✍️ Genre: Romantic, Playful Discipline, College Love Story


भाग 1: नटखट प्रिटी और सख्त रोहित

कॉलेज के गलियारों में जब भी कोई हँसी की गूंज सुनाई देती थी, तो सब जानते थे कि कहीं न कहीं प्रिटी का हाथ ज़रूर है। वह कॉलेज की सबसे चुलबुली लड़की थी – हर वक्त मस्ती, शरारत और बेफिक्री से भरी। वहीं रोहित, फाइनल ईयर का टॉपर, शांत, संयमी और हर काम टाइम पर करने वाला लड़का था। दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल उलट थे, फिर भी साथ में ऐसे जुड़े थे जैसे धूप और छांव।

प्रिटी का दिन बिना किसी शरारत के पूरा नहीं होता था। कभी वो रोहित की किताबों में छोटे-छोटे मज़ाकिया नोट्स चिपका देती, तो कभी उसकी वाटर बॉटल में नमक घोल देती। लेकिन उस दिन उसने हद कर दी – रोहित की परीक्षा वाली नोटबुक ही गायब कर दी।

शाम को लाइब्रेरी में, जब रोहित अपनी नोटबुक ढूंढ रहा था, तब प्रिटी चुपके से कोने से उसे देख रही थी। उसे मज़ा आ रहा था, पर तभी रोहित की भौंहें तनीं और चेहरा सख्त हो गया।

“प्रिटी!” उसकी आवाज़ गरजी।

प्रिटी चौंक गई, फिर मुस्कुरा कर बोली, “क्या हुआ रोहित बाबू, कुछ खो गया क्या?”

“बहुत मज़ाक कर लिया तुमने। अब तुम्हें पनिशमेंट मिलेगी।”

“अरे! क्या करोगे? प्रिंसिपल को बताओगे या टीचर को?” – उसने आँखें मटकाईं।

“नहीं, तुम्हारे बॉयफ्रेंड को बुलाऊँगा – जो मैं हूँ,” रोहित ने उसकी कलाई पकड़ी और उसे पास खींचा। “अब मुरगा बनो।”

प्रिटी के चेहरे पर हल्की लाज छा गई, लेकिन उसके अंदर एक अनजाना रोमांच भर गया। उसने झिझकते हुए कान पकड़े और धीरे-धीरे नीचे झुककर मुरगा पोजीशन में आ गई। आसपास कोई नहीं था – सिर्फ़ लाइब्रेरी का सन्नाटा और उनके बीच का एक नया रिश्ता।

“10 मिनट तक इसी पोजीशन में रहो,” रोहित ने गहरी आवाज़ में कहा। “और अगली बार शरारत की, तो टाइम डबल होगा।”

प्रिटी के होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी। उसका चेहरा शर्म से गुलाबी हो चुका था।

“ठीक है रोहित सर... जैसे आप कहें,” उसने शरारती अंदाज़ में कहा।

वो दस मिनट, उनके रिश्ते की परिभाषा बदल गए। अब यह सिर्फ एक प्यारा-सा रोमांस नहीं था – यह एक ऐसी कहानी बन गई थी जिसमें अनुशासन, विश्वास और एक नटखट मोहब्बत का संगम था।

भाग 2: प्यार के साथ अनुशासन

अगले दिन, लाइब्रेरी की घटना प्रिटी के मन में बार-बार घूम रही थी। वो अब भी हँस रही थी, लेकिन कहीं अंदर कुछ हल्का-सा गुदगुदा एहसास भी हो रहा था।

दोपहर में कैंटीन के कोने वाली टेबल पर रोहित बैठा था, अपनी कॉफी के साथ। तभी प्रिटी उसके सामने आकर बैठ गई, मुस्कुराती हुई।

“सर, आज आपने कोई पनिशमेंट नहीं दी?” उसने आँखें घुमाकर कहा।

रोहित ने बिना मुस्कुराए जवाब दिया, “जब तक तुम शरारत नहीं करोगी, पनिशमेंट भी नहीं मिलेगी।”

प्रिटी ने धीरे से उसके सामने अपना फोन रखा और बोली, “फोन ढूंढ रहे थे न? मैंने फिर से छुपा दिया था।”

रोहित ने सिर झुकाया और गहरी साँस ली, फिर गंभीर स्वर में कहा, “प्रिटी, अब समय हो गया है कि तुम्हें थोड़ा अनुशासन सिखाया जाए।”

उसने फिर से उसकी कलाई पकड़ी और कहा, “चलो – अब क्लासरूम खाली है, वहीं चलते हैं।”

क्लासरूम की सूनसान चारदीवारी में रोहित ने कुर्सी खींचकर सामने रख दी। “अब मुरगा बनो – 15 मिनट।”

प्रिटी हँसते हुए बोली, “आप तो बहुत सीरियस हो गए हो!”

