Disclaimer

यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक है। किसी से समानता संयोग होगी। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ ((जैसे स्तन वर्धक या हार्मोन परिवर्तन)न लें - यह जानलेवा हो सकता है।— अनीता (ब्लॉग एडमिन)

BeingFaltu | Crossdressing Story | दो चोटी वाला लड़का – Neeraj की सच्ची कहानी

📝 Story Preview:

📘 Chapter 1: एक चोटी और एक लड़ाई

स्थान: शहर के एक सामान्य लेकिन संस्कृति-युक्त घर की दोपहर।

कमरे के एक कोने में Neeraj अपनी किताबें फैला कर बैठा है। बालों में दो चोटियाँ बंधी हुई हैं, जो देखकर किसी को भी एक पल को भ्रम हो जाए कि वह लड़की है। वह हल्की गुलाबी सलवार कमीज़ में है — जो कभी उसकी बहन Roshni की हुआ करती थी।

कमरा किताबों और स्कूल सर्टिफिकेट्स से भरा है, लेकिन आज माहौल में कुछ खटास है।

Neeraj की सोच: “हर बार... हर बार वही होता है। Roshni कुछ भी कह दे, माँ उसी की बात को सच मानती हैं। और मैं? जैसे कोई हूँ ही नहीं। बस गलती करूं, फिर देखो चप्पल कैसे उड़ती है।”

तभी कमरे का दरवाज़ा धड़ाम से खुलता है। Roshni अंदर आती है, हाथ में मोबाइल और होंठों पर वही चिढ़ाने वाली मुस्कान। उसने पिंक नाइटसूट पहना है और बाल खुले हैं। होंठों पर ग्लॉसी लिपग्लॉस और आँखों में हल्का काजल।

Roshni: (हँसते हुए) “ओहो! हमारी छोटी बहन जी पढ़ाई कर रही हैं? क्या बात है! दो चोटियों वाली राजकुमारी... कैसे रही आज स्कूल की रानी जैसी सवारी?”

Neeraj: (गुस्से में, बिना नजर उठाए) “दीदी प्लीज़, मज़ाक मत उड़ाओ... पहले ही बहुत सुन चुका हूँ आज... अब घर में भी मत शुरू हो जाना।”

Roshni पास आकर उसकी एक चोटी को पकड़ती है और हिलाती है।

Roshni: “तो क्या सोचा है? अब भी मम्मी से हर हफ्ते तेल लगवाओगे या बाल कटवाने का मन बना लिया है?”

Neeraj: (चिढ़ते हुए) “आपको तो बस ताने मारना आता है... आपने ही कहा था ना — ‘एक छोटी बहन चाहिए थी’। अब जब बना दिया तो ताने क्यों?”

Roshni: (बिस्तर पर बैठती है, टांग पर टांग रखकर) “मैं तो मज़ाक कर रही थी यार, लेकिन तू तो सीरियस हो गया। वैसे अब तूने तो मेरी सलवार-कमीज, झुमकी, और अब मेरी स्कूल यूनिफॉर्म भी ले ली। और प्रिंसिपल मैडम का चेहरा देखा था आज? TikTok पे डाल दूँ क्या?”

Neeraj थोड़ी देर मुस्कराता है, फिर एकदम गंभीर हो जाता है।

Neeraj: “आज मम्मी ने पहली बार बिना कहे मेरे बालों में तेल लगाया... पता नहीं वो खुश थीं या मजबूर। जब मैं स्कूल से आया, तो मम्मी ने मेरे कपड़े नहीं पहनने दिए। बोलीं – अगर तुझे लड़की बनकर स्कूल जाने में कोई दिक्कत नहीं, तो घर में भी लड़कों के कपड़े मत पहन। उन्होंने मुझे यही सलवार-कमीज दी, बालों में तेल डालकर टाइट दो चोटियाँ बाँधीं... और कहा – अब हर दिन ऐसे ही रहना होगा।”

