Disclaimer

यह ब्लॉग पूरी तरह काल्पनिक है। किसी से समानता संयोग होगी। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ ((जैसे स्तन वर्धक या हार्मोन परिवर्तन)न लें - यह जानलेवा हो सकता है।— अनीता (ब्लॉग एडमिन)

मोरनी का मिशन: भाई से बहू तक

📝 Story Preview:

✨ Kahani Summary: “मोरनी का मिशन” (100 Pages Full Drama)

यह कहानी एक भाई-बहन के रिश्ते की सीमाओं को चुनौती देती है – जहां मस्ती, मनोविज्ञान और मेटामॉर्फोसिस का अनोखा संगम है।

मोरनी, एक तेज़ दिमाग और जिद्दी स्वभाव की बहन, अपने भाई अमित को एक नये खेल में फंसा देती है – एक ऐसा खेल जो सिर्फ कपड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि पहचान, शर्म, और इच्छा की गहराइयों तक जाता है।
कहानी की शुरुआत होती है एक लहंगे से – एक मासूम-सी शरारत जो धीरे-धीरे क्रॉसड्रेसिंग और रोलप्ले की एक असाधारण यात्रा में बदल जाती है।

हर अध्याय में मोरनी कुछ नया सोचती है –

कभी डांस सिखाने के बहाने,

कभी शादी की प्रैक्टिस करवाते हुए,

तो कभी रस्सियों से बाँधकर नचवाते हुए – अमित को स्त्रीत्व के हर पहलू को अनुभव कराती है।

कहानी में कई बार बॉन्डेज, शर्मिंदगी, और मनोवैज्ञानिक खेल दिखाए गए हैं जो पाठक को बाँधकर रखते हैं।
जहाँ अमित कभी मिनी स्कर्ट में लड़खड़ाता है,
तो कभी साड़ी में सिंदूर के साथ बहू बनने पर मजबूर हो जाता है।

मगर क्या ये सब सिर्फ शरारत थी?
या मोरनी के मन में था कोई बड़ा मिशन?
क्या अमित वाकई अपनी पहचान खो बैठा है, या ये उसका असली रूप है?

"मोरनी का मिशन: भाई से बहू तक" सिर्फ एक फिक्शन नहीं,
ये है इमोशन्स, ट्रांसफॉर्मेशन और बॉन्डेज साइकोड्रामा का एक अनोखा मेल –
जहाँ हर पन्ना पढ़ने के बाद आप सोचेंगे – "अब आगे क्या?"


📚 Table of Contents – "मोरनी का मिशन: भाई से बहू तक"

लहंगे में लिपटी शरारत – एक बहन का बेहतरीन प्लान

डांस और लहँगे में उलझी कश्मकश – मोरनी का अगला प्लान

नए रूप में नया सफर – मोरनी के हाथों का जादू

अमित का नयी बहू का अवतार – मोरनी की स्पेशल ट्रेनिंग

एक दिन की आदर्श पत्नी – मोरनी का नया खेल

रस्सियों का बंधन और नाचने की सजा – मोरनी का शातिर दिमाग

मिनी स्कर्ट से जद्दोजहद – अमित की नयी उलझनें



लहंगे में लिपटी शरारत... एक बहन का बेहतरीन प्लान

मोरनी, अठारह साल की उम्र में भी जिसके चेहरे पर बचपन की शरारतें अभी तक ज़िंदा थीं। उसकी हर हरकत में एक चुलबुलापन था, हर मुस्कुराहट के पीछे कोई न कोई योजना छुपी होती। लेकिन उसकी इस मस्ती पर अमित, उससे दो साल बड़े भाई, की छाया हमेशा मंडराती रहती।


अमित को अपनी छोटी बहन को तंग करने में एक अलग ही आनंद आता था। सुबह की नींद में उसके बाल खींचना, उसके दोस्तों के सामने "छोटी बच्ची" कहकर शर्मिंदा करना, या फिर उसकी पसंदीदा चॉकलेट छिपा देना - ये सब उसके दिनचर्या का हिस्सा थे। "अरे बच्ची! आज कितने बजे उठीं हमारी राजकुमारी?" उसका यह ताना मोरनी को सबसे ज्यादा चिढ़ाता था।


पर हर बार की तरह आज भी, जब अमित ने उसकी डायरी छुपा दी, मोरनी के मन में एक ही ख्याल आया - "एक दिन जरूर सबक सिखाऊंगी तुझे!" उसने दांतों तले होंठ दबाए, पर आँखों में चमकती वही शरारत बरकरार थी।


पर अमित सिर्फ परेशान करने वाला भाई नहीं था। रात को देर से घर लौटने पर वह मोरनी के लिए पिज़्ज़ा ले आता, उसके बुखार में पूरी रात बैठकर पढ़ाई करवाता। "तूने मेरा होमवर्क किया?" मोरनी की यह शरारत भरी शिकायत सुनकर वह हँस देता, पर फिर भी उसकी कॉपियाँ ठीक कर देता।


एक शनिवार की दोपहर, टीवी पर 'हाउसफुल' फिल्म का वह दृश्य जब तारा सरमा ने अक्षय कुमार को साड़ी पहनाई... मोरनी की आँखों में अचानक चमक आ गई। उसकी नज़र अमित पर पड़ी, जो सोफे पर लेटा चिप्स खा रहा था।


"भैया को लहंगा पहनाकर..." यह विचार आते ही उसके होंठों पर शैतानी स्माइल फैल गई।


योजना की शुरुआत


अगले हफ्ते से मोरनी ने छुप-छुपकर सामान जमा करना शुरू किया:


माँ के पुराने लहंगे से जरी उतारकर नया डिज़ाइन सिलवाया


अपनी दीदी की शादी वाली चूड़ियाँ "कुछ दिन के लिए" उधार लीं


बेस्ट फ्रेंड की बहन से मेकअप किट माँगी


सुनहरा मौका


जब माँ-पापा ने शिमला जाने की बात कही, मोरनी ने अपने कमरे में छुपकर नाचते हुए कहा:

"सात दिन! पूरे सात दिन भैया मेरे हवाले!"


उसकी कल्पनाएँ रंग लाने लगीं:


अमित लहंगे में झाड़ू लगाते हुए


रसोई में जलेबी बनाते समय उसका मेकअप बहता हुआ


"दीदी जी, चाय चाहिए?" कहते हुए उसकी शर्मिंदगी


इन ख्यालों से ही मोरनी का दिल खुशी से झूम उठा। उसने अपनी डायरी में लिखा:

"आखिरकार, भैया को पता चलेगा... लड़की बनना कोई मस्ती का खेल नहीं!"


मोरनी जानती थी कि सीधे तौर पर अमित को लहंगा पहनाने की बात करना आत्महत्या जैसा होगा। उसकी आँखों में एक चालाक चमक आई जब उसने प्लान बनाना शुरू किया।


"भैया को पहले मेकअप के लिए राजी करना होगा..." वह अपने कमरे में टहलते हुए सोच रही थी। उसने याद किया कि कैसे पिछले साल दिवाली पर अमित ने मेहंदी लगवाने से साफ इनकार कर दिया था।


अचानक उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने अपना फोन उठाया और ड्रामेटिक अंदाज में बोली:

"हेलो? हाँ दीदी... हाँ मैं आज ही पार्लर आ रही हूँ... अरे नहीं! तुम नहीं आ सकतीं? मैं अकेले कैसे जाऊँगी?"


जानबूझकर ऊँची आवाज में बोलते हुए उसने अमित की तरफ देखा, जो सोफे पर फोन चला रहा था।


अमित ने आँख उठाकर पूछा: "क्या हुआ?"

मोरनी ने नाटकीय ढंग से सिर झुकाया: "कुछ नहीं... मेरी सहेली पार्लर नहीं आ रही... मैं अकेले जाने से डर रही हूँ।"


अमित की आँखें घूम गईं: "अब ये कौन सा नया नाटक है?"

मोरनी ने मासूमियत से कहा: "नाटक कैसा? मैंने अपॉइंटमेंट ले रखा है... बाल कटवाने का... तुम तो जानते हो मैं अकेले नहीं जा पाती!"