“अनुशासन भी प्यार की तरह ज़रूरी होता है,” रोहित ने शांति से कहा।

प्रिटी मुरगा बन गई। इस बार उसका चेहरा थोड़ा ज्यादा गुलाबी था – शायद शर्म से, या शायद एक्साइटमेंट से। रोहित उसे देखकर मुस्कुरा रहा था – आँखों में सख्ती थी, पर होंठों पर स्नेह।

“अगर दोबारा शरारत की, तो 30 मिनट की पनिशमेंट होगी,” उसने चेतावनी दी।

प्रिटी ने मुरगा पोज़ में रहते हुए धीमे से कहा, “ठीक है… लेकिन बाद में मुझे हग मिलेगा ना?”

जो आपने अभी पढ़ा, वो तो बस शुरुआत थी — कहानी का सबसे रोमांचक हिस्सा अभी बाकी है!
पासवर्ड डालिए और जानिए आगे क्या हुआ 🔓

👉 पासवर्ड नहीं पता? Get Password पर क्लिक करो password जानने के लिए।

⭐⭐ मेरी कहानी की वेबसाइट पसंद आई हो तो Bookmark करना — भूलना मत! 👉 https://beingfaltu.blogspot.com


Murga Punishment Story प्यार, पागलपन और मुरगा इम्तिहान

📝 Story Preview:

Title: Abhay: प्यार, पागलपन और मुरगा इम्तिहान

Subtitle: A Psychological Romance of Obsession and Respect

कॉलेज के बगीचे में एक दोपहर, जूनियर आदित्य अपने सीनियर श्रुति को मनाने आता है — लेकिन गुलाब से नहीं, बल्कि 'मुरगा बनकर'।

यह कहानी सिर्फ़ प्यार की नहीं है — यह पागलपन, आत्म-सम्मान, टेस्ट और तिरस्कार की है।

जब एक लड़का अपनी सीमाओं से परे जाकर सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हो, और लड़की अपने भावों से लड़ रही हो — तब क्या प्यार जीतता है, या खुद को खोने का दर्द ज़्यादा भारी होता है?

"Abhay" एक ऐसी कहानी है जो युवा दिलों की गहराइयों में उतरती है, जहाँ इश्क़ सिर्फ़ फूल और शायरी नहीं — बल्कि कभी-कभी 4 घंटे की मुरगा पनिशमेंट भी हो सकती है।

📖  Table of Contents

  1. Chapter 1 – फिर वही गुलाब

  2. Chapter 2 – मुरगा बनने की शर्त

  3. Chapter 3 – जब हँसी बनी हथियार

  4. Chapter 4 – दर्द की पहली लकीर

  5. Chapter 5 – आँसू और हठ का टकराव

  6. Chapter 6 – उसके हाथ की छाया

  7. Chapter 7 – सीमा के पार

  8. Chapter 8 – ज़मीन पर गिरा इश्क़

  9. Chapter 9 – क्या ये प्यार था?

  10. Chapter 10 – अंतिम जवाब

  11. Chapter 11 – सम्मान का फूल

  12. Chapter 12 – "Abhay" क्यों बना?




Chapter 1: फिर वही गुलाब

शनिवार की दोपहर थी। कॉलेज के पिछवाड़े बने पुराने गार्डन में आज भी वही हल्की धूप छिटकी हुई थी, घास थोड़ी लंबी हो चुकी थी और फूलों में गर्मियों की गंध रच चुकी थी। चारों तरफ हल्की-हल्की हवा चल रही थी, लेकिन आदित्य के माथे से पसीना टपक रहा था।

उसने अपने हाथ में एक बार फिर वही लाल गुलाब पकड़ा हुआ था — वही जो पिछले तीन बार उसे केवल हँसी और तिरस्कार में डूबोकर लौटा दिया गया था। लेकिन आज… आज कुछ अलग था।