Roshni का चेहरा थोड़ा नरम पड़ता है। उसकी मुस्कान फीकी पड़ जाती है।

Roshni: “देख Neeraj, मैं हँसी-मज़ाक करती हूँ... लेकिन तू अगर इससे खुश है, तो ठीक है। लेकिन दुनिया को मत भूल। बाहर के लोग तुझे ऐसे नहीं समझेंगे। आज Anita तेरे साथ थी... कल कोई और होगा जो तुझे तोड़ना चाहेगा।”

Neeraj: (धीरे से, उदासी से) “पता है दीदी... आज Anita ने कहा – ‘काश मैं लड़का होती तो तुझे प्रपोज कर देती’। और कुछ सेकंड के लिए... मुझे लगा शायद मैं ठीक हूँ जैसा हूँ।”

Roshni कुछ देर खामोश रहती है। फिर मुस्कराकर कहती है:

Roshni: “तू पागल है... लेकिन चल, अगली बार स्कूल जाना है तो मेरी दूसरी वाली यूनिफॉर्म पहन लेना। उसमें तेरी कमर थोड़ी फिट आएगी।”

दोनों हँस पड़ते हैं। कमरा फिर से अपनापन से भर जाता है... पर बाहर की दुनिया अब भी इंतज़ार कर रही है, कुछ और तानों और कुछ और इम्तहानों के साथ।

📘 Chapter 2: माँ का गुस्सा और एक मजबूरी

स्थान: वही घर, शाम का समय। कमरे में हल्का अंधेरा, लेकिन रसोई से आती हल्दी और तेल की महक।

Neeraj अब भी उसी सलवार-कमीज़ में है, बाल अब भी दो टाइट चोटियों में बंधे हुए। वह स्टडी टेबल पर बैठा पढ़ने की कोशिश कर रहा है, लेकिन दिमाग में उलझनें हैं।

तभी माँ (Shobha Devi) कमरे में आती हैं — सिर पर पल्लू, आँखों में गुस्सा और हाथ में कपड़े का एक गट्ठर।

Shobha Devi: “कितनी बार कहा है — ये लड़कियों जैसे नखरे अब बस करो! ये पढ़ाई-लिखाई की एक्टिंग मुझसे नहीं चलेगी, चलो उठो और नीचे आओ, बरतन साफ करने हैं।”

Neeraj: (धीरे से, विरोध करते हुए) “माँ, पर मैंने तो अभी पढ़ाई शुरू की है... और मैंने कुछ खाया भी नहीं…”

Shobha Devi: “तो अब हम तेरा होटल हैं? पहले तुझे लड़का बना के पाला, अब तू लड़की बनकर घूमे और खाने के बहाने बनाए? जब तूने फैसला कर ही लिया है कि तुझे चोटी बाँधनी है, तो अब वही ज़िम्मेदारियाँ भी निभानी होंगी!”

वह उसे खींच कर रसोई में ले जाती है। वहाँ सिंक में बर्तनों का ढेर लगा है।

Shobha Devi: “आज से सब काम करेगा तू! झाड़ू-पोंछा, खाना बनाना, बर्तन मांजना — सब! और हाँ, बाल अगर दो चोटी में हैं तो कभी खुलने नहीं चाहिए। तेरी ये फैशन अब नियम बन चुकी है।”

Neeraj आँसू रोकते हुए, चुपचाप नल खोलता है और बर्तन धोना शुरू करता है।

तभी पीछे से Roshni आती है, वीडियो बनाते हुए मुस्कराती है।

Roshni: “अरे वाह! हमारी बहन जी अब बर्तन भी मांज रही हैं... TikTok पर डालूं क्या? हैशटैग — ‘घरेलू बहनजी’?”

Neeraj: (गुस्से से) “दीदी प्लीज़... थोड़ा तो समझो मुझे!”

Shobha Devi: “समझें हम? जब तू खुद नहीं समझता तो हम क्यों समझें? अब अगर वाकई बहन बन गया है तो खुद को साबित भी कर!”

