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यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक है। किसी से समानता संयोग होगी। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ ((जैसे स्तन वर्धक या हार्मोन परिवर्तन)न लें - यह जानलेवा हो सकता है।— अनीता (ब्लॉग एडमिन)

Murga Punishment Story प्यार, पागलपन और मुरगा इम्तिहान

📝 Story Preview:

Title: Abhay: प्यार, पागलपन और मुरगा इम्तिहान

Subtitle: A Psychological Romance of Obsession and Respect

कॉलेज के बगीचे में एक दोपहर, जूनियर आदित्य अपने सीनियर श्रुति को मनाने आता है — लेकिन गुलाब से नहीं, बल्कि 'मुरगा बनकर'।

यह कहानी सिर्फ़ प्यार की नहीं है — यह पागलपन, आत्म-सम्मान, टेस्ट और तिरस्कार की है।

जब एक लड़का अपनी सीमाओं से परे जाकर सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हो, और लड़की अपने भावों से लड़ रही हो — तब क्या प्यार जीतता है, या खुद को खोने का दर्द ज़्यादा भारी होता है?

"Abhay" एक ऐसी कहानी है जो युवा दिलों की गहराइयों में उतरती है, जहाँ इश्क़ सिर्फ़ फूल और शायरी नहीं — बल्कि कभी-कभी 4 घंटे की मुरगा पनिशमेंट भी हो सकती है।

📖  Table of Contents

  1. Chapter 1 – फिर वही गुलाब

  2. Chapter 2 – मुरगा बनने की शर्त

  3. Chapter 3 – जब हँसी बनी हथियार

  4. Chapter 4 – दर्द की पहली लकीर

  5. Chapter 5 – आँसू और हठ का टकराव

  6. Chapter 6 – उसके हाथ की छाया

  7. Chapter 7 – सीमा के पार

  8. Chapter 8 – ज़मीन पर गिरा इश्क़

  9. Chapter 9 – क्या ये प्यार था?

  10. Chapter 10 – अंतिम जवाब

  11. Chapter 11 – सम्मान का फूल

  12. Chapter 12 – "Abhay" क्यों बना?




Chapter 1: फिर वही गुलाब

शनिवार की दोपहर थी। कॉलेज के पिछवाड़े बने पुराने गार्डन में आज भी वही हल्की धूप छिटकी हुई थी, घास थोड़ी लंबी हो चुकी थी और फूलों में गर्मियों की गंध रच चुकी थी। चारों तरफ हल्की-हल्की हवा चल रही थी, लेकिन आदित्य के माथे से पसीना टपक रहा था।

उसने अपने हाथ में एक बार फिर वही लाल गुलाब पकड़ा हुआ था — वही जो पिछले तीन बार उसे केवल हँसी और तिरस्कार में डूबोकर लौटा दिया गया था। लेकिन आज… आज कुछ अलग था।

पास ही, एक बड़ा पिकनिक चटाई पर फैली थी, जहाँ श्रुति अपनी तीन सहेलियों — रिया, मीरा और तान्या — के साथ बैठी थी। हँसी, मस्ती, चाय की चुस्कियाँ और दोस्तों की खिलखिलाहटों के बीच जैसे उस बगीचे में एक छोटा-सा संसार रच गया था।

और उसी दुनिया में बिना दावत के फिर से प्रवेश करता है — आदित्य।

धीरे-धीरे कदमों से, अपनी धड़कनों को काबू में करने की कोशिश करता हुआ, उसने गुलाब को थोड़ा और कसकर पकड़ा।


"Shruti… main phir aa gaya hoon…" आदित्य की आवाज़ बेहद धीमी थी, लेकिन आत्मविश्वास से भरी।

शरारती हँसी के साथ श्रुति ने आँखें उठाईं। वो उसी के चेहरे पर गौर करने लगी — पसीने से तरबतर चेहरा, लेकिन आँखों में वही जूनून।

"Areee… hamara junior lover फिर से हाज़िर है, हाथ में वही गुलाब लिए," रिया ने चुटकी ली।

"Kitni baar reject करूँ Shruti, tab मानेगा ये?" मीरा ने कहा और सब फिर हँस पड़ीं।

Shruti (mockingly): "Wow… kya pyaar hai! Murga बन-बनकर impress करोगे mujhe?"

Aditya ने अपनी गर्दन झुका ली, फिर सीधा उसकी आँखों में देखकर बोला —

"मैंने 30 दिन और practice की… इस बार सिर्फ़ hands-up नहीं… हर सुबह murga बना… रोज़ sunrise तक…"

Shruti (हल्की हँसी में): "So sweet! एक romantic rooster!"

Tanya: "Full-time murga lover! Kya बात है!"

लेकिन फिर अचानक, श्रुति का चेहरा थोड़ा गंभीर हो गया। वो उठी, चाय का कप हाथ में पकड़ा और धीरे से बोली —

"Toh theek hai Aditya… let’s raise the stakes. आज का test – 4 घंटे murga pose… मेरे और मेरी friends के सामने!"

आसपास की हवा कुछ ठिठक गई। Aditya के चेहरे की चमक फीकी पड़ी, लेकिन फिर भी मुस्कराया।

"तुम कहोगी तो पूरा दिन… बस इस बार हां कह देना…"

Shruti (आँखों में थोड़ी चुनौती लेकर): "प्यार चाहिए? Toh ego छोड़… ground पे आ… बन जा murga!"

