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मोरनी ने बड़े प्यार से अमित को कानों में झुमके पहनाए। अमित के कान में पहले से ही छेद थे तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी फिर बड़ी से नथ पहना दी और उसकी चैन सेट कर दी। फिर उसने हार निकाला और अमित के गले में डाल दिया । अमित के हाथों में तो ढेर सारी चूड़ियाँ पहना दीं। ये वही पंजाबी ब्राइडल वाला चूड़ा की तरह ही थी ताकि थोड़ा ब्राइडल टाइप लुक लगे अब बची थीं घुँघरू वाली पायल। पायल इतनी भारी थीं कि अमित को चलने में भी दिक्कत हो रही थी और बहुत ज्यादा आवाज कर रही थीं।अमित को इतना भारी और असहज लग रहा था कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। उसे अहसास हुआ कि लड़की होना इतना आसान भी नहीं है। बस अब एक चीज़ की कमी बची है और उसने मांग टीका उसके सिर पर लगाया । फिर मोरनी ने शरारा सूट का दुपट्टा अमित के सिर पर पल्लू की तरह सेट किया और उसको एक बार ऊपर से नीचे तक देखा।

"बस, अब हो गया।" मोरनी ने आखिरकार कहा, "अब जाओ, आईने में देखो खुद को।"
मोरनी अमित को धीरे-धीरे आईने के पास ले गई और खुद को देखा। उसकी आँखें अविश्वास से भरी थीं, वो खुद को पहचान ही नहीं पा रहा था। शरारा सूट ने उसके शरीर को एक नया आकार दिया था, मेकअप ने उसके चेहरे की खूबसूरती को निखार दिया था, गहनों ने उसे एक नारी की शोभा दी थी और विग ने उसके लुक को पूरी तरह से बदल दिया था। वो आईने में खुद को देखता रहा, एक सुन्दर सी लड़की उसकी ओर देख रही थी। उसके लंबे, घने बाल, गुलाबी होंठ, और चमकती आँखें, सब कुछ इतना असली लग रहा था। अमित ने कभी सोचा भी नहीं था कि वो इतना अलग और खूबसूरत दिख सकता है।
"ये मैं हूँ?" अमित ने हैरानी से पूछा।
"हाँ भैया, ये आप ही हो।" मोरनी हँसते हुए बोली
अमित मन ही मन सोच रहा था कि वो किस मुसीबत में फंस गया है। लेकिन अब उसके पास कोई चारा नहीं था। उसे अगले छह दिन तक मोरनी की कठपुतली बनकर रहना होगा। अमित को समझ नहीं आ रहा था कि ये सब हो कैसे गया। अभी कुछ देर पहले तक वो अपनी ज़िन्दगी में मस्त था और अब उसे एक लड़की बनकर रहना होगा, वो भी अगले छह दिन तक। अमित को मोरनी की बात पर यकीन नहीं हो रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि एक तो वह लड़की जैसा ही लग रहा था और दूसरा यह कि वह इतनी सुंदर लड़की कैसे लग रही है। लेकिन उसे ये मानना पड़ा कि मोरनी ने उसे सच में बहुत सुंदर बना दिया था। उसका चेहरा एकदम बेदाग और चमकदार था, उसके होंठ गुलाबी और मुलायम थे,और उसकी आँखें किसी हिरणी जैसी सुंदर लग रही थीं।
उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि यह वह खुद है या कोई और।"अच्छा ठीक है, अब मुझे जाने दो।" अमित ने कहा। उसे लगा कि मोरनी ने उसे तैयार कर दिया है तो अब उसे जाने देगी।
"अरे जनाब,कहाँ चल दिये अब तो असली ट्रैनिंग शुरू होगी, अभी तो बहुत काम बाकी है।" मोरनी ने कहा, "अभी तो तुम्हें लड़कियों की चलना सिखाना है, बात करना सिखाना है, अदाएं और नजाकत भी सिखानी हैं। "
अमित ने मोरनी को हैरानी से देखा। "ये सब क्यों?" उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी उसे और क्या सिखाना चाहती है।
"अरे भैया, जब छह दिन तक लड़की बनकर रहना है, तो ढंग से तो रहो।" मोरनी ने कहा, "वरना लोग क्या कहेंगे?" मोरनी ने अमित को समझाया कि अगर वो सही से लड़की बनकर नहीं रहेगा तो लोग उसे पहचान लेंगे और तब मुसीबत हो जाएगी।
"चलो पहले अब तुम्हें चलना सिखाती हूँ लेकिन उससे पहले ये पहन लो। " मोरनी ने अमित को हील वाली सैन्डल दी। अमित ने जैसे ही उन सैन्डल पर नजर डाली, उसके चेहरे पर घबराहट छा गई। वो सैन्डल साधारण नहीं थीं, उनकी हील कम से कम तीन इंच ऊँची थी!
"ये क्या? मैं इस पर कैसे चल पाऊँगा? ये तो बहुत ऊंची हैं। " अमित ने घबराहट भरी आवाज़ में कहा, उसका गला मानो सूख गया हो। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी ऐसा क्यों कर रही है। क्या वो उसका मजाक उड़ा रही थी?
"अरे, ये तो पहननी ही पड़ेगी।" मोरनी ने हँसते हुए कहा, जैसे ये कोई मजाक की बात हो। "लड़कियाँ हील्स पहनती हैं, ये तो तुम्हें भी पता होगा और अगर नहीं पहनोगे तो नीचे से ड्रेस भी जमीन पर रगड़ जाएगी। इतनी मेहनत से मैंने ये ड्रेस तुम्हारे लिए चुनी है, क्या तुम इतनी सुन्दर ड्रेस गंदी करना चाहते हो?" मोरनी की आवाज़ में अब थोड़ी शरारत भी झलक रही थी।
"नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं।" अमित ने जल्दी से कहा। उसे समझ आ गया था कि मोरनी की बात मानने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं है।
"तो फिर जल्दी से पहनो इन्हें।" मोरनी ने सैन्डल उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा।
अमित ने हिचकिचाते हुए सैन्डल अपने हाथों में लीं। वो इतनी ऊँची हील्स पहली बार देख रहा था। उसने ध्यान से देखा तो पाया कि हील्स तो बहुत पतली थीं, मानो बस एक पतली सी सुई पर टिकी हों। उसे समझ नहीं आ रहा था कि लड़कियाँ आखिर इन पर कैसे चल लेती हैं।
"देखो, ऐसे डरो मत।" मोरनी ने अमित की हालत देखते हुए कहा। "मैं तुम्हें चलना सिखा दूंगी।"
मोरनी ने अमित को एक हाथ पकड़ने को कहा और दूसरे हाथ से उसकी कमर थाम ली।
"अब धीरे-धीरे एक-एक कदम आगे बढ़ाओ।" मोरनी ने निर्देश देते हुए कहा।
अमित ने हिम्मत करके एक कदम बढ़ाया। उसकी हालत उस बछड़े जैसी हो रही थी जो पहली बार चलना सीख रहा हो। वो इधर-उधर डगमगा रहा था।
"आराम से, घबराओ मत।" मोरनी ने उसे सम्भालते हुए कहा।
अमित ने धीरे-धीरे एक और कदम बढ़ाया। इस बार वो थोड़ा संतुलन बनाने लगा था।
"शाबाश! ऐसे ही करते रहो।" मोरनी ने उसे प्रोत्साहित किया।
अमित धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। कुछ देर की प्रैक्टिस के बाद वो थोड़ा-बहुत चलने लगा था, हालाँकि अभी भी वो अजीब तरीके से चल रहा था।
"लड़कियाँ ऐसे नहीं चलतीं जैसे तुम चल रहे हो।" अमित को देखकर उसकी हँसी छूट गई थी। वह शरारा सूट पहनकर हील्स में अजीब तरह से चल रहा था। उसके कदम भारी लग रहे थे और वह बार-बार लड़खड़ा रहा था। शरारा सूट का घेरा और दुपट्टा उसे संभालना मुश्किल हो रहा था।
मोरनी ने उसे समझाते हुए कहा, "देखो, सबसे पहले अपनी कमर सीधी करो।" अमित ने उसकी बात मानते हुए अपनी कमर सीधी की। "अब अपने कदमों पर ध्यान दो। छोटे-छोटे और नाप-तोल कर कदम उठाओ।" मोरनी ने उसे आगे चलकर दिखाया कि कैसे चलना है।
अमित ने शिकायत भरे लहजे में कहा, "अरे यार, इतनी भारी ड्रेस में मैं ढंग से चल तक नहीं पा रहा और तुम मुझे नजाकत से चलना सिखा रही हो!"
मोरनी ने फिर से हंसते हुए कहा, "अरे तो क्या हुआ? लड़कियाँ हर दिन ऐसे ही चलती हैं। थोड़ी प्रैक्टिस करोगे तो तुम भी सीख जाओगे और थोड़ा हाथों का उपयोग करो और ड्रेस को थोड़ा उठा कर चलो ।"
उधर अमित ने जब चलना शुरू किया तो उसके कदमों की लय में एक नया संगीत जुड़ गया था। उसकी कलाईयों में सजी चूड़ियाँ और पायल हर हलचल पर मधुर झंकार कर रही थीं, जो हवा में घुलकर अमित के पास पहुँच रही थी। यह अहसास अमित के लिए बिलकुल नया था। उसे कभी इस तरह की आवाज़ें अपने आस-पास महसूस नहीं हुई थीं। एक अजीब सी बेचैनी और साथ ही एक सुंदर सा एहसास उसके अंदर घर कर रहा था। अमित थोड़ा शरमा रहा था, क्योंकि उसे एहसास हो रहा था कि यह आवाज़ें उसके चलने की वजह से ही आ रही हैं। वह धीरे-धीरे चलने की कोशिश कर रहा था, ताकि उसकी चूड़ियाँ और पायल ज्यादा आवाज़ न करें।
"अरे भैया, शरमाओ मत।" मोरनी ने अमित को चिढ़ाते हुए कहा, "जब तक तुम ठीक से चलना नहीं सीख जाओगे, तब तक ये आवाज़ ज्यादा आती रहेगी।"
मोरनी ने अमित को लड़कियों की तरह चलना सिखाना शुरू कर दिया। उसे बता रही थी कि कदम कैसे रखने हैं, हाथ कैसे हिलाने हैं और कमर कैसे मटकाकर चलना है। मोरनी ने अमित को बताया कि लड़कियां चलते हुए अपने हाथों को कैसे हिलाती हैं, कैसे वो अपनी नज़रें नीची रखती हैं और कैसे वो छोटे-छोटे कदम रखती हैं।
उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि यह वह खुद है या कोई और। अमित को शुरू-शुरू में बहुत अजीब लग रहा था, लेकिन धीरे-धीरे वो मोरनी की बातों को समझने लगा। वो कोशिश कर रहा था कि वो बिल्कुल वैसे ही चले जैसे मोरनी उसे सिखा रही थी। उसे ये सब बहुत अटपटा लग रहा था, लेकिन उसे मोरनी की बात माननी ही थी।
"बहुत बढ़िया, भैया!" मोरनी ने अमित की पीठ थपथपाते हुए कहा, "अब तुम थोड़े-थोड़े लड़की जैसे चलने लगे हो। बस थोड़ी और प्रैक्टिस की ज़रूरत है।"
चलना सीखने के बाद मोरनी ने अमित को बात करना सिखाना शुरू कर दिया। मोरनी ने अमित से कहा कि अब उसे लड़कियों की तरह बात करना सिखाएगी।
"लड़कियाँ ऐसे रूखे स्वर में बात नहीं करतीं।" मोरनी ने अमित को समझाया, "उनकी आवाज़ में मिठास होती है और वो हमेशा प्यार से बात करती हैं।" मोरनी ने अमित को बताया कि लड़कियों का लहज़ा नर्म होता है और वो प्यार से बात करती हैं।
"और हाँ, लड़कियाँ कभी भी ऊँची आवाज़ में बात नहीं करतीं।" मोरनी ने आगे कहा, "उनकी आवाज़ हमेशा धीमी और मधुर होती है।"
अमित को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी आवाज़ को कैसे बदलें। उसने कभी भी इस तरह से बात करने की कोशिश नहीं की थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी आवाज़ कैसे बदलेगा, क्योंकि उसे तो सिर्फ़ अपनी आवाज़ में बात करना आता था।
"कोशिश करो, भैया।" मोरनी ने अमित को प्रोत्साहित किया, "तुम कर सकते हो।"
अमित ने बहुत कोशिश की, लेकिन उसकी आवाज़ में वो मिठास नहीं आ रही थी जो मोरनी चाहती थी।

"कोई बात नहीं, भैया।" मोरनी ने अमित को दिलासा देते हुए एक स्टूल पर बिठाया और कहा, "धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। मगर ज़रूरी चीज़ ये है कि अब से आप 'करूँगा' कि जगह 'करूंगी' बोलोगे, 'चलता हूँ' कि जगह 'चलती हूँ' बोलोगे, मतलब लड़कियों की तरह बोलोगे।" अमित को समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है और वो कहाँ फंस गया है, लेकिन मोरनी की बात मानने के अलावा उसके पास और कोई चारा भी नहीं था।
इतना समझाने के बाद अगले कुछ घंटों तक, मोरनी ने अमित को लड़कियों की तरह रहना सिखाया। उसने अमित को बताया कि लड़कियां कैसे चलती हैं, कैसे बैठती हैं, कैसे बात करती हैं, और कैसे बर्ताव करती हैं। मोरनी ने अमित को बताया कि उसे अपनी आवाज़ को पतला और मीठा कैसे करना है, और कैसे अपनी बॉडी लैंग्वेज को ज़्यादा फेमिनिन बनाना है। उसे खाना-पीना, उठना-बैठना, बात करना - सब कुछ लड़कियों की तरह सिखाया।
मोरनी ने अमित को लिपस्टिक का सही तरीके से इस्तेमाल करना,आँखों को काजल से कैसे बड़ा और आकर्षक बनाना, और बिंदी को माथे पर सटीकता से लगाना शामिल था। इसके बाद, उसने बड़े ही प्यार से अमित के बालों की एक सुंदर चोटी बनाई, जिससे अमित का रूप और भी निखर गया।
शाम को, जब अमित पूरी तरह से थक चुका था और उसके पैर दर्द कर रहे थे, तब मोरनी ने उसे आराम करने के लिए कहा।
"जाओ, भैया।" मोरनी ने प्यार से कहा, "अब तुम आराम करो। कल फिर से सीखना है।"
अमित अपने कमरे में गया और बिस्तर पर गिर गया। उसे अपनी ज़िंदगी में कभी भी इतनी थकान महसूस नहीं हुई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि लड़कियां इतना सारा काम कैसे करती हैं।
"ये मोरनी भी न..." अमित ने मन में सोचा, "मुझे किस मुसीबत में डाल दिया है! कल से तो मुझे लड़की बनकर ही रहना पड़ेगा।"
रात के समय, मोरनी ने अमित को उसकी ड्रेस उतारने में मदद की। उसने अलमारी से एक सुंदर गुलाबी रंग की नाइटी निकाली और उसे पहनने के लिए अमित को दी। नाइटी को देखकर अमित थोड़ा हिचकिचाया और उसने मोरनी से कहा, "मोरनी, क्या तुम यह विग और ब्रेस्ट फार्म भी उतार दोगी?" मोरनी ने अमित की बात सुनी और प्यार से जवाब दिया, "अरे भैया, यह विग और ब्रेस्ट फार्म एक खास तरह के ग्लू से चिपकाए गए हैं। इसे सिर्फ़ मैं ही उतार सकती हूँ और मैं इन्हें छठे दिन ही निकालूंगी।"

अमित थोड़ा गुस्सा तो हुआ लेकिन फिर भी उसने हाँ में हाँ मिला दी क्योंकि वो कुछ कर भी नहीं सकता था। अमित मन ही मन सोच रहा था कि यह छह दिन कैसे कटेंगे। और अगली सुबह मोरनी उसे क्या पहनाएगी और क्या क्या करवाएगी। उसने नाइटी पहनी और सो गया।
सुबह अमित की नींद अपनी पायल की मधुर छन-छन और चूडियों की रुनझुन भरी खन-खन से खुली। ये आवाजें उसे बिल्कुल अपरिचित और अजीब लग रही थीं, मानो किसी ने उसके हाथ-पैरों में घुंघरू बांध दिए हों, जिनकी आवाज उसे अपने होने का अहसास दिला रही थी। नींद में ही उसने अपने हाथों को हिलाया तो चूड़ियों ने फिर से अपनी खनकती हुई आवाज से शोर मचाया। उसकी आँखें पूरी तरह से खुल गईं और वो एक बार फिर उस कठोर हकीकत का सामना कर रहा था जिससे वो जी जान से भागना चाहता था। एक ऐसी हकीकत जिससे वो अंजान था, जिससे उसका कोई वास्ता नहीं था, लेकिन फिर भी वो उसका हिस्सा बन चुका था।
मोरनी उसके कमरे में नाश्ता लेकर आई थी। उसे देखते ही उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान फैल गई, "अरे वाह! मेरी प्यारी बड़ी बहना तो सो रही है। उठो राजकुमारी, सुबह हो गई।" मोरनी का लहजा चिढ़ाने वाला था, उसकी आवाज़ में शरारत साफ़ झलक रही थी, मानो वो जानती हो कि अमित के मन में क्या चल रहा है। लेकिन अमित को गुस्सा आने के बजाय एक अजीब सी घबराहट होने लगी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी अचानक इतनी खुश क्यों है, और उसका ये अंदाज़ उसे बेचैन कर रहा था। और अब मोरनी का ये बर्ताव, मानो वो उसके दिल की बात जान गई हो।
अमित उठा और एक झिझक भरी मुस्कान के साथ बोला, "अच्छा हुआ तुम आई। ये पायल और चूड़ियाँ उतार दो ना। एक तो ये बहुत भारी हैं, ऊपर से इनकी आवाज भी मुझे बेचैन कर रही है।" उसकी आवाज में एक अजीब सी वेदना और लाचारी थी, मानो ये कहना चाहता हो कि काश! ये सब इतना आसान होता।
मोरनी ठहाका लगाते हुए बोली, "अरे पगली, इन्हें थोड़ी निकालते हैं। ये तो अब हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगी, तुम्हारी हर ख़ुशी और गम में तुम्हारा साथ निभाएंगी।" मोरनी की बात सुनकर अमित के चेहरे का रंग उड़ गया। उसके मन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई, मानो किसी ने उसके अंदर हज़ारों बिजली के झटके एक साथ दौड़ा दिए हों।
अमित मन ही मन सोच रहा था कि कब ये बाकी दिन खत्म होंगे और कब वो इस कैद से आजाद होगा। ये कैद सिर्फ कपड़ों की नहीं बल्कि एक अनजानी डर और बेबसी की थी।
"चलो अब उठो और नाश्ता करो।" मोरनी ने कहा,
"आज हमें बहुत कुछ करना है। आज मैं तुम्हें सिखाऊंगी कि लड़कियां शादी के बाद ससुराल में कैसे तैयार होती हैं और क्या-क्या काम करती हैं।" मोरनी ने उत्साह से कहा।
"क्या? शादी? ससुराल?" अमित के चेहरे पर घबराहट साफ़ झलक रही थी। "ये सब क्या बोल रही हो मोरनी? और क्यूँ?" उसके मन में एक साथ हज़ारों सवाल उठने लगे थे। शादी एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है, और अमित को समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी अचानक ये सब क्यों बोल रही है। क्या वो सच में शादी की बात कर रही थी? या फिर ये उसके किसी मज़ाक का हिस्सा था?
"अरे भैया, घबराओ मत।" मोरनी ने अमित की घबराहट भांपते हुए हँसते हुए कहा, "मैं तो बस तुम्हें सिखा रही हूँ।" मोरनी अभी भी मज़ाक के मूड में थी, लेकिन अमित को ये मज़ाक रास नहीं आ रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी आखिर चाहती क्या है। एक तरफ वो शादी और ससुराल की बातें कर रही थी, और दूसरी तरफ कह रही थी कि वो मज़ाक कर रही है।
"लेकिन मुझे ये सब सीखने की क्या ज़रूरत है?" अमित ने पूछा, "मैं तो लड़की बनने वाला नहीं हूँ।" उसकी आवाज में अब एक हल्का सा गुस्सा भी शामिल हो गया था।
"अरे भैया, ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।" मोरनी ने गंभीरता से कहा, "हो सकता है कि कल को तुम्हें किसी लड़के ने इस रूप मे देख लिया और उसे तुमसे प्यार हो जाए और तुम भी उससे लड़की बनकर
शादी कर लो।" मोरनी ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।
अमित को मोरनी की बात सुनकर हंसी आ गई। "ऐसा कभी नहीं होगा।" अमित ने कहा, "और वैसे भी, मान लो अगर ऐसा हुआ भी, तो मैं उससे शादी करने के लिए दुल्हन थोड़ी ना बनूँगा और मैं उसे सब कुछ बता दूँगा।" अमित को अपनी बात पर पूरा भरोसा था।
"सब कुछ?" मोरनी ने अमित को घूरते हुए पूछा, "मतलब तुम उसे ये भी बताओगे कि तुम छह दिन तक लड़की बनकर रहे थे?" मोरनी की बात सुनकर अमित के चेहरे का रंग फिर से उड़ गया।
अमित मोरनी की बात सुनकर चुप हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे। एक अजीब सी उलझन उसके मन में घर कर गई थी।
"देखा, मैं ने पहले ही कहा था न, ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। दो दिन पहले क्या उसने सोचा था कि उसे ये सब पहनना पड़ेगा?" मोरनी ने कहा, "इसलिए बेहतर है कि तुम अभी से तैयार रहो। वैसे भी मेरे पास तुम्हें ब्लैकमेल करने के लिए तुम्हारी बहुत सारी अतरंगी फोटो भी तो हैं ही तो करना तो पड़ेगा ही। " मोरनी की बात में दम तो था लेकिन अमित को ये हज़म नहीं हो रहा था।
अमित मन ही मन सोच रहा था कि मोरनी सही कह रही है। ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। इस छोटी सी घटना ने उसे जिंदगी का एक बड़ा सबक सिखा दिया था।
"अच्छा ठीक है।" अमित ने हार मानते हुए कहा, "बताओ, मुझे क्या करना है?" अमित ने फैसला कर लिया था कि वो मोरनी की हर बात मानेगा।
"बहुत बढ़िया, भैया!" मोरनी ने खुश होते हुए कहा, "चलो अब नाश्ता करो, फिर मैं तुम्हें सब सिखा दूंगी।"
अमित का नयी बहू का अवतार - मोरनी की स्पेशल ट्रैनिंग..
मोरनी ने अमित को एक चमकदार लाल रंग की ब्रा और पैन्टी थमाते हुए कहा, "ये लो, जाकर नहा लो और इन्हें पहन लो।" उसकी आवाज़ में एक शरारती सी शक्ति थी, "जब तक तुम नहा कर आते हो, मैं बाकी चीजें तैयार कर देती हूँ।" अमित थोड़ा झिझका, पर फिर हँसते हुए बाथरूम में घुस गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी के दिमाग में क्या चल रहा है, पर वो उसके साथ बहने को तैयार था।
जब अमित नहा कर बाहर आया, तो उसकी नज़र बिस्तर पर पड़ी। वहाँ एक खूबसूरत लाल रंग की साड़ी बिछी हुई थी, जो अपने आप में एक कहानी बयां कर रही थी। साड़ी का लाल रंग शाही ठाठ-बाट और नजाकत बयां कर रहा था। बारीक कारीगरी से बने सुनहरे धागों से सजी यह साड़ी किसी रानी के पहनावे से कम नहीं लग रही थी। साड़ी के साथ मैचिंग ब्लाउज, पेटीकोट, और गहने भी सजा कर रखे थे। ब्लाउज पर साड़ी से मिलते हुए सुनहरे धागों का काम था और गहने भी उसी कलाकारी को दर्शा रहे थे। नथ, झुमके, मांग टीका, चूड़ियाँ, बिछिया, पायल - सब कुछ एकदम परफेक्ट तरीके से सजाया गया था।
साड़ी की चमक देखकर अमित का मन तो प्रसन्न हो गया, लेकिन उसका वज़न देखकर वह थोड़ा घबरा गया। उसे ऐसा लगा जैसे मोरनी ने उसे परेशान करने के लिए जानबूझकर भारी कपड़े ही चुनती है। कल उसने शरारा सूट चुना था जो अपने आप में काफ़ी भारी था और आज यह साड़ी! उसे याद आया कि कैसे उसे शरारा सूट के भारीपन ने कितना परेशान किया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी आखिर चाहती क्या है।
"मोरनी, ये साड़ी तो बहुत भारी है।" अमित ने कहा, उसकी आवाज़ में घबराहट साफ़ झलक रही थी, "क्या मैं कोई हल्की सी साड़ी नहीं पहन सकता? कुछ ऐसा जो पहनने में आरामदायक हो? मुझे नहीं लगता कि मैं इतनी भारी साड़ी संभाल पाऊंगा।"
मोरनी हँसते हुए उसके पास आई, "अरे भैया, शादी के दिन दुल्हन हमेशा भारी साड़ी ही पहनती है।" उसने प्यार से समझाते हुए कहा, "और वैसे भी, जब तुम इसे पहन लोगे तो तुम्हें इसकी आदत हो जाएगी।" अमित को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे। एक तरफ तो वह मोरनी की बात मानना चाहता था, लेकिन दूसरी तरफ उसे अपनी परेशानी का भी ध्यान था।
मोरनी ने पहले अमित के नाजुक कंधों पर ब्लाउज चढ़ाया, धीरे-धीरे उसके हाथों को बाजुओं से गुजारते हुए। ब्लाउज का नाजुक कपड़ा अमित की त्वचा पर किसी अनजानी सिहरन सी पैदा कर रहा था। पीछे, मोरनी ने ब्लाउज की डोरियों को आपस में बांधा, उन्हें एकदम टाइट खींचते हुए। फिर मोरनी ने पेटीकोट उठाया, उसका मुलायम कपड़ा अमित की टांगों को छूकर एक अजीब सी सनसनी पैदा कर रहा था। उसने पेटीकोट को अमित की कमर पर बाँधा और उसके नाड़े को कसकर खींचा, यह सुनिश्चित करते हुए कि वह अपनी जगह पर टिका रहे। अमित ने हल्की सी झिझक के साथ कहा, "अरे मोरनी, इतना कसकर मत बांधो, मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है।" मोरनी ने प्यार से जवाब दिया, "अगर मैंने इसे ढीला बांधा तो भारी साड़ी ढीली हो जाएगी और वो ऐसे नहीं चाहती।" अमित ने एक बार फिर विरोध करने की कोशिश की, "मोरनी, प्लीज थोड़ा ढीला करो, मुझे घुटन हो रही है।" मोरनी ने एक शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया, "सब्र करो अमित, थोड़ी देर और।"
अब बारी थी साड़ी की। मोरनी ने बड़े प्यार से अमित को साड़ी पहनाई, हर प्लेट को ध्यान से सेट करते हुए, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्लेट्स एक समान हों और साड़ी की खूबसूरती में चार चांद लग जाएँ। साड़ी को जगह पर टिकाए रखने के लिए उसने बहुत सारी पिनों का इस्तेमाल किया, हर पिन अमित को याद दिला रही थी कि आज वो पूरी तरह से मोरनी के हाथों की कठपुतली है। अमित को ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी पुतले की तरह है जिसे मोरनी अपनी मर्ज़ी से सजा रही है, मगर आज उसे इसका कोई विरोध नहीं था।
साड़ी पहनने के बाद अब बारी थी मेकअप की। मोरनी अपने हाथों में मेकअप का सामान लिए अमित के पास आई। उसने सबसे पहले अमित के चेहरे को अच्छी तरह से साफ किया और मॉइस्चराइजर लगाया ताकि मेकअप उसके चेहरे पर अच्छी तरह से बैठे। इसके बाद, मोरनी ने अमित के चेहरे पर फाउंडेशन लगाना शुरू किया। उसने हल्के हाथों से फाउंडेशन को पूरे चेहरे पर अच्छी तरह से ब्लेंड किया ताकि चेहरे पर कोई दाग-धब्बे न दिखें। फाउंडेशन के बाद, मोरनी ने अमित के चेहरे पर कॉम्पैक्ट पाउडर लगाया ताकि मेकअप सेट हो जाए और चेहरा चमकदार दिखे।
अब बारी थी आँखों की। मोरनी ने अमित की आँखों में आईलाइनर लगाया, जिससे उसकी आँखें बड़ी और सुंदर लग रही थीं। फिर उसने मस्कारा लगाया जिससे उसकी पलकें घनी और लंबी हो गईं। आखिर में, मोरनी ने अमित के होठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाई। लाल रंग अमित के चेहरे पर बहुत जंच रहा था। मोरनी ने नयी दुल्हन के हिसाब से थोड़ा हेवी मेकअप ही किया था।
अमित खुद को आईने में देखता ही रह गया। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह वह खुद है। मोरनी ने उसे एकदम दुल्हन की तरह तैयार कर दिया था।
"वाह मोरनी, तुमने तो कमाल कर दिया।" अमित ने मोरनी की तारीफ करते हुए कहा, "मैं तो खुद को पहचान ही नहीं पा रहा हूँ।"
"अरे भैया, अभी तो असली मज़ा बाकी है।" मोरनी ने शरारती अंदाज़ में कहा, "अभी तो तुम्हें गहने पहनने हैं।"
मोरनी अमित को बेड पर बिठाकर उसके गहने निकाल लायी। उसने अमित को सबसे पहले मांग टीका पहनाया, फिर बड़ी गोल नथ, झुमके और हार। ब्राइडल चूड़ा और हेवी पायल तो वो पहले से ही पहना था। अमित के हाथों में मेहंदी पहले से ही लगी हुई थी, जो उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थी। आखिर मे मोरनी ने उसे कमरबंद पहनाया जो कि वजनदार तो था पर खूबसूरत लग रहा था।

