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Shruti मुस्कराई, लेकिन उसके भीतर कुछ हलचल होने लगी थी। उसने मुस्कान को रोके रखा और बोली — "Murga Romeo… interesting। लेकिन Romeo अपने इश्क़ के लिए मरता है, ये तो बस punish हो रहा है।"
रिया ने पास आकर अपनी अंगुलियाँ चटकाईं और कैमरा ऑन किया। "Aditya… pose तो perfect है, लेकिन हम एक boomerang लेना चाहते हैं… थोड़ा bounce करो ना… थोड़ा entertain भी करो।"
मीरा ने एडिटिंग ऐप खोल लिया, उसमें filters लगाने लगी और Shruti के पास आई — "चलो, अब Insta reel बनाते हैं — ‘When juniors fall in love with seniors… this happens!’"
Shruti ने उसे हाथ से रोका, "नहीं, अभी नहीं… ये कोई joke नहीं है। हम उसे distract कर सकते हैं, लेकिन insult नहीं।"
तान्या: "Aww, protective ho gayi ho kya?"
Shruti ने कोई जवाब नहीं दिया। उसकी आँखें अब आदित्य के चेहरे पर ठहर गई थीं — जहाँ सिर्फ़ दर्द नहीं, बल्कि जिद थी।
2 घंटे 20 मिनट…
Shruti एक स्टूल खींचकर आदित्य के पास बैठी। उसने बेहद धीमी आवाज़ में कहा — "तुम्हें पता है, तुम्हारी आँखों में जो हँसी थी… अब वो गायब हो चुकी है। तुम्हें देखकर मुझे guilt होने लगा है, और ये मैं बिल्कुल नहीं चाहती।"
आदित्य की सांसें तेज़ थीं, पर वो कुछ नहीं बोला।
Shruti: "मैं चाहती थी कि तुम खुद समझो कि ये सब फालतू है… लेकिन तुमने इसे ही इज्ज़त बना लिया। Funny कैसे है ना — लोग कहते हैं 'don’t beg for love', और तुम literally घुटनों पर हो, कान पकड़ के।"
मीरा ने तब तक background में कोई romantic गाना बजा दिया — “Agar tum saath ho…”
Shruti ने उसे रोक दिया, "No! कोई music नहीं अब। ये romance नहीं है… ये दर्द है।"
2 घंटे 45 मिनट…
अब Shruti थोड़ी परेशान थी। उसके चेहरे पर हल्की चिंता थी, लेकिन वो अपनी आँखों को कठोर बनाए रखे थी।
Shruti (सख्त आवाज़ में): "Aditya! अगर तुम अब भी उठो, तो मैं तुम्हें coward नहीं कहूँगी। मैं तुम्हें समझदार कहूँगी। Love is not punishment, love is presence… समझे?"
पर आदित्य अब जवाब नहीं दे रहा था। उसकी साँसों में हल्का कंपन था, चेहरा पूरी तरह झुका हुआ, मगर कान अभी भी पकड़े हुए। वो थककर कांप रहा था, लेकिन pose अभी भी टूटा नहीं था।
रिया धीरे से Shruti के कान में बोली — "क्या होगा अगर वो सच में गिर गया तो? Shruti, ये तुम्हारा challenge था… उसकी limit के बाहर जा चुका है।"
Shruti की हथेलियाँ अब ठंडी पड़ चुकी थीं। वो उठी, और आदित्य के सामने जाकर एकदम पास खड़ी हो गई। फिर झुककर, उसके कान के पास धीमे से फुसफुसाई —
"Just say the words… 'Shruti, I give up'… बस इतना कह दो, और मैं तुम्हें आज़ाद कर दूँगी। कोई insult नहीं, कोई joke नहीं, बस end."