अमित ने लंबी साँस ली: "चलो, मैं चलता हूँ। लेकिन सिर्फ बाहर बैठकर इंतज़ार करूँगा।"


मोरनी ने मन ही मन जीत की मुस्कान छुपाई। पहला कदम सफल हो चुका था। पार्लर पहुँचकर उसने मालकिन से आँख मिलाई और धीरे से फुसफुसाया:

"दीदी, मेरे भैया को थोड़ा... एह... स्पेशल ट्रीटमेंट देना है।"


पार्लर वाली ने समझदारी से मुस्कुराते हुए सिर हिलाया। अमित बेखबर सोफे पर बैठा अपने फोन में व्यस्त था, अनजान कि उसके लिए क्या तैयारी हो रही है…


पार्लर का माहौल ठंडा था लेकिन मोरनी के मन में हल्की सी गर्माहट थी। उसके साथ उसके भैया आए थे—थोड़ा थके हुए, मगर मुस्कुराते हुए। सोफे पर बैठते ही उनकी आँखों में झलकती थकान को मोरनी से देखा नहीं गया। वो अपने भाई से जितना प्यार करती थी, उतना ही उन्हें चिढ़ाने में भी मजा आता था।


“भैया,” उसने कोमलता से उनका हाथ पकड़ा और मुस्कुराकर कहा, “आप प्लीज़ बोर मत होना। मैं जल्दी तैयार हो जाती हूँ। आप बस थोड़ी देर आराम कर लो।”


भैया थोड़े ना-नुकुर के बाद सोफे पर टिक गए। उनकी आँखों के नीचे हल्के-से गहरे घेरे थे, जिनमें दिन भर की भागदौड़ की कहानी थी।


तभी मोरनी के अंदर एक शरारत ने करवट ली।


उसने पार्लर वाली दीदी को धीरे से कहा, “दीदी, क्या आप मेरे भैया को थोड़ा-सा फेशियल दे सकती हैं? वो थोड़े थके हुए लग रहे हैं।”


भैया पहले तो चौंके—“अरे नहीं मोरनी, मुझे इन चीज़ों में कोई दिलचस्पी नहीं है।” लेकिन जब दो औरतों ने मिलकर ज़िद की तो वो मान ही गए, “ठीक है... बस थोड़ा सा,” कह कर उन्होंने आँखें बंद कर लीं।


इसी बीच मोरनी की शरारत एक कदम और आगे बढ़ गई। उसने इशारे से दीदी को लहंगे वाला बॉक्स दिखाया और धीरे से कहा, “बस थोड़ा सा दुल्हन वाला मेकअप कर दीजिएगा। भैया को कुछ पता ना चले—सरप्राइज है।”


पार्लर वाली दीदी मोरनी की बात समझ गईं और आंखों में हँसी लिए मेकअप किट निकालने लगीं।


भैया आराम से चेयर पर बैठे रहे, अनजान कि उनके चेहरे पर अब हल्के-से गुलाबी टोन चढ़ने वाले हैं। मोरनी उनके पास आई और कान में फुसफुसाई, “भैया, बस थोड़ी देर और। सरप्राइज ख़राब मत करना। और हाँ, आँखें मत खोलना।”


भैया ने गहरी साँस ली और मुस्कुराए। शायद अंदर ही अंदर वो जान चुके थे कि कुछ अजीब होने वाला है... लेकिन अपनी छोटी बहन की खुशी के लिए उन्होंने आँखें बंद रखीं।


धीरे-धीरे पार्लर वाली की उंगलियाँ भैया के चेहरे पर जादू बिखेर रही थीं। हल्का फाउंडेशन जैसे किसी चित्रकार की पहली परत, फिर आईलाइनर की एक महीन रेखा और मस्कारा की नरम छाया—सबकुछ इस तरह किया गया जैसे किसी दुल्हन को सजाया जा रहा हो। अंत में लिपस्टिक की एक लाल मुस्कान उनके चेहरे पर सज गई।


मोरनी को हँसी आ रही थी... पर अंदर ही अंदर वो नर्वस भी थी। "क्या पता भैया गुस्सा हो जाएं?" लेकिन हँसी इतनी ज़ोरों से फूट पड़ने को थी कि उसे रोकना मुश्किल होता जा रहा था।


“लो जी, तैयार हैं आपके भैया,” पार्लर वाली ने मुस्कुराकर इशारा किया।


मोरनी ने आँखों को चौड़ा किया... और फिर जैसे बांध टूट गया—वो हँसी रोक ही नहीं पाई। भैया की सजी हुई सूरत किसी सीरियल की दुल्हन से कम नहीं लग रही थी। गुलाबी गाल, चमकती आंखें, और वो लाल लिपस्टिक... सबकुछ इतने परफेक्ट तरीके से बैठा था कि लगा मानो किसी फोटोग्राफर का सपना हो।


भैया ने धीरे से आँखें खोलीं... और सामने आइना देखकर अटक से गए— “ये मैं हूँ?” आवाज में वो मिश्रण था—हैरानी, झेंप और थोड़ी-सी भय।


उनकी आँखें अपने ही चेहरे को खोज रही थीं लेकिन जो सामने था वो कोई और था। बाल थोड़े बिखरे, चेहरा दमकता हुआ और होंठ जैसे किसी कविता का अंत।


मोरनी ठहाका लगाकर बोली, “जी हाँ भैया, आप ही हैं। अब कहिए... क्या दुल्हन बनने का सपना कभी देखा था?” 😂


भैया उस पल कुछ नहीं बोले। बस गहरी साँस ली और बोले, “कम से कम फोटो तो भेज देना मम्मी को।”


मोरनी ने तुरंत एक फोटो खींच ली—इस खास पल को हमेशा के लिए संजोने के लिए।


"ये तुमने क्या किया, मोरनी?" भैया की आवाज़ में गुस्सा कम और हैरानी ज़्यादा थी। उनकी आँखें अब आईने में अपने ही अजनबी जैसे चेहरे को देख रही थीं — काजल लगी आँखें, लाल लिपस्टिक और चेहरों पर बिखरी हुई हल्की चमक।


मोरनी आईने के सामने खड़ी, अपने गाल पर ब्रश चला रही थी, लेकिन आँखें बार-बार भैया की ओर जा रही थीं। उसकी हँसी अंदर ही अंदर फूट रही थी, होंठों को दबाए रखा ताकि भैया को और चिढ़ाने में मज़ा आए।


"अरे भैया, गुस्सा क्यों होते हो?" उसने हँसी दबाते हुए कहा। "बस थोड़ी सी मस्ती है।"


भैया ने मुंह फेर लिया, जैसे पूरे पार्लर से नाराज़ हों। "अब चलो, गुस्सा मत करो। असली काम अभी बाकी है," मोरनी ने आँखों में चमक के साथ कहा, जैसे कोई अगला धमाका देने वाली हो।


"असली काम?" भैया ने भौंहें चढ़ाईं। उनकी आवाज़ में हल्का सा डर था — वो जान चुके थे कि मोरनी की 'असली बातें' कभी साधारण नहीं होतीं।


मोरनी मुस्कुराई — उसका डिंपल गाल में जैसे शरारत की मोहर हो। उसने पास रखा एक बड़ा सा बॉक्स उठाया और भैया की तरफ बढ़ा दिया।


भैया ने बॉक्स खोला... और मन जैसे उलझ गया। अंदर गुलाबी रिबन से लिपटा हुआ एक लाल-गोल्डन लहंगा था, जो किसी शादी की दुल्हन का सपना लग रहा था।


उसने मोरनी की तरफ देखा — उसकी आँखों में वो वही शरारत थी जिसे भैया बचपन से पहचानते आए थे।


"ये क्या बकवास है, मोरनी?" उन्होंने कहा, पर उनके शब्दों के पीछे एक मुस्कान छिपी थी। वो जानते थे, बहन की इन हरकतों से बचना अब नामुमकिन है।


"प्लीज़ भैया..." मोरनी ने आँखों में थोड़ी मासूमियत और थोड़ी मस्ती घोलते हुए कहा। "बस एक बार, मेरे लिए। बहुत अच्छा लगेगा... और मज़ा भी आएगा!"


भैया ने गहरी साँस ली। "नहीं मतलब नहीं," उन्होंने कहा — जैसे खुद को समझा रहे हों।


लेकिन उनके सुर में पहले जैसी सख्ती नहीं थी।

मोरनी अब थोड़ी उलझन में थी। वो जानती थी कि भैया जितना प्यार करते हैं, उतना ही ज़िद्दी भी हैं। उन्होंने हर तर्क, हर मिन्नत को नज़रअंदाज़ कर दिया। वादे... ब्लैकमेल... इमोशनल ड्रामा — कुछ भी असर नहीं कर रहा था।


पर मोरनी के पास एक आखिरी चाल थी। उसने धीरे से अपना फोन निकाला। उसमें वही तस्वीर थी — जिसमें भैया मेकअप वाली हालत में थे, आँखें बंद, चेहरे पर क्रीम और होंठों पर लिपस्टिक की चटख रंगत।


वो फोन भैया की आँखों के सामने लाकर बोली, "अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो ये फोटो मम्मी-पापा, दादी... और तुम्हारी नई गर्लफ्रेंड तक पहुँचा दूंगी!"