कमरे में गहरा सन्नाटा छा जाता है। Neeraj की आँखों में गीली चमक है। वह चुपचाप काम करता है।

बाहर अंधेरा गहराता जा रहा है... लेकिन अंदर Neeraj के भीतर कुछ और भी गहराता जा रहा है — एक सवाल, एक टूटन, और शायद... एक स्वीकार।

📘 Chapter 3: घर के काम, ताने और टूटी हुई हँसी

स्थान: सुबह का समय। घर के आँगन में हल्की धूप फैली है। रसोई से मसाले और तड़के की खुशबू आ रही है। Neeraj अब भी गुलाबी सलवार-कमीज़ और दो टाइट चोटियों में तैयार खड़ा है, हाथ में झाड़ू लिए। उसकी कमर में एक पुराना एप्रन बंधा है जो Roshni का ही था।

माँ, Shobha Devi, सफाई करवा रही हैं और Roshni पास बैठी अख़बार पढ़ने का बहाना करते हुए लगातार कमेंट कर रही है।

Shobha Devi: (कमर पर हाथ रखकर) "उठा ठीक से झाड़ू! ज़मीन पर चावल ऐसे बिखरे हैं जैसे किसी बारात में फूल बरसाए हों। लड़कियाँ ऐसे काम नहीं करतीं, समझा? जब लड़की बनना है तो ठीक से काम भी सीख!"

Neeraj: (धीरे से, मुँह में बड़बड़ाते हुए) "हर बात में ताना ही सुनना है... एक दिन में सब कैसे सीख लूं?"

Roshni: (हँसते हुए) "एक दिन नहीं नन्ही परी, पूरे दो हफ्ते हो गए हैं। तू अब मेरी सलवार-कमीज़ से भी ज़्यादा पुरानी लगने लगी है इस रोल में।"

Shobha Devi: "बेटी बनना इतना आसान नहीं होता जितना तूने समझा। सिर्फ चोटी बाँध लेने से कोई लड़की नहीं बन जाता। ये देख! रसोई में बर्तन धोना बाकी हैं, और आँगन में पोंछा भी लगाना है। चल, शुरू कर।"

Neeraj पोंछा लेकर आँगन की ओर बढ़ता है। उसका मन भारी है। हर कदम पर, हर आवाज़ में, उसे एक और चोट लगती है — कभी ताने की, कभी नज़रों की।

Roshni: (मोबाइल निकालते हुए) "अरे रुको रुको! ये मोमेंट तो Instagram Reels के लिए परफेक्ट है। हैशटैग — #ChotiwaliBehenKaSafar"

Neeraj: (गुस्से में झल्लाकर) "क्यों दीदी? आपको मज़ा आता है ना मुझे नीचा दिखाने में?"

Shobha Devi: (कड़ाई से) "बस! ज़ुबान चलाने की ज़रूरत नहीं है। जब तूने मर्द होने का फ़र्ज़ छोड़ दिया, तो अब जिम्मेदारियों से पीछे मत हट। जब तू स्कूल में लड़कियों की ड्रेस पहनकर शर्मिंदा नहीं हुआ, तो घर में भी वो शर्म छुपा कर रख। अब चुपचाप पोंछा मार।"

Neeraj झुककर पोंछा मारने लगता है। उसके चेहरे से पसीना टपक रहा है। बालों की चोटियाँ माथे पर चिपकने लगी हैं। उसकी पीठ झुकती है, लेकिन मन में उठता विरोध और अपमान उसे सीधा खड़ा होने नहीं देता।

Roshni: (थोड़ी नरमी लाते हुए) "चल ठीक है, जब तू पोंछा खत्म कर ले, तो मैं तुझे मेरी नई चूड़ियाँ पहनने दूँगी। उसमें तेरी चोटी और भी अच्छी लगेगी।"

Neeraj: (गुस्से में, पर अंदर से टूटते हुए) "दीदी, क्या तुम सच में चाहती हो कि मैं पूरी तरह लड़की बन जाऊँ? तुम सब? माँ भी? क्या अब मेरे पास कोई चॉइस नहीं है?"