आदित्य के होठ हिले — बहुत हल्के से। फिर धीरे से एक आवाज़ निकली —
"…तुमने कहा था… जब तक मैं न छोड़ूँ… मैं नहीं छोड़ूँगा…"
Shruti की आँखें पल भर को भर आईं। लेकिन उसने चेहरा मोड़ लिया, ताकि कोई देख न सके।
3 घंटे पूरे…
Shruti अब वापस जाकर अपनी जगह बैठी। लेकिन पहली बार उसके मन में एक गहरी खामोशी भर चुकी थी। वो जो हमेशा मजाक करती थी, अब सिर्फ़ घास के एक बिंदु को घूर रही थी।
रिया: "Shruti… क्या अब हम इसे रोक दें? वो लड़का गिर जाएगा।"
Shruti: "नहीं… अभी नहीं। वो खुद ही फैसला लेगा। ये अब उसका ही इम्तिहान है… और शायद मेरा भी।"
Chapter 4: दर्द की पहली लकीर
3 घंटे 15 मिनट बीत चुके थे।
आदित्य की टाँगें अब लगातार काँप रही थीं। उसकी हथेलियाँ पसीने से गीली हो चुकी थीं, कानों को पकड़े रखने की ताक़त जैसे धीरे-धीरे खत्म हो रही थी। एक गहरी थकावट, जो अब सिर्फ़ शरीर में नहीं, बल्कि आत्मा में उतर आई थी।
Shruti ने धीरे से अपनी उँगलियाँ भींचीं — उसका दिल भी काँप रहा था। उसने अपने भीतर उठते एक डर को दबाने की कोशिश की। वो डर, जो किसी के टूटने से नहीं, खुद के बदल जाने से था।
रिया ने Whisper करते हुए कहा, "Shruti… अब रोक दो… seriously. वो लड़खड़ा रहा है।"
Shruti: "मैं जानती हूँ… लेकिन अगर मैं अभी रोक दूँ, तो शायद ये हमेशा अधूरा रह जाएगा। उसका इरादा… उसकी कोशिश… सब अधूरी।"
3 घंटे 30 मिनट…
एक तेज़ साँसों का झटका — और फिर एक धीमा सा गिरना। Shruti ने देखा — आदित्य का एक घुटना अब ज़मीन से छू गया था। लेकिन उसने तुरंत खुद को संभाल लिया और फिर से मुरगा pose में वापस आ गया।
Shruti दौड़कर उसके पास पहुँची, घुटनों के बल बैठी और पहली बार उसकी आँखों में सीधे देखा —
"तुम्हारे शरीर की हदें खत्म हो रही हैं… लेकिन तुम फिर भी रुके नहीं। ये सिर्फ़ इश्क़ नहीं है आदित्य, ये खुद को मिटाने की जिद है।"
आदित्य ने धीरे से कहा, "तो मिट जाने दो न Shruti… शायद इसी में मेरी मोहब्बत का जवाब छिपा हो।"
Shruti की आँखों के कोने अब भीगे हुए थे, लेकिन उसने उन्हें रगड़कर पोंछा और सख्ती से खड़ी हुई —
"ठीक है, अब final phase शुरू होता है। अब हर 5 मिनट में तुम्हें दो बार मुरगा position से उठना और दो बार वापस जाना होगा — बिना हाथ छोड़े, बिना रुके।"
Meera चौंक गई, "Shruti! ये तो torture है!"
Shruti (कठोर लहजे में): "ये आखिरी परख है… उसके खुद के लिए, और शायद मेरे लिए भी।"
3 घंटे 40 मिनट…
आदित्य अब मुरगा pose से धीरे-धीरे खड़ा होता… फिर वापस जाता। हर बार जैसे उसके पैरों की हड्डियाँ चीखतीं… लेकिन वो रुका नहीं। हर उठने-बैठने पर उसके शरीर से पसीना जैसे झरने की तरह बहने लगता।
तभी एक आवाज़ आई — "बस कर यार… क्या मिल जाएगा Shruti से?"
किसी दूर खड़े जूनियर लड़के ने कहा था। आदित्य ने आवाज़ सुनी, मगर उसका ध्यान नहीं टूटा। Shruti ने भी सुना, और पहली बार भीड़ की मौजूदगी उसे चुभने लगी।
3 घंटे 50 मिनट…
Shruti आगे बढ़ी, आदित्य के ठीक सामने आकर खड़ी हो गई —
"बस करो अब… ये आखिरी 10 मिनट मैं तुम्हें अपनी मर्ज़ी से देने को तैयार हूँ। उठो… और सीधे बैठो मेरे सामने।"
आदित्य ने धीमे से सिर हिलाया — "बस 10 मिनट और… मेरा इम्तिहान पूरा होने दो।"
Shruti: "तुम्हारी हड्डियाँ जवाब दे चुकी हैं… तुम्हारी आँखों में धुंध है… अब और क्या साबित करोगे?"
आदित्य: "कि मैं आधा नहीं हूँ… अधूरा नहीं हूँ… Shruti के काबिल बनने की आखिरी कोशिश कर रहा हूँ।"
3 घंटे 58 मिनट…
Shruti अब अपने आँसू नहीं रोक पाई। उसने चेहरा मोड़ लिया, लेकिन उसकी उँगलियाँ काँप रही थीं। उसकी दोस्तें चुप थीं। हवा भी अब हल्की ठंडी लगने लगी थी, लेकिन Shruti के अंदर जैसे कुछ पिघल रहा था।
4:00 PM – 4 घंटे पूरे
Shruti ने घड़ी देखी। आँखे बंद की। फिर धीरे से बोली —
"Time’s up, Aditya… test over."