शरारत की चमक उसकी आँखों में लौट आई थी, और भैया को एक पल लगा कि दुनिया भर की साज़िशें बस इसी पार्लर में बैठी हैं।


भैया ने झपक कर तस्वीर को देखा... और फिर मोरनी की आँखों में। उन्हें पता था, यह बहन सिर्फ धमकी नहीं देती — वो वाकई में कर भी सकती है।


एक लंबी साँस ली उन्होंने। जैसे युद्ध हार गया हो। "ठीक है, ठीक है," वो बोले, आवाज़ में झुंझलाहट छिपी थी लेकिन अब विरोध का कोई मतलब नहीं रह गया था। "मैं ये लहंगा पहनूँगा। लेकिन वो फोटो... किसी को नहीं दिखाना, वादा करो।"


मोरनी उछल पड़ी, चेहरे पर जीत की खुशी थी। “वादा करती हूँ, भैया! अब जल्दी से तैयार हो जाओ, मेरी डिजिटल दुल्हन!” 😂


अब बारी थी भाई को वो भारी लहंगा पहनाने की। मोरनी ने एक पल के लिए सोचा और फिर एक शरारती मुस्कान के साथ, उसने अपने भाई को एक लाल रंग की ब्रा और पैन्टी दी और बोली, "इसे पहन कर आओ।" भाई पहले तो हिचकिचा रहे थे, उनके चेहरे पर झिझक साफ़ दिख रही थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी के इस अजीबोगरीब डिमांड पर क्या रिएक्शन दें। लेकिन मोरनी अपनी ज़िद पर अड़ी रही, उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी और वो भाई को इस रूप में देखने के लिए बेताब थी। आखिरकार, मोरनी की ज़िद के आगे उनकी एक न चली।


मोरनी ने उनके लिए एक लाल रंग की ब्रा और पैन्टी चुनी थी, और उसे पहनने के लिए कहा। भाई ने पहले तो मना किया, उन्होंने कहा "ये क्या मजाक है मोरनी? मैं ये सब नहीं पहन सकता।" लेकिन मोरनी के बार-बार कहने पर, "प्लीज भैया, मेरे लिए, बस एक बार," वो मान गए। शायद वो मोरनी से ब्लैकमेल होने से डर रहे थे और उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थे। उन्होंने वो लाल रंग की ब्रा और पैन्टी पहनी जो मोरनी ने उनके लिए चुनी थी।


मगर अंदर ही अंदर उन्हें अजीब सा एहसास हो रहा था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या महसूस कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं। एक अजीब सी घबराहट और झिझक उनके चेहरे पर साफ़ झलक रही थी।


फिर उसने ब्रा को स्टफ कर दिया ताकि वो भरा हुआ दिखे और फिर उसने भाई को चोली पहनायी और पीछे की डोरियाँ खासकर टाइट बाँध दी ताकि अमित थोड़ा परेशान हो। मोरनी मन ही मन  सोच रही थी कि ये सब कितना मज़ेदार है।


फिर बारी आयी लहंगे की जो भाई को पहनाना था। लहंगा वाकई बहुत भारी था। उसके कई सारे घेर थे, जिनमें बारीक काम किया गया था, सुनहरे धागों से कढ़ाई की गयी थी और छोटे-छोटे आइने जड़े हुए थे। उसे संभालते हुए पहनना अपने आप में एक चुनौती थी। भाई साहब जैसे-तैसे उसे पकड़े हुए थे और उनकी हालत देखकर मोरनी खिलखिलाकर हंस रही थी।


अरे बाप रे! इतना भारी लहंगा?" भैया की शिकायत में वह मासूमियत थी जो किसी शादी में पहली बार तैयार हो रहे लड़के के चेहरे पर होती है। उन्होंने जैसे ही लहंगे को उठाया, उनके चेहरे पर ऐसी झुर्रियाँ उभरीं जैसे उन्हें किसी परीक्षा में बैठना हो।


मोरनी की हँसी का बांध टूट ही गया। "अरे भैया, थोड़ा तो सब्र रखो! दुल्हनें तो इससे भी भारी पहनती हैं, वो भी पूरे दिन!"


"अच्छा बाबा, सहन कर लूँगा," भैया ने हांफते हुए कहा, जैसे सैनिक युद्ध के लिए तैयार हो रहा हो।


मोरनी ने उत्साह से कमर में लहंगा कसना शुरू किया। "ज्यादा टाइट मत बांधो!" उन्होंने तुरंत कहा, मगर मोरनी ने दृढ़ता से जवाब दिया, "नहीं तो नीचे सरक जाएगा, भैया!"


अब बारी थी दुपट्टे की। मोरनी ने उसे फुर्ती से उठाया और समझाना शुरू किया: "इसे ऐसे कंधे पर डालो... फिर सामने से लपेटो..." भैया मन लगाकर सीख रहे थे, मगर दुपट्टा बार-बार उनके हाथ से फिसल जाता। लहंगा भी अपनी जिद पर उतारू था — कमर छोड़ने को पूरी तरह तैयार!


काफी मशक्कत और हँसी के तूफ़ान के बाद, आखिरकार भैया पूरी तरह तैयार थे — एक भारी-भरकम दुल्हन जैसे!


मोरनी ने उन्हें एक बार देखा और फिर ठहाका लगाया, "भैया, आप सच में बहुत प्यारे लग रहे हो... अगर शादी के कार्ड पर आपकी यही फोटो लगा दूँ तो?"


भैया ने सिर्फ इतना कहा: "मुझे यकीन है, मेरी अगली सज़ा तुमने पहले ही सोच रखी है।"


"अरे भैया, आप तो बिलकुल दुल्हन लग रहे हो।" मोरनी ने हँसते हुए कहा, "बस अब गहने और चुनरी की कमी है।" और यह कहकर वो ज़ोर से हंसने लगी।


मोरनी की बात सुनकर भाई का पारा सातवें आसमान पर जा चढ़ा। उसने आग बबूला होते हुए मोरनी को घूरा और दांत पीसते हुए बोला, "ज़्यादा हो गया मोरनी! चुप कर जा अब, और मेरा मज़ाक उड़ाना बंद कर। मुझे शर्म आ रही है।" सचमुच, शर्म के मारे उनका चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था, यहाँ तक कि उनके कान भी गर्म हो गए थे।


लेकिन मोरनी कहाँ मानने वाली थी! उसे तो जैसे भाई को इस रूप में देखकर मज़ा ही आ रहा था। उसकी हंसी का तो जैसे कोई ठिकाना ही नहीं था। वो ज़ोर-ज़ोर से हंसते हुए लोटपोट हो रही थी। उसने पार्लर वाली से आँख मारते हुए कहा, "दीदी, मेरे पास कुछ गहने हैं। क्या आप इन्हें मेरे भाई को पहना सकती हैं? प्लीज़ दीदी, आज तो इसे दुल्हन ही बना दो।" उसकी आँखों में शरारत भरी चमक साफ़ दिखाई दे रही थी, मानो वो कोई शरारती योजना बना रही हो।


लेकिन उससे पहले, मोरनी ने पार्लर वाली से अमित को एक विग पहनाने को कहा। और जैसे ही अमित ने वो विग पहना, उसका पूरा लुक ही बदल गया। अब वो वाकई में एक लड़की जैसा दिख रहा था। उसके लंबे, घने बाल, गुलाबी गाल और वो शर्मीली मुस्कान, सब कुछ उसे एक अलग ही रूप दे रहे थे।पार्लर वाली भी अब तक मोरनी की शरारत समझ चुकी थी। उसे भी ये सब देखकर बहुत मज़ा आ रहा था। वो मुस्कुराते हुए बोली, "हाँ जी, क्यों नहीं? मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है।"


मोरनी फ़ौरन अपना बैग उठाई और उसमें से गहनों का एक खूबसूरत सा डिब्बा निकाल लायी। डिब्बे में सोने की चूड़ियाँ, पायल, एक नथ, झुमके, माँग टीका, एक चमकदार हार, दुल्हन की बिछुआ और एक सुंदर सा कमरबंद था। और भी कई गहने थे जो आमतौर पर एक दुल्हन पहनती है, जैसे माथे पर सजाने के लिए छोटे-छोटे टीके, नाक की नथनी, और हाथों में पहनने के लिए अंगूठियां।


ये सारे गहने देखकर भाई साहब के होश फाख्ता हो गए। "अरे नहीं मोरनी! ये सब क्या कर रही हो? मैं ये सब नहीं पहनूँगा।" उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया, लेकिन मोरनी कहाँ सुनने वाली थी!