माँ थोड़ी देर चुप रहती है। फिर धीरे से कहती हैं —

Shobha Devi: "तू जबसे ये रास्ता चला है, हमने तुझे रोका नहीं। लेकिन अब जब तू चला है, तो पूरी तरह चल। या तो सब छोड़ दे — बाल, कपड़े, ये नाटक — और वापस लड़का बन जा। वरना अब से इस घर में तुझे बेटियों की तरह ही रहना होगा।"

कमरे में चुप्पी छा जाती है। Neeraj पोंछा छोड़कर बैठ जाता है। उसकी आँखों से आँसू बह रहे हैं, लेकिन किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता।

पर्दे के पीछे Roshni वीडियो बना रही है... और शायद पहली बार, उसे भी Neeraj की तकलीफ़ महसूस होने लगती है।

📘 Chapter 4: क्लासरूम की जंग — अमृता से टक्कर

स्थान: स्कूल का कॉरिडोर। दोपहर का समय है। लंच ब्रेक खत्म हो चुका है। क्लास 12th की कॉ-एड क्लास में लड़के कम हैं, लड़कियाँ ज़्यादा। Neeraj, अपनी दो चोटियों और सलवार-कमीज़ में, अपनी सीट पर चुपचाप बैठा है।

Amrita (18), क्लास की सबसे चालाक और दबंग लड़की, अपनी चार सहेलियों के साथ अंदर आती है। उसने नीली साड़ी पहनी है – स्कूल के फेयरवेल के लिए। आँखों में ब्लैक काजल, होंठों पर डार्क मैरून लिपस्टिक और चाल में दबदबा।

Amrita: (तेज़ आवाज में) "ओह माय गॉड! देखो तो! हमारी क्लास में लड़की बन कर आया लड़का! Neeraj नाम है या Neeraja रख दूँ आज से?"

(क्लास में हँसी गूंजती है)

Neeraj: (गुस्से से) "नाम चाहे जो रखो, मैं तुमसे डरने नहीं वाला। तुम अपनी साड़ी संभालो, मैं अपनी पहचान खुद तय कर लूंगा।"

Amrita: (ठहाका लगाते हुए) "बहुत attitude है! चलो ठीक है... आज क्लास खत्म होने के बाद हम सब एक छोटा सा 'फन गेम' खेलेंगे। तेरे लिए स्पेशल। तैयार रहना, बहन जी।"

स्थान बदलता है: स्कूल का स्टोर रूम, क्लास के बाद। Amrita और उसकी तीन दोस्त Neeraj को पकड़कर वहां ले आती हैं।

Amrita: "अब सुन... जब तू लड़की बना है तो तुझे हमारी तरह ही 'behave' भी करना पड़ेगा। चल, नाच कर दिखा। हमारी तरह हाथ घुमा, कमर मटका। ये साड़ी तेरे पैरों में नहीं उलझनी चाहिए।"

Neeraj: (गुस्से से) "तुम सबको लगता है ये मज़ाक है, पर ये मेरे लिए एक सच्चाई बन चुकी है।"

Amrita: "तो सच्चाई को पूरी तरह जी! चल, ये झाड़ू पकड़ और ऐसे घूम जैसे फिल्म में हीरोइन घूमती है। और ये हमारी Lip-Sync वीडियो के लिए परफेक्ट रहेगा।"

(एक सहेली मोबाइल से रिकॉर्ड करने लगती है)

Neeraj (कुछ पल चुप रहकर, मजबूरी में झाड़ू पकड़कर धीरे-धीरे नाचने लगता है। उसके चेहरे पर शर्म है, आँखें नम हैं।)

एक दोस्त: "वाह! अब हमारी साड़ी क्वीन पूरे इंस्टा पर छा जाएगी।"

Amrita: "यही तो चाहिए था — एक लड़की जो लड़का भी है, और लड़का जो लड़की से भी बेहतर अदाएं दिखा सके। चलो अब ताली बजाओ, Neeraja की performance के लिए।"

(सब ताली बजाती हैं, Neeraj चुपचाप वहाँ से बाहर भाग जाता है)

(बाहर Anita खड़ी होती है, सब देखकर चुप है...)