आदित्य ने अपने हाथ नीचे किए… और जैसे ही उसने खड़ा होना चाहा, वो सीधे Shruti की गोद में गिर गया। वो उसे पकड़ने की कोशिश करती है, लेकिन दोनों घास पर बैठ जाते हैं।
Shruti (उसके माथे को सहलाते हुए): "तुमने हार नहीं मानी… लेकिन अब मुझे डर लगने लगा है… कि कहीं तुम खुद को पूरी तरह खो न दो।"
आदित्य (धीरे से मुस्कुराते हुए): "तुमने… मुझे… पहली बार… छुआ… Shruti… That’s enough for now."
Shruti कुछ नहीं बोलती। बस उसकी उंगलियाँ आदित्य की हथेली को कसकर थामे रहती हैं। पहली बार, वो खुद भी इम्तिहान से गुज़रती है।
Chapter 5: गुलाब की चुभन
शाम 5:30 बजे
कॉलेज का गार्डन अब खाली हो चुका था। बस ठंडी हवा और बिखरे हुए फूलों की पंखुड़ियाँ रह गई थीं। Shruti अकेली बैठी थी — उस जगह जहाँ कुछ घंटों पहले आदित्य की साँसें काँप रही थीं। घास पर अब भी हल्का निशान बना हुआ था, जहाँ वह मुरगा pose में बैठा था। पास में वही गुलाब गिरा हुआ था, जो आदित्य लेकर आया था… अब मुरझा चुका था।
Shruti ने धीरे से उसे उठाया। एक काँटा उसकी उँगली में चुभ गया —
"OUCH…"
खून की एक हल्की बूँद उभरी। पर Shruti की आँखें गुलाब पर ही टिकी रहीं।
काँटे की चुभन अब उसके मन तक उतर चुकी थी।
Shruti (मन में): "कितनी अजीब बात है… ये गुलाब हर बार मुझे परेशान करता है। पहली बार जब उसने दिया था, तो मैंने हँसकर लौटा दिया। दूसरी बार फेंकने का मन किया… लेकिन आज… ये काँटा चुभ गया और मैं उसे छोड़ नहीं पा रही।"
वो गुलाब को हाथ में लिए धीरे-धीरे गार्डन की एक कोने में गई, जहाँ bench थी। वही bench जहाँ अक्सर वो और उसकी दोस्तें गप्पें मारती थीं… और अब वही जगह एक अजीब सन्नाटे से भरी थी।
Shruti की यादों में flashback चलता गया — आदित्य का लड़खड़ाता शरीर, उसका काँपता चेहरा, वो आँखें जिनमें आँसू नहीं थे… सिर्फ़ इंतज़ार था।
"Shruti… that’s enough for now."
उसके ये शब्द जैसे अब Shruti के कानों में गूँजने लगे थे। वो खुद से सवाल करने लगी थी — क्या ये सच में प्यार था? या पागलपन? और अगर पागलपन था… तो फिर मुझे क्यों तकलीफ हो रही है?
तभी उसके फोन में नोटिफिकेशन आया।
Aditya ने उसे एक फोटो भेजी थी — मुरझाया गुलाब, उसकी हथेली पर रखा हुआ। नीचे सिर्फ़ एक लाइन थी —
"आज भी तुम्हारे दिए हुए काँटे की चुभन sweetest punishment लगी।"
Shruti ने स्क्रीन को देखा… बहुत देर तक। फिर फोन नीचे रखा और गुलाब को ध्यान से देखा।
Shruti (धीरे से): "क्या मैं सच में गलत थी? या बस डर रही थी उस लड़के के intensity से?"
उसने फोन उठाया और एक मैसेज टाइप किया:
"Aditya… कल मिलो, उसी जगह। पर इस बार मुरगा बनने के लिए नहीं… सिर्फ़ बात करने के लिए। मैं नहीं चाहती कि तुम सिर्फ़ मेरे लिए खुद को तोड़ो… मैं देखना चाहती हूँ कि जब मैं कुछ न कहूँ, तब भी तुम खुद को कितना संभाल सकते हो।"
पल भर बाद उसने send का बटन दबा दिया।
Shruti ने गुलाब को वापस जमीन पर रखा — इस बार काँटे ऊपर थे… पर चेहरे पर एक अजीब सुकून था।
कभी-कभी एक काँटा ही हमें एहसास दिलाता है कि हम अब तक फूल को समझ नहीं पाए थे।
Chapter 6: आग का इम्तिहान
अगले दिन – सुबह 8:00 बजे
कॉलेज का वही पिछला गार्डन। हल्की धूप और ओस से भीगी घास। Shruti पहले से वहाँ बैठी थी — हाथ में वही diary जिसमें वो अक्सर poetry लिखती थी। लेकिन आज उसका मन एक कविता नहीं, एक उत्तर ढूँढने में था।
कुछ देर बाद आदित्य आता है — साफ़ कपड़े, थका नहीं बल्कि संयमित और गंभीर। आज उसकी चाल में वो झिझक नहीं थी, जो पहले बार-बार Shruti को खटकती थी।
Shruti (धीरे से मुस्कुराकर): "आज गुलाब नहीं लाए?"