पास ही, एक बड़ा पिकनिक चटाई पर फैली थी, जहाँ श्रुति अपनी तीन सहेलियों — रिया, मीरा और तान्या — के साथ बैठी थी। हँसी, मस्ती, चाय की चुस्कियाँ और दोस्तों की खिलखिलाहटों के बीच जैसे उस बगीचे में एक छोटा-सा संसार रच गया था।

और उसी दुनिया में बिना दावत के फिर से प्रवेश करता है — आदित्य।

धीरे-धीरे कदमों से, अपनी धड़कनों को काबू में करने की कोशिश करता हुआ, उसने गुलाब को थोड़ा और कसकर पकड़ा।


"Shruti… main phir aa gaya hoon…" आदित्य की आवाज़ बेहद धीमी थी, लेकिन आत्मविश्वास से भरी।

शरारती हँसी के साथ श्रुति ने आँखें उठाईं। वो उसी के चेहरे पर गौर करने लगी — पसीने से तरबतर चेहरा, लेकिन आँखों में वही जूनून।

"Areee… hamara junior lover फिर से हाज़िर है, हाथ में वही गुलाब लिए," रिया ने चुटकी ली।

"Kitni baar reject करूँ Shruti, tab मानेगा ये?" मीरा ने कहा और सब फिर हँस पड़ीं।

Shruti (mockingly): "Wow… kya pyaar hai! Murga बन-बनकर impress करोगे mujhe?"

Aditya ने अपनी गर्दन झुका ली, फिर सीधा उसकी आँखों में देखकर बोला —

"मैंने 30 दिन और practice की… इस बार सिर्फ़ hands-up नहीं… हर सुबह murga बना… रोज़ sunrise तक…"

Shruti (हल्की हँसी में): "So sweet! एक romantic rooster!"

Tanya: "Full-time murga lover! Kya बात है!"

लेकिन फिर अचानक, श्रुति का चेहरा थोड़ा गंभीर हो गया। वो उठी, चाय का कप हाथ में पकड़ा और धीरे से बोली —

"Toh theek hai Aditya… let’s raise the stakes. आज का test – 4 घंटे murga pose… मेरे और मेरी friends के सामने!"

आसपास की हवा कुछ ठिठक गई। Aditya के चेहरे की चमक फीकी पड़ी, लेकिन फिर भी मुस्कराया।

"तुम कहोगी तो पूरा दिन… बस इस बार हां कह देना…"

Shruti (आँखों में थोड़ी चुनौती लेकर): "प्यार चाहिए? Toh ego छोड़… ground पे आ… बन जा murga!"

और फिर… आदित्य ने बिना कुछ बोले, धीरे-धीरे अपने हाथ कानों तक ले गया। पैरों को मोड़ते हुए नीचे झुका… घास की नमी उसके घुटनों से टकराई।

Shruti, Tanya, Riya और Meera — चारों की आँखें खुली की खुली रह गईं। कोई हँसी नहीं आई। ये पहली बार था जब आदित्य ने बिना शब्दों के इतना बोल दिया था।

Shruti धीरे से बोली, almost whisper में —

"Test शुरू… टाइम चल रहा है।"

Aditya — अपने घुटनों पर, कान पकड़े, धूप में, उस छोटे गार्डन के बीच, कॉलेज के सीनियर्स के सामने — अब मुरगा बन चुका था।

लेकिन शायद, उस दिन उसने केवल शरीर नहीं झुकाया था — उसने अपने पूरे अहंकार को गिरा दिया था।

और वहीं से शुरू हुई थी एक ऐसी परीक्षा… जो सिर्फ़ प्यार की नहीं थी — बल्कि आत्म-सम्मान, इच्छा और सहनशीलता की भी थी।

Chapter 2: मुरगा बनने की शर्त

आदित्य घुटनों पर बैठ चुका था। हाथ कानों से लगे हुए थे, कोहनियाँ फैली हुई थीं और उसकी पीठ नीचे की ओर झुकी थी। चेहरे पर भाव तो शांत थे, लेकिन शरीर की मांसपेशियाँ पहले ही तनाव से कांपने लगी थीं। ये कोई नाटक नहीं था — ये एक सच्ची परीक्षा की शुरुआत थी।

Shruti ने घड़ी की ओर देखा और बोल पड़ी — "घड़ी 2:14PM दिखा रही है। 4 घंटे मतलब 6:14 तक मुरगा बने रहना है। और बीच में अगर कोई भी गलती हुई… तो टाइम रीसेट।"

रिया और मीरा की आँखें चमक उठीं, जैसे उन्हें नया इंटरटेनमेंट मिल गया हो। तान्या ने आदित्य की तरफ झुककर पूछा — "सच में कर पाएगा तू ये?"