"अरे भैया, बस थोड़ी देर के लिए। प्लीज ना, भैया।" मोरनी ने अपने भाई को मनाना शुरू कर दिया। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी, शरारत और प्यार का एक अजीब सा मिश्रण। वो भाई को मनाने के लिए तरह-तरह के हावभाव बना रही थी, कभी आँखें सिकोड़कर मिन्नतें करती, तो कभी प्यार से भाई का हाथ थाम लेती।


आखिरकार, भाई साहब को मोरनी के आगे हार माननी पड़ी। वो मोरनी की ज़िद के आगे बेबस हो गए। पार्लर वाली ने बड़े प्यार से भाई साहब को सारे गहने पहनाए। पहले उसने बड़े ध्यान से नथ पहनाई, फिर झिलमिलाते झुमके, माथे पर चमकता हुआ माँग टीका, और गले में वो खूबसूरत हार। और अंत में, उसने बड़ी नज़ाकत से भाई साहब के हाथों में चूड़ियाँ पहनाई। हर एक गहना पहनाते हुए पार्लर वाली और मोरनी अपनी हंसी रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कभी-कभी तो हंसी फूट ही पड़ती थी।


जब भाई साहब पूरी तरह से तैयार हुए, तो उन्हें देखकर किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था। वह हूबहू एक शर्मीली दुल्हन लग रहे थे। मोरनी ने अपने मोबाइल से उनकी फोटो खींचनी शुरू कर दी। वो अलग-अलग एंगल से फोटो ले रही थी, कभी भाई को खड़ा करके, तो कभी बैठाकर।


"अरे वाह भैया! क्या लग रहे हो! एकदम हिरोइन जैसे!" मोरनी ने ठहाका लगाते हुए कहा। वो ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी।


भाई साहब शर्म से पानी-पानी हो रहे थे। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें अपनी ज़िंदगी में कभी ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा। वो शर्म के मारे मोरनी से नज़रे नहीं मिला पा रहे थे।

तभी मोरनी ने एक लाल रंग की चुनरी निकाली। "बस अब ये चुनरी और बाँध दूँ, तो आपकी खूबसूरती में चार चाँद लग जाएँगे।"


यह कहकर उसने चुनरी भाई साहब के सिर पर डाल दी। लाल रंग की चुनरी ने उनके रूप में और भी निखार ला दिया था।


"लो जी, तैयार है हमारी दुल्हन!" मोरनी ने तालियाँ बजाई।



भाई साहब गुस्से में लाल-पीले हो रहे थे, लेकिन मोरनी की इस शरारत के आगे वह बेबस थे। वो कुछ कहना चाहते थे, पर शायद शब्द ही नहीं निकल रहे थे।


मोरनी ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी। उसने भाई को शीशे के सामने खड़ा किया और बोली, "देखो, भैया! आप कितने सुंदर लग रहे हो।"


भाई ने झिझकते हुए शीशे में खुद को देखा। लाल रंग का लहंगा, चेहरे पर मेकअप, गहने, माथे पर टीका, और हाथों में लाल चूड़ियाँ। वो खुद को इस रूप में देखकर शर्म से पानी पानी हो रहे थे।


"मोरनी, ये बहुत ज़्यादा हो गया।" भाई ने शर्म से कहा, "अब प्लीज ये सब उतरवा दो।"


भाई अब शीशे में खुद को देख भी नहीं रहे थे। उन्हें अपनी हालत पर गुस्सा आ रहा था, लेकिन साथ ही साथ हंसी भी आ रही थी। वो समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें, इसलिए बस चुपचाप खड़े रहे।


डांस और लहँगे में उलझी कश्मकश - मोरनी का अगला प्लान

"मोरनी, बस बहुत हुआ। अब इसे उतारने दो।" भाई अमित ने मिन्नत की, उसका चेहरा परेशानी और झुंझलाहट से भरा हुआ था। "कितनी देर से ये सब ड्रामा हो रहा है। मुझे समझ नहीं आ रहा तुम क्या करने की कोशिश कर रही हो।"


"अरे भैया, अभी तो मेहंदी भी लगवानी है।" मोरनी ने शरारत से कहा, उसकी आँखों में चमक और शरारत भरी हुई थी, मानो किसी मासूम शिकार को फंसाने की योजना बना रही हो।


और फिर क्या था! मोरनी ने पार्लर वाली से अपने भाई अमित के हाथों पर मेहंदी भी लगवा दी। अमित, जो पहले से ही लाल रंग के लहंगे और चमकते गहनों में दुल्हन की तरह सजा हुआ था, अब पूरी तरह से तैयार था, मानो किसी अजीबोगरीब सपने में फंस गया हो। मोरनी ने अपने मोबाइल से कुछ तस्वीरें खींची, हर क्लिक के साथ उसकी हंसी तेज होती जा रही थी जैसे कैमरे की हर फ्लैश  अमित की बेबसी पर एक तमाचा हो। "भैया, आप तो सच में बहुत सुंदर लग रहे हो!" मोरनी ने ठहाका लगाते हुए कहा, "अब मैं ये फोटो फ्रेम करवा कर अपने कमरे में लगाऊंगी। सोचो, हर सुबह उठते ही आपका ये रूप देखकर मेरा दिन कितना अच्छा जाएगा!"

अमित ने गुस्से से, दांत पीसते हुए कहा, "मोरनी, अगर तुमने ऐसा किया तो..." उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था, मानो ज्वालामुखी फटने वाला हो, लेकिन मोरनी के लिए ये सब और भी मजेदार था। वो तो जैसे आग में घी डाल रही थी।


मोरनी ने भाई का ये गुस्से वाला रूप भी अपने फ़ोन में कैद कर लिया। वो जानती थी कि बाद में ये तस्वीरें उसे बहुत हँसाने वाली हैं, एक खजाना जो उसे बार-बार अमित को चिढ़ाने का मौका देगा। "अरे वाह, भैया! ये गुस्से वाला लुक भी आप पर बहुत जंच रहा है," मोरनी ने कहा, उसकी आवाज़ में हंसी के छींटे पड़ रहे थे, जैसे बारिश की बूंदें किसी गर्म तवे पर गिर रही हों।


"चलो भैया, अब थोड़ी फोटोशूट कर लेते हैं।" मोरनी उत्साह से बोली, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी उमंग थी, और इससे पहले कि अमित कुछ और कहे, मोरनी ने पार्लर में रखे कुछ प्रॉप्स भी उठा लिए - एक नकली वरमाला, लाल रंग का एक दुपट्टा, और एक नकली सेहरा, जैसे किसी नाटक की तैयारी हो रही हो।


अमित पहले तो थोड़ा झिझका, मानो किसी अनजान रास्ते पर चलने से पहले कदम पीछे खींच रहा हो, लेकिन फिर मोरनी के उत्साह और जिद को देखते हुए मान गया। मोरनी ने अलग-अलग पोज़ में उसकी तस्वीरें लीं - कभी हँसते हुए, कभी शरमाते हुए, कभी गुस्से से देखते हुए, मानो वो एक कठपुतली हो और मोरनी उसकी  कठपुतली नाच  रही हो। अमित को खुद पर हंसी आ रही थी, लेकिन वो ये दिखाने से बच रहा था, मानो हंसना अपनी हार मान लेना हो। मोरनी का उत्साह देखते हुए, वो खुद को इस माहौल में बहने दे रहा था, जैसे नदी का बहाव रोकना नामुमकिन हो।


फोटोशूट खत्म होने के बाद, मोरनी ने अमित को आइना दिखाया। "देखा भैया, आप कितने सुंदर लग रहे हैं।" उसकी आवाज़ में अब भी शरारत थी, मानो वो खुद को इस शरारत की रानी घोषित कर रही हो।


अमित ने खुद को एक बार फिर गौर से देखा। वो इस बात से इनकार नहीं कर सकते थे कि वो वाकई अच्छे लग रहे थे। लहंगा, गहने, मेकअप - सब कुछ उन पर जंच रहा था, मानो ये सब उनके लिए ही बना हो।


"मानना पड़ेगा मोरनी, तुमने कमाल कर दिया।" अमित ने हँसते हुए कहा, उसकी आवाज़ में अब गुस्सा नहीं बल्कि हंसी और हार थी, मानो उसने इस जंग में हथियार डाल दिए हों।


"तो क्या मैं ये तस्वीरें सबको दिखा सकती हूँ?" मोरनी ने शरारत से पूछा, उसकी आँखों में चमक और शरारत अब भी बरकरार थी, मानो वो इस जीत का जश्न मना रही हो।


"नहीं, बिलकुल नहीं!" अमित ने तुरंत जवाब दिया, उसकी आवाज़ में एक दबाव था, एक गुहार थी। "ये तस्वीरें सिर्फ़ हमारे बीच रहेंगी।"


"अब तो ये तस्वीरें मेरी अमानत हैं, भैया।" मोरनी ने शरारत से कहा, मानो उसने कोई कीमती खजाना हासिल कर लिया हो। "अब से जब भी मेरी कोई बात नहीं मानोगे, मैं ये तस्वीरें सबको दिखा दूंगी।"


अमित ने हार मानते हुए कहा, "ठीक है, मोरनी। तुम जीत गई।" उसकी आवाज़ में अब लाचारी थी, मानो वो किस्मत के आगे झुक गया हो।


"अरे, ये तस्वीरें मम्मी-पापा को तो नहीं दिखाओगी न?", अमित ने गुस्से से कहा, उसकी आवाज़ में अब भी हार का भाव साफ़ झलक रहा था, मानो वो आखिरी उम्मीद की किरण ढूंढ रहा हो।

"देखती हूँ," मोरनी ने आँख मारते हुए कहा, मानो वो कोई राजकुमारी हो जो अपनी प्रजा को  वचन दे रही हो। "अगर तुम मेरे आगे अच्छे से पेश आओगे, मेरी हर बात मानोगे, तो शायद मैं ये तस्वीरें किसी को न दिखाऊं।"