Aditya: "नहीं… आज मैं कुछ देने नहीं, कुछ समझने आया हूँ।"
Shruti ने diary बंद की। हवा में एक अजीब खामोशी थी — जैसे वक्त भी रुक कर देख रहा हो।
Shruti: "मैं चाहती हूँ कि आज तुम खुद को साबित करो — बिना किसी पनिशमेंट के, बिना किसी role-play के। बताओ, बिना extreme तक गए… तुम Shruti के काबिल कैसे हो सकते हो?"
Aditya ने पल भर सोचा… फिर सीधा खड़ा हो गया। उसने एक notebook निकाली, जिसमें timetable, goals, और Shruti से जुड़े promises लिखे थे।
Aditya: "मैंने हर दिन के लिए discipline plan बनाया है — हर goal के साथ reason लिखा है। सिर्फ इसलिए नहीं कि तुम देखो, बल्कि इसलिए कि मैं खुद याद रख सकूँ कि मैं क्यों fight कर रहा हूँ।"
Shruti चुपचाप देखती रही। फिर धीरे से पूछा —
"और अगर मैं कहूँ कि आज से मैं किसी भी emotion में invest नहीं हूँ… तब भी तुम ये सब करोगे?"
Aditya ने एक लंबी साँस ली —
"तब भी। क्योंकि अब ये सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं… मेरे लिए भी है। तुमने मुझसे extreme छुड़वाया, और वो शायद मेरी सबसे बड़ी learning थी।"
Shruti की आँखों में पहली बार एक चमक आई — acceptance की नहीं, पर curiosity की।
"तो आज का test है — 3 घंटे गार्डन में बैठकर पढ़ाई करना… silence में… no phones, no distractions, और मैं यहीं रहूँगी, तुम्हारे सामने — बस observer बनकर। कर सकते हो?"
Aditya: "Yes, ma'am."
Shruti: "No need to call me ma'am anymore… call me only when you earn the right."
1st Hour
Aditya quietly बैठा, किताब खोलकर पढ़ाई में लग गया। Shruti अपने diary में doodle बना रही थी, लेकिन हर पाँच मिनट बाद उसकी नजर उसपर चली जाती। Aditya का focus, body language, सब steady थे।
2nd Hour
धूप थोड़ी तेज़ हो चुकी थी। Aditya की पीठ पर पसीने की एक परत दिख रही थी, लेकिन उसके page पलटने की गति थमी नहीं। Shruti अब उससे प्रभावित हो रही थी, लेकिन उसने चेहरा emotion-less बनाए रखा।
उसने सोचा — "यही fire चाहिए थी… जो खुद को जलाए बिना उजाला कर सके।"
3rd Hour
अब हवा फिर से ठंडी हो चुकी थी। Aditya ने एक भी बार सिर ऊपर नहीं उठाया। Shruti उसके पास गई, और उसके notebook में देखा — उसने अपने हर subject के key points revise कर लिए थे।
Shruti (धीरे से): "Stop."
Aditya ने सिर उठाया — पसीना, धूप, पर चेहरा शांत था।
Shruti: "अब तुम एक नए exam में pass हुए हो — बिना मुरगा बने, बिना चिल्लाए… सिर्फ़ खुद को संभालकर।"
Aditya ने मुस्कुराकर कहा: "और ये सबसे मुश्किल exam था।"
Shruti ने पहली बार उसके कंधे पर हल्का सा हाथ रखा — एक इज़्ज़त भरा touch, जो शायद उस दिन के गुलाब से कहीं ज़्यादा मायने रखता था।
Chapter 7: फिर भी अधूरा
दो दिन बाद
Shruti अपने कमरे में अकेली बैठी थी। सामने वही गुलाब जो अब पूरी तरह सूख चुका था — काँटों से भरा हुआ, जैसे कोई बीती हुई भावना की मूक स्मृति हो।
डेस्क पर आदित्य की भेजी हुई hand-written copy पड़ी थी — जिसमें उसके study goals, motivation quotes और self-reflection के नोट्स थे। Shruti ने सब कुछ पढ़ा था… दो बार… फिर भी उसके मन में एक खालीपन था, जिसे वो पहचान नहीं पा रही थी।
"कभी-कभी सबसे बड़ा डर ये होता है कि जो सामने दिख रहा है, वही सच नहीं हो।"
उसने अपने मन में कहा।
Scene: कॉलेज गार्डन — एक और मुलाक़ात
Shruti और Aditya फिर से उसी bench पर आमने-सामने बैठे थे। इस बार माहौल शांत था, कोई test नहीं, कोई तैयारी नहीं। बस एक बात अधूरी थी… जो Shruti के दिल में चुभ रही थी।
Shruti: "Aditya… तुमने खुद को साबित कर दिया… discipline, patience, और dedication भी। लेकिन…"
Aditya: "लेकिन?"