और फिर… आदित्य ने बिना कुछ बोले, धीरे-धीरे अपने हाथ कानों तक ले गया। पैरों को मोड़ते हुए नीचे झुका… घास की नमी उसके घुटनों से टकराई।

Shruti, Tanya, Riya और Meera — चारों की आँखें खुली की खुली रह गईं। कोई हँसी नहीं आई। ये पहली बार था जब आदित्य ने बिना शब्दों के इतना बोल दिया था।

Shruti धीरे से बोली, almost whisper में —

"Test शुरू… टाइम चल रहा है।"

Aditya — अपने घुटनों पर, कान पकड़े, धूप में, उस छोटे गार्डन के बीच, कॉलेज के सीनियर्स के सामने — अब मुरगा बन चुका था।

लेकिन शायद, उस दिन उसने केवल शरीर नहीं झुकाया था — उसने अपने पूरे अहंकार को गिरा दिया था।

और वहीं से शुरू हुई थी एक ऐसी परीक्षा… जो सिर्फ़ प्यार की नहीं थी — बल्कि आत्म-सम्मान, इच्छा और सहनशीलता की भी थी।

Chapter 2: मुरगा बनने की शर्त

आदित्य घुटनों पर बैठ चुका था। हाथ कानों से लगे हुए थे, कोहनियाँ फैली हुई थीं और उसकी पीठ नीचे की ओर झुकी थी। चेहरे पर भाव तो शांत थे, लेकिन शरीर की मांसपेशियाँ पहले ही तनाव से कांपने लगी थीं। ये कोई नाटक नहीं था — ये एक सच्ची परीक्षा की शुरुआत थी।

Shruti ने घड़ी की ओर देखा और बोल पड़ी — "घड़ी 2:14PM दिखा रही है। 4 घंटे मतलब 6:14 तक मुरगा बने रहना है। और बीच में अगर कोई भी गलती हुई… तो टाइम रीसेट।"

रिया और मीरा की आँखें चमक उठीं, जैसे उन्हें नया इंटरटेनमेंट मिल गया हो। तान्या ने आदित्य की तरफ झुककर पूछा — "सच में कर पाएगा तू ये?"

आदित्य ने कोई जवाब नहीं दिया। वो बस आंखें बंद करके धीरे-धीरे साँस लेने लगा।

Shruti पास आई। उसके चारों ओर घूमते हुए बोली — "Yeh sirf एक physical punishment नहीं है… ये एक mental test भी है। तुम हर second खुद को समझाओगे कि छोड़ दो, उठ जाओ… लेकिन अगर तुम रुके… तुम हार गए।"

मीरा (teasingly): "Bas haath तो मत छोड़ना lover boy!"

Shruti (ठंडी मुस्कान के साथ): "और हाँ, बीच-बीच में हम तुम्हारा ध्यान भटकाएँगे। प्यार सिर्फ शांति नहीं होता… वो distraction और chaos के बीच भी टिकना होता है।"

रिया ने स्पीकर पर तेज़ music चला दिया — कोई EDM ट्रैक जिसकी बीट धड़कनों को और तेज़ कर दे।

30 मिनट बीते…

गर्म घास से घुटनों पर जलन हो रही थी। आदित्य के चेहरे पर अब हल्की थकावट आने लगी थी।

Shruti ने अचानक ज़ोर से कहा — "Aditya! Tumhare elbows नीचे जा रहे हैं।"

वो तुरंत straighten हुआ, लेकिन इस झटके से उसकी सांसें लड़खड़ा गईं।

Shruti पास आकर फुसफुसाई — "I’m watching everything… और तुम्हारे test का हर second मेरी आँखों में दर्ज हो रहा है।"

1 घंटा बीता…

अब दर्द स्थायी बन चुका था। हर अंग कांप रहा था।

मीरा ने पानी की बोतल से थोड़ी सी बूँदें घास पर गिराईं — वो जगह और गीली हो गई, और अब घुटनों में चुभन और बढ़ गई।

Shruti: "चाहो तो बोल सकते हो — 'Shruti I give up'… बस इतना कह दो… और सब खत्म।"

लेकिन आदित्य चुप रहा। उसका चेहरा अब पसीने से भीगा हुआ था, आँखों के कोनों में आँसू झलकने लगे थे।

रिया: "पागल है ये लड़का… seriously Shruti, this is mad!"

Shruti की आँखों में पहली बार हल्की चिंता दिखी। लेकिन उसने चेहरा सख्त बनाए रखा।

1 घंटा 45 मिनट…

आदित्य की टाँगें अब लगभग सुन्न हो चुकी थीं। लेकिन उसकी breathing तेज़ थी… आत्मा से लड़ती हुई।

Shruti फिर से उसके पास आई। उसकी पीठ पर हल्के से उँगली रखकर बोली — "Aditya… तुम खुद को सज़ा दे रहे हो। प्यार सज़ा नहीं होता… लेकिन अगर यही तुम्हारी भाषा है, तो मैं interpreter बन जाऊँगी।"

Shruti ने Aditya के पास चुपचाप एक गुलाब रख दिया… वही गुलाब जो वो लेकर आया था… अब Shruti की ओर से था।

Shruti (धीरे से): "ये गुलाब तुम्हें रुकने की छूट नहीं देता… बस याद दिलाता है कि तुम क्या साबित करने आए थे।"


Chapter 3: जब हँसी बनी हथियार

2 घंटे पूरे हो चुके थे।

घास पर झुका आदित्य अब एकदम स्थिर था, मगर उसका शरीर हिल रहा था — नहीं, वो खुद नहीं हिल रहा था, बल्कि थकान और दर्द उसके शरीर को हिला रहे थे। पसीना अब गले तक बह चुका था। उसकी पीठ से होकर कमर तक पहुँच गया था। और तभी तान्या की हँसी गूँजी — तेज़ और चुभने वाली।

"Shruti, क्या इसे एक प्यारा नाम दे दें? Murga Romeo?" तान्या ने कहा और बाकी लड़कियाँ खिलखिला उठीं।


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