"बस, अब तुम बिल्कुल तैयार हो।" मोरनी ने अमित को आईने के सामने खड़ा करते हुए कहा, "देखो, एक बार खुद को।"
अमित ने आईने में खुद को देखा। वह एक खूबसूरत दुल्हन की तरह लग रहा था। उसे खुद पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह वही अमित है, जिसे देखकर लड़कियाँ मुँह मोड़ लेती थीं।
"कैसा लग रहा है?" मोरनी ने पूछा।
"बहुत अच्छा।" अमित ने शर्माते हुए कहा, "लेकिन मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा है।"
"अरे भैया, घबराओ मत।" मोरनी ने अमित को दिलासा देते हुए कहा, "तुम बहुत अच्छे लग रहे हो।"
"लेकिन मोरनी..." अमित ने कहा, "मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं यह सब क्यों कर रहा हूँ।"
"अरे भैया, बस यूँ समझ लो कि यह तुम्हारी ज़िंदगी का एक नया अनुभव है।" मोरनी ने कहा, "कौन जानता है, कल को तुम्हें यह अनुभव काम आ जाए।"
अमित कुछ नहीं बोला। वह जानता था कि मोरनी सही कह रही है। ज़िंदगी में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।
"अब भाई बस वो चीजें बची हैं जिसके साथ ही एक दुल्हन शादी शुदा लगती है। " मोरनी ने कहा,
अमित ने बोला कि अब क्या बचा है सब कुछ तो हो गया है। मगर मोरनी ने कहा कि अभी मंगलसूत्र, सिंदूर और बिछिया जिसके बिना आप शादीशुदा नहीं लगोगे। अमित ने झुंझलाहट मे मुस्कराते हुए कहा कि चलो ये सब भी पूरा कर दो।
मोरनी ने अमित के गले में मंगलसूत्र पहनाया और मांग में सिंदूर भरा और फिर उसके पैरों में बिछिया पहनायी।
"बस, अब तुम एकदम परफेक्ट हो।" मोरनी ने कहा, उसकी आँखों में शरारत चमक रही थी।
मोरनी ने अमित को. एक बार फिर आईने के सामने खड़ा करते हुए कहा, "देखो, अब कैसा लग रहा है?" अमित ने आईने में खुद को देखा। उसकी आँखों में आंसू आ गए। वो एक खूबसूरत दुल्हन की तरह सजी हुई थी। लाल रंग की खूबसूरत साड़ी ,हाथों में चूड़ियाँ, माथे पर सजी बिंदी और गले में मोतियों का हार, सब कुछ एकदम परफेक्ट था। लेकिन ये खूबसूरती उसे अंदर ही अंदर डरा रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। उसे अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था कि वो इतना लाचार क्यों है, मोरनी पर गुस्सा आ रहा था जो उसे इस तरह सजा रही थी और अपनी किस्मत पर भी गुस्सा आ रहा था जिसने उसे ये दिन दिखाया।
"क्यों भाभी जी, कैसे लग रहे हो अपने आपको देखकर?" मोरनी ने अमित को चिढ़ाते हुए पूछा। उसकी आवाज़ में एक अजीब सा मज़ा था जो अमित के ज़ख्मों पर नमक छिड़क रहा था।
"मैं..." अमित कुछ कहना चाहता था, लेकिन उसके मुँह से शब्द नहीं निकले। गला रुंध गया था और आँखों के आगे अँधेरा छा गया था। मोरनी ने अमित के चेहरे को उठाया और कहा, "अरे वाह! नयी बहु की मुहँ दिखाई का एक महकता गिफ्ट तो देना पड़ेगा क्योंकि वो सुन्दर ही इतनी है!" वो एक सुगंधित गजरा लायी जिसको उसने अमित के बालों पर लगा कर सेट कर दिया। इसके बाद मोरनी ने परफ्यूम की आधी बोतल अमित के शरीर के हर हिस्से पर छिड़क कर खाली कर दी। कमरे में एक अजीब सी गंध फैल गयी जो अमित को और भी घुटन दे रही थी।
मोरनी ने अमित से कहा, "अब बारी है उसको नयी बहु की मजबूरियाँ, जिम्मेदारियाँ, काम और नयी बहु कैसे रहती है जैसे घूंघट मे रहना, पति का नाम ना लेना और बहुत कुछ सिखाने की! "
लेकिन उससे पहले मोरनी ने कहा, "आज वो पूरा दिन उसे 'भाभी' कहकर बुलाएगी क्योंकि आज वो उसकी नयी भाभी की तरह ही लग रही है, समझ गए?"अमित मन ही मन झुंझलाया, पर उसने कुछ नहीं कहा। वो जानता था कि बहस करने का कोई फायदा नहीं है। मोरनी उसे कभी नहीं समझेगी।
"हाँ ठीक है।" अमित ने थके हुए स्वर में कहा।
मोरनी मुस्कुराई और अमित को बेड से उतारकर एक कुर्सी पर बिठा दिया। "अब देखो भाभी जी, सबसे पहले तो आपको ये समझना होगा कि एक नयी बहु का घर में क्या स्थान होता है।" मोरनी ने समझाते हुए कहा, "घर की हर चीज की ज़िम्मेदारी आपकी होती है, खाना बनाना, घर साफ़ करना, कपड़े धोना, प्रेस करना, बर्तन मांजना, घर के बड़ों का ख्याल रखना, बच्चों की देखभाल करना, मेहमानों की आवभगत करना, हर छोटी-बड़ी चीज का ध्यान रखना, सबकी देखभाल करना, और हाँ, सबसे ज़रूरी, अपने पति की सेवा करना।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "पति? कौन पति? यहाँ तो मैं अकेली ही फंसी हुई हूँ। और ऊपर से इतनी सारी ज़िम्मेदारियाँ? ये तो मुझे नौकरानी बनाने की तैयारी हो रही है।"
"और हाँ," मोरनी ने आगे कहा, "एक नयी बहु को हमेशा घूँघट में रहना चाहिए।" उसने अमित के सर पर लाल रंग का नेट का दुपट्टा डाला और घूंघट को अमित की छाती तक कर दिया और पिन से इस तरह सेट किया कि वो वही फिक्स रहे । "और हाँ, अपने पति के अलावा किसी और पुरुष से आँख मिलाकर बात भी नहीं करनी चाहिए। हाँ, घर की औरतों से बातचीत हो सकती है, लेकिन आदर और सम्मान के साथ। और हाँ, घर के बाहर किसी भी अजनबी पुरुष से बातचीत तो बिलकुल नहीं।" मोरनी ने ज़ोर देकर कहा। "बाकी सबको घूंघट के अंदर से ही देखना है।"
"लेकिन यहाँ तो कोई पति है ही नहीं।" अमित ने घूँघट के अंदर से धीरे से कहा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मोरनी ये सब क्यों करवा रही है।
"अरे भाभी जी, अभी तो आपकी ट्रेनिंग चल रही है।" मोरनी ने हँसते हुए कहा, "जब आपकी असली में शादी होगी, तब तो आपके पति होंगे ही। और तब आपको ये सब बातें याद रखनी होंगी।"
मोरनी ने अमित की ट्रेनिंग के लिए एक नया प्लान बनाया था जिससे अमित की बची खुची लड़कों वाली फीलिंग्स खत्म हो जाए तो उसने अमित को सोफ़े पर बिठाकर कहा कि वो वहीँ बैठे क्योंकि उसे नयी बहू की ट्रेनिंग के लिए कुछ नयी चीज़ सूझी है। मोरनी अपने कमरे में गई और वापस आयी तो उसके पास एक काग़ज था जिसमें वो कुछ लिखकर लायी थी। मोरनी ने कहा कि उसने रात में ये सब सिर्फ उसके लिए ही लिखा है और अमित को नयी बहू बनने के लिए इसे पढ़ना होगा और याद भी रखना होगा। उसने कहा कि ये वादे या कसम या शर्त जो भी हैं नयी बहू को इसका पालन करना होता है। अमित ने पूछा की ये क्या ज़रूरी है तो मोरनी बोली हाँ बिल्कुल इसके बिना नयी बहू को अपनी जिम्मेदारियों को कैसे समझेगी। अमित ने गुस्से मे हामी भर दी क्योंकि और कुछ वो कर नहीं सकता था ।
लेकिन इस बीच मोरनी ने उसे बताया कि सबसे पहले जो प्रस्तावना है उसे अमित को दस बार पढ़ना होगा और उसका मुख्य उद्देश्य यह भी याद दिलाना था कि वह अब एक लड़की, दुल्हन और एक बहू है इसलिए उसे इसे लड़कियों की तरह नजाकत से बोलना है। अब अमित ने कागज पढ़ा..
"मैं, अमिता, पूरी ईमानदारी और दृढ़ निश्चय के साथ घोषणा करती हूँ कि अब से मैं एक विवाहित स्त्री हूँ। कल ही मेरा विवाह एक ऐसे पुरुष से संपन्न हुआ है जो अब मेरा जीवनसाथी, मेरा पति है और मैं उनकी धर्मपत्नी हूँ। यह नया रिश्ता, यह पवित्र बंधन मेरे लिए अत्यंत गौरव और हर्ष का विषय है। मैं हृदय से यह प्रण लेती हूँ कि मैं अपने पति की हर उचित इच्छा का सम्मान करूंगी और उनके जीवन में खुशियों और आनंद के रंग भरने का हर संभव प्रयास करूंगी।
एक पत्नी होने के साथ-साथ मैं इस पवित्र बंधन की गरिमा को भी समझती हूँ और इस कागज पर उल्लिखित सभी शर्तों का पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पालन करने का वचन देती हूँ। मैं यह भी स्वीकार करती हूँ कि यदि मैं अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असफल रहती हूँ या इन शर्तों का उल्लंघन करती हूँ, तो मैं इसके परिणामस्वरूप मिलने वाली किसी भी सजा को सहर्ष स्वीकार करूंगी।"
अमित ने जब वो लिखा हुआ पढ़ा तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया। अपमान की आग में जलता उसका शरीर कांप रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि मोरनी उसके साथ ऐसा कर सकती है। उसे वो लिखा हुआ नौ बार और पढ़ना था, हर बार अपमान की गहराई में डूबते हुए। उसकी आँखों में गुस्सा और बेबसी के सागर उमड़ रहे थे।
उसने मोरनी को देखा, उसकी आँखें गुस्से से लाल हो चुकी थीं। "मोरनी, ये क्या बकवास है? तुम ये सब क्यों लिखा है? क्या तुम्हें अंदाजा भी है कि मुझे कैसा लग रहा है इसे पढ़कर?" अमित का गला गुस्से से रुंध गया था।
मोरनी मुस्कुराई, उसकी मुस्कराहट में एक अजीब सा ताना था। "अरे, इतना गुस्सा मत करो ना यार! थोड़ी बहुत मस्ती तो चलती है ना।"
"मस्ती? तुम इसे मस्ती समझती हो?" अमित की आवाज थरथरा रही थी। "तुम्हें पता है ना कि ये कितना अपमानजनक है? मैं ये सब क्यों करूँ?"
मोरनी ने अपनी हंसी को रोकते हुए कहा, "अरे, इतना भी सीरियस मत लो यार! बस थोड़ा सा मजाक कर रही थी।"
"मजाक?" अमित का गुस्सा अब सातवें आसमान पर था। "तुम्हें लगता है कि ये मजाक है? तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हो?"
"अरे बाबा, रिलैक्स करो! इतना गुस्सा ठीक नहीं," मोरनी ने शांति से कहा। "और हाँ, पढ़ना तो पड़ेगा ही। भूल गए क्या मेरे पास क्या है? तुम्हारे लहंगे वाले कारनामों के फोटो और वीडियो! अगर नहीं चाहते कि ये दुनिया देखे, तो चुपचाप पढ़ो।"
अमित हक्का-बक्का रह गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे। मोरनी ने उसे एक ऐसे जाल में फंसा दिया था जहाँ से निकलना मुश्किल था।
"नौ बार और पढ़ो इसे," मोरनी ने उसे चिढ़ाते हुए कहा। "फिर तो असली मज़ा आएगा।"
अमित मन मसोसकर फिर से वह प्रस्तावना पढ़ने लगा। हर बार जब वह "अमिता" शब्द पढ़ता, उसके अंदर एक सिहरन दौड़ जाती। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी मर्दानगी को किसी ने कुचल कर रख दिया हो। दस बार पढ़ने के बाद वह मानसिक रूप से बुरी तरह थक चूका था।
"बस भी करो मोरनी, ये क्या बचपना है?" अमित ने गुस्से से कहा।
"अरे बचपना! ये तो बस एक झलक है" मोरनी ने हँसते हुए कहा। "अब आगे पढ़ो, अभी तो बहुत कुछ बाकी है।
"क्या? और कितना कुछ है इसमें?" अमित ने घबराकर पूछा। उसे डर लग रहा था कि कहीं मोरनी ने उसे और ज़्यादा अपमानित करने के लिए कोई और योजना न बना ली हो।
मोरनी ने मुस्कुराते हुए कागज को हिलाया और कहा, "अरे बस, थोड़ी सी और शर्तें हैं जिन्हें एक अच्छी पत्नी को मानना होता है।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "काश! मैं यहाँ से भाग सकता।"
अमित ने आगे पढ़ना शुरू किया, "
"नियम नंबर एक: मैं हमेशा अपने पति की आज्ञा का पालन करूंगी और कभी भी उससे ऊँची आवाज़ में बात नहीं करूंगी ।" मोरनी ने ठंडी आवाज़ में कहा, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
अमित ने गुस्से से मेज पर मुक्का मारा, "ये तो बिलकुल गलत है! क्या तुम मुझे बेवकूफ समझती हो? मैं किसी की भी नौकरानी नहीं बनूँगा। और हाँ, ऊँची आवाज़ में बात करने का क्या मतलब है? क्या मैं तुम्हारे साथ इंसानों की तरह बात भी नहीं कर सकता?"
मोरनी ने उसे घूरा, उसके होंठों पर एक खतरनाक मुस्कान फैल गई। "ज़्यादा उछल कूद मत करो दुल्हन जी," उसने कहा, उसकी आवाज़ में धमकी साफ़ झलक रही थी, "अभी तो पूरी लिस्ट बाकी है। और हाँ, अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी, अगर तुमने मुझे जरा भी दुखी करने की कोशिश की, तो तुम्हें पता है कि मैं क्या कर सकती हूँ।" उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन उसमें एक ऐसी धार थी जो अमित के रूह तक उतर गई।
अमित को अपनी हार स्वीकार करनी पड़ी। उसे पता था कि मोरनी के पास उसके लहंगे वाले फोटो और वीडियो हैं और अगर वो उसकी बात नहीं मानेगा तो मोरनी उन्हें सबको दिखा देगी।
"ठीक है, ठीक है! मैं पढ़ता हूँ।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"नियम नंबर दो: मैं हमेशा अपने पति को खुश रखने की कोशिश करूंगी तन और मन दोनों से और उसकी हर बात मानूंगी।" मोरनी ने शरारती मुस्कान के साथ कागज पर लिखी शर्त अमित को पढ़कर सुनाई।
"अरे यार, ये तो हद है! क्या मैं गुलाम हूँ?" अमित ने चिढ़कर कहा, उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी मजाक कर रही है या सच में ऐसी शर्तें रख रही है।
मोरनी ने आँखें तरेरते हुए कहा, "गुलाम नहीं, पत्नी हो! और पत्नी का धर्म होता है पति की सेवा करना।" उसकी आवाज़ में मजाक और गंभीरता का अजीब सा मिश्रण था।
अमित मन ही मन बड़बड़ाया, "सेवा नहीं, सज़ा दे रही है ये तो मुझे!" उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस शरारती लड़की से कैसे निपटा जाए।
उसने आगे पढ़ना जारी रखा,
"नियम नंबर तीन: मैं हमेशा अपने पति के लिए सुंदर दिखूंगी और कभी भी बिना मेकअप के उसके सामने नहीं आऊंगी ।"
"ये क्या बकवास है? मेकअप करना मेरा कोई शौक नहीं है।" अमित ने तुरंत विरोध किया।
"अरे वाह! तो अब तुम मेकअप भी नहीं करोगे अपने पति के लिए ?" मोरनी ने नकली गुस्से से कहा, उसकी आँखों में शरारत चमक रही थी। "तुम्हें पता है न, एक पत्नी को हमेशा अपने पति को आकर्षित करने के लिए तैयार रहना चाहिए? और मेकअप तो बस एक छोटा सा तरीका है अपनी खूबसूरती को निखारने का।" उसने एक शरारती मुस्कान के साथ आगे कहा, "और वैसे भी, मुझे यकीन है कि तुम बिना मेकअप के भी बहुत सुंदर लगोगी, लेकिन थोड़ा सा मेकअप करने से क्या फर्क पड़ता है?"
अमित ने सोचा, "अगर मैं इसे और तर्क करूँगा, तो ये मुझे और कुछ करने को कहेगी।" उसने चुपचाप आगे पढ़ना शुरू कर दिया।
"नियम नंबर चार: मैं कभी भी अपने पति से बहस नहीं करूंगी और हमेशा उसकी बात ध्यान से सुनूंगी।"
"ये तो बिलकुल नामुमकिन है! बहस तो हर रिश्ते का हिस्सा होती है।" अमित ने कहा।
"ओह, तो तुम बहस करना चाहते हो?" मोरनी ने चुनौती देते हुए कहा। "ठीक है, कर लो! लेकिन याद रखना, अगर तुम हार गए तो..."
अमित जानता था कि मोरनी क्या कहने वाली है। उसे अपनी हार स्वीकार करनी पड़ी।
"नहीं-नहीं, मैं बहस नहीं करना चाहता।" अमित ने घबराहट में कहा।
मोरनी मुस्कुराई। उसे अमित को इस तरह तड़पाते हुए देखकर बहुत मज़ा आ रहा था।
"बहुत अच्छे! अब आगे पढ़ो।"
अमित ने मन मसोसते हुए आगे पढ़ना शुरू कर दिया।
"नियम नंबर पाँच: मैं हमेशा अपने पति के लिए खाना बनाऊंगी और घर की सफाई करूंगी।"
"ये तो अन्याय है! घर का काम सिर्फ औरतों का नहीं होता।" अमित ने विरोध किया।
"ओह, तो अब तुम घर का काम करने से भी मना कर रहे हो?" मोरनी ने नाटक करते हुए कहा। "लगता है तुम्हें अपनी पत्नी के कर्तव्यों का एहसास ही नहीं है।"
अमित जानता था कि मोरनी के साथ बहस करना बेकार है।
"ठीक है, ठीक है! मैं खाना बनाऊंगा और सफाई भी करूंगा।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
मोरनी ने अमिती मुस्कान के साथ कहा, "अच्छा किया! अब तुम एक आज्ञाकारी पत्नी बनने की राह पर हो।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "काश! ये सब एक बुरे सपने की तरह खत्म हो जाए।"
उसने आगे पढ़ना जारी रखा और पाया कि लिस्ट अभी खत्म नहीं हुई थी। उसे एहसास हुआ कि मोरनी ने उसे पूरी तरह से फंसा लिया है और उसे उसकी हर बात माननी पड़ेगी।
"नियम नंबर छह : क्योंकि एक सदाचारी और आदर्श पत्नी होने के नाते, मुझे अपने पति का नाम मुख से लेने की इजाज़त नहीं होती है, इसलिए आज से मैं अपने पति का नाम नहीं बोलूंगी। यह एक पवित्र बंधन का प्रतीक है और उनके प्रति मेरे सम्मान को दर्शाता है। और हाँ, इसी नियम के तहत मैं उन्हें उनके नाम से पुकार भी नहीं सकती।"
"अरे ये क्या बकवास है? ये किस किताब में लिखा है? और ये कैसा रिवाज़ है? मैं उनका नाम क्यों नहीं ले सकता? क्या तुम मुझे पत्नी होने का एहसास दिलाना बंद कर दोगी?" अमित ने गुस्से से कहा, उसका चेहरा लाल हो गया था।
"क्योंकि पति का नाम लेना पत्नी के लिए अपशकुन माना जाता है," मोरनी ने गंभीरता से कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मिठास थी। "और वैसे भी," उसने अपनी बात जारी रखी, "तुम अब उनकी पत्नी हो, उन्हें प्यार से बुलाने के लिए तुम्हारे पास और भी कई नाम होंगे।" मोरनी की आँखों में शरारत झाँक रही थी, मानो वो जानती हो कि उसकी ये बात अमित को असहज कर देगी।
अमित सोच में पड़ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मोरनी की इस बेतुकी बात पर हंसे या गुस्सा करे। एक तरफ तो उसे ये बात बिलकुल पसंद नहीं आई, वहीं दूसरी तरफ मोरनी का अंदाज़ देखकर उसे हँसी भी आ रही थी।
"जैसे?" अमित ने अंततः पूछा, उसकी आवाज़ में उत्सुकता और झिझक दोनों थी।
मोरनी के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान फैल गई। "जैसे," उसने अपनी आवाज़ को और भी मीठा करते हुए कहा, "जानू , 'मेरे राजा', 'मेरे बाबू सोना'..." मोरनी ने जानबूझकर ऐसे नाम चुने थे जो अमित को शर्मिंदा करने के लिए काफी थे।
और हुआ भी ऐसा ही। मोरनी के मुंह से ये शब्द सुनते ही अमित का चेहरा गुस्से और शर्म से लाल हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे या क्या करे। मोरनी की शरारत काम कर गई थी, और अमित उसके जाल में फँस चुका था।
"चुप करो तुम! मैं ये सब बकवास नहीं करूँगा!" अमित चिल्लाया।
"ओह, तो क्या तुम अपनी पत्नी के कर्तव्यों को निभाने से इनकार कर रहे हो?" मोरनी ने नाटक करते हुए कहा।
"तुम्हें पता है न, एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति को खुश रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है?"
अमित जानता था कि मोरनी उसे और ज्यादा चिढ़ाने वाली है।
"ठीक है, ठीक है! मैं... मैं कोशिश करूँगा।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"बहुत अच्छे! मुझे पता था कि तुम समझोगे।" मोरनी ने अमिती मुस्कान के साथ कहा।
"अब जरा नियम नंबर सात पर गौर फरमाइए।" मोरनी ने नाटकीय अंदाज में कहा।
"नियम नंबर सात: मुझे अपने पति के सामने कभी भी अपने बाल खुले नहीं रखने चाहिए।" अमित ने ऊँची आवाज़ में पढ़ा और फिर मोरनी की तरफ सवालिया निगाहों से देखा।
"ये कैसा नियम है? मेरे बाल, मेरी मर्ज़ी!" अमित ने विरोध जताया।
"अरे दुल्हन जी, यह तो सुहाग की मोरनीनी है।" मोरनी ने समझाते हुए कहा। "पति के सामने बाल खुले रखना अपशकुन माना जाता है।"
"पर मोरनी, ये तो बहुत पुराने ज़माने की बातें हुई।" अमित ने तर्क दिया।
"पुराना हो या नया, नियम तो नियम होता है।" मोरनी ने सख्ती से कहा। "और वैसे भी, क्या तुम अपने पति के लिए इतना भी नहीं कर सकती?"
अमित जानता था कि मोरनी से बहस करना बेकार है।
"ठीक है, ठीक है! मैं अपने बाल बाँध लूँगा।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"शाबाश! अब तुम कुछ समझने लगी हो।" मोरनी ने प्रसन्नता से कहा। "चलो, आगे बढ़ते हैं।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "यह औरत मुझे पागल कर देगी।"
उसने आगे पढ़ना शुरू किया,
"नियम नंबर आठ: मैं हर काम पति जी से पूछकर करूंगी। बिना उनकी आज्ञा के मैं एक कदम भी घर से बाहर नहीं रखूंगी।"
"अब ये क्या मजाक है? मैं बच्ची नहीं हूँ जो हर बात के लिए परमिशन लूंगी।" अमित ने गुस्से से कहा।
"ओह, तो अब तुम बड़ी हो गई हो? " मोरनी ने नकली हैरानी जताते हुए कहा। "लेकिन याद रखना दुल्हन जी, एक
आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति की इजाजत लेती है।"
अमित जानता था कि मोरनी उसे और ज़्यादा अपमानित करने का मौका नहीं छोड़ेगी।
"ठीक है, ठीक है! मैं हर काम के लिए पति जी से पूछूंगी।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
मोरनी अमिती मुस्कान के साथ बोली, "बहुत खूब! अब तुम एक अच्छी और आज्ञाकारी पत्नी बनने की राह पर हो।"
अमित मन ही मन सोच रहा था, "कब खत्म होगा ये सब? कब मुझे मेरी असली ज़िन्दगी वापस मिलेगी?"
लेकिन उसे एहसास था कि अभी तो ये खेल और आगे बढ़ने वाला है।
"नियम नंबर नौ: मैं हमेशा घूंघट में रहूंगी या सिर ढक कर रहूंगी। क्योंकि एक सच्ची भारतीय नारी होने के नाते, मेरा मानना है कि अपने पति के अलावा किसी और पुरुष को अपने बाल या चेहरा दिखाना उचित नहीं है। यह मेरे पति के प्रति सम्मान और समर्पण का प्रतीक है, और हमारी संस्कृति में एक विवाहित स्त्री की गरिमा और पवित्रता को दर्शाता है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और मैं इसका पालन पूरे दिल से करूंगी।"
"ये तुम क्या कह रही हो? ये तो बहुत ज़्यादा हो गया! मैं अपने ही घर में कैद होकर नहीं रह सकती।" अमित ने गुस्से से कहा, उसकी आवाज़ में झुंझलाहट साफ़ झलक रही थी। "क्या तुम मुझे घर की चार दीवारी में कैद करके रखना चाहती हो?ये तो बिलकुल ही गलत है।"
"अरे दुल्हन जी, यह तो पति के प्रति सम्मान और प्यार की मोरनीनी है।" मोरनी ने मीठी ज़ुबान में समझाते हुए कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी चालाकी थी। "प्राचीन काल से ही भारतीय नारी अपने पति को अपना भगवान मानती है और अपने सौंदर्य को सिर्फ़ उनके लिए ही संजो कर रखती है। यह तो हमारे संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है।"
"और वैसे भी, घूंघट में रहने से तुम्हारी सुंदरता और भी निखर कर आएगी।" मोरनी ने आगे कहा, उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी। "जब तुम घूंघट में से झाँकती हुई अपने पति को देखोगी तो तुम्हारी आँखों की मस्ती और चेहरे की लाली, तुम्हें और भी सुंदर बना देगी।"
"सुंदरता! तुम्हें लगता है मुझे किसी को अपनी सुंदरता दिखानी है?" अमित ने व्यंग्य से कहा, उसका गुस्सा अब भी शांत नहीं हुआ था। "मैं किसी प्रदर्शनी की वस्तु नहीं हूँ जिसे सजा कर रखा जाएगा। मेरी पहचान मेरी सुंदरता से नहीं, मेरे विचारों से, मेरे कामों से है।"
"अरे नहीं दुल्हन जी, ज़रूरी नहीं है कि आप अपनी सुंदरता किसी को दिखाएं, लेकिन एक पति के लिए तो अपनी पत्नी की सुंदरता अनमोल होती है।" मोरनी ने नाटकीय अंदाज़ में कहा, जैसे वह किसी नाटक का मंचन कर रही हो। "एक पति अपनी पत्नी की सुंदरता को निहार कर, उसकी तारीफ़ कर, अपने प्यार का इज़हार करता है। यह तो पति-पत्नी के बीच के प्रेम को और भी गहरा बनाता है।"
अमित जानता था कि मोरनी से बहस करना समय की बर्बादी है।
"ठीक है, ठीक है! मैं घूंघट में रहूंगी।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"वाह! अब तो तुम सचमुच एक आदर्श पत्नी बनने की राह पर हो।" मोरनी ने प्रसन्नता से कहा।
अमित ने मन ही मन सोचा, "यह औरत मुझे ज़िंदा जला देगी।"
उसने आगे पढ़ना शुरू किया और पाया कि लिस्ट अभी भी खत्म नहीं हुई थी।
" नियम नंबर दस: मैं अपने पति के अलावा किसी और पुरुष से बात नहीं करूंगी। अगर कोई ज़रूरी काम हो तो पहले अपने पति से पूछूंगी।"
"ये तो बिलकुल ही ग़लत है! मैं किसी की गुलाम नहीं हूँ।" अमित गुस्से से बोला।
"अरे दुल्हन जी, यह तो पतिव्रता धर्म है।" मोरनी ने गंभीरता से कहा। "एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति के प्रति वफ़ादार रहती है और किसी और पुरुष से ज़रूरी बात भी नहीं करती।"
अमित जानता था कि मोरनी के साथ बहस करना बेकार है।
"ठीक है, ठीक है! मैं किसी और पुरुष से बात नहीं करूँगा।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"बहुत बढ़िया! लगता है अब तुम्हें अपनी ज़िम्मेदारियां समझ आने लगी हैं।" मोरनी ने अमिती मुस्कान के साथ कहा।
अमित मन ही मन सोच रहा था, "काश! यह सब एक बुरे सपने की तरह खत्म हो जाए।"
उसने आगे पढ़ना जारी रखा और पाया कि लिस्ट अभी भी ख़त्म नहीं हुई थी। उसे एहसास हुआ कि मोरनी उसे पूरी तरह से झुकाना चाहती है।
"नियम नंबर ग्यारह: मैं अपने पति के दोस्तों और रिश्तेदारों का पूरा सम्मान करूंगी, चाहे वे मेरे साथ कैसा भी व्यवहार करें।"
"ये क्या बेतुकी बात है? सम्मान तो कमाया जाता है, थोपा नहीं जाता!" अमित ने गुस्से से कहा।
"अरे दुल्हन जी, यह तो परिवार की मर्यादा है।" मोरनी ने समझाते हुए कहा। "एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति के परिवार को अपना परिवार मानती है और उनका पूरा सम्मान करती है।"
अमित जानता था कि मोरनी के तर्कों का कोई अंत नहीं है।
"ठीक है, ठीक है! मैं सबका सम्मान करूंगा।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"वाह! अब तुम सचमुच एक सुशील और संस्कारी पत्नी बनने की राह पर हो।" मोरनी ने प्रसन्नता से कहा।
अमित ने मन ही मन सोचा, "यह औरत मुझे ज़िंदा ही खा जाएगी।"
उसने आगे पढ़ना शुरू किया, लेकिन उसका मन अब उसमें नहीं लग रहा था।
"नियम नंबर बारह: मैं अपने पति की कमाई को अपना ही पैसा समझूंगी और उसका हिसाब रखूंगी।" "ये क्या बकवास है? मेरी कमाई पर मेरा ही हक़ है!" अमित ने विरोध जताया।
"अरे दुल्हन जी, यह तो पति-पत्नी के बीच विश्वास की मोरनीनी है।" मोरनी ने मीठी छुरी की तरह कहा। "एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति की कमाई को अपनी कमाई मानती है और उसे सोच समझकर खर्च करती है।"
अमित जानता था कि मोरनी के तर्क कभी ख़त्म नहीं होंगे।
"ठीक है, ठीक है! मैं आपकी सारी कमाई का हिसाब रखूँगा।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"बहुत खूब! लगता है अब तुम एक समझदार और जिम्मेदार पत्नी बनने लगी हो।" मोरनी ने अमिती मुस्कान के साथ कहा।
अमित मन ही मन सोच रहा था, "कब खत्म होगा ये सब? कब मुझे मेरी असली ज़िन्दगी वापस मिलेगी?"
लेकिन उसे एहसास था कि अभी तो ये खेल और आगे बढ़ने वाला है।
"नियम नंबर तेरह: मैं अपने पति से कोई राज नहीं छुपाऊंगी और हमेशा उन्हें सच बताऊंगी।"
"ये तो बुनियादी बात है, इसमें नियम बनाने की क्या जरूरत है?" अमित ने हैरानी से कहा।अमित ने मन ही मन सोचा, "काश! यह सब जल्दी खत्म हो जाए।"
उसने आगे पढ़ना जारी रखा, लेकिन उसका मन अब उसमें बिलकुल भी नहीं लग रहा था।
"अरे दुल्हन जी, यह तो रिश्ते की नींव है।" मोरनी ने नाटकीय अंदाज में कहा। "एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति के साथ ईमानदार रहती है और उनसे कोई भी बात नहीं छुपाती।"
अमित जानता था कि मोरनी हर बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है।
"ठीक है, ठीक है! मैं कुछ नहीं छुपाऊंगा।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"वाह! अब तो लगता है कि तुम सचमुच एक अच्छी और सच्ची पत्नी बनने की राह पर हो।" मोरनी ने प्रसन्नता से कहा।
"नियम नंबर चौदह: मैं हमेशा अपने पति की इच्छाओं को अपनी इच्छाओं से ऊपर रखूंगी।"
"ये तो गुलामी हुई न! मेरी अपनी कोई चाहत नहीं?" अमित ने विरोध जताया।
"अरे दुल्हन जी, यह तो त्याग और समर्पण की मोरनीनी है।" मोरनी ने मीठी ज़ुबान में समझाते हुए कहा। "एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति की ख़ुशी को अपनी ख़ुशी से ऊपर रखती है।"
अमित जानता था कि मोरनी के तर्कों का कोई अंत नहीं है।
"ठीक है, ठीक है! मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूँगा।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
उसने आगे पढ़ना जारी रखा, लेकिन उसे डर था कि कहीं यह लिस्ट कभी ख़त्म न हो। हर नया नियम उसे और भी
ज़्यादा निराश कर रहा था।
"वाह! लगता है अब तुम एक सच्ची भारतीय पत्नी बनने की ओर अग्रसर हो।
" मोरनी ने प्रसन्नता से कहा। "चलो, आगे बढ़ते हैं।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "यह औरत वाकई मुझे पागल कर देगी।"
उसने आगे पढ़ना शुरू किया, और पाया कि लिस्ट अभी भी ख़त्म नहीं हुई थी।
"नियम नंबर पंद्रह: मैं अपने पति के लिए व्रत रखूंगी और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करूंगी।"
"अब ये क्या नया ड्रामा है?" अमित ने कहा।
"अरे दुल्हन जी, यह तो पति के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।" मोरनी ने नाटकीय अंदाज में कहा। "एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है और उनकी सलामती की दुआ करती है।"
अमित जानता था कि मोरनी के साथ बहस करना समय की बर्बादी है।
"ठीक है, ठीक है! मैं पति के लिए व्रत रखूँगी ।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"वाह! अब तो तुम सचमुच एक पतिव्रता पत्नी बनने की राह पर हो।" मोरनी ने प्रसन्नता से कहा।
अमित मन ही मन सोच रहा था, "कब खत्म होगा ये सब? कब मुझे मेरी असली ज़िन्दगी वापस मिलेगी?"
उसने आगे पढ़ना जारी रखा, लेकिन उसका मन अब उसमें बिलकुल भी नहीं लग रहा था। उसे एहसास हो रहा था कि मोरनी ने उसे पूरी तरह से अपने जाल में फंसा लिया है, और यह 'आदर्श पत्नी' वाला खेल अभी बहुत लम्बा चलने वाला है।
"नियम नंबर सोलह: मैं अपने पति के माता-पिता की सेवा करूंगी जैसे वे मेरे अपने हों।"
"यह तो मेरा भी कर्तव्य बनता है, इसमें नियम बनाने की क्या ज़रूरत है?" अमित ने हैरानी से कहा।
"अरे दुल्हन जी, यह तो संस्कार और परंपरा की बात है।" मोरनी ने गंभीरता से कहा। "एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने सास-ससुर की सेवा करती है जैसे वे उसके अपने माता-पिता हों।"
अमित जानता था कि मोरनी हर बात को एक ड्रामा बना देती है।
"ठीक है, ठीक है! मैं उनकी सेवा करूँगा।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"वाह! अब तो लगता है कि तुम सचमुच एक आदर्श बहू बनने की राह पर हो।" मोरनी ने प्रसन्नता से कहा।
नियम नंबर सत्रह: मैं हमेशा साड़ी या सलवार कमीज पहनूंगी। यह मेरी पहचान है, मेरी संस्कृति है, और मेरा स्वाभिमान है। जींस, टॉप या कोई और आधुनिक पहनावा नहीं पहनूंगी। मैं अपने पारंपरिक परिधानों की शोभा और गरिमा को बनाए रखूंगी।"
"ये तुम क्या कह रही हो? ये तो मेरी निजी पसंद है कि मैं क्या पहनती हूँ!" अमित ने गुस्से से कहा।
"अरे दुल्हन जी, यह तो हमारी संस्कृति और परंपरा की बात है।" मोरनी ने नकली गंभीरता से कहा। "एक आदर्श भारतीय पत्नी हमेशा सुशील वस्त्र धारण करती है जो हमारी परंपरा का प्रतीक हों।"
अमित जानता था कि मोरनी के तर्क कभी ख़त्म नहीं होंगे।
"ठीक है, ठीक है! मैं साड़ी या सलवार कमीज पहन लूंगी।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"वाह! लगता है अब तुम एक सच्ची भारतीय नारी बनने लगी हो।" मोरनी ने अमिती मुस्कान के साथ कहा। अमित ने पूछा कि अभी कितने नियम बचे हैं मुझे बहुत शर्म आ रही है।
"अरे दुल्हन जी, घबराइए मत, अभी तो बस कुछ ही नियम बाकी हैं।" मोरनी ने आश्वस्त करते हुए कहा, हालाँकि उसकी आँखों में शरारत साफ़ झलक रही थी।
"बस कुछ ही? कितने?" अमित ने निराशा से पूछा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह 'आदर्श पत्नी' का पाठ कब खत्म होगा।
"चिंता मत करो दुल्हन जी, जल्द ही तुम एक आदर्श पत्नी बन जाओगी," मोरनी ने कहा और फिर अमित ने उस कागज़ मे से अगला नियम पढ़ा,
"नियम नंबर अठारह: मैं बिना अपने पति की इजाज़त के कोई भी व्रत नहीं तोडूंगी, चाहे मेरी तबियत ठीक न हो।"
यह सुनकर अमित को गुस्सा आ गया। "यह तो हद है! मेरी तबियत मेरा शरीर, और तुम मुझे बताओगी कि मैं क्या करूँ और क्या नहीं?"
मोरनी ने अमित की बात अनसुनी करते हुए कहा, "अरे दुल्हन जी, यह तो पति के प्रति समर्पण का प्रतीक है। एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति की आज्ञा का पालन करती है, चाहे कुछ भी हो जाए।"
अमित जानता था कि मोरनी से बहस करना बेकार है, इसलिए उसने चुप रहना ही बेहतर समझा।
"बहुत बढ़िया! लगता है अब तुम एक सच्ची और आज्ञाकारी पत्नी बनने लगी हो।" मोरनी ने अमिती मुस्कान के साथ कहा।
"नियम नंबर उन्नीस: मैं हर रात अपने पति के पैर दबाऊंगी, चाहे मैं कितनी भी थकी क्यों न होऊं।"
यह सुनकर अमित हक्का-बक्का रह गया। "ये क्या बकवास है? मैं नौकरानी थोड़े ही हूँ!"
मोरनी ने अमित की बात को अनसुना करते हुए कहा, "अरे दुल्हन जी, यह तो पति की सेवा और सम्मान का प्रतीक है। एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति के थके हुए पैरों को दबाकर उनकी थकान दूर करती है।"
अमित जानता था कि मोरनी के तर्क कभी खत्म नहीं होंगे, इसलिए उसने चुप रहना ही बेहतर समझा।
उसने आगे पढ़ना शुरू किया, और पाया कि लिस्ट अभी भी ख़त्म नहीं हुई थी।
"नियम नंबर बीस: मैं अपने पति से ऊँची आवाज़ में बात नहीं करूंगी ना ही कभी झगड़ा करूंगी , हमेशा शांत और मीठा बोलूंगी।" यह सुनते ही अमित के माथे पर बल पड़ गए, उसके चेहरे पर क्रोध की लालिमा दौड़ गयी और उसकी भौहें आपस में गुस्से से सिकुड़ गयीं। "ये क्या बकवास है? मैं तो इंसान हूँ, कोई प्रोग्रामड रोबोट नहीं! और वैसे भी, कभी-कभी गुस्सा आना स्वाभाविक है, यह तो मानवीय भावनाओं का एक हिस्सा है।" अमित ने अपने गुस्से को ज़ाहिर करते हुए ज़ोर से कहा।
मोरनी ने अमित की बातों को मानो हवा में उड़ाते हुए कहा, "अरे दुल्हन जी, यह तो एक महिला की मधुरता और सौम्यता का प्रतीक है, एक सभ्य समाज में उसकी एक अच्छी छवि का परिचायक है। एक आदर्श पत्नी वही मानी जाती है जो हमेशा शांत रहती है, धैर्य का परिचय देती है और अपने पति से प्रेम और आदर से बात करती है।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "काश! ये 'कुछ ही नियम' जल्दी खत्म हो जाएँ और मुझे इस पागलपन से मुक्ति मिले।"
"वाह! लगता है अब तुम एक सच्ची सुशील और संस्कारी पत्नी बनने की राह पर हो।" मोरनी ने प्रसन्नता से कहा।
अमित ने मन ही मन सोचा, "यह औरत वाकई में मुझे गूंगा और बहरा बना देगी।"
"चिंता मत करो दुल्हन जी, बस कुछ ही नियम बाकी हैं, और तुम एक आदर्श पत्नी बन जाओगी।" मोरनी ने विश्वास दिलाते हुए कहा।
अमित ने हिम्मत जुटाते हुए अगला नियम पढ़ा, "नियम नंबर इक्कीस: मैं कभी भी अपने पति से उनके शौक और पसंद-नापसंद के बारे में सवाल नहीं करूंगी और उनके शौक और पसंद ही मेरे शौक और पसंद होंगे। "
"मतलब मैं अपनी पसंद का खाना भी नहीं मांग सकता?" अमित ने निराशा से पूछा।
"अरे दुल्हन जी, यह तो पति के प्रति सम्मान और विश्वास का प्रतीक है।" मोरनी ने नाटकीय अंदाज में कहा। "एक आदर्श पत्नी हमेशा अपने पति के फैसलों का सम्मान करती है और उन पर भरोसा करती है।"
"ठीक है, ठीक है! मैं उनके शौक ही अपने शौक समझूंगी।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
अमित मन ही मन सोच रहा था, "कब खत्म होगा ये सब? क्या मेरी कोई पहचान नहीं? क्या मुझे अपनी पसंद-नापसंद रखने का भी हक़ नहीं?"
अब लिस्ट खत्म हो चुकी थी और अमित ने थोड़ी राहत की सांस ली मगर मोरनी ने कहा कि ये सब नियम तो बहुत कम है एक दुल्हन को इससे भी ज्यादा झेलना पड़ता है जैसे समाज़ और रीतियां जो कि हर जगह अलग अलग होते हैं जैसे किसी के घर मे दुल्हन को खाना नहीं खाना होता, किसी के घर मे पानी नहीं पीना होता, किसी के घर मे बोलना नहीं होता और किसी के घर मे तो सांस लेना भी मना होता है। ये सब सुनकर अमित के तो होश ही उड़ गए। मोरनी ने पन्ना पलटने को कहा और आखिरी बात पढ़ने को बोला उसमे लिखा था कि वो मोरनी का कितना आभारी है उसमे लिखा था।
मैं, अमिता, इस नियम पुस्तिका को लिखने, मुझे सब कुछ समझाने और एक आदर्श बहू और एक आदर्श पत्नी बनने में मेरी मदद करने के लिए मोरनी को तहे दिल से धन्यवाद देती हूँ। मोरनी ने अपनी समझदारी और अनुभव से मुझे उन सभी बातों से अवगत कराया है जो एक खुशहाल और सफल गृहस्थी की नींव होती हैं। उन्होंने मुझे बताया है कि एक बहू और पत्नी होने के नाते मेरी क्या-क्या ज़िम्मेदारियाँ हैं और मुझे किस तरह अपने परिवार के सदस्यों के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आना है।
मुझे यकीन है कि मोरनी द्वारा बताए गए आदर्श बहू के इन नियमों का पालन करके मैं एक सफल गृहस्थी की नींव रख पाऊंगी। ये नियम मुझे अपने पति के साथ एक मजबूत और प्यार भरा रिश्ता बनाने में मदद करेंगे, साथ ही उनके परिवार के साथ भी एक सामंजस्यपूर्ण और प्रेमपूर्ण रिश्ता बनाने में सहायक होंगे। मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि मैं अपने पति और उनके परिवार की सभी अपेक्षाओं पर खरी उतरूं और एक आदर्श बहू और पत्नी के रूप में अपनी भूमिका को पूरी निष्ठा से निभाऊं।
यह पढ़ते ही अमित के होश ठिकाने आ गए। उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान फैल गई।
"तो यह थी बात! यह कोई नियम पुस्तिका नहीं, बल्कि मोरनी की खुद की इच्छा सूची है!" अमित मन ही मन हँसने
लगा। मोरनी ने उत्सुकता से पूछा, "तो कैसा लगा दुल्हन जी? क्या अब आपको समझ आया कि एक आदर्श पत्नी कैसे बनते हैं?"
अमित ने बड़ी ही मासूमियत से जवाब दिया, "हाँ, हाँ! अब तो मुझे सब समझ आ गया। आपने तो मेरी आँखें ही खोल दीं।"
मोरनी अमित की बात सुनकर फूली नहीं समा रही थी। उसे लगा कि आखिरकार उसने अमित को 'आदर्श पत्नी' बनने का रास्ता दिखा ही दिया।
फिर मोरनी ने अमित को चलने को कहा। जब अमित चलने लगा तो मोरनी हँसते हुए अमित को देख रही थी, जो साड़ी पहने अजीबोगरीब तरीके से चलने की कोशिश कर रहा था। उसने उसे दिखाया था कि कैसे छोटे-छोटे कदम उठाते हुए, पल्लू को एक हाथ से संभालते हुए चलना चाहिए, लेकिन अमित के लिए ये सब कुछ बिलकुल नया और अजीब था। साड़ी और गहनों का बोझ उसके लिए असहनीय हो रहा था। साड़ी का पल्लू बार-बार उसके पैरों में आ जाता, जिससे उसे ठीक से चलने में दिक्कत हो रही थी। गहनों की झनकार से उसके कान बज रहे थे, और वो अपने ही शरीर में फंसा हुआ महसूस कर रहा था। हर बार जब वो चलने की कोशिश करता, तो साड़ी का पल्लू उसके पैरों में आ जाता और उसे अपना संतुलन बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती। मोरनी ने उसे समझाया था कि साड़ी पहनकर चलने के लिए धैर्य और अभ्यास की ज़रूरत होती है, लेकिन अमित को लग रहा था कि ये उसके बस की बात नहीं है।
"अरे भाभी जी, ध्यान से!" मोरनी ने उसे टोका, "ऐसे कैसे चल रही हो? कमर सीधी रखो, और नज़रें नीचे।"
अमित ने सोचा, "काश! मैं ये सब उतार कर भाग सकता।" यह साड़ी, यह गहने, यह बनावटी चाल-ढाल, सब उसे बेचैन कर रहे थे।