Shruti की आँखें हल्की भीग गईं।
Shruti: "लेकिन मुझे डर है कि तुम्हारा ये सब सिर्फ़ मुझे impress करने का तरीका ना हो। मुझे अब भी नहीं लगता कि मैं तुम्हें वो दे सकती हूँ, जो तुम deserve करते हो।"
Aditya कुछ देर चुप रहा… फिर धीरे से बोला:
"मैंने कभी तुमसे कुछ माँगा नहीं… सिवाय एक मौका। ये true love है या बस madness — ये भी शायद मैं पूरी तरह नहीं समझता। पर जो भी है, वो सच्चा है… और अधूरा भी सही, पर झूठा नहीं।"
Shruti: "और अगर मैं कभी पूरी ना हो पाई… तब भी?"
Aditya मुस्कुराया, पर उस मुस्कान में हल्की सी उदासी थी।
"तब भी… मैं उसी incomplete कहानी को अपना मान लूँगा। हर इंसान में अधूरापन होता है… और शायद मैं तुम्हारे अधूरेपन से ही पूरी कहानी बनाना चाहता हूँ।"
Shruti का दिल काँप उठा। पहली बार उसे महसूस हुआ कि वो Aditya की intensity से नहीं, खुद के असमर्थ होने से डर रही थी।
रात — Shruti की Diary Entry
“आज Aditya ने मुझे कुछ नहीं दिया… न फूल, न पनिशमेंट, न plan… सिर्फ़ एक एहसास दिया — कि मेरी अधूरी ज़िंदगी भी किसी के लिए मुकम्मल हो सकती है। लेकिन क्या मैं उस सच्चाई से भाग रही हूँ?”
“शायद… मैं खुद को accept नहीं कर पा रही, इसलिए Aditya को भी नहीं कर पा रही।”
Aditya की ओर से Voice Note (Shruti को)
"Hi Shruti, मुझे नहीं पता तुम कल मिलना चाहोगी या नहीं… लेकिन मैं वहीं रहूँगा — उसी गार्डन में, उसी bench पर। बिना test, बिना request… बस यूँ ही। अगर मन करे, आ जाना। नहीं भी आई, तो कोई बात नहीं… मैं तुम्हारी absence को भी एक beautiful silence मान लूँगा।"
Shruti ने वो voice note बार-बार सुना। हर बार कुछ नया महसूस हुआ — कभी guilt, कभी warmth, कभी एक अधूरा सा connection।
Chapter 8: मौन की मुलाक़ात
सुबह 6:45 बजे – कॉलेज गार्डन
हल्की सी ठंडक, कोहरे की चादर और सन्नाटा। आसमान धुंधला लेकिन गुलाबी रोशनी के संकेत दे रहा था। गार्डन में एक ही इंसान बैठा था – आदित्य। उसका चेहरा शांत था, आँखें बंद, और हाथों में कोई किताब नहीं — सिर्फ़ एक छोटा सा पत्थर जिसे वो बार-बार उलट-पलट रहा था।
वो इंतज़ार कर रहा था — लेकिन अब किसी नतीजे या फैसले के लिए नहीं। बस Shruti की मौन उपस्थिति के लिए।
ठीक 7:00 बजे, हल्के कदमों की आवाज़ आई। Shruti आ रही थी — हल्का नीला कुर्ता, बिना मेकअप, बिना ड्रामा। उसकी आँखों में थकान नहीं थी, पर उत्साह भी नहीं। बस एक तलाश — खुद से मिलने की, आदित्य से नहीं।
Shruti चुपचाप आदित्य के पास बैठ गई। दोनों के बीच एक हाथ भर की दूरी थी — ना ज़्यादा ना कम। कोई अभिवादन नहीं, कोई हल्की हँसी भी नहीं।
10 मिनट…
कोई नहीं बोला। हवा से पत्तियाँ सरसराईं, दूर एक कुत्ता भौंका… और दोनों एक साथ उस ओर देखकर मुस्कुरा दिए। फिर फिर से चुप।
20 मिनट…
Shruti ने अपनी चप्पल उतार दी और घास पर अपने पैरों को महसूस करने लगी। आदित्य ने उसे देखा, और खुद भी वैसा ही किया। दोनों की आँखें एक बार मिलीं, लेकिन बिना शब्दों के — जैसे दोनों ने मौन में ही समझौता कर लिया हो।
30 मिनट…
Shruti ने गहरी साँस ली और आँखें बंद कर लीं। आदित्य भी ऐसा ही करता है। उस पल दोनों meditation कर रहे थे — एक-दूसरे के presence को absorb कर रहे थे, बिना किसी demand के।
40 मिनट…
Shruti ने धीरे से कहा:
"मैंने कभी सोचा नहीं था कि silence इतना healing हो सकता है…"
Aditya ने सिर्फ़ सिर हिलाकर हामी भरी।