आदित्य ने कोई जवाब नहीं दिया। वो बस आंखें बंद करके धीरे-धीरे साँस लेने लगा।

Shruti पास आई। उसके चारों ओर घूमते हुए बोली — "Yeh sirf एक physical punishment नहीं है… ये एक mental test भी है। तुम हर second खुद को समझाओगे कि छोड़ दो, उठ जाओ… लेकिन अगर तुम रुके… तुम हार गए।"

मीरा (teasingly): "Bas haath तो मत छोड़ना lover boy!"

Shruti (ठंडी मुस्कान के साथ): "और हाँ, बीच-बीच में हम तुम्हारा ध्यान भटकाएँगे। प्यार सिर्फ शांति नहीं होता… वो distraction और chaos के बीच भी टिकना होता है।"

रिया ने स्पीकर पर तेज़ music चला दिया — कोई EDM ट्रैक जिसकी बीट धड़कनों को और तेज़ कर दे।

30 मिनट बीते…

गर्म घास से घुटनों पर जलन हो रही थी। आदित्य के चेहरे पर अब हल्की थकावट आने लगी थी।

Shruti ने अचानक ज़ोर से कहा — "Aditya! Tumhare elbows नीचे जा रहे हैं।"

वो तुरंत straighten हुआ, लेकिन इस झटके से उसकी सांसें लड़खड़ा गईं।

Shruti पास आकर फुसफुसाई — "I’m watching everything… और तुम्हारे test का हर second मेरी आँखों में दर्ज हो रहा है।"

1 घंटा बीता…

अब दर्द स्थायी बन चुका था। हर अंग कांप रहा था।

मीरा ने पानी की बोतल से थोड़ी सी बूँदें घास पर गिराईं — वो जगह और गीली हो गई, और अब घुटनों में चुभन और बढ़ गई।

Shruti: "चाहो तो बोल सकते हो — 'Shruti I give up'… बस इतना कह दो… और सब खत्म।"

लेकिन आदित्य चुप रहा। उसका चेहरा अब पसीने से भीगा हुआ था, आँखों के कोनों में आँसू झलकने लगे थे।

रिया: "पागल है ये लड़का… seriously Shruti, this is mad!"

Shruti की आँखों में पहली बार हल्की चिंता दिखी। लेकिन उसने चेहरा सख्त बनाए रखा।

1 घंटा 45 मिनट…

आदित्य की टाँगें अब लगभग सुन्न हो चुकी थीं। लेकिन उसकी breathing तेज़ थी… आत्मा से लड़ती हुई।

Shruti फिर से उसके पास आई। उसकी पीठ पर हल्के से उँगली रखकर बोली — "Aditya… तुम खुद को सज़ा दे रहे हो। प्यार सज़ा नहीं होता… लेकिन अगर यही तुम्हारी भाषा है, तो मैं interpreter बन जाऊँगी।"

Shruti ने Aditya के पास चुपचाप एक गुलाब रख दिया… वही गुलाब जो वो लेकर आया था… अब Shruti की ओर से था।

Shruti (धीरे से): "ये गुलाब तुम्हें रुकने की छूट नहीं देता… बस याद दिलाता है कि तुम क्या साबित करने आए थे।"


Chapter 3: जब हँसी बनी हथियार

2 घंटे पूरे हो चुके थे।

घास पर झुका आदित्य अब एकदम स्थिर था, मगर उसका शरीर हिल रहा था — नहीं, वो खुद नहीं हिल रहा था, बल्कि थकान और दर्द उसके शरीर को हिला रहे थे। पसीना अब गले तक बह चुका था। उसकी पीठ से होकर कमर तक पहुँच गया था। और तभी तान्या की हँसी गूँजी — तेज़ और चुभने वाली।

"Shruti, क्या इसे एक प्यारा नाम दे दें? Murga Romeo?" तान्या ने कहा और बाकी लड़कियाँ खिलखिला उठीं।