अमित ने मन ही मन सोचा कि उसे अपनी इस शैतान बहन से बचकर रहना होगा। लेकिन उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी से पंगा लेना कितना महंगा पड़ सकता है। मोरनी के पास अब उसके खिलाफ़ एक ऐसा हथियार था जिसके दम पर वो उससे कुछ भी करवा सकती थी, एक ऐसा वीडियो जो उसकी इज्जत मिट्टी में मिला सकता था।


"अच्छा चलो अब ये सब उतरवाओ," अमित ने कहा, उसकी आवाज़ में घबराहट और बेबसी साफ़ झलक रही थी।

"अरे इतनी जल्दी क्या है, भैया? अभी तो हमने तुम्हें दुल्हन बनाया है, अब तो तुम्हें थोड़ा डांस भी करना पड़ेगा ना अपने होने वाले साजन के लिए।" मोरनी ने अमित को चिढ़ाते हुए कहा और ज़ोर से ठहाका लगाया। उसकी हंसी में अमित के लिए ज़हर घुला हुआ था, मानो वो कह रही हो कि देखो तुम्हारी मर्दानगी का क्या हाल बना दिया है मैंने।

"डांस? क्या बकवास कर रही हो तुम?" अमित ने गुस्से से कहा, पर मन ही मन डर भी रहा था कि कहीं मोरनी सच में उसे नचवाना न शुरू कर दे। उसके चेहरे पर दहशत साफ़ झलक रही थी।


"अरे बकवास कैसी भैया? दुल्हन तो डांस करती है ना? चलो अब ज़्यादा नखरे मत करो।" मोरनी ने फ़ोन निकाला और एक गाना बजा दिया। फ़ोन के स्पीकर से कनेक्ट किया और गाना बाजा दिया "साजन जी घर आए दुल्हन क्यों शर्माए" गाने पर मोरनी ज़ोर-ज़ोर से ठुमके लगाने लगी और अमित को भी नाचने के लिए उकसाने लगी। वो जानती थी कि अमित शर्म और डर के मारे कुछ नहीं कहेगा।


अमित की हालत देखने लायक थी। एक तरफ उसके अंदर का भाई उसे गुस्सा कर रहा था, दूसरी तरफ उसका डर उसे मोरनी की बात मानने पर मजबूर कर रहा था। वो फंस चुका था, मोरनी के जाल में, जहाँ से निकलना नामुमकिन सा लग रहा था।


"देखो, अगर तुमने ये वीडियो किसी को दिखाया तो..." अमित ने धमकी देने की कोशिश की, लेकिन मोरनी उसकी बात काटते हुए बोली, "तो क्या कर लोगे भैया? मुझे ब्लैकमेल करोगे? अरे भूल गए क्या, तुम्हारी इज़्ज़त अब मेरे हाथ में है।" मोरनी ने अमित की आँखों में देखते हुए कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सा दंग था।


मोरनी की बात सुनकर अमित हताश हो गया। उसे समझ आ गया था कि अब मोरनी के चंगुल से निकलना आसान नहीं होगा। उसे डर था कि कहीं मोरनी वाकई में ये वीडियो कहीं वायरल न कर दे। 


"अच्छा ठीक है, मैं नाचता हूँ पर मुझे नाचना नहीं आता।"


"अरे, ये कोई बहाना नहीं चला भैया! जब दुल्हन बन ही गए हो तो थोड़ा बहुत तो सीखना ही पड़ेगा।" मोरनी ने मोबाइल में कोई वीडियो ढूंढते हुए कहा। "लो देखो, ये रहा एक आसान सा स्टेप।" और उसने अमित को एक वीडियो दिखाया जिसमें एक लड़की शादी के गाने पर डांस कर रही थी।


अमित मन ही मन अपनी किस्मत को कोस रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी इस शैतान बहन से कैसे निपटे।


"चलो भैया, अब देर मत करो।" मोरनी ने ज़िद करते हुए कहा।


अमित ने झिझकते हुए डांस स्टेप्स को फॉलो करने की कोशिश की। लाल रंग का लहंगा, भारी भरकम गहने और मेकअप - ये सब उसे और भी अजीब लग रहा था।


मोरनी ठहाके लगाते हुए अमित का वीडियो बना रही थी। अमित का हर अटपटा स्टेप, उसका परेशान चेहरा, ये सब कैद हो रहा था मोरनी के मोबाइल में।


"वाह भैया, क्या बात है! आप तो कमाल के डांसर हैं।" मोरनी ने व्यंग्य से कहा।


अमित ने गुस्से से मोरनी को देखा, लेकिन मोरनी को चिढ़ाने में मज़ा आ रहा था।

"अरे भैया, गुस्सा मत करो। बस थोड़ा और डांस कर लो, फिर ये टॉर्चर ख़त्म।" मोरनी ने हँसते हुए कहा।


अमित को समझ आ गया था कि आज उसे मोरनी के आगे हार माननी ही पड़ेगी। "पर तुम वादा करो कि ये वीडियो किसी को नहीं दिखाओगी।" अमित ने हार मानते हुए कहा। उसके पास और कोई चारा नहीं था।उसके बाद मोरनी ने तीन गाने और लगाए पहला गाना था" मेरे हाथों मे नौ नौ चुडिय़ां हैं" जो कि शुद्ध लडकियों वाला गाना था। मोरनी उससे जबरदस्ती ठुमके लगाने को कह रही थी। अमित को डर था कि अगले दो गाने भी ऐसे ही ना हों। उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।


दूसरा गाना बजते ही अमित की आँखें खुली की खुली रह गयीं। गाने के बोल थे "बोले चूडियां बोले कंगना " अमित को समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी इतनी क्रूर कैसे हो सकती है। वो उसे जानबूझकर ज़लील कर रही थी। उसने आधे मन से, झिझकते हुए दो-तीन स्टेप्स लिए। मोरनी ज़ोर-ज़ोर से हंसते हुए उसका वीडियो बना रही थी। उसका मन कर रहा था कि वो फ़ोन छीनकर तोड़ दे, लेकिन बेबसी उसके कदम रोक रही थी।


तीसरा गाना लगा "ये गलियां ये चौबारा यहाँ आना ना दोबारा " अमित अब पूरी तरह से टूट चुका था। उसकी आँखों में आंसू आ गए थे। उसने मोरनी से गुहार लगायी, "बस कर दे मोरनी, बहुत हो गया। प्लीज़ ये वीडियो डिलीट कर दे।" उसकी आवाज़ में गिड़गिड़ाहट थी, एक भाई की लाचारी थी।


मोरनी ने उस पर तरस नहीं खाया और ठठ्ठा करते हुए कहा, "अरे भैया, अभी तो पार्टी शुरू हुई है। अभी तो और भी बहुत कुछ बाकी है।" उसकी आवाज़ में शैतानी सी झलक रही थी।


ये वीडियो तो मैं सबको दिखाऊंगी। सोचो कितना मज़ा आएगा जब सब तुम्हें इस रूप में देखेंगे।"

"पर ये वीडियो..." अमित ने घबराहट भरी आवाज़ में कहा।


"चिंता मत करो भैया, ये वीडियो मेरे पास ही सुरक्षित रहेगा। जब तक..." मोरनी ने अमित को घूरते हुए कहा, उसकी आँखों में शरारत की चमक थी।


"जब तक क्या?" अमित ने डरते हुए पूछा।


"जब तक तुम मेरी हर बात मानोगे।" मोरनी ने मुस्कुराते हुए कहा।


अमित समझ गया कि वो अब मोरनी के जाल में फँस चुका है। अब उसे मोरनी की हर बात माननी पड़ेगी, नहीं तो उसकी इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी।


"चलो भैया, अब घर चलते हैं।" मोरनी ने अमित को बाहर निकालते हुए कहा।


"लेकिन ये लहंगा?" अमित ने घबराते हुए पूछा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी कंपकंपाहट थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी के दिमाग में क्या चल रहा है।  "अरे इस लहंगे को मैं अपने पास रखूंगी, और आप ऐसे ही लहंगे मे ही घर चलेंगे," मोरनी ने शरारत से कहा, उसकी आँखों में एक चमक थी जो अमित को और भी डरा रही थी। "याद है न, तुम्हारी ये फोटो और ये वीडियो, ये सब मेरी अमानत हैं।" मोरनी ने अपने फ़ोन में मौजूद कुछ तस्वीरें और वीडियो दिखाते हुए कहा।


मोरनी की बात सुनकर अमित के होश उड़ गए। लहंगे में घर जाना? ये तो उसके लिए और भी बड़ी मुसीबत थी।  उसके दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आने लगे।   "मोरनी, प्लीज़ यार, ये मत करो।" अमित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, उसकी आवाज़ में अब दया की भीख थी।  "लोग क्या कहेंगे?" उसने आगे कहा, उसका चेहरा अब शर्म और घबराहट से पीला पड़ गया था।


"अरे वही तो मज़ा है भैया! सबको पता चलेगा कि मेरे भाई में कितनी हिम्मत है, जो लहंगा पहनकर घूम रहा है।" मोरनी ने कहा और ठहाका लगाया।  उसे अमित की दुविधा पर मज़ा आ रहा था।  वो जानती थी कि अमित ऐसा कभी नहीं करेगा, लेकिन उसे चिढ़ाने का उसे एक अलग ही मज़ा आ रहा था।