आगे मोरनी ने उसे सिखाया कि कैसे घूँघट करके शर्माते हुए बात करनी है, कैसे ससुराल वालों के सामने नज़रें नीची करके बैठना है, और कैसे हाथों से काम करना है। हर बात पर मोरनी उसे टोकती रहती और अमित मन ही मन अपनी किस्मत को कोसता रहता। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसने यह नाटक करने का फैसला क्यों किया।
"भाभी जी, ज़रा मुस्कुराओ तो!" मोरनी ने कहा, "दुल्हनें हमेशा मुस्कुराती रहती हैं, चाहे उनके मन में जो भी चल रहा हो।"
अमित ने ज़ोर से अपने दांत निकाले, जो एक बनावटी मुस्कान की तरह लग रहा था। उसके चेहरे पर मुस्कान के बजाय एक अजीब सा भाव था, जो दर्शा रहा था कि वह कितना असहज महसूस कर रहा है।
"अरे वाह, मेरी भाभी जी तो कितनी प्यारी हैं!" मोरनी ने ताना मारते हुए कहा। उसे अमित की यह हालत देखकर हंसी आ रही थी, लेकिन वह खुद को रोक रही थी।
"चलो अब देखते हैं तुम कितनी अच्छी बहू बनती हो।" मोरनी ने अमित को रसोई में ले जाते हुए कहा, "आज तुम्हें सबके लिए खाना बनाना है।"
अमित ने घबराकर कहा, "लेकिन मोरनी, मुझे तो खाना बनाना बहुत कम आता तो है। " उसे तो सिर्फ़ चाय-नाश्ता बनाना आता था, वह भी कभी-कभार।
"अरे भाभी जी, घबराओ मत।" मोरनी ने कहा, "मैं हूँ ना। मैं तुम्हें सब सिखा दूंगी।"
मोरनी ने अमित को बताया कि उसे क्या-क्या बनाना है। मेन्यू था दाल, सब्जी, रोटी और चावल। अमित ने पहले कभी रसोई में हाथ तक नहीं लगाया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कहाँ से शुरुआत करे। चाकू कैसे पकड़े, आटा कैसे गूंथे, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
मोरनी ने उसे सब्जियां काटना सिखाया, दाल बनाना सिखाया, और आटा गूंधना सिखाया। अमित ने बड़ी ही मेहनत से, मोरनी के निर्देशों का पालन करते हुए, खाना बनाया। उसे हर काम को करने में बहुत समय लग रहा था, और वह बार-बार गलतियां कर रहा था।
जब खाना बन गया, तो मोरनी ने उसे परोसने को कहा। अमित ने बड़ी ही सफाई से थाली में खाना परोसा और डाइनिंग टेबल पर ले जाकर रख दिया। उसे डर था कि कहीं खाना परोसते समय उसकी साड़ी गंदी न हो जाए।
"वाह भाभी जी, आपने तो कमाल कर दिया।" मोरनी ने अमित की तारीफ करते हुए कहा, "खाना तो बहुत ही स्वादिष्ट बना है।"
अमित के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ गई। उसे अपनी मेहनत का फल मिल गया था। उसे खुशी थी कि उसने आखिरकार कुछ ऐसा कर दिखाया था, जो उसे पहले असंभव लगता था।
"लेकिन भाभी जी," मोरनी ने फिर कहा, "खाना खाने का तरीका भी तो सीखना होगा।"
मोरनी ने अमित को बताया कि एक नयी बहु को हमेशा सबसे बाद में खाना खाना चाहिए और वह भी अपने पति के खाने के बाद। उसे यह भी बताया गया कि खाना खाते समय उसे अपना चेहरा घूँघट से ढके रखना है।
"लेकिन यहाँ तो कोई पति है ही नहीं।" अमित ने कहा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि इन सब बातों का क्या मतलब है जब यहाँ कोई ससुराल वाले ही नहीं हैं।
"अरे भाभी जी, ये तो मैं आपको बस समझा रही हूँ," मोरनी ने हँसते हुए कहा, "जब आपकी असली में शादी होगी, तब तो आपके पति आपके साथ ही बैठकर खाना खायेंगे।" अमित थोड़ा शरमा गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी अचानक ऐसा क्यों कह रही है। "और हाँ," मोरनी ने आगे कहा, "खाना खाते समय आपको अपना घूँघट अपनी नाक तक रखना होगा और अपनी आँखें हमेशा नीचे रखनी होंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले के समय में बहुओं को अपने ससुराल में किसी से आँख नहीं मिलाने देते थे, खासकर पुरुषों से।"
अमित को ये सब बहुत अजीब लग रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आज के ज़माने में भी ये सब करना ज़रूरी क्यों है। लेकिन फिर भी, उसने मोरनी की बात मान ली। उसने घूँघट अपनी नाक तक किया और अपनी
आँखें नीचे करके खाना खाने लगी।
"शाबाश भाभी जी," मोरनी ने कहा, "आप बहुत जल्दी सीख रही हैं। आप कितनी जल्दी सब कुछ समझ जाती हैं!"
खाना खाने के बाद, मोरनी ने अमित को बर्तन धोने को कहा। अमित ने पहले कभी बर्तन नहीं धोए थे, लेकिन उसने मोरनी की बात मान ली और बर्तन धोने लगी।
"भाभी जी, बर्तन ऐसे नहीं धोते।" मोरनी ने उसे टोका, "देखो, ऐसे।" मोरनी ने अमित को बर्तन धोना सिखाया। अमित ने बड़ी ही मेहनत से सारे बर्तन धो डाले।
"वाह भाभी जी, आप तो बहुत ही अच्छी स्टूडेंट हैं।" मोरनी ने अमित की तारीफ करते हुए कहा, "आपने तो सारे काम बड़ी ही आसानी से सीख लिए।"
अमित के चेहरे पर थकान साफ झलक रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर संतोष भी था। उसने आज बहुत कुछ नया सीखा था।
"अब बस एक आखिरी काम बाकी है भाभी जी।" मोरनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, "अब आपको अपने पति के पैर दबाने हैं, ताकि आपके सारे थकान दूर हो जाएं और आप तरोताज़ा महसूस करें।"
अमित ने मोरनी की बात सुनकर एक नज़र कमरे में घुमाई और व्यंग्य से कहा, "लेकिन यहाँ तो कोई पति है ही नहीं,
जिसे यह आराम मिल सके।"
मोरनी ठहाका लगाते हुए बोली, "अरे भाभी जी, आप भी न! इतनी सी बात के लिए परेशान हो रही हैं। आज के लिए मैं आपकी पति बन जाती हूँ और आप मेरे पैर दबाकर मेरी थकान उतार सकती हैं।"
अमित मन ही मन झुंझलाया, पर उसने अपने चेहरे पर जरा भी भाव नहीं आने दिया। मोरनी की यह हरकत उसे बिलकुल पसंद नहीं आई, पर वह मजबूर थी। मोरनी सोफे पर आराम से पैर फैलाकर बैठ गयी और अपने फ़ोन में व्यस्त हो गयी। अमित झुंझलाहट भरी नजरों से मोरनी को देखता हुआ उसके पैरों के पास बैठ गया। उसने धीरे-धीरे उसके पैरों को अपने हाथों में लिया और दबाने लगा।
"और ज़ोर से दबाओ भाभी जी," मोरनी ने आँखें बंद करके हुक्म दिया, "ऐसे क्या किसी मरी हुई चींटी को सहला रहे हो। ज़रा जोर लगाओ, ताकि आराम मिले।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "काश! मैं सचमुच चींटी होती, कम से कम इस मुसीबत से तो बच जाती और मुझे यह सब न करना पड़ता।"
इसके बाद पैर दबवाते हुए मोरनी को एक और विचार आया और उसने अमित को देखकर एक शरारती मुस्कान दी। अमित समझ गया कि कुछ टेढ़ा मेढ़ा होने वाला है। मोरनी अक्सर शरारतें करती रहती थी और अमित को उसका यह अंदाज़ बहुत पसंद था। उसने सोचा कि पता नहीं इस बार यह क्या नया करने वाली है। मोरनी ने अमित को कल का काम समझाया कि तीन दिन पूरे हो गए तो चौथे यानी कल का पूरा दिन उसे एक बार फिर आदर्श बहू बनना है। अमित को यह सुनकर थोड़ा अजीब ज़रूर लगा पर मोरनी ने कहा कि उसका प्लान कल के लिए कुछ और था पर उसे भी नहीं पता था कि नयी भाभी जी का अमित का ये अवतार उसे इतना पसंद आएगा।
मोरनी ने आगे बताया, "तो कल भी सुबह से घर के सारे काम करने हैं, वो भी पूरे तौर तरीके के साथ, आदर्श पत्नी की तरह।" अमित मन ही मन घबराया । उसे समझ आ गया था कि मोरनी उसे फिर से इसी रूप मे और परेशान करना चाहती है, लेकिन इस बार एक अलग अंदाज़ में। फिर मोरनी ने बताया कि असली ट्विस्ट तो यह है कि कल के लिए मोरनी उसके पति का रोल अदा करेगी और उसे गाइड भी करेगी । यह सुनकर अमित की आँखें खुली की खुली रह गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मोरनी के दिमाग में चल क्या रहा है।
फिर मोरनी ने हँसते हुए कहा, "तो अब आज की भाभी जी कल उसकी बीबी जी बन जाएंगी, इसलिए कल सुबह का अलार्म लगा लो और घर की साफ़ सफाई मतलब झाड़ू पोछा करके चाय बनाकर मुझे एक बीबी की तरह प्यार से जगाना।" मोरनी ने आगे कहा, "और हाँ,कल सुबह चाय पीने के बाद मैं ये ज़रूर चेक करूंगी कि तुमने कैसी सफाई की है और अगर कल काम बढ़िया ना हुआ तो सज़ा भी मिलेगी और बाकी चीजें कल बता दी जाएंगी।" इतना कहकर मोरनी सोने चली गई। अमित समझ तो गया था कि कुछ टेढ़ा मेढ़ा होने वाला है पर उसने इतना नहीं सोचा था कि मोरनी इतनी दूर तक जाएगी। अमित थोड़ा परेशान होकर सोचने लगा कि आखिर मोरनी ये सब क्यों कर रही है, उसे क्या चाहिए? खैर, कल क्या होगा ये तो कल ही पता चलेगा। इतना सोचकर वो भी सोने के लिए चला गया। मोरनी ने उसकी साड़ी तो उतारी ही नहीं थी और अमित इतना थक चुका था कि उसने बिना कपड़े बदले, ऐसे ही अलार्म लगा कर सोने चला गया।
सोते समय उसके मन में कल के लिए अजीब सी घबराहट और उत्तेजना दोनों थी। एक तरफ उसे मोरनी के साथ ये नाटक करने मे सजा लग रही थी तो दूसरी तरफ ये सब उसे बहुत अजीब भी लग रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या सोचे, क्या करे।
लेकिन उसे ये सब करना तो पड़ेगा ही क्योंकि मोरनी के पास पहले तो केवल उसकी लहंगे में ही फोटो थी, लेकिन अब सलवार कमीज़ और लाल साड़ी में ये नयी बहू वाली फोटो थी और इन तस्वीरों को देखकर वह बेचैन हो उठता था। मोरनी जानती थी कि उसकी ये तस्वीरें ही उसका सबसे बड़ा हथियार थीं जिससे वो उसे अपने वश में कर सकती हैं। और हुआ भी यही, वो वाकई में मोरनी का गुलाम बन गया था।
एक दिन की आदर्श पत्नी - मोरनी के नए खेल..
सुबह अलार्म की आवाज़ से अमित की आँख खुली। उसने झट से उठकर अलार्म बंद किया और जब उसने अपने आप को साड़ी मे देखा तो फिर से एक बार खुद को याद दिलाया कि आज उसे एक आदर्श पत्नी बनना है, वो भी मोरनी के लिए!
उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये अजीब सी घबराहट उसे हो क्यों रही है। उसने सोचा कि आज उसे मोरनी के लिए एक अलग ही रोल निभाना था। उसने उठकर सबसे पहले अपनी साड़ी ठीक की जो रात को थकान की वजह से वैसे ही पहने सो गया था। अब बारी थी घर की साफ़ सफाई की क्योंकि मोरनी इसको चेक करने वाली थी और गंदगी मिलने पर सजा भी मिल सकती है तो फिर वो उठा और उसने सोचा कि पहले बाथरूम चला जाए और नित्यकर्म से निवृत होकर फिर घर की सफाई शुरू की जाए। बाथरूम जाने के लिए उसने धीरे से अपनी साड़ी उठाई और जैसे ही वो पहला कदम बढ़ाने ही वाला था कि अचानक उसका ध्यान अपने पैरों पर गया जो साड़ी में उलझ गए थे और अगले ही पल वो ज़ोर से धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा।
गिरते समय उसके मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गयी। उसे लगा जैसे उसके शरीर में सब हड्डियाँ टूट गयी हैं पर ज़्यादा कुछ नहीं हुआ था वो बच गया जैसे तैसे।
"ये क्या हुआ?" उसने खुद से कहा, "अब मोरनी को कैसे जगाऊँगा?"
उसने उठने की कोशिश की, लेकिन उसके शरीर में इतनी ताकत नहीं थी। उसने फिर से कोशिश की, और इस बार धीरे-धीरे उठने में कामयाब हो गया।
"काश! ये सब एक बुरे सपने से ज्यादा कुछ न होता," उसने मन ही मन सोचा।
फिर उसे मोरनी की बात याद आई कि अगर काम समय पर नहीं हुआ तो सजा मिलेगी। उसने हिम्मत करके एक बार फिर से उठने की कोशिश की और इस बार वो किसी तरह खड़ा होने में कामयाब हो गया।"अब तो मुझे जल्दी से काम निपटाना होगा," उसने सोचा। अमित लड़खड़ाते कदमों से बाथरूम का रास्ता तय किया और नित्यकर्म से निवृत हुआ।
अमित ने हिम्मत जुटाकर झाड़ू उठाई और सफाई शुरू कर दी। साड़ी पहने होने की वजह से उसे झुकने और उठने में थोड़ी परेशानी हो रही थी। साड़ी का पल्लू बार-बार उसकी कमर से खिसक रहा था, जिससे उसे बार-बार उसे ठीक करना पड़ रहा था। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो कोई अनजान सी चीज पहनकर कोई अनजान सा काम कर रहा हो। झाड़ू चलाने में भी उसे थोड़ी अटपटा लग रहा था। उसके हाथों को समझ नहीं आ रहा था कि झाड़ू को कैसे पकड़ा जाए और कैसे चलाया जाए।
लेकिन अमित ने हार नहीं मानी। उसने मन ही मन सोचा, "अगर मैं मोरनी के सामने ये छोटा सा काम भी ठीक से नहीं कर पाया, तो वो क्या सोचेगी? वो सोचेगी कि मैं कोई काम ढंग से नहीं कर सकता और शायद मुझ पर हँसेंगी भी और सजा तो देगी ही ।" इसी सोच के साथ अमित ने साड़ी को अपने एक हाथ से संभालते हुए, थोड़ी बहुत अटपटी चाल और झिझक के साथ किसी तरह झाड़ू-पोछा लगाया।
उसके बदन में दर्द हो रहा था क्योंकि वो इतनी देर तक एक ही अवस्था में झुककर काम नहीं करता था, लेकिन मोरनी के सामने अच्छा बनने के लिए और उसकी नज़रों में अपनी इमेज अच्छी बनाने के लिए, उसने हिम्मत नहीं हारी और सफाई करता रहा।
झाड़ू-पोछा करने के बाद उसने रसोई का रुख़ किया। रसोई में आते ही उसे कल रात की सारी घटनाएँ याद आ गईं। उसे याद आया कि कैसे उसने मोरनी की मदद से खाना बनाया था और कैसे मोरनी ने उसे एक आदर्श पत्नी बनने के गुण सिखाए थे।
उसने चाय बनाने की तैयारी शुरू कर दी। चाय बनाते समय उसने ध्यान रखा कि चाय बिल्कुल वैसी ही बने जैसी मोरनी को पसंद है। चाय और नाश्ता तैयार करके उसने एक ट्रे में सजाया और मोरनी के कमरे में ले गया।
"मोरनी, उठ जाओ।" उसने धीरे से आवाज़ दी, "चाय का समय हो गया है।"
मोरनी की आँखें धीरे-धीरे खुलीं। उसने अमित को देखा जो उसके लिए चाय और नाश्ता लेकर खड़ा था।
"वाह बीबी जी, आप तो सचमुच में एक आदर्श पत्नी बनने की राह पर हैं।" मोरनी ने मुस्कुराते हुए कहा, "आपने तो सुबह-सुबह मेरा सारा काम कर दिया।"
"ये तो मेरा फ़र्ज़ था। " अमित ने कहा।
"अच्छा ठीक है, अब आप ट्रे टेबल पर रख दो।
अमित ने चाय और नाश्ता टेबल पर रखा।
"अच्छा, अब नाश्ता करते हैं।" मोरनी ने कहा।
दोनों ने साथ में नाश्ता किया।
नाश्ता करते समय मोरनी ने अमित से कहा, "और हाँ, एक बात और।" उसकी आवाज़ में एक अलग ही तरह की शरारत थी, मानो कोई नया खेल शुरू करने वाली हो।
"क्या?" अमित ने उत्सुकता से पूछा, मोरनी की बातों से थोड़ा असमंजस में पड़ गया। मोरनी के इस तरह अचानक से कुछ भी कह देने की आदत तो उसे थी, पर आज क्या नया करने वाली है, ये सोचकर वो थोड़ा घबराया हुआ भी था।
"आज आपको मुझे पतिदेव, बाबू सोना, मेरे प्राणनाथ कहकर बुलाना है। हाँ, बस ऐसे ही प्यार से भरे हुए शब्द, जो आपके दिल से निकलते हों। और मैं भी आपको बीबी जी कहकर बुलाऊँगी।" मोरनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, उसकी आँखों में एक चमक थी, मानो हज़ारों सितारे एक साथ जगमगा उठे हों। वो जानती थी कि अमित को ये सब थोड़ा अजीब लगेगा, क्योंकि वो थोड़ा शर्मीला किस्म का इंसान था, पर मोरनी आज उसे अपने इस प्यार भरे खेल में पूरी तरह से शामिल करना चाहती थी।
अमित एक बार फिर से हैरान रह गया। मोरनी की बातें सुनकर, उसके चेहरे पर एक अजीब सा भाव उभर आया। "ये क्या मजाक है मोरनी?" अमित ने पूछा, उसकी आवाज में घबराहट साफ़ झलक रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी अचानक ऐसा क्यों कह रही है।
"अरे बीबी जी, मजाक वाली क्या बात है?" मोरनी ने आँखें मटकाते हुए कहा, "आज आप मेरी बीबी हैं और मैं आपका पतिदेव।" उसकी आवाज़ में एक अलग ही तरह का आत्मविश्वास था, जो अमित को और भी उलझा रहा था। अमित समझ नहीं पा रहा था कि मोरनी के इस अजीब खेल का क्या मतलब है। क्या वो सच में उसे अपनी बीबी मान रही है या ये सब बस एक मजाक है? उसकी आँखों में एक शरारत थी, जो अमित को और भी उलझा रही थी।
अमित समझ गया कि मोरनी पूरी तरह से इस खेल में डूब चुकी है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। एक तरफ तो उसे ये सब बहुत अजीब लग रहा था, उसे ये बचकाना हरकतें बिलकुल पसंद नहीं आ रही थीं।
"अरे, तुम भी ना!" अमित ने हँसते हुए कहा, मोरनी की शरारत भरी नज़रों से नज़रे चुराते हुए। "ऐसे नाम तोह फिल्मों में अच्छे लगते हैं, असल ज़िन्दगी में थोड़ा अजीब लगता है ना?", अमित ने कहा।
मोरनी ने अपनी ठोड़ी पर उंगली रखकर सोचने का नाटक किया। "हम्म, मानती हूँ। लेकिन सोचो ना, अगर प्यार से बुलाना ही है तो कुछ तो अलग होना चाहिए, ना कि 'सुनो जी ' या 'ए जी '।" उसकी आँखों में अब भी शरारत तैर रही थी, लेकिन साथ ही एक अलग ही तरह की चमक थी, जो अमित के दिल की धड़कनें बढ़ा रही थी।
मोरनी की नज़रें एक बार फिर उसकी आँखों से जा टकराई और एक शरारती मुस्कान उसके लबों पर फैल गयी।
"अच्छा ठीक है," अमित ने हार मानते हुए कहा, "जैसी आपकी मर्ज़ी।" वो जानता था कि मोरनी को मनाना मुश्किल है, और वो इस वक़्त बहस नहीं करना चाहता था।
"वैसे आपको कौन सा प्यार का नाम पसंद है?" मोरनी ने पूछा, उसकी आँखें शरारत से चमक रही थीं। "राजा,जानू,बेबी,बाबु,शोना?" उसने एक-एक करके नाम गिनाए, जैसे किसी मेनू से चुनने का मौका दे रही हो। हर नाम के साथ उसकी आवाज़ में एक अलग ही तरह का मिठास था, जो अमित को और भी परेशान रहा था।
अमित ने झेंपते हुए जवाब दिया, "अरे यार, ये सब क्या बचकाना हरकतें हैं?" उसे ये सब नाम थोड़े अटपटे लग रहे थे, पर मोरनी के सामने ये कहने की हिम्मत नहीं थी।
मोरनी ने नकली गुस्से से कहा, "बचकाना? आपको अपने पति को प्यार से बुलाना भी बचकाना लगता है? क्या आप मुझसे प्यार नहीं करते?" उसकी आवाज़ में एक नाटकीय रुआंसी आ गयी थी,और उसकी आँखों में नकली आंसू आ गए थे।
अमित समझ गया कि अगर उसने अभी कुछ नहीं कहा तो मामला बिगड़ जाएगा। मोरनी के तेवरों को भांपते हुए, उसने घबराकर कहा, "अरे नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है। बस थोड़ा अजीब लग रहा है।" वो नहीं चाहता था कि मोरनी उससे नाराज हो, इसलिए उसने जल्दी से अपनी बात संभालने की कोशिश की।
मोरनी की हंसी कमरे में गूंज उठी, उसकी आँखों में शरारत और होंठों पर एक शरारती मुस्कान फैली हुई थी। "तो फिर बताइए ना," उसने जिद की, उसकी आवाज़ में एक मीठी तल्खी थी, एक चंचल चुनौती जो हवा में लटकी हुई थी। "मुझे क्या बुलाएँगे?" उसने फिर पूछा, उसकी आँखें अमित की निगाहों से टकरा गईं, उनके बीच एक मूक बातचीत चल रही थी।
अमित कुछ देर के लिए चुप हो गया, उसके माथे पर हल्की सी सिकन थी, मानो वह किसी जटिल गणितीय समीकरण को सुलझाने की कोशिश कर रहा हो। उसकी निगाहें कमरे में इधर-उधर भटक रही थीं, जैसे किसी उत्तर की तलाश में हों। अंततः, उसने हार मानते हुए कहा, "तुम्हें जो पसंद हो।" उसके शब्द धीमे और अनिश्चित थे, मानो वह इस बात को लेकर अनिश्चित था कि क्या कहना सही होगा।
मोरनी की आँखों में शरारत और गहरा गई,और उसने शरारती अंदाज में जानबूझकर कहा, "तो चलिए, मुझे "जानू" बुला कर देखिये।"
अमित का चेहरा लाल हो गया, और उसने शरमाते हुए, धीमी आवाज़ में कहा, "जानू।" शब्द उसके होंठों से फिसल गए, मानो अपनी मर्ज़ी से बोल रहे हों।
"और ज़ोर से!" मोरनी ने हँसते हुए कहा, अमित की बेचारगी पर उसे मज़ा आ रहा था। उसे उसे इस तरह शरमाते हुए देखना पसंद था।
"जानू!" अमित ने थोड़ा ज़ोर से कहा, उसकी आवाज़ में झिझक साफ़ झलक रही थी। यह उसके लिए नया और असहज था, लेकिन कहीं न कहीं, उसे यह पसंद भी आ रहा था।
"और प्यार से!" मोरनी ने उसे और तंग करते हुए कहा, उसकी हंसी अब छिपी नहीं थी।
अमित ने गहरी साँस ली, अपनी सारी हिम्मत जुटाते हुए, और फिर से कहा, "जानू!" इस बार उसकी आवाज़ में प्यार और लाचारी का अजीब सा मिश्रण था, एक ऐसी भावना जो सिर्फ़ मोरनी ही उसमें जगा सकती थी।
नाश्ता खत्म करते ही मोरनी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, "चलो बीबी जी, अब मुझे घर दिखाओ। मुझे देखना है कि मेरी प्यारी बीबी ने कितना बढ़िया झाड़ू-पोछा किया है।"
अमित ने अपनी पत्नी की बात सुनकर हैरानी से भरी नज़रों से उसकी तरफ देखा और पूछा, "घर दिखाऊँ? लेकिन अचानक से?"
ऐसा ने अमित की बात काटते हुए कहा, "लगता है बीबी जी,आप भूल गईं कि अगर घर साफ़ नहीं मिला तो सज़ा मिलेगी।"
अमित ने घबराहट भरे लहज़े में कहा और फिर मोरनी को घर के अलग-अलग हिस्सों में ले गया। मोरनी हर जगह बड़े ध्यान से देख रही थी, जैसे कोई सख्त टीचर अपने स्टूडेंट के काम की बारीकी से जाँच कर रहा हो।अचानक मोरनी की नज़र अलमारी के ऊपर पड़ी। उसने अपनी उंगली उठाते हुए कहा, "बीबी जी, यहाँ तो जाले लगे हैं! आपने सफाई करते हुए इन्हें देखा तक नहीं?"
अमित ने मोरनी की उंगली की दिशा में देखा। सचमुच, वहाँ कुछ जाले थे जिन्हें वो सफाई करते हुए भूल गया था। उसे अपनी इस छोटी सी गलती पर थोड़ी शर्मिंदगी भी हुई और साथ ही थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था कि वो मोरनी के बनाए इस खेल में खुद को इतना ढाल क्यों रहा है।
फिर भी, उसने नर्म आवाज़ में कहा, "माफ़ करना मोरनी , वो मैं देख नहीं पाई।"
मोरनी ने अमित को घूरते हुए कहा, "मोरनी नहीं जानू बोलो समझे।" उसकी आवाज़ में एक प्यारा सा गुस्सा था, जो अमित के दिल की धड़कन बढ़ा रहा था। "माफ़ करना जानू, वो मैं देख नहीं पाई।" अमित ने शरमाते हुए कहा। उसे अपनी इस गलती पर सज़ा तो मिलनी ही थी, वो भी मोरनी के हाथों। यह बात वो अच्छी तरह जानता था कि मोरनी को 'जानू' कहना भूल जाने का भी खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।
"अच्छा तो सज़ा से बचना है?" मोरनी ने आँखें तरेरते हुए कहा।। उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी जो अमित
को और बेचैन कर रही थी। "पर माफ़ी नहीं, सज़ा मिलेगी।" मोरनी ने आँख मारते हुए कहा। उसकी आवाज़ में एक मस्ती थी जो अमित के दिल को और धड़का रही थी।
"पर मैं क्या सज़ा दूँ आपको? सोच रही हूँ।" मोरनी नाटक करते हुए बोली। उसके चेहरे के हाव-भाव देखकर अमित समझ नहीं पा रहा था कि मोरनी सचमुच गुस्सा है या फिर मज़ाक कर रही है। अमित चुपचाप खड़ा उसकी बातें सुन रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मोरनी का इरादा क्या है। मोरनी की हर अदा, हर बात उसके दिल की धड़कन को बढ़ा रही थी, और वो बस यही सोच रहा था कि आखिर उसकी सज़ा क्या होगी।
"चलिए मेरे कमरे में बीबी जी।", मोरनी ने उँगली दिखाते हुए कहा।
अमित मन ही मन घबरा गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी अब क्या करने वाली है। उसके दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं, और माथे पर हल्का सा पसीना भी आ गया था।
"अरे बीबी जी, डरो मत।" मोरनी हँसते हुए बोली, जैसे अमित के मन की बात जान गई हो। उसकी आवाज़ में एक अजीब सा सुकून था, लेकिन अमित को ये सुकून किसी तूफ़ान से पहले की शांति की तरह लग रहा था। "सज़ा भी ऐसी होगी कि मज़ा आ जाएगा।" मोरनी ने अपनी बात खत्म करते हुए एक शरारती मुस्कान अमित पर फेंकी, और अपने कमरे में चली गई।
अमित उसके पीछे-पीछे चलता गया, उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी के दिमाग में क्या चल रहा है। क्या वो सचमुच उसे सज़ा देने वाली है? अगर हाँ, तो किस बात की सज़ा? और कैसी सज़ा? ये सब सवाल अमित के दिमाग में घूम रहे थे।
मोरनी ने अपने कमरे में जाते ही अमित को कुर्सी पर बैठा दिया। अमित थोड़ा हैरान तो हुआ लेकिन मोरनी के तेवर देखकर चुपचाप बैठ गया। फिर मोरनी ने अपनी चुन्नी निकाली और धीरे-धीरे, एक शिकारी की तरह अमित के हाथों को कुर्सी से बाँध दिया। अमित ये सब चुपचाप देखता रहा। उसके मन में अजीब सी घबराहट हो रही थी, पर मोरनी के हाव-भाव देखकर वो कुछ बोल नहीं पा रहा था। मोरनी की आँखों में एक अलग ही चमक थी, एक अलग ही जोश था जो अमित को डरा रहा था।
"जानू, ये आप क्या कर रही हैं?" आखिरकार अमित ने हिम्मत करके पूछ ही लिया। उसकी आवाज़ में डर साफ़ झलक रहा था। वो समझ नहीं पा रहा था कि मोरनी अचानक ऐसा क्यों कर रही है।
"बस बीबी जी, थोड़ा सा खेल रहे हैं।" मोरनी ने शरारती अंदाज में जवाब दिया। उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान तैर गई थी। उसने अमित के गालों को सहलाते हुए कहा, "आप तो बहुत प्यारी हो बीबी जी!" अमित अब
और भी घबरा गया। मोरनी की हरकतें उसे समझ नहीं आ रही थीं।
अमित समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है। एक अजीब सी घबराहट और बेचैनी उसके अंदर घर कर रही थी।
मोरनी ने एक छोटी सी लकड़ी की छड़ी उठाई और अमित के पैरों के तलवों पर धीरे-धीरे फेरने लगी। अमित के शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई।
"ये सजा है आपकी लापरवाही की।" मोरनी ने धीरे से कहा, उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान खेल रही थी। "अगली बार से घर की सफाई अच्छे से करना, समझी मेरी प्यारी बीबी जी?"
अमित के पैरों में गुदगुदी हो रही थी, उसके शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई थी। उसने हिम्मत करके खुद को रोके रखा, लेकिन उसके होंठो पर एक छोटी सी मुस्कान फैल गई।
"जानू, बस करो ना।" अमित ने कहा, उसकी आवाज में गुदगुदी और घबराहट साफ़ झलक रही थी।
"अभी तो बस शुरुआत है बीबी जी।" मोरनी ने शरारती अंदाज में कहा, उसकी आँखों में एक चमक थी। "अभी तो पूरा दिन पड़ा है। आज मैं आपको सिखाऊंगी कि एक आदर्श पत्नी कैसे बनते हैं।"
मोरनी की आवाज़ में अजीब सी शरारत थी जो अमित को और भी बेचैन कर रही थी। वह जानता था कि मोरनी मजाक कर रही है, लेकिन फिर भी उसे एक अजीब सा डर लग रहा था।
"लेकिन जानू, ये तो सजा नहीं मज़ा है," अमित ने अपनी आवाज़ में गुदगुदी छुपाते हुए कहा।
"अच्छा, मज़ा है?" मोरनी ने आँखें तरेरते हुए कहा, उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान फैल गई। "तो फिर तो सजा और भी भयानक होनी चाहिए!"
"इतना कहकर मोरनी ने छड़ी को और तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया। छड़ी के स्पर्श से अमित के शरीर में एक अजीब सी सनसनी फैल गई। वह अब खुद को रोक नहीं पाया और ज़ोर से हंसने लगा।
"हा...हा...हा...जानू...बस करो...हा...हा..."
अमित हँसी से लोटपोट हो रहा था। उसकी आँखों से आंसू बहने लगे थे। मोरनी उसे देखकर खुद भी मुस्कुरा रही थी। उसे अमित को परेशान करना अच्छा लग रहा था, लेकिन साथ ही उसे उस पर थोड़ा सा तरस भी आ रहा था।
मोरनी ने कुछ देर और अमित को गुदगुदी की और फिर छड़ी एक तरफ रख दी। अमित अब तक हांफ रहा था, उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। गुदगुदी की वजह से उसकी साँसे तेज चल रही थी और उसका चेहरा लाल हो गया था।
"तो बीबी जी, कैसी लगी सजा?" मोरनी ने पूछा, उसकी आँखों में शरारत साफ झलक रही थी।
"बहुत ही... बुरी... जानू," अमित ने हांफते हुए कहा, "अब तो माफ़ कर दो।"
"अच्छा ठीक है," मोरनी ने हँसते हुए कहा। उसे अमित पर थोड़ा सा तरस आ गया था। "इस बार माफ़ किया। लेकिन अगली बार से घर की सफाई अच्छे से करना, समझी मेरी प्यारी बीबी जी?" मोरनी ने अमित को प्यार से डांटते हुए कहा। अमित ने सिर हिलाकर हामी भरी। उसे समझ आ गया था कि मोरनी के साथ शरारत करना उसे भारी पड़ सकता है।
अमित ने सिर हिलाते हुए हाँ में जवाब दिया। उसे समझ आ गया था कि मोरनी के साथ ये खेल खेलना आसान नहीं होने वाला था।
"चलो अब," मोरनी ने अमित को कुर्सी से खोलते हुए कहा, "आज तो अभी बहुत काम बाकी है।"
अमित मन ही मन सोचने लगा कि आखिर उसने आज क्या क्या होगा।
"जैसे आपकी मर्ज़ी जानू।" अमित ने थके हुए स्वर में कहा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मोरनी की इस नई अदा से कैसे निपटे।
"बहुत अच्छे मेरी प्यारी बीबी जी।" मोरनी ने अमित की ठोड़ी पकड़ते हुए कहा और फिर बोली, "चलिए अब मैं आपको बताती हूँ कि आज आपको क्या-क्या काम करने हैं।"
मोरनी ने अमित को दिन भर के काम बताए, जिसमें खाना बनाना, कपड़े धोना, घर की सफाई करना जैसे ढेर सारे काम शामिल थे। अमित यह सब सुनकर हैरान था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मोरनी ये सब क्यों कर रही है। क्या वो वाकई में उसे अपनी गुलाम बनाना चाहती है या फिर ये सब सिर्फ एक खेल है?
मोरनी ने अमित को बाथरूम दिखाते हुए कहा, "जल्दी से नहा धोकर तैयार हो जाओ, पतिदेव इंतज़ार कर रहे हैं तुम्हें अपने हाथों से तैयार करने को।" अमित ने नहाने के लिए हाँ में हाँ मिलाई लेकिन मोरनी की बात सुनकर वो चौंक गया। मोरनी ने आगे कहा, "और एक बात आज बाथरूम से केवल तौलिया लपेट कर आना बाहर, ल़डकियों की तरह ब्रेस्ट से नीचे तक।" अमित ने शरमाते हुए मोरनी की तरफ देखा, उसके मन में तरह-तरह के ख्याल आने लगे।
अमित के तो जैसे पैरों तले जमीन खिसक गई। क्या वो सचमुच ये सब करने वाला था? क्या वो सचमुच मोरनी के सामने तौलिया लपेट कर जाएगा? उसे बहुत अजीब लग रहा था, शर्म भी आ रही थी। पर उसे ये भी पता था कि अगर उसने मोरनी की बात नहीं मानी तो वो फिर से कोई न कोई शरारत करेगी।
"जल्दी करो बीबी जी, मुझे देर हो रही है।" मोरनी ने आवाज दी, उसकी आवाज में हँसी साफ झलक रही थी।
अमित ने हिम्मत करके बाथरूम में कदम रखा। नहाते समय वो बार-बार सोच रहा था कि आखिर वो खुद को इस स्थिति में कैसे फँसने दिया।
नहा धोकर अमित ने एक तौलिया अपनी चौड़ी छाती पर लपेटा और झिझकते हुए बाथरूम से बाहर आया। उसकी नजरें जमीन पर गड़ी हुई थीं, दिल तेज़ी से धड़क रहा था। मोरनी बेड पर बैठी हुई थी, एक नज़र उस पर पड़ी तो उसकी आँखों में शरारती चमक आ गई। उसके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान खेल रही थी।
"वाह मेरी प्यारी बीबी जी, आप तो बहुत खूबसूरत लग रही हो।" मोरनी ने कहा, उसकी आवाज में एक अजीब सा मजाक और छेड़छाड़ का भाव था जो अमित को और भी शर्मिंदा कर रहा था।
अमित शर्म से पानी पानी हो रहा था। खुद को आईने में देखने की हिम्मत नहीं हो रही थी, उसे अपनी ही हालत पर हंसी आ रही थी मगर साथ ही एक अजीब सी घबराहट भी हो रही थी। वो खुद को बहुत ही अजीब स्थिति में महसूस कर रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, क्या बोले।
"चलिए अब," मोरनी ने उठते हुए कहा, उसकी आवाज में अब एक अलग ही दृढ़ता थी, "आपको तैयार होना है ।" फिर उसने अलमारी मे से एक हल्के नीले रंग की भारी ब्राइडल साड़ी निकाली जिसमें हेवी वर्क किया हुआ था और इसके ब्लाउज मे भी पीछे केवल स्ट्रिंग ही थी ताकि वो टाइट रहे। साड़ी चमकदार और खूबसूरत थी और उस पर जटिल कढ़ाई की गयी थी। मोरनी ने कहा कि आज बीबी जी को ये वाली साड़ी पहननी है। फिर उसने मैचिंग कलर की लेस वाली ब्रा और पैन्टी दी पहनने को। अमित मन ही मन झिझक रहा था लेकिन मोरनी के सामने कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था तो उसने वो पहन ली।
"जानू, ये साड़ी भी बहुत भारी है।" अमित ने साड़ी हाथ में लेकर कहा, उसके चेहरे पर हल्की सी झुंझलाहट और घबराहट साफ़ झलक रही थी। "क्या मैं कोई हल्की सी साड़ी नहीं पहन सकता? मुझे डर लग रहा है कि कहीं मैं इसे संभाल न पाऊं और कहीं गिर न जाऊं।"
मोरनी ने प्यार से मुस्कुराते हुए अमित का हाथ थामा और कहा, "अरे बीबी जी, शादी के बाद पत्नी हमेशा भारी साड़ी ही पहनती है।" अमित का चेहरा देखकर मोरनी समझ गई कि उसे थोड़ी और तसल्ली देने की ज़रूरत है।
"और वैसे भी," मोरनी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "कल तुम इतनी भारी साड़ी पहन चुके हो तो तुम्हें डरना नहीं चाहिए। कल तो तुमने घंटों उस साड़ी को संभाला था, और इतनी खूबसूरती से। मुझे यकीन है कि आज भी तुम इसे बखूबी से संभाल लोगे।"
मोरनी ने धीरे से अमित के हाथों को ऊपर उठाया और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान बिखेरते हुए कहा, "पहले ब्लाउज पहनो, फिर पेटीकोट।" उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मिठास थी जो अमित के दिल को छू गई। अमित ने आज्ञाकारी भाव से मोरनी के कहे अनुसार पहले ब्लाउज पहना। मैचिंग रंग का ब्लाउज उसके गेहुँए रंग पर कल से भी ज्यादा खिल रहा था। मोरनी ने ब्लाउज को पीछे से पकड़ा और धीरे-धीरे उसके हुक बंद किए। उसके स्पर्श मात्र से अमित के रोम-रोम में एक सिहरन दौड़ गई। हुक बंद करने के बाद मोरनी ने ब्लाउज की बैक स्ट्रिंग को कसकर बाँधा ताकि ब्लाउज अमित के शरीर पर अच्छी तरह से फिट रहे और हिलते-डुलते ढीला न हो। वह चाहती थी कि अमित हर रूप में परफेक्ट लगे।
इसके बाद मोरनी ने पेटीकोट निकाला और अमित को पकड़ाते हुए कहा, "ये लो, इसे पहनो।" अमित ने शरमाते हुए पेटीकोट लिया और उसे पहनने लगा। पेटीकोट उसके पतले कमर पर बहुत सुंदर लग रही थी। अमित ने पेटीकोट पहना तो मोरनी ने पेटीकोट के नारे को कसकर बाँधा और एक बार उसे ऊपर से नीचे तक घुमा कर देखा कि कहीं कुछ ढीला तो नहीं है। उसकी नजरें बड़े ही गौर से अमित के बदन पर टिकी थीं।
अब बारी थी अमित को खूबसूरत साड़ी पहनाने की ।
फिर मोरनी ने साड़ी का पल्लू पकड़ा और धीरे से उसे उठाते हुए अमित की ओर बढ़ी। अमित शरमा रहा था लेकिन मोरनी की आँखों में शरारत भरी मुस्कान देखकर उसका भी चेहरा खिल उठा। मोरनी ने साड़ी को अमित की कमर पर लपेटा और प्लेट्स बनाते हुए उसे पिन से टक करने लगी। हर एक प्लेट को बड़ी ही सावधानी से सेट करते हुए मोरनी ने एक-एक करके बहुत सारी पिनों का इस्तेमाल किया ताकि साड़ी खुल न सके और अमित को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। पिन लगाते हुए मोरनी ने अमित की आँखों में देखते हुए कहा, "देखना,आज यह साड़ी तुम पर कल से भी ज्यादा खिलेगी। मैंने सारी प्लेट्स को अच्छे से सेट कर दिया है, अब ये हिलेंगी भी नहीं।" उसकी आवाज़ में प्यार और शरारत का अजीब सा मिश्रण था जो अमित के दिल को छू गया।
साड़ी पहनने के बाद अब मेकअप का समय आ गया था। मोरनी ने सबसे पहले अमित के चेहरे पर फाउंडेशन लगाया, उसके रंग को निखारने और त्वचा को एक समान बनाने के लिए। फिर उसने कॉम्पैक्ट पाउडर का इस्तेमाल किया, जो फाउंडेशन को सेट करने और चेहरे से अतिरिक्त चमक को दूर करने में मदद करता है।
इसके बाद, मोरनी ने अमित की आँखों पर ध्यान केंद्रित किया। उसने आईलाइनर का उपयोग करके उसकी आँखों को एक सुंदर आकार दिया, जिससे वे बड़ी और अधिक आकर्षक लग रही थीं। मस्कारा की एक परत ने उसकी पलकों को लंबा और घना बना दिया, जिससे उसकी आँखों में एक नई चमक आ गई।अंत में, मोरनी ने अमित के होंठों पर लिपस्टिक लगाई। मोरनी ने पूरे मेकअप को नयी बहू के हिसाब से ही किया था, ताकि अमित सुंदर और आकर्षक लगे।
अमित खुद को आईने में देखता ही रह गया। उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वह इतना अलग और इतना सुंदर कभी नहीं लगा था। मोरनी के मेकअप ने उसके चेहरे की खूबसूरती को और भी बढ़ा दिया था।
"वाह जानू, आपने तो कमाल कर दिया। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि ये मैं ही हूँ!" अमित ने मोरनी की तारीफ करते हुए कहा।
"अरे बीबी जी, आप जानू की जान हैं तो सुन्दर तो लगेंगी ही और अभी और चीजें बाकी है।" मोरनी ने शरारती अंदाज़ में कहा, "अभी तो तुम्हें गहने पहनने हैं।"