जो आपने अभी पढ़ा, वो तो बस शुरुआत थी — कहानी का सबसे रोमांचक हिस्सा अभी बाकी है! पासवर्ड डालिए और जानिए आगे क्या हुआ 🔓

👉 पासवर्ड नहीं पता? Get Password पर क्लिक करो password जानने के लिए।

⭐⭐ मेरी कहानी की वेबसाइट पसंद आई हो तो Bookmark करना — भूलना मत! https://beingfaltu.blogspot.com


Disciplined Desires: एक मुरगा की फैंटेसी

📝 Story Preview:

📝 Story Preview:

📘 Title: Disciplined Desires: एक मुरगा की फैंटेसी

✍️ Genre: Fantasy, Fetish Drama, Psychological Thriller

📚 Length Target: ~Approx. 25,000+ words


भूमिका

यह कहानी एक ऐसे युवक की है जो समाज में सम्मानित और अनुशासित बनने का सपना देखता है, लेकिन उसके भीतर एक छिपी हुई फैंटेसी उसे बार-बार पीछे खींचती है। अनुशासन और वासना की लड़ाई में उसका मन, शरीर और आत्मा बुरी तरह उलझ जाती है। जब उसकी फैंटेसी हकीकत से टकराती है, तो वह एक ऐसे खेल में फँस जाता है जहाँ उसकी इच्छा ही उसका सबसे बड़ा शत्रु बन जाती है।


[Note: कहानी की पूरी लंबाई ~25,000 शब्दों से ज़्यादा होगी और इसे 10 से 12 अध्यायों में बांटा जाएगा।]

Chapter 1: The Trigger


रोहित, 26 साल का एक सामान्य सा युवक, लेकिन भीतर से जटिल और उलझा हुआ। पढ़ाई में औसत, पर सपने ऊँचे। सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। और उस दिन, जब बैंक परीक्षा का रिजल्ट आया, वह एकदम स्तब्ध रह गया – उसका चयन हो गया था।

मोबाइल की स्क्रीन पर चमकता हुआ वह एक संदेश – "Congratulations, You are selected." – जैसे उसकी पूरी दुनिया बदल गया। खुशी के मारे उसका दिल धड़कता रहा। उसने तुरंत अपने माता-पिता को खबर दी, और मिठाई लेने निकल पड़ा।

भीड़भाड़ वाले उस बाज़ार में, जहाँ सबकुछ रोज़ जैसा ही था, एक चेहरा उसकी निगाहों से टकराया – साक्षी।

वो साक्षी जिसे उसने 8 साल से नहीं देखा था। स्कूल की सबसे समझदार और तीखी लड़की, जिसकी आवाज़ में तेज़ी और आँखों में गहराई थी। वो अब एक कॉर्पोरेट ऑफिस में काम कर रही थी। पर चेहरे पर वही मासूम मुस्कान थी।

साक्षी: "अरे रोहित! तू? इतने सालों बाद!"

रोहित: (हैरान होकर) "साक्षी! तू... बिल्कुल नहीं बदली।"

दोनों ने एक-दूसरे से हालचाल पूछा, बातें की, और नंबर एक्सचेंज किए। वो एक संयोग था, लेकिन उसके बाद जो हुआ, वह नियति थी।

बातचीत का सिलसिला

अगले कुछ हफ्तों में, रोज़ बातें होने लगीं। व्हाट्सएप चैट्स से लेकर वीडियो कॉल्स तक, दोनों करीब आते गए। कभी स्कूल की यादें, कभी करियर की बातें, और कभी-कभी हल्की मस्ती।

एक रात की बात है, जब रोहित थोड़ा मूड में था, उसने मज़ाक में कहा:

रोहित: "यार, तेरे जैसी टीचर होती तो मैं कभी फेल न होता!"

साक्षी: "हाहा! मैं तो बहुत स्ट्रिक्ट होती। हर गलती पे पनिशमेंट देती।"

रोहित: "ओह तो मुरगा बनवाती?"

साक्षी: "बिल्कुल! और अगर ज्यादा गलती, तो क्लास के सामने!"