अमित समझ गया कि मोरनी से बहस करना बेकार है। उसे मजबूरन मोरनी की बात माननी पड़ी। वो लहंगा पहने हुए, शर्म से पानी-पानी होता हुआ, मोरनी के पीछे-पीछे चल पड़ा।


घर पहुँचते ही अमित सीधा अपने कमरे में घुस गया। मोरनी ने उसका पीछा करते हुए कहा, "अरे भैया, गुस्सा मत हो। बस थोड़ा सा मज़ाक था।"


"मज़ाक?" अमित ने गुस्से से कहा, "तुम्हें ये सब मज़ाक लगता है? तुमने मेरा क्या हाल बना दिया है, ये तुम नहीं समझोगी।"


"अरे भैया, इतना गुस्सा क्यों करते हो? देखो, तुम्हारी वजह से आज कितना मज़ा आया।" मोरनी ने अमित को चिढ़ाते हुए कहा। "और हाँ, ये फोटो और वीडियो तो मेरी ज़िन्दगी भर की याद बन गए हैं।"

अमित ने हार मानते हुए कहा, "मोरनी, तुम सचमुच बहुत शैतान हो।"


" अगर ये बात है तो उतार लो अपने आप मेक अप, ज्वेलरी और लहंगा " मोरनी ने कहा। इतना कह कर वो चली गई अपने कमरे में।


अमित के माथे पर बल पड़ गए थे। लहंगा, जो देखने में जितना सुंदर लग रहा था, पहनने में उतना ही कष्टकर साबित हो रहा था।  उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने उसे कीमती रत्नों से सजी किसी जंजीर में जकड़ दिया हो। लहंगे का वजन ही इतना ज़्यादा था कि उसे अपनी कमर झुकी हुई सी लग रही थी।  उसने सोचा था कि लहंगा उतारना आसान होगा, पर ऐसा बिलकुल नहीं था। लहंगे की परतें एक के ऊपर एक इस तरह से सजाई गई थीं कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि शुरुआत कहाँ से की जाए। 


 गांठें इतनी कसी हुई थीं मानो किसी गाँठ बाँधने वाले ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी हो। लहंगे की गांठें ढूंढने में ही उसके पसीने छूट गए। ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी जंग में उतरा हो और सामने दुश्मन की बजाय ये लहंगा हो।  लगभग आधे घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार वो उस भारी-भरकम लहंगे से बाहर निकलने में कामयाब हुआ।  उसने राहत की साँस ली और लहंगे को एक तरफ रख दिया, लेकिन उसकी मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई थीं।  अब बारी थी चोली की, जो अपने आप में एक चुनौती से कम नहीं थी।  चोली की डोरियाँ पीछे बंधी थी और हुक इतना छोटा था कि उसे नज़र ही नहीं आ रहा था। उसने आईने के सामने घूम-घूम कर डोरियों को पकड़ने की कोशिश की, पर नाकाम रही। थका -हारा वह बिस्तर पर जा गिरा । उसने एक बार फिर हिम्मत जुटाई और उठ खड़ा हुआ

और एक बार फिर आईने के सामने जाकर खड़ा हो गया। इस बार उसने फैसला किया कि वो किसी तरह डोरियों तक पहुँचकर ही रहेगा। उसने अपने एक हाथ को पीछे ले जाकर डोरियों को ढूंढने की कोशिश की। डोरियाँ उसके हाथों को छू तो रही थीं, पर वो उन्हें पकड़ नहीं पा रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे वो कोई अदृश्य सांप हो जो उसके हाथों से फिसलता जा रहा हो। उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी, पर डोरियाँ उसके हाथ से दूर होती जा रही थीं। अचानक उसके दिमाग में एक तरकीब आई। उसने सावधानी से डोरियों को पकड़ा और धीरे-धीरे उन्हें खींचने लगा। उसके होंठों पर एक छोटी सी मुस्कान फैल गई। क्या वो आखिरकार अपने आप को आज़ाद कर पाएगा?उसने एक गहरी साँस ली और एक आखिरी बार अपनी सारी शक्ति एक ही बार में लगा दी। चोली की डोरियाँ उसके हाथों में आ गईं। उसने राहत की साँस ली और धीरे-धीरे डोरियों को खोला। चोली को उतारते वक़्त उसे एहसास हुआ कि वो कितना थक गया था।


आखिरकार, वो उस भारी-भरकम लिबास से आज़ाद हो चुका था। उसे ऐसा लगा जैसे उसने कोई बहुत बड़ी बाधा पार कर ली हो। लहंगा चोली उतारना तो मानो एक जंग जीतने जैसा था, लेकिन अभी चुनौतियां बाकी थी क्योंकि अब शुरू हुई थी गहनों को उतारने की मशक्कत। उसने बड़ी मुश्किल से अपने कानों से भारी झुमके निकाले। हर झुमके का वजन उसके कान की लोब को नीचे खींच रहा था, जिससे उसके कान दुखने लगे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि औरतें इतना दर्द सहकर भी इन्हें कैसे पहनती हैं। फिर उसने अपनी नाक से नथ उतारी, जिससे उसकी नाक थोड़ी लाल हो गयी थी। नथ इतनी टाइट थी कि उसे अपनी नाक में दर्द होने लगा था। माथे से टीका हटाना थोड़ा आसान था, क्योंकि वो सिर्फ़ चिपका हुआ था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि औरतें इतना भारी-भरकम सामान क्यों पहनती हैं। ये तो उसके लिए एक दिन का काम ही किसी सज़ा से कम नहीं था।


लेकिन अभी तो और भी गहने बाकी थे - चूड़ियाँ, हार, पायल और कमरबंद। हार तो इतना भारी था कि उसे अपनी गर्दन झुका कर रखनी पड़ रही थी। उसे लगा जैसे उसकी गर्दन ही जकड़ सी गयी हो। चूड़ियाँ तो जैसे उसके हाथों में फंस ही गई थीं। पतली सी चूड़ियों को निकालना उसके लिए किसी पहेली से कम नहीं था। एक-एक चूड़ी निकालने में उसे कितनी मशक्कत करनी पड़ रही थी, ये वो ही जानता था। करीब बीस मिनट तक जूझने के बाद, जिसमें उसने कई बार चूड़ियों को तोड़ने की सोची, आखिरकार वो उन्हें निकालने में कामयाब हुआ। अब बारी थी कमरबंद की, जो इतना टाइट था कि उसे साँस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका शरीर ही उस कमरबंद में जकड़ा जा रहा हो। कमरबंद को खोलने के लिए उसे काफी ज़ोर लगाना पड़ा। उसने जैसे-तैसे करके कमरबंद भी खोल दिया।


सारे गहने उतारने के बाद उसने राहत की साँस ली। उसे लग रहा था जैसे उसने कोई बहुत बड़ा युद्ध जीत लिया हो। सारा शरीर थका हुआ और पसीने से लथपथ था। उसे अब जाकर समझ आया कि औरतें कितनी मेहनत करती हैं, खुद को सजाने संवारने में। अब बारी थी मेकअप उतारने की। उसने बाथरूम का रुख किया और आइने में खुद को देखा। उसका चेहरा एकदम ही अलग लग रहा था। लिपस्टिक उसके होंठों पर फैल चुकी थी और आईलाइनर उसकी आँखों के नीचे तक आ गया था, जिससे वो एक अजीब सी शक्ल बना रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो ये मेकअप उतारे कैसे। उसने सोचा कि पानी से धो लेता हूँ, शायद साफ़ हो जाए।


लेकिन पानी से धोने पर तो और भी बवाल हो गया। लिपस्टिक उसके चेहरे पर और भी फ़ैल गयी और आईलाइनर उसकी आँखों में जाने लगा, जिससे उसकी आँखें जलने लगीं। उसने जल्दी से पानी से अपनी आँखें धोईं। आइने में देखकर उसे खुद पर हंसी आ गयी। उसका चेहरा किसी जोकर जैसा लग रहा था।उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। उसने सोचा कि क्यों न मोरनी से ही पूछ लिया जाए।


वो मोरनी के कमरे में गया और बोला, "मोरनी,प्लीज ये मेकअप कैसे उतारूँ? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा।"

मोरनी कमरे से बाहर आयी उसकी हालत देखकर हंस पड़ी। उसने कहा, "अरे भैया, तुम तो सचमुच में बड़े भोले हो। चलो, मैं तुम्हारी मदद करती हूँ।लेकिन ये तो बताओ की लहंगा चोली उतारा कैसे। "

"अरे यार, बहुत मुश्किल से।" अमित ने थके हुए स्वर में कहा। "ये सब इतना जटिल क्यों होता है? और तुम लोग इसे क्यों पहनती हो?"