मोरनी अमित को बेड पर बिठाकर उसके गहने निकाल लायी। उसने अमित को सबसे पहले मांग टीका, फिर बड़ी गोल नथ, झुमके और हार पहनाया। ब्राइडल चूड़ा और हेवी पायल तो वो पहले से ही पहना था।फिर उसे कमरबंद भी पहना दिया।
"बस, अब तुम बिल्कुल तैयार हो।" मोरनी ने अमित को आईने के सामने खड़ा करते हुए कहा, "देखो, एक बार खुद को। आज तो तुम किसी परी से कम नहीं लग रहे हो।"
अमित ने जब खुद को आईने में देखा तो वह दंग रह गया। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह वही है। साड़ी, गहने और मेकअप ने उसे बिल्कुल बदल दिया था। वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रहा था।
"वाह मेरी प्यारी बीबी जी, आप तो बिल्कुल परी लग रही हो।" मोरनी ने अमित के गालों को चूमते हुए कहा।
"जानू... बस करो ना... मुझे शर्म आ रही है..." अमित ने मोरनी की आँखों में झाँकते हुए कहा।
"अरे मेरी शर्मीली बीबी जी," मोरनी ने अमित की ठोड़ी को सहलाते हुए कहा।
फिर मोरनी भी नहाने चली गई और पति जैसा दिखने के लिए उसने अमित का एक कुर्ता-पायजामा पहन लिया।
मोरनी बाथरूम से बाहर आई तो अमित उसे देखता ही रह गया। नीले रंग के कुर्ते-पायजामे में मोरनी बिल्कुल
लड़कों जैसी लग रही थी।
"क्या देख रहे हो बीबी जी?" मोरनी ने अमित को घूरते हुए पूछा, उसकी आवाज़ में शरारत साफ़ झलक रही थी।
"कुछ नहीं जानू," अमित ने नज़रें चुराते हुए कहा, "तुम बहुत अलग लग रही हो।"
"अलग मतलब?" मोरनी ने आँखें तरेरते हुए पूछा।
"मतलब...मतलब...अच्छे लग रहे हो।" अमित ने हकलाते हुए कहा।
मोरनी हँसते हुए बोली, "चलो अब काम पर ध्यान दो।"अब बारी थी बीबी जी से घर के कुछ कठिन काम कराने की और ना कर पाने पर सजा देने की।
"सबसे पहले रसोई की सफाई करो, फिर मेरे लिए गरमा गरम चाय और नाश्ता बनाओ।" मोरनी ने हुक्म देते हुए कहा, "और हाँ, ध्यान रहे, चाय बिल्कुल वैसी ही बननी चाहिए जैसी मुझे पसंद है, वरना..."
मोरनी ने अपनी बात पूरी नहीं की और अमित को एक शरारती मुस्कान देकर रसोई की तरफ इशारा किया।अमित मन ही मन घबरा गया।
"क्या हुआ बीबी जी, डर लग रहा है?" मोरनी ने अमित की बेचैनी भांपते हुए कहा, "डरो मत, मैं हूँ ना तुम्हारी मदद करने के लिए।"
यह कहकर मोरनी अमित के पास आई और उसके कान में धीरे से फुसफुसाई, "अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो सजा भुगतने के लिए तैयार रहना।"
अमित सिहर उठा। उसे समझ आ गया था कि आज का दिन उसके लिए बहुत मुश्किल होने वाला है। उसने कपड़ा उठाया और लग गई सफाई में क्योंकि फिर चाय और नाश्ता भी बनाना था।
रसोई में घुसते ही अमित को एहसास हुआ कि यह काम उतना आसान नहीं होगा जितना उसने सोचा था। बर्तन सिंक में ढेर लगे थे, चूल्हा गंदा था और फर्श पर चायपत्ती बिखरी हुई थी। मोरनी उसके पीछे-पीछे रसोई में आई और दरवाजे के पास खड़ी होकर उसे काम करते देखने लगी।
"जल्दी करो बीबी जी, मुझे देर हो रही है।" मोरनी ने घड़ी देखते हुए कहा।
अमित ने बर्तन समेटने शुरू किए, लेकिन उसकी नज़र बार-बार मोरनी पर जा रही थी जो उसे घूर रही थी। उसकी नजरों में शरारत के साथ-साथ एक अजीब सी चमक थी जो अमित को डरा रही थी।
"अरे क्या देख रहे हो बीबी जी?" मोरनी ने अमित को घूरते हुए पकड़ लिया।
"कुछ नहीं जानू... बस ऐसे ही..." अमित ने नजरें चुराते हुए कहा।
"ऐसे ही मत देखा करो, मुझे शर्म आती है।" मोरनी ने नखरे से कहा और अमित की तरफ एक फ्लाइंग किस उड़ा दी।
अमित का दिल धक से रह गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी के साथ क्या हो रहा है। वो एक पल तो उसे काम करने के लिए डाँट रही थी और अगले ही पल उस पर इतना प्यार लुटा रही थी।
"अरे सुनो तो बीबी जी .." मोरनी ने अमित का ध्यान भंग करते हुए कहा, "चाय में चीनी कम डालना, मुझे मीठा कम पसंद है और नाश्ते मे क्या बना रही हो ।"
"वो...वो...जानू पराठे बना रही हूँ।" अमित ने हकलाते हुए कहा, "आपको पसंद है ना?"
"हाँ, पराठे तो मुझे बहुत पसंद हैं," मोरनी ने जवाब दिया, "पर ध्यान रहे, कुरकुरे होने चाहिए, जैसे मुझे पसंद हैं।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "ये तो मुझे सचमुच अपनी असली बीवी समझने लगी है।"
उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे कैसा महसूस हो रहा है। एक तरफ उसे ये सब बहुत अजीब लग रहा था, वहीं दूसरी तरफ उसे मोरनी का ये अंदाज़, उसकी शरारतें, सब कुछ थोड़ा बहुत अच्छा भी लग रहा था। मतलब कि अब वो थोड़ा थोड़ा अपने आपको मोरनी की पत्नी ही समझ रहा था।
मोरनी की नजरें लगातार उस पर टिकी हुई थीं, जैसे वो उसकी हर हरकत पर नजर रखे हुए हो। अमित को ये एहसास हो रहा था कि मोरनी उसे परख रही है,
"जानू ,आप बस देखते ही रहोगे या कुछ मदद भी करोगे?" अमित ने हिम्मत करके पूछा।
"मदद?" मोरनी हँस पड़ी, "अरे मेरी प्यारी बीबी जी , आज तो तुम्हें मेरी सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, इसका पूरा फ़ायदा उठा लो।"
यह कहकर मोरनी रसोई से बाहर चली गई। अमित अकेला रह गया था अपनी उलझनों के साथ। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।कुछ देर बाद मोरनी फिर से रसोई में आई। इस बार उसने अपने हाथों में एक छोटी सी लकड़ी की छड़ी पकड़ी हुई थी। अमित उसे देखकर घबरा गया।
"ये...ये क्या है जानू?" अमित ने डरते हुए पूछा।
"अरे डरो मत बीबी जी," मोरनी मुस्कुराई, "ये मेरा खास हथियार है। अगर तुमने कोई गलती की, कोई काम ठीक से नहीं किया, तो मुझे इससे तुम्हें सजा देनी पड़ेगी।"
यह कहकर मोरनी ने शरारत से अपनी आँखें मारीं।
अमित का चेहरा पिलपिले नींबू की तरह पीला पड़ गया। सजा? किस बात की सजा? उसने तो अभी तक कोई गलती की ही नहीं थी। कम से कम उसे तो ऐसा ही लग रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी आखिर चाहती क्या है।
"जानू, प्लीज ऐसी बातें मत करो, मुझे डर लगता है।" अमित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
"अरे डरने की क्या बात है बीबी जी," मोरनी ने अमित की ठोड़ी को अपनी उँगलियों से ऊपर उठाते हुए कहा,
"अगर तुम अच्छी बीबी बनकर मेरी हर बात मानोगे, तो तुम्हें किसी सजा की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।"
मोरनी की आँखों में एक अजीब सी चमक थी। एक शरारती चमक, जो अमित को बेचैन कर रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। एक तरफ तो वो मोरनी के इस रवैये से डरा हुआ था, वहीं दूसरी तरफ उसे उसका ये अंदाज़, उसकी शरारतें, सब कुछ थोड़ा बहुत अच्छा भी लग रहा था।
"अच्छा, अब तुम जल्दी से काम ख़त्म करो," मोरनी ने अमित के गाल पर हल्के से चुटकी लेते हुए कहा, "मुझे भूख लगी है, मैं तुम्हारे हाथों का बना गरमा गरम नाश्ता करना चाहती हूँ।"
यह कहकर मोरनी रसोई से बाहर चली गयी। अमित अकेला रह गया था अपनी उलझनों और उस अजीब से डर के साथ।
उसके जाने के बाद अमित ने एक गहरी साँस ली। उसका दिल अभी भी तेज़ी से धड़क रहा था। मोरनी का यह रूप उसे बिल्कुल नया और अनजान लग रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, कैसे करे।
"अरे राम! ये चाय! ये तो बिल्कुल जल गयी!" अमित का ध्यान भटका और चाय की याद आई। उसने जल्दी से चूल्हे की तरफ देखा तो पाया कि चाय बर्तन के किनारों से चिपकने लगी थी और उसमे से जलने की गंध आ रही थी।
"हे भगवान! अब क्या होगा? मोरनी जान जाएगी तो बहुत गुस्सा होगी।" अमित घबराहट में इधर-उधर देखने लगा।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि जली हुई चाय का क्या करे। तभी उसके दिमाग में एक तरकीब आई। उसने जल्दी से एक और बर्तन लिया और उसमें थोड़ी सी चाय डाली। फिर उसने उसमें थोड़ा पानी मिलाया और उसे दोबारा उबलने के लिए रख दिया।
"शायद इससे काम चल जाए," उसने मन ही मन सोचा।
कुछ देर बाद चाय तैयार हो गई। अमित ने उसे कप में डाला और ऊपर से थोड़ा सा दूध मिलाया ताकि जले हुए रंग का पता न चले। फिर उसने नाश्ता तैयार किया और ट्रे में सजाकर लिविंग रूम में ले गया जहाँ मोरनी इंतज़ार कर रही थी।