📘 Chapter 5: Anita की चुप्पी और एक टूटा Neeraj

स्थान: स्कूल का गलियारा। Neeraj स्टोर रूम से भागकर बाहर आता है। उसके चेहरे पर humiliation, गुस्सा और शर्म की लकीरें साफ़ झलक रही हैं। साड़ी का पल्लू कंधे से फिसल चुका है, और चोटियाँ पसीने से चिपक चुकी हैं। बाहर खड़ी Anita उसे देखती है, लेकिन कुछ कह नहीं पाती।

Anita: (धीरे से) "Neeraj... तू ठीक है...?"

Neeraj: (सिर झुकाए हुए) "तूने देखा सब कुछ... फिर भी कुछ नहीं कहा?"

Anita: (संकोच में) "मैं... मैं कुछ समझ नहीं पाई। सब इतनी तेजी से हुआ... और मैं बस... (रुकती है) ...डर गई।"

Neeraj कुछ नहीं कहता। वो बस चल देता है – स्कूल गेट की तरफ। Anita उसके पीछे-पीछे जाती है लेकिन Neeraj बिना पीछे देखे ऑटो में बैठकर चला जाता है।

स्थान: घर। शाम का समय। Neeraj धीरे से दरवाज़ा खोलकर अंदर आता है। माँ रसोई में है, Roshni फोन चला रही है। जैसे ही Neeraj कमरे में जाता है, माँ की नज़र उस पर पड़ती है।

माँ (Shobha Devi): "साड़ी का पल्लू क्यों गिरा हुआ है? बालों में तेल था भी या ऐसे ही बनाकर चला गया था? चेहरा देख! क्या हालत बना रखी है!"

Roshni: (सिर उठाकर) "अरे वाह! हमारी बहन जी का मेला कैसा रहा? कुछ मेडल मिला क्या best heroine का?"

Neeraj: (धीरे से) "बस... थक गया हूँ। सोने जा रहा हूँ।"

माँ: (गुस्से में) "रुक! खाना खाए बिना नहीं। पहले रसोई साफ़ कर। लड़की बना है तो घर के काम भी सीख। जब तू स्कूल में साड़ी पहन सकता है, तो यहाँ भी नौकरानी जैसी ड्यूटी करने से परहेज़ क्यों?"

Neeraj कोई जवाब नहीं देता। वो चुपचाप जाकर झाडू उठाता है, फिर सिंक में पड़े बर्तनों की तरफ बढ़ता है।

Roshni: "वैसे भाभी जी, आज का एपिसोड तो वायरल होना चाहिए था। अमृता से मुकाबला... और तू हार गया। Shame on you, behen ji."

Neeraj के हाथ रुक जाते हैं। आँखें भर आती हैं। वो खुद को रोक नहीं पाता — एक थाली गिरती है, आवाज होती है। सब चुप हो जाते हैं।

माँ: (थोड़ा ठंडे स्वर में) "ये सब तूने खुद चुना है Neeraj। अगर ये सब नहीं चाहिए, तो बाल कटवा ले और वापस लड़का बन जा। वरना ये सब तो झेलना ही पड़ेगा।"

Neeraj की आँखों से आँसू बहने लगते हैं, लेकिन वो कुछ नहीं कहता। वो बस धीमी आवाज में कहता है:

"मैं Neeraj हूँ... लेकिन अब शायद कोई मुझे पहचानता नहीं। न स्कूल में, न घर में।"