"क्योंकि हम औरतें हैं भैया! और औरतें ही असली शक्ति होती हैं।" मोरनी ने मुस्कुराते हुए कहा। "और हाँ, ये सब इतना भी मुश्किल नहीं है जितना तुम सोच रहे हो। आदत की बात है।"उसने मेकअप रिमूवर और कॉटन पैड निकालते हुए कहा। "लो, इसे लगाओ और धीरे-धीरे साफ करो।" और उसने उसके बालों में लगे हेयरपिन निकाले।अमित ने राहत की साँस ली। मोरनी की मदद से, वो आखिरकार अपने चेहरे से सारा मेकअप उतारने में कामयाब हो गया। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने किसी भारी बोझ से छुटकारा पा लिया हो।


"कोई बात नहीं भैया," मोरनी ने हँसते हुए कहा, "लेकिन याद रखना, आज जो कुछ भी हुआ, वो हमारे बीच ही रहेगा।"


मोरनी ने मेकअप रिमूवर से अमित का मेकअप साफ़ किया और  अमित को ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसे किसी भारी बोझ से मुक्त कर दिया हो। उसे पता था कि मोरनी के पास उसकी कमज़ोरी है और वो इसका फायदा उठाएगी।


अमित ने गुस्से से मोरनी को देखा और कहा, "तुम्हें पता है, ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है।"


"अरे भैया, गुस्सा मत हो। देखो, तुम्हारी वजह से आज मेरा दिन कितना अच्छा गया।" मोरनी ने अमित को चिढ़ाते हुए कहा। "और हाँ, ये फोटो और वीडियो तो मैं हमेशा संभाल कर रखूंगी।"


अमित ने हार मानते हुए कहा, "मोरनी, तुम सचमुच बहुत शैतान हो।"


"थैंक यू, भैया।" मोरनी ने हँसते हुए कहा।


मोरनी ने अमित को घूरते हुए कहा, "भाई अभी तो असली खेल शुरू हुआ है! शैतानियों से पिंड छुड़ाना तो दूर की बात है, अभी तो अगले छह दिनों तक तुम्हें इनसे और भी दो-दो हाथ करने पड़ेंगे।"


मोरनी ने एक शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया, "अरे भोले भाई, मम्मी पापा तो छः दिनों के लिए हैं नहीं,और उन्होंने तुम्हारी देखभाल की ज़िम्मेदारी मुझ पर छोड़ दी है और हाँ, इन छह दिनों तक तुम्हें लड़की बनकर ही रहना होगा।"


"क्या? नहीं तुम मेरे साथ मज़ाक कर रही हो ना?" अमित के होश उड़ गए।


मोरनी ने अपनी हँसी रोकते हुए कहा, "बिलकुल नहीं भैया!


"छह दिन? तुम पागल हो गई हो क्या?" अमित ने गुस्से से कहा, "ये नामुमकिन है!"


"अरे भैया, नामुमकिन कुछ भी नहीं है।" मोरनी ने आँख मारते हुए कहा, "और वैसे भी, ये मेरा बदला है उन सब शरारतों का जो तुमने मेरे साथ की थीं। अब भुगतो मेरा क़हर! सोचो इसे अपने बुरे कर्मों का फल!और तुम्हें मैं ल़डकियों के हर रूप मे सजाना चाहती हूँ जैसे बेटी,बहन, बहू और औरत। "


"तुम... तुम सचमुच बहुत बुरी हो मोरनी!"


अमित ने निराशा से अपने हाथ ऊपर उठा दिए।  उसे समझ आ गया था कि  मोरनी से बहस करना समय बरबाद  करने जैसा है।  उसे  अगले छह दिन इस अत्याचार को सहना ही पड़ेगा।

अमित समझ गया कि बहस करना बेकार है। मोरनी ने अपना मन बना लिया था और वो उसे किसी भी हालत में लड़की बनाकर ही दम लेगी।


"ठीक है, मैं तैयार हूँ।" अमित ने हार मानते हुए कहा।


मोरनी की आँखों में शरारती चमक और तेज हो गई। उसने ताली बजाई और बोली, "वाह भैया, ऐसे तो तुम मेरी प्यारी बहना लगोगे! चलो अब कल से तुम्हारा ट्रांसफॉर्मेशन शुरू करते हैं!"


"ठीक है, मैं मान गया।" अमित ने हार मानते हुए कहा, "लेकिन ये मत सोचना कि मैं तुम्हारी हर बात मानूँगा।"

"अरे भैया, कोशिश तो करूँगी न कि तुम मेरी हर बात मानो।" मोरनी ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा।


अमित जानता था कि मोरनी से बहस करना बेकार है। वो बहुत ज़िद्दी है और जब तक अपनी बात मनवा न ले, तब तक चैन से नहीं बैठेगी।


"अच्छा ठीक है, अब मुझे जाने दो।" अमित ने कहा।


उस रात अमित को ठीक से नींद नहीं आई। वो पूरी रात मोरनी की उस हरकत के बारे में सोचता रहा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मोरनी उसके साथ ऐसा क्यों कर रही थी।

नए रूप में नया सफर - मोरनी के हाथों का जादू

अगली सुबह मोरनी ने अमित को जल्दी उठा दिया। "भैया उठो, उठो, कितना सोते हो! देखो दस बज गए हैं।"

अमित आँखें मलते हुए बोला, "क्या हुआ मोरनी? इतनी सुबह-सुबह क्या शोर मचा रखा है? मुझे तो अभी भी नींद आ रही है।"


"अरे भैया, सुबह क्या हुई! दस बज गए हैं और आज से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू हो रही है, याद है ना?" मोरनी ने उत्साह से कहा।


"ट्रेनिंग? किस चीज़ की ट्रेनिंग?" अमित ने नींद में पूछा।


"अरे भैया, कल रात की बात भूल गए? आज से तुम छह दिन तक लड़की बनकर रहोगे और तुम्हें लड़की बनना तो मैं ही सिखाऊंगी न।" मोरनी ने उसे याद दिलाया।


अमित को जैसे नींद से एक झटका लगा हो। उसे कल रात की सारी बातें याद आ गईं। मोरनी ने उसे धमकी दी थी कि अगर वो उसकी बात नहीं मानेगा तो वो उसकी फोटो और वीडियो सबको दिखा देगी। उसे याद आया कि कैसे मोरनी ने उसे लड़की के कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया था।


"हाँ-हाँ, याद आया। मैं उठ रहा हूँ।" अमित ने हार मानते हुए कहा।


मोरनी ने अमित को धक्का देकर बाथरूम में धकेलते हुए कहा, "जाओ, पहले नहा धो लो लेकिन उससे पहले ये हेअर रिमूवल क्रीम पूरे शरीर पर लगा लेना और फिर दस मिनट बाद नहा लेना।" अमित ने अचरज से मोरनी को देखा, उसके चेहरे पर सवाल साफ झलक रहा था।


"क्या हुआ? क्यूं देख रहे हो ऐसे?  कल की बात अलग थी, वो तो बस एक शुरुआत थी। अब तो तुम्हें हर तरह से लड़की बनना होगा। और हाँ,  शरीर पर एक भी बाल नहीं होना चाहिए, समझ गए?" मोरनी ने सख्त लहजे में कहा।

अमित की आँखों में घबराहट साफ दिख रही थी। "पर मोरनी... ये.. ये तो बहुत अजीब है।"

मोरनी ने उसकी बात काटते हुए कहा, "अजीब क्या है इसमें? लड़कियों की तरह स्किन चाहिए तो उसके लिए ये सब करना ही पड़ेगा।"


"लेकिन मोरनी... दर्द होगा ना?" अमित ने डरते-डरते पूछा।


मोरनी हँसते हुए बोली, "अरे डरपोक! दर्द नहीं होता इससे। बस थोड़ी जलन हो सकती है, पर वो भी दो-चार मिनट की। जाओ अब, जल्दी करो।


"और हाँ,  शुक्र मानो कि मैं सिर्फ इसी से ही संतुष्ट हूँ।" मोरनी ने अपने नाखून देखते हुए कहा,  "वरना वैक्स भी करवा सकती थी, और तब पता चलता तुम्हें असली दर्द क्या होता है।"


अमित मन ही मन सोचने लगा कि वो किस चक्कर में फंस गया है।


अमित मन मसोस कर नहाने चला गया। पूरे शरीर की शेविंग करके नहा धोकर जब वो बाहर आया तो मोरनी ने उसके लिए ब्रा और पैन्टी रखी थी। अमित ने पहले पैंटी पहनी फिर मोरनी ने एक बॉक्स खोला उसमें से उसने दो 


ब्रेस्ट फॉर्म निकाले और अमित की छाती पर चिपका दिए। अमित ने पूछा, "ये क्या चिपका रही हो?"