"लाओ बीबी जी , मुझे बहुत भूख लगी है।" मोरनी ने मुस्कुराते हुए कहा।
अमित ने धीरे से ट्रे टेबल पर रखी। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। उसे डर था कि अगर मोरनी को चाय के बारे में पता चल गया तो क्या होगा।
"क्या हुआ बीबी जी , आज इतने चुप क्यों हो?" मोरनी ने अमित को घूरते हुए पूछा।
"कुछ नहीं जानू , बस ऐसे ही।" अमित ने नज़रें चुराते हुए कहा।
"ऐसे ही मत देखा करो, मुझे शर्म आती है।" मोरनी ने नखरे से कहा और चाय की चुस्की लेने लगी।
अमित की नज़रें मोरनी के चेहरे पर टिकी हुई थीं। वो ये जानने के लिए बेताब था कि उसे चाय कैसी लगी।
मोरनी ने एक घूँट चाय पी और फिर उसके चेहरे के हावभाव बदल गए। अमित का कलेजा धक से हो गया। उसे लगा कि अब मोरनी का गुस्सा फूट पड़ेगा।
"ये क्या बनाया है बीबी जी?" मोरनी ने आँखें तरेरते हुए कहा, "ये चाय है या..."
"या?" अमित ने डरते-डरते पूछा।
"या ज़हर?" मोरनी ने एक शरारती मुस्कान के साथ कहा।
अमित समझ गया कि मोरनी को चाय के जले होने का पता चल गया है।
"वो...वो...जानू...गलती से..." अमित हकलाने लगा।
"गलती से? अच्छा तो अब तुम मुझसे झूठ भी बोलोगे?" मोरनी ने नकली गुस्से से कहा।
"नहीं जानू, सच में गलती से हो गया।" अमित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो ना।"
मोरनी अमित को ऐसे देखकर हँस पड़ी। उसे अमित की यह मासूमियत बहुत प्यारी लग रही थी।
"अच्छा बाबा, माफ़ किया।" मोरनी ने अमित के गाल खींचते हुए कहा, "लेकिन सजा तो मिलेगी।"
"सजा?" अमित के चेहरे का रंग फिर से उड़ गया।
"हाँ सजा।" मोरनी ने अपनी आँखों में शरारत समेटे हुए कहा, "और सजा ये है कि तुम अभी के अभी सारी चाय पी
जाओगे।"
यह कहकर मोरनी ने अमित के हाथ में चाय का कप थमा दिया। अमित बेचारा क्या करता, उसे मजबूरन सारी चाय
पीनी पड़ी।
चाय का कड़वापन उसके गले में उतर रहा था लेकिन मोरनी की नजरों के आगे उसके पास और कोई चारा नहीं
था। मोरनी उसे देखकर मुस्कुरा रही थी और यही मुस्कान अमित के लिए सबसे बड़ी सजा थी।
मोरनी की इस अदा से अमित का दिल मचल गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मोरनी के इस रूप पर
शरमिंदा हो या खुश। उसने चुपचाप चाय पी ली और पराठा खाने लगा।
"अच्छा है," मोरनी ने कहा, "अब लगता है तुम्हें अपनी गलतियों से कुछ सीख मिल रही है।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "गलतियाँ? मैंने तो अभी तक कुछ किया ही नहीं।"
नाश्ता खत्म करके मोरनी ने अमित को घर के दूसरे काम करवाने शुरू कर दिए।
कपड़े धोने से लेकर घर की सफाई तक, मोरनी ने अमित से हर वह काम करवाया जो आमतौर पर वह खुद करती
थी। अमित भी क्या करता, उसे तो मोरनी की हर बात माननी ही थी। उसे डर था कि अगर उसने ज़रा भी
आनाकानी की तो मोरनी उसे कोई न कोई शरारतपूर्ण सजा दे देगी। लेकिन मोरनी कहां मानने वाली थी वह उसकी
हर छोटी-छोटी गलती पर मोरनी उसे सजा देने से बाज नहीं आ रही थी। सजाये भी अजीबो गरीब थीं कभी उसे एक
टांग पर खड़ा कर देती तो कभी कान पकड़ के उठक बैठक करवाती तो कभी अजीबोगरीब मुद्रा में खड़ा कर देती।
अमित को समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी आखिर चाहती क्या है। उसे एक तरफ तो ये सब बहुत अजीब लग रहा
था, वहीं दूसरी तरफ उसे मोरनी का ये अंदाज़, उसकी शरारतें, सब कुछ थोड़ा बहुत अच्छा भी लग रहा था।
दोपहर का समय हो गया था। अमित सारा दिन काम करते-करते थक गया था। उसे बहुत ज़ोर की भूख लग रही
थी। मोरनी ने बोला कि जाओ अब रसोई में खाना बना लो और अमित लाचारी उसका मुहँ देखने लगा था। पर वो
चला गया खाना बनाने।
बीबी जी खाना कब तक बनेगा?" मोरनी ने रसोई में झाँकते हुए पूछा। अमित की हालत पर थोड़ा तरस खाकर
मोरनी ने भी खाना बनाने मे थोड़ी मदद कर दी। थोड़ी देर बाद अमित ने टेबल पर खाना लगाया । खाने में दाल,
रोटी, सब्ज़ी और सलाद था। अमित ने भूख से बिलकुल बेहाल होकर खाना खाना शुरू कर दिया।
"आराम से खाओ, बीबी जी," मोरनी हँसते हुए बोली, "कोई तुम्हारा खाना नहीं छीन रहा है।"

"बहुत भूख लगी थी, जानू," अमित ने मुँह में रोटी डालते हुए कहा, "सारा दिन काम करवाया है तुमने।"
"तो क्या हुआ?" मोरनी ने आँखें तरेरते हुए कहा, "पत्नियों का यही तो काम होता है, अपने पतियों का हर काम करना
।"
खाना खाने के बाद मोरनी ने अमित से बर्तन धुलवाए और रसोई साफ़ कारवाई।
"अच्छा अब जाओ, जाकर आराम करो।" मोरनी ने अमित को हल्के से धक्का देते हुए कहा, "देखो तो तुम्हारे चेहरे
पर कितना थकान है।"
अमित मन ही मन मुस्कुराई। मोरनी का यह फ़िक्र करना, उसे अच्छा लग रहा था।
"जाओ ना अब।" मोरनी ने फिर से कहा।
"ठीक है जानू।" अमित ने कहा और अपने कमरे की तरफ चल दी।
अपने कमरे में आकर अमित बिस्तर पर लेट गयी। उसका मन अभी भी बहुत उलझन में था। उसे समझ नहीं आ
रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है।
"क्या वो सचमुच खुद को एक पत्नी समझने लगी है?लेकिन हाँ, एक बात तो है," अमित ने मन ही मन सोचा, "उसकी
यह शरारतें, उसका यह अंदाज़, उसे बुरा क्यों नहीं लग रहा ।"
यह सोचकर अमित मुस्कुरा दिया । लेकिन उसका ये सोचना अब बदलने वाला था।
आधे खाने बाद मोरनी उसके कमरे में आयी और कहा "बीबी जी, ज़रा ये पर्दे भी बदल दो, ये तो बहुत गंदे हो गए
हैं।" मोरनी ने आदेश दिया।
अमित ने मन ही मन सोचा, "पर्दे बदलना? ये तो मैंने आज तक कभी किया ही नहीं।" वो जान बूझ के कठिन काम
ढूँढ के ला रही थी उसे परेशान करने को।
लेकिन मोरनी के सामने कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं हुई। उसने उठकर अनिच्छा से पर्दे बदलने शुरू कर दिए।
"अरे वाह, बीबी जी! आप तो बहुत तेज़ हो गए हो।" मोरनी ने ताना मारते हुए कहा, "लगता है, मेरी ट्रेनिंग का असर
होने लगा है।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "ट्रेनिंग? ये तो सचमुच मुझे अपना नौकर समझने लगी है।"
"क्या सोच रहे हो, बीबी जी?" मोरनी ने पूछा, "जल्दी से काम खत्म करो, अभी तो बहुत काम बाकी है।"
अमित ने मन मसोस कर यह बात ज़ाहिर नहीं होने दी। उसने चुपचाप पर्दे उतारे और नए पर्दे लगाने लगा। मोरनी
यह सब देखकर मुस्कुरा रही थी। उसे अमित को इस तरह काम करते देखना बहुत अच्छा लग रहा था।
"वाह बीबी जी, तुम तो बहुत होशियार हो देखो कैसे पर्दे लगाएँ हैं ।" मोरनी ने अमित की ओर घूरते हुए देखा।
दरअसल अमित ने उल्टे पर्दे लगा दिए जो साइड बाहर की तरफ होनी चाहिए वो अन्दर की तरफ थी। मोरनी की
बात सुनकर अमित ने पलट कर देखा, और शर्म से पानी पानी हो गया। उसे अपनी बेवकूफी पर बहुत गुस्सा आ रहा
था। "अरे ये मैं क्या कर दिया!" अमित ने मन ही मन सोचा।
मोरनी अमित को शर्म से लाल होते देख कर ज़ोर से हंस पड़ी। "अरे बीबी जी, इतना भी शरमाते नहीं हैं। होता है
कभी-कभी। लेकिन अगली बार से ध्यान रखना,लेकिन याद रखने के लिए मुझे तुम्हें सजा देनी पड़ेगी।" मोरनी की
आँखों में शरारत थी। अमित समझ गया कि मोरनी कुछ उल्टी पुलटी सजा देगी। मोरनी ने भी सोचा कि अभी शाम
होने मे दो घंटे हैं तो कोई ऐसी सजा दी जाए जो लंबे टाइम तक चले।
अमित के मन में एक अजीब सी घबराहट थी। समय धीरे-धीरे रेंग रहा था और उसे डर था कि कहीं मोरनी फिर से
उस पर सुबह वाला हथकंडा ना आजमा ले। याद करते ही उसके चेहरे पर शर्म और गुस्सा एक साथ उभर आया।
उसे याद आया कि कैसे मोरनी ने उसके हाथ दुपट्टे से बाँध दिए थे और वो बेबस खड़ा रहा था। उसने सोचा, "अगर
उसने फिर से ऐसा किया तो?" बस यही सोचकर उसकी घबराहट और बढ़ गयी।
उसने मोरनी की तरफ देखा जो खिड़की के बाहर देख रही थी। उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी। अमित
को समझते देर ना लगी कि मोरनी कुछ न कुछ प्लान कर रही है। डर के मारे उसकी आवाज़ थोड़ी लड़खड़ा गयी,
"मोरनी, तुम...तुम सुबह की तरह मेरे हाथ तो नहीं बाँधोगी ना?"
मोरनी ने अमित की तरफ देखा और हँसते हुए कहा, "अरे नहीं अमित, मैं तो कुछ और सोच रही थी।" अमित को
थोड़ी राहत मिली, पर मोरनी की अगली बात सुनकर उसके होश उड़ गए। "मगर बीबी जी को तो ये सजा पसंद है
ना? तो फिर वही सही।" मोरनी ने एक शरारती मुस्कान के साथ कहा, "मगर इस बार मैं उससे भी ज़्यादा करूंगी। हाथ के साथ पैर भी और बहुत कुछ... मतलब पूरा बांधने वाला गेम!"
अमित के चेहरे का रंग उड़ गया। उसकी आँखें बड़ी हो गयीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे। उसने
मन ही मन सोचा, "ये लड़की तो बिलकुल पागल है!"
अमित को अपनी बेवकूफी पर बहुत गुस्सा आ रहा था। "अरे ये मैंने क्या कर दिया!" अमित ने मन ही मन सोचा।
मोरनी ने शरारत से कहा। "तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें एक नया गेम बताती हूँ ।"
अमित घबरा गया। मोरनी की बातों से उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। "नया गेम?" उसने पूछा, "कैसा गेम?"
"अरे, तुम चिंता मत करो," मोरनी ने हँसते हुए कहा, "ये गेम तुम्हें बहुत पसंद आएगा।"
यह कहकर मोरनी बाहर चली गई और कई रस्सियाँ ले आई। अमित रस्सी देखकर और भी घबरा गया। "ये... ये
रस्सी किस लिए लाई हो?" उसने डरते-डरते पूछा।
"अरे, ये तो गेम के लिए है," मोरनी ने हँसते हुए जवाब दिया, "इससे मैं तुम्हें बाँधूंगी और तुम्हें एक घंटे मे इन रस्सियों
को खोलना होगा। अगर नहीं खोल पाए तो गेम हार जाओगे और उसकी सजा अलग से तय की जाएगी।" मोरनी की
आवाज़ में एक शरारती लहज़ा था, जैसे वो कोई मज़ाक कर रही हो, पर उसकी आँखों में चमक बता रही थी कि वो
वाकई ये करने वाली है।
अमित की आँखें फटी की फटी रह गईं। "मुझे बाँधोगी?" उसने अविश्वास से पूछा। "लेकिन क्यों?" उसके दिमाग में
तरह-तरह के ख्याल आने लगे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी अचानक ऐसा क्यों कर रही है। कहीं ये कोई
मज़ाक तो नहीं?
"क्योंकि ये गेम का हिस्सा है," मोरनी ने शरारती अंदाज़ में कहा, "और तुम तो जानते हो कि गेम के नियमों का
पालन करना कितना ज़रूरी होता है।" वो मुस्कुरा रही थी, पर उसकी मुस्कराहट में अब शरारत के साथ-साथ एक
अजीब सी दृढ़ता भी थी।
अमित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो, प्लीज़।" उसे अब अपनी गलती का एहसास हो रहा था। काश
उसने पहले ही मना कर दिया होता। ना वो हाथ बाँधने वाली बात कहता, ना ये सब झेलता।
मोरनी अमित को ऐसे देखकर हँस पड़ी। उसका चेहरा देखने लायक था - डर, घबराहट और पछतावे से भरा हुआ।
मगर वो रुकने वाली नहीं थी। ये तो बस शुरुआत थी, आगे-आगे और भी मज़ा आने वाला था।
"अरे बाबा, इतना डरते क्यों हो?" मोरनी ने अमित का हाथ पकड़ते हुए कहा, "मैं तुम्हें कोई दर्द नहीं दूंगी, बस थोड़ा
सा बाँधूंगी।" उसकी आवाज़ में अब भी हंसी थी, पर साथ ही एक अलग तरह की कोमलता भी थी, जैसे वो उसे
आश्वस्त कर रही हो कि सब ठीक होगा।
अमित को मोरनी की बातों पर यकीन नहीं हो रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी आखिर करना क्या
चाहती है। लेकिन उसके पास और कोई चारा भी नहीं था। उसे मोरनी की बात माननी ही पड़ेगी।
"अच्छा ठीक है," अमित ने मन मसोस कर कहा, "लेकिन ज़्यादा कसकर मत बाँधना। मुझे थोड़ी तकलीफ होती है।"
अमित को अपनी बात पूरी कहने से पहले ही मोरनी हँसते हुए बोली, "अरे वाह, मेरी बीबी जी को डर लग रहा है!
चिंता मत करो जानू, मैं तुम्हें ऐसे कस कर बाँधूंगी कि तुम आसानी से ना खुल पाओ।" मोरनी ने शरारत से अपनी
आँखें मारते हुए कहा, "और हाँ, हाथ और पैर के साथ-साथ मुँह और आँखों पर भी पट्टी भी ताकि गेम थोड़ा मुश्किल
हो जाए और तुम्हें छुड़ाने में मुझे और भी मज़ा आए।" मोरनी की बात सुनकर अमित के चेहरे का रंग उड़ गया।
"नहीं नहीं, मुँह और आँखों पर पट्टी नहीं।" अमित ने घबराहट में कहा। "मुझे अँधेरे और बंधे होने से डर लगता है।"
अमित ने अपनी बात को समझाते हुए कहा। लेकिन मोरनी ने हँसते हुए कहा, "चिंता मत करो जानू, सब कुछ होगा
ताकि तुम्हें पूरा मजा आए।"
बंधन और नाचने की सजा - मोरनी का शातिर दिमाग...
रस्सियों का बंधन और नाचने की सजा - मोरनी का शातिर दिमाग...
अमित मन ही मन बहुत पछता रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसने ऐसा क्या कर दिया जो मोरनी
उसे इतना परेशान कर रही है।
मोरनी, एक शरारती मुस्कान लिए, अमित के पास पहुँची। उसके हाथों में एक मोटी रस्सी थी, जिसकी गांठें देखकर
ही अमित का दिल धक-धक करने लगा था। मोरनी ने अमित को कुर्सी पर बैठाया फिर कुर्सी से बाँधना शुरू कर
दिया। पहले उसने उसके हाथ कुर्सी के पीछे कसकर बाँध दिए, रस्सी इतनी कसी हुई थी कि अमित को लगा उसके
हाथों का खून जम जाएगा। फिर उसने अमित के पैर बाँध दिए, हर गांठ के साथ अमित की बेचैनी बढ़ती जा रही
थी। अमित को ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी जाल में फँस गया हो, एक अजीब सी घुटन उसके सीने में दस्तक दे
रही थी।
उसके बाद मोरनी ने रस्सी को उसकी छाती के चारों ओर कसकर घुमा दिया। रस्सी इतनी कसी हुई थी कि अमित
को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। अंत में, मोरनी ने रस्सी को अमित की पीठ के पीछे ले जाकर कुर्सी से बाँध
दिया ताकि अमित हिल भी ना सके।
पूरी तरह से बंधे हुए अमित की नजरें अब मोरनी पर टिकी थीं। उसकी आँखों में डर और बेबसी साफ झलक रही
थी, उसका चेहरा पसीने से तर था, और उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं।
"डरो मत बीबी जी, ये तो बस एक खेल है," मोरनी ने शरारत भरे लहजे में कहा, उसकी आँखें अमित की घबराहट
भरी आँखों में देख रही थीं। अमित को इस तरह असहाय और बंधा हुआ देखकर मोरनी को बहुत हंसी आ रही थी,
उसके होंठों पर एक शरारती मुस्कान फैल गई।
"कैसा लग रहा है, बीबी जी?" मोरनी ने अमित से पूछा, उसकी आवाज़ में एक शातिर मुस्कान थी।
"अच्छा नहीं लग रहा है," अमित ने उदास और घबराहट भरे चेहरे से कहा, "मुझे खोल दो ना,जानू प्लीज़।"
"अरे, अभी तो गेम शुरू भी नहीं हुआ है," मोरनी ने शरारती अंदाज़ में कहा, उसकी आँखों में एक चमक थी जो
अमित को समझ नहीं आ रही थी। "और तुम अभी से ही हार मान रहे हो? ये तो गलत बात है। हार तो मानने का
नाम ही नहीं लेना चाहिए, खासकर जब तक खेल खत्म न हो जाए।"
"लेकिन ये गेम तो बहुत मुश्किल है," अमित ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अनजाना डर साफ़ झलक रहा था। "मैं
एक घंटे में कैसे खुल पाऊंगा? ये तो नामुमकिन सा लगता है।" उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी आखिर कर
क्या रही है, और ये सब क्यों कर रही है।
"अरे, तुम कोशिश तो करो," मोरनी ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सा उत्साह था। "हो सकता है कि तुम
जीत जाओ। और अगर नहीं भी जीते, तो कम से कम कोशिश तो करोगे।" उसकी बातों में एक अजीब सी धमकी थी
जो अमित के दिल को धड़का रही थी।
"अब मैं तुम्हारे मुँह को बाँधूंगी ताकि तुम कुछ बोल ना पाओ," मोरनी ने अचानक कहा, और अमित को समझ में आ
गया कि अब कुछ बुरा होने वाला है। उसने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन मोरनी ने उससे पहले ही एक
रुमाल लेकर उसे फोल्ड करके उसके मुंह में डाल दिया। अमित ने छूटने की कोशिश की, लेकिन मोरनी ने उसके
मुंह पर एक गुलाबी टेप चिपका दिया।