रोहित की साँसें जैसे थम गईं। उसने हँसते हुए बात को टाल दिया, लेकिन अंदर से कुछ जाग गया था।

एक दबी हुई फैंटेसी

रोहित के अंदर एक रहस्य था — उसे मुरगा पनिशमेंट से अजीब सी मानसिक संतुष्टि मिलती थी। बचपन में स्कूल की वो सजा, जो सबके लिए शर्म की बात थी, रोहित के लिए एक रहस्यात्मक आकर्षण बन गई थी।

अब जब साक्षी से ये बातचीत हुई, वो आग फिर से जल गई।

अगले दिन उसने जानबूझकर एक लाइन फिर दोहराई:

रोहित: "सुन, अगर मैं पढ़ाई में ढीला पड़ा तो तू पनिशमेंट दे देना।"

साक्षी (हँसते हुए): "दे दूँगी! तुझे तो मुरगा बनाकर वीडियो कॉल पर खड़ा कर दूँगी।"

रोहित (हँसते हुए): "ना बाबा! वो मत करना, मैं शर्म से मर जाऊँगा।"

लेकिन अंदर ही अंदर... उसे वही चाहिए था।

पहली पनिशमेंट

कुछ दिन बाद, जब रोहित ने उसे बताया कि आज पढ़ाई नहीं हुई:

साक्षी: "पढ़ाई नहीं की? चलो फिर! मुरगा बनो अभी वीडियो कॉल पर।"

रोहित: "हाहा तू भी न!"

साक्षी: "सीरियस हूँ! चलो जल्दी!"

रोहित का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। वो डर, शर्म, उत्तेजना — सब कुछ मिला-जुला। लेकिन उसने वीडियो कॉल ऑन किया और धीरे-धीरे स्क्रीन के सामने मुरगा बन गया।


साक्षी की हँसी गूंज गई:

साक्षी: "ओ माय गॉड! तूने सच में कर लिया? तू पागल है!"

रोहित ने मुस्कराते हुए कहा:

"तूने कहा था, और मैं डिसिप्लिन में रहना चाहता हूँ।"

अंदर की खामोशी

वो रात रोहित ने सो नहीं पाया। वो बार-बार वही पल दोहराता रहा – वो शर्म, वो आदेश, वो झुकी हुई हालत। वो कोई आम मस्ती नहीं थी। वो एक असली एहसास था — उसे पनिशमेंट में तृप्ति मिलती थी। लेकिन वो डरता था — क्या ये सही है? क्या वो बीमार है? या बस... अलग है?

अगले दिन उसने फिर से वही किया – पढ़ाई नहीं की, और बहाना बना लिया।

रोहित: "आज फिर डिस्ट्रैक्ट हो गया यार..."

साक्षी: "तो फिर तैयार हो? मुरगा नंबर 2?"

रोहित (मुस्कुराकर): "Always ready, ma'am."

Chapter 2: Contract of Control

रोहित की पनिशमेंट वाली फैंटेसी अब साक्षी के सामने धीरे-धीरे खुलती जा रही थी। उसने अब तक सिर्फ हल्के-फुल्के बहानों से दो बार मुरगा पनिशमेंट ली थी, लेकिन उसका मन इससे कहीं आगे जाना चाहता था। वह चाहता था कि ये सिलसिला मज़ाक से आगे बढ़े — एक गंभीर अनुशासनिक व्यवस्था में बदले।

उस दिन उसने कुछ ऐसा किया जो पहले कभी नहीं किया था। उसने साक्षी को एक मेल भेजी — एक फॉर्मल "डिसिप्लिन कॉन्ट्रैक्ट"। साथ ही व्हाट्सएप पर मैसेज किया:

"साक्षी, अगर तुम्हें समय मिले तो मेरी मेल ज़रूर देखना। ये थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन मैं बहुत सीरियस हूँ। प्लीज़ पढ़ना।"

Discipline Contract

अनुबंध: मैं, रोहित शर्मा, अपने स्वेच्छा से यह अनुबंध करता हूँ कि मेरी पढ़ाई और अनुशासन को बनाए रखने हेतु साक्षी द्वारा निर्धारित किसी भी प्रकार की मानसिक या शारीरिक पनिशमेंट को स्वीकार करूँगा। पनिशमेंट में शामिल हो सकती हैं:

  1. मुरगा पोज़िशन में समय बिताना

  2. सिट-अप्स

  3. नी-डाउन पोज़िशन

किसी विशेष नियम की पालना (समय पर उठना, स्टडी रिपोर्ट भेजना आदि)