Shruti: "तुम बदल गए हो, Aditya… और शायद मैं भी। लेकिन मैं अब भी डरती हूँ…"
Aditya (धीरे से): "डरना बंद मत करना… वो तुम्हें इंसान बनाए रखेगा। बस भागना बंद कर देना।"
Shruti ने उसकी तरफ़ देखा। आज पहली बार उसे लगा कि आदित्य कोई test नहीं, कोई intense drama नहीं… बस उसकी सुकून भरी जगह बन गया है।
55 मिनट…
Shruti उठी, उसने आदित्य की हथेली में कुछ रख दिया — वही सूखा हुआ गुलाब, जो कभी उसने फेंक दिया था।
Shruti: "ये गुलाब अब मुझे दर्द नहीं देता… बस याद दिलाता है कि प्यार हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन अगर सच्चा हो, तो मौन में भी ज़िंदा रह सकता है।"
Aditya ने गुलाब को देखा, फिर उसकी ओर एक हल्की मुस्कान फेंकी।
1 घंटा पूरा।
Shruti: "चलो, आज की मौन क्लास यहीं तक… बाकी lesson फिर कभी।"
दोनों साथ उठते हैं, बिना हाथ पकड़े, बिना वादा किए… लेकिन दिल में एक समझ के साथ कि ये connection अब शब्दों से ऊपर जा चुका है।
Chapter 9: आधे हक की मोहब्बत
दोपहर – Shruti का hostel room
खिड़की से आती धूप में Shruti अपनी डायरी के पन्ने पलट रही थी। हर पन्ना किसी test, किसी उलझन या आदित्य की कोई बात से भरा था। लेकिन आज उसने पहली बार एक खाली पन्ना देखा… और उसी पर लिखा:
“क्या आधा प्यार भी सच्चा हो सकता है?”
Knock knock.
Aditya दरवाज़े पर था, हाथ में एक notebook। Shruti ने दरवाज़ा खोला, और कोई औपचारिकता नहीं — बस दोनों सीधे room के अंदर, जहाँ भावनाएँ बिना भूमिका के बहने वाली थीं।
Shruti: "मुझे तुमसे कुछ कहना है… जो शायद तुम्हें तोड़ भी सकता है।"
Aditya: "तोड़ना allowed है… बस झूठ मत कहना।"
Shruti ने लंबी साँस ली। फिर बिना आँख मिलाए कहा:
"मुझे trust करने में problem है… childhood से। मैंने अपनी मम्मी को टूटते देखा, पापा को हर लड़की पर शक करते… और फिर उन्हें अकेला छोड़ते देखा। तब से मुझे प्यार एक deal लगता है — give and take — कभी free-flowing नहीं।"
Aditya: "और इसलिए तुम किसी को पूरा नहीं दे पाती…?"
Shruti (आँखें moist): "हाँ… और इसी वजह से मैं तुमसे भी डरती हूँ। तुम्हारा प्यार intense है, selfless… और मैं शायद कभी तुम्हें उतना दे ही नहीं पाऊँ। मैं तुम्हें चाहती तो हूँ… पर पूरी तरह नहीं… सिर्फ़ आधा।"
Aditya कुछ देर चुप रहा। उसने उसकी ओर देखा, जैसे हर शब्द को दिल में उतार रहा हो। फिर बोला:
"Shruti… मुझे तुम्हारा पूरा प्यार नहीं चाहिए। मुझे वो version चाहिए जो authentic है। अगर आधा ही तुम्हारे बस में है, तो मैं उसी से अपनी दुनिया बना लूँगा।"
Shruti उसकी आँखों में देखती है, और पहली बार… guilt के साथ comfort भी महसूस करती है।
Scene Change – Library Steps, Sunset Time
दोनों अब library के सामने बैठते हैं — न हाथ में गुलाब, न challenge, बस एक शांति।
Shruti: "तुम सच में आधा प्यार accept कर सकते हो?"
Aditya: "अगर तुमने पूरे दिल से आधा दिया हो… तो हाँ। क्योंकि उस आधे में तुम्हारी सच्चाई होती है, और मुझे illusion नहीं चाहिए।"
Shruti (धीरे से मुस्कुराकर): "और अगर मैं कभी पूरी ना हो पाई…?"
Aditya: "तो मैं तुम्हारे आधे में ही खुद को मुकम्मल समझ लूँगा।"
Shruti धीरे-धीरे उसके कंधे से सिर टिकाती है।
एक रिश्ता जो अब भी अधूरा है — लेकिन अब उसमें घुटन नहीं… बल्कि breathing space है। एक ऐसा bond जो define नहीं किया जा सकता, लेकिन जीया जा सकता है।
Chapter 10: बंधन या आज़ादी?