और वो धीरे-धीरे कमरे की तरफ चला जाता है…

📘 Chapter 6: जब दिल सहारा बनता है

स्थान: स्कूल की लाइब्रेरी, अगली सुबह।

Neeraj चुपचाप एक कोने की टेबल पर बैठा है। आज उसने दो चोटियाँ तो बाँधी हैं, लेकिन आँखों में कोई चमक नहीं है। हाथ में खुली किताब है पर निगाहें कहीं और हैं। तभी Anita आती है, हाथ में दो कॉफ़ी कप लिए।

Anita: (धीरे से कप रखते हुए) "कल जो हुआ... उसके लिए सॉरी। मैं चाहती थी बोलूं, पर... समझ नहीं आया कैसे।"

Neeraj: (नीचे देखते हुए) "तेरा चुप रहना ही बहुत कुछ कह गया था।"

Anita: (कुर्सी खींचकर बैठते हुए) "मुझे लगा तू नाराज़ होगा... और शायद अब मुझसे बात भी न करे। पर मैं चाहती हूँ कि तू जाने – मैं तेरे साथ हूँ। सच में।"

Neeraj पहली बार उसकी आँखों में देखता है।

Neeraj: "लोग कहते हैं कि मैं मज़ाक हूँ। मेरे बाल, मेरी चाल, मेरी साड़ी... सब एक तमाशा बन चुका है। मुझे समझ नहीं आता – मैं खुद को साबित करना भी चाहूं तो कैसे?"

Anita: "तू खुद को साबित कर ही क्यों रहा है Neeraj? जो तू है, वही सबसे बड़ी बात है। तू किसी से कम नहीं, और ये जो तू झेल रहा है न... शायद तू ही ऐसा कुछ सह सकता है। कोई और होता तो टूट चुका होता।"

Neeraj: (थोड़ा मुस्कुराता है) "कभी-कभी लगता है, अगर तू नहीं होती तो... मैं शायद खुद से ही हार जाता।"

Anita का चेहरा थोड़ी देर चुप रहता है। फिर वो अपना बैग खोलती है और उसमें से एक रेशमी रुमाल निकालकर Neeraj की कलाई पर बाँध देती है।

Anita: "ये मेरा लकी रुमाल है। अब ये तेरा है। अगली बार जब तुझे लगे कि सब अकेले पड़ गए हैं, इसे देख लेना। मैं तेरे साथ हूँ... हर हाल में।"

Neeraj की आँखें नम हो जाती हैं। वो कुछ नहीं कहता, बस हल्के से सिर हिलाता है। लाइब्रेरी की खामोशी अब एक सुकून सी लगने लगती है।

📘 Chapter 7: फेयरवेल, साड़ी और एक नई शुरुआत

स्थान: घर का ड्राइंग रूम। शाम का समय।

Neeraj स्कूल से घर आता है। हाथ में फेयरवेल पार्टी का नोटिस है। चेहरे पर चिंता और उलझन है। माँ सोफ़े पर बैठी टीवी देख रही है और Roshni मोबाइल पर चैट कर रही है।

Neeraj: "मम्मी, अगले हफ्ते स्कूल में फेयरवेल है... और प्रिंसिपल मैम ने कहा है कि सब लड़कियाँ साड़ी पहनेंगी। मुझे भी साड़ी पहननी होगी।"

माँ: (हँसते हुए) "तू तो वैसे ही आधा लड़की बन चुका है, अब साड़ी पहनने में क्या दिक्कत? चल, एक बार देख ही लेते हैं तुझमें बहू का रूप।"

Roshni: (ठहाका मारती है) "तेरे लिए तो मेरी वो गुलाबी साड़ी परफेक्ट रहेगी, जो मैंने कॉलेज फेयरवेल में पहनी थी। और हाँ, मेकअप मैं करूँगी! आज़मा लेंगे तुझे फुल ड्रेसअप में!"