अनुबंध का उद्देश्य केवल मेरी पढ़ाई और अनुशासन सुधारना है। इसका दुरुपयोग नहीं किया जाएगा।

हस्ताक्षर:

रोहित शर्मादिनांक: (xx-xx-20xx)

साक्षी की प्रतिक्रिया

जब साक्षी ने मेल पढ़ी, तो वह कुछ मिनटों तक चुप रही। उसके चेहरे पर कई भाव आए – हँसी, अचंभा, चिंता और फिर एक हल्की-सी मुस्कान।


साक्षी: (मैसेज में) "ये तुमने सीरियसली लिखा है? क्या तुम ठीक हो?"

रोहित: "हाँ, पूरी तरह ठीक हूँ। बस पढ़ाई में बहुत लूज हो रहा हूँ और मुझे लगता है कि तुम्हारा डर... मेरा स्ट्रक्चर सेट कर सकता है।"

कुछ देर बाद साक्षी ने लिखा:

"ठीक है। मैं यह एक्सेप्ट कर रही हूँ। लेकिन याद रखना – अब ये मज़ाक नहीं होगा।"

Rule Number One

साक्षी ने नियम तय किए:

  1. हर सुबह 7:30 बजे तक स्टडी रिपोर्ट भेजनी होगी।

  2. हर शाम 9 बजे तक एक कॉल रिपोर्ट (क्या पढ़ा, कितना पढ़ा)।

  3. नियम टूटने पर तुरंत पनिशमेंट।

  4. पनिशमेंट लाइव वीडियो कॉल पर होगी।

पहले दिन ही रोहित देर से उठा। स्टडी रिपोर्ट नहीं भेजी। रात 9 बजे:

साक्षी: "Report कहाँ है?"

रोहित: "Sorry, overslept..."

साक्षी: "तो अब मुरगा बनो। अभी। कॉल ऑन करो।"

एक नई शुरुआत

रोहित ने सिर झुकाकर कॉल ऑन किया। अबकी बार उसकी मुरगा पोज़िशन पहले से ज़्यादा परफेक्ट थी। हाथों से कान पकड़े हुए, घुटने मुड़े हुए, पीठ झुकी हुई।

साक्षी: "10 मिनट तक यही रहो। अगर हिले, तो टाइम डबल कर दूँगी।"

रोहित के माथे पर पसीना आ गया।

हर मिनट भारी लग रहा था। लेकिन उसके चेहरे पर था एक अजीब-सा संतोष। शायद उसे अब वही मिल रहा था जो वह वर्षों से ढूँढ़ रहा था — एक ऐसा कंट्रोल जो उसे तोड़कर बनाए।

10 मिनट बाद...

साक्षी: "ठीक है, खड़े हो जाओ। लेकिन याद रखना – कल दोबारा गलती हुई तो माफ नहीं करूँगी।"

रूटीन सेट होता है

अगले कुछ दिनों में रोहित ने नियम मानने की कोशिश की। लेकिन इंसान वही करता है जिसकी उसे लत हो। वह बार-बार लेट हो जाता, रिपोर्ट स्किप कर देता — और हर बार उसकी सजा होती:

  • कभी 50 सिट-अप्स

  • कभी 15 मिनट नी-डाउन

  • कभी मुरगा बनकर राउंड लगाना कमरे में

लेकिन अब साक्षी भी समझ रही थी — रोहित को सिर्फ पढ़ाई का अनुशासन नहीं चाहिए, उसे पनिशमेंट का खेल चाहिए।

और शायद... अब साक्षी भी इस खेल में दिलचस्पी लेने लगी थी। उसकी भाषा बदलने लगी थी। अब वह कहती:

"आज मैं तेरे लिए नई पनिशमेंट सोचूँगी। तैयार रहियो।"

जो आपने अभी पढ़ा, वो तो बस शुरुआत थी — कहानी का सबसे रोमांचक हिस्सा अभी बाकी है!
पासवर्ड डालिए और जानिए आगे क्या हुआ 🔓
👉 पासवर्ड नहीं पता? Get Password पर क्लिक करो password जानने के लिए।

⭐⭐ मेरी कहानी की वेबसाइट पसंद आई हो तो Bookmark करना — भूलना मत! https://beingfaltu.blogspot.com


Beingfaltu YT videos

YouTube Playlist Preview