अब अमित पूरी तरह से लाचार था। वह न तो हिल सकता था और न ही बोल सकता था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे
वह किसी बुरे सपने में फंस गया हो। डर उसके चारों ओर मंडरा रहा था, और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह
क्या करे।
मोरनी एक काला दुपट्टा उसे दिखाते हुए आगे बड़ी और उसकी आँखों पर भी बाँध दिया। अब अंधेरा ही अंधेरा था,
और डर और भी बढ़ गया था। अमित को समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी उसके साथ क्या करने वाली है, और ये
सब क्यों हो रहा है।
"अब मैं तुम्हें एक घंटे के लिए अकेला छोड़ रही हूँ," मोरनी ने कहा, "अगर तुम एक घंटे में खुद को खोलने में
कामयाब हो गए, तो तुम जीत जाओगे। और अगर नहीं, तो..."
मोरनी ने अपनी बात पूरी नहीं की, लेकिन उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी जिससे अमित का दिल दहल
गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी उसके साथ ऐसा क्यों कर रही है।
"चिंता मत करो, मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी," मोरनी ने अमित के मन की बात जैसे पढ़ ली हो, "बस
थोड़ी सी मस्ती करना चाहती हूँ।"
"जानू, ये गलत है! मुझे खोल दो!" अमित चिल्लाया, लेकिन उसकी आवाज़ मुहँ में ही दब कर रह गई। यह कहकर
मोरनी कमरे से बाहर चली गई और दरवाजा बंद कर दिया। लकड़ी के दरवाज़े ने एक खोखली, निर्णायक आवाज़
की, जो अमित के कानों में गूंजती रही। अमित अकेला रह गया, डर और बेबसी से घिरा हुआ। चारों दीवारें उस पर
टूट पड़ रही थीं, उसे एक ऐसे पिंजरे में कैद कर रही थीं जहाँ से भागना नामुमकिन था।
वह न तो देख सकता था, न बोल सकता था। क्योंकि वो भारी साड़ी पहना था तो उसे और मुश्किल हो रही थी।
साड़ी का रेशमी कपड़ा, जो कभी आकर्षक और मोहक लगता था, अब उसे घुटन और उलझन का एहसास करा
रहा था। उसकी छटपटाहट से उसकी पायलें और चूडियाँ काफी आवाज कर रही थीं जो कमरे में एक अलग ही
संगीत पैदा कर रही थीं। यह एक विचित्र सिम्फनी थी - पायल की झंकार और चूड़ियों की खनक - जो उसकी
लाचारी की गूंज को और भी तेज कर रही थी।
अमित को अपनी ही साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी जो उसके दिल की धड़कन की गति बयान कर रही थी। हर
एक सांस एक संघर्ष थी, उसके सीने में दर्द की एक लहर दौड़ा देती थी। समय धीरे-धीरे रेंग रहा था। हर एक मिनट
एक घंटे जैसा लग रहा था।
अब बारी थी रस्सियों को खोलने की जो कि नामुमकिन था क्योंकि उसके हाथ इतने कसकर बंधे हुए थे कि थोड़ा सा
भी हिलाना भी मुश्किल था। रस्सियों ने उसकी त्वचा में गहरे मोरनीन बना दिए थे, जो उसके दर्द और लाचारी की
मोरनीनी थे। उसने अपने शरीर को अलग-अलग दिशाओं में घुमाने की कोशिश की ताकि रस्सियाँ ढीली हो जाएँ
लेकिन सब बेकार। मोरनी ने उसे बहुत ही चालाकी से बांधा था। हर गाँठ उसकी चालाकी का सबूत थी। उसे
एहसास हुआ कि खुद को छुड़ाना लगभग असंभव है। निराशा की एक लहर ने उसे अपनी चपेट में ले लिया, उसकी
उम्मीदों पर पानी फेर दिया जैसे एक तूफान एक नाजुक फूल को कुचल देता है।
उसने मोरनी के इरादों के बारे में सोचना शुरू कर दिया। वो ऐसा क्यों कर रही थी? क्या ये सिर्फ एक खेल था या
कुछ और? क्या वो उसे सजा देना चाहती थी? लेकिन किस बात की? उसके मन में सवालों का तूफान उठ रहा था
और डर उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। एक बात थोड़ी ठीक हो गई थी कि इतना हिलने की वजह से आँखों
की पट्टी थोड़ी हिल गई जिसकी वजह से उसे थोड़ा थोड़ा धुँधला टाइप का दिखने लगा था।
कमरे की खामोशी में, उसे अपनी साँसों और धड़कनों के अलावा कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। समय मानो थम गया
था। अमित को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या सोचे, क्या करे।
तभी उसकी नज़र अपनी साड़ी के एक पल्लू पर पड़ी जो कुर्सी के नीचे से झांक रहा था। उस पल उसके दिमाग में
एक योजना कौंधी। उसने सोचा, "क्या इस पल्लू की मदद से मैं अपने हाथ खोल सकता हूँ?" यह विचार आते ही
उसके अंदर एक उम्मीद की किरण जागी।
उसने बड़ी सावधानी से, धीरे-धीरे अपने बंधे हुए हाथों को उस पल्लू तक पहुँचाने की कोशिश शुरू कर दी। उसकी
हरकत इतनी धीमी और नियंत्रित थी जैसे कोई शिकारी अपने शिकार पर झपटने से पहले पल-पल की चाल सोचता
है। पल्लू तक पहुँचने के लिए उसे अपने शरीर को असहज तरीके से मोड़ना पड़ रहा था जिससे उसके शरीर में
चुभन होने लगी थी। हर एक हरकत दर्द दे रही थी लेकिन उसके मन में एक ही दृढ़ निश्चय था - अपने हाथों को
खोलना।
आखिरकार, बहुत मुश्किल से, उसका हाथ पल्लू को छू गया। यह स्पर्श उसे एक नई आशा दे रहा था। उसने पल्लू
को अपने बंधे हुए हाथों पर रगड़ना शुरू कर दिया। उसकी योजना थी कि पल्लू से रस्सी को रगड़-रगड़ कर ढीला
कर देगा। लेकिन रस्सी काफी मजबूत थी और आसानी से ढीली होने वाली नहीं थी। उसकी हर कोशिश रस्सी के
आगे बेकार साबित हो रही थी।
समय बहुत तेजी से बीत रहा था। अमित को लग रहा था कि एक घंटा तो क्या, वो पूरी जिंदगी भी ऐसे ही बंधा हुआ
बिता देगा। उसके माथे पर पसीना आ गया था और उसकी साँसें और भी तेज हो गई थीं।
तभी उसे एक आइडिया आया। उसने सोचा कि
अगर वो पल्लू को रस्सी पर घिसने के बजाय उसमें फंसाकर खींचे तो शायद रस्सी ढीली हो जाए। यह सोचकर
अमित ने पूरी ताकत से पल्लू को रस्सी में फंसाकर खींचना शुरू कर दिया। उसे उम्मीद थी कि शायद इस तरह
रस्सी ढीली पड़ जाए और वह अपने हाथ खोल सके। पर उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। रस्सी ढीली होने
की बजाय और टाइट हो गई। अमित की कोशिशों से हालत और बदतर होती जा रही थी। अब साड़ी का पल्लू भी
उसकी इस जद्दोजहद में साथ छोड़ रहा था। रेशमी पल्लू धीरे-धीरे फटने लगा था और अमित को डर था कि कहीं
उसका यह आखिरी सहारा भी खत्म न हो जाए। काफी देर तक अमित ने अलग-अलग तरीकों से रस्सियों को खोलने
की कोशिश की, लेकिन वह हर बार नाकाम रहा। थक हार कर उसे समझ आ गया था कि मोरनी ने उसे बहुत ही
कसकर और चालाकी से बाँधा है।
एक घंटा लगभग बीत ही गया था। "अब क्या होगा?" अमित ने मन ही मन सोचा।
तभी उसे कमरे में किसी के आने की आहट सुनाई दी।तभी अचानक उसके मुँह से टेप और आँखों से से पट्टी हटा
दी गई और उसे एक धुंधली सी आकृति दिखाई दी।
"मोरनी?" अमित ने पूछा।
"हाँ बीबी जी, मैं ही हूँ," मोरनी हँसते हुए बोली।
"तुमने मुझे बहुत डरा दिया," अमित ने राहत की साँस लेते हुए कहा।
उसने देखा कि अमित अब भी बंधा हुआ है।
"लगता है तुम हार गई ,बीबी जी," मोरनी ने अमित के पास आते हुए कहा।
"देखा, मैंने कहा था ना कि तुम ये गेम नहीं जीत पाओगे," मोरनी ने अमित की आँखों में देखते हुए कहा, "अब
बताओ, हारने वाले को क्या सजा मिलनी चाहिए?"
अमित मोरनी की आँखों में देख रहा था। उसकी आँखों में अब डर नहीं, बल्कि एक अजीब सी बेचैनी थी।
"जानू, प्लीज मुझे खोल दो," अमित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, "मुझे बहुत दर्द हो रहा है।"
"दर्द?" मोरनी ने अमित की आँखों में देखते हुए कहा, "क्या तुम्हें वाकई दर्द हो रहा है?"
"हाँ जानू," अमित ने कहा, "बहुत दर्द हो रहा है।"
मोरनी कुछ देर चुप रही। पर इतनी जल्दी क्या है पहले तुम्हें हारने की सजा तो बता दूँ। फिर उसने कहा कि सजा ये
है कि मेरी बीबी जी को अपने जानू के लिए नाचना पड़ेगा। अमित ने बोला कि जो करवाना हो करवा लेना पर पहले
वो उसे खोल दे।
मोरनी ठहाका मारकर हंसी, "अरे इतनी जल्दी नहीं बीबी जी! पहले पूरी बात तो सुनो की क्या क्या पहन कर नाचना
है और कैसे कैसे नाचना है।" अमित को समझ नहीं आया, उसने उलझन भरी निगाहों से मोरनी को देखा और पूछा,
"मतलब?" मोरनी ने शरारती अंदाज में जवाब दिया, "अब मैं अपनी बीबी जी को साड़ी मे थोड़ी ना डांस करवाऊंगी,
सोच रही हूँ केवल ब्रा और पैंटी में कैसा रहेगा।"
ये सुनते ही अमित के चेहरे का रंग उड़ गया, मानो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई हो। उसने हकलाते हुए कहा,
"जानू, प्लीज... ये तुम क्या कह रही हो? तुम जानती हो ना ये मुमकिन नहीं है।"
"अरे बाबा, डरते क्यों हो?" मोरनी ने अमित के गाल खींचते हुए कहा, "मैं तो बस तुम्हारे साथ थोड़ी मस्ती कर रही
थी।"
"मस्ती?" अमित ने गुस्से से कहा, "ये तुम्हें मस्ती लगती है? ... और तुम ये सब सोच भी कैसे सकती हो?"
"अरे यार, इतना गुस्सा क्यों करते हो?" मोरनी ने बेफिक्री से कहा, "तुम्हें तो पता है कि मुझे शरारत करना कितना
पसंद है। मैं बस तुम्हें चिढ़ा रही थी।" अमित अब भी हक्का-बक्का था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी की इस
हरकत पर कैसे प्रतिक्रिया दे।
"लेकिन..." अमित कुछ कहना चाहता था, लेकिन मोरनी ने उसे टोकते हुए कहा, "अच्छा बाबा, अब गुस्सा मत
करो।उसके लिए अलग ड्रेस उसने सिलेक्ट की है और बड़े बड़े घुँघरू भी।"
यह कहकर मोरनी ने अमित को रस्सियों से खोल दिया।"अब खुश?" मोरनी ने पूछा।
अमित कुछ नहीं बोला। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे।
वह बस मोरनी को देखता रहा। उसकी आँखों में अब भी गुस्सा और नाराजगी साफ झलक रही थी। "अरे बाबा, ऐसे
क्या देख रहे हो?" मोरनी ने अमित की ठुड्डी पकड़ कर ऊपर उठाते हुए कहा, "गुस्सा हो गए हो क्या?" अमित ने
कुछ नहीं कहा और अपना मुँह घुमा लिया। "अच्छा ठीक है, सॉरी," मोरनी ने अमित के गाल पर एक चुम्बन करते
हुए कहा, "अब तो मान जाओ।"
"मोरनी, तुम जानती हो कि मैं तुम्हारी इन हरकतों से डर जाता हूँ," अमित ने गंभीर स्वर में कहा, "मुझे समझ नहीं
आता कि तुम ऐसा क्यों करती हो?"
"अरे बाबा, डरते क्यों हो?" मोरनी ने अमित को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, "मैं तो तुम्हारी जानू हूँ। तुम्हें पता है
ना कि मैं तुम्हें कभी कुछ नहीं होने दूंगी?"
"हाँ, मुझे पता है," अमित ने मोरनी की आँखों में देखते हुए कहा, "लेकिन फिर भी..."
"कोई फिर भी नहीं," मोरनी ने अमित के होंठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा, "अब भूल जाओ ये सब।" अब
मोरनी ने थोड़ा सा पति वाला रोल अदा किया और अमित को अपनी बाँहों में कस लिया और उसके माथे पर एक
चुम्बन किया। अमित भी मोरनी की बाहों में खो गया। उसे मोरनी की बाहों में सुकून मिल रहा था। मोरनी
"लेकिन बीबी जी " मोरनी ने अचानक शरारती लहजे में कहा, "डांस तो तुम्हें करना ही पड़ेगा।"
अमित ने मोरनी की आँखों में देखा। उसकी आँखों में शरारत और प्यार एक साथ झलक रहे थे। उसे समझ आ गया
कि मोरनी से जीतना मुश्किल है।
"ठीक है, जानू," अमित ने हार मानते हुए कहा, "जैसा तुम कहो।"
मोरनी अमित की बात सुनकर खिलखिलाकर हंस पड़ी। उसे अमित को इस तरह हार मानते हुए देखना अच्छा लग
रहा था। "तुम जानते हो ना, बीबी जी," मोरनी ने अमित की नाक पर प्यार से चूमा, "तुम्हें मेरे हर खेल में मेरा साथ
देना होगा।"
अमित ने मोरनी की आँखों में देखा। उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि
मोरनी के मन में क्या चल रहा है।
"चलो अब," मोरनी ने अमित का हाथ पकड़ते हुए कहा, "तुम्हें तैयार होना है मेरे लिए।"
अमित थोड़ा घबरा गया था, लेकिन मोरनी के उत्साह को देखते हुए उसने भी हाँ में हाँ मिला दी। मोरनी उसे लेकर
कमरे में गई और अलमारी खोल दी। अलमारी रंग बिरंगे कपड़ों से भरी हुई थी। मोरनी ने एक-एक करके कई सारे
कपड़े निकाले और अमित को दिखाते हुए बोली, "देखो बीबी जी, ये सारे कपड़े मैंने तुम्हारे लिए ही चुने हैं। बताओ,
कौन सा ड्रेस पहनकर तुम मेरे लिए डांस करोगे?"
अमित ने डरते-डरते कपड़ों पर नज़र डाली। वहाँ पर हर तरह के ड्रेसेस थे - अलग अलग रंग की अनारकली ड्रेस
और दो तीन लहंगे और गाउन लेकिन इनमें से एक भी ड्रेस ऐसा नहीं था जो अमित ने कभी पहनने की सोची हो।
उसे तो साड़ी पहनकर भी अजीब लगता था, और अब मोरनी उसे ये सब पहनाकर डांस करवाना चाहती थी!
"क्या हुआ बीबी जी, पसंद नहीं आया कुछ?" मोरनी ने अमित का चेहरा पढ़ते हुए पूछा।
"अरे नहीं जानू, ऐसा नहीं है," अमित ने झट से कहा, "बस... मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या पहनूँ।"
"अरे बाबा, इतना सोचने की क्या बात है?" मोरनी ने एक शरारती मुस्कान के साथ कहा, "जो भी ड्रेस तुम्हें पसंद
आये, पहनो। लेकिन हाँ, एक बात याद रखना - जितना चमकीला और सुंदर ड्रेस होगा, उतना ही अच्छा लगेगा।"
अमित समझ गया कि मोरनी उसे आज बिल्कुल भी नहीं छोड़ने वाली है। उसे जो करना है, वो करके ही रहेगी।
उसने एक गहरी साँस ली और सोचा, "चलो, जो होगा देखा जाएगा।"
"अच्छा ठीक है, जानू," अमित ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, "तुम जो कहो।"
मोरनी ने अमित की बात सुनकर एक शरारती मुस्कान दी और शरारत से भरी आँखों से उसे देखते हुए कहा कि वो
जिस गाने पे डांस कराना चाहती है उसके हिसाब से ही ड्रेस सिलेक्ट करेगी। फिर वो गाना सोचने लगी जो कि
जिसमें नायिका ने भारी लहँगा और खूब सारे गहने पहने हों।
मोरनी कुछ सोचते हुए धीरे से बोली, "हम्म... मुझे 'हम साथ साथ हैं' फिल्म का 'मैया यशोदा ये तेरा कन्हैया' गाना
याद आ रहा है। इस गाने में करिश्मा कपूर ने कितना सुंदर लहंगा पहना था और कैसे कमाल का डांस किया था।"
मोरनी की आँखों में चमक आ गई, "हाँ, यही गाना परफेक्ट रहेगा!"
अमित ने घबराहट भरी नज़र से मोरनी को देखा।उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे। "लेकिन जानू," अमित
ने हिचकिचाते हुए कहा, "मैं तो डांस करना जानता ही नहीं। और फिर ये गाना तो..."
मोरनी ने अमित की बात काटते हुए कहा, "अरे बाबा, डांस सीखने में क्या रखा है? मैं तुम्हें सिखा दूँगी। और रही
बात गाने की, तो ये गाना तो बहुत ही आसान है। बस थोड़ा सा ठुमका लगाना है और हाथों को हिलाना है।" मोरनी
ने उत्साह से कहा, "चलो, मैं तुम्हें ड्रेस दिखाती हूँ।"
मोरनी ने अलमारी से एक चमकीला नारंगी रंग का लहंगा निकाला। लहंगे पर सुनहरे रंग की कढ़ाई की हुई थी और
उस पर छोटे-छोटे घुंघरू लगे हुए थे। साथ में उसने मैचिंग का चोली और दुपट्टा भी निकाला। "देखो बीबी जी,
कैसा है ये लहंगा?गाने मे भी तो नारंगी लहँगा था उसी रंग का है बहुत सुन्दर है। " मोरनी ने लहंगा अमित को
दिखाते हुए पूछा।
अमित ने लहंगे को देखकर अपनी आँखें बंद कर लीं। उसे ये सब बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा था। "जानू,
प्लीज... मुझे ये सब नहीं करना है," अमित ने मिन्नत करते हुए कहा, "मुझे बहुत शर्म आ रही है।"
मोरनी ने अमित के पास आकर उसे अपनी बाहों में भर लिया। "अरे बाबा, शर्माओ मत।" मोरनी ने प्यार से कहा,
"ये तो बस एक खेल है। और फिर मैं तुम्हारे साथ हूँ ना। तुम्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।"
"लेकिन..." अमित कुछ कहना चाहता था, लेकिन मोरनी ने उसके होंठों पर अपनी उंगली रख दी। "शांत... अब
कोई बहस नहीं।" मोरनी ने दृढ़ता से कहा, "तुम्हें ये लहंगा पहनना ही होगा और मेरे लिए डांस करना होगा।"
अमित समझ गया कि अब बहस करने का कोई फायदा नहीं है। मोरनी ने मन बना लिया है तो वो जरूर करा कर
ही दम लेगी। उसने एक गहरी साँस ली और कहा, "ठीक है जानू, जैसा तुम कहो।"
"वाह! मेरी बीबी जी मान गई!" मोरनी खुशी से झूम उठी, "अब तो बीबी जी का डांस देखने लायक होगा।"
मोरनी ने अमित को लहंगा पकड़ाते हुए कहा, "जल्दी से बदल लो, मैं इंतज़ार कर रही हूँ।"
मोरनी ने वो लहंगा अमित को पकड़ाते हुए कहा, "जल्दी से जाओ और चेंज करके आओ।" पर अमित ने मासूमियत
से कहा कि उसे लहँगा चोली पहनना नहीं आता।
मोरनी ने अमित की बात सुनकर ठहाका लगाया और कहा, "अरे मेरी प्यारी बीबी जी, घबराओ मत, मैं हूँ ना। मैं
तुम्हें पहनना सिखा दूंगी।"
और फिर मोरनी ने अमित को अपने साथ बाथरूम में चलने को कहा। अमित थोड़ा झिझका, लेकिन मोरनी के जिद
के आगे उसकी एक न चली। बाथरूम में घुसते ही अमित की नज़र शीशे में अपने प्रतिबिम्ब पर पड़ी। उसे खुद पर
यकीन नहीं हो रहा था कि ये वो ही है।
"क्या देख रहे हो बीबी जी, खुद को पहचान नहीं पा रहे?" मोरनी ने अमित को चिढ़ाते हुए कहा, "अभी तो बस
शुरुआत है, मेरी रानी बनने के सफर की।"
यह कहकर मोरनी ने अमित की साड़ी जो उसने पहनी थी वो उतार दी।
और अमित को वहीं खड़ा छोड़कर खुद ही लहँगा और चोली उठाने लगी। अमित शर्माते हुए अपनी आँखें बंद करने
लगा। मोरनी ने अमित की शर्म देखी तो उसे और मजा आने लगा। उसने अमित को चिढ़ाते हुए कहा, "अरे बीबी जी,
शर्मा क्यों रहे हो? अभी तो असली मज़ा बाकी है।"
यह कहकर मोरनी ने अमित के हाथों में चोली पकड़ा दी और खुद उसके पीछे खड़ी होकर लहँगा पहनाने लगी।
अमित को मोरनी की साँसें अपनी नंगी पीठ पर महसूस हो रही थीं।
उसकी हथेलियों की गर्माहट से अमित का पूरा शरीर सिहर उठा। लहँगा पहनाने के बाद मोरनी ने अमित को
पलटकर उसको अपनी तरफ किया और धीरे-धीरे उसकी बाँहों में डालकर चोली पहना दी।
"देखा, कितना आसान था," मोरनी ने मुस्कुराते हुए कहा, "वाह बीबी जी, आप तो बिलकुल रानी लग रही हो!" मोरनी
ने अमित की तारीफ करते हुए कहा।
मोरनी ने अमित को ड्रेसिंग टेबल के सामने बिठाया और हेवी मेकअप करना शुरू कर दिया। उसने सबसे पहले
अमित के चेहरे को अच्छी तरह साफ किया और मॉइस्चराइजर लगाया। फिर फाउंडेशन ब्रश की मदद से उसके
चेहरे पर फाउंडेशन लगाया और उसे अच्छे से ब्लेंड किया ताकि चेहरा एकदम बेदाग लगे। इसके बाद उसने अमित
की आँखों में काजल और आईलाइनर लगाया, जिससे उसकी आँखें बड़ी और सुंदर लगने लगीं। फिर गालों पर
गुलाबी रंग का ब्लश लगाया जिससे उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई। आखिर में मोरनी ने अमित के
होंठों पर गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगाई जो उसके रूप को और भी निखार रही थी। फिर उसके बालों को सजाने
के लिए ढेर सारे गहने निकाले। अमित चुपचाप बैठा मोरनी को अपना श्रृंगार करते हुए देख रहा था। उसे समझ नहीं
आ रहा था कि वह क्या महसूस करे। एक तरफ उसे मोरनी की यह बचकानी हरकतें अच्छी लग रही थीं, तो दूसरी
तरफ उसे खुद पर हँसी भी आ रही थी।
मोरनी ने अमित के बालों को जूड़ा बनाकर उसमें गजरा लगाया और माथे पर बिंदी और टीका सजाया। फिर उसने
अमित को ध्यान से देखा और याद किया कि उस गाने में गहनों को कैसे पहनाया गया था।इसके साथ ही उसने बहुत
से गहने अलमारी से निकाले - भारी हार, झुमके, चूड़ियाँ, बाजूबंद, कमरबंद, पायल और मांग टीका। यह देखकर
अमित के होश उड़ गए।
"जानू, ये सब मुझे पहनने पड़ेंगे?" अमित ने घबराकर पूछा।"बिलकुल बीबी जी," मोरनी ने शरारती अंदाज में कहा।
मोरनी ने एक-एक करके सारे गहने अमित को पहनाने शुरू कर दिए। पहले उसने अमित के कानों में भारी-भारी
झुमके पहनाए, जिनके वजन से अमित को लगा जैसे उसके कान फट जाएँगे। सोने के बने ये झुमके जड़ाऊ नगों से
जड़े हुए थे और इतने भारी थे कि अमित को अपनी गर्दन पीछे की ओर झुका कर रखनी पड़ रही थी ताकि उनके
वजन को संभाल सके। फिर उसने अमित की गर्दन में हार पहनाया, जो इतना भारी था कि अमित का सिर आगे की
ओर झुक गया। हार में जड़े हुए मोती और रत्न इतने बड़े थे कि वे अमित के गले में चुभ रहे थे।फिर उसने अमित की
कलाईयों में चूड़ियाँ पहनाई, जो इतनी तंग थीं कि अमित को लगा जैसे उसकी कलाईयों में खून का दौरा बंद हो गया
हो। चूड़ियों की आवाज़ से पूरा कमरा गूंज रहा था और अमित को अपनी ही साँसों की आवाज़ सुनाई नहीं दे रही
थी। फिर मोरनी ने अमित की बाहों में बाजूबंद और उंगलियों में अंगूठियां पहनाई। बाजूबंद इतने कसे हुए थे कि
अमित को अपनी बाँहों को हिलाने में भी दिक्कत हो रही थी। अमित को अब तक सांस लेने में तकलीफ होने लगी
थी। मोरनी ने जब कमरबंद पहनाने के लिए कहा तो अमित ने इंकार कर दिया।
लेकिन मोरनी कहाँ मानने वाली थी। उसने कहा, "अरे बीबी जी, डरो मत, ये कमरबंद आपकी सुंदरता में चार चांद
लगा देगा।" और फिर उसने जबरदस्ती अमित को कमरबंद पहना दिया। कमरबंद इतना टाइट था कि अमित को
अपनी साँस रोकनी पड़ रही थी।आखिर में मोरनी ने अमित के पैरों में पायल पहनाई। पायल की झंकार से अमित
को गाने की धुन सुनाई देने लगी।
"नहीं जानू, प्लीज! ये सब तो बहुत ज्यादा हो रहा है।" अमित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। "मुझे घुटन हो रही है और मैं
अपने शरीर पर इतना भार नहीं उठा सकता।"
"अरे मेरी प्यारी बीबी जी, डरो मत।" मोरनी ने प्यार से कहा, "अभी तो आपका श्रृंगार अधूरा है। ये सब तो एक
सुहागन के लिए जरुरी है।"मोरनी ने एक भारी भरकम नथ भी निकाला। अमित ने जब नथ देखा तो घबराकर बोला,
“अरे नहीं जानू, यह तो बहुत ज़्यादा हो जाएगा।” मोरनी ने शरारती हंसी हंसते हुए कहा, “अरे मेरी प्यारी बीबी जी,ये
तो बहुत ही ज्यादा जरूरी है। ” और यह कहते हुए मोरनी ने अमित की नाक में नथ पहना दिया। नथ पहनते ही
अमित का चेहरा और भी ज़्यादा खिल उठा। मोरनी अमित को देखकर खुद को रोक न सकी और उसके गालों को
चूमते हुए बोली, “वाह मेरी बीबी जी बिल्कुल रानी साहिबा लग रही हो!”
अब बारी थी आखिरी चीज़ की जो कि था भारी भरकम दुपट्टा, जिसे मोरनी ने बड़े ही प्यार से उठाया। सिल्क का
बना, जरी की कारीगरी से सजा ये दुपट्टा अपने आप में शाही ठाट-बाट का प्रतीक था। मोरनी ने सावधानी से अमित
के सिर पर उसे डालते हुए कहा, "लो बीबी जी, अब आप नाचने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।"

दुपट्टा डालते ही अमित को ऐसा लगा जैसे उसके ऊपर किसी ने मखमल की भारी चादर डाल दी हो। दुपट्टे का
वज़न अमित के सिर पर ऐसा था मानो किसी ने पहाड़ रख दिया हो। उसकी कमर झुकने लगी और उसने पास रखी
मेज़ पर हाथ टिका कर खुद को संभाला। मोरनी ने फ़ौरन अमित को सहारा दिया और कहा, " मेरी रानी साहिबा,
शाही ठाट-बाट तो थोड़ा तो सहना ही पड़ेगा।"
मोरनी सजधज कर तैयार हुई अपनी 'रानी' को देखकर मोरनी खुशी से झूम उठी। "वाह बीबी जी! आप तो सचमुच
की रानी लग रही हो!," मोरनी ने अमित को घुमाते हुए कहा।
मोरनी ने अमित को शीशे के सामने घुमाते हुए कहा, "देखो तो, आप कितनी प्यारी लग रही हो।"
अमित ने दर्पण में अपनी ही छवि को देखा, मानो कोई अजनबी उसे घूर रहा हो। नारंगी और सुनहरे रंग के भारी
लहँगा ने उसके शरीर को एक अनोखा आकार दिया था,कढ़ाई वाले दुपट्टे ने उसके सिर को ढँका हुआ था, जिसके
किनारे से झाँकते उसके बालों में सोने की सजावट चमक रही थी। गले में भारी हार, कानों में झूमर जैसे झुमके,
नाक में नथ और माथे पर चाँद जैसा टीका - हर एक गहना उसे एक अलग ही दुनिया में ले जा रहा था। चेहरे पर
किया गया श्रृंगार, आँखों में लगा काजल, गालों पर चढ़ा गुलाबी रंग, और होठों पर लगी लाल लाली, ने तो उसे पूरी
तरह से बदल दिया था। वह एक स्त्री से कम नहीं लग रही थी, एक ऐसी स्त्री जो किसी राजसी घराने की रानी हो।
“तो रानी साहिबा, कैसी लगी अपनी ये शाही सजावट?” मोरनी ने शरारत भरी आवाज़ में पूछा, उसकी आँखों में
चमक थी।
अमित कुछ नहीं बोला, बस अपनी ही छवि को देखता रहा, मानो उस अनजान चेहरे को पहचानने की कोशिश कर
रहा हो।
"अरे वाह! मेरी रानी तो शर्मा रही है!" मोरनी ने अमित की चुप्पी तोड़ते हुए कहा, उसकी आवाज़ में हंसी और प्यार
दोनों थे।
"ये... ये मैं हूँ?" अमित ने धीरे से पूछा, उसकी आवाज़ में अविश्वास और थोड़ी घबराहट थी।
"जी हाँ, मेरी प्यारी बीबी जी।" मोरनी ने हँसते हुए कहा। "
"अब बस एक चीज की कमी है," मोरनी ने सोचते हुए कहा। वो फिर से अलमारी के पास गई और उसने एक डिब्बा
उठाया। उसे खोलते हुए मोरनी ने अमित को दिखाते हुए बोली, "और हाँ, यह रहा तुम्हारे लिए एक खास तोहफा"।
डिब्बे में से बड़े-बड़े घुंघरू निकले। अमित उन्हें देखकर और भी घबरा गया। "ये क्या है,जानू?" अमित ने
डरते-डरते पूछा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सा कंपन था। "अरे बीबी जी, ये तो घुंघरू हैं," मोरनी ने हँसते हुए
कहा, "इन्हें बाँध लो अपने पैरों में, ये तुम्हारे नाज़ुक पैरों की शोभा बढ़ाएंगे।" मोरनी ने घुंघरू अमित की तरफ बढ़ा
दिए। "लेकिन जानू, ये..." अमित कुछ कहना चाहता था, शायद विरोध करना चाहता था, लेकिन मोरनी ने उसे
टोकते हुए कहा, "कोई लेकिन नहीं, बीबी जी। जल्दी से बाँध लो इन्हें।" अमित के पास और कोई चारा नहीं था।
उसने हिचकिचाते हुए घुंघरू लिए और उन्हें अपने पैरों में बांधने लगा । एक-एक घुंघरू को ध्यान से बांधते हुए
उसकी नज़रें नीचे झुकी हुई थीं मानो किसी अनजान डर से घिरी हो। घुंघरू की आवाज़ धीरे-धीरे कमरे में गूंजने
लगी और फिर जैसे ही उसने अपने पैरों को थिरकाया, पूरा कमरा घुंघरूओं की मधुर ध्वनि से भर गया। "वाह! क्या
बात है!" मोरनी ताली बजाते हुए बोली, उसकी आँखों में प्रशंसा झलक रही थी।

"तो तैयार हो जाइए मेरी रानी साहिबा," मोरनी ने शरारत से कहा, "आपका डांस देखने के लिए मैं बहुत उत्सुक हूँ।"
फिर मोरनी ने टीवी मे यूट्यूब पर करिश्मा कपूर का "मैया यशोदा ये तेरा कन्हैया " वाला गाना लगाकर अमित से
कहा, "बीबी जी थोड़ी देर बैठो और खुद को निहारो और जब तक मैं हाल कमरे को डांस के लिए सेट करके आती
हूं तब तक थोड़े बहुत डांस स्टेप याद कर लो।"
और यह कहते हुए मोरनी झूमते हुए हाल की तरफ चल दी।
अमित अपनी जगह पर खड़ा रह, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसकी नज़रें एक बार फिर शीशे
पर टिक गईं। उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह अमित नहीं, कोई और है।"ये मैं ही हूँ या कोई और?"
उसने धीरे से कानाफूसी की, उसकी आवाज घुंघरूओं की झंकार में डूब गई। तभी उसे याद आया कि मोरनी ने
उसे डांस स्टेप याद करने को कहा है। वो टीवी पर गाना देखकर शर्माते हुए ये सोच रहा था कि वो कैसे करेगा ये
डांस! यह तो उसने सोचा भी नहीं था। यह तो महिलाओं का नृत्य है। उसे तो स्टेप्स भी ढंग से नहीं आते। विचारों के
जाल में उलझा अमित कुछ सोच पाता, उससे पहले ही मोरनी वापस आ गई।
"चलिए बीबी जी, अब देर किस बात की?" मोरनी ने अमित का हाथ थामते हुए कहा, "आपकी रानी साहिबा का
इंतज़ार कर रहा है आपका नृत्य दरबार!"
हाल में पहुँचते ही अमित की नज़रें वहाँ के नज़ारे पर टिक गईं। मोरनी ने वाकई में महल जैसा माहौल बना दिया था।
फर्श पर रंगोली सजी थी, चारों तरफ मोमबत्तियाँ जल रही थीं, और हल्का संगीत बज रहा था।हाल के एक कोने में
स्पीकर रखा था जिससे मोरनी ने अपना मोबाइल कनेक्ट रखा था जिसमें से हल्की आवाज मे गाने की धुन बज रही
थी।
मोरनी ने अमित का हाथ पकड़ा और उसे हॉल के बीचों बीच ले आई और गाने की तरह ही उसको घूंघट मे करके
सामने बैठ गई और कहा "चलिए मेरी रानी साहिबा, अब तो अपना जलवा दिखाइए।"

अमित घबराए हुई था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसके पैरों में बंधे घुंघरू मानो उसके डर को
और बढ़ा रहे थे। संगीत शुरू हुआ तो अमित ने कहा, "लेकिन जानू, मुझे तो डांस करना आता ही नहीं।"
"अरे मेरी प्यारी बीबी जी, घबराओ मत।" मोरनी ने अमित को हौसला देते हुए कहा, "बस अपने आप को संगीत के
हवाले कर दो और जैसे मैं कहूँ, वैसे ही करना।"
और फिर धीरे-धीरे संगीत की धुन पर मोरनी ने अमित को घूमर के कुछ स्टेप्स सिखाने शुरू कर दिए। पहले तो
अमित को बहुत अटपटा लग रहा था, लेकिन धीरे-धीरे वह मोरनी की बातों पर ध्यान देने लगा। मोरनी उसे घूमने,
हाथों को लहराने, और आँखों से इशारे करने का तरीका सिखा रही थी। अमित भी पूरी कोशिश कर रहा था कि वह
मोरनी के बताए अनुसार कर सके।
कुछ देर बाद, जब संगीत ने गति पकड़ी, तो अमित भी अपने आप को भूल गया। उसने खुद को संगीत के हवाले
कर दिया और मोरनी के बताए अनुसार नाचना शुरू कर दिया। उसके पैरों में बंधे घुंघरू अब एक अलग ही धुन
बना रहे थे। उसकी चाल में, उसके हाथों की लचक में, उसकी आँखों के इशारों में एक अलग ही नज़ाकत आ गई
थी।
उसके हाथ हवा में लहराने लगे, उसकी कमर मटकने लगी, और उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान खिल
उठी। वह खुद को भूल गया था, अपनी असलियत भूल गया था। उसे बस इतना याद था कि वह एक रानी है, और
उसे नृत्य करना है।
मोरनी ताली बजाते हुए अमित का उत्साह बढ़ा रही थी। वह कभी "वाह बीबी जी, क्या बात है!" तो कभी "एक बार
फिर से, ज़रा ठुमका लगाकर दिखाओ!" कहकर अमित को और भी झूमने पर मजबूर कर रही थी।
अमित अब पूरी तरह से मस्ती में डूब चुका था। वह कभी करिश्मा कपूर के स्टेप्स कॉपी करने की कोशिश करता,
तो कभी अपने ही अंदाज़ में थिरकता। उसके घुंघरूओं की झंकार, गाने की धुन, और मोरनी की तालियों की
गड़गड़ाहट से पूरा हाल गूंज रहा था।
मोरनी अमित को देखकर हैरान रह गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि अमित इतनी खूबसूरती से डांस कर सकता
है। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि अमित में यह हुनर भी छुपा हुआ है। वह अमित की अदाओं पर फिदा होती जा
रही थी। मोरनी अमित को देखकर मुस्कुरा रही थी। उसे अपनी इस प्यारी रानी पर नाज था। अमित का डांस
देखकर मोरनी को लगा जैसे वह कोई सपना देख रही हो। उसकी आँखों में खुशी के आँसू थे। अमित का डांस अब
अपने चरम पर था। उसके हर एक इशारे, हर एक अदा में एक अलग ही नज़ाकत थी। घुंघरूओं की झंकार से पूरा
घर गूंज रहा था। संगीत थमा तो अमित भी थम गया । उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं, माथे पर पसीने की बूंदें चमक
रही थीं।

मोरनी दौड़कर अमित के पास आई और उसे गले लगा लिया। "वाह मेरी रानी साहिबा, आपने तो कमाल कर दिया!"
उसने अमित के माथे को चूमते हुए कहा। अमित शरमा गई। उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसने इतना
अच्छा डांस किया है।
"ये सब तो आपकी बदौलत हुआ जानू," अमित ने शरमाते हुए कहा, "आपने मुझे इतना अच्छा तैयार किया, इतना
अच्छा माहौल बनाया और डांस स्टेप भी बढ़िया से सिखाये।"
"अरे मेरी प्यारी बीबी जी, आप तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे सचमुच में रानी बन गई हों।" मोरनी ने हँसते हुए कहा।
"और हाँ," मोरनी ने अचानक याद करते हुए कहा, "अब तो अपनी रानी साहिबा को तोहफा भी मिलना चाहिए।"
तोहफा ये है कि आज रात का खाना उसे बनाने की जरूरत नहीं है वो ऑर्डर करके मंगा लेंगे
और हाँ, आज रात का खाना परोसने की ज़िम्मेदारी भी मेरी। मेरी रानी को तो थोड़ा आराम मिलना चाहिए।" अमित
ने हँसते हुए कहा, "वाह, ये तो सचमुच इनाम जैसा है।"
फिर अमित ने प्यार से मोरनी की ओर देखते हुए कहा, "जानू, प्लीज खाना खाने से पहले मुझे इस भारी लहँगा चोली
और गहनों से आजादी दे दो। इसे उतार दो क्योंकि यह बहुत भारी-भरकम है और मुझे परेशानी हो रही है। देखो
मेरा चेहरा कितना थका हुआ लग रहा है, और पसीने से तर-बतर हो गया है। इतने भारी कपड़ों और गहनों के साथ
खाना खाना भी मुश्किल होगा। " मोरनी ने शरारती मुस्कान दिखाते हुए और अमित की आँखों में देखते हुए कहा,
"बस कुछ देर और झेल लो यह परेशानी, ताकि तुम्हें भी एहसास हो कि हम औरतों को क्या-क्या सहना पड़ता है।
सोचो, पहले की रानियाँ तो पूरे दिन ऐसे ही भारी-भरकम कपड़ों और गहनों से लदी रहती थीं। उनके लिए तो यह
रोज़ का काम था। और एक दुल्हन भी अपनी शादी की रात इतना ही भार, बल्कि उससे भी ज़्यादा भार सहन करती
है। यह तो बस कुछ घंटों की बात है,बीबी जी । थोड़ा सा सब्र रखो।" मोरनी ने आगे कहा, "इसके बाद मैं इसे उतार
दूँगी और हम आराम से खाना खाएंगे।" अमित ने मोरनी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, "लेकिन जानू, ये तो
बहुत ज़्यादा हो जाएगा। मैं और देर तक ये सब पहन कर नहीं रह सकता और जानू, वो तो रानियाँ थीं, मैं तो सिर्फ़
आपकी बीबी जी हूँ।" अमित ने अपनी बात समझाने की कोशिश की।
"अच्छा जी, अब रानी बनकर नाच भी लिया, और रानी की तरह सजना पसंद नहीं है?" मोरनी ने नकली नाराज़गी
दिखाते हुए कहा।
"अच्छा ठीक है मेरी प्यारी बीबी जी।" मोरनी ने हँसते हुए कहा, "तुम्हें जो कहना है कहो, तुम्हें जो करना है करो, पर
उसके पहले मुझे तुम्हारा एक और रूप देखना है। एक ऐसा रूप जो मैंने आज तक नहीं देखा, एक ऐसा रूप जो
सिर्फ़ मेरे लिए होगा, एक ऐसा रूप जो हमारे प्यार की मोरनीनी होगा।" मोरनी की आँखों में शरारत भरी चमक थी
और उसके होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान खेल रही थी।
अमित ने हैरानी से मोरनी को देखा। "और कौन सा रूप?मेरे पास तो बस यही एक रूप है जो तुम्हारे सामने है।"
उसने थोड़ा घबराते हुए पूछा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी क्या चाहती है। उसके मन में तरह-तरह के
ख्याल आने लगे। क्या वो कोई नया रूप धारण करने की बात कर रही है?क्या वो कोई नया पहनावा पहनने की बात
कर रही है? या फिर कुछ और?
"अरे, जब रानी अपने राजा के समक्ष नज़ाकत से, इठलाते हुए, शर्माते हुए,अपनी अदाओं से प्रस्तुत होती है। जैसे
कोई अप्सरा स्वर्ग से उतर कर आई हो।" मोरनी ने अपनी आँखों से इशारा करते हुए, अपनी पलकों को झपकाते
हुए कहा। "मतलब?" अमित अभी भी समझ नहीं पाया था। वो मोरनी की बातों को समझने की कोशिश कर रहा
था, लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
"मतलब ये कि तुम्हें मेरे लिए, अपने जानू के लिए, थोड़ा सा कैटवॉक करना होगा।" मोरनी ने शरारत से मुस्कुराते
हुए कहा।
"कैटवॉक?" अमित ने आश्चर्य से पूछा। "वो कैसे करते हैं?
"अरे बिल्कुल सिम्पल है बीबी जी ," मोरनी ने अमित का हाथ पकड़ते हुए कहा, "जैसे मॉडल्स करती हैं, वैसे ही।
थोड़ा सा इठलाना, थोड़ा सा शर्माना, नज़ाकत से चलना, और अपनी अदाओं से मुझे घायल करना।" मोरनी ने अपनी
आँखें मटकाते हुए कहा। "और हाँ, मुझे अपनी रानी से एक फ्लाइंग किस भी चाहिए।"
अमित पहले तो थोड़ा झिझका, फिर मोरनी के चेहरे पर प्यार और उत्साह देखकर मुस्कुरा दिया। "अच्छा ठीक है
जानू , जैसा हुकुम।" कहकर अमित ने अपने लहंगे को थोड़ा सा ऊपर उठाया और धीरे-धीरे चलना शुरू किया।
उसकी चाल में एक अजीब सा नज़ाकत था, जो देखकर मोरनी ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी। अमित शर्माते हुए चल
रहा था, और बीच-बीच में अपनी पलकें भी झपका रहा था। कैटवॉक के आखिर में, उसने मोरनी को एक फ्लाइंग
किस दिया, जिससे मोरनी का चेहरा खुशी से चमक उठा।
"वाह! क्या बात है मेरी रानी, आप तो कमाल की कैटवॉक करती हैं।" मोरनी ने ताली बजाते हुए कहा। "