मोरनी ने जवाब दिया, "ये ब्रेस्ट फॉर्म हैं, इन्हें लगाने से तुम्हारी छाती लड़कियों जैसी लगेगी।"  पर उसने अमित को ये नहीं बताया कि उनको जिस ग्लू से चिपकाया है उसको मोरनी ही छुटा सकती है।


फिर मोरनी ने अमित को ब्रा पहनने में मदद की मोरनी ने उसे एक अलमारी खोलने को कहा।


"इसमे क्या है?" अमित ने पूछा।


"इसमें तुम्हारे लिए कुछ कपड़े हैं। आज से छः दिनों तक तुम्हारी बस यही अलमारी होगी और तुम छः दिनों तक यही कपड़े पहनोगे।" मोरनी ने कहा।


अमित ने डरते-डरते अलमारी खोली। उसमें तरह-तरह के लड़कियों के कपड़े भरे हुए थे - सूट, सलवार कमीज, लेगिंग्स, कुर्तियाँ, दुपट्टे, लहंगे और साड़ियां, सब कुछ।


"ये तुम क्या मजाक कर रही हो, मोरनी?" अमित ने घबराते हुए कहा, "मैं ये सब नहीं पहनूँगा।"


"अरे भैया, मजाक की बात नहीं है।" मोरनी ने गंभीरता से कहा, "जब छह दिन तक लड़की बनकर रहना है, तो ढंग से तो रहो और अपने कपड़े तो कुछ टाइम के लिए भूल जाओ। और हाँ, एक बात और, तुम्हारी अलमारी जिसमें तुम्हारे सारे कपड़े हैं, वो मैंने लॉक कर दी है और उसकी चाबी मेरे पास रहेगी। तो अब आपके पास और कोई चारा नहीं है।"


अमित मन ही मन सोच रहा था कि आखिर वो किस मुसीबत में फंस गया है। लेकिन अब उसके पास कोई चारा नहीं था। उसे अगले छह दिनों तक मोरनी की कठपुतली बनकर रहना होगा। उसने एक-एक करके सारे कपड़े देखे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या पहने और क्या छोड़े।


"मोरनी, प्लीज यार, मुझे ये सब नहीं करना।" अमित ने मिन्नत की, "तुम जो चाहो, मैं करूँगा, पर ये सब नहीं।"

"देखो भैया, ज्यादा नाना-नाकुर मत बनाओ। और हाँ,और जल्दी से कुछ पहनो, नहीं तो मैं खुद तुम्हें पहनाऊंगी।"

अमित समझ गया कि अब बहस करने का कोई फायदा नहीं है। उसने मोरनी से कहा कि वो ही कुछ चुन ले।


"अच्छा, ठीक है।" मोरनी ने इशारा करते हुए कहा, "तुम ये पीले रंग का सूट पहनो ये तुम पर बढिय़ा लगेगा।"

अमित ने देखा कि मोरनी जिस सूट की बात कर रही है,वो सुन्दर थी और भारी भी। दरअसल वो एक ब्राइडल टाइप की शरारा सूट था "मोरनी, ये तो बहुत ज़्यादा भारी लग रहा है।" "अरे बाप रे, ये कैसे पहनते हैं?" अमित ने परेशानी से कहा।


"अरे भैया, चिंता मत करो।"


मैं तुम्हें पहनने में मदद कर दूंगी।" मोरनी ने कहा और फिर वो अमित को शरारा पहनाने लगी। शरारा नीचे से फैला होता है तो अमित को अजीब लग रहा था।


शरारा पहनाने के बाद मोरनी ने अमित को कुर्ती दी। अमित ने जैसे ही कुर्ती पहनने की कोशिश की, उसे समझ आ गया कि ये काम इतना आसान नहीं है।


अमित को सूट पहनने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी, लेकिन मोरनी ने धैर्य से उसे पहनाया।


"वाह! भैया, तुम तो बहुत सुंदर लग रही हो!" मोरनी ने अमित को देखते हुए कहा।"


अमित ने हिचकिचाते हुए आईने में देखना चाहा मगर मोरनी ने मना कर दिया और कहा कि पहले पूरा तैयार तो हो जाओ फिर आखिर मे देखना।


"मोरनी, ये तो बहुत ज़्यादा टाइट है।" अमित ने कहा, "मुझे साँस लेने में तकलीफ हो रही है।"


"अरे भैया, थोड़ा एडजस्ट कर लो।" मोरनी ने कहा, "लड़कियों को तो हर वक़्त ऐसे ही रहना पड़ता है।"


अमित ने जैसे-तैसे करके वो कमीज भी पहन ली। अब बारी थी दुपट्टे की। उसने कई बार दुपट्टा बाँधने की कोशिश की, लेकिन वो बार-बार उसके कंधे से गिर रहा था।


मोरनी अमित को देखकर हँस पड़ी। "वाह भैया, क्या खूब लग रहे हो! एकदम लड़की लग रहे हो!" फिर मोरनी ने कहा कि दुपट्टा बाद मे सेट होगा इसलिए उसे छोड़ दो।


"ये हँसने वाली बात नहीं है, मोरनी।" अमित ने गुस्से से कहा, "मुझे बहुत अजीब लग रहा है।"


"अरे भैया, गुस्सा क्यों होते हो? अभी तो तुम्हें मेकअप करना है, बाल बनाने हैं, गहने पहनने हैं।" मोरनी ने कहा, "चिंता मत करो, मैं तुम्हें एकदम सुंदर लड़की बना दूंगी। उसके बाद दुपट्टा भी मैं ही सेट कर दूंगी। "


अमित को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। वो खुद को इस स्थिति में लाने के लिए खुद को कोस रहा था।

मोरनी ने अपने मेकअप किट से फाउंडेशन निकाला और अमित के चेहरे पर धीरे-धीरे लगाना शुरू कर दिया। अमित शुरुआत में तो थोड़ा विरोध करता रहा, "अरे यार, ये सब क्या कर रही हो? मुझे अच्छा नहीं लगता ये सब।" लेकिन मोरनी ने उसकी एक न सुनी और अपने काम में लगी रही।


फाउंडेशन के बाद, मोरनी ने पाउडर से अमित का चेहरा सेट किया, उसके बाद गालों पर हल्का सा ब्लशर लगाया। अमित आईने में खुद को देख रहा था, और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या प्रतिक्रिया दे। मोरनी ने फिर आईलाइनर से उसकी आँखों को एक नया आकार दिया, और मस्कारा से उसकी पलकों को घना बना दिया। अमित को अपनी आँखों में एक अलग ही चमक दिखाई दे रही थी।


अंत में, मोरनी ने लिपस्टिक निकाली और अमित के होंठों पर लगाई। जब मोरनी ने मेकअप खत्म किया, तो अमित खुद को आईने में देखता ही रह गया। उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वह खुद को पहचान ही नहीं पा रहा था। उसका चेहरा बिल्कुल बदला हुआ लग रहा था, एक अलग ही चमक और आकर्षण था उसके चेहरे पर।

जब मोरनी ने मेकअप खत्म किया, उसके बाद उसने एक और बॉक्स खोला और उसमे से एक लंबी, काली कर्ली और रेशमी विग निकाली। यह विग बिल्कुल असली बालों जैसी लग रही थी। मोरनी ने सावधानी से अमित के सिर पर एडजस्ट कर उसी ग्लू से चिपका दी जिससे उसने ब्रेस्ट चिपकाई थी। ग्लू की गंध से अमित को थोड़ी घबराहट हो रही थी, लेकिन उसने हिम्मत करके कुछ नहीं कहा।


अब बारी थी गहनों की। मोरनी ने एक और छोटा सा बक्सा खोला, जिसमें से तरह-तरह के गहने निकले - झुमके, गले के लिए हार , ढेर सारी रंग-बिरंगी चूडियां और ज्यादा घुँघरू वाली पायल। अमित समझ गया कि मोरनी उसे ये सब भी पहनाएगी।


"मोरनी, ये सब ज़रूरी है क्या?" अमित ने डरते-डरते पूछा। उसे ये सब पहनना बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था, लेकिन मोरनी की ज़िद के आगे उसकी एक न चली।

"बिल्कुल ज़रूरी है, भैया।" मोरनी ने गंभीरता से कहा, "अगर तुम सचमुच लड़की बनकर रहना चाहते हो, तो तुम्हें हर तरह से लड़की लगना होगा।"


मोरनी ने बड़े प्यार से अमित को कानों में झुमके पहनाए। अमित के कान में पहले से ही छेद थे तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी फिर बड़ी से नथ पहना दी और उसकी चैन सेट कर दी। फिर उसने हार निकाला और अमित के गले में डाल दिया । अमित के हाथों में तो ढेर सारी चूड़ियाँ पहना दीं। ये वही पंजाबी ब्राइडल वाला चूड़ा की तरह ही थी ताकि थोड़ा ब्राइडल टाइप लुक लगे अब बची थीं घुँघरू वाली पायल। पायल इतनी भारी थीं कि अमित को चलने में भी दिक्कत हो रही थी और बहुत ज्यादा आवाज कर रही थीं।अमित को इतना भारी और असहज लग रहा था कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। उसे अहसास हुआ कि लड़की होना इतना आसान भी नहीं है। बस अब एक चीज़ की कमी बची है और उसने मांग टीका उसके सिर पर लगाया । फिर मोरनी ने शरारा सूट का दुपट्टा अमित के सिर पर पल्लू की तरह सेट किया और उसको एक बार ऊपर से नीचे तक देखा।

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