कॉलेज कैफेटेरिया – दोपहर का समय
Shruti और उसकी दोस्त Meera लंच कर रही थीं। तभी सामने वाले टेबल पर एक नई लड़की बैठी — खुले बाल, कॉन्फिडेंट बॉडी लैंग्वेज और उसकी हँसी की आवाज़ सबको अपनी ओर खींच रही थी।
Meera (घुटी हँसी में): "नया सेमेस्टर, नए चेहरे।"
Shruti (हल्के से मुस्कुरा कर): "और नई चमक।"
लेकिन जैसे ही Shruti ने गौर किया, उसने देखा कि Aditya उसी लड़की के पास जाकर बैठा — और दोनों कुछ animated बातचीत में खो गए।
उसका दिल थोड़ी देर को ठहर गया।
Scene Shift – Shruti’s Mind
“Aditya ने कुछ गलत नहीं किया… हमने तो commitment तक नहीं किया। फिर भी ये क्यों चुभ रहा है?”
उसका दिल एक अजीब सी बेचैनी से भर गया।
Library – Same Evening
Aditya किसी किताब पर झुका था, तभी Shruti आई। उसकी चाल में वो usual tease नहीं थी, बल्कि एक हल्की असहजता थी।
Shruti (सीधे): "वो लड़की कौन थी?"
Aditya (सर उठाकर): "Aarushi? New junior. English literature में है। बस casually बात हो रही थी।"
Shruti (थोड़ा झल्लाकर): "बहुत friendly दिख रही थी…"
Aditya (धीरे से): "Shruti… हम दोनों ने boundaries पर कभी चर्चा की नहीं… और तुमने ही कहा था कि तुम्हारा प्यार अधूरा है। अब अगर मैं किसी से बात कर रहा हूँ, तो वो गलत कैसे हो गया?"
Shruti चुप हो गई। उसके अंदर चल रही आग अब साफ दिख रही थी।
Scene: Garden Bench – Night Conversation
Shruti: "Aditya… क्या तुम्हें भी कभी jealousy होती है?"
Aditya: "हाँ… पर मैंने उसे possessiveness में नहीं बदला। तुमसे प्यार किया है… ownership की तरह नहीं।"
Shruti: "तो क्या प्यार में बंधन नहीं होना चाहिए? थोड़ी सी exclusivity, थोड़ी सी limitation?"
Aditya (गंभीर होकर): "प्यार में space भी होना चाहिए… वरना वो बंधन नहीं, बंदिश बन जाता है।"
Shruti की आँखों में आँसू थे।
Shruti: "शायद मैं खुद नहीं जानती थी कि मैं तुम्हें खोने से डरती हूँ… शायद मैं सिर्फ़ आधा प्यार देने के नाम पर, पूरा प्यार चाहती रही… और अब, जब तुम्हारी attention किसी और ने ले ली… तो मुझे अपने ही emotions से डर लगने लगा।"
Aditya (धीरे से): "प्यार आज़ादी देता है Shruti, पर उस आज़ादी में कभी-कभी एक subtle बंधन छुपा होता है… एक ऐसा बंधन जो कहता है – मैं तेरे साथ हूँ, लेकिन तुझे बाँधूँगा नहीं।"
Shruti: "क्या मैं उस आज़ादी को handle कर पाऊँगी…?"
Aditya: "पता नहीं… लेकिन हम कोशिश कर सकते हैं।"
Chapter End Scene – Next Day, Campus Path
Shruti दूर से Aarushi और Aditya को हँसते हुए देखती है, फिर गहरी साँस लेती है और आगे बढ़ जाती है। इस बार jealousy नहीं, बस थोड़ा acceptance था।
वो जान चुकी थी – प्यार अधूरा हो सकता है, intense भी हो सकता है, लेकिन अगर वो possessive हो जाए… तो वो खुद की identity खा जाता है।
Chapter 11: इम्तिहान की दूसरी आग
Shruti’s hostel room – एक अनसोचा फैसला
Shruti अपनी नोटबुक पर कुछ लिख रही थी। बाहर बारिश की हल्की बूंदें गिर रही थीं, पर कमरे में अजीब सी गर्मी थी — एक बेचैनी, एक चुनौती लेने की इच्छा।
Shruti ने खुद से कहा, “Aditya ने मेरे लिए कितनी बार खुद को परखा, झुकाया… अब बारी मेरी है।”
वो उठी, चेहरा शीशे में देखा — confident, calm, but trembling underneath।
Shruti का Plan: “कल सुबह 6 बजे… campus central ground पर… मैं खुद को prove करूँगी… उस इम्तिहान से गुजरूँगी, जिससे वो बार-बार गुज़रा।”
Next Day – 6:00 AM – Central Ground
Aditya जैसे ही ground पर पहुँचा, उसने देखा – Shruti घुटनों के बल बैठी है, कान पकड़े हुए, मुरगा पोज़ में। उसकी तीन दोस्त — Meera, Riya और Tanya — कुछ दूरी पर खड़ी थीं, चुपचाप।
Aditya भागकर Shruti के पास पहुँचा:
Aditya: "क्या कर रही हो तुम Shruti!? ये सब… क्यों?"