अमित ने कहा कि और कोई हुक्म बचा है जानू मेरे लिए तो वो भी बता दो।
"अच्छा चलो, अब मुझे कुछ फ़ोटोज़ लेने दो, ताकि तुम्हारी यह 'रानी' वाली छवि हमेशा के लिए कैद हो जाए।"
मोरनी ने अपना मोबाइल निकालते हुए कहा।
अमित ने पहले तो थोड़ा आनाकानी की, लेकिन फिर मोरनी के आग्रह पर मान गया। मोरनी ने अलग-अलग अंदाज़
में अमित की कई तस्वीरें लीं। कभी वो उसे शाही अंदाज़ में खड़ा करके तस्वीरें लेती, तो कभी उसे नज़ाकत से बैठने
को कहती। अमित भी मोरनी के साथ मस्ती करते हुए पोज देने लगा।
कुछ देर बाद, जब मोरनी तस्वीरें देख रही थी, तो वो ख़ुशी से झूम उठी। "वाह अमित, तुम तो कमाल के लग रहे हो
इन तस्वीरों में।" मोरनी ने ख़ुशी से कहा। "इन्हें देखकर तो यकीन ही नहीं होता कि तुम लड़की नहीं हो।"
अमित भी तस्वीरें देखकर हैरान था। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो इतना ख़ूबसूरत लग सकता है।
"जानू, ये तस्वीरें किसी को मत दिखाना, प्लीज।" अमित ने मोरनी से कहा।
"अरे डरो मत, मेरी जान।" मोरनी ने प्यार से कहा। "ये तस्वीरें सिर्फ़ मेरे पास रहेंगी, हमारी इस खूबसूरत याद के
तौर पर।"
"और हाँ," मोरनी ने शरारती अंदाज़ में कहा, "अगर तुमने कभी मुझे तंग किया या फिर मेरी कोई बात नहीं मानी, तो
मैं ये तस्वीरें सबको दिखा दूंगी।"
अमित ने मोरनी को घूरते हुए कहा, "तुम बहुत शरारती हो जानू।"
आज अमित ने एक अलग ही दुनिया देखी थी, एक अलग ही एहसास जिया था। उसे समझ आ गया था कि औरत
होना कितना मुश्किल है, कितनी तकलीफें झेलनी पड़ती हैं।
उसने ठान लिया कि वो हमेशा मोरनी का साथ देगा, उसकी इज्जत करेगा और उसे कभी तकलीफ नहीं देगा।
फिर मोरनी ने अमित का लहँगा चोली और गहने उतारे, एक-एक करके नथ, झुमके, हार, बाजूबंद सब कुछ।
अमित चुपचाप खड़ा रहा , जैसे एक गुड़िया जिसके साथ खेला जा रहा हो। उसने अमित को एक मुलायम, गुलाबी
रंग की सिल्क नाइटी पहनाई। अमित ने खुद को शीशे में देखा, उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था। पूरे दिन के
भारी भरकम कपड़ों, गहनों और मेकअप से उसे राहत मिली थी। उसके बाद दोनों ने साथ में खाना खाया। मोरनी
ने अमित के लिए थाली परोसी और खुद भी उसके साथ बैठकर खाने लगी। खाना खाने के बाद जब अमित उठने
लगी तो मोरनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, "बीबी जी कहां जा रहे हो? अभी तो जानू की सेवा करनी है।"
उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मीठी धमकी थी जो अमित को समझ नहीं आई।
"क्यों अपने जानू के पैर नहीं दबाने हैं वो तो बच ही गया।" मोरनी ने कहा।
"लेकिन जानू..." अमित कुछ कहने ही वाली थी कि मोरनी ने उसकी बात काटते हुए कहा, "कोई लेकिन नहीं बीबी
जी। चलो, जल्दी से।"
अमित मन मसोस कर मोरनी के पास आकर बैठ गई और उसके पैर दबाने लगी। मोरनी आराम से लेटी हुई थी
और अमित की इस दशा पर मुस्कुरा रही थी।
मोरनी ने अमित को हँसते हुए चिढ़ाते हुए कहा, "अरे बीबी जी देखो ना! मैंने तुमसे एक आदर्श पत्नी के सारे काम
करवा लिए, खाना बनाना, घर साफ करना, कपड़े धोना, सब कुछ! बस एक काम रह गया है जो मैं नहीं कर
सकती।"
"और वो क्या है जानू ?" अमित ने आँखें चुराते हुए पूछा।
मोरनी ने अपनी आँखें मटकाते हुए शरारती अंदाज़ में जवाब दिया, "अरे बीबी जी, वो है बिस्तर का सुख! पति-पत्नी
के बीच का वो अनोखा रिश्ता, वो प्यार, वो अपनापन, वो गहराई, वो सुकून, वो आत्मीयता... वो तो आपको असली
बीबी ही दे सकती है ना! एक पत्नी ही अपने पति को वो अहसास दिला सकती है, वो खुशी दे सकती है, वो प्यार
दे सकती है जो किसी और से मुमकिन नहीं।" मोरनी की बातें सुनकर अमित का चेहरा शर्म से लाल हो गया।
उसने झेंपते हुए कहा, "अरे जानू, तुम भी ना! बस भी करो अब! यहाँ सबके सामने ऐसी बातें मत करो।" उसे
समझ नहीं आ रहा था कि वो मोरनी की बातों पर शर्माए या हंसे। एक तरफ उसे मोरनी की शरारत भरी बातों पर
हंसी आ रही थी, तो दूसरी तरफ शर्म भी आ रही थी। मोरनी की शरारतें कभी खत्म नहीं होती थीं। वो हमेशा उसे
चिढ़ाने का, उसे शरमाने का, उसे हँसाने का कोई न कोई तरीका निकाल ही लेती थी।
"अच्छा बाबा, बस करती हूँ।" मोरनी ने हँसते हुए कहा, अमित के चेहरे की शरमिंदगी देखकर उसे और भी मजा आ
रहा था।
"पर ये बताओ, आज का दिन कैसा लगा मेरी रानी साहिबा को? घर के कामों में मज़ा आया? सच-सच बताना, कोई
तकलीफ तो नहीं हुई मेरी जान को?" मोरनी ने प्यार से पूछा। "बहुत ही कठिन था जानू।" अमित ने एक लंबी साँस
छोड़ते हुए कहा, "आज सच में मुझे समझ आया कि औरत होना कितना मुश्किल होता है। ख़ासकर नयी बहू को जो
सुबह से लेकर शाम तक, एक के बाद एक, इतने सारे काम एक साथ संभालना,खाना बनाना,घर की सफाई
करना,और तो और, साथ में हर किसी की छोटी-बड़ी ज़रूरत का भी ध्यान रखना, वाकई तारीफ के काबिल है तुम
औरतें!और
वो भी भारी भरकम साड़ी और गहनों के साथ सज धज कर, अपने सिर पर घूंघट ओढ़े, उस वजन को सहते हुए एक
अपरिचित घर में कदम रखती है। अनजान लोग, अनजानी रस्में, अनजाना परिवेश, सब कुछ नया और अपरिचित।
फिर भी,वह अपने चेहरे पर मुस्कान सजाए रखती है। वाकई महान हो तुम औरतें। "
मोरनी ने अमित की आँखों में देखते हुए शरारती अंदाज में कहा, "बीबी जी, आज आपने मुझे इतना खुश कर दिया
है कि मैं आपकी कोई एक इच्छा पूरी करने के लिए तैयार हूँ। बस एक छोटी सी शर्त है, लड़कियों के कपड़ों से
आजादी वाली इच्छा मत मांगना। क्योंकि अभी दो दिनों तक तो आपके इस सपने के पूरे होने का कोई चांस नहीं
है।" मोरनी ने आगे कहा, "सोच लो क्या मांगना है, आपके पास मौका है अपनी कोई भी दिली ख्वाहिश पूरी करने
का।"
अमित के मन में यह बात तो साफ़ थी कि मोरनी उसे अभी लड़कियों के कपड़ों से पूरी तरह से आज़ाद नहीं करने
वाली है। वह यह भी जानता था कि अगले दो दिनों तक तो उसे इससे मुक्ति मिलने से रही, क्योंकि उसके माता-पिता
के आने से पहले मोरनी के पास उसे परेशान करने का सुनहरा मौका था और वह इस मौके को हाथ से जाने नहीं
देना चाहती थी। मोरनी को अमित को इस तरह सजाने में एक अलग ही मजा आ रहा था। उसे अमित को इस रूप
में देखकर हँसी भी आती थी और उसे चिढ़ाने का एक अलग ही आनंद मिलता था। अमित समझ गया था कि मोरनी
के इस मज़ाक से बचने का कोई रास्ता नहीं है। उसे यह भी पता था कि मोरनी उसे बहुत ज्यादा परेशान नहीं करेगी,
बस उसे चिढ़ाने भर की कोशिश करेगी। इसलिए उसने एक नया तरीका अपनाया और
मोरनी से कहा, "जानू, देखो, मैं तुम्हारी बात समझता हूँ। तुम जो भी कहोगी, मैं वो पहनने को तैयार हूँ। तुम्हें जो
अच्छा लगेगा, मैं वो पहनूँगा। लेकिन मेरा तुमसे एक छोटा सा निवेदन है। क्या अगले दो दिनों के लिए तुम मुझे इन
भारी-भरकम साड़ियों लहंगे और गहनों से आजाद कर सकती हो ? मेरा मतलब है
कि मैं कुछ हल्के-फुल्के और आरामदायक कपड़े पहन सकूं, देखो मैं तुम्हें खुश करने के लिए सबकुछ करने को
तैयार हूँ, लेकिन इन भारी कपड़ों में मुझे थोड़ी तकलीफ होती है।" अमित ने मोरनी की आँखों में देखते हुए बड़े प्यार
से कहा।
मोरनी अमित की बात सुनकर मुस्कुराई।
"अच्छा बाबा, मान गई तुम्हारी बात।" मोरनी ने हँसते हुए कहा, "तुम्हें आजादी मिली। ठीक है, मैं तुम्हें इन
भारी-भरकम कपड़ों से दो दिनों के लिए आज़ाद करती हूँ। पर हाँ, ये मत सोचना कि मैं अपना इरादा बदल
दूंगी,उसके बाद तो तुम्हें मेरी रानी साहिबा बनना ही पड़ेगा।" अमित जानता था कि मोरनी मज़ाक नहीं कर रही है,
लेकिन उसे इस बात की भी पूरी उम्मीद थी कि अगले दो दिन उसे मोरनी की शरारतों से थोड़ी भी राहत नहीं मिलने
वाली।
"ये हुई ना बात! मेरी जानू सबसे अच्छी है!" अमित ने खुशी से कहा। उसे राहत मिली थी कि कम से कम दो दिन
उसे इन भारी-भरकम कपड़ों से निजात मिल जाएगी। और उसके बाद वो अपने असली रूप में आ जायेगा।
"लेकिन कुछ चीजों से अभी आजादी नहीं मिलेगी जैसे सिंदूर,मंगलसूत्र, बिछिया, बजने वाली पायल और ढेर सारी
चूड़ियाँ क्योंकि इसके बिना तो सुहागन का सिंगार अधूरा है।"
अमित ने कहा कि "ये गलत है, चूड़ियाँ और पायलें ही तो उसे सबसे ज्यादा परेशान करती हैं। उन्हें पहनकर वो
आराम से अपने काम नहीं कर पाता है।" लेकिन वो अपनी बात पर अटल रही और बोली," इनमें कोई भी रियायत
नहीं होगी क्योंकि जब तक हाथों में सजी चूडियों की मधुर खन खन और पैरों में पहनी गई पायल की मनमोहक छम
छम की आवाज़ उसके कानों तक नहीं पहुँचेगी, उसे असली मजा कैसे आएगा। "
"लेकिन हाँ," मोरनी ने शरारती अंदाज़ में कहा, "ये मत सोचना कि मैं तुम्हें ऐसे ही छोड़ दूंगी। इन दो दिनों में भी
तुम्हें मेरी दूसरी इच्छाएं पूरी करनी पड़ेंगी।"
"जैसे?" अमित ने सावधानी से पूछा, उसे अंदाज़ा हो गया था कि मोरनी के पास हमेशा कुछ न कुछ शरारत करने के
लिए होता है।
"अरे, वो मैं समय आने पर बताऊंगी।" मोरनी ने आँख मारते हुए कहा, "अभी तो तुम बस ये जान लो कि तुम्हारी
परीक्षा अभी खत्म नहीं हुई है।"
अमित ने मन ही मन सोचा, "काश! मैं मोरनी की इन शरारतों से बच पाता। लेकिन मुझे पता है कि ऐसा हो नहीं
सकता।"
"अच्छा ठीक है जानू, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।" अमित ने हार मानते हुए कहा।
"बस ऐसे ही प्यार से रहो मेरी रानी।" मोरनी ने अमित की नाक खींचते हुए कहा।
अमित को समझ आ गया था कि उसे अगले दो दिन भी मोरनी की शरारतों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उसे
इस बात की भी खुशी थी कि उसे उन भारी-भरकम कपड़ों और गहनों से थोड़ी राहत मिल जाएगी। फिर अमित
और मोरनी दोनों सोने चले गए। अमित सोच रहा था कि कल उसे कौन से ल़डकियों वाले कपड़े पहनने होंगे जो कि
भारी ना हों कहीं वो उसे शॉर्ट स्कर्ट और टॉप ना पहना दे और यही सोंचते सोंचते वो सो गया।
मिनी स्कर्ट से जद्दोजहद - अमित की नयी उलझनें..
शा मन में अमित को और तंग करने के नये-नये तरीके सोच रही थी। सुबह हुई तो मोरनी ने अमित को जगाया और
कहा, "उठो मेरी रानी साहिबा, देर हो गयी है।"
अमित की आँखें खुलते ही उसे रात वाली बात याद आ गयी। उसे बेसब्री थी यह जानने की कि आज मोरनी ने उसके
लिए कौन से कपड़े चुने हैं।
"जानू, आज मुझे क्या पहनना होगा?" अमित ने उठते हुए पूछा।
मोरनी ने हँसते हुए कहा, "अरे बिल्कुल भी घबराओ मत, आज तुम्हें मेरी छोटी बहन का रोल प्ले करना है। सोचो,
कितना मज़ेदार होगा! आज के लिए तुम अमिता हो, मेरी प्यारी छोटी बहन, और मैं तुम्हारी बड़ी दीदी। इसलिए
आज से तुम मुझे दीदी या जीजी कहकर बुलाओगे और मैं तुम्हें प्यार से अमिता कहकर पुकारूँगी। ये एक मजेदार
खेल है, है ना?और इस खास रोल के लिए, मैंने तुम्हारे लिए कुछ खास और आरामदायक कपड़े चुने हैं। क्योंकि मेरी
छोटी बहन हमेशा कम्फर्टेबल रहती है। इसलिए पहले जाकर आराम से नहा लो और फिर ये ब्रा और पैन्टी पहन
लेना। ये तुम्हारे लिए बिल्कुल परफेक्ट साइज़ की हैं और बहुत ही सॉफ्ट मटेरियल की बनी हैं, जिससे तुम्हें बिल्कुल
भी परेशानी नहीं होगी। और हाँ, नहाने के पहले ये हेयर रिमूवल क्रीम अपने हाथों और पैरों पर लगा लेना। इससे
तुम्हारे हाथ-पैर बिल्कुल मुलायम और चिकने हो जाएँगे। क्रीम लगाने के बाद अच्छी तरह से धो लेना और फिर ये
लोशन लगा लेना। इससे तुम्हारी त्वचा और भी मुलायम और खूबसूरत हो जाएगी, बिल्कुल मेरी प्यारी छोटी बहन
अमिता जैसी! तो जल्दी से जाओ और तैयार हो जाओ, मेरी प्यारी अमिता!"
अमित के मन में अजीब सी घबराहट थी। मोरनी उसे फिर से क्रीम लगाने को क्यों कह रही है
"लेकिन मोरनी, ये क्या है? मुझे ये सब दुबारा करने की ज़रूरत क्यों है?" अमित ने झिझकते हुए पूछा।
मोरनी ने अमित को प्यार से देखा और बोली, "अरे,घबराओ मत। यह क्रीम तुम्हारी त्वचा को मुलायम और
चमकदार बनाएगी। और हाँ, आज से तुम मुझे दीदी कहकर बुलाओगे।"
मोरनी की बात मानकर अमित बाथरूम में चला गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। एक अजीब सी
झिझक उसके मन में थी।फिर हिम्मत करके उसने क्रीम अपने हाथों और पैरों पर लगाई। थोड़ी देर बाद जब उसने
क्रीम साफ़ की तो उसकी त्वचा पहले से ज़्यादा मुलायम हो गयी थी। अमित ने नहाया और ब्रा पैन्टी पहन ली। उसे
अजीब तो लग रहा था, पर साथ ही एक अलग तरह की उत्तेजना भी महसूस हो रही थी।
उधर मोरनी ने अपनी अलमारी के एक कोने से, जहाँ उसने अपने कुछ ख़ास कपड़े रखे थे, एक गुलाबी रंग की
फ्रिली मिनी स्कर्ट निकाली। स्कर्ट पर छोटे-छोटे घुँघरू लगे हुए थे और उसकी फ्रिल्स बेहद नाज़ुक और सुंदर लग
रही थीं। इसके साथ उसने एक बैंगनी रंग का टॉप भी निकाला। यह दोनों कपड़े उसने बड़े प्यार से तह करके
बिस्तर पर अमित के लिए रख दिए। अमित जब कमरे में आया और उसने उन कपड़ों पर नज़र डाली तो उसकी
आँखें फ़टी की फ़टी रह गयीं। उसका मुँह खुला का खुला रह गया और वो कुछ देर तक तो बस उन्हें देखता ही
रहा। "ये क्या है मोरनी? मैं ये नहीं पहनूँगा!" अमित ने नाक-भौं सिकोड़ते हुए, घबराहट भरे स्वर में कहा। मोरनी ने
उसे प्यार से डांटा, "ऐसी बातें नहीं करते अमिता। दीदी ने तुम्हारे लिए बड़े प्यार से ये कपड़े चुने हैं। ख़ास तुम्हारे
लिए। और तुम्हें भी हल्के कपड़े चाहिए थे ना ,तो इससे हल्के और क्या होंगे। देखो कितने सुंदर और आरामदायक
हैं ये।" मोरनी ने समझाते हुए कहा। "लेकिन ये तो बहुत छोटा है! मैं ये नहीं पहनूँगा। मुझे शर्म आएगी।" अमित ने
ज़िद करते हुए विरोध किया। उसे ये सोचकर ही अजीब लग रहा था कि वो ये कपड़े पहनेगा। "अरे अमिता, दीदी
की बात मानो। ये बहुत सुंदर है। तुम पर बहुत जंचेगा। सोचो, गुलाबी और बैंगनी का कॉम्बिनेशन! कितना प्यारा
है!" मोरनी ने उसे चिढ़ाते हुए और हँसते हुए कहा। "पर..." अमित कुछ कहने ही वाला था, शायद वो फिर से मना
करने वाला था, कि मोरनी ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा, "कोई पर-वर नहीं, जाओ जल्दी से बदल कर आओ।
अमित मन मसोस कर बाथरूम में चला गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी के साथ कैसे पंगा लिया जाए।
कुछ देर बाद अमित एक गुलाबी रंग की फ्रिल वाली मिनी स्कर्ट और बैंगनी रंग के टाइट टॉप में कमरे से बाहर
आया। स्कर्ट इतनी छोटी थी कि उसके घुटनों से काफी ऊपर थी, अगर वो जरा भी बैठता तो उसकी पैन्टी साफ
दिखाई दे जाती। टॉप भी इतना चुस्त था कि उसके शरीर की हर एक बनावट, हर एक कर्व साफ नजर आ रहा था,
मानो उसके शरीर को गले लगा रहा हो। स्कर्ट में लगे घुँघरू उसकी हर हलचल के साथ छन-छन की आवाज़ कर
रहे थे, जैसे कोई मधुर संगीत बज रहा हो। अमित को इस हसीन रूप में देखकर मोरनी अपनी हंसी नहीं रोक पाई
और ठहाके लगाकर हंसने लगी। उसके हँसी के फव्वारे कमरे में गूंजने लगे। "वाह मेरी प्यारी अमिता! तुम तो
बिलकुल परी जैसी लग रही हो, इतनी सुंदर! और ये घुँघरू," मोरनी ने अमित को घुमाते हुए और उसके स्कर्ट के
घुँघरूओं को छूते हुए कहा, "ये मैंने तुम्हारे लिए खास तौर पर रात भर जागकर लगाए हैं, ताकि तुम्हारी चाल में और
भी नज़ाकत आये और तुम और भी खूबसूरत लगो साथ में तुम्हारी चाल की एक आवाज भी तो है। " मोरनी की
आँखों में शरारत भरी चमक थी और उसके चेहरे पर एक खुशी की लहर दौड़ रही थी, जैसे उसने कोई बड़ा
कारनामा कर दिखाया हो। अमित शर्माते हुए मोरनी की ओर देख रहा था, उसके गाल लाल हो गए थे और वो कुछ
बोलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन शर्म के मारे उसकी आवाज़ नहीं निकल रही थी। वो बस नज़रें झुकाए खड़ा
था और अपने नए रूप को निहार रहा था। उसके हाथ बेचैनी से स्कर्ट को समेटने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन
छोटी स्कर्ट की वजह से ये मुमकिन नहीं हो पा रहा था। घुँघरूओं की आवाज़ उसके दिल की धड़कनों की तरह तेज
होती जा रही थी।
अमित गुस्से से मोरनी को घूर रहा था। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था। उसे इस तरह के कपड़े
पहनना बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था।
"अच्छा जी, मुझे डर लग रहा है।" मोरनी ने अमित का गुस्से वाला चेहरा देखकर नाटक करते हुए कहा।
फिर मोरनी ने बड़े प्यार से अमित के बालों की विग को संभाला और उसमें बीच की मांग निकाली। मांग निकालने
के बाद, उसने अमित के बालों को अच्छी तरह से सुलझाया ताकि कोई गांठ न रहे और बाल रेशमी मुलायम दिखें।
फिर उसने एक सुंदर सी चोटी बनाई, जिसके हर लट में उसकी उंगलियां कलाकारी करती प्रतीत हो रही थीं। चोटी
को और भी आकर्षक बनाने के लिए मोरनी ने एक रंगीन रबर बैंड से उसे बांध दिया और कुछ छोटे-छोटे सजावटी
छोटे रिबन भी लगा दिए। इस सजावट के बाद अमित और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगीं। उसका चेहरा दमक
उठा और आँखों में एक अलग सी चमक आ गई। मोरनी को अमित को इस तरह सजाने में एक अजीब सा मजा आ
रहा था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी गुड़िया से खेल रही हो और उसे अपने मन मुताबिक सजा रही हो। हर
एक स्पर्श, हर एक सजावट के साथ मोरनी का उत्साह बढ़ता जा रहा था। इसके बाद मोरनी ने अमित का हल्का सा
मेकअप करने का फैसला किया। उसने सबसे पहले अमित के चेहरे पर एक अच्छा सा फाउंडेशन लगाया, जिससे
उसका रंग एक समान हो गया और चेहरे के दाग-धब्बे छुप गए। फाउंडेशन के बाद, उसने कॉम्पैक्ट पाउडर लगाया
ताकि मेकअप लंबे समय तक टिका रहे और चेहरे पर एक चमक आ जाए। इसके बाद मोरनी ने अमित की आँखों
में काजल लगाया, जिससे उसकी आँखें बड़ी और खूबसूरत लगने लगीं। फिर उसने पलकों पर हल्के गुलाबी रंग का
आईशैडो लगाया, जो उसकी आँखों की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था। आईशैडो के बाद, उसने मस्कारा
लगाया जिससे उसकी पलकें घनी और लंबी दिखने लगीं। आखिर में, मोरनी ने अमित के गालों पर गुलाबी रंग का
ब्लश लगाया, जिससे उसके गालों पर एक प्राकृतिक लालिमा आ गई। और अंत में, उसने अमित के होंठों पर गहरी
गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगा दी, जिससे उसके होंठ मुलायम और आकर्षक लगने लगे। पूरा मेकअप करने के
बाद, अमित एकदम परी जैसी लग रही थी।
लिपस्टिक लगाने के बाद मोरनी ने अमित को गहने पहनाने शुरू कर दिए। उसने सबसे पहले अमित के गले में एक
सुंदर सा मंगलसूत्र पहनाया, जिसमे छोटे-छोटे काले मोती पिरोये हुए थे। फिर उसने अमित की नाक में एक छोटी
नथ पहनाई जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी। इसके बाद मोरनी ने अमित के कानों में झुमके पहनाए,
जो उसके चेहरे पर और भी ज्यादा निखार ला रहे थे।
फिर मोरनी ने मानो किसी कलाकृति को सजा रही हो, अमित के पैरों में बिछिया पहनाई। इसके बाद मोरनी ने
अमित के पैरों में पायल पहनाई, जिनमें घुँघरूओं की भरमार थी। हर घुँघरू जैसे खुशी का एक छोटा सा झंकार
बजा रहा हो। अंत में, मोरनी ने अमित के हाथों में एक-एक करके ढेर सारी चूड़ियाँ पहनाई। हर चूड़ी को पहनाते
समय मोरनी का स्पर्श अत्यंत कोमल था। वो इस बात का पूरा ध्यान रख रही थी कि चूड़ियाँ बहुत ज़्यादा टाइट न हों
और अमित को असहज महसूस न हो।
मोरनी अमित को देखकर फूली नहीं समा रही थी। उसे अपनी इस जीत पर बहुत गर्व हो रहा था। उसने सोचा,
"वाह! अमित सचमुच एक सुंदर लड़की लग रही है।"
मोरनी ने अमित के लिए एक जोड़ी सैंडल भी निकालीं जो गुलाबी रंग की थीं और उन पर छोटे-छोटे मोती जड़े हुए
थे। लेकिन आज सैंडल मे हील्स की ऊँचाई ज्यादा थी चूंकि अब तक अमित नॉर्मल हील्स ही पहन रहा था तो वो
घबरा रहा था कि कहीं वो गिर न जाये। "डरो मत अमिता,ये तुम्हारी पहली चुनौती है पर मैं तुम्हें संभाल लूंगी।"
मोरनी ने अमित की घबराहट भांपते हुए कहा।
अमित ने हिचकिचाते हुए सैंडल पहनी। हील्स की वजह से उसका कद थोड़ा और बढ़ गया था और उसकी चाल
लड़खड़ा रही थी।

