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Murga Punishment story रोहित और प्रिटी की कहानी – शरारत, पनिशमेंट और प्यार

📝 Story Preview:

Title: रोहित और प्रिटी की कहानी – शरारत, पनिशमेंट और प्यार

✍️ Genre: Romantic, Playful Discipline, College Love Story


भाग 1: नटखट प्रिटी और सख्त रोहित

कॉलेज के गलियारों में जब भी कोई हँसी की गूंज सुनाई देती थी, तो सब जानते थे कि कहीं न कहीं प्रिटी का हाथ ज़रूर है। वह कॉलेज की सबसे चुलबुली लड़की थी – हर वक्त मस्ती, शरारत और बेफिक्री से भरी। वहीं रोहित, फाइनल ईयर का टॉपर, शांत, संयमी और हर काम टाइम पर करने वाला लड़का था। दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल उलट थे, फिर भी साथ में ऐसे जुड़े थे जैसे धूप और छांव।

प्रिटी का दिन बिना किसी शरारत के पूरा नहीं होता था। कभी वो रोहित की किताबों में छोटे-छोटे मज़ाकिया नोट्स चिपका देती, तो कभी उसकी वाटर बॉटल में नमक घोल देती। लेकिन उस दिन उसने हद कर दी – रोहित की परीक्षा वाली नोटबुक ही गायब कर दी।

शाम को लाइब्रेरी में, जब रोहित अपनी नोटबुक ढूंढ रहा था, तब प्रिटी चुपके से कोने से उसे देख रही थी। उसे मज़ा आ रहा था, पर तभी रोहित की भौंहें तनीं और चेहरा सख्त हो गया।

“प्रिटी!” उसकी आवाज़ गरजी।

प्रिटी चौंक गई, फिर मुस्कुरा कर बोली, “क्या हुआ रोहित बाबू, कुछ खो गया क्या?”

“बहुत मज़ाक कर लिया तुमने। अब तुम्हें पनिशमेंट मिलेगी।”

“अरे! क्या करोगे? प्रिंसिपल को बताओगे या टीचर को?” – उसने आँखें मटकाईं।

“नहीं, तुम्हारे बॉयफ्रेंड को बुलाऊँगा – जो मैं हूँ,” रोहित ने उसकी कलाई पकड़ी और उसे पास खींचा। “अब मुरगा बनो।”

प्रिटी के चेहरे पर हल्की लाज छा गई, लेकिन उसके अंदर एक अनजाना रोमांच भर गया। उसने झिझकते हुए कान पकड़े और धीरे-धीरे नीचे झुककर मुरगा पोजीशन में आ गई। आसपास कोई नहीं था – सिर्फ़ लाइब्रेरी का सन्नाटा और उनके बीच का एक नया रिश्ता।

“10 मिनट तक इसी पोजीशन में रहो,” रोहित ने गहरी आवाज़ में कहा। “और अगली बार शरारत की, तो टाइम डबल होगा।”

प्रिटी के होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी। उसका चेहरा शर्म से गुलाबी हो चुका था।

“ठीक है रोहित सर... जैसे आप कहें,” उसने शरारती अंदाज़ में कहा।

वो दस मिनट, उनके रिश्ते की परिभाषा बदल गए। अब यह सिर्फ एक प्यारा-सा रोमांस नहीं था – यह एक ऐसी कहानी बन गई थी जिसमें अनुशासन, विश्वास और एक नटखट मोहब्बत का संगम था।

भाग 2: प्यार के साथ अनुशासन

अगले दिन, लाइब्रेरी की घटना प्रिटी के मन में बार-बार घूम रही थी। वो अब भी हँस रही थी, लेकिन कहीं अंदर कुछ हल्का-सा गुदगुदा एहसास भी हो रहा था।

दोपहर में कैंटीन के कोने वाली टेबल पर रोहित बैठा था, अपनी कॉफी के साथ। तभी प्रिटी उसके सामने आकर बैठ गई, मुस्कुराती हुई।

“सर, आज आपने कोई पनिशमेंट नहीं दी?” उसने आँखें घुमाकर कहा।

रोहित ने बिना मुस्कुराए जवाब दिया, “जब तक तुम शरारत नहीं करोगी, पनिशमेंट भी नहीं मिलेगी।”

प्रिटी ने धीरे से उसके सामने अपना फोन रखा और बोली, “फोन ढूंढ रहे थे न? मैंने फिर से छुपा दिया था।”

रोहित ने सिर झुकाया और गहरी साँस ली, फिर गंभीर स्वर में कहा, “प्रिटी, अब समय हो गया है कि तुम्हें थोड़ा अनुशासन सिखाया जाए।”

उसने फिर से उसकी कलाई पकड़ी और कहा, “चलो – अब क्लासरूम खाली है, वहीं चलते हैं।”

क्लासरूम की सूनसान चारदीवारी में रोहित ने कुर्सी खींचकर सामने रख दी। “अब मुरगा बनो – 15 मिनट।”

प्रिटी हँसते हुए बोली, “आप तो बहुत सीरियस हो गए हो!”

“अनुशासन भी प्यार की तरह ज़रूरी होता है,” रोहित ने शांति से कहा।

प्रिटी मुरगा बन गई। इस बार उसका चेहरा थोड़ा ज्यादा गुलाबी था – शायद शर्म से, या शायद एक्साइटमेंट से। रोहित उसे देखकर मुस्कुरा रहा था – आँखों में सख्ती थी, पर होंठों पर स्नेह।

“अगर दोबारा शरारत की, तो 30 मिनट की पनिशमेंट होगी,” उसने चेतावनी दी।

प्रिटी ने मुरगा पोज़ में रहते हुए धीमे से कहा, “ठीक है… लेकिन बाद में मुझे हग मिलेगा ना?”

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