Neeraj: (नरम स्वर में) "मज़ाक मत उड़ाओ दीदी... मैं पहले ही बहुत परेशान हूँ। सबके सामने खुद को संभालना मुश्किल होता जा रहा है।"

माँ: (थोड़ा गंभीर होकर) "तू जो रास्ता चुन रहा है, उसमें मज़ाक तो सहना पड़ेगा। लेकिन याद रख, अगर तू झुका नहीं तो एक दिन सब तेरी इज़्ज़त करेंगे।"


स्थान: अगली सुबह, Roshni का कमरा।

सामने शीशे में Neeraj बैठा है। Roshni उसकी साड़ी की प्लीट्स ठीक कर रही है, माथे पर छोटी बिंदी लगा रही है और बालों को दो मोटी चोटियों में कसकर बाँध रही है।

Roshni: "देख भैया, आज तू सिर्फ मेरा भाई नहीं – मेरी छोटी बहन भी है। और अगर कोई कुछ बोले, तो सोच लेना कि तूने उस साड़ी में कितनी हिम्मत से ये किया है।"

Neeraj: (धीरे से) "क्या Anita भी साड़ी में आएगी?"

Roshni: (मुस्कुराकर) "पता नहीं, पर अगर आएगी... तो तुम दोनों का मुकाबला तगड़ा होगा।"

स्थान: स्कूल का फेयरवेल हॉल। रोशनी और लाइट से सजा हुआ मंच, रंग-बिरंगे गुब्बारे और लड़कियाँ साड़ियों में सजी हुईं। Neeraj धीरे से हॉल में प्रवेश करता है – उसी गुलाबी साड़ी में, चेहरे पर हल्का मेकअप, आँखों में संकोच लेकिन चाल में आत्मविश्वास।

Anita उसी रंग की साड़ी में उससे टकरा जाती है। दोनों कुछ सेकंड चुप रहते हैं।

Anita: "तू तो... बहुत खूबसूरत लग रहा है आज। एकदम मुझ जैसा।"

Neeraj: (हँसते हुए) "तो क्या अब तुम मुझे प्रपोज करोगी, जैसे कहा था?"

Anita बिना कुछ कहे उसका हाथ थाम लेती है।


स्थान: डांस फ्लोर।

Neeraj और Anita एक साथ डांस कर रहे हैं। सबकी नजरें उन पर हैं, लेकिन उन्हें कोई परवाह नहीं।

दूर खड़ी माँ और Roshni ये सब देख रही हैं।

माँ: "शायद मैं गलत थी... पर अब समझ में आया कि मेरा बेटा कितना मजबूत है। और अब वो जो भी है, मैं उससे उतना ही प्यार करूंगी।"

Roshni: "और मैं अब उसे चिढ़ाऊँगी नहीं... सिर्फ उसका साथ दूँगी।"


लेकिन तभी...

बाहर सड़क पर एक काली Maruti वैन आकर रुकती है। दो नकाबपोश लोग आते हैं और Neeraj को पार्टी से उठाकर ज़बरदस्ती गाड़ी में डालते हैं। सब कुछ एक पल में होता है।

Anita चीखती है, लेकिन गाड़ी तेज़ी से निकल जाती है।

स्थान बदलता है: अंधेरे कमरे में Neeraj की आँखें खुलती हैं। उसके दोनों हाथ बंधे हैं। सामने अमृता खड़ी है।

Amrita: "तू सोचता था, मेरा अपमान करके बच जाएगा? नहीं Neeraj... मेरा बदला अब शुरू हुआ है।"

📘 Chapter 8: कैद की शुरुआत

स्थान: एक अंधेरा कमरा – खिड़की नहीं, सिर्फ एक बल्ब की मद्धम रौशनी। ज़मीन पर एक गद्दा, एक बाल्टी पानी और एक टूटी कुर्सी।

Neeraj की आँखें धीरे-धीरे खुलती हैं। उसकी दोनों कलाई और टखनों में लोहे की ज़ंजीरें बंधी हैं। हाथ पीछे की ओर बंधे हैं, और पैरों को एक दूसरे से जोड़ा गया है। कमरे की दीवारें सीलन भरी हैं।


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