मोरनी अमित का हाथ थामे हुए उसे आईने के सामने ले गई। आईने में अपनी परछाईं देखकर अमित एक पल के
लिए ठिठक गया, मानो उसे अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था। वह खुद को पहचान ही नहीं पा रहा था।
गुलाबी रंग की छोटी, चमकदार स्कर्ट में उसके पैर किसी परी के पैरों जैसे लग रहे थे, नाज़ुक और सुंदर। स्कर्ट की
लंबाई उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर थी, जिससे उसके पैर और भी आकर्षक लग रहे थे। बैंगनी रंग का फिट टॉप
उसके शरीर पर कसकर चिपका हुआ था,जो उसकी जवानी के उभारों को और भी ज़्यादा निखार रहा था। टॉप के
गले का डिज़ाइन भी काफ़ी आकर्षक था, जो उसकी गर्दन की सुंदरता को बढ़ा रहा था।चेहरे पर किया गया
मेकअप उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था। आँखों में लगा काजल उसकी आँखों को बड़ा और गहरा बना
रहा था, और होंठों पर लगी गुलाबी लिपस्टिक उसके चेहरे पर एक अलग ही नूर ला रही थी कानों में लटके झुमके,
गले में पड़ा लंबा मंगलसूत्र और हाथों में पहनी चूड़ियाँ उसकी सुंदरता में और भी इज़ाफ़ा कर रही थीं। स्कर्ट के
निचले हिस्से में लगे घुँघरू उसकी हरकत के साथ हल्के-हल्के बज रहे थे, जो एक मधुर संगीत पैदा कर रहे थे।
अमित को ऐसा लग रहा था जैसे वह सपना देख रहा हो। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इतना खूबसूरत लग
सकता है। मोरनी मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी, उसकी आँखों में अमित के लिए एक अलग ही चमक थी।
"कैसी लगी मेरी अमिता?" मोरनी ने अमित के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा।
अमित कुछ नहीं बोला, बस शर्म से अपनी नज़रें झुका ली।
"अरे बोलो तो सही अमिता, दीदी ने तुम्हें कैसे सजाया है?" मोरनी ने अमित की ठुड्डी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर
किया।
"दीदी..." अमित ने धीमी आवाज़ में कहा। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मासूमियत थी।
"आज तो तुम मेरी प्यारी छोटी बहन अमिता हो।" मोरनी ने अमित को गले लगाते हुए कहा। चलो अब किचन में
चलते हैं दोनों बहने मिलकर चाय नाश्ता बनाएंगे। अमित तीन दिनों मे रसोई के काम तो सीख गया था। जैसे ही वो
रसोई की तरफ बड़ा वैसे ही चलते समय अमित की पायल और हील्स की आवाज मधुर जुगलबंदी कर रहीं थीं और
चूडियों की आवाज उस पर चार चांद लगा रहीं थीं।
रसोई में पहुँचकर मोरनी ने अमित को चाय बनाने को कहा और खुद नाश्ता बनाने लगी। अमित चाय बनाते समय
बार-बार अपनी स्कर्ट को नीचे खींच रहा था। उसे डर लग रहा था कि कहीं उसकी पैन्टी न दिख जाए।
"अरे अमिता, तुम चाय बनाते समय अपनी स्कर्ट क्यों खींच रही हो? दीदी ने तुम्हें इतनी छोटी स्कर्ट पहनाई है तो
घबराओ मत, दिखा दो सबको।" मोरनी ने अमित को चिढ़ाते हुए कहा।
अमित ने गुस्से से मोरनी को देखा और बोला, "दीदी, प्लीज! मुझे बहुत शर्म आ रही है।"
"अच्छा बाबा, शर्म मत करो।" मोरनी ने हंसते हुए कहा। "चलो, जल्दी से चाय और नाश्ता तैयार करो। हमें आज
बहुत काम है।"
नाश्ते के बाद मोरनी ने अमित को घर के कामों में व्यस्त कर दिया। उसने अमित को निर्देश दिया कि पहले पूरे घर
में झाड़ू लगाए और फिर अच्छी तरह से पोंछा भी लगाए। अमित मन ही मन सोच रहा था, "अरे यार, मोरनी ने मुझे
इतनी छोटी स्कर्ट पहना दी है। इस छोटी सी स्कर्ट में झाड़ू-पोंछा लगाना तो बहुत ही मुश्किल होगा। कैसे करूँगा
यह सब?" वह बार-बार स्कर्ट को नीचे की ओर खींचते हुए झाड़ू लगाने की कोशिश कर रहा था। उसकी यह
अटपटी हरकत देखकर मोरनी खिलखिलाकर हंस रही थी।
"अरे अमिता, अगर तुम ऐसे ही झाड़ू लगाओगी तो सारा दिन निकल जाएगा और काम पूरा नहीं होगा।" मोरनी ने
अमित को हल्के-फुल्के अंदाज में चिढ़ाते हुए कहा। "स्कर्ट को ऐसे बार-बार नीचे मत खींचो, उसे यूँ ही रहने दो और
आराम से झाड़ू लगाओ। जल्दी काम खत्म करो।"
"मोरनी, प्लीज यार! मुझे बहुत शर्म आ रही है। " अमित ने लजाते हुए गिड़गिड़ाते हुए कहा। उसका चेहरा शर्म से
लाल हो गया था और वह असहज महसूस कर रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि कैसे इस छोटी स्कर्ट में घर
के काम करे।
"अरे, बस करो अब बकबक! ज्यादा नाटक मत करो और मेरी बात मानो।" मोरनी ने थोड़ी सख्ती से कहा। "और
हाँ, एक बात ध्यान रखना, मुझे दीदी कहकर बुलाओगे, समझ गए? वरना..." मोरनी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी,
लेकिन उसके चेहरे के भाव से साफ था कि अगर अमित ने उसकी बात नहीं मानी तो उसे सजा मिलेगी। अमित डर
के मारे काँप गया और मन ही मन सोचने लगा कि अब क्या होगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।
एक तरफ छोटी स्कर्ट में काम करने की झिझक और दूसरी तरफ मोरनी की सख्ती। वह फंस गया था। उसे लगा
कि आज उसका दिन अच्छा नहीं जा रहा है। वह चुपचाप झाड़ू लगाने लगा, लेकिन उसका मन कहीं और था। वह
बार-बार मोरनी की तरफ देख रहा था, डर और शर्म से उसका चेहरा पसीने से तर हो गया था। उसे उम्मीद थी कि
जल्दी ही यह सब खत्म हो जाएगा।
अमित समझ गया कि अगर उसने मोरनी की बात नहीं मानी तो उसका क्या हाल होगा। उसने मजबूरन अपनी स्कर्ट
से ध्यान हटाकर झाड़ू लगाने लगा। उसे ऐसा लग रहा था जैसे सारा घर उसे ही घूर रहा हो।
झाड़ू लगाने के बाद अब बारी थी पोंछा लगाने की, जो अमित के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं थी। हील्स
पहने हुए, झुककर पोंछा लगाना एक टेढ़ी खीर साबित हो रहा था। अगर वो घुटनों के बल बैठकर पोंछा लगाता, तो
ठंडे फर्श की चुभन तो सहनी ही पड़ती, साथ ही छोटी स्कर्ट की वजह से पैन्टी दिख जाने का डर भी उसे सता रहा
था। ये दुविधा उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। एक तरफ फर्श की सफाई का काम था, तो दूसरी तरफ अपनी
मर्यादा बनाए रखने की चुनौती। हर पल उसे एहसास हो रहा था कि मोरनी की नजरें उस पर गड़ी हैं, और ये
एहसास उसे और भी बेचैन कर रहा था।
मोरनी अमित की इस कशमकश को भली-भांति समझ रही थी, बावजूद इसके वो जानबूझकर उसे तंग कर रही
थी। शायद उसे अमित को इस असहज स्थिति में देखकर एक अजीब सा मजा आ रहा था। अमित की बेबसी और
लाचारी देखकर उसकी शरारत और भी बढ़ती जा रही थी। अमित ने हिम्मत जुटाकर आखिरकार पोंछा लगाना
शुरू किया। वो बेहद एहतियात से, धीरे-धीरे पोंछे को आगे बढ़ा रहा था। हर एक कदम फूंक-फूंक कर रख रहा
था, इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए कि कहीं उसकी स्कर्ट ऊपर न उठ जाए और उसकी नाजुक स्थिति का कारण
न बन जाए। उसकी नजरें लगातार नीचे जमीं पर टिकी थीं, मानो वो फर्श के हर दाग़ को अपनी शर्मिंदगी का सबब
मान रहा हो।
"अरे वाह मेरी अमिता, कितनी समझदार है तू!" मोरनी ने अमित को और तंग करते हुए कहा। उसकी आवाज में
एक बनावटी मिठास थी, जो अमित के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी थी। "ऐसे ही अगर तुम मेरी बात मानोगी तो
तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी।" मोरनी के इस कथन में एक धमकी भी छिपी हुई थी, जो अमित के दिल को और भी
डरा रही थी। ये शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे, उसे अपनी लाचारी का एहसास दिला रहे थे।
अमित मन ही मन कुढ़ रहा था, पर वो कुछ कर नहीं सकता था। उसे मोरनी की हर बात माननी पड़ रही थी।
"दीदी, क्या मैं अब अपनी ड्रेस बदल सकता हूँ? मुझे बहुत असहज लग रहा है।" अमित ने मोरनी से गुहार लगाई।
"अभी कहाँ जल्दी है अमिता, अभी तो पूरा दिन बाकी है।" मोरनी ने मुस्कुराते हुए कहा। "अभी तो तुमने मेरा दिया
हुआ सिर्फ़ एक ही काम पूरा किया है।"
"एक काम?" अमित ने हैरानी से पूछा। "मैंने तो सारा घर साफ़ कर दिया है, अब और क्या काम बचा है?"
"अरे पगली, ये तो बस शुरुआत है।" मोरनी ने अमित की पीठ थपथपाते हुए कहा, उसकी आवाज़ में एक शरारती
लहजा था। "अभी तो तुम्हें कपड़े धोने हैं, वो भी इसी स्कर्ट में, रेशमी, चमकदार, बिल्कुल नई स्कर्ट में। और हाँ,
एक और ज़रूरी बात, कपड़े हाथ से ही धोने हैं। मशीन का इस्तेमाल करने की बिलकुल इज़ाज़त नहीं है। सोच भी
मत लेना मशीन के पास भी जाने की।" मोरनी ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहा, उसकी आँखों में शरारत साफ़
दिखाई दे रही थी।
"हाथ से?" अमित ने घबराते हुए कहा, उसकी आवाज़ में एक कंपकंपी थी। उसने बाल्टी की तरफ देखा, जो गंदे
कपड़ों से लबालब भरी हुई थी। "लेकिन दीदी, इतने सारे कपड़े! और वो भी हाथ से? ये तो बहुत मुश्किल है! देखो,
कितने सारे कपड़े हैं, एक, दो, तीन... नहीं, गिन भी नहीं सकती! इतने सारे कपड़े हाथ से धोना तो नामुमकिन सा
लग रहा है।" अमित ने बाल्टी की ओर इशारा करते हुए कहा, उसका चेहरा चिंता से भर गया था।
"हाँ , हाथ से ही।" मोरनी ने अपनी आँखें मींचते हुए कहा, मानो किसी गहरी सोच में डूबी हो। "और हाँ, एक और
बात, एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात जो तुम्हें ज़रूर याद रखनी है।" मोरनी ने अपनी आँखें खोलते हुए अमित की ओर
देखा, उसकी नज़र में एक शरारती चमक थी।
"अब क्या हुआ दीदी?" अमित ने निराशा से पूछा, उसका चेहरा और भी ज़्यादा मुरझा गया था। उसे लग रहा था
जैसे मोरनी जानबूझकर उसे परेशान कर रही है।
"कपड़े धोते समय ये स्कर्ट गीली नहीं होनी चाहिए। अगर एक भी बूँद पानी इस पर गिरा, तो समझ लेना सजा पक्की
है।" मोरनी ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा क्योंकि उसे पता था कि अमित कुछ भी कर ले मगर थोड़ा बहुत पानी
तो स्कर्ट पर जाएगा ही। वो मन ही मन अमित की मुश्किल का मज़ा ले रही थी। "समझी मेरी प्यारी बहना? ये एक
चुनौती है तुम्हारे लिए।" मोरनी ने अमित के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
"पर दीदी, ये कैसे मुमकिन है? कपड़े धोते वक़्त पानी के छींटे तो उड़ेंगे ही, हो सकता है स्कर्ट गीली हो जाए। मैं
पूरी कोशिश करूँगी कि स्कर्ट गीली न हो, लेकिन अगर गलती से हो भी गई तो...?" अमित ने अपनी परेशानी
बताई, उसकी आवाज़ में अब एक विनती का भाव था। वो समझ नहीं पा रही थी कि मोरनी की इस अजीब शर्त को
वो कैसे पूरा करेगी।
"अरे तो थोड़ा ध्यान से धोना ना।" मोरनी ने लापरवाही से जवाब दिया, मानो ये कोई बड़ी बात ही न हो। "और हाँ,
अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी, अगर तुम्हारी स्कर्ट ज़रा भी गीली हुई, तो..." मोरनी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी
और अमित को एक खौफनाक निगाहों से देखा, उसकी आँखों में एक चेतावनी साफ़ दिखाई दे रही थी। अमित
समझ गया कि अगर उसने मोरनी की बात नहीं मानी तो उसका क्या हाल होगा। उसने मन ही मन सोचा कि उसे
बहुत सावधानी से कपड़े धोने होंगे, वरना मोरनी उसे कोई न कोई कठिन सज़ा ज़रूर देगी। वो मोरनी की नज़रों से
डरती थी, क्योंकि वो जानती थी कि मोरनी अपनी बात से कभी नहीं पलटती।
"ठीक है दीदी, जैसा आप कहें।" अमित ने मायूसी से कहा।
मोरनी अमित को इस तरह देखकर मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। उसे अमित को इस तरह परेशान करना बहुत
पसंद आ रहा था।
"अच्छा तो जाओ अब जल्दी से कपड़े धो डालो।" मोरनी ने अमित को हुक्म दिया। "और हाँ, ध्यान रखना, स्कर्ट गीली नहीं होनी चाहिए।"
अमित मन मसोस कर बाथरूम की तरफ चल दिया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो मोरनी के इस अत्याचार से
कब छुटकारा पायेगा।
अमित बाथरूम में घुसा तो एक और नई मुसीबत उसके सामने खड़ी थी। बाथरूम में कपड़े धोने के लिए एक छोटा
सा स्टूल रखा था। अमित ने सोचा, "अगर मैं इस स्टूल पर बैठकर कपड़े धोऊँगा तो मेरी स्कर्ट तो पक्का गीली हो
जाएगी।"
अमित ने हिम्मत करके मोरनी को आवाज़ दी, "दीदी, ये स्टूल तो बहुत नीचा है। मैं इस पर बैठकर कपड़े कैसे
धोऊँगा?"
"तो मत धो।" मोरनी ने बेरुखी से जवाब दिया। "कौन कह रहा है तुमसे धोने को? अगर नहीं धोना तो मत धो।"
अमित समझ गया कि मोरनी जानबूझ कर उसे परेशान कर रही है। उसने सोचा, "अगर मैंने मोरनी की बात नहीं
मानी तो वो मुझे और कोई सजा देगी।"

अमित ने हिम्मत जुटाकर, थोड़ी झिझक के साथ, स्टूल पर बैठ गया और कपड़े धोने लगा। उसके हाथ काँप रहे थे,
जैसे कोई नया काम सीख रहा हो, और मन में एक अजीब सी घबराहट थी, मानो कोई अनहोनी होने वाली हो। वो
बहुत ही सावधानी से, एक-एक करके कपड़े धो रहा था, इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए कि उसकी छोटी सी स्कर्ट
गीली न हो। वह स्कर्ट, जो उसके घुटनों से भी ऊपर तक ही आती थी, उसे और भी असहज बना रही थी। वो
बार-बार अपनी स्कर्ट को नीचे की ओर खींच रहा था, अपनी उँगलियों से उसे पकड़कर, ताकि पानी के छींटे उस
पर न पड़ें। लेकिन स्कर्ट इतनी छोटी थी कि चाहे जितनी सावधानी बरती जाए, पानी के छींटे उस पर तो पड़ ही रहे
थे, साथ ही उसकी पैन्टी पर भी। पानी की ठंडक से उसकी जांघों पर सिहरन दौड़ रही थी, एक अजीब सा एहसास
उसे बेचैन कर रहा था। अमित की धड़कनें तेज़ हो रही थीं, जैसे कोई ढोल उसके सीने में बज रहा हो। उसे डर था
कि कहीं मोरनी उसे इस हालत में देख न ले। वो जल्दी-जल्दी कपड़े धोने लगा, अपने हाथों को तेज़ी से चलाते हुए,
ताकि जल्द से जल्द इस असहज स्थिति से बाहर निकल सके। उसके हाथों की गति बढ़ गई थी और वो बेसब्री से
कपड़ों को निचोड़ रहा था, जैसे उनमें से सारा पानी एक ही बार में निकाल देना चाहता हो। अमित जैसे-तैसे सारे
कपड़े धोकर,अपनी गीली स्कर्ट और पैन्टी को समेटते हुए, बाथरूम से बाहर आया। उसकी स्कर्ट और पैन्टी पूरी
तरह से गीली हो चुकी थीं और उसके शरीर से चिपकी हुई थीं, मानो उसकी दूसरी त्वचा बन गई हों। उसे ठंड लग
रही थी, उसके शरीर में कंपकंपी दौड़ रही थी, और साथ ही डर भी, जो उसके दिल में एक साँप की तरह कुंडली
मारकर बैठा था। उसे डर लग रहा था कि मोरनी उसे देखेगी तो क्या होगा। वो सोच रहा था कि उसे मोरनी से क्या
बहाना बनाना चाहिए। क्या वो कहेगा कि वो गलती से पानी में गिर गया था?
"क्या हुआ अमिता, इतनी देर क्यों लगा दी?" मोरनी ने अमित को देखते हुए पूछा। "और ये क्या, तुम्हारी स्कर्ट तो
गीली है साथ में पैन्टी भी गीली कर ली ?"
"दीदी, वो... मैं..." अमित हकलाने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे।
"क्या हुआ? जुबान लड़खड़ा रही है तुम्हारी? इतनी देर बाथरूम में क्या कर रहे थे? और हाँ, मेरा सवाल का जवाब
तो दो, स्कर्ट और पैन्टी गीली क्यों है?" मोरनी ने अमित को घूरते हुए कहा।
"दीदी, मैं ... मैं कपड़े धो रहा था।" अमित ने डरते-डरते जवाब दिया। "स्टूल बहुत नीचा था, तो गलती से स्कर्ट पर
पानी गिर गया।"
"गलती से?" मोरनी ने ऊँची आवाज़ में कहा। "तुम्हें पता है ना अमिता, इस की सज़ा क्या होती है?"
अमित कांपने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
"चलो मेरे पीछे!" मोरनी ने हुक्म दिया और अमित को खींचते हुए अपने कमरे में ले गई।
कमरे में पहुँचते ही मोरनी ने दरवाज़ा बंद कर दिया और अमित की तरफ पलटी। अमित डर के मारे पीछे हटने
लगा।
"कहाँ जाओगे अमिता?" मोरनी ने अमित का हाथ पकड़ते हुए कहा। "अभी तो तुम्हें अपनी गलती की सज़ा मिलनी
बाकी है।"
"दीदी, मुझे माफ़ कर दो।" अमित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। "मैंसे दोबारा ऐसी गलती नहीं होगी।"
"अब बहुत हो चुकी माफ़ी।" मोरनी ने गुस्से से कहा। "आज तुम्हें ये याद दिलाना ही पड़ेगा कि तुम मेरी नज़र में एक
लड़की ही हो।"
मोरनी ने गुस्से में अमित को बेड पर धकेल दिया। अमित डर के मारे चीख पड़ा, "दीदी, प्लीज! मुझे माफ़ कर दो।"
लेकिन मोरनी अमित की बातों पर ध्यान नहीं दे रही थी। उसने गुस्से में अमित की गीली स्कर्ट ऊपर खींच दी और
उसकी गीली पैन्टी भी उतार दी।
अमित की साँसें थम सी गई थीं। उसकी नंगी टांगें अब पूरी तरह से मोरनी के सामने थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था
कि वो क्या करे।
"दीदी...प्लीज...ये मत करो। मुझे बहुत शर्म आ रही है।" अमित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।"
अब शर्म आ रही है? जब स्कर्ट गीली कर रहे थे तब कहाँ गई थी शर्म?" मोरनी ने ताना मारते हुए कहा।
"दीदी...मैं...मैं..." अमित कुछ बोल नहीं पा रहा था।" फिर मोरनी ने अमित की तरफ एक दूसरी मिनी स्कर्ट फेंकी
जो कि पीले रंग की थी और कहा कि तुम्हारी सजा ये है कि आज पूरा दिन बिना पैन्टी के ही स्कर्ट पहनो तब तुम्हें
शर्म आएगी। इस स्कर्ट मे भी मोरनी ने घुँघरू लगाए थे।
"नहीं दीदी...प्लीज...ये मत करो।" अमित गिड़गिड़ाते हुए बोला, उसकी आवाज़ में दहशत साफ़ झलक रही थी। "मैं
बिना पैन्टी के नहीं रह सकता। प्लीज दीदी, मुझे माफ़ कर दो।"
लेकिन मोरनी पर अमित की किसी बात का कोई असर नहीं हो रहा था। उसने एक शरारती मुस्कान के साथ कहा,
"अब तो तुम्हें मेरी हर बात माननी पड़ेगी अमिता समझ गए?"
"चलो अब जल्दी से ये स्कर्ट पहनो।" मोरनी ने हुक्म देते हुए कहा। "और हाँ, ध्यान रखना, आज पूरा दिन तुम्हें बिना
पैन्टी के ही रहना है।
"दीदी, प्लीज... मुझे बहुत डर लग रहा है। मैं बिना पैन्टी के कैसे रहूँगा? सब मुझे देखते रहेंगे।" अमित ने कांपते हुए
कहा। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थे।
"अरे डरो मत मेरी प्यारी बहना।" मोरनी ने अमित को चिढ़ाते हुए कहा। "जब तुम इस स्कर्ट में घूमोगे तो सब तुम्हारी
खूबसूरती देखते रह जाएँगे। कोई तुम्हारी पैन्टी नहीं देखेगा।"
अमित ने मजबूरन वो छोटी सी पीली स्कर्ट बिना पैन्टी के पहनी। स्कर्ट इतनी छोटी थी कि उसके पहनने से ज़्यादा
तो उसके हाथ से ही ढकी हुई थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो बिलकुल नंगा हो। मोरनी ने उसे फिर हल्के हरे रंग
का लेस टॉप भी दिया क्योंकि उसे स्कर्ट टॉप की मैचिंग पसंद नहीं आ रही थी।

अब मोरनी सोच रही थी कि किचन के काम, साफ़ सफाई और कपड़े धोना ये सब तो हो गए हैं। इसके अलावा अब
अमित को कौन से काम बताए जाएँ जो घर में किए जाते हों और उसे बिना पैन्टी की स्कर्ट मे मुश्किल हो।
मोरनी की नज़र उस समय अचानक घर के आँगन में पड़े गीले कपड़ों पर गयी जो उसने धोए थे और अब उन्हें छत
पर फैलाना था।
मोरनी मन ही मन मुस्कुराई, "ये हुई ना बात! यही तो मौका है अमित को और तंग करने का।"
"अमिता, अब तुम ये सारे गीले कपड़े छत पर जाकर फैलाओ।" मोरनी ने अमित को आदेश दिया, उसकी आवाज़ में
एक अजीब सा रौब था। अमित डर के मारे सिहर उठा। उसके मन में एक अजीब सी घबराहट दौड़ गई। उसने
अपनी छोटी सी स्कर्ट को नीचे की ओर खींचने की कोशिश की, मानो उसे और छोटा कर देने से उसकी शर्मिंदगी
कम हो जाएगी। "लेकिन दीदी... छत पर? इस स्कर्ट में?" अमित ने डरते-डरते कहा, उसकी आवाज़ में काँप साफ़
झलक रहा था। उसकी नज़रें ज़मीन पर गड़ी हुई थीं, मानो वो उसमें कोई जवाब ढूंढ रही हो। उसे समझ नहीं आ
रहा था कि वो मोरनी को कैसे समझाए कि ये स्कर्ट कितनी छोटी है, और बिना पैन्टी के छत पर जाना कितना
मुश्किल है। छत पर जाने का मतलब था, मोहल्ले के सभी लोगों के सामने अपनी बेइज़्ज़ती करवाना।
"हाँ अमिता, छत पर ही। और हाँ, इसी स्कर्ट में।" मोरनी ने अपनी आँखें मींचते हुए कहा, मानो वो किसी गहरी सोच
में डूबी हो। उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी, जो अमित के डर को और भी बढ़ा रही थी। "और क्या?
कोई प्रॉब्लम है?" मोरनी ने पूछा, उसकी आवाज़ में एक चुभती हुई तीखापन थी। अमित की हालत खराब थी। उसे
समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। एक तरफ तो वो छोटी सी स्कर्ट में बिना पैन्टी के था, जिसकी वजह से वो
बेहद असहज महसूस कर रहा था, और दूसरी तरफ मोरनी उसे छत पर कपड़े फैलाने के लिए भेज रही थी। उसके
मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे।
"लेकिन दीदी... अगर कोई मुझे इस हालत में देख लेगा तो?" अमित ने हिचकिचाते हुए कहा। उसकी आवाज़ में डर
और शर्म साफ़ झलक रही थी। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था। वो मोरनी की आँखों में देखने से भी कतरा
रहा था। "तो देखने दो ना।" मोरनी ने लापरवाही से जवाब दिया, मानो उसे अमित की परेशानी से कोई फर्क ही नहीं
पड़ता हो। उसका ये रवैया अमित के डर को और भी बढ़ा रहा था। "दीदी, प्लीज... मुझे मत भेजो छत पर।" अमित
ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। "मैं यहीं नीचे कुछ और काम कर लूँगा। बर्तन धो दूंगा,
कपड़े प्रेस कर दूंगा, झाड़ू पोछा लगा दूंगा, कुछ भी काम दे दो दीदी, पर मुझे छत पर मत भेजो।"
"नहीं अमिता, तुम्हें छत पर ही जाना होगा।" मोरनी ने सख्ती से कहा। उसके लहजे में कोई ढिलाई नहीं थी। "और
हाँ, जल्दी से जाओ। देर मत करो। सारे कपड़े सूखने चाहिए, वरना..." मोरनी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी, लेकिन
उसकी आँखों में एक धमकी साफ़ दिखाई दे रही थी। "लेकिन दीदी... छत पर तो बहुत हवा चलती है।" अमित ने
हिम्मत करके कहा, उसके मन में एक छोटी सी उम्मीद थी कि शायद मोरनी उसकी बात मान ले। "तो और भी मज़ा
आएगा।" मोरनी ने शरारती अंदाज़ में कहा, उसकी आँखों में एक शैतानी चमक थी। "जब हवा तुम्हारी स्कर्ट को
उड़ाएगी तो तुम्हें और भी ज़्यादा मज़ा आएगा। सोचो,जब ठंडी हवा स्कर्ट के अंदर जाएगी , क्या मज़ा आएगा ना?"
मोरनी की बात सुनकर अमित कांपने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
अमित समझ गया कि मोरनी जानबूझ कर उसे परेशान कर रही है। उसे मोरनी की हर बात माननी पड़ रही थी,
चाहे वो कितनी भी शर्मनाक क्यों न हो।
"ठीक है दीदी, जैसा आप कहें।" अमित ने मायूसी से कहा।
अमित समझ गया कि अब उसे मोरनी की बात माननी ही पड़ेगी। उसने हिम्मत करके गीले कपड़ों की बाल्टी उठाई
और धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ने लगा।
और हाँ, सीढ़ियाँ चढ़ते समय अपनी स्कर्ट पर हाथ रखना।" मोरनी ने पीछे से आवाज़ दी। "कहीं ऐसा न हो कि हवा
से तुम्हारी ये प्यारी सी स्कर्ट उड़ने लगे और बाकी जानते ही हो।"
अमित मन ही मन बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। एक तरफ तो वो
बिना पैन्टी के था, और दूसरी तरफ उसे छत पर जाना था जहाँ हवा चल रही थी।
धीरे-धीरे अमित छत पर पहुँचा। छत पर हवा वाकई में बहुत तेज़ चल रही थी। अमित ने जैसे ही छत पर पैर रखा,
उसकी स्कर्ट हवा से उड़ने लगी। अमित ने झट से अपनी स्कर्ट को दोनों हाथों से पकड़ लिया, लेकिन हवा इतनी
तेज़ थी कि उसकी स्कर्ट उसके हाथों से छूट गयी। और ठंडी हवा सीधे उसके प्राइवेट पार्ट से तेजी से गुजर रही थी।
साथ मे स्कर्ट मे लगे घुँघरू और ज्यादा आवाज कर रहे थे और उसके private पार्ट पर हल्का हल्का टकराव भी
कर रहे थे। उसकी आँखें बंद हो गयीं और शर्म से उसका चेहरा लाल हो गया। अमित ने झट से अपने हाथों से स्कर्ट
को नीचे दबाया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उसने अपने पैरों को जितना हो सके पास लाने की कोशिश की
लेकिन हवा ने उसकी सारी कोशिशों को नाकाम कर दिया। उसे ऐसा लग रहा था जैसे सारी दुनिया उसकी नंगी
टांगों को देख रही है।वो जल्दी से दीवार की तरफ भागा और पीठ करके खड़ा हो गया। मोरनी सीढ़ियों पर खड़ी
उसे देख रही थी और मजा ले रही थी और ज़ोर-ज़ोर से हंस रही थी।
"देखा अमिता, मैंने कहा था ना तुम्हें मज़ा आएगा।" मोरनी की आवाज़ सीढ़ियों से आती हुई सुनाई दी। "हवा से स्कर्ट
उड़ाना कितना मज़ेदार होता है, ये तो तुम अब समझ ही गए होगे की स्कर्ट पहन कर क्या सहना पड़ता है। "
मोरनी धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ते हुए छत पर आ गई। उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी। वो अमित को इस
हालत में देखकर बहुत खुश हो रही थी।
"दीदी... प्लीज... यहाँ से चले चलते हैं।" अमित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। उसकी आवाज़ में डर और शर्म साफ़
झलक रही थी। "मुझे बहुत अजीब लग रहा है।"
"अरे अभी तो मज़ा शुरू हुआ है अमिता।" मोरनी ने हँसते हुए कहा। "अब तो तुम्हें इसी हालत में सारे कपड़े सुखाने
पड़ेंगे।"
और ये कहते हुए, मोरनी ने गीले कपड़ों की बाल्टी अमित के पास रख दी। मोरनी ने अमित के पास आते हुए कहा।
"अभी तो मैंने तुम्हें बताया भी नहीं है कि तुम्हें कपड़े कैसे फैलाने हैं।"

"कैसे फैलाने हैं?" अमित ने डरते-डरते पूछा। उसकी आवाज़ में अब भी घबराहट साफ़ झलक रही थी।
"अरे बहुत आसान है।" मोरनी ने शरारती अंदाज़ में कहा। "तुम्हें बस इतना करना है कि एक-एक करके सारे कपड़े
उठाओ, उन्हें हवा में लहराओ और फिर रस्सी पर डाल दो।"
"लेकिन दीदी... अगर हवा से मेरी स्कर्ट फिर से उड़ गई तो?" अमित ने अपनी आवाज़ में दहशत के साथ पूछा।
"तो उड़ जाने दो ना।" मोरनी ने लापरवाही से जवाब दिया। "इसमें शर्माने की क्या बात है?तुम्हें ही हल्के कपड़े
पहनने थे लेकिन इतना आसान थोड़ी ना होगा इन्हें पहनना।"
अमित समझ गया कि मोरनी जानबूझ कर उसे तंग कर रही है। लेकिन उसके पास और कोई चारा नहीं था। उसे
मोरनी की हर बात माननी पड़ रही थी, चाहे वो कितनी भी शर्मनाक क्यों न हो।
अमित ने कांपते हाथों से एक-एक करके गीले कपड़े उठाए और उन्हें हवा में लहराने लगा। हवा वाकई में बहुत तेज़
चल रही थी और उसकी स्कर्ट बार-बार उड़ने की कोशिश कर रही थी। अमित अपनी स्कर्ट को दोनों हाथों से
जकड़े हुए था, लेकिन उसे डर था कि कहीं उसकी स्कर्ट फिर से न उड़ जाए।
मोरनी अमित को इस हालत में देखकर बहुत खुश हो रही थी। वो ज़ोर-ज़ोर से हँस रही थी और अमित का मज़ाक
उड़ा रही थी।
"अरे वाह अमिता! क्या खूब कपड़े फैला रही हो!" मोरनी ने ताली बजाते हुए कहा। "ऐसे ही करते रहो। आज तो
तुमने मेरा दिल जीत लिया।"
अमित मन ही मन बहुत शर्मिंदा महसूस कर रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो कब तक इस यातना को
सहन कर पाएगा।
अमित को इस तरह शर्मिंदा होते देखकर मोरनी को बहुत मज़ा आ रहा था।
"क्या हुआ अमिता, शरमा गई?" मोरनी ने अमित को चिढ़ाते हुए कहा। "अरे अभी तो मज़ा शुरू हुआ है।"
"जल्दी करो अमिता, मुझे नीचे और भी काम है।" मोरनी ने कहा।
अमित ने हिम्मत करके एक-एक करके कपड़े रस्से पर फैलाने शुरू किए।
"और हाँ अमिता, ध्यान रखना, कपड़े ठीक से फैलाना।" मोरनी ने ताना मारते हुए कहा। "कहीं ऐसा न हो कि हवा से
तुम्हारी ये प्यारी सी स्कर्ट भी उड़ जाए।"
अमित मन ही मन रो रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो मोरनी के इस अत्याचार से कब छुटकारा पायेगा।
अब मोरनी को दूसरा भी ऐसा घर का काम ढूंढना था जिससे अमित को बिना पैन्टी की स्कर्ट मे परेशान कर सके।
"अमिता, अब नीचे आ जाओ। मुझे तुम्हारी मदद चाहिए।" मोरनी ने नीचे से आवाज़ लगाई।
अमित ने राहत की साँस ली। आखिरकार, उसे इस यातना से छुटकारा मिल गया। वो जल्दी से नीचे उतरा और
मोरनी के कमरे में चला गया।
"क्या हुआ दीदी? क्या काम है?" अमित ने थोड़ी राहत भरी आवाज़ में पूछा।
"अरे बस, थोड़ा सामान उठाना है।" मोरनी ने कहा। "ये लो, इस बक्से को उठाकर अलमारी के ऊपर रख दो।"
अमित ने जैसे ही बक्सा उठाने के लिए झुका, उसकी स्कर्ट फिर से ऊपर उठ गई। और ठंडी हवा ने एक बार फिर
से उसके प्राइवेट पार्ट को छू लिया। शर्म से उसका चेहरा एक बार फिर लाल हो गया।
मोरनी की नज़रें अमित की बेचैनी पर टिकी थीं, उसे अमित को इस तरह तड़पाने में एक अजीब सा मज़ा आ रहा
था। "चलो, अब किचन में बर्तन धो लो। " मोरनी ने आदेश दिया। अमित लाचार था, वो चुपचाप किचन में चला गया
और बर्तन धोने लगा। झुकते-उठते उसकी स्कर्ट बार-बार ऊपर उठ जाती, जिससे उसे और भी शर्मिंदगी महसूस हो
रही थी। मोरनी किचन के दरवाज़े पर खड़ी होकर ये सब देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी। "अच्छा लग
रहा है ना अमिता? अब समझ आया घर के काम कैसे होते हैं?" मोरनी ने व्यंग्य किया। अमित कुछ नहीं बोला, बस
आँखों में आँसू भरकर बर्तन धोता रहा। उसे लगा जैसे ये दिन कभी खत्म ही नहीं होगा।
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