Shruti (बिना आँखें उठाए): "ताकि तुम्हें लगे कि तुम्हारी दीवानगी सिर्फ़ एकतरफा नहीं थी। तुमने बार-बार खुद को मेरे सामने झुकाया… अब मेरी बारी है।"
Aditya स्तब्ध रह गया। पहली बार, Shruti ने न सिर्फ़ उसका test accept किया, बल्कि खुद उसे अपना बना लिया था।
30 मिनट बाद – Shruti काँप रही थी
उसके पैर अब जवाब दे रहे थे, साँसें तेज़ हो गई थीं। Aditya पास आया, घुटनों के बल बैठकर बोला:
Aditya: "बस करो Shruti… तुमने साबित कर दिया… मुझे तुमसे और कुछ नहीं चाहिए।"
Shruti (धीरे से): "नहीं… मैं ये नहीं तुम्हारे लिए कर रही… ये मैं खुद के लिए कर रही हूँ… ताकि मैं खुद को अपनी ही नजरों में पूरा महसूस कर सकूँ।"
Meera की आँखों में आँसू थे। Tanya ने धीरे से कहा, "इस बार असली दीवानगी Shruti की है।"
1 घंटा पूरा
Shruti अब पूरी तरह थक चुकी थी। उसका शरीर काँप रहा था, लेकिन चेहरे पर संतोष था। Aditya ने बिना कुछ कहे उसे उठाया, और सीधा कैंपस के पीछे वाले गार्डन में ले गया।
Shruti: "मुझे माफ़ करना Aditya… बहुत देर से समझी कि प्यार बराबरी से होता है… तुम जैसे थे, वैसे ही perfect थे… मैं ही incomplete थी।"
Aditya (आँखें नम): "तुमने जो किया… वो कोई proof नहीं था Shruti… वो तो healing थी। और आज मैं जानता हूँ – तुम अब आधी नहीं, पूरी हो।"
Shruti उसके कंधे पर सिर रख देती है। पहली बार, दोनों का इम्तिहान खत्म हुआ था… बिना हार-जीत के, सिर्फ़ स्वीकार और समर्पण के साथ।
Chapter 12: गुलाब और राख
स्थान: कॉलेज गार्डन – वही जगह जहाँ सब शुरू हुआ था
धूप धीमे-धीमे जमीन को छू रही थी। हवा में वो पुरानी खुशबू थी — मिट्टी की, गुलाब की, और कुछ अधूरी कस्में निभा लेने की। Shruti और Aditya उस पेड़ के नीचे पहुँचे जहाँ उनका पहला test हुआ था।
Shruti के हाथ में एक लाल गुलाब था — वही symbol जिसने कभी आदित्य को घुटनों पर ला दिया था। पर आज, उस गुलाब का मतलब अलग था।
Aditya: "कभी ये गुलाब सिर्फ़ एक चाहत था… फिर ये जुनून बना… फिर पागलपन… और अब शायद ये सिर्फ़ एक याद है।"
Shruti: "याद भी नहीं… शायद एक भूत… जिससे हमें अब आगे बढ़ना है।"
दोनों ने मिलकर एक छोटा सा मिट्टी का कटोरा रखा। Shruti ने गुलाब उसमें रखा और माचिस जलायी। गुलाब ने एक हल्की सी चीख के साथ जलना शुरू किया।
Meera, Tanya और Riya कुछ दूरी पर खड़ी थीं — चुपचाप, श्रद्धांजलि जैसे दे रही हों।
Shruti: "इस गुलाब के साथ मैं वो हर insecurity जला रही हूँ जो मुझे रोकती थी… Aditya, तुम्हारे लिए प्यार अब कोई कर्तव्य नहीं है। मैं तुम्हारे साथ हूँ, अपनी इच्छा से… बिना guilt के।"
Aditya (धीरे से): "और मैं अपने अतीत की वो दीवानगी जला रहा हूँ, जो तुम्हें डराती थी… अब मैं सिर्फ़ वो बनूँगा, जिससे तुम्हें सुकून मिले।"
गुलाब राख में बदल चुका था। हवाओं में अब कोई शोर नहीं था — सिर्फ़ शांति थी।
Aditya ने राख की कुछ रेखाएँ मिट्टी में मिला दीं। Shruti ने उसके हाथ पकड़ लिए।
Shruti: "अब जो भी होगा, वो इन राख की मिट्टी से पनपेगा — नया, सच्चा और mature।"
Aditya (हँसकर): "अब शायद इम्तिहान का दौर खत्म हुआ… और असली ज़िंदगी शुरू।"
Shruti (मुस्कुराकर): "और इस बार, बिना किसी मुरगा पोज़